May 08, 2010

भगवान में विश्वास श्रद्धा और भूतो में विश्वास अन्धविश्वास क्यों

सुबह अखबार में एक खबर छपी थी कि एक बेचारा बेरोजगार युवक नौकरी जाने के बाद परेशान हो कर तंत्र  मंत्र से सब कुछ ठीक करने का दावा करने वाले बाबा के चक्कर में पड़ कर ठगा गया | नौकरी तो बेचारे की पहले ही गई थी अब अन्धविश्वास के चक्कर में पड़ कर पचास हजार का कर्ज भी लाद बैठा | पढ़ कर बेचारे के लिए दुख हुआ पर एक सवाल भी मन में उठा की भारत में या ये कहे की पूरे विश्व में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो भूत प्रेत तंत्र मंत्र  जादू टोना जैसी चीजों पर विश्वास करते है पर हम सभी बड़े आराम से उनके विश्वास को अन्धविश्वास करार देते है जबकि कोई यदि भगवान पर विश्वास करता है तो उसे श्रद्धा का दर्जा दे देते है | क्यों भगवान में विश्वास को श्रद्धा और भूतो, तंत्र मंत्र जादू टोना आदि में विश्वास को अन्धविश्वास की श्रेणी में डाल दिया जाता है | दोनों के विश्वास में आखिर फर्क क्या है जब भगवान है तो शैतान भी हो सकता है | जब भगवान के भक्त हो सकते है तो शैतान के क्यों नहीं दोनों के विश्वास को दो अलग रूपों में क्यों देखा जाता है श्रद्धा तो आखिर श्रद्धा होती है वो किसी के प्रति हो सकती है फिर उसमे फर्क क्यों | मुझे लगता है की ना तो किसी ने  भगवान को देखा है और न ही भूतो को, हा भूतो को देखने का दावा काफी लोगों ने किया है पर आज तक भगवान को देखने का दावा किसी ने भी खुल कर नहीं किया है(हा खुद ही भगवान होने का दावा कइयों ने किया है) | उसके बाद भी कहा जाता है की भूत वुत कुछ नहीं होता पर भगवान होता है क्यों | एक बात और है भूतो में विश्वास करने वालो का विश्वास भगवान में विश्वास करने वालो से ज्यादा पक्का होता है क्योंकि भूत प्रेत के डर से हमने लोगों को डरते देखा है लोग कुछ खास जगहों और कुछ खास काम करने से बचते है यदि उनसे ये कह दिया जाये की ऐसा करने से शैतान नाराज़ हो जायेगा या भूत प्रेत आप का बुरा कर देंगे जबकि आज तक भगवान से किसी को मैंने डरते नहीं देखा है जिसकी जो इच्छा होती है करता है | कहने को तो कहा जाता है की कोई बुरा काम मत करो झूठ मत बोलो चोरी मत करो दूसरों का बुरा मत करो भगवान देख रहा है वो तुमको दंड देगा पर आज तक मैंने भगवान के डर से लोगों को ये सारे काम बंद करते नहीं देखा है लोग कभी भी भगवान से नहीं डरते है क्योंकि वो कहने के लिए तो भगवान के होने का विश्वास करते है पर मन ही मन जानते है की जो इच्छा है करो जब ईश्वर होगा तब ना कोई दंड मिलेगा| आप तर्क दे सकते है की भूत प्रेत के नाम पर लोगों को ठगा जाता है तो क्या भगवान के नाम पर लोगों को नहीं ठगा जाता है आप परेशान है फला भगवान की पूजा करा लो ज्यादा पैसे नहीं लगेंगे दुख दूर हो जायेंगे बेटी का विवाह नहीं हो रहा है बेटी को बोलो फला देवी का व्रत जाप करे रोज मंदिर जा कर दूध फल चढ़ाये जल्द विवाह हो जायेगा बेटा नहीं हो रहा है फला मंदिर में सोने की छत्र चढ़ाने की मन्नत मान लो वहा सबकी मन्नते पूरी हो जाती है | क्या इस तरह की बाते करके लोगों को नहीं ठगा जाता है अरे बेटी को विवाह एक दिन तो होना ही है भले पूजा करने के सालों बाद हो पर यही कहेंगे की देखा देवी की कृपा से विवाह हो गया ऐसे मामलों में हम क्यों नहीं मानते की उसे ठगा गया | सोचिये दुनिया में ईश्वर पर भरोसा करने वालो की संख्या कितनी ज्यादा है हर इन्सान को कोई न कोई परेशानी होती है और उसी परेशानीयो  से उबरने के लिए वह भगवान के पास जाता है और उनसे मदद मागता है मन्नते मागता है या जिसके जीवन में परेशानी नहीं है वो आगे भी किसी परेशानी से बचने की दुआ मागता है क्या सबकी दुआ कबूल हो जाती है क्या उन सभी की परेशानियाँ दूर हो जाती है या जिनके जीवन में कोई परेशानी नहीं है उनको कभी मुसीबतें नहीं घेरती मुश्किल से कुछ लोगों की मुसीबतें ही टलती है ( वजह कुछ और भी हो सकती है ) फिर भी हम उनमें से किसी से नहीं कहते है की क्यों बार बार भगवान के पास जाते हो जब कोई फायदा नहीं हो रहा है या ये सब फ़ालतू की चीजें है इन्हें मत करो जबकि यदि कोई  अपनी मुसीबतों से बचने के लिए जादू टोना तंत्र मंत्र या भूत प्रेत के चक्कर में पड़ता है  तो एक तो हम इन चीजों में विश्वास करने वालो को पहले ही अंधविश्वासी करार देते है और जब एक बार में उसकी मुसीबत नहीं टलती तो उसे समझाने लगाते है की तुम्हें ठगा जा रहा है इन चीजों से कुछ नहीं होगा एक बार धोखा खा गये हो अब दोबारा क्यों जा रही हो | वाह भाई भगवान में विश्वास श्रद्धा और भूतो में विश्वास अन्धविश्वास |
                   ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो भगवान और (शैतान) जादू टोना तंत्र मंत्र भूत प्रेत सभी में समान रूप से भरोसा करते है और ऐसे मंदिरों और मज़ारो की भी कोई कमी नहीं है जहा ये दोनों चीजें एक साथ होती है | जबकि कहा ये  जाता है की जहा भगवान का वास होता है वहा भूत प्रेत और शैतान जैसी चीजें फटकती भी नहीं | कुछ इस तरह के लोग भी होते है जो भगवान में विश्वास करते है शैतान को पूजते नहीं पर उनसे डरते है ऐसे लोगों से ये कह दिया जाये की तुम पर जो मुसीबत आई है वो किसी ने जादू टोना किया है तो वो तुरंत उस पर भरोसा कर लेते है और भगवान की शरण में चले जाते है जब भगवान में विश्वास है तो शैतान से क्या डरना | दूसरे वो होते है जो भगवान भगवान और मंदिरों के बीच भी फर्क करते ऐसे लोग चारों धाम की यात्रा कर लेते है सिद्धि विनायक और सिर्डी भी दर्शन कर आते है पर अपने जीवन में कभी भी घर की नुक्कड़ पर बने मंदिर में न तो कभी जाते है और न वहा से गुजरते  समय कभी सर झुकाते है उनके अनुसार भगवान सिर्फ बड़े भव्य आलीशान और नामी मंदिरों में ही विराजते है या फिर सारी शक्ति और सिद्धि सिर्फ कुछ प्रसिद्ध और खास देवी देवताओं में ही होती है किसी गाँव कुचे की किसी देवी देवता में नहीं इसलिए सबकी पूजा करने की आवश्यकता नहीं है | इसके अलावा एक और टाईप के भक्त भी होते है जिनके समय जरुरत और फैशन के मुताबिक इष्ट देवता बदलते रहते है |
                     मुझे तो लगता है की दुनिया में भूत प्रेत जादू टोना तंत्र मंत्र के नाम पर जितने लोग ठगे जाते है उनसे कही ज्यादा लोग रोज भगवान के नाम पर ठगे जाते है | जितना धन लोग इन बाबाओ के चक्कर में बर्बाद करते है उससे ज्यादा  धन की बर्बादी वो मंदिरों और पंडितो के ऊपर करते है | ज्यादातर लोगों का भगवान में विश्वास सिर्फ एक दिखावा भर होता है यदि उनका विश्वास सच्चा होता तो कोई बुरा काम करने से पहले वो सौ बार सोचते भगवान की मार से डरते पर ऐसा नहीं है | सभी बस इस लिए विश्वास करते है ताकि अपनी अकर्मठता और अपनी नाकामयाबी का बोझ भगवान पर डाल कर ये कह सके की भगवान की यही मर्ज़ी थी हम क्या करे |
नोट --- जिन लोगों की भावनाएँ हर बात पर ठेस खा जाती है ऐसे कमजोर भावनाओं वाले इस लेख को न पढ़े  


9 comments:

  1. भगवान हो या शैतान जब विश्वास करते समय दिमाग न लगाया जाये तो वो अंधविश्वास बन जाता है

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  2. सही कहा भगवान के नाम पर ज्यादा ठगा जाता है पर इसमे भगवान की क्या गलती काम तो इंसान का होता है

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  3. जब भगवान् को भी नहीं बक्शा जायेगा तो भावनाएं ठेस तो खायेंगी इसलिए मैंने ये लेख नहीं पढ़ा

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  4. राकेश जी

    लेख पढ़ लेते तो समझ जाते की बात भगवान की नहीं इन्सान की हो रही है जिसके लिए अपना विश्वास विश्वास होता है दूसरो का अन्धविश्वास

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  5. वास्तव में, दुनिया में अन्धविश्वास जैसा कुछ भी नहीं होता...हमारी बुद्धि जिस विषयवस्तु की गहराई को समझने के काबिल हो जाती है, उसे विज्ञान मान लिया जाता है और जहाँ तक इन्सानी मस्तिष्क पहुँचने में सक्षम नहीं हो पाता उसे ही अन्धविश्वास का नाम देकर पीछे धकेल दिया जाता है....

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  6. हमारा समाज हर मामले में महिला को ही दोषी ठहराता है...

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  7. अन्धविश्वास का नाम देकर पीछे धकेल दिया जाता है

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  8. wo kya hai na ki log jaante hai,bhagwaan ko pataana kitna aasan hai.kitne hi kukarm karo,jara si aavbhagat ke baad wo khush ho jayega.jabki shaitaan itne bhole nahi hote.isiliye log unse panga lete jyada darte hai.

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  9. waise ye note aapko upar lagana chahiye tha.neeche aate aate to kaiyon ki bhaavnao ka band baj chuka hoga.ha ha ha....

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