December 23, 2010

इसे कहते है बेटी के लिए अच्छा रिश्ता - - - - - - - - - - mangopeople

पंडित जी ने जैसे ही अपनी तशरीफ़  सोफे में घुसाई अशोक जी की पत्नि शुरू हो गई " पंडित जी कोई अच्छा रिश्ता बताइये इस बार जो हमारे हैसियत और रुतबे के बराबर का हो हमारी तरह ही इज्जतदार सम्मानित हो समाज में | "
" ये पहला लड़का है आबकारी विभाग में बड़ा आफिसर है पिछले साल ही आयकर विभाग का छापा पड़ा था पुरे पचास लाख रुपये कैश बीस लाख के गहने और दो मकान बाहर आये थे " पंडित जी ने फोटो आगे बढ़ाते हुए कहा |
 ये सुनते ही अशोक जी के चहरे पर गुस्सा साफ दिख गया " क्या पंडित जी आप भी कैसे कैसे रिश्ते उठा लाते है कुछ हमारी इज्जत का भी ख्याल रखा कीजिये अब क्या हमारे ऐसे दिन आ गए है की हम अपनी बेटी का विवाह ऐसे घरो में करे दुनिया को क्या मुँह दिखायेंगे, लोगो को क्या जवाब देंगे, हम अपनी बेटी को ऐसे घर में नहीं भेज सकते है | हम उससे प्यार करते है उसके दुश्मन थोड़े ही है " अशोक जी एक साँस में सब बोल गये |
 " तो फिर जजमान ये दूसरा रिश्ता देखिये ये आप को जरुर पसंद आयेगा | बिल्कुल आप के हैसियत के बराबर का है , लड़का कस्टम में बड़ा आफिसर है पिछले साल रेड में इसके पास से दो करोड़ नगद अस्सी लाख के गहने पांच करोड़ की जमीन और चार बंगले मिले थे "
 ये सुनते ही अशोक जी की चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई " वाह पंडित जी इसे कहते है बेटी के लिए अच्छा रिश्ता आप फटा फट मेरी बेटी की बात यहाँ चलाइये और ये लीजिये मेरी लिस्ट की जब हमारे यहाँ रेड पड़ी थी तो क्या क्या मिला था आयकर विभाग को, लडके वालो को दे दीजियेगा वो भी समझ जायेंगे की हम भी हैसियत में उनसे कम नहीं उनके बराबर है "

23 comments:

  1. बड़ा ही करारा व्यंग्य है,कहानी में....और आज की हकीकत भी, यही है.

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  2. यही है आज की सच्चाई ..सार्थक लघुकथा.

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  3. chalo beti sukhi rahey bas yahii kamna haen warna kahin sab andar huae agli baar to kyaa hogaa !!!!!!!!!!!!!!!!!

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  4. @ रश्मि प्रभा जी
    सरकारी अधिकारियो की हैसियत ऐसे ही तो पता चलती है नहीं तो सामने दिखता ही नहीं की कौन अन्दर ही अन्दर कितना कमा रहा है |


    @ रश्मि रविजा जी

    हमें और आप को ये व्यंग्य लगेगा पर उन बड़े बड़े सरकारी अधिकारियो के लिए तो आम बात है |



    @ शिखा जी

    अभी अभी अजित जी से ये बताने का आग्रह किया है की वो बताये की ये लघु कथा की श्रेणी में है या नहीं | उन्होंने लघु कथा के बारे में एक पोस्ट लिखी है |


    @ रचना जी

    आज तक भारत में कोई अधिकारी इस केस में अन्दर हुआ है जो अब होगा | जो अकूत सम्पदा कमाई है उसका एक हिस्सा ही उसे बचा भी लेगा | आखिर दूसरो को भी तो कमाना है बेटा बेटी के रिश्ते करने है :)))

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  5. निसंदेह यह लघुकथा की श्रेणी मे ही आती है। इसमें क्‍या और हो सकता है आपको अलग से मेल करूंगी।

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  6. शर्मनाक स्थिति है इस देश और समाज की.....चोर उच्चकों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक के पदों को हथिया लिया है.....ऐसे में आम आदमी किसके पास सत्य और ईमानदारी की रक्षा के लिए जाय..........

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  7. बहुत सुंदर जी ओर आज के भारत की सच्ची तसवीर हे. धन्यवाद

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  8. नये युग का नया धर्म है, नये मूल्य। गिने-चुने शब्दों में बदलते समाज का रंग दिखा रही है आपकी पोस्ट।

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  9. देश और समाज की कडवी सच्चाई को व्यक्त करती पोस्ट.कृप्या जारी रखें.

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  10. .
    .
    .
    हा हा हा हा,

    हर दौर की यही कहानी है... बुजुर्ग बताते हैं कि बहुत पहले के इज्जतदारों में यह चलन आम था बढ़ा-चढ़ा कर बताने का कि 'मेरी अलानी-फलानी कोठी में चोरों/डकैतों ने लूट की कोशिश की'... जिसके यहाँ ऐसा नहीं होता था, वह जूठी अफवाह फैलाने का जुगाड़ करता था... कुछ ऐसा ही आज के इज्जतदार कर रहे हैं... "रेड नहीं तो हैसियत नहीं"... व्यंग्य नहीं आज की सचाई है यह।


    ...

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  11. हैसियत तो दोनों की बराबर ही लगती है, आर्थिक भी और मानसिक भी, बराबरी से आगे निकालने की दौड़ में रिश्तों में ताउम्र हाथापाई तय ही समझिये ;)
    लिखते रहिये ...

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  12. स्‍टेटस सिंबल की भाषा, परिभाषा और समझ.

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  13. @अंशु जी,
    वैसे आपने मुझसे नहीं पूछा है। पर यह एक संपूर्ण लघुकथा है। केवल अंत की दो पंक्तियों की इसमें जरूरत नहीं है। वे इसे कमजोर कर देती हैं। अत: सूझाव है कि लघुक‍था को आप
    - ये सुनते ही अशोक जी की चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई " वाह पंडित जी इसे कहते है बेटी के लिए अच्छा रिश्ता आप फटा फट मेरी बेटी की बात यहाँ चलाइये।- पर समाप्‍त कर दीजिए।
    *
    दूसरी बात यह अभ्‍यास आप स्‍वयं करके देखिए कि आपकी लघुकथा में अनावश्‍यक शब्‍द कितने हैं। यानी जिनके बिना भी काम चल सकता है।
    *
    बहरहाल एक सशक्‍त बनती लघुकथा के लिए बधाई और शुभकामनाएं।

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  14. कृपया मेरी टिप्‍पणी में सूझाव को सुझाव पढ़ें।

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  15. Sundar lakhukata. Rajesh Utsahi ji jaise tippanikarta hon to kafi kuchh sikha ja sakta hai.

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  16. बढ़िया व्यंग्य है. शिल्प के बारे में चाहे जो भी हो पर भाव तो जबरदस्त हैं.

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  17. "समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को
    "मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

    ()”"”() ,*
    ( ‘o’ ) ,***
    =(,,)=(”‘)<-***
    (”"),,,(”") “**

    Roses 4 u…
    MERRY CHRISTMAS to U…

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  18. @ अजित जी

    बहुत बहुत धन्यवाद |



    @ honesty project democracy
    आप आदमी को खिद भी कुछ प्रयास करना चाहिए |


    @ राज भाटिया जी

    सच्ची लेकिन ख़राब तस्वीर |


    @ संजय जी

    जी हा समाज का काला रंग |


    @ अनुराग जी

    धन्यवाद |


    @ राजन जी

    कड़वी तो फिर भी निगला जा सकता है ये तो कसैली है |



    @ प्रवीण जी

    आज के सरकारी अफसर कितना कमा रहे है ये कोई नहीं जनता है ये रेड ही है जो बताता है की किसके पास कितनी काली कमाई जमा है | और ये डैकैती वाली बात आप ने सही कही मैंने भी बचपन में सुनी है |



    @ राहुल सिंह जी

    धन्यवाद |

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  19. @ राजेश उत्साही जी

    सबसे पहले मेरी लघुकथा की मूल्यांकन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद | ये मेरा सौभाग्य है की मेरे लघु कथा लिखने के पहले प्रयास में ही साहित्य जगत से जुड़े दो बड़े नमो ने मेरा मार्ग दर्शन किया | राजेश जी ये महज संजोग है कि मैंने भी या लघुकथा जैसी कोई चीज लिखी और उधर अजित जी ने भी लघुकथा लिखने पर ही एक पोस्ट लिख दी | यदि वहा पर आप ने मेरी टिप्पणी पढ़ी हो तो मैंने यही लिख था की मैंने लघु कथा सोच कर नहीं बल्कि बस अपने विचार को यु ही उतार दिया था जिसे खुद मै लघु कथा तक नहीं समझ रही थी तो फिर किसी को मूल्यांकन के लिए क्या कहती | अजित जी ने उसी समय पर वो पोस्ट लिखी थी इस लिए थोड़ी हिम्मत करके उनसे पूछ लिया था | आप दोनों के कहने के पहले तक तो मै इसे चुटकुले की श्रेणी में ही रख रही थी |

    मेरा साहित्य से जुड़ाव बस ब्लॉग पर आप लोगों को पढ़ने तक ही और मै खुद ये कभी नहीं सोच पाई थी की मै कुछ ऐसा लिखूंगी जो साहित्य की किसी विधा से जुड़ा होगा इसलिए आप से कभी ऐसा कहने की हिम्मत नहीं हुई | एक बार फिर से आप का धन्यवाद दुँगी की आप ने बिना मेरे कहे ही मेरा मार्ग दर्शन किया मै हमेशा चाहूंगी की आप मेरे सभी लेखो का यु ही मूल्याकन करते रहे ( वर्तनी की गलतिया छोड़ कर वो मुझसे बहुत होती है सुधार का प्रयास जारी है ) ताकि मै अपनी लेखनी में और सुधार कर सकू | धन्यवाद |

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  20. @ राजेश उत्साही जी

    रचना में आप ने जो गलतिया बताई है उसका अगली बार ध्यान रखूंगी |


    @ दीप जी

    धन्यवाद | बिल्कुल सही कहा आप ने |


    @ मुक्ति जी

    धन्यवाद |


    @ समस हिंदी जी

    आप को भी क्रिसमस की बधाई |

    मुझे याद है बचपन में मेरे चाचा क्रिसमस पर सभी को " मेरी किस्मत " कह कर बधाई देते थे | :)))

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  21. आज की शर्मनाक स्थिति को बखूबी अभिव्यक्ति मिली है ...आपका आभार

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