August 15, 2011

यदि आप को लगता है की आप आजाद है तो आप को आजादी के पर्व की शुभकामनाये- - - - - - - - -mangopeople

देश की आजादी के लिए कितनो ने अपने जीवन का बलिदान दिया हम इसकी सही गिनती नहीं कर सकते है उन्होंने बलिदान दिया ताकि देश आजाद हो सके देश की आने वाली पीढ़ी एक आजाद और बेहतर जीवन जी सके | हम में से ज्यादातर लोग उस स्वतंत्रता संग्राम में अपना कोई भी योगदान नहीं दे सके क्योकि हम तब वहा नहीं थे पर हमने उनके बलिदानों से मिली आजादी का खूब उपभोग किया और उसके उपभोग में इतने खो गये की कब हम भ्रष्टाचार के गुलाम हो गये हमें पता ही नहीं चला |  ६० साल से ऊपर हो गये हमें गुलाम होते अब समय आ गया है की हम फिर से एक नई आजादी की लड़ाई शुरू करे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ , अभी और इसी समय क्योकि अब हम पहले से ज्यादा जागरुक है अब हमें दो सौ सालो तक सहने का इंतजार नहीं करना है और अभी उठ खड़ा होना है, ताकि हमारे बच्चे और उनका भविष्य बेहतर हो | आज हमारे  पास मौका है देश में चल रहे एक दूसरे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का, स्वतंत्रता भ्रष्टाचार से, फिर क्यों हम इस मौके को हाथ से जाने दे | बाहर आइये और साबित कीजिये की आप है और जिन्दा है और आप भी देश के लिए कुछ कर सकते है | कुछ कीजिये, किसी के समर्थन में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ, सरकारों तक बात पहुचाइए की अब आप से ये सब बर्दास्त नहीं होगा अब आप भ्रष्टाचार का साथ नहीं दे सकते है | ये लोकतंत्र के खिलाफ नहीं है ये संसद के खिलाफ भी नहीं है ये किसी एक राजनितिक दल के खिलाफ भी नहीं है ये बस और बस भ्रष्टाचार के खिलाफ है चाहे वो कोई भी कर रहा हो चाहे वो सरकार करे, नेता करे, मंत्री करे, नौकरशाह करे, आम जनता करे कोई भी करे सन्देश दीजिये अपने विरोध से की अब हम इसे नहीं सहेंगे और हम बदलाव के लिए तैयार है आज और अभी, अब हम हर पांच साल का इंतजार नहीं करेंगे अब हम खुद को पांच साल तक लुटता देख चुप नहीं रहेंगे कि आप को पांच साल बाद बताएँगे, हम अभी ही इसका विरोध करते है और सभी को चेतावनी देते है की अभी तक जो किया सो किया हम चुप रह आप को बढ़ावा देते रहे पर अब नहीं अब हमने अपनी भूल सुधार ली है अब हम इन चीजो को नहीं सहेंगे |
                 विरोध कीजिये कही भी जहा आप है अपने हाऊसिंग सोसायटी में अपने आफिस में अपने मोहल्लो में आप का जे पी पार्क , जंतर मंतर ,या आजाद पार्क जाने की जरुरत नहीं है आप इसका विरोध कही से भी कीजिये जहा आप है , इमारतों  में भ्रष्टाचार के खिलाफ तख्ती टांग दीजिये सोसायटी के कम्पौंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा निकालिए , सरकार तक अपना विरोध पहुंचिए, लोगों को खुद से जोडीये, जो नहीं जानते है उन्हें बताइये मिल का इसका विरोध कीजिये, पर कीजिये | अपने आफिस में या ईमारत के परिसर में मोहल्ले में मार्च निकलने या भ्रष्टाचार के विरोध के लिए तख्ती टांगने के लिए आप को पुलिस या प्रशासन से इजाजत की जरुरत नहीं है , पुलिस आप के घरो में घुस कर डंडे नहीं बरसायेगी ना सरकारे हर व्यक्ति के खिलाफ जाँच बैठाएगी , किन्तु  आप के  छोटे से प्रतीकात्मक विरोध का भी उस पर कुछ ना कुछ असर तो जरुर होगा  इसलिए मौन को डर को ख़त्म कीजिये और मुँह खोलिए विरोध कीजिये बताइये की आप कितने परेशान हो चुके है इस भ्रष्टाचार से और आप पूरी व्यवस्था की चुस्त दुरुस्त करने के लिए व्यवस्था में बदलाव के लिए तैयार है |  
                                 आप को किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन नहीं करना है आप को भ्रष्टाचार का विरोध करना है उस तरीके से जो आप चाहे आप को अँधेरा नहीं करना है तो मत कीजिये आप आप मोमबत्तिया जला कर रोशनी करके विरोध कीजिये,  आप मत नाम लीजिये व्यक्ति विशेष का आप कहिये की आप बस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे है किसी व्यक्ति या समूह के लिए नहीं | ये किसी और की नहीं हमारी और आप की लड़ाई है ये हमारे और हमारे बच्चो के लिए लड़ी जा रही लड़ाई है सभी को आगे आ कर अपना योगदान किसी ना किसी रूप में करना चाहिए नहीं करेंगे  तो भविष्य में इस लड़ाई में हारने और जितने दोनों ही स्थिति में आप बाद में सिवाय पछताने के कुछ भी नहीं कर पाएंगे |
                                                                                             आज एक आम आदमी एक आम नागरिक के पास मौका है देश के लिए कुछ करने का जहा फायदा घूम कर उसे ही होना है , तो भूल कर भी इस मौके को ना गवाइए और कुछ करीये | ताकि साठ साल बाद हमारे आने वाली पीढ़ी को इस तरह को कोई लड़ाई नहीं लड़नी पड़े आज से ६० साल बाद आज के दिन वो बड़े फक्र से एक विकसित देश के नागरिक के नाते ऐसे ही किसी आधुनिक तकनीक पर अपनी आजादी का असली जश्न मनाये और केवल शब्दों के लिए नहीं माने और गर्व करे की वो भारतीय है |
                       

यदि आप को लगता है की आप आजाद है तो आप को आजादी के पर्व की     शुभकामनाये  |

21 comments:

  1. पोस्ट के प्रवेश-द्वार पर ही 'शीर्षक' से ही आप शर्मिन्दा किये दे रहे हैं.. 'झूठी आज़ादी' के शुभकामनादाताओं को.

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  2. आज किसी भी शुभकामना को मन नहीं है। जब देश की सरकार के मंत्री और कांग्रेस के प्रवक्‍ता एक असभ्‍य भाषा और देश को गुमराह करने वाले बयान देते हैं तो कैसे मान लें कि हम लोकतांत्रिक सरकार के अधीन है। उनकी भाषा तानाशाही है, वे कहते हैं कि हम इजाजत नहीं देंगे अर्थात हम तानाशाह है। हम प्रत्‍येक उस व्‍यक्ति के साथ हैं जो देश के लिए सोच रहा है।

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  3. मैने तो आज के लिये अपने से यही वादा किया है कि किसी को कोई शुभकामना ना लेनी है ना देनी है क्योंकि कम से कम मै तो इन हालात मे अपने शहीदो की आत्मा को नही दुखा सकती झूठी आज़ादी का जश्न मनाकर्……………भ्रष्टाचार के खिलाफ़ हम भी खडे हैं।

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  4. आखिर लोकपाल बिल के लिए जवाबदेह कौन होगा? क्या टीम अन्ना लोकपाल बिल के लिए जवाबदेह हो सकती है? और अगर वह जवाबदेह नहीं हो सकते तो आखिर किस मुंह से लोकतंत्र के कान पर तमंचा रखकर अपने बिल को पास करवाने की धमकी दे सकती यह टीम? किसी भी कानून के लिए केवल और केवल चुनी हुई सरकार ही जवाबदेह हो सकती है, क्योंकि अपने कार्यकाल के बाद उसे फिर से जनता के समक्ष उपस्थित होना है, यही हमारे लोकतंत्र की मजबूती है... मानता हूँ कि आज 70-80 प्रतिशत राजनेता भ्रष्ट है, लेकिन क्या आमजन इतनी ही तादाद में भ्रष्ठ नहीं है?

    आज के समय केवल तानाशाही अथवा लोकतंत्र के द्वारा ही भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है, तानाशाही के अच्छे-बुरे दोनों परिणाम हो सकते हैं... आमतौर पर बुरे परिणामों की ही संभावना अधिक रहती है. वहीँ लोकतंत्र जनता का आइना होता है, जैसी जनता वैसा शासन... इसलिए आज के युग में एकमात्र लोकतंत्र ही एक सही विकल्प नज़र आता है. इसलिए ज़रूरत है चुनावों के द्वारा हर बार सुधार किया जाए. भ्रष्ट लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाय. अगर ऐसा हो जाय तो कोई भी पार्टी घपला करते समय सौ नहीं बल्कि एक हज़ार बार सोचेगी, क्योंकि उसे पता होगा कि फिर एक बार जनता के समक्ष प्रस्तुत होना है... लेकिन भ्रष्ठाचार-भ्रष्ठाचार चिल्लाने वाले यही लोग चुनाव के समय अपनी-अपनी पसंद की पार्टी के उम्मीदवार को ही वोट डालते नज़र आते हैं, चाहे प्रत्याशी कितना ही भ्रष्ठ क्यों ना हो?

    जितने भी लोग भ्रष्ठाचार के विरुद्ध अलख जगाते दिखाई दे रहे हैं, यह सब के सब भ्रष्ठाचार के विरुद्ध नहीं अपितु सरकार के विरुद्ध विद्रोह का अलख जगा रहे हैं... वर्ना क्या कोई कानून कभी इस प्रकार बन सकता है? और अगर इस तरह ब्लैक मेल करके कानून बन भी जाए तो उसके दुष्परिणामों के लिए कौन ज़िम्मेदार होगा? कौन जवाबदेह होगा?

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  5. @ शाह नवाज जी
    बिल और कानून तो सरकार को ही बनाना है मांग तो बस उसे और मजबूत बनाने की है सिर्फ दिखावे का कानून बनाने की जरुरत ही क्या है |
    क्या न्यायलय में भ्रष्टाचार नहीं है क्या प्रधानमंत्री का ये कर्त्तव्य नहीं है की वो देखे की ना केवल वो भ्रष्टाचार से दूर रहे बल्कि उनके द्वारा बनाये मंत्री भी कुछ ऐसा ना करे | अपना बिल पास कराने की नहीं कुछ और मांगे भी उसमे जोड़ने की है अन्साद में हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए किन्तु जब संसद में सही मांगे सही बिल ही नहीं जायेगा तो चर्चा किस बात पर होगी | क्या आम जान भ्रष्ट है तो उसे इसके खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए तब तो आप को और हमें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी पोस्ट नहीं लिखनी चाहिए | ये लोकतान्त्रिक तरीका ही है इसीलिए तो कहा जा रहा है की बिल में कुछ और बाते जोड़ कर संसद में रखिये कानून तो संसद को ही बनाना है | जहा तक बात अन्ना और उनकी टीम की है तो इस के बाद चुनाव सुधारो की भी मांग की जाने वाली है ताकि कोई गलत व्यक्ति चुनावों में खड़ा ही ना हो सके हो तो चुना ना जाये और और रही बात सरकार के विरोध की तो एक के बाद एक जिस तरह से सरकार के भ्रष्टाचार सामने आ रहे है उससे तो सरकार का विरोध करना तो कही से भी गलत नहीं है क्या आप को सरकार द्वारा किये जा रहे भ्रस्टाचार दिखाई नहीं दे रहे है |

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  6. जब तक हमारा राजतंत्र ईमानदार नहीं होगा, हमें वास्तविक आज़ादी नहीं मिलेगी.

    आज हालत ये है कि राजनीति में आते ही छटे हुए लोग हैं, कोई दूसरा इसमें आने का साहस भी नहीं जुटा पाता. लोग रानीतिज्ञों की इज़्जत नहीं करते, उनसे भयाक्रांत रहते हैं कि पता नही कब गुंडे या पुलिस भेज कर उठवा ले.

    दूसरे कई देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं जहां भ्रष्टशाही के चलते क्रांतियां होती आई हैं. ऐसा हमारे यहां भी होने से पहले ही, हमें दूसरों से सीख ले लेनी चाहिये...

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  7. बाहर आइये और साबित कीजिये की आप है और जिन्दा है और आप भी देश के लिए कुछ कर सकते है | कुछ कीजिये, किसी के समर्थन में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ,

    बहुत सार्थक बात कही है आपने...अगर हम सब अपनी लड़ाई अपने स्तर पर लड़ें तो भ्रष्टाचार का खात्मा निश्चित है...

    नीरज

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  8. स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं.....

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  9. कहीं न कहीं से तो शुरूवात करनी ही होगी। कुर्ला इलाके में एक मोची के पेटी पर मैंने अन्ना हजारे का स्टिकर लगा देखा था जिसपर लिखा था - भ्रष्टाचार निषेध।

    इस तरह के प्रतीकात्मक चीजों से जेहन में धीरे धीरे यदि भ्रष्टाचार निषेध की प्रवृत्ति घर कर जाय तो भ्रष्टाचार के विरोध में यह एक सकारात्मक प्रयास होगा।

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  10. ये वास्तविक आजादी नहीं है बल्कि हम एक घुटन भरे माहौल में रह रहे हैं.और हममें से कईयों ने खासकर मध्यम वर्ग ने तो इसे ही अपनी नियती मान लिया है.उसमें बदलाव की न कोई उम्मीद है न वह इसके लिए प्रयत्न करता है.अब आप उसे डरपोक माने या कुछ और लकिन सच्चाई ये ही है.रही सही कसर सरकार ने हमसे विरोध के हथियार छीनकर पूरी कर दी.अब तो वो ब्लॉग जैसे माध्यम पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है ताकि सरकार विरोधी माहौल न बनाया जा सके.ऐसे में कोई उम्मीद नजर नहिं आती.
    मैंने बत्ती बुझाकर विरोध करने का निर्णय पहले ही किया हुआ है.आपकी पोस्ट पढकर अब अपने दोस्तों को भी कह रहा हुँ.

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  11. सच है एक आम नागरिक भी अपने स्तर पर भ्रष्टाचार का विरोध कर सकता है...... अफ़सोस यह है अपने यहाँ तो रिश्वत मांगने से पहले देने की पेशकश कर दी जाती है....... पर अब भी न जागे तो शायद देर नहीं अंधेर होना ही है

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  12. बहुत ही सार्थक संदेश, अपने अपने तरीके से विरोध प्रकट करना ही अपना योगदान होगा, अब चूके तो फ़िर कब होगा? सही मौका है.

    रामराम

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  13. जब हम सब ऐसी स्वतन्त्रता भोग रहे हैं जहां हर पल १९८४ की तरह "बिग ब्रदर इज वाचिंग यूं" का पोस्टर नज़र के सामने है तो इसे स्वतन्त्रता कैसे कहें.. हाँ ये अलग बात है कि लोगों ने बेदी को ही गहना और गालियों को ही रिचाएं समझना शुरू कर दिया है.. फिर तो वे आज़ाद हैं!! और इनको आजादी का पाठ पढाने वाला दीवाना!!

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  14. अभी जो अन्ना की आंधी आयी हुयी है उस पर अंशुमाला जी की रिपोर्ट पढने के इच्छा है

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  15. ऐसे विषयों पर आपको पढना सुखद होता है

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  17. @ anshumala
    बिल और कानून तो सरकार को ही बनाना है मांग तो बस उसे और मजबूत बनाने की है सिर्फ दिखावे का कानून बनाने की जरुरत ही क्या है |
    अंशुमाला जी,

    ना तो आपने सरकारी या टीम अन्ना का बिल पढ़ा और समझा है और ना ही मैंने फिर कैसे कहा जा सकता है कि कौन सा बिल कमज़ोर है? यह सब बातें कौन तय करेगा कि कौन सा बिल व्यवहारिक है? संविधान सम्मत है? केवल भावनात्मक उबाल में बह कर यह फैसला कैसे किया जा सकता है?

    क्या न्यायलय में भ्रष्टाचार नहीं है क्या प्रधानमंत्री का ये कर्त्तव्य नहीं है की वो देखे की ना केवल वो भ्रष्टाचार से दूर रहे बल्कि उनके द्वारा बनाये मंत्री भी कुछ ऐसा ना करे | अपना बिल पास कराने की नहीं कुछ और मांगे भी उसमे जोड़ने की है अन्साद में हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए किन्तु जब संसद में सही मांगे सही बिल ही नहीं जायेगा तो चर्चा किस बात पर होगी |

    क्या यह ज़रूरी है कि न्यायलय को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए, जबकि सरकार इसके लिए अलग से बिल लाने के लिए तैयार है? और फिर यह किसने कहा कि जो बिल सरकार ने पेश किया है केवल वही पारित हो सकता है? सरकार ने सांसदों को सजेशन दिया है, उस पर चर्चा करना उसको मंज़ूर करना अथवा नामंज़ूर करके नया बिल लाने की डिमांड करना सांसदों का काम है... अगर वह अपना काम सही से नहीं करते हैं तो जनता को अपने वोट नामक हथियार को प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है...

    क्या आम जान भ्रष्ट है तो उसे इसके खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए तब तो आप को और हमें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी पोस्ट नहीं लिखनी चाहिए |
    बिलकुल उठानी चाहिए, यह किसने कहा कि आवाज़ नहीं उठानी चाहिए... आन्दोलन करना, धरना प्रदर्शन करना हमारा हक है... और इसी तरीके से सांसदों पर, सरकार पर दबाव बढाया जा सकता है.... लेकिन ज़िद बाँधना कैसे जायज़ हो सकता है???

    ज़िद कि केवल और केवल हमारा बिल ही सही है... इसी सत्र में पेश होना चाहिए नहीं तो 16 अगस्त से फिर से आन्दोलन होगा, नायालय को भी इसके अन्दर होना चाहिए, न्याय का सिद्धांत है कि इसके तीनो महत्वपूर्ण अंगों अर्थात अपराध का संज्ञान लेना, जाँच करना और न्याय करने वाली संस्थाओं को अलग-अलग होना चाहिए... फिर भी यह ज़िद कि यह तीनो अधिकार एक ही संस्था अर्थात लोकपाल को होने चाहिए... और ऐसी ही अनेकों अव्यवहारिक जिदों को आप कैसे जायज़ ठहरा सकती हैं?

    ये लोकतान्त्रिक तरीका ही है इसीलिए तो कहा जा रहा है की बिल में कुछ और बाते जोड़ कर संसद में रखिये कानून तो संसद को ही बनाना है | जहा तक बात अन्ना और उनकी टीम की है तो इस के बाद चुनाव सुधारो की भी मांग की जाने वाली है ताकि कोई गलत व्यक्ति चुनावों में खड़ा ही ना हो सके हो तो चुना ना जाये और और रही बात सरकार के विरोध की तो एक के बाद एक जिस तरह से सरकार के भ्रष्टाचार सामने आ रहे है उससे तो सरकार का विरोध करना तो कही से भी गलत नहीं है क्या आप को सरकार द्वारा किये जा रहे भ्रस्टाचार दिखाई नहीं दे रहे है |

    सरकार का विरोध करना बिलकुल भी गलत नहीं है, यह तो जनता हथियार है... केवल दशा और दिशा ही ठीक करने की बात है...

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  18. well done!!!!

    @ शाह नवाज़ जी - बिल के मुख्या दिफ्फेरेंसस पर tv पर इतना दिस्कशन चल रहा है - सब जानते हैं कि मुख्या मतभेद है कि किसे लोकपाल के दायरे में लाना है , और यह कि भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने वाले पर ही उलटी कार्यवाही ना की जाए ... क्या ये दोनों मांगे आपको नाजायज़ लगती हैं ????

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  19. @शिल्पा जी
    टीम अन्ना की सोच के व्यवहारिक होने पर मुझे भी पहले थोडा डाउट था, मैंने इस पर ढेर सारी जानकारी जुटाई .दोनों पक्षों के ढेर सारे डोक्युमेन्ट्स [गूगल से] और वीडियो, एक्सपर्ट ओपिनियंस देखे तब मेरी सभी शंकाओं का समाधान हुआ. मैंने पाया की इस पहल का स्वागत और सहयोग करना ही चाहिए . कईं ब्लोग्स पर वही बातें तर्क के रूप में कही गयी हैं जिनका समाधान टीम अन्ना के वीडियोज में है

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