September 23, 2016

स्मार्ट फोन से ज्यादा स्मार्ट




                                                         लोगो को इतना तो स्मार्ट होना ही चाहिए  जितना की उनका फोन है , किन्तु ऐसा होता नहीं है । कल दो बच्चो ने मुम्बई के पास संदिग्ध लोगो को देखने की सूचना क्या दी , स्मार्ट फोन का सही प्रयोग करना सभी ने शुरू कर दिया । बच्चो ने स्कुल का नाम भी लिया था , नतीजा आधी रात तक सभी स्कुल के व्हाट्सएप्प के ग्रुप में यही चर्चा चलती रही की फला फला स्कुल ने बंद डिक्लेयर कर दिया है , मुम्बई हाई अलर्ट पर है अपने स्कुल का क्या ।  लाख समझाने के बाद भी की कुछ नहीं हुआ है फिर भी किसी को शंका हो तो सुबह स्कुल में फोन कर पता कर ले , हर नई माँ स्कुल बंद डिक्लेयर करने वाले नये स्कुलो की लिस्ट ला कर वही सवाल दोहरा देती थी । ये हाल लगभग पूरी मुम्बई का था और नया भी नही था । पिछले साल भी मुम्बई में एक अफवाह  फैली की एक स्कुल के बाहर से कुछ लोग बच्चे उठा कर गये , एक ही फारवर्ड खबर में कई अलग अलग स्कुलो के नाम बारी बारी लिए गए , एक स्कुल का नाम देख मेरी एक मित्र ने टोका भी कि उस स्कुल में उनका बेटा पढता है और वहाँ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है , बल्कि वहा से भी उन्हें ये फारवर्ड न्यूज़ मिली है किन्तु उसमे स्कुल का नाम दूसरा था । हम दोनों की बहस भी हो गई लोगो से की इस तरह की अफवाह फ़ैलाना बंद करे  और कुछ भी भेजने से पहले अपना भेजा प्रयोग किया करे । हालात ये हो गये की पुलिस कमिश्नर को सामने आ कर लोगो को बताना पड़ा की ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है । लोगो के पास स्मार्ट फोन तो आ गये पर उसको प्रयोग करने की स्मार्टनेस अभी तक नहीं आई , दोनों  बार मैंने लोगों को टीवी या किसी न्यूज़ साईट पर जा कर अपनी खबर पक्की करने के लिए कहा किन्तु ज्यादातर ने इसकी जरूरत नहीं समझी , जबकि स्मार्ट फोन का सही प्रयोग यही था । 
                                     
                                                            ऐसे ही एक बार स्कुल प्रोजेक्ट  के समय कई मातापिता  एप्प पर सवाल के जवाब दुसरो मांग रहे थे , दे कोई नहीं  रहा था , घंटो से प्लीज प्लीज किये पड़े थे मेरी नजर जब उस पर पड़ी तो मैंने तुरंत कहा  यही सवाल यदि आप ने अभी तक गूगल पर किया होता तो जवाब कब का मिल गया होता , बाद में लोगो ने वही किया । नई तकनीक लोगो को स्मार्ट बनाना तो छोड़िये मुझे लग रहा है और ज्यादा मुर्ख और अन्धविश्वासी बना रहा है । हर खबर पर आँख मूंद कर भरोशा कर बड़ा ही परोपकारी भाव में उसे आगे भी भेज देने में लोग जरा भी कोताही नहीं करते । इसे ११ लोगो को भेजिये से लेकर , तुरंत इन्हें खून की जरुरत है , गरीब के बच्चे को पैसे चाहिए ईलाज के लिए लिए , या मेरे दोस्त का ये बच्चा खो गया है जैसे एक ही फारवर्ड खबर सालो तक चलती है और घूम घाम कर साल में एक बार आप के पास आ जाती है , उन लोगो की कृपा से जिन्होंने कुछ समय पहले ही स्मार्ट फोन लिया है । ये सब करने में जाति , धर्म , अमीर , गरीब , छोटे , बड़े आदि आदि का कोई फर्क नहीं होता सब बराबर शामिल है । 
                                     लोग करे भी क्या जब आज सुबह ६ बजे फोन की घंटियां भी घनघनाने लगी की स्कुल चालू है की नहीं तो लगा की एक बार टीवी ऑन की कर लेते है , पर ये क्या सुबह ६ बजे तो वहा अलग की स्यापा चल रहा था , " पाकिस्तान युद्ध को तैयार , पाकिस्तान युद्धाभ्यास कर रहा है ,  लड़ाकू विमान उड़ते रहे कल रात पाकिस्तान में, ब्रेकिंग न्यूज़ , हद है किसी का कुछ नहीं हो सकता फोन जाने दीजिये इनका तो पालतू भी इनसे स्मार्ट होगा ।




  

4 comments:

  1. सूचनाओं का समुद्र भयभीत करता है.
    कहीं भेड़िया आया वाला हाल न हो.

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  2. सूचनाओं का समुद्र भयभीत करता है.
    कहीं भेड़िया आया वाला हाल न हो.

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  3. खबरें परेशान करती हैं आजकल

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  4. अंशुमाला जी!
    सबसे पहले तो बहुत दिनों बाद आपकी वापसी पर सुस्वागतम.
    अब रही बात मोबाइल पर और सोशल मीडिया में घूमते अफवाहों की. ये सारी खबरें केवल सेंसेशन के लिये चल रही होती हैं.टीवी की बात पर तो ये भी याद आता है कि जब मुबई ब्लास्ट हुए थे तो टीवी पर जवानों की गतिविधियां बताई जा रही थी और आतंकवादी उन्हें देखकर अपने सैटेलाईट फोन पर लगातार खबरें दिए जा रहे थे.
    वैसे एक बात सच है कि जैसे कॉमन सेन्स उतना कॉमन नहीं होता, वैसे ही हर स्मार्ट फोन रखने वाला स्मार्ट हो यह भी ज़रूरी नहीं!
    खरी बात!!

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