May 08, 2018

कैसे गढ़ते थे ऐसे मजबूत नारी पात्र गुरुदेव - - - - - mangopeople



           कुछ साल पहले अनुराग और तानी बासु ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियों को टीवी पर दिखाया ( इतना अच्छा बनाया था की उसकी तारीफ में अलग से दो चार पोस्ट लिखी जा सकती है ) |  कुछ कड़िया सशक्त नारी पत्रों पर था | ऐसे ही  एक कहानी में जमींदार पति पत्नी है , तभी शहर में एक नाटक कंपनी आती है पति उसमे पैसे लगाते है और नाटक देखते देखते नाटक की नायिका से प्रेम करने लगते है | पत्नी को शक होता है वो पति की खोज खबर के  लिए चुपके से नाटक देखने  जाने लगती है , लेकिन जल्द ही वो पति पर नजर रखना छोड़ नाटक में खोने लगती है और खुद को नायिका की जगह रखने लगती है | इधर पति और नाटक की नायिका का प्रेम बढ़ता जाता है और अब वो ठीक से काम नहीं कर पाती , इसके लिए नाटक के निर्देशक से डांट भी खाती है और गुस्से में पति नायिका को अपने साथ अपनी दूसरी हवेली में ला कर रहने लगता है | जल्द ही वो अपनी पत्नी को भूल जाता है और वो  दोनों पति पत्नी के तरह रहने लगते है |  नायिका पत्नी सा ही व्यवहार करने लगती है , अकेले रहते रहते परेशान हो जाती है और अब वो नाटक में वापस काम करना चाहती है तो पति उसका असली पति बन काम करने से रोक देता है | पैसे ख़त्म होने लगते है और फिर पति को अपनी पत्नी की याद  आती है | अपने पुराने शहर पहुंचते है और देखते है कि  पत्नी उसी नाटक कंपनी की नायिका बन गई है और लोगो की खूब सराहना पा रही है | उसके बॉडीगार्ड पति को उससे मिलने तक नहीं देते |
                                  कुछ समय पहले तमिल साहित्य  महान काव्यग्रंथ शिलापदिकारम के बारे में पढ़ा , जो हजारो साल पहले लिखी गई थी | कहानी सेम पति और पतिव्रता पत्नी नाटक की नायिका और पति  का उससे प्रेम उसका साथ रहना पत्नी  को भूल जाना नायिका की माँ का लालची होना और पति द्वारा अपना सारा पैसा उस पर लुटा देना | एक गलतफहमी में पड़ वापस पत्नी के पास आना और पत्नी का उसे स्वीकार कर लेना | पैसे के लिए मदुरै जाना वहां उस पर रानी की पायल चुराने का आरोप लगना और हड़बड़ी में उसकी मौत | पत्नी का वहा कर अपने पति  निर्दोष साबित करना और उसके श्राप से पुरे मदुरै का जल कर भस्म हो जाना | लगा जैसे इसी कहानी का आधुनिक वर्जन गुरुदेव ने लिखा हो | अब ये कहने की जरुरत है कि  दोनों में से कौन वर्जन एक स्त्री के रूप में मुझे पसंद होगा | धारावाहिक के कितने की एपिसोड देख लगा उस जमाने में रविंद्रनाथ ने इतने मजबूत नारी चरित्र कैसे गढ़े होंगे | उनके जन्मदिन पर उनको मेरा प्रणाम |





     











                 












                                                                            

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जीवन का गणित - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. धन्यवाद मेरी पोस्ट बुलेटिन में शामिल करने के लिए |

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