September 17, 2018

रफ्ता रफ्ता मेरी आँख तुझसे लड़ी है -------- mangopeople




                                                             नया नया  स्कूटी  ख़रीदा लेकिन टशन बिलकुल बुलेट वाला था अपना , वो तो मुंबई में ठंड न पड़ती वरना लेदर जैकेट भी ले लेना था |
खैर जैकेट का अरमान तो न पूरा हुआ लेकिन कही भी जाने आने में अब सोचना न पड़ता जैसा कार के लिए सोचना पड़ता था | जाना कहाँ है ट्रैफिक कितना होगा पार्किंग मिलेगी की नहीं आदि इत्यादि | स्कूटी ने तो जैसे पंख ही दे दिए कभी भी और कहीं भी वाली आज़ादी  |
एक दिन ऑफिस जाने के कुछ ही देर बाद पतिदेव का फोन आया
 " क्या कर रही हो बीस मिनट में दादर आती हो क्या , तुम्हारी शॉपिंग हो जायेगी " |
बहुत दिनों से आज कल टल रहा था फटाफट हामी भरी और दादर अपना स्कूटी ले पहुँच गए | पहुँच कर  एक किनारे पर स्टाइल में साइड स्टैंड लगाया , तिरक्षी स्कूटी पर तिरक्षा सट बॉटम टिका पैर क्रॉस कर खड़े हो गए | पतिदेव को फोन कर बस कहाँ हो आ गई कह फोन बंद ही कर रही थी की आँखों तेज चमक लगी |
गर्दन घुमा बगल में  देखा एक लड़का बाइक के शीशे में अपने बाल बना रहा था | समझ गई उसने बाल बनाने के लिए  शीशा धुमाया होगा तो धुप के कारण मुझ पर घुप की चमक आई होगी |
 हम वापस मोबाईल में आँख गड़ा लिए , लेकिन तुरंत ही फिर आँख चमकी | इस बार दिमाग कौंधा क्या ये वही हो रहा है जो मुझे समझ आ रहा है | इस बार लडके को गौर से देखा , उसकी नजर भी मेरी तरफ थी | चेहरे से साफ़ पता चल रहा था ड्राइविंग लाइसेंस अभी ही मिला होगा और रेजर तो खरीदी भी ना होगी |
उसे गौर से देखने के बाद वो विचार दिमाग से निकाल दिया लगा इस बार शीशा सीधा किया होगा उसकी वजह से चमका होगा |
वापस से नजर सड़क पर डाली की कहाँ रह गए जनाब इंतज़ार करवा रहें हैं |
अब तीसरी बार हमारी आँख चमकी तो लगा नहीं हमारा अंदाजा सही है छोरा पगला गया है इस बार उसे देखा तो उसके चहरे पर हलकी मुस्कान भी थी |
पलट कर अपने आप को गौर से देखने लगे | टाइट जींस फिटिंग का टॉप हाई हिल की सैंडिल और फैशन वाला क्रॉस बैग (ख़ास स्कूटी  के लिए  ख़रीदा था ) और बस पचास इक्यावन का तब का मेरा वजन |
लगा बड़ा फ्रेस्टेटेड लड़का है इसको और कोई ना मिला क्या , नजर तो न खराब हो गई पगले की | चलो कपड़ो बाकी चीजों से धोखा खा गया लड़कियां ऐसे कपडे पहनती है , लेकिन मेरा चेहरा तो दिख ही रहा होगा |  उसके आस पास भी नहीं हूँ |
जैसे ही दिमाग में  बात चेहरे की आई तो लगा कही ऐसा तो नहीं मेरे चेहरे पर कुछ लगा है जल्दी में आई हूँ कुछ क्रीम पाउडर लगा रह गया हो और बेचारा बच्चा कब से मुझे ईशारा कर रहा और मै समझ ही नहीं रही और उसे ही गरिया रही हूँ  |
तुरंत ही अपनी स्कूटी का शीशा अपनी ओर किया और खुद को शीशे में देखते ही इतनी जोर की हंसी छूटी की खुद को रोक ही नहीं पाई और हंसने लगी | उतने में वो पीछे से आ गए |
"अरे अकेले खड़े खड़े सड़क पर हंस रही हो  मुझे भी बताओ मै भी हंस लू  |"
" जानते हो बचपन में एक चुटकुला सूना था याद आ गया | एक बार एक बुर्कानशी जा रहीं थीं , उन्हें देखते एक शोहदे ने उन्हें छेड़ा रफ्ता रफ्ता मेरी आँख तुझसे लड़ी है | बुर्कानशी बुजुर्ग ने फट अपना बुर्का  ऊपर कर गाया आँख जिससे लड़ी तेरी माँ से भी बड़ी है | अभी एक शोहदा यहाँ भी था भाग गया |
" देखा मुझे देखते भाग गया ना "
" तुम्हे देख कर नहीं भागा वो तो मेरे बुर्के मतलब हेलमेट उतारते से भागा और  इतनी तेजी से भागा कि मुझे गाना गाने का भी मौका नहीं दिया  |

 #अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से 







September 13, 2018

मैनु इश्क तेरा लै डूबा मैनु इश्क तेरा लै डूबा -------- mangopeople



"लो हो गई ना उलटी | रात से ही बोल रहा हूँ खाना खा लो , लेकिन खाई ही नहीं | कभी तो एक बात सुन लिया करो 😥 " 


"तीज का व्रत ऐसे नहीं तोड़ते और ये उलटी तुम्हारी बात मानने से ही हुआ है समझे 🙄 "


"लो मैंने क्या किया 😮| उलटा मै १२ बजे रात से बोल रहा हूँ डेट बदल गया तीज ख़त्म , खाना खा लो | "


" तारीख बदलने से दिन नहीं बदलता सूरज उगने के बाद दिन बदलता है और ये जो तुमने मुझे खाली पेट जबरजस्ती दूध पिलाया है , उलटी उससे हुआ है 😣 | "


"ऐसा होता है क्या 🤔"

"मुझे गैस भी बन गई थी 😢 | व्रत रहने की आदत नहीं है ना 😔😔| "

"तुम व्रत नहीं रहती हो 😰😰"

"व्रत स्रत पूजा पाठ मै नहीं करती 😋"

"तो फिर कल क्यों नहीं बताया , नहीं रहना था व्रत 🤔"

"कल नहीं बताया क्योकि मै नहीं चाहती थी की तुमको तीज के दिन हार्ट अटैक आ जाये 😂😂😂"

"कुछ भी 🙄😏"

"जाने दो तुम नहीं समझोगे 🤗"

"अरे नहीं मुझे फर्क नहीं पड़ता , तुम ना रहती ☺️☺️

"सच्ची , तो ये बात परसो क्यों नहीं बोला , जब मैंने बताया की मम्मी ने कहा है पहला तीज है व्रत रख लेना | मैंने तुमको ये बात बताई ही इसलिए थी कि देखु तुम क्या सोचते हो | तो उलटा तुम मुझे कहने लगे रात में तो सब खाना खा लेते है ये भी कोई व्रत हुआ | मुझे चैलेंज दे दिया दिया 🙄"

"नहीं मेरा वो मतलब नहीं था 😅"

"मतलब तो तुम जाने दो | ना रहती तो सारी जिंदगी सुनाते मेरे लिए एक दिन भूखा नहीं रह सकती | सामने भले ना दिखाते अंदर ही अंदर निराश होते कुढ़ते मेरी बीबी मेरे लिए व्रत भी नहीं रहती 😁"

"मेरा विश्वास करो मै ऐसा नहीं नहीं सोचता 😯"

"देखो ऐसा है कि मै ऐसा कोई मौका ही किसी को नहीं देती कि कोई मुझे कुछ सूना सके | हा मै सबको सुनाऊं 😁"

" फिर कल पुजा क्यों की 🤔"

" वो तो तुम भगवान की फोटो माला फूल प्रसाद सब लेकर आ गये तो कर दिया । वरना तुमको पता चलता तो पहले जबरदस्ती खाना खिला देते फिर बाद में कहते काहे का व्रत रात में तो खाना खा लिया था 😒"

"मैं ऐसा कुछ नहीं करता 🙁"

"देखो अब ये सब जाने ही दो । मैने एक बार पूरा व्रत रख कर अपने प्यार की अग्नि परीक्षा दे दी है । अब तुम्हारी बारी है , तो तैयार रहो जब मेरा मन होगा तुमसे अग्नि परीक्षा ले लुंगी 😂😂😂 "

"😰😱"

आज इतने साल हो गये मैने आज तक वो वाली अग्नि परीक्षा ली नहीं । वो अलग बात है की बंदे को लगता है कि वो तो हर दूसरे दिन परीक्षा देता है 🙄😏😒

 #अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से

September 08, 2018

पहले स्वयं को जाँच ले की हम कितने प्राकृतिक कर्म करतें हैं --------mangopeople






                                                                नहाने  के बाद चेहरे के रूखेपन और खिचाव को दूर करने के लिए क्रीम लगाते ख्याल आया कहीं कोई अप्राकृतिक कर्म तो नहीं कर रही | अब प्रकृति ने रूखी त्वचा दी है तो उसे वैसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए काहे क्रीम तेल लगा उसकी प्रकृति बदलने की चेष्टा की जाए | अक्सर लोगों को अभिनेत्रियों को ताने मारतें देखा सुना की उनकी सुंदरता प्राकृतिक नहीं है | खुद के बारे में सोचू तो लगता है अपना भी कितनी प्राकृतिक बचा हुआ है | रूखेपन से बचने के लिए तो बचपन से क्रीम तेल उबटन और न जाने क्या क्या का प्रयोग करती रही , अब तो जमाना हो गया झुर्रियो से बचने की क्रीम लगाते , पार्लर जा कर शरीर की कितनी की प्रकृति आम लोग बदल आते है | इन सब को प्राकृतिक माने या अप्राकृतिक | हम तो अपने शरीर पर प्रकृति की मार भी नहीं सह पाते धुप बारिश ठंड सबसे बचने के हजारो तरीके अपनाते है क्या ये अप्राकृतिक नहीं है | 
                   

                                                         प्रकृति ने तो मादा को बनाया ही इस लिए है की वो बच्चे को जन्म देती रहे और जीवन चक्र चलता रहे और हम है की प्रकृति  के इस क्रिया को रोक अप्राकृतिक कर्म किये जा रहे है | प्रकृति के अनुसार तो बच्चे जन्म देने की शक्ति आते ही ,  इंसानी रूप के लिए १२ से १५ की आयु में इस कार्य की शुरुआत कर देनी चाहिए लेकिन इंसानी बस्ती में आज इस प्राकृतिक काम को अप्राकृतिक घोसित किया जा चूका है | प्रकृति तो मादा को ये भी निर्देशित करती है की वो केवल शक्तिशाली जीवन जीने के संघर्षो का सामना करने लायक बच्चो को जन्म दे जिसके लिए उसे सबसे शक्तिशाली नर का ही साथ लेना चाहिए  | कमजोरो को तो ऐसे ही अपनी वंश बेल को बढ़ाये बिना ही मर जाने के लिए प्रकृति कहती है | लेकिन आज कमजोर से कमजोर इंसानी नर अपनी वंश बेल बढ़ा कमजोरो को जन्म देने की आप्रकृतिक कार्य कर रहे है | हम ऐसा कर पा रहें हैं क्योंकि हमने बीमारियों और मृत्यु जैसे प्राकृतिक चीजों को कुछ हद तक अपने नियंत्रण में कर पहले ही अप्राकृतिक काम कर दिया है | 

                                
                                                    प्रकृति तो कहती है बीमार पड़े तो उसे अपने आप प्राकृतिक रूप से उसे ठीक होने दो | प्रकृति का सच्चा स्वरुप जंगल में बीमार पड़ने पर क्या कोई जाता है अस्पताल , खाता है कोई दवा नहीं ना | अस्पताल और दवा भी प्राकृतिक नहीं है | अगर कुछ प्राकृतिक है तो वो है जन्म और मृत्यु बस , लेकिन कितने इसको स्वीकार कर पाते है | बीमारिया से बचने के लिए दुनियाँ जहान के ईलाज दवाये सभी तो भागते है अप्राकृतिक कर्म की ओर | हम इंसानो की फितरत है हमारे लिए वही सही होता है जो हम करते है दुसरो का किया हर कर्म हमें अप्राकृतिक ही लगता है |