December 31, 2019

जीवनसाथी ------mangopeople


ठकठक ठकठक
"बोलो क्या काम हैं ,  क्यों बाथरूम का दरवाजा इतना पीट रहें हो "
" नहा चुकी हो ना , तो अब क्या कर रही हो बाथरूम में "
" अपने कपडे धो रही हूँ "
" बाहर निकलों मैं नहाते समय धो दूंगा | तुम बस जल्दी से तैयार हो जाओ पहले ही बहुत देर हो चुकी हैं , हम लेट हो जायेंगे "
" ज्यादा नहीं हैं बस एक ब्रा हैं , दो मिनट में हो जायेगा   "
" लाओ इधर दो मुझे , मैं धो देता हूँ "
" इधर दो मुझे |  कोई जरुरत नहीं हैं , मैं कर लुंगी | किसी ने देखा तो कहेगा नई  नवेली अपने कपडे तक धुलवा रही हैं "
" तुम जा कर जल्दी तैयार हो जाओ , उतना ही बहुत हैं |  जीतनी देर तुम बड़बड़ कर रही हो देखों मैंने  धो भी दिया "
" ठीक से नहीं किया "
" वैसे एक बात बताओ  क्या साइज हैं तुम्हारा "
" तुम्हे क्या करना हैं | मेरे लिए खरीद कर लाने वाले हो क्या "
" नहीं ,  मैं नहीं खरीदने वाला | मेरे कहने का मतलब हैं कि शादी के बाद तुम्हारा साइज बदल गया होगा "
" छी ! तुम्हे शर्म नहीं आ रही हैं | तुम शादी के पहले मुझे ऐसे देख रहे थे "
"  इतना गुस्सा क्यों हो रही हो | इसमें शर्म किस बात की , अब तुम्हे देख रहा था तो नजर जाना  नेचुरल था ना |  "
" छी छी ! कितने गंदे हो तुम "
" मैं नहीं सभी की नजर जाती हैं | तुम्हे पता हैं मेरे दोस्त के पापा एक बार दोस्त के लिए लड़की देखने गए थे | आ कर बोलते हैं लड़की इतनी पतली दुबली थी की सामने से तो पता ही नहीं चल रहा था लड़का हैं या लड़की "
" चुप रहों मुझे नहीं सुननी तुम सबकी ये बकवासगिरि "
" अरे यार , तुम गलत मतलब निकाल रही हो "
" अब एकदम चुप रहों |  इसमें सीधा मतलब क्या निकालता हैं , बताओ जरा '
 " मतलब वैसे नहीं देखते , अब ऐसे ही चली जाती हैं नजर, मतलब एकदम नार्मल  सा "
 " तुम मुझे इतना गुस्सा दिला रहें हो की ये बकेट का पानी तुम्हारे ऊपर डाल दूंगी मैं सच कह रही हूँ "
" अरे तुम्हे देखने आया था तो तुम्हे देख ही तो रहा था "
" लो नहाओ इस ठंडे पानी से , अपना दिमाग ठंडा  करों | ताकि ये सब बेशर्मी दुबारा ना करो "

बकेट का पानी उस पर डाल जैसे ही वो गुस्से में जाने के लिए पलटी गिरे पानी में फिसल ही पड़ी थी कि , दो मजबूत हाथों ने उसे थाम कर गिरने से बचा लिया और एक बार फिरउन्ही हाथों की पकड़ दुबारा महसूस कर वो उन यादों के समंदर से बाहर आ गई |

सामने बैठी डॉक्टर अब भी कुछ बोले जा रही थी
" ज्यादा देर नहीं हुई हैं | समझो ये ब्रेस्ट कैंसर का पहला ही स्टेज हैं | कोई समस्या नहीं हैं एकदम ठीक हो जाएगी |  बस इलाज शुरू करने में अब जरा भी देर मत करना "
वो अब भी शून्य में थी लेकिन दो मजबूत हाथों में उसकी हाथ को अब भी मजबूती से पकड़ रखा था |



December 30, 2019

जीवन चलने के नाम ------- mangopeople

" ये नया विज्ञापन देखा "
" क्या हैं 🤔"
" पति अपने मरने के बाद भी बीवी के हर बर्थडे के लिए फूलों का गुलदस्ता बुक कर गया हैं और बीवी के हर बर्थडे पर वो बुके दे जातें हैं 😊 "
" हम्म बढ़िया हैं , प्यार करने वाला पति 🥰 "
" बकवास हैं 😏| काहे का प्यार करने वाला पति | मर गया लेकिन इस बात का इंतजाम कर गया की बीवी कभी उसे भूले नहीं और जिंदगी में आगे ना बढे | सोचो इस तरह कोई हर साल अपनी याद दिलाता रहेगा और ये याद दिलाता रहेगा कि वो उसे कितना प्यार करता था तो कभी कोई आगे बढ़ पायेगा अपने जीवन में | उसकी जिंदगी तो वहीँ ठहर जायेगी | मरने के बाद भी बीवी की जंदगी चले गए पति के ही इर्द गिर्द घूमती रहेगी 😔"
" बताओ प्यार से भी समस्या हैं 😅"
" अच्छा होता विज्ञापन , यदि उसमे यंग कपल की जगह किसी बूढ़े कपल को दिखाया जाता 🥰| मैं तो ऐसा प्यार कभी ना करूँ | सुनो मुझे कुछ हुआ तो तुम हमारी शादी का एलबम समुन्दर में फेक देना और आगे की सोचना , मूव ऑन 😍😘"
" अच्छा मुझे कुछ हुआ तो तुम फटाफट मूव ऑन 😲 "
" तुम्हे कुछ हुआ तो 🤔, तुम्हारी जैसी हरकतें हैं ना मुझे लगता हैं तुम्हारे जीते जी एक दिन सच में मैं ना छोड़ कर चली जाउंगी ये सब 😅😁 "
" मुझसे अच्छा ना , तुम्हे कोई मिलेगा नहीं 😂😂"
" तुम्हे ये क्यों लगता हैं कि मुझे कोई मिलेगा तो ही मैं जाउंगी , या तुम्हे ये क्यों लगता हैं कि मुझे अब भी किसी का इतंजार हैं | खुश हो जाओ ,मैं ऐसे भी जा सकती हूँ 😄 "
कुछ सवाल को माजक में उड़ा दे लेकिन उनके जवाब काफी मुश्किल होते हैं |

December 28, 2019

महिलाओं के लिए जरुरी महिला डॉक्टर ------- mangopeople



                                     दिन भर आप कितना भी सकारात्मक सोच ले , अच्छी बाते बोल दे , शुभ शुभ का मनन कर ले लेकिन सरसत्ती मैया जबान और दिमाग की उसी बात पर विराजेंगी जो ख़राब हो | ख़राब सोचो ,किसी बात से डरो तो वो झट से पूरा हो जाता हैं |

                                    हमारी ही बिल्डिंग में हमारी फैमली डॉक्टर का क्लिनिक हैं | पतिदेव लोग बचपन से उनके पास जाते रहें हैं | विवाह के बाद मेरी भी डॉक्टर बन गईं छोटी मोटी हर समस्या के लिए | १७ सालों में मुझे और मेरी समस्याओं से अच्छे से अवगत भी हो गई थी |

                                   तो हुआ ये कि जुलाई में हमारी डॉक्टर दो महीने बाद अमेरिका से आईं ( उनके भाई , माता जी और बेटी सब वही सेटल हो गए हैं तो ये खुद दो महीने के लिए हर साल मिलने वहीँ चली  हैं )  तो मुझे अचानक से वो कुछ ज्यादा ही वृद्ध और कमजोर दिखने लगी | उनकी आयु का अंदाजा लगाया तो 65 -70  के आस पास लगी |मुझे चिंता होने लगी इनकी तो आयु हो रही हैं , कहीं इन्हे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा | आस पास कोई एमबीबीएस अच्छी महिला डॉक्टर नहीं हैं | इनके साथ तो पारिवारिक रिश्ते जैसा हैं , कितने आराम से इन्हे सब बता देतीं हूँ ,  इन्हे कुछ हुआ तो क्या करुँगी |

                                   इस बारे में पतिदेव से चर्चा भी की , तो वो बोले अरे अभी कुछ नहीं होगा शारीरिक रूप से एकदम ठीक हैं | कल जब उनसे मिलने गई तो उन्होंने बताया वो अब रिटायरमेंट ले रहीं हैं , पहली जनवरी से नहीं आएँगी | उसके जाने का दुःख उसके सामने ही तुरंत प्रकट कर दिया , जो बिलकुल असली थी | क्योकि इस बारे में दो चार महीने पहले ही विस्तार से सोच लिया गया था | उन्होंने भी आश्वासन दिया , घर ज्यादा दूर नहीं हैं फोन करके आ जाना |

                                  माथा ठोक लेने का जी किया , डॉक्टर रिटायर भी होते हैं ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं था | पतिदेव को बताया गया देखा मैं ना कहती थी कि मुझे सब कुछ पहले ही पता चल जाता हैं , लो एक और उदहारण सामने हैं | अब हमारा लोहा नहीं सोना पीतल चाँदी सब मान लो |

                                 डॉक्टर यदि स्त्री को तो स्त्री रोगियों के लिए वरदान जैसा होता हैं |  स्त्रियों को अपनी शारीरिक बनावट के चक्कर में कई समस्यांओं से दो चार होना पड़ता हैं , जिसके लिए वो किसी महिला डॉक्टर के पास जाना ही ज्यादा अच्छा समझती हैं | कई बार पुरुष डॉक्टर से कहने में झिझक होती हैं  , तो कई बार लगता हैं बता तो दे लेकिन वो समझेगा नहीं , क्योकि उसने सिर्फ पढाई की हैं उसक अनुभव नहीं किया हैं |

                                आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन स्त्रियों की समस्याओं का ऐसा हैं कि लगता हैं कि बिना इसका अनुभव किये डॉक्टर ठीक से समझ ना पायेगा |  कई बार तो समस्याओं के लिए महिला डॉक्टर को ज्यादा बताना भी नहीं पड़ता एक दो लाइन में ही पूरी बात समझ जाती हैं | फिर इन सब को किनारे रखे तो बहुत सी महिलाऐं ऐसी भी हैं जिन्हे  सामान्य शारीरिक जाँच को लेकर भी पुरुष डॉक्टरों के पास जाने में झिझक होती हैं |


                               तो कुल मिला कर बात इतनी हैं कि यदि अपनी आस पास की सभी स्त्रियों का बेहतर स्वास्थ ,  सेहत चाहतें हैं तो ढेर सारी  लड़कियों को डॉक्टर बनाइये | हम जिस समाज में रहतें हैं वहां महिलाए और उनके  परिवार वाले उनके स्वास्थ के प्रति लापरवाह होते हैं |उनकी छोटी , मोटी  बिमारियों , समस्याओं को जितना हो सके टाल दिया जाता हैं |  ये सब तो महिलाओं को होता रहता हैं अपने आप ठीक हो जाएगा , या ये तो हर महीने की समस्या हैं इसके लिए डॉक्टर के पास क्या जाना , थोड़ा बर्दास्त करों कोई बड़ी बात नहीं जैसे जुमले से उन्हें बहला दिया जाता हैं , या महिलाए आस पास कोई महिला डॉक्टर ना होने से झिझक में नहीं जाती या खुल कर नहीं बताती |

                               नतीजा छोटी बीमारिया , समस्यांए बड़ी और विकराल रूप धारण कर लेती हैं और फिर महिलाए को उसके लिए भी कोसा जाता  हैं कि पहले क्यों नहीं दिखाया डॉक्टर को , लापरवाही क्यों किया आदि इत्यादि | कोई ये नहीं सोचता कि हमने खुद पहले ही क्यों नहीं उन्हें ले जा कर दिखाया डॉक्टर को , हमने उसकी समस्याओं को गंभीरता से क्यों नहीं लिया |


December 26, 2019

हाल कैसा हैं जनाब का -----mangopeople

"  क्या कहा डॉक्टर ने "

" कहूँगी तो तुम  विश्वास करने वाले नहीं हो , तो कहने से क्या फायदा "

" ऐसा क्या कह दिया उसने "

" कहा हैं अभी बुढ़ापा नहीं आया हैं तुम्हारा , ये क्या हर समय बुर्के में रहती हो | थोड़े सॉर्ट्स पहनो  , बैकलेस  पहनो , बाहर घूमो फिरो  क्या घर में पड़ी रहती हो | ऐसे घर में रहोगी तो फंगस लग जायेगा  "

" अच्छा डॉक्टर ने ऐसा कहा "

" और क्या ,  उसने तो मुझे सदा सेक्सी रहो का आशीर्वाद भी दिया हैं "

" हो गई तुम्हारी बकवासगिरी "

" बकवासगिरि नहीं हैं ये , फटाफट मेरी गोवा की टिकट कटाओ , वहां जा कर आराम से सनबाथ लूंगी "

" अच्छा समझा , विटामिन डी की कमी हैं "

" मेरे साथ रहते रहते स्मार्ट होते जा रहे हो "

" दवा क्या दी हैं |  देखो जरा गूगल पर किस किस चीज में विटामिन डी मिलता हैं "

" मैंने मना कर दिया उस दवा को और खाने को "

" क्यों "

" क्यों का क्या मतलब , उसे खा कर अपना धरम भ्रष्ट करूँ |  बोला हैं एक ख़ास मछली में ही  विटामिन डी मिलता हैं या तो मछली खाओ या उसका निकला तेल पियों |  बताओ ,  उससे अच्छा तो मैं गोवा जा कर -----"

" तुम्हे धुप ही सेकना हैं ना मै इंतजाम कर देता हूँ | तुम्हारे घर का टिकट कटा देता हूँ तुम्हारा ठंडी का , छत पर जा कर खूब धुप सेकना वहां और छुट्टियां भी मना लेना | एकदम तबियत ठीक हो जाएगी तुम्हारी "

" पता था मुझे मेरी ऐयासिया बर्दास्त ना होंगी तुम्हे , कुछ ना कुछ अड़ंगा लगाओगे ही "


पापा की परी 2 ------mangopeople


बिटिया एकदम छोटी सी थी तो हम सब हर चीज में उनसे जान बुझ कर हार जाते और वो "मैं वीन मैं वीन" कह कर खूब उछलती | थोड़ी बड़ी हुई स्कूल में स्पोर्ट डे आया तो  इन्होने भी उसमे हिस्सा लिया ,  मैंने सोचा इनकी थोड़ी प्रेक्टिस करा दी जाए बाकी बच्चों के साथ |
शाम को पार्क में दूसरे बड़े बच्चों के साथ इनकी प्रेक्टिस में ये तीसरे स्थान पर आई लेकिन मै वीन मैं वीन कह कर फिर ख़ुशी से उछलने लगी | तब मुझे समझ आया कि ये तो जीतने हारने का मतलब ही नहीं जानती |
उन्हें लाख समझाया कि वो तीसरे स्थान पर थी जीत किसी और की हुई , लेकिन वो मानी ही नहीं |
उसके बाद बिटिया के पापा जी को समझाया गया अब  जानबूझ कर मत हारों , इन्हे जीतने हारने का मतलब भी पता चले और हर बार कोई जीत नहीं सकता कभी कभी हारते भी ये भी सीखे |
लेकिन पापा जी कहाँ मानने वाले थे , बोले इतनी छोटी है उसे कुछ भी पता नहीं होगा | उसे तो लगता होगा वही जीत रही हैं मैं कोई जानबूझ कर थोड़े हार रहा हूँ | मैंने तो जानबूझ कर हारना छोड़  दिया उस दिन से , नतीजा ये हुआ की बिटिया मेरे बजाये अपने पापा के साथ ज्यादा खेलती |
एक दिन पापा जी घर पर बिटिया के लिए कोई  सामान लाये , देखा तो वो  बहुत ख़राब क़्वालिटी का था  | खूब गुस्सा आया और गुस्से में उन्हें डांट लगा दी  |  वो कहने लगे सामान रख दो बाद में बदल दूंगा |
मैंने भी चिढ़ाने के लिए बोला तुम सामान रहने दो इस बार तो मैं उसका पापा ही बदलने वाली हूँ , ये पापा एकदम अच्छा नहीं हैं |
ये बात बिटिया भी सुन ली अब उन्हें ये तो पता चला नहीं कि मम्मी  मजाक कर रहीं हैं ,   बोली नहीं मुझे अपना पापा नहीं बदलना हैं | मुझे उनकी इस बात पर हँसी आई लेकिन मैंने उन्हें भी चिढ़ाने के लिए फिर कहा ये पापा कुछ भी ढंग का काम नहीं करता , मैं पक्का ये पापा बदल दूंगी  |
उस पर वो अपने पापा से लिपटते बोली नहीं मेरे पापा बहुत अच्छे हैं |  इतने में मारे ख़ुशी के पापा जी की तो गर्दन ही अकड़ गई , बिटिया से प्यार जताने लगी | लेकिन बिटिया यहीं नहीं रुकी बोली कितने अच्छे हैं मेरे पापा  , हर खेल में मुझे जीताते हैं , वो खुद हर खेल में जानबूझ कर हार जाते हैं | कल पंजा लड़ाने में भी मुझसे हार गए थे , मुझे मेरे पापा ही चाहिए  |
इतना सुनते ही मैं हँस हँस कर लोट पोट हो गई और पापा जी का चेहरा देखने लायक था | हँसी उन्हे  भी आ रही थी लेकिन शायद खुद पर ज्यादा ,कि वो इतने दिनों से ये सोच रहें थे कि बिटिया कुछ नहीं समझती और बिटिया सब समझ कर भी पापा जी का दिल खुश कर रहीं थी |

December 25, 2019

पापा की परी-------mangopeople


पांच साल की बिटिया स्कूल से आते ही ख़ुशी ख़ुशी अपना हाथ दिखाने लगी |
" मम्मी देखो आज मैम ने मुझे हाथ में एक गोल्डन स्टार दिया हैं और दो दो चॉकलेट दिया हैं "
" अरे वाह ऐसा क्या किया हैं "
" मैम ने एक सवाल पूछा था और उसका जवाब लिखना था | मैंने अच्छा सा लिख दिया तो मैम ने वैरी गुड बोल कर कॉपी में भी थ्री स्टार दिया हैं और दो चॉकलेट दिए "

" क्या पूछा था मैम ने "

" पूछा था तुम्हे सबसे अच्छा दिन कौन सा लगता हैं "
इतना बोल वो खेलने में व्यस्त हो गई और मुझे लगा ऐसा क्या जवाब अपने मन से लिखा हैं कि टीचर ने इतनी शाबासी दे दी हैं | कॉपी निकली तो उस पर लिखा था

" मुझे संडे पसंद हैं क्योकि उस दिन पापा घर पर होते हैं और मैं उनके साथ खूब खेलती हूँ "
ना जाने कितने सालों तक मैंने वो कॉपी संभाल कर रखी थी 🥰 

December 24, 2019

बिल्ली रानी बड़ी सयानी ------mangopeople


                                         बात कुछ साल पहले की हैं एक दिन बाहर से घर वापस आई तो दरवाजा खोलते  देखा खिड़की पर एक बिल्ली बैठी हैं | एकबारगी एकदम से  चौक गई बंद दरवाजे से वो अंदर कैसे आई , शायद जंगले से घुसी हैं तो दूसरी मंजिल तक चढ़ी कैसे | इस बात पर और आश्चर्य हुआ कि वो कमरे के अंदर थी , मेरे आने पर खिड़की पर भागी लेकिन वहां से नहीं गई | थोड़ा अजीब सा ख्याल आया लेकिन  उसे आगे बढ़ कर भगा दिया | थोड़ी देर में बिटिया भी स्कूल से आ गई | वो हाल में बैठी थी और अचानक से चीखते हुए रसोई में आई कि मम्मी घर में बिल्ली आ गई हैं | अब तो आश्चर्य का और  ठिकाना नहीं रहा , दुबारा बिल्ली अंदर क्यों आई |

                                        बिल्लियों को लेकर ना जाने कैसे कैसे बुरी बातें कहीं गई हैं , सब एक साथ याद आने लगा | मुंबई के लिए बिल्ली बड़ी आम बात हैं लेकिन खिड़की से दूसरी मंजिल तक इतने सालों में पहली बार आना , बिलकुल भी आम बात नहीं थी | उसे फिर से भगा के खिड़की को बंद कर दिया | थोड़ी देर बाद बिटिया फिर आई बोली बिल्ली की आवाज आ रही हैं | अब तो दिल की धड़कने भी बढ़ गई लगा बिल्ली जा क्यों नहीं रही हैं शायद जंगले पर बैठी हैं | देखा तो वहां नहीं थी लेकिन बहुत धीमे धीमे उसकी आवाज आ रही थी | फिर ध्यान दिया कि  आवाज घर से ही आ रही हैं सब जगह झुक कर कान लगा कर सुनने लगी तो पता चला सोफे के निचे से आ रही हैं | सोफे के गैप से देखा तो दो चमकती आँखे दिखी |
फिर तुरंत समझते देर ना लगा , बिल्ली अपने बच्चे मेरे घर छोड़ गई हैं |

                                     हाथ डाल उसी छोटी जगह से बिल्ली के बच्चों को ऊपर खिंचा , लगा कहीं सोफे को हिलाया तो कोई उसमे दब  ना जाए ,  एक बच्चा तो होगा नहीं | दो निकले फिर अच्छे से जाँच लिया और कोई तो नहीं हैं | बिटिया  तो दो दो बच्चे देख मारे ख़ुशी के चींख ही पड़ी | उनका जन्मदिन आने वाला था और बहुत सालों से वो अपने लिए एक पेट की मांग कर रहीं थी | उन बिल्लियों को देख उन्हें लगा उनकी तो इच्छा ही पूरी हो गई |
                                   सबसे पहले सोचा उनमे से एक जो लगातार बोले जा रहा हैं शायद वो भूखा हैं उसे दूध कैसे पिलाया जाए |घर में एक भी दवा का ड्रॉपर नहीं मिला , फिर रुई भिंगो कर पिलाने का प्रयास किया लेकिन दोनों ने पीने से ही इंकार कर दिया | हमने बिटिया से कहा कि इन्हे इसी कमरे में छोड़ कर दूसरे कमरे में चलो | इनकी मम्मी फिर से आएगी और इन्हे दूध पीला देगी | उपाय काम किया और बिल्ली आ कर अपने बच्चों को दूध पीलाने  लगी | लेकिन उम्मीद के मुताबिक उन्हें ले कर नहीं गई |

                                  फिर अपने गोदाम से जा कर एक गत्ते का बॉक्स ला उसमे पुराना कपड़ा पीछा उनके रहने का इंतजाम किया गया और उसे खिड़की पर रख दिया गया |  दो दिन में ही ये हाल था की हम वही बैठे रहते बिल्ली चुपचाप आती बॉक्स में जाती और आराम से बच्चों को दूध पिलाती उनकी सफाई करती और चली जाती | कितनी बार तो उसके आने का पता ही नहीं चलता , अचानक से टीवी देखते खिड़की को देखती तो वहां उसे आराम से बैठ कर टीवी देखते अपने बच्चों को दूध पीलाते , उसे देख चौक सी जाती मैं  | लेकिन उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ता जैसे मैं उस कमरे में हूँ ही नहीं |

                               बिटिया के दिन गुलजार हो गए , पूरी बिल्डिंग में खबर फ़ैल गई और बच्चों के जमवाड़े हमारे घर लगने लगे | दोनों का नामकरण भी हो गया ब्लैकी और व्हाटी |  बच्चों के मार्फ़त बिल्ली की पूरी रिपोर्ट आ गई , बच्चे ढेड़  हफ्ते के हैं , पहली मंजिल वाले फ़्लैट में पैदा हुए थे ,  कुल चार थे लेकिन दो की मौत हो गई बारी बारी , फिर पहली मंजिल के ही दूसरे फ़्लैट में गए  | हमने भी सुन रखा था बिल्ली अपने बच्चों के लिए दस या सात घर बदलती हैं , हमारा तीसरा था |

                               ये  और दस दिन बाद ही हमें अपने घर जाना हैं याद कर बिटिया को ये समझाया  कि भाई ये बच्चे हमेसा के लिए हमारे पास नहीं रहने वाले , इन्हे जाना होगा | जितना खेलना हैं खेलों लेकिन हमेसा साथ रखने का ख्याल मत रखों | हम चले जायेंगे तो  इनका क्या होगा , खिड़की खुली छोड़ कर नहीं जा सकते हैं | कुछ उपाय करके बिल्ली को ले जाने के लिए मजबूर करना होगा |

                               सात दिन आराम से इन दोनों के साथ खेलते निकल गए | फिर हमने सातवे दिन  से बॉक्स को खिड़की के बाहर रख दिया रात में खिड़की का दरवाजा भी बंद कर देतें | बिल्ली वैसे ही रोज आती खिड़की के बाहर  ही बॉक्स में अपने बच्चों की देखभाल करती | उम्मीद थी बिल्ली हमारा इशारा समझ जाएगी और बिल्ली बड़ी समझदार निकली हमारे जाने वाले दिन ही सुबह अपने बच्चों को लेकर चली गई | पहली को ले जाते हमें तो आहाट भी ना लगी , जब दूसरी को ले जाने लगी तब मेरी नजर गई | शुक्र था की उसी दिन मुझे घर जाना था तो बिटिया थोड़ी दुखी तो हुई लेकिन फिर नानी के घर जाने के ख़ुशी में जल्द ही भूल गई |

                              एक पालतू जानवर  के लिए बिटिया आज भी ज़िद  करतीं हैं , हम साफ़ मना कर देतें हैं | हमारे घर कुत्ता , तोता , खरगोश , गाय , बंदर तक पालतू के रूप रह चुके हैं , जानते हैं उनके साथ कितनी जिम्मेदारियां जुडी होती हैं | घर में ला तो कोई भी देता हैं लेकिन उन्हें संभालने का काम सिर्फ मम्मियों को करना पड़ता हैं | उनके ना होने पर जानवर कितने उदास हो जाते हैं , खाना छोड़ देतें हैं | जिम्मेदारी तो दूसरी तरफ रखिये एक तीसरे मोह के बंधन में तो बिलकुल नहीं पड़ना हैं  , पहले के  दो ही काफी हैं |


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अहिंसक आंदोलन , विरोध और गाँधी जी ------mangopeople



1922 में जब गोरखपुर के चौरी चौरा में भारतीयों ने पुलिस चौकी जला कर पुलिस वालों को जला कर मार दिया तो गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था | उनके अनुसार उनके अहिंसक आंदोलन की शुरुआत हिंसा से हुई इसलिए वो इस आंदोलन की ख़त्म कर रहें हैं |
उनके इस निर्णय से रामप्रसाद बिस्मिल जैसे उनके शिष्यों ने विरोध स्वरुप उनसे खुद को अलग कर लिया और अपना एक गरम आंदोलन शुरू किया | गाँधी जी ने उनका भी कभी समर्थन नहीं किया |
गाँधी जी से बहुत लोग इसलिए भी नाराज होतें हैं आज भी , कि उन्होंने भगतसिंह की फांसी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया | एक अहिंसक आंदोलन चलाने वाले ये ये उम्मीद करना कि किसी हिंसक आंदोलनकारी के बचाव में आएगा , बहुत ही गलत सोच हैं | भगत सिंह को बचाने का कोई भी उनका प्रयास , उनके तरीकों को समर्थन देना होता | फिर हजारों हजार नौजवान भगत  सिंह के उग्र तरीके का अनुसरण करने आगे आ जाते और अहिंसक आंदोलन से भी लोग दूर हो जाते |
हर दमनकारी सरकार बड़ी आसानी से हिंसक आंदोलनों का दमन कर लेती हैं वो ज्यादा लंबा नहीं चलता और ना कभी अपनी मंजिल तक पहुँच पाता हैं |
वो सभी जो आज के समय में देश में चल रहें विरोध प्रदर्शन में हुए हिंसा पर एक लाइन का भी विरोध नहीं करतें हैं और केवल सरकारी दमन की निंदा करतें हैं | उन सभी को गाँधी जी का नाम नहीं लेना चाहिए | अहिंसा को लेकर उनके मानदंड बहुत ऊँचे थे , उनका पालन करना आपके बस का नहीं हैं | इसलिए गाँधी जो को कम से कम इससे दूर रखिये | बाकी आपकी अपनी जो विचारधारा हैं उसे आगे बढ़ाते रहिये |

December 23, 2019

सीखना सिखाना अब बेटों को हैं --------mangopeople


                                          नीचे  अखबार की खबर पढ़िए और उसमे ये सब करने वाले बच्चों की उमर देखिये | मुंबई में देश के सबसे बड़े उद्योगपति के स्कूल में ये सब हुआ हैं | १३ से १४ साल के लड़कों के व्हाट्सएप्प ग्रुप में लडके स्कूल की कुछ लड़कियों का नाम ले कर एक दूसरे से पूछतें हैं क्या तुमने इसके साथ सेक्स किया हैं उसके साथ सेक्स किया हैं | जवाब  ना  में मिलने पर  कहतें हैं चलों इनका गैंग रेप करतें हैं |

                                          इनकी पोल ऐसे खुली कि एक लड़का जो उस समय सो रहा था वो इस बातचीत में शामिल नहीं हुआ | इस पर बाकी लडके उसका नाम लेकर उसे बुलिंग करने लगे,  उसे गे कहने लगे | अगले दिन जब उसने ये सारा चैट देखा तो उसने पूरी चैट उन लड़कियों से शेयर कर दिया जिनका नाम इसमें लिया जा रहा था | फिर उनके माता पिता ने स्कूल में जा कर शिकायत की और सभी नौ लड़कों को  ( पोल खोलने वाले लड़के को छोड़ कर ) सस्पेंड कर दिया और मामले को वार्षिक समारोह तक के लिए ताल दिया गया |

                                        आई बी स्कूल हैं के ये बच्चे किसी गरीब बस्ती के गरीब , संस्कारहीन  घरों से नहीं आ रहें हैं बल्कि सब के सब मुंबई के  अमीर और पढ़े लिखे के घरों से हैं | इनके माँ बाप की समाज में खूब प्रतिष्ठा हैं और सभी उन्हें जानते हैं | एक सस्पेंड लड़का एक पुराने फिल्मअभिनेता का नाती हैं जिनका राजनीति में भी काफी नाम था और आजकल उनकी बेटी राजनीति  की  विरासत को आगे बढ़ा रही हैं |
आप जानकार आश्चर्य करेंगे कि एक लड़की उसी लडके के मामा की दूसरी पत्नी ( उनसे भी तलाक हो )  दूसरे पति जो एक नामी खिलाड़ी हैं की बेटी हैं |

                                       एक लड़की देश के बहुत बड़े उद्योगपति जो अक्सर आपको पेजथ्री पार्टी में भी नजर आतें हैं , अक्सर उनका ही सरनेम फिल्मो सीरियल में अमीरों के लिए होता है , की बेटी हैं |
एक लड़की के  माता पिता मशहूर मॉडल रह चुके हैं और पिता एक फिल्म स्टार हैं जिनका अभी हाल में ही तलाक हुआ हैं |

                                      चुकी लड़कियां भी बड़े घरों से थी तो कोई दबा नहीं और तुरंत स्कूल में शिकायत की गई | लेकिन नतीजा क्या निकला वही जो आम से स्कूल ऐसे मामलों में करतें हैं , खबर को दबाना , लड़कों को सिर्फ सस्पेंड करना , मामले को किसी ना किसी बहाने आगे के लिए टाल  देना |
लड़कों के माँ बाप का रवैया तो और भी चौकाता हैं |  वो कहतें हैं ये तो लड़कों की चुहलबाजी मजाक था , इसे ऐसे गंभीरता से क्यों लिया जा रहा हैं | लडके तो ऐसा बोलतें ही हैं कि चलो ये करतें हैं चालों वो करतें हैं , पर उनका वो मतलब नहीं होता हैं |

                                     पूरी खबर पढ़ने के बाद आप को कहीं से भी ये नहीं लगेगा  कि ये सब समाज के संभ्रात पढ़े लिखे लोगों के बीच की बात हैं | स्कूल का , या लड़कों के माँ बाप किसी का भी रवैया  वैसा ही हैं जैसे की किसी अन्य भारतीय माध्यम या निम्न घरों के लोगों का होता | लडको को लडके होने के नाम पर कुछ भी करने की आजादी देने वाल |

                                     लड़कियां भी वही आम लड़कियों जैसी ही हैं सबके सब डरी हुई हैं और स्कूल जाने से डर   रही हैं | खबर अखबार में इसलिए आ गई क्योकि लड़कियों  के माता पिता सेलेब्रेटी हैं और पत्रकारों से जुड़े हैं | मन तो ये भी जा रहा हैं कि ये खबर दो हफ्ते बाद जानबूझ कर तब लिक किया गया जब वार्षिक समारोह होने वाला था | ताकि स्कूल पर कोई दबाव पड़े उन लड़कों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के  लिए |

                                हे प्रभु ,  इस देश में लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं , क्योकि लड़कों की मानसिकता ये समाज सुधारना ही नहीं चाहता हैं |

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December 19, 2019

छेड़ों ना मेरी जुल्फे ------mangopeople


देखिये मैं टीवी दस फिट दूर से देखतीं हूँ | पहले उसी जगह से टीवी पर मैच देखते समय रन विकेट और ओवर तीनों अच्छे दिखता था | लेकिन अब रन और विकेट तो दिखता हैं लेकिन ओवर थोड़ा छोटा लिखा होता हैं वो ठीक से नहीं दिखता हैं |

दो साल पहले ये सुन कर मेरी आँखों की जाँच करने के लिए खड़ा लड़का थोड़ी देर तक मुझे देखता रहा |  शायद जिंदगी में किसी ने ऐसी समस्या अपनी आँखों  की रोशनी के लिए नहीं बोला होगा | फिर पूछता हैं और क्या नहीं दिखता और क्या समस्या हैं | हमने कहा और कुछ नहीं हैं बसओवर नहीं दिखता |

बन्दे ने अपने सभी लेंस लगा कर जाँच लिया बोला नंबर तो नहीं दिख रहा हैं लेकिन आपकी जीतनी उम्र हैं उसमे नजदीक का चश्मा लगाना शुरू कर देना चाहिए | हमने कहा हमें समस्या हैं कि हमें दूर से नहीं दिख रहा हैं और आप हमें नजदीक का चश्मा लगाने का राय दे रहें हैं , आप जाने ही दे |

अपनी आँखों की जवानी पर इतराते चश्मिश पतिदेव को चिढ़ाते  बाहर निकली ही थी कि ऊँची ऊँची सीढ़ियों ने किनारे लगे रेलिंग को पकड़ने पर मजबूर कर दिया | पतिदेव धाड़ धाड़ निचे उतरे और मुड़ कर मुझे ऊपर ही खड़ा देख मुस्कराएं , आधा खून तो उनके इस मुस्कान पर ही जल गया , फिर बोलते  हैं आज की डेट में उतर जाओगी या कल आऊं |

दो साल हो गए आज भी ओवर ना दिखता तो मोबाईल पर स्कोर लगा कर देख लेती हूँ कितने ओवर और कितने बॉल हुए |


December 18, 2019

विरोध को धार्मिक रंग ना दे ------mangopeople


                                          नागरिकता कानून के खिलाफ और समर्थन में  कुल मिला कर साठ याचिका दायर हुआ हैं कोर्ट में | आज  बीस पर सुनवाई होने वाली हैं | कानून के खिलाफ और समर्थन में याचिका लगाने वाले  वकीलों का टीवी पर इंटरव्यू देख रही थी | विरोध करने वाला ये जवाब नहीं दे पा रहा था कि इससे भारतीय नागरिकों पर क्या प्रभाव पडेगा | वो जवाब में बार बार NRC की बात करने लग रहा था और एंकर उसे टोक रहा था कि वो कानून तो अभी आया ही नहीं आपने तो याचिका नागरिकता  संशोधन पर लगाया हैं उसकी बात कीजिये | लेकिन उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था वो फिर NRC पर आ जाता और मुस्लिमों की लीचिंग पर चला गया  |

                                         सोचिये कानून के खिलाफ याचिका लगाने वाले के पास एक मामूली से एंकर के सवालों का कोई वाजिब जवाब नहीं था वो कोर्ट में जा कर वह क्या और किस तरह की  दलील रखेगा | वहां तो बड़े बड़े धुरंधर कानून के जानकार होंगे और उनके पास भारी भारी सवाल , उनका जवाब वो क्या दे पायेगा | नतीजा उसकी याचिका ही ख़ारिज हो जाएगी और इस पर  लोग कहेंगे कि कोर्ट और जज सरकार की भाषा बोलती हैं लोगों की नहीं सुनती |

                                         क्या इस तरह की तैयारियों के साथ किसी को कोर्ट में जाना चाहिए | ऐसे लोग तो आम लोगो का भरोषा न्यायलय से भी ख़त्म कर देंगे | एक आम गृहणी होने के बाद भी मैं बता सकती हूँ कि उसको इसका  सीधा सा जवाब ये देना चाहिए था कि  ये याचिका किसी वर्ग विशेष को बचाने के लिए नहीं हैं , मैंने ये याचिका देश के संविधान को बचाने के लिए लगाया हैं | उसके धर्मनिर्पेक्षता  के मूल सोच को बचाने के लिए लगाया हैं | मैं यंहा मुस्लिमो की पैरोकारी करने नहीं आया हूँ मैं यहां संविधान की पैरवी करने आया हूँ |

                                          लेकिन वो ये नहीं बोल पायेगा क्योकि ऐसी उसकी ये सोच ही नहीं हैं , क्योकि विरोध को समर्थन देने वालों में से ज्यादातर की ये सोच नहीं हैं | ज्यादातर सरकार के खिलाफ खड़े लोग बस मुस्लिम के नाम पर इसका समर्थन कर रहें हैं , उनके कंधे पर रख अपने विरोध की बन्दुक चला रहें हैं | किसी को संविधान से मतलब नहीं हैं और ना ही इस बात से फर्क पड़ता हैं कि ये कानून कहीं से भी भारत के किसी नागरिक को प्रभावित नहीं करता हैं और ना ही इस बात से फर्क पड़  रहा हैं कि वो विरोध के नाम पर दूसरी तरफ के लोगों के घार्मिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को वह पूरी ताकत से सफल बना रहें हैं | सिर्फ मुस्लिमो की बात कर इस विरोध को पूरी तरह से धार्मिक रंग में रंग चुके हैं |

December 16, 2019

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध ------mangopeople


जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध ।
                               
                               हे कविवर जो तटस्थ हैं वो देख पा रहें हैं कि ये युद्ध सत्ता की हैं जिसमे आम जन बस मोहरे से ज्यादा कुछ नहीं हैं | वो सत्ताधारी और सत्ता के लालची हैं जो किसी युद्ध , आंदोलन को धर्म युद्ध , जन आंदोलन नाम दे कर उसमे आम जन को आहुति देने का आवाहन करतें हैं और स्वयं बाद को सत्ता का भोग करते हैं उसके करीब पहुंचते हैं | आम जनता पहले भी खाली हाथ होती हैं और ऐसे हर आंदोलन , युद्धों के बाद भी | हां ये जरूर होता हैं कि कई बार उसके पास जो हैं वो भी चला जाता हैं |
                               
                              ज्यादा समय नहीं हुआ जब हमने भी एक बार, एक बड़ी भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहीम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था | देश बदलने के लिए चली इतनी बड़ी अहिंसक मुहीम जो आजादी की लड़ाई सी रह रह कर मुझे प्रतीत होती थी , जिसे जन आंदोलन नाम दिया गया था | आज उस आंदोलन का क्या परिणाम निकला , केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया और आंदोलन चलाने वाले बड़े नाम सत्ता पर काबिज हो गए | आज उन्हीं को भ्रष्टाचार करते और वो सब करते अपने आँखों से देख रहें हैं जिनके खिलाफ उन्होंने आंदोलन छेड़ा था |
                               
                              उस आंदोलन में हिस्सा लेने पर मेरे पापा हँसे थे , क्योकि परिणाम उन्हें  पहले ही पता था | एक ज़माने में उन्होंने जेपी आंदोजन में भाग लिया था और उसका अंत भी महज सत्ता परिवर्तन और कुछ लोगों के सत्ता में आने से ज्यादा कुछ नहीं हुआ था | व्यवस्था कभी नहीं बदली और ना ही आम लोगों की समस्याएं | क्योकि ये सभी आंदोलन का आरंभ , जनता में बैठे असंतोष का प्रयोग लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए सत्ता पाने के लिए किया था और वो अपने अभियान में सफल रहें और आहुति देने वाली जनता ठगी गई |
                             
                             कुछ लोग इसे छात्र आंदोलन बता कर इसमें सभी को साथ देने का आह्वान कर रहें हैं , वो अलग बात हैं कि सोशल मिडिया पर बैठ कर क्रांति करने के सिवा वो खुद भी कुछ नहीं कर रहें हैं | सवाल किया जाए क्या हर छात्र आंदोलन समर्थन के लायक होता हैं | एक छात्र अंदोलन 90 के दसक में भी हुआ था बड़ी संख्या में छात्रों ने उसमे हिस्सा लिया और बस ट्रेन को जलाने की जगह खुद को जलाना शुरू कर दिया था | आज जो इस छात्र आंदोलन को समर्थन दे रहें हैं वो उस छात्र आंदोलन के खिलाफ बोलेंगे और जो आज जो इस अंदोलन का विरोध कर रहें हैं वो उस आंदोलन का समर्थन करने आगे आ जायेंगे |

                              आज जिन्हे छात्र मासूम , सही लग रहें हैं वो ९० के छात्रों को जातिवादी , बरगलाये , भड़काए गए घोषित कर देंगे जो एक वर्ग विशेष से थे | उनका आंदोलन जन आंदोलन भी नहीं लगेगा और ना ही समाज के हित में , जबकि उस समय के कानून से छात्र सीधे प्रभावित हो रहें थे | वही आज के आंदोलन का विरोध करने वालों को आज के छात्र भड़काए हुए और वर्ग विशेष के नजर आएंगे |

                               मुझे तो अभी तक समझ नहीं आ रहा कि CAA से भारत के किसी भी नागरिक ( पूर्वोत्तर को छोड़ कर ) पर इसका क्या दुष्प्रभाव पडेगा | छात्रों का साथ किस बात के लिए दिया जाए कि पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा हैं , वो भाग कर भारत आ रहें हैं और भारत सरकार उन्हें नागरिकता नहीं दे रही हैं | क्या दूसरे देश के काल्पनिक पीड़ित नागरिकों के लिए हम अपने घर में हिंसा करे ट्रेने ,बसों को जलाएं | जबकि उनका देश ये भी मानने को तैयार नहीं हैं कि उनके यहां किसी का भी उत्पीड़न हो रहा हैं |

                               जिस दिल्ली में जेएनयू के छात्रों ने इतनी बार आंदोलन किया , पुलिस से झड़प हुई , लाठी खाया लेकिन ना कोई पत्थरबाजी हुई और ना ही अंदोलन कभी इतना हिंसक हुआ | उसी दिल्ली के जामिया के अंदोलन में वो कौन लोग थे जो मुंह ढक कर पुलिस पर पत्थर बरसा रहें थे , (छात्र कब से मुंह ढक कर आंदोलन करने लगे ) , आआप के नेता अपने समर्थकों के साथ क्यों किसी छात्र आंदोलन में भाग लेने आये और क्यों उसी दिन आंदोलन हिंसक हो गया |

                             कुल मिला कर कानून लागु करने वाले मोटा भाई लोग (नया नाम रंगा बिल्ला हो गया हैं 😂😂 ) हो या उसका विरोध करने वाले दूसरे राजनितिक लोग दोनों सत्ता की राजनीति कर रहें हैं और आम लोगों , समुदाय का ध्रुवीकरण करने में लगे हैं | ये कोई छात्र आंदोलन नहीं हैं और ना ही इसका भारत के आम लोगों से कोई संबंध हैं | इसलिए कविवर हम तो ना इसका समर्थन करेंगे और ना ही विरोध , तटस्थ रह कर सिर्फ सबकी राजनीति देखेंगे और देखेगें की अब सोशल मिडिया ने आम लोगों को भी कितना बड़ा राजनीतिज्ञ बना दिया हैं जो यहां बैठे बैठे सिर्फ अपनी सोच और विचारधारा के अनुसार छात्रों को उकसा रहें हैं फर्जी खबरे वीडियों लगा कर अफवाहें फैला रहें हैं |

                             मेरी माने तो छात्र दूसरों के हाथ का मोहरा बनने की जगह अपनी ऊर्जा बचा कर रखें अभी उन्हें एक बड़ी लड़ाई में आगे आना हैं जिसमे आम लोग भी उनका साथ देंगे वो हैं NRC | पर याद रखियेगा उसमे भी हिन्दू मुस्लिम मत कीजियेगा उससे सभी को परेशानी होने वाली हैं | गरीब सिर्फ मुस्लिम नहीं होता गरीब धर्म जाति से ऊपर होता हैं उसकी बात कीजियेगा , ना की फिर मुस्लिम गरीब को परेशानी होगी तो मैं अपना धर्म बदल मुस्लिम होने जा रहन हूँ कहने वाले स्वार्थी लोगों की बातों में ना आ जाना |

अच्छाइयों , खुशियों के जीवन में आगमन पर रोक नहीं ---mangopeople


                                 कभी कभी बहुत सारी अच्छी चीजों के साथ एक आध बुरी , ख़राब चींजों को भी अपनाना पड़ता हैं , परेशानियां झेलनी पड़ती हैं | सोशल मिडिया पर सबने अपने अपने बाग़ बगीचों की सुंदर सुंदर फोटो लगा लगा इतना जी कराया कि  कबूतरखाने में रहने वाले हमको भी , हार कर एंटी से पैसे ढीले कर अपनी बगिया भी सवारने का मन हो गया , जो विकास की भेट चढ़ चूका था | मोनो रेल की पटरियों ने हमारी बगिया तक आने वाले सूरज का रास्ता रोक दिया था | तो हमने भी अपनी बगिया और आगे बढ़ा लिया |

                               हमारी बगिया के रास्ते  घर में मोटे मोटे चूहों का भी आगमन हो जाता था रात में , तो कभी पौधे जड़ से कुतर जाते सब | अब जब पैसा खर्च हो रहा था तो जंगले में चूहे रोकने वाली जाली लगाने का विकल्प था | दिल सोच में पड़ गया चूहे तो रुक जायेंगे लेकिन उसके साथ ही बगिया में आने वाली तितलियों , भौरों , गौरैय्या , हनी बर्ड , कौआ , कबूतरों जैसे पंक्षियों आदि का रास्ता भी रुक जायेगा |
तय हुआ भला एक परेशानी के लिए इतने सारी अच्छाइयों का रास्ता क्यों रोका जाए | उस एक परेशानी के लिए कुछ और उपाय कर लिया जाएगा और चूहे की जाली कैंसिल कर दी गई | अब इन पुराने रहिवासियों का घर बदला था तो उनके आने में भी देर हो रही हैं | लेकिन धीरे धीरे सब अपने पुराने ठिकाने लौट रहें हैं | गौरैय्या के लिए घर बना दिया गया , एक घर केरल से भी खरीद कर लाया गया |

                                नए फूल लगा दिए गए , कुछ जड़ जमा लिए तो कुछ नहीं जमा पाए तो  कुछ को समय लग रहा हैं | कुछ बीमार हो गए थे अनदेखा करने से उनका ईलाज हो रहा हैं | इतने के बाद अब और सवारने का काम रोक दिया गया हैं |

                               सूरज अपनी दिशा बदलने वाला हैं , उसका भी इंतजार कर ले , उसके बाद देखतें हैं कि हमारी बगिया में  उनकी पहुँच कहा तक होगी | उसके हिसाब से फिर और फूल पौधों का आगमन होगा |कुछ धुप वाले फूल आएंगे तो कुछ छांव वाले पौधे जिनमे सिर्फ हरियाली होगी शायद फूल नहीं | फूल की जगह हरियाली से ही संतोष करेंगे |

                               जीवन में सब कुछ अपनी इच्छा और मन का होता ही कहाँ हैं |  कुछ अच्छाइयों के लिए कुछ बुराइयां परेशानियां , कुछ मन से इतर बर्दास्त करनी ही पड़ता  हैं | या तो उन्हें ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लीजिये , बर्दास्त कीजिये या उनके लिए कुछ और उपाय कीजिये |  लेकिन उनके चक्कर में हमें अच्छाइयों , खुशियों के जीवन में आगमन पर रोक नहीं लगानी चाहिए |

#सालीजिंदगी

December 14, 2019

भूख और खाने का कदर --------mangopeople



                                 बिटिया जन्म लेने के पहले ही  खाने को लेकर नखरे बाज थी | दो दो बार उन्होंने माँ के पेट में खाना  पीना छोड़ अपना ग्रोथ रोक लिया था , मजबूर हो कर उन्हें समय से पहले बाहर लाना पड़ा था  | जन्म के बाद भी ये जारी रहा हम सहते रहे हर तरह का मान मनौवल करते रहें | नतीजा हमेशा अपने उम्र से उनका वजन बहुत कम होता |

                                 जब कुछ बड़ी  हुई तो जरुरी लगा कि इन्हे समझाया जाए कि खाने का  महत्व क्या हैं और भूखे होने के कष्ट कैसा होता हैं |  तो उन्हें धमकी दी जाती कि खाने से मना करोगी तो खाना ही नहीं दिया जायेगा | कई बार धमकी देती लेकिन फिर मन नहीं मानता कि कैसे उसे भूखा रखूं | खासकर स्कूल से जब आतीं तो लगता सुबह की भूखी हैं टिफिन बॉक्स भी वैसे ही वापस आ गया हैं अब कैसे खाना खिलाने में देर कर सकती हूँ |

                               फिर होता ये हैं कि दो चार बार धमकी देने के बाद बच्चे समझ जाते हैं कि मम्मी खाना तो दे ही देगी या खिला देगी उसकी सुनने की जरुरत नहीं हैं |  फिर वो ऐसी धमकियों को भाव नहीं देते | लेकिन मैं थी तो उनकी अम्मा ही उन्हें समझाने  के लिए उनके  पापा जी से मिली भगत किया गया |
पापा जी को बता दिया गया कि किसी दिन मैंने गुस्से में उसे खाना  नहीं दिया तो ये तुम्हारी ड्यूटी हैं कि तुम कुछ देर बाद उसे समझाओगे , मुझे सॉरी बोलवाओगे और हर हाल में उसे खाना खिलाने के बाद ही सुलाओगे |  बिना खाये वो सो गई तो समझना तुम्हे भी खाना नहीं मिलेगा | उसे समझना चाहिए कि मम्मी सच में ऐसा कर सकती हैं | दो तीन बार में ही कुछ घंटों की भूख ने उन्हें भूख के कष्टों को समझा दिया |

                              लेकिन खाने की कदर करना अभी बाकी था | एक दिन उन्हें स्कूल से लेकर आ रही थी सिग्नल पर एक भिखारी बच्चा आया और कार का शीशा नॉक कर खाना मांगने लगा | बच्चे की हालत ठीक नहीं थी म   मैंने बिटिया से कहा तुम्हारा टिफिन बॉक्स में खाना बचा होगा दो इसे दे देतीं हूँ | पहली बार उनका ध्यान भिखारियों पर गया था और वो पूछने लगी कोई बच्चा इस तरह सड़क पर मुझसे खाना क्यों मांग रहा हैं |

                             घर आ कर उन्हें अच्छे से बताया गया कि कितने लोगों को दुनिया में  खाना नहीं मिलता वो भूखे सोते हैं  और तुम खाना छोड़ देती हो फेक देती हो | मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो इस चीज को बहुत अच्छे से एक बार में ही समझ जाएँगी , लेकिन वो समझ गई |

                            वो दिन हैं और आज को दिन ,  वो कभी खाने को नहीं फेकती हैं | ना ना वो अपनी थाली का खाना आज भी पूरा ख़त्म नहीं करती , असल में वो थाली का बचा हुआ खाना या तो अपने पापा को जबरजस्ती खिला कर ख़त्म करतीं हैं या थाली समेत बचा खाना फ्रिज में चुपके से रख देतीं हैं | एक टुकड़ा रोटी छूटा हो या एक दो आलू का टुकड़ा सब मेरे फ्रिज में जाता हैं , जूठी थाली समेत और बाद में जब मुझे दिखता हैं तो वही मेरा उन पर चीखना चिल्लाना आज भी जारी ही हैं | मेरे इन कष्टों से मुझे आज भी मुक्ति नहीं मिली , मेरा चिल्लाना आज भी अनवरत जारी हैं , पता नहीं ये कब उन्हें  समझ आएगा |

#मम्मीगिरि

December 01, 2019

विरोध का रचनात्मक रूप -------mangopeople

दुनियां भर के युवा किसी ना किसी बात पर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं और उनका विरोध प्रदर्शन कई बार कितना मजेदार और रचनात्मक हैं उसके कुछ उदहारण देखिये |
इराक में वहां की हालातों को लेकर कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं | फिर सरकार ने तय किया कि अब इन विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस अपने प्रशिक्षित कुत्तों को भी लेकर जाएगी | इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब वो भी विरोध में अपने पालतू जानवरों को लेकर विरोध करेंगे | कोई मामूली जगह तो वो हैं नहीं वो तो इराक था तो एक बंदा विरोध में अपना पालतू शेर ले कर आ गया |
गर कुत्ता मुकाबिल हो तो शेर निकालिये

हांगकांग के विरोध प्रदर्शन से तो सभी वाकिफ़ ही हैं | वहां तो अब युवाओं ने पुलिस के हथियार के मुकाबले अपना तीर धनुष भी बना लिया हैं | जब एक बिल्डिंग में घुसे प्रदर्शनकारियों को , पकड़ने के लिए पुलिस गई , तो उन लोगों ने पहले ही इंतजाम कर रखा था | उन सब ने अपनी बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग तक रस्सियां बाँध रखी थी | कुछ उस पर से लटक कर , तो कुछ उस पर चल कर तो कुछ महान खिलाड़ी उस पर मोटरसाइकिल चला कर निकल गए |
तू पात पात मैं डाल डाल

सबसे ज्यादा अत्याचार लेबनान के लोगों पर हो रहा हैं | सुनेंगे तो आपके भी आँखों में आँसू आजायेंगे भविष्य अंधकारमय और डरावना लग़ने लगेगा | वहां की सरकार ने शोसल मिडिया के प्रयोग पर टैक्स लगा दिया हैं | सुन कर चीख निकल गई ना , डर कर दिल की धड़कन बढ़ गई होगी बस ये सोच भर के कि ऐसा हमारे देश में हो गया तो क्या होगा | अब इस बात पर तो बड़े से बड़ा भक्त भी मोदी के खिलाफ हो जायेगा तो सोचिये लेबनानी का विरोध प्रदर्शन कितना बड़ा होगा | तो उन सबो ने वहां की संसद के सामने डीजे वाले को बिठा दिया जो दिन रात जोर जोर से डीजे बजाता हैं और लोग चौबीस घंटे वहां नाच गा कर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं |
डीजे वाले बाबू गौरमेंट की बैंड बजा दे

सब छोड़िये अपना पडोसी अपना खानदानी दुश्मन अपना पकिस्तान भी इसमें पीछे नहीं हैं | इमरान ने ताव में भारत से व्यापार बंद करा दिया नतीजा वहां टिमाटर ( टमाटर ) के भाव ढाई सौ रुपये से ऊपर तक चला गया | एक मोहतरमा अपने निकाह में टिमाटर के बने गहने पहन पर बैठ गई | भाव तो चिलगोजो के भी बढ़ गए थे तो उन्होंने बताया लोगो ने निकाह में जो लिफाफे थमाए उसमे पैसे नहीं चिलगोजे थे |
ये गौरमेंट सच में बिक गई हैं

बताओं हमारे यहाँ भी ना जाने कितने विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं लेकिन एक भी ढंग का नहीं हैं जिसका उदहारण यहाँ दिया जा सके | बहुत अफसोस की बात हैं अपने देश के युवाओं की रचनात्मकता ख़त्म हो गई हैं , काहें की विरोध के नाम पर सब सियासत ज्यादा कर रहें हैं , विरोध कम |


November 30, 2019

मम्मी तुम डेड होने वाली हो --------mangopeople

जब बिटिया को पता चला कि उनके मम्मी के भी मम्मी पापा होते हैं तो स्वाभाविक रूप से ये भी याद आया की पापा के भी मम्मी पापा होंगे | तो पापा से सवाल किया गया
"तुम्हारे मम्मी पापा कौन हैं पापा "
" तुम्हारे दादा दादी  मेरे मम्मी पापा हैं "
"वो कौन हैं "
"तुम नहीं मिली हो | वो भगवान जी के पास हैं  " तब तक बिटिया को इसका मतलब पता चल चुका था |
"वो कैसे डेड हो गए "
"वो बीमार थे "
"तुम उनकी देखभाल नहीं करते थे क्या " बच्चे कभी कभी इतनी क्रूरता से सवाल कर सकते हैं या ऐसी बाते बोल सकते हैं अपनी मासूमियत में कि हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं | ये बाते पापा जी के लिए असहज करने वाली थी और उनकसे जवाब देते ना बना | फिर इस बातचीत के बीच मम्मी को आना पड़ा |
"अरे नहीं बाबू ऐसा नहीं हैं | उनकी मम्मी बहुत बीमार थी तब पापा बहुत छोटे थे वो उनकी देखभाल नहीं कर सकते थे "
" तो बहुत बीमार होने पर लोग डेड हो जाते हैं "
"नहीं हर बार ऐसा नहीं होता कभी कभी हो जाता हैं " इस बार सावधान थी कि कोई गलत मैसेज बिटिया तक ना जाये | वो ये ना समझ ले की बीमार होने के बाद लोग मर जाते हैं |
" और दादा जी की डेथ कैसे हुई "
"वो भी बीमार थे ओल्ड हो गए थे , इसलिए उनकी डेथ हो गई | सभी लोग धीरे धीरे ओल्ड हो जाते हैं और उनकी डेथ हो जाती हैं " लग रहा था किसी तरीके से उसके मन से ये निकाल दूँ की पापा की वजह से उनके मम्मी पापा की डेथ हो गई और यही हो गई असावधानी जो कुछ समय बाद समझ आई |
महीने बीते और एक दिन अपनी मित्र  से फोन पर लंबी बात मजे से किये जा रही थी | बीच में बिटिया दो चार बार मम्मी सुनो कहा हमने उन्हें चुपचाप खेलने को कह बतियाते रहें | जब फोन रखा तो देखा ये दूसरे कमरे में सुबक सुबक रो रहीं हैं | मैं घबरा गई क्या हो गया , बार बार पूछा क्या हुआ तब जा कर इनकी जुबान खुली |
" मम्मी तुम डेड होने वाली हो "
"क्या "  अब ऐसे मौके पर हर भारतीय माँ के मन में जो आता हैं वही मेरे मन में आया |  हाय मेरी मासूम सी बच्ची जरूर किसी ने  मेरी बिटिया से अनाप शनाप सीखाया हैं | कोई तो हैं जिसे हमारी खुशियों से समस्या हैं बताओ ये क्या सीखा दिया इसे |
" नहीं बाबू ऐसा नहीं हैं किसने कहा तुमसे कि  मम्मी की डेथ होने वाली हैं "
" तुम फोन पर कह रही थी ना तुम ओल्ड हो गई हो ,  अब तुम डेड हो जाओगी "
स्यापा सावधानी हटी दुर्घटना घटी | फोन पर बात करते समय मजाक में अपनी मित्र से किसी बात पर मजाक में कह दिया कि ओल्ड हो गई हूँ और बिटिया उसे सुन अपना पिछले मिला ज्ञान से मिला इस नतीजे पर पहुँच गई खुद ब खुद |
"नहीं बाबू मैं ओल्ड नहीं हुई हूँ और ना ही मैं डेड होने वाली हूँ "
" और पापा "
"पापा भी नहीं हुए हैं अभी हमें ओल्ड होने में बहुत समय हैं तुम बहुत बड़ी हो जाओगी तब होंगे "
" मैं बड़ी हो जाऊँगी तब तुम लोग डेड हो जाओगे " ये सुन वो और रोना शुरू कर दी | अब बताइये एक तीन चार साल की बच्ची को जीवन मृत्यु का रहस्य और गीता  तो सुनाया नहीं जा सकता था कि सब नश्वर हैं | बड़ी मुश्किल से उस दिन उन्हें समझाया कि उनके मम्मी पापा अभी बहुत दिन उनके साथ रहने वाले हैं कहीं नहीं जाने वाले |
फिर लगा कितनी भी सावधानी रखो लेकिन बच्चो को एक बात समझाओ तो उससे जुड़े तमाम चीजों के बारे में कितना भी सोच लो कहीं ना कहीं कुछ गलती हो ही जाती हैं |
#मम्मीगिरि

November 29, 2019

प्यार का राग सुनो रे ----------mangopeople

" कब से कह रही थी पार्टी से चलो लेकिन तुम्हारे आने का मन ही नहीं था देखो कितनी रात हो गई है | मै थक गई हूँ बिलकुल  "
" ठीक है रात हो गई है लेकिन ये लिफ्ट में टॉप फ्लोर का बटन क्यों दबाया है हमारे फ्लोर का क्यों नहीं "
" मेरे जीवन साथी प्यार किये जा -------
" इरादा तो ठीक हैं ना  "
" जवानी दीवानी खूबसूरत जिद्दी पड़ोसन सत्यम शिवम सुंदरम "
"  ये कौन सा गाना है "
" ये लिफ्ट में इश्क फरमाने वाला गाना है स्वीटहार्ट  ये  लिफ्ट में हमारा आखरी रोमांस है "
" क्यों इसके बाद लिफ्ट में नहीं आएंगे क्या "
" लिफ्ट में  कैमरा लगने वाला है "
" क्या ! अच्छा हुआ बता दिया वरना हम दोनों तो पकड़े जाते "

" अब हो गया नीचे चले "
"अरे जब टॉप फ्लोर तक आएं हैं तो छत पर चलते हैं मैंने आज तक छत नहीं देखी है अपने बिल्डिंग की | चलो निकलो लिफ्ट से "
" कहाँ खींचे ले चल रही हो दरवाजा   बंद होगा "
" देखो बंद नहीं है खुला है आ जाओ   |  हे भगवान लेकिन यहाँ ये चाँद तारे क्यों नहीं दिख रहें है  "
" बादल है इसलिए नहीं दिख रहा "
" मुझे एक और गाना याद आ रहा है | लग जा गले की फिर हंसी रात हो ना हो शायद फिर इन जनम में मुलाकात हो ना हो "
" लो गले तो लग गया लेकिन इस छत पर मुझे दूसरा गाना और उससे ज्यादा रोमांटिक सीन याद आ रहा है "
"तुम्हे और गाना कौन सा "
"भींगे होठ तेरे "
" ये बैंकॉक नहीं है मुंबई है अभी कोई टंकी के नीचे सोता हुआ जाग कर बाहर आ जायेगा तो सारा छत वाला रोमांस फुर्र हो जायेगा "
" एक बजने जा रहा है कौन आएगा "
" एक बज गया क्या | मर गए आज एक बजे लिफ्ट बंद होने वाली थी "
" चलिए अब सीढ़ियों से नीचे चलिए बहुत छत देखने का शौक था ना  "
" नहीं मै बहुत थक गई है मुझसे चला नहीं जायेगा | काश की तुम मुझे गोद में उठा कर नीचे ले चलते "
" क्यों सीढ़ियों पर रोमांस वाला कोई गाना नहीं है क्या "
" हैं ना उसके लिए भी है | तेरे घर के सामने नूतन देवानंद और कुतुबमीनार की सीढियाँ "
" सीढ़ियों पर भी रोमांस वाह "
" दिल का भंवर करे पुकार ,प्यार का राग सुनो ,प्यार का राग सुनो रे हुंम हुंम "
" धीरे गाओ पूरी बिल्डिंग तुम्हारे प्यार का राग सुन जाग जाएगी जायेगी "
#वसंत
#अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से 

November 28, 2019

मम्मीगिरि --------mangopeople


                                  तीन साल से भी कम की बिटिया को डॉक्टर को दिखा कर आई तो  बुखार एक सौ तीन देख हाथ पैर फूल गए | पापा जी पर चीखते हुए दवा लाने को कहा , क्योकि मेरे कहने पर भी उन्होंने डॉक्टर के पास की दूकान से दवा नहीं लिया था | डॉक्टर ने कहा पानी वाली पट्टी बर्दास्त नहीं कर पा रही तो तुरंत कपडे निकाल कर एसी के सामने बिठा दो | बिटिया कुछ देर तो सामान्य रहीं फिरअचानक से रोना शुरू कर दिया , घबरा कर पूछा कि क्या हुआ तो सुबुकते हुए बोली तुम पापा से प्यार नहीं करती हो |
                               
                                 बचपन से सुन रखा था बुखार तेज होता हैं तो दिमाग में चढ़ जाता हैं और लोग कुछ भी बकने लगते हैं | मुझे भी लगा बिटिया का बुखार दिमाग में चढ़  गया हैं और वो कुछ भी बोल रही हैं | दुबारा चेक किया तो बुखार एक सौ चार हो गया था , मैं एकदम से डर गई  | अबकी तो पापा जी को फोन कर बिफर ही पड़ी कि इतनी देर क्यों कर रहे हो दवा लाने में  | इस पर बिटिया और रोने लगीं , " देखा तुम सच में पापा से प्यार नहीं करती उन्हें डांट दिया , पापा तुमसे कितना  प्यार करते हैं " |सब बर्दास्त था लेकिन ये बात तो सीने में जहर बुझा खंजर लगने जैसा थी कि पापा तो प्यार करतें हैं लेकिन मम्मी नहीं करती | मतलब एक तरफ़ा आरोप मुझ पर , दोनों तरफ लगता तो इतना टेंशन ना होता |

                                 जैसे की हर माँ के मन में ऐसे समय में ख्याल आता हैं कि उसका बच्चा तो कितना   मासूम हैं किसी ने उसे सीखा पढ़ा दिया हैं , माँ के खिलाफ भड़का दिया हैं | तुरंत पूछा किसने कहा ये सब तुमसे , मैं तो कितना प्यार करती हूँ पापा से |
" नहीं तुम नहीं करती , पापा को अपने साथ बैठने भी नहीं देती , पापा को हग भी नहीं करने देती , पापा किस करते हैं तो तुम वो भी मना कर देती हो क्योकि तुम पापा को प्यार नहीं करती |"  बिटिया की मुख कमलों से ये सुन कर माथा ठोक  लिया  मैंने |

                                   दो साल  की बिटिया प्ले स्कूल जाना शुरू हुई , तो वहां हमें मिली एक गुरु माँ , क्योकि हम सभी के पहले बच्चे वहां पढ़ रहें थे जबकि उनका ये दूसरा था | उनके पास बच्चे के लालन पालन का अनुभव हम लोगों से ज्यादा था जो वो अक्सर हम सभी से बांटा करतीं थी | एक दिन उन्होंने देखा उनकी बिटिया स्लमडॉग फिल्म का दृश्य देख अपने गुड़िया के आँख में तेल डाल रही थी | उन्होंने हमें सावधान किया कि बच्चों के सामने कुछ भी करने से पहले सोच लो " बच्चे सब देख समझ रहें हैं " |  फिर चर्चा यहाँ तक पहुंची की भाई पति के साथ रोमांस करते भी सावधान रहो बच्चे  सब समझ रहें हैं |  फिर क्या था घर आते ही पतिदेव को फरमान सूना दिया गया , अब से सारे रोमांस बंद , मतलब बिटिया के सामने   |

                                   जो पति पत्नी विवाह के बाद घर में अकेले रहतें हैं उन्हें अच्छे से पता होगा कि जब वैवाहिक जीवन की शुरुआत सिर्फ आप दोनो घर में अकेले रह कर कर रहें हों तो दोनों के बीच खूब सारा रोमांस पनपता हैं | आपको रोमांस करने , बतियाने, पास बैठने  आदि के लिए रात होने या बैडरूम में जाने का इंतज़ार नहीं करना पड़ता | एक दूसरे को गले लगाना हो , घंटों करीब बैठ कर फिल्म देखना हो , एक दूसरे के गोद में सर रख या हाथ पकड़े बतियाना हो , किचन में साथ साथ  काम करते हुए  एक दूसरे के पास रहना हो या एक दूसरे को किस करना हो , इन सब को करने के लिए समय या जगह का ख्याल नहीं रखना पड़ता हैं | जब ये सब जीवन में पांच साल चले तो फिर ये सब आदत में शुमार हो जाता हैं , खाने नहाने जैसा जरुरी हो जाता हैं और अचानक से उन्हें बंद कर देने का फरमान , अत्याचार था दोनों पर ही  |

                                    नया नया मुल्ला पांच बखत का नमाजी बनता हैं | गुरु माँ की बात का पालन शुरू हुआ , शुरुआत बिटिया के सामने किस न करने से हुआ , गाल , माथे तक पर नहीं , और उसके बाद तो मेरे गोद में सर मत रखों , मुझे गले मत लगाएं , मेरे इतने पास मत बैठे , मुझे ऐसी नजर से मत देखों , मुझे फालतू के इशारे मत करों , सुनो तुम तो मुझे बिटिया के सामने देखों तक मत , तक पहुँच गया | पति बेचारा इस नए नियम से हैरान परेशान | इतने सालों की आदत जाती नहीं और हम उनके आगे बढ़ते ही गुर्राना शुरू कर देतें |

                                   जल्द ही  घर का कामदेव रति वाला श्रृंगारिक माहौल अचानक से रामसीता वाले सात्विक माहौल में बदल गया | सब बच्चे की भलाई के लिए हो रहा था सो कोई कुछ बोल भी नहीं सकता था | उस पर से पतिदेव के लिए बीवी बच्चे के बाद मरकहिं गैय्या जैसी हो गई थी | देखा होगा सीधी से सीधी गैय्या भी बच्चे होते ही हर बात पर सींग चला देती हैं बस वैसे ही हमारी जबान भी पापा जी की एक गलती  बिटिया के प्रति मैं  डांट देती  |

                                  जैसा कि गुरु माँ ने कहा था बच्चे सब देखते और समझते हैं , हमारे घर का भी बच्चा इस बदलते माहौल को देख रहा था और जो समझा वो करीब चार छ महीने बाद मेरे सामने था | मेयर स्थिति होम करत हाथ जरत जैसी थी , जिस बिटिया के लिए ये सब किया गया वही हमें सूना रही थी और  हम माथा पकड़े बैठे थे | "  पापा मुझे प्यार करते हैं हग करते हैं तुम्हे भी करते हैं तो तुम मना  कर देतीं हो , मैं तुमको प्यार करती हूँ तुमको किस करतीं हूँ , पापा भी करते हैं लेकिन तुम उनको मना कर देती हो | क्योकि तुम उनको प्यार ही नहीं करती हो " |

                                  कोई और समय होता तो दिमाग कुछ काम भी करता और उनको जवाब भी देता लेकिन उस समय तो उनका बुखार इतना तेज था कि जो कह रहीं हैं सुनते रहों और  बस  कैसे भी  इन्हे दवा खिला दी जाए और बुखार कम हो पहले | घर आने पर हमारे प्यारे पतिदेव को जब सारा कांड मालुम हुआ तो मुझे इतना प्यार करते थे  कि महीनो तक मुझे ये सूना सूना कर ताना मारते  रहें चिढ़ाते रहें |

                                 क्या करे हम सब ऐसे ही हैं कई बार हम दूसरों की बात पर बिना ज्यादा दिमाग लगाएं सोचे ऐसे अमल करने लगतें हैं जैसे वो बिलकुल सच और सही ही हो | कई बार बातों का गलत मतलब निकाल कुछ ही कर बैठतें हैं | बच्चों की भलाई के नाम पर हम सब करने को तैयार रहतें हैं उसका आगे का परिणाम जाने बिना |

                                 खैर घर का माहौल बिटिया के आने से  पहले वाला तो ना हुआ , आखिर हम थे तो भारतीय मिडिल क्लास सोच वाले , लेकिन उस दिन के बाद कुछ तो सामान्य हो गया था इस सोच के साथ जब बच्चों को किया जा रहा किस हग प्यार हैं और उसे हमें जाताना चाहिए , तो अपने जीवन साथी के साथ किया गया ऐसा व्यवहार कुछ और कैसे हो सकता हैं वो भी उतना ही प्यार है जिसे जताते रहना चाहिए |

#मम्मीगिरि

November 19, 2019

शहरों में जंगल के वासी ------mangopeople



                                      हाथियों के लिए ये जगह स्वर्ग की तरह हैं | ये सर्कस नहीं हैं जहाँ सारे दिन उनसे  मेहनत करवाई जाए , छोटे से पिंजरे में रखा जाए और ठीक से खाना भी ना दिया जाए | इतने खुले में रहतें हैं , बस इतनी सी दुरी में यात्रियों को घूमाते हैं फिर सारा दिन आराम और भरपूर खाना | वो बहुत आराम से यहाँ रहते हैं |
                                     हमारे आगे हाथी की सवारी करने के लिए खड़े लोगों को कर्मचारी समझा रहा था | हम और भाई दोनों इस पर मुस्करा पड़े और बोले हाथियों के पैरो में पड़ी लोहे की जंजीर बता रही हैं कि ये स्वर्ग हैं | मेरी बारी आतें ही मैंने पूछा , कितने हाथी हैं यहाँ , ज्यादातर तो हथिनी दिख रहीं हैं | तो बोल पड़ा एक भी हाथी नहीं हैं सब हथिनियाँ ही हैं | हाथी को संभालना एक मुश्किल काम हैं और वो सुरक्षित भी नहीं होते | केरल एक पारंपरिक लोगों की जगह हैं इसलिए मैंने पूरा संभलते हुए पूछा  यहाँ एक भी बच्चे नहीं दिख रहें हैं तो क्या आप इन सबकी शादी  नहीं करातें | मेरी इस बात पर वो केवल मुस्करा दिया | लेकिन हम यहीं नहीं रुकने वाले थे हमने जारी रखा , ये तो गलत बात हैं और बिलकुल भी प्राकृतिक नहीं हैं | हर मादा जीव  को जन्म देने और माँ बनने का अधिकार हैं आप इन सभी को इससे दूर रख रहें हैं |
उसके पास जवाब नहीं था वो बस मुस्कराता रहा | मुझे पूरा विश्वास हैं कि  उसे स्वर्ग और नर्क का अंतर तब भी नहीं समझ आया होगा और ना मेरी कही बात का मतलब | 
                                 अगले दिन जब हथिनियों को नहलाने के लिए  दुबारा गए तो उसके महावत से भी मैंने ये शिकायत की जवाब उसके पास भी नहीं था | अब लग रहा हैं , मुझे ये बात वहां की विजिटर डायरी में लिख देना चाहिए था शायद मैनेजमेंट को कुछ समझ आती , खैर |

                                मनुष्य पशुओं को कब से पालतू बना रहा हैं पता नहीं और किन पशु पक्षियों को पालतू बनाना चाहिए और किनको नहीं इस पर बड़ा कन्फ्यूजन हैं | मेनका गाँधी ने कहा खरगोश पालतू नहीं हैं उन्हें ना पाले , हमने पाला था , तोते , कुत्ता , बंदर , सब पाले थे | अब तो लोगों को शेर बाघ तक पालते देखतीं हूँ और उन खूंखार जानवरों का अपने मालिकों के प्रति अपार प्रेम भी देखा हैं | ऐसी पंक्षी भी देखें हैं जो पिंजरे में रहते ही नहीं आराम से पूरा घर घूमते हैं और उड़ कर नहीं जाते | जानवर कोई भी हो पालने वाले और पलने वाले  का आपसी  प्रेम देख ये कहना मुश्किल हो जाता हैं कई बात कि उस पर अत्याचार हो रहा हैं |

                           अगले दिन जब सुबह सुबह उस जगह गए तो सभी महावत अपने अपने हथिनियों को खूब मेहनत से रगड़ रगड़ नहला रहें थे और पाइपों से पानी डाल उनको  मन भर तर कर रहें थे ,  कुछ खाना खिलाने में व्यस्त थे |  कुछ हथिनियां झूम रहीं थी , एक को ऊपर निचे  झूमता देख मैंने बिटिया से कहा जैसे ये कर रहीं हैं वैसा ही करो बिटिया ने किया लेकिन जैसे ही बिटिया ने अपने झूमने का तरीका बदल  दाएं बाएं झूमना शुरू किया  अचानक से हथिनी ने मेरी बिटिया का नक़ल करना शुरू कर दिया और उसकी तरह ही झूमने लग |  जाते समय  बच्चे जब उन्हें बाय बाय कहने लगे तो वो भी अपना सूंड हिला प्रतिक्रिया दे रहीं थी |  मुन्नार में रास्ते से गुजरते जंगली हाथी परिवार से भी मुलाकात हुई खाने पीने में व्यस्त थे , उन्हें दूर से ही निहारते रहें  |



November 18, 2019

रियलटी शो की में कुछ भी रियल नहीं ------mangopeople

                          मुझे हमेशा से पता था कि  टीवी पर आने वाले सभी रियलटी शो फर्जी होते हैं , चाहे वो डांस का हो या गाने का | उसमें सब कुछ  वैसा नहीं होता जैसा दिखाया जाता हैं | ना तो एक टेक में पूरा डांस होता हैं और ना ही गाने वाले सीधे वहां पर गा रहे होते हैं और ना ही जो आवाज हम सुन रहें हैं उनकी , वो असल में बिना किसी बदलाव के उनकी हैं |
                         
                         कल स्टार प्लस पर सबसे ज्यादा रेटिंग वाला डांस शो डांस प्लस देख रही थी | लड़कियों का एक समूह भरतनाट्यम करने के लिए आया जो एक आधुनिक फ़िल्मी गाने पर भरतनाट्यम कर रहा था | डांस करते समय उनमे से एक लड़की की करधनी ढीली हो कर लटकने लगी ,  क्लोजअप शॉट में साफ दिख रहा था | लेकिन जब तुरंत ही लॉन्ग शॉट ( दूर से)   दिखा तो उसकी करधनी एकदम सही थी | फिर तुरंत एक क्लोज शॉट हुआ और करधनी फिर से ढीली थी और फिर वही निरंतर चल रहे डांस में फिर लॉन्ग शॉट में वो करधनी ठीक हो जाती | तीसरी बार जब शॉट क्लोज हुआ तो हद ही हो गई उसके कमर में करधनी थी ही नहीं और फिर लॉन्ग शॉट में करधनी आ गई | डांस ख़त्म हुआ जज के सामने कमेंट लेते समय फिर से करधनी उसके कमर में एकदम सही से था |
                         
                        लगभग सभी डांस शो में अच्छे डांसरों के डांस को कई बार करवा के कई तरह  से शूट  किया जाता हैं और उस शूटिंग में से सबसे अच्छे शॉट को मिला कर उसे टीवी पर दिखाया जाता हैं | जो हम टीवी पर देखते हैं वो कई बार किये डांस से लिया गया सबसे अच्छा शॉट भर होता हैं | आज उसी शो में डांस करते समय एक लडके के गिर जाने को लेकर खूब नौटंकी दिखाई गई कि उसे फिर मौका दिया जाए या नहीं डांस करने का |

                       इसी तरह गाने के रियलटी शो में भी तकनीक की मदद से आवाज की कमियों को ठीक करके उन्हें दर्शको को सुनाया जाता हैं तो कई बार उन्हें पहले ही रिकॉर्डिंग स्टूडियों में रिकार्ड करने के बाद स्टेज कर बस मुंह चलाते शूट कर दर्शकों को दिखा दिया जाता हैं |

                      उसी तरह बड़े एवार्ड फंक्शन में जो कलाकार डांस करते हैं उन्हें एक दिन पहले ही या उसी दिन सुबह  उसी स्टेज पर शूट कर लिया जाता हैं टीवी पर दिखाने के लिए | फिर समारोह वाले दिन भी शूट कर दोनों को मिला कर टीवी के दर्शकों को दिखाया जाता हैं |

                     अगली बार किसी रियलटी शो के किसी कलाकार को देखते समय वाह वाह करते समय ध्यान रखियेगा कि जो जज लोग इस कलाकार की इतनी तारीफ कर  रहें हैं वो शो ख़त्म होने के बाद उन्हें काम क्यों नहीं देते हैं |


November 07, 2019

घुमक्कड़ी और भोजन -------mangopeople



                                         ये बात तो हमेशा से पता थी कि  हम जैसे चाइनीज खाने वाले अगर चीन जा कर चाइनीज खाना खाये तो हमारे गले भी ना उतरेगा वो खाना | भारतीय चाइनीज खाना भारतीय स्वाद के अनुसार ढाल दिया गया हैं | उसी तरह ये भी पता था कि  कभी दक्षिण भारत जा कर इडली डोसा सांभर आदि खाया तो उसका स्वाद शायद ना भाये जैसा अपने यहाँ अच्छा लगता हैं | हमने दक्षिण भारतीय खाने को उत्तर भारतीय स्वाद में बदल रखा हैं |
                                         लेकिन शुक्र हैं जिस पहले होटल में कोच्चि से मुन्नार जाते रास्ते में केले के पत्ते पर केरला का भोजन सद्या खाया उसमे बहुत स्वाद था और सभी को पसंद भी आया | अनानास से बनी एक सब्जी खूब पसंद आई | चटनी में स्वाद था और गुड़ नारियल से बना खीर भी स्वादिष्ट था | लेकिन शंका थी कि ये होटल ख़ास टूरिस्टों के लिए था इसलिए इसके भोजन में उत्तर भारतीय स्वाद की मिलावट जरूर की गई होगी | शंका जल्द ही सही भी हो गई जब थेकड़ी , पेरियार में खाने बैठे और उसने पूछा केरल चावल या  प्लेन तो केरल के खाने के  अति उत्साह में बिना देखे कह दिया केरल का चावल दीजिये | लाई  जैसे मोटे मोटे और कुछ कुछ लालिमा लिए चावल को खाना  सच में आसान नहीं था | फिर उनकी सब्जियों और सांबर का स्वाद भी पसंद नहीं आया |
                                         नाश्ते में रोज ही इडली उत्पम ढोसा और कोई  उत्तर भारतीय खाने के विकल्प में से दक्षिण भारतीय ही खा रहें थे लेकिन पहला वाला छोड़ कर  कहीं का भी सांभर और रसम पसंद नहीं आया चाहे वो अच्छा होटल हो या सड़क पर कोई रेस्टुरेंट | हां ये था कि इडली उत्तपम आदि हमारे यहाँ के मुकाबले ज्यादा सॉफ्ट और स्वादिष्ट थे | होटल में नाश्ते में रोज वो केले से बना अलग अलग तरीके का मीठा पकवान रख रहा था | पहले दिन कैरेमल और मेवे के साथ रोस्टेड केले से बना कुछ मीठा रखा था ( नाम भूल गई ) वो बहुत पसंद आया लेकिन बाकी के दो दिन जो मीठा रखा गया उसमे  मजा ना आया | लाल वाले केले में लगा हमारी पसंद का स्वाद नहीं हैं | लेकिन नारियल को मिला कर बनाया पैन केक बहुत पसंद आया | उसमे सूखे नारियल और मेवें का स्टफिंग भी किया गया था | मीठे में तो बस हाथ लगा कुछ पसंद आया कुछ नहीं |
                                        कोवलम के समुन्द्र के किनारे में खोजते खोजते एक शाकाहारी रेस्टुरेंट में पुट्टु  मिला  पहले लगा कहीं सादा सा चावल और सांभर जैसा ना लगे , लेकिन चावल से बना भोजन ,  चावल का स्वाद नहीं दे रहा था बल्कि अपने आप में एक अच्छी अलग सी डिश लग रही थी | अप्पम बहुत खोजा नहीं मिला सब बोलते रहें कि दो दिन उसकी तैयारी में लगते हैं अभी नहीं मिलेगा | डोसा हर जगह उपलब्ध था और उसे जम कर खाया भी गया | बहुत कुछ खाया बहुत कुछ छूट भी गया , अभी तो बहुत सारी  जगह बची हैं अगली बार कसर पूरी कर ली जाएगी |
                                         बाकि मासांहारी में तो बीफ ,  डक , खरगोश जैसो के बारे में पहली बार अपने जीवन में , मेनू में पढ़ा | मुंबई में से मांशाहारी खाना परोसने वाले रेस्टुरेंट में चले जाते हैं कभी कभी और शाकाहारी खाते हैं | विश्वास रहता हैं कि कोई मिलावट नहीं होगी लेकिन पता नहीं क्यों वहां पर भरोसा ना हो रहा था | मुंबई की तरह जैन और मारवाड़ी लोग तो ना रहते थे ना वहां | लेकिन मेरी उम्मीदों से परे  वहां ढेर सारे मारवाड़ी , शुद्ध शाकाहारी भोजनालय मिल गए | कोवलम के उस समुन्द्र के किनारे भी जहाँ फिरंगी भरे पड़े थे और हर होटल के बाहर मछलियां सजा कर रखी गई थी , अपनी पसंद का चुन लीजिये वही पका कर खिलाएंगे |
                                     



पहले मुंबई का भी सांभर पसंद नहीं आता था लगता जो बात बनारस में हैं वो और कहाँ मिलेगी | अब सत्रह सालों में धीरे धीरे ये पसंद आने लगा हैं | कुछ चीजे खाते खाते ही पसंद आती हैं |

November 02, 2019

धर्म परिवर्तन का धर्म संकट ---------mangopeople



                                  कुछ अच्छे ईसाई नाम महिलाओं के बताइयें ,  नाम बिलकुल नए और अलग तरीके के होने चाहिए आम से नाम नहीं चलेंगे | साथ में कुछ अच्छे सरनेम भी हो तो फिर सोने पर सुहागा | क्या हैं कि धर्म परिवर्तन करने जा रहीं हूँ तो सोचा इस बार जब अपना नाम खुद ही रखना हैं तो फिर कुछ बहुत ही अच्छा और ख़ास नाम रखा जाए |
                                  हुआ ये कि जैसे ही कोच्चि पहुंचे जोरदार बारिश ने स्वागत किया , लगा कहीं पूरी छुट्टियां बर्बाद ना हो जाए | होटल जा कर पता चला बस शाम में बारिश हो रही हैं दिन साफ़ रहता हैं , ये सुन हमने भी शुक्र मनाया | बारिश ने मुन्नार के चाय बागानों को और भी सुंदर बना दिया और बारिश में पहाड़ी रास्ते से गुजरना सफर  हसीन बना गया |
                                 लेकिन जब कोवलम में नींद खुली तो स्वागत जोरदार बारिश और आंधी तूफ़ान ने किया | रिसोर्ट में चारो तरफ नारियल और फल जमीन पर गिरे पड़े थें और नारियल के पेड़ और झुके गिरे जा रहे थे | गूगल बाबा ने बताया दो दिन लगातार बारिश होने वाली हैं | सोचा कन्याकुमारी निकल  जाते हैं आज ,  लेकिन गूगल ने बताया वहां का भी वही हाल हैं | फिर खबर लगी दो दिन का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ हैं |
                                दोनों मम्मियों ने रोना रोया हमारे पैसे बर्बाद हुए , दोनों बच्चों ने रोना रोया सामने स्वीमिंग पूल हैं हम जा नहीं पा रहें हैं और दोनों मर्द लोग अब भी चुपचाप अपने अपने लैपटॉप फोन पर अपने काम में लगे थे उन्हें कोनो फर्क ही नहीं था |
                              तीन दिन से हर गलि , मोड़ , सड़क , चौराहे पर क्रॉस और वेटिकन वाले बाबा की मूर्ति और मंदिर का असर था या रिसोर्ट में उस समय वेटिकन वाले बाबा जी का हो रहा भजन का असर था कि भाई से कहा चार दिन बारिश ना हो तो (हमें अभी चार दिन और घूमना था इसलिए )  धर्म परिवर्तन कर लुंगी |
                             लो जी ये कहना था की घंटे भर में मेरी मन्नत ने ऐसा असर किया कि गूगल बाबा से लेकर मौसम विभाग सरकार सब फेल हो गए और बारिश बंद हो गई | बच्चे पिताओं के संग स्वीमिंगपूल में कूद पड़े और मैंने कहा कन्याकुमारी निकल लेते हैं | कल बारिश हो तो कहीं विवेकानंद रॉक  ना रह जाए | कन्याकुमारी भी घूम लिया कोवलम भी त्रिवेंद्रम और अलेप्पी भी और बारिश नहीं हुई चार दिन | गूगल की भविष्यवाणी और सरकार की चेतावनी के बाद भी |
                           पहले दिन से ही लगने लगा कि लो अब तो धर्म परिवर्तन करना ही पड़ेगा लेकिन अभी तो तीन , दो , एक दिन बाकी हैं का बहाना मारते रहें | लेकिन चारो दिन हमारी यात्रा ठीक ठाक बिना बारिश के विघ्न के संप्पन हो गई | अब तो कोई बहाना नहीं चलेगा और धर्म परिवर्तन तो करना ही पड़ेगा |

नोट - वैसे ठीक से याद करूँ तो मैंने ये कभी नहीं कहा था कि  किस धर्म में परिवर्तन करुँगी और कब करुँगी तो फिलहाल अपने मन का कोई धर्म आने तक जो अफीम चरस ना हो का इंतज़ार करने का समय हैं मेरे पास

October 30, 2019

ताश , जुआ और दिवाली पर निबंध --------mangopeople

                                       बात चार साल पहले के दिवाली की हैं , दिवाली की छुट्टियों में बिटिया को कहा गया था कि हिंदी में दिवाली पर एक निबंध भी लिखना हैं | दिवाली बिताने के बाद बिटिया ने पूछा क्या लिखूं निबंध में , मैंने कहा जो जो किया हैं सब लिख दो , दिवाली खूब  खरीदारी की , रंगोली बनाया , घर सजाया , लाइटें लगाईं , खूब तरह तरह के खाना खाया वही सब जो तुमने किया हैं |
                                     
                                       दो घंटे की अथक मेहनत के बाद बिटिया ने निबंध लिख कर रख लिया | स्कूल खुलने के दो दिन पहले मैंने कहा एक बार मैं देख लेती हूँ , स्पेलिंग जरूर गलत होगी , ठीक कर दूंगी ( हा  ठीक हैं मेरी स्पेलिंग भी गलत होती हैं लेकिन बच्चे की तो ठीक कर ही सकती  हूँ ) | शुरू के तीनो पैरा बिलकुल वैसा ही लिखा था जैसा मैंने कहा था लेकिन समापन इतना भयानक था कि अगर टीचर के हाथ लगता तो मम्मी पापा की स्कूल तक परेड हो जानी थी |
                                   
                                     असल में उसके एक साल पहले की दिवाली पर मैं अपने घर गई थी और दिवाली की रात खूब ताश की बाजियां हुई वो पैसों के साथ वाली  ,  बिटिया पैसा जीती उन्हें बड़ा मजा आया | इस दिवाली वो बोली उन्हें अपने दोस्तों के साथ भी खेलना हैं वही |  बिल्डिंग के मित्रो को रात में ताश , जुआ खेलने का न्यौता हमसे बिना पूछे पहले ही दे दिया गया था | रात तो तीनो मित्र पधारी तो हमें पता चला इनका कार्यक्रम | लगा पैसे की बाजी लगी तो बच्चों के परिवार वाले क्या सोचेंगे , कोई हार कर रोने लगा तो अलग मुसीबत | अब बिटिया और वो सब सादा ताश खेलने को तैयार नहीं , कोई जीत हार ना हुआ तो क्या मजा आएगा |
                                   
                                  तो मैंने  उपाय के तहत कहा चलो असली पैसे से नहीं बिजनेस वाला पैसा निकालों उससे खेलते हैं | मजा भी आएगा और किसी को कोई समस्या भी नहीं होगी | रात के बारह बजे तक जुए की बाजी चलती रही जब तक की एक के घर से उसका भाई बुलाने नहीं आ गया और यही सब बिटिया ने अपने दिवाली वाले निबंध में सविस्तार लिख मारा था |

                                  अब उसे समझाते ना बने कि जब ये खेला जाना  बुरा नहीं हैं तो निबंध में लिखा जाना क्यों बुरा हैं | फिर सविस्तार युधिष्ठिर का कथा व्यथा , मुसीबत दुष्परिणाम , छोटा जुआ बड़ा जुआ , स्वयं पर नियंत्रण आदि इत्यादि लम्बा चौड़ा प्रवचन के बाद सब ठीक ठाक हुआ  | बाद में हमें डर बना हुआ था कि कहीं बिटिया को मैंने ये तो ना सीखा दिया कि किया धरा सब जाता हैं बताया सब नहीं जाता |

                                  वैसे इस साल कुछ चालीस रूपया हार गई जुए में , पहली बार , वो भी कुल पतिदेव जीते  ये भी हुआ पहली बार , फिर उलाहना भी सुने इस बार इतनी किस्मत तेज थी तो बेकार में दो दो रुपये की चाल में व्यर्थ किया किसी कैसिनो में जा कर आजमाना था | सात रु लेकर बैठे थे और अस्सी  रुपये लेकर उठे , हजार की बाजी होती तो कितना जीत चुके होते | 

#मम्मीगिरि   

September 27, 2019

लिफ्ट , घुटनो का दर्द और मर्फी के नियम -------mangopeople


हम दूसरी मंजिल पर रहते हैं इतने सालों में भी लिफ्ट के उपयोग की आदत ना बनी | लिफ्ट का उपयोग तभी करते जब हाथो में भारी सामान हो | दो साल पहले तक जिस आदत को अच्छा मानते थे उसे फिजियोथेरेपिस्ट ने ना केवा ख़राब आदत घोषित कर दिया बल्कि उतरने चढने के लिए लिफ्ट का उपयोग करने की सलाह दे दी | अब अचानक से लिफ्ट के इंतज़ार में खड़े होने की आदत कहाँ से आती , तो सीढ़ियों का उपयोग जारी रहा लेकिन हील की सैंडिल के प्रेम ने लिफ्ट के दरवाजे दिखा दिए और शुरू हुआ हमारी ईमारत के एकमात्र लिफ्ट पर मर्फी का पता नहीं कौन से नंबर का नियम लागू होना |
१- हम अगर बाहर से आये तो लिफ्ट कभी भी ग्राउंड फ्लोर पर नहीं होती | वो सैकेंड से लेकर टॉप फ्लोर पर कहीं भी अटकी रहती हैं |
२- हम सैकेंड फ्लोर पर हैं तो लिफ्ट पक्का वहां नहीं होगी वो ग्राउंड या टॉप पर होगी या हमारे सामने से ऊपर जा रही होगी |
३- हम बाहर से आते हैं और लिफ्ट सामने खड़ी दिखती हैं जैसे ही उसकी तरफ बढ़ते हैं वो हमें लेने से पहले ही ऊपर की और चल देती हैं |
४- अगर हम इंतज़ार करे की चलो वो नीचे आयेगी फिर जायेंगे , तो वो पक्का टॉप फ्लोर तक जायेगी और कभी कभी तो हर फ्लोर पर रुकती हुई जाएगी |
५- ऊपर जाती लिफ्ट को देखकर जिस दिन हम सोचते हैं कि छोडो इंतजार क्या करे सीढ़ी से चढ़ जाते हैं तो लिफ्ट पक्का फर्स्ट फ्लोर पर ही हमारा इंतज़ार कर रही होती हैं |
६- जिस दिन हम सोचते हैं आज तो टॉप फ्लोर से बुला कर लिफ्ट से ही नीचे उतरेंगे चाहे कुछ हो जाये | उस दिन लिफ्ट जब दूसरी मंजिल पर हर मंजिल पर रुकते हुए आती हैं तो इतनी भरी रहती हैं कि उसमे समाया नहीं जा सकता हैं |
७- कई बार तो ऐसा होता हैं बिटिया को दौड़ा कर भेजते हैं जाओ लिफ्ट रोको मैं सामान ले कर आ रहीं हूँ तो उस दिन तो लिफ्ट ही बंद मिलती हैं , या तो ख़राब होगी या फिर मेन्टेन्स हो रहा होता हैं |
८- कभी कभी लिफ्ट के पास पहले से ही इतने लोग खड़े होते हैं और वो भी सबके सब सबसे ऊपरी मंजिल वाले की लगता हैं इनका जाना ज्यादा जरुरी हैं | अपना बोझा सीढ़ी से ही ढोना बेहतर हैं |
९- कभी कभी कचरे वाली अपने कचरे के गंदे डब्बे के साथ खड़ी मिलेगी लिफ्ट की इंतज़ार में | फिर लगेगा नाक बंद करके लिफ्ट से जाने से अच्छा हैं साँस फुला कर सीढ़ियों से चले जाए ज्यादा सही रहेगा |
१०- कभी उत्साहित बच्चों की भीड़ रहेगी और दो चार बुजुर्ग , तो आप को अपने नागरिक कर्तव्यों को याद करना होता हैं , पहले आप जाए , हमारा क्या हैं ईमारत में ये सीढियाँ हमारे लिए ही बनी हैं |
११ - कभी कभी लिफ्ट के बाहर इंतज़ार करती पहली मंजिल पर रहने वाली वो पड़ोसन मिलेगी जिसका वजन सवा सौ किलो से पाव भर भी कम ना होगा | उसके देखते ही वजन बढ़ने की चिंता इतने भयानक होती हैं कि मारों गोली घुटनों को , कम से कम सीढियाँ चढ़ उतर कर सौ दो सौ ग्राम वजन रोज तो बढ़ने से रोक ही सकते हैं | तो सीढियाँ जिंदाबाद |
१२ - फिर कभी सामने से लिफ्ट एकदम से हमारे सामने नीचे आती और रुकती दिखती हैं और हम पूरी तरह से ऊपरवाले को धनबाद , पटना दे ही रहे होते हैं कि उसमे से चिपकू बकबकिया पड़ोसन हमें देखते मुस्कराते निकलेंगी और अरे बड़े दिनों के बाद दिखी से शुरू होती हैं तो खड़े खड़े दस पंद्रह मिनट निकल जाते हैं | उतने के बीच लिफ्ट चार बार ऊपर नीचे कर लेती हैं और जब वो जाती हैं तो लिफ्ट भी उनके साथ ऊपर की और जाते देख मन मसोस हम फिर सीढ़ियों की शरण में होते हैं |

फिर इन तमाम तरह की दुश्वारियों से तंग आ कर हमने तय किया कि बस अब और लिफ्ट को भाव ना दिया जायेगा और उसकी जगह अपनी प्यारी हील के सैंडिलों की ही तिलांजलि दी जायेगी | बहुत जरुरत हुआ तो सैंडिल हाथ में लेकर सीढियाँ उतर जायेंगे और क्या 😁


September 25, 2019

छिछोरा कृष्ण -------mangopeople

                                         एक बार कृष्ण की  राधा से लड़ाई हो जाती हैं | राधा कृष्ण से नाराज हो उनसे बात करना बंद कर देतीं हैं | कृष्ण परेशान हो कर बार बार उन्हें मनाने का प्रयास करतें हैं  लेकिन राधा नहीं मानती हैं | अंत में  कृष्ण कहतें हैं ठीक हैं राधा तुम्हे  इतना मना रहा हूँ लेकिन तुम नहीं मान रहीं हो मैंने अपने तरफ से सभी तरह के प्रयास कर लिए अब तो एक ही काम बचा हैं कि तुम अपने पांव उठा कर मेरे सिर पर धर  दो और ऐसा कहते हुए बदमाश कृष्ण घाघरा पहनी हुई राधा के एक पांव को ऊपर उठा कर अपने सर के ऊपर  रख लेतें हैं | कृष्ण बदमाश क्यों , सोचिये घाघरा पहनी हुई किसी महिला का एक पांव उठा कर अपने सर पर रखेंगे तो आपके नेत्र क्या देखेंगे |
                                       
                                          गोपियाँ माता यशोदा से शिकायत करतीं हैं कि ये बदमाश कृष्ण यमुना से नहा कर निकल रहीं गांयों के बहाने  हम गोपियों की गिनती करता हैं उंगलियां दिखा दिखा आँखें मटकाते इशारे करते हुए  | ये इतना बड़ा बदमाश हैं कि गांयों के हांकने के लिए जो लाठी ले कर जाता हैं उसे पर अपने हाथ ऐसे उल्टा टिका कर ( हथेलियों की वह मुद्रा  जैसे हम हाथ से इशारा कर पूछते हैं कौन है जिसमे उंगलिया फैली होती हैं , अलपद्म कहते हैं उसे ) ऐसे खड़ा हो हमें घूरता हैं जैसे वो उन हांथो से हमारे उरोजो को तौल रहा हो | इसके अलावा हम शास्त्रीय नृत्यों में  कृष्ण और गोपियों के छेड़छाड़ के ना जाने कितने प्रसंग को देखतें हैं

                                          जब हम कृष्ण को प्रेम , ममता आध्यात्म , ज्ञान जैसी चीजों से जोड़ कर ही मात्र देखतें हैं तो इस तरह के गीत और प्रसंग कानों में शीशा घोल कर डाले जाने के समान लगते हैं | भरतनाट्यम के क्लास में जब इस तरह के प्रसंगो और गीतों को सुना तो हमने कहा मैम ये सब कृष्ण नहीं हैं | असल में ये लिखने वाले का अपना छिछोरा , गंदा दिमाग हैं जिसने कृष्ण के नाम पर  उलट कर उसे गीत काव्य भक्ति श्रृंगार कह दिया हैं | ये सब भक्ति के बाद रति काल में जन्मे कवियों की ये अपनी रति सोच हैं जिससे कृष्ण को रंग पर खुद की छिछोरी सोच को स्वीकारे जाने योग्य  बनाये जाने की चेष्टा की हैं |
#हेकृष्णा!