May 31, 2019

विकल्प हीनता का गणित -------mangopeople


                                                आज आप से ताकतवर गणित का एक खेल खेलते हैं और उसकी ताकत को बताते हैं | जिसका उपयोग हम अपने नीजि जीवन में अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए भी कर सकते हैं |  मुश्किल नहीं हैं सभी खेल सकते हैं | बस ईमानदारी से जल्दी जल्दी खेलियेगा |
                                                 एक से नौ के बीच का कोई नंबर सोच लीजिये अब उसे नौ से गुणा कर दीजिये | अगर जवाब दो डिजिट में हैं तो उन दो नंबरों को  जोड़ दीजिये और अगर सिंगल डिजिट में हैं तो उसे वैसे ही जाने दीजिये | अब उस नंबर से पांच घटा दीजिये | अब जो  नंबर बचा हैं उसे अंग्रेजी के अक्षर में बदल दीजिये जैसे 1 - A  , २ - B , 3- C , 4 - D , 5 - E आगे जो भी नंबर हो | अब आप के नंबर पर जो अक्षर आया हैं उससे दुनिया के किसी देश का नाम सोचिये | सोच लिया अब उस देश के नाम के आखिरी अक्षर से एक जानवर का नाम सोचिये | याद रखियेगा जानवर का नाम सोचना हैं पक्षी या जलीय जीव का नहीं | अब उस जानवर के नाम के आखिर अक्षर से एक रंग का नाम सोचिये |  सोच लिया ठीक हैं अब हम आप का मन पढ़ लेते हैं और बताते हैं आप का जवाब डेनमार्क , कंगारू और ऑरेंज हैं |  क्यों यही हैं ना !

                                              असल में मैंने आप को विकल्प हीन बना कर जानबूझ कर उसी जवाब के लिए मजबूर किया जो मैं पाना चाहती थी   |  एक से नौ तक की कोई भी नंबर लेकर उसे नौ से गुणा करने के बाद उन नंबरों को जोड़ेंगे तो जवाब नौ ही आएगा | उसमे से पांच घटाने पर जवाब चार होगा सभी लोगो का , चाहे उन्होंने कोई भी नंबर सोचा हो | अब चार नंबर से आप अंग्रेजी के D अक्षर पर पहुंचते हैं | खूब याद कीजिये D अक्षर से आप को एक ही देश का नाम याद आयेगा वो हैं डेनमार्क ( denmark )  | क्योकि D अक्षर से बहुत ही कम देशो के नाम हैं , गूगल कीजियेगा तो शायद दो और देशो के नाम मिल जायेंगे जिनके बारे में आप ने कभी सुना नहीं होगा  | अब डेनमार्क का आखिरी अक्षर हैं K , इस अक्षर से किसी जानवर का पहला नाम ज्यादातर की जुबान पर कंगारू ही आयेगा और कंगारू( kangaroo ) के आखरी अक्षर O से सबसे पहला रंग  ऑरेंज (orange) ही याद आयेगा | असल में आप के पास जवाब सोचने के लिए ज्यादा विकल्प ही नहीं थे और आप ने वही सोचा जो मैं चाहती थी |
                                                 मतलब साफ़ हैं यदि पति बाहर जा कर पनीर लाने को तैयार नहीं हैं और थकान का बहाना मार रहा हैं तो साफ पूछिये , पनीर ला रहे हो या लौकी पका दूँ | फिर देखिये कैसे घर में आप के पसंद की पनीर की सब्जी बनती है | पत्नी आप के मित्र के घर जाने के लिए तैयार नहीं होगी आप को पता है ,  लेकिन आप को जाना हैं ,आसान हैं | सुना आज मेरी बुआ ने और मित्र दोनों ने खाने पर बुलाया है तुम्ही बताओ किसके घर चले , जवाब होगा आप के मित्र के घर | हो गई ना आप के मन की |
                                                  ये विकल्प हीनता या खराब विकल्प का गणित बहुत की ताकतवर हैं | इतना ताकतवर की दुनियां के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशो  में से एक में दो दो बार किसी की सरकार भी बनवा सकती हैं | इसको हलके में ना लीजेगा इसका उपयोग कर सकते हैं घर में ऑफिस में स्कूल आदि आदि जगहों पर अपने मन की करवाने में |

नोट - हमें पता हैं हमारे मित्र लिस्ट में ढेर सयाने लोग भी हैं जो कहेंगे कि हमने तो कंगारू ना सोचा था हमने तो कोअला बेयर ( koala bear) सोचा था और रंग Ogre , Olive ऑलिव सोचा था | तो बताने की जरुरत ना हैं हमें बता हैं कांग्रेस को ५२ सीटे किनके वोट से मिली हैं |

May 28, 2019

जात तो पूछो साधू की -----mangopeople



                                                       मुंबई आकर मैंने पहली बार मजबूरी में अपना सरनेम अपने नाम के साथ लगाया , क्योकि यहाँ हर फार्म आदि जगहों पर सरनेम के लिए अलग कॉलम होता जिसको भरना अनिवार्य होता था |मेरे किसी भी डिग्री रिजल्ट आदि पर मेरा सरनेम नहीं हैं | मेरे बहुत सारे मित्र मेरा सरनेम नहीं जानते होंगे | लेकिन मै बहुतों का जानती थी क्योकि वो उसे अपने नाम में लगाते थे |
                                                       अपनी जाति उसकी जड़ों के बारे में इतनी अनिभिज्ञ थी की मुझे अभी छः साल पहले इसके बारे में  पता चला कि हम वैश्य जाति के निचे के तीन उपजातियों में हैं | क्योकि हमारे घर में हमारी या  किसी की भी जाति आदि पर कभी कोई बात बहस चर्चा आदि नहीं होती |हमारे यहाँ हमारे ही सरनेम में शादियां होती हैं क्योकि बड़ी जातिंया हमसे विवाह का रिश्ता रखती नहीं और हमसे नीचे वालों से हम नहीं रखतें | इस बात से अनजान हम अपनी बहनो का विवाह पुरे वैश्य समुदाय में खोजते रहें लेकिन कोई करने ना आया |
                                                     जाति से अनभिज्ञ रहने का ये फायदा हुआ कि हममे कभी किसी भी प्रकार की हीन भावना नहीं आई कि हम अपने जाति में सबसे नीचे हैं और ना कभी किसी बड़ी जाति वाले को इसके लिए चव्वनी का भी भाव दिया | हमें कभी लगा ही नहीं की ऊँची जाति का होना कोई इतना ख़ास हैं कि व्यक्ति को अलग नजर से देखा जाये | ना कभी सोचा कि  ऊँची या नीची या किसी के भी सरनेम से हिसाब से व्यवहार किया जाए |
                                                       बहुतों ने सरनेम ना होने पर हमारा पूरा नाम जानने की खूब चेष्टा की और वो हमारी जाति जानना चाह रहें हैं को भले से समझ हमने सीधा कहा जो जानना चाह रहें हैं साफ पूछे क्योकि पूरा नाम तो वही हैं जो बता रहें हैं | बिंदास उन्हें अपनी जाति बताई बिना किसी हीनता के | शायद उन लोगों ने हमारे लिए कोई ग्रंथि पाली होगी , हो सकता हैं अप्रत्यक्ष रूप से कुछ टिप्पणियां भी पास की होंगी लेकिन हम इन सब से अनजान रहें , क्योकि ये चीज हमारे जीवन के लिए कोई मायने ही नहीं रखती थी |तुम खुद को मुझसे बड़ा समझ मुझे कमतर समझ रहे हो या मुझे बड़ा समझ मेरी सामान्य बातों को जाति सूचक समझ अपने पर कटाक्ष समझ रहें हो तो ये तुम्हारी समस्या हैं मेरी नहीं |
                                                      कहने का अर्थ सिर्फ इतना हैं कि बच्चो के मन में अपनी जाति, धर्म, सरनेम, लिंग, आदि के लिए कभी कोई भी किसी भी तरह का हीन या गर्व की  भावना नहीं पनपने देना चाहिए | मैं हमेशा मानती हूँ कि यदि हम किसी भी प्रकार से निचले पायदान पर है तो हमें हमेशा आगे बढ़ने के बारे में ऊँचा उठने के बारे में सोचना चाहिए | ना कि अपनी ऊर्जा समय और पुरुषार्थ इस बात में व्यर्थ करना चाहिए कि किसके कारण हम इस स्थिति में हैं किन लोगों ने हमें इस सामाजिक स्थिति में रखा हैं , कौन हमें किस नजर से देख रहा हैं हमें क्या समझ रहा हैं  | ये बाते हमें कमजोर बनाती हैं अपने लक्ष्य की ओर जाने में रुकावट बनती हैं और मानसिक तनाव भी देती हैं |
                                                       महाराष्ट्र की डॉक्टर पायल की आत्महत्या के बारे में पढ़ कर बहुत दुःख हुआ | क्या वाकई जाति सूचक गाली या किसी भी प्रकार का कटाक्ष उत्पीड़न इतना बड़ा हो सकता था कि इतनी पढ़ी लिखी लड़की आत्महत्या कर ले |मै वामपंथी और दलित विचारधारा वालों से इसलिए भी पसंद नहीं करती क्योकि वो इस हीनता को किसी दलित पिछड़े के मन  से जाने नहीं देते हैं | दलित पिछड़े को बार बार उसकी जाति की याद दिलाना उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन देने की जगह ये बताना की तुम्हारी स्थिति के लिए कौन दोषी हैं , आगे बढ़ने की जगह ब्राह्मणवाद को कोसने में अपनी ऊर्जा लगाने के लिए मजबूर करतें हैं |ऊँची जाति का होने का गर्व जितना बुरा हैं उतना ही बुरा नीची जाति की हीनता भी हैं | ये बातें हमारा ही नुकशान करती हैं हमें पीछे खींचती हैं |

May 25, 2019

दुर्घटना से बचाव भला ---------mangopeople

                                   
                                             निर्भया केस के बाद मैं जब बिटिया के स्कूल जा कर बस उनके ड्राइवर आदि के बारे में जानकारी लेने लगी तो नर्सरी की प्रिंसपल ने कहा आप बेकार का पैनिक हो रहीं हैं | जब अपना घर बनवाया तो मुंबई में सबके घरो की तरह अपने घर में भी ग्रिल लगवाया लेकिन एक सबसे पीछे के ग्रिल में खिड़की बनवाई ताकि कभी आग आदि लग जाए तो आसानी से बाहर निकला जा सके  | पडोसी कहने लगे इतना क्या आगे का सोचना | अभी कुछ  साल पहले फायर सेफ्टी वाले आ कर बिल्डिंग की  सीढ़ियों के आगे के जालीदार हिस्सों को तोड़ कर खुला रखने को कहा | वो करने में भी सालो लगे |

                                                 हमारे घर , स्कूल , ऑफिस आदि  आग जैसी दुर्घटनाओं के हिसाब से खतरनाक हैं | हमने कभी कुछ नहीं किया ना कभी सुरक्षा के उपकरण रखे ना कभी स्कूल ऑफिस  को इसके लिए टोक | बच्चो को कभी ऐसी दुर्घटनाओं के लिए बचने के उपाय नहीं बताये | ऐसे समय में क्या करना चाहिए नहीं सिखाया |
                                              हम खुद कुछ ना करते हैं ना करना चाहते हैं  लेकिन दुसरो को दोष देना हमें खूब आता हैं | अपनी गलती के लिए भी हम दुसरो को दोष देतें  हैं |  फायर डिपार्मेंट से लेकर हम हमारे घरों में लगी आग के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को दोषी ठहरा देते हैं |  कुछ भी ना बदलेगा यदि हमने अपना रवैया नहीं बदला | एक के बाद दूसरी दुर्घटनाए ऐसे ही होती रहेंगी |

May 01, 2019

मईदिवस ---------- mangopeople




१- काम करने का कोई निर्धारित घंटा नहीं हैं

२- २४*७ डियूटी पर तैनात

३- पहले से निर्धारित काम के साथ ही कभी भी ओवर टाइम के लिए तैयार रहने की उम्मीद

४- अपने काम के साथ ही दुसरो के काम की करना

५- काम करने का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं , कुक , सफाईकर्मी ,  डॉक्टर , नर्स , शिक्षक, ड्राइवर , इंजिनियर , आया , काउंसलर आदि इत्यादि दुनियां में जितने भी प्रोफेशन हैं सब कार्य

६ - कार्य करने का कोई निर्धारित एरिया नहीं  घर  के अंदर  बाहर सभी काम करने की शर्त

७ - शारीरिक और मानसिक दोनों कार्य करने की योग्यता और काम से भावनात्मक लगाव की सबसे बड़ी शर्त

८ - साल में कोई छुट्टी नहीं

९ - कोई वेतन बोनस नहीं , साल के ३६५ दिन काम बिना किसी वेतन के

१० - सिर्फ खाने कपडे और छत की शर्त पर काम * ( कंडीशन अप्लाई ) , लेकिन किसी भी चीज पर आप का हक़ नहीं | ये सब कभी भी बिना नोटिस छिना जा सकता हैं

११ - ये सब करने के बाद भी ताने की घर बैठी हैं कुछ काम नहीं करती घरेलु हैं |

१२ - सरकारे भी इन्हे अनप्रोडक्टिव  नागरिक के तौर पर देख इन्हे भिखारियों की श्रेणी में रखती रही हैं |

१३ - ये सब करने के बाद भी शारीरिक और मानसिक प्रताणना और मौत होने तक अमानवीय पिटाई आम बात |

इनकी हालत मजदूरों से भी बत्तर हैं | अनपढ़ो को छोड़ दीजिये पढ़े लिखे लोग अपना मन टटोले वो घर में काम करने वाली महिलाओं को कितना सम्मान देतें हैं उनके लिए कैसी सोच रखते हैं |

#मईदिवस