January 20, 2020

वो बस आपको थका रहें हैं -----mangopeople

बॉक्सिंग के फ़ाइनल मैच की तैयारी नए खिलाडी को एक ऐसे बॉक्सर के खिलाफ करनी थी जो बहुत आक्रमक था अपने प्रतिद्वंदियों के प्रति | उसकी भाव भंगिमा उससे भी ज्यादा आक्रमक थी | मैच होने से पहले ज्यादा चिल्लाता और उसके बाद भी |
 सुरक्षात्मक खेलना सही ना होता क्योकि लाख बचाव के बाद भी एक एकाध मुक्का  लग ही जाना था | तय हुआ आक्रामक खेल का जवाब और आक्रमक हो कर देना होगा | मैच शुरू हुआ और ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया गया , लेकिन ये क्या हुआ जो बॉक्सर अभी तक आक्रमक था वो अचानक बचाव की मुद्रा में आ गया | वो मारने के बजाय खुद को बचाने में ही व्यस्त था |
नए खिलाड़ी का और उत्साह बड़ा और उसने और हमला तेज कर दिया | अब तो उसने बचाव की जगह  अपने प्रतिद्वंदी से दूर भागना शुरू कर दिया | वो एक भी हमला नहीं कर पा रहा था | नए खिलाड़ी को जीत की उम्मीद दिखने लगी | अब वो उसकी तरफ भाग भाग कर हमला  कर रहा था | उसके मुक्के लग नहीं रहें थे नामी खिलाड़ी को क्योकि वो सिर्फ बचाव में व्यस्त था लेकिन नया खलाड़ी उम्मीद कर रहा था प्रयास करते करते मार ही लेगा |
मैच ख़त्म होने में कुछ ही समय था कि नामी खिलाड़ी रुका ध्यान केंद्रित किया और एक जोरदार मुक्का अपने प्रतिद्वंदी को दे दिया | नया खिलाड़ी हमला कर कर के और उसके पीछे भाग भाग कर इतना थक चुका था कि उस एक मात्र प्रहार का बचाव भी ना कर सका और नॉक आउट | लोगों ने नामी खिलाडी के उस चालाकी की खूब तारीफ की कि कैसे उसने पहले खिलाडी को खूब  थकाया , छकाया और फिर आखिर में एक पंच में मैच जीत लिया | नए खिलाड़ी के समर्थक भी उसे कोसने लगे इतना हमला किया , क्या फायदा एक भी ढंग का मार ना सका , बेकार था वो |

CAA और NRC को लेकर भी कुछ ऐसा ही मैच चल रहा हैं | अभी तक NRC को संसद में पेश तक नहीं किया गया हैं यहां तक कि उस पर कैबिनेट में चर्चा तक नहीं हुई हैं |  मोदी ने सही कहा था उसकी चर्चा तक नहीं हुई हैं | किसी भी बिल को संसद में रखने के पहले केबिनेट में चर्चा की जाती हैं वहां से मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश होता है , बहस होती हैं , पास होता हैं फिर कहीं जा कर कानून बनता हैं | किसी के घोषणापत्र में होने और गृहमंत्री का संसद या बाहर कहना की कानून बनेगा इस पर,  का कोई महत्व नहीं होता हैं | ऐसी घोषणाएँ तो मंदिर वही बनाएंगे जैसा भी हुआ था लेकिन संसद और सरकार कुछ नहीं कर पाई |  निर्णय उसी कोर्ट से आया जहां से उसका आना तय था , लेकिन नारों का प्रयोग कर उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया |
   NRC आएगा की घोषणा बार बार लगातार करके लोगों में उसका खौफ पैदा किया गया | जानबूझ कर CAA के साथ ये सब किया गया और क्रोनोलॉजी भी संमझायी गई ताकि लोग आक्रमक हो विरोध करे उन कानूनों का जिसमे से एक उन पर लागु ही नहीं होता और दूसरा तो अभी तक बना ही नहीं |
ऐसे किसी भी कानून को आप कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकतें जो अभी तक बना ही नहीं | आप विरोध करते रहिये कोई उस पर ध्यान भी नहीं देगा | क्या किसी ने भी देखा की शाहीन बाग़ और उसके जैसे दूसरे आंदोलनों को रोकने के लिए किसी भी प्रकार की दिलचस्पी सरकार ने दिखाई हो | अब कोर्ट के कहने पर खानापूर्ति की जा रही हैं और आगे भी जो किया जाएगा वो सब कोर्ट के नाम पर और आम लोगों के परेशानी के नाम पर किया जाएगा |
सरकार की मंसा इसे और लंबा खींचने की हैं ताकि आम जनता सड़क बंद होने रोज रोज के विरोध प्रदर्शन से इतनी परेशान हो जाए कि वो धीरे धीरे आंदोलनकारियों के खिलाफ हो जाए | विरोध करने वाले के अव्यवस्थित होने , कानून का पालन ना करने , हिंसक होने जैसी मान्यताएं समाज में पहले से प्रचलित हैं , ऐसा विरोध उन्ही मान्यताओं को और पुख्ता करेगा | उन आम लोगों में जो राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं लेते , जो  मात्र वोटर हैं ,  वो  NRC का विरोध करने वालों के खिलाफ होतें जायेंगे ये सोच कर कि जो कानून बना ही नहीं उसका विरोध क्यों हो रहा हैं अभी से | जबकि दूसरा कानून उन पर लागू ही नहीं  होता हैं | सरकार के समर्थक तो पहले ही उनके विरोध में हैं |
सरकार विरोध करने वालों को सिर्फ थका रही हैं और इस बात का इंतज़ार कर रही हैं कि कब आप बेवजह का , समय से पहले वार कर कर के थक कर पस्त जाए , उस दिन वो अपना पंच मारेगी | विरोध कर और  उसका कोई नतीजा , असर ना निकला देख कर विरोध करने वाले भी , जिस दिन कानून आयेगा , उस दिन  सिर्फ निराश हताश हो कर कागजों के लिए दौड़ भाग करेंगे विरोध नहीं | और आज का विरोध उन लाखों करोड़ों को उनके खिलाफ कर चुका होगा जो शायद कानून लागू होने के समय उनका साथ देने के लिए सड़क पर आ सकते थे , क्योकि परेशानियां तो उस कानून से उन्हें भी होंगी | लेकिन तब तक ये विरोध एक धार्मिक रंग ले चुका होगा , जनता के लिए परेशानी का कारण हो चूका होगा और विरोध करने वालों में शायद निराशा भर चुका होगा | 

No comments:

Post a Comment