tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post2447458111030731430..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: पीड़ित कौन और मांफी देने वाला कौन - - - - mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-61249292068900045082012-07-14T21:57:38.479+05:302012-07-14T21:57:38.479+05:30राधारमण जी
आप ने इस बात को स्वीका...राधारमण जी<br /> आप ने इस बात को स्वीकार किया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद , वरना तो कोई इस बात को स्वीकार कारने के लिए भी तैयार नहीं है | मै यहाँ उन लोगों की बात नहीं कर रही हूं जो सच में अपनी गलती मान कर मांफी मंगाते है मै तो उनकी बात कर रही हूं जो मांफी का नाटक करते है सिर्फ अपने स्वार्थो के लिए , समय सभी को खुद बता देंगे की किसकी मांफी में कितनी सच्चाई है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-48745744044692514202012-07-14T21:53:38.358+05:302012-07-14T21:53:38.358+05:30मेरी पोस्ट के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद ! अब ...मेरी पोस्ट के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद ! अब फिर से २०१४ के लिए प्यांदो बिठाये जा रहे है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-5783217373823398662012-07-13T22:48:54.059+05:302012-07-13T22:48:54.059+05:30अंशु जी कानून सबके लिए बराबर है। लेकिन मानवीयता की...अंशु जी कानून सबके लिए बराबर है। लेकिन मानवीयता की परिभाषा और आधार सबके लिए अलग अलग हो सकते हैं। तो होना यह चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय में दी गई सजा ही अंतिम मानी जाए।<br />क्योंकि राष्ट्रपति अंतत: एक व्यक्ति है अगर उसे मानवीय आधार पर फैसला करना है तो वह अपनी परिभाषा से करेगा न कि किसी अन्य की। <br />और जहां तक मानवीय दृष्टिकोण की बात है तो हर अपराधी अपराधी है, उसमें फांसी की सजा पाए और न पाए में अंतर क्यों किया जाए। <br />सवाल यह भी है कि आखिरकार सजा का उद्देश्य क्या है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-15322093947038713202012-07-12T12:29:39.102+05:302012-07-12T12:29:39.102+05:30पहले पैरे की कहानी को यदि मैं ठीक समझ रहा हूं,तो म...पहले पैरे की कहानी को यदि मैं ठीक समझ रहा हूं,तो माफी की सराहना करने वालों में मैं भी था। निर्णय मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार ही लिए जाते हैं और जब कोई माफी मांगता है,तो उसपर तत्काल यक़ीन करना ही पड़ता है। आखिर,हम सब यही चाहते हैं कि अपराधी सुधर जाए। माहौल को अनुकूल बनाकर ही ऐसे व्यक्ति को सुधरने का अवसर दिया जा सकता है। लिहाजा,पीड़ित पक्ष को भी इसका स्वागत करना चाहिए। ध्यान रहे कि माफी दिए जाने के बाद भी कौन सुधरा-नहीं सुधरा,यह जानने का कोई स्पष्ट पैमाना नहीं है। बहुधा,यही देखा गया है कि स्वयं पीड़ता भी माफ कर दे,तब भी उसके मन से बात मिटती नहीं है। <br /><br />माफी मांगने से अपराध कम भले न होता हो,मगर बगैर दंडित हुए भी अपराधी दंडित और लज्जित महसूस करता है,इसीलिए तो वह माफी मांगता है।<br /><br />समाज से माफ़ी मांगने का एक अर्थ यह होता है कि व्यक्ति के भीतर न सिर्फ अपराध-बोध है,बल्कि वह यह भी मानता है कि उसके अपराध से केवल प्रत्यक्षतः पीड़ित व्यक्ति ही नहीं,समाज के अन्य लोग भी आहत हुए हैं। अपराधी और पीड़ित- दोनों समाज का हिस्सा हैं,अतः,समाज से माफी मांगना सिर्फ पीड़ित से माफी मांगने से वृहत्तर है। सिख समुदाय में,जब किसी को दंड देना होता है,तो उसे किसी की व्यक्तिगत सेवा में लगाने की बजाए,सामुदायिक सेवा में लगाया जाता है,जैसे-सबके जूते साफ करना आदि।<br /><br />निचली अदालतें भ्रष्टाचार का शिकार हैं। जो ऊपरी अदालत तक जाने का साहस जुटा पाए हैं,उनके लिए अदालती फैसला ही अंतिम होना चाहिए।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-83207305341648325952012-07-10T10:13:24.708+05:302012-07-10T10:13:24.708+05:30बडे दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ी। मुद्दा सही ही उठाया...बडे दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ी। मुद्दा सही ही उठाया है कि मानवता के नाम पर कब तक इस तरह की बातों को सहन किया जायगा लेकिन जब पर ही ऐसी शख्सियत अपनी काबलियत की बल पर नहीं बल्कि किन्हीं अन्य वजहों से चुन कर रखा गया हो तो इस तरह के फैसलों से इन्कार नहीं किया जा सकता। शतरंज के प्यादे कभी कभी जान बूझकर गलत जगह रखे जाते हैं ताकि आगे की चाल मनमाफिक रहे।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-5209442873276864022012-07-09T22:21:28.577+05:302012-07-09T22:21:28.577+05:30जंगल के कानून की सहमती इसलिए नहीं है क्योकि यहाँ भ...जंगल के कानून की सहमती इसलिए नहीं है क्योकि यहाँ भी पावर वालो का ही बोलबाला होगा और निर्दोष ज्यादा सजा पाएंगे | आप के जैसा सोचने वाले बहुत से है संभव है की कोई मेरे अपने का अपराधी सजा ना पा सके ओ मेरा विचार भी ऐसा ही हो जायेanshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-85756254991928581082012-07-09T22:18:27.595+05:302012-07-09T22:18:27.595+05:30देश में जिस भी व्यक्ति को फांसी की सजा होती है उसक...देश में जिस भी व्यक्ति को फांसी की सजा होती है उसका केस सर्वोच्च न्यायालय से होते हुए ही और वहा भी दुबारा अपील के बाद ही राष्ट्रपति के पास आता है मतलब की क़ानूनी रूप से गलती की कोई जगह नहीं होती है फिर राष्ट्रपति किस कानून के आधार पर उसे माफ़ी देता है , जहा तक मेरी जानकारी है वो मात्र मानवीय आधार है , क्या फांसी की सजा पाये अपराधियों को प्रति कोई मानवीय दृष्टिकोण रखना चाहिए, फिर सिर्फ इसलिए की कुछ कट्टरवादी लोग भी इस केस में खड़े हो सकते है तो क्या हमें गलत को गलत कहने से रुक जाना चाहिए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-354478441416238542012-07-09T22:12:13.490+05:302012-07-09T22:12:13.490+05:30सहमती के लिए धन्यवाद !सहमती के लिए धन्यवाद !anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-86119010632188098192012-07-09T22:11:44.140+05:302012-07-09T22:11:44.140+05:30हा ये सही है की पैसे और पावर हर चीज को प्रभावित कर...हा ये सही है की पैसे और पावर हर चीज को प्रभावित करता है किन्तु यदि हम हा किसी को कानून खुद हाथ में लेने का अधिकार दे दे लोगों को सजा देने का धिकार दे दे तो समाज में फिर रहना मुश्किल हो जायेगा क्योकि यहाँ तो हर दूसरा किसी ना किसी के नजर में अपराधी है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-58647496232372791882012-07-09T00:09:44.316+05:302012-07-09T00:09:44.316+05:30अपराध किया है तो सजा मिलनी ही चाहिए, इस विषय पर मै...अपराध किया है तो सजा मिलनी ही चाहिए, इस विषय पर मैं पहले भी कह चुका हूँ कि वर्त्तमान में कई निर्णय ऐसे हुए हैं कि जंगल का क़ानून ही ठीक लगता है| आप तो खैर असहमत हो ही चुकी हैं पहले, लेकिन देख रहा हूँ कि ऐसा सोचने वाला मैं अकेला नहीं ही हूँ| फिर दोहराता हूँ, जब तक गुनाहगार को धर्म, जाति और जेंडर या क्लास के तौर पर देखा जाता रहेगा, ये सब चलता रहेगा|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-21404879207777361532012-07-07T21:53:01.788+05:302012-07-07T21:53:01.788+05:30इस तरह के विषयों पर विमर्श करते हुए हमें इस बात का...इस तरह के विषयों पर विमर्श करते हुए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि उसका संदर्भ क्या है और किन बातों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिए गए हैं। अगर हम वह नहीं जानते हैं तो केवल सतही टिप्पणी करना कोई अच्छी बात नहीं है। बल्कि इससे कुछ कट्टर विचारधारा वाले लोगों को अपनी बात कहने का मौका मिलता है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-38618112204821693982012-07-07T07:26:34.343+05:302012-07-07T07:26:34.343+05:30आपने सही लिखा है। यह दुर्भाग्य है हमारा जो इस तरह ...आपने सही लिखा है। यह दुर्भाग्य है हमारा जो इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।दिनेश शर्माhttp://www.phalgutirth.co.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-8156227942765667112012-07-07T00:15:02.673+05:302012-07-07T00:15:02.673+05:30मेरी सोच के मुताबिक हर अपराध के लिए सजा तो होनी ही...मेरी सोच के मुताबिक हर अपराध के लिए सजा तो होनी ही चाहिए। तभी सही न्याय होगा। हाँ सजा कैसी हो यह अपराध के आधार पर तय होनी चाहिए। मगर माफी हर लिहाज से गलत है, जब तक पीड़ित बिना किसी दबाव के अपराधी को माफ न करदे किसी और को उसे माफ करने का कोई अधिकार नहीं ,मुझे तो कभी-कभी यह कानून व्यवस्था भी पसंद नहीं आती हालाकी वह भी ज़रूर है। मगर कभी-कभी लगता है की शायद सही निर्णय तभी हो सकता है। जब पीड़ित खुद अपने हाथों से अपराधी को मौकाय वारदात पर ही सजा दे डाले। मैं जानती हूँ यह बहुत ही गलत विचार है और शायद बहुत हद तक अकर्मक भी,मगर जिस तरह की कानूनी व्यवस्था आज कल देखने को मिलती है। जिसमें सिर्फ पैसे और पावर का बोल बाल है। तो उस समय मुझे ऐसे ख्याल स्वतः ही आते है।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-19448491936305359712012-07-06T23:51:00.820+05:302012-07-06T23:51:00.820+05:30क्या आप जानती हैं जिनको माफ़ी दी गयी हैं उन में से ...क्या आप जानती हैं जिनको माफ़ी दी गयी हैं उन में से एक पहले ही नरक सिधार चुका हैं<br /><br />one of the persons has already died who was in the list of pratibha patil whom she pardonedरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-63872752584793400372012-07-06T22:40:41.999+05:302012-07-06T22:40:41.999+05:30धन्यवाद !धन्यवाद !anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-10319472491253796782012-07-06T22:40:08.233+05:302012-07-06T22:40:08.233+05:30माफ़ी के पीछे राजनीति वाली बात तो पता थी किन्तु ये ...माफ़ी के पीछे राजनीति वाली बात तो पता थी किन्तु ये एन जी ओ वाली तो आप ने मुझे नई जानकारी दी धन्यवाद ! पर जानकारी भयानक है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-33079941847418145372012-07-06T22:38:27.346+05:302012-07-06T22:38:27.346+05:30समाज तो अपने फायदे के हिसाब से सभी को माफ़ी देने को...समाज तो अपने फायदे के हिसाब से सभी को माफ़ी देने को तैयार है मुझे लगता है की माफ़ी उसे मिलनी चाहिए जो सच में प्रायश्चित कर रहा है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-64504946155001401142012-07-06T22:37:11.405+05:302012-07-06T22:37:11.405+05:30मेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद !मेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद !anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-8327077592889190122012-07-06T18:58:11.970+05:302012-07-06T18:58:11.970+05:30आजकल कैपिटल पनिशमेंट के विरुद्ध एक मुहिम सी चल पड़...आजकल कैपिटल पनिशमेंट के विरुद्ध एक मुहिम सी चल पड़ी है...और कई बार तो ये होता है कि सजायाफ्ता कैदी (जिसमे बड़ी माफिया के सरगना शामिल रहते हैं) के पैसों से ही कुछ NGO चलते हैं...जो फांसी की सजा के विरुद्ध अपील करते हैं...और मुहिम चलाते हैं.<br />माफ़ी दिलवाने के पीछे एक बहुत बड़ी राजनीति काम करती है...और लोगों के अपने अपने इंटरेस्ट होते हैं..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-1763946122471995762012-07-06T10:48:34.833+05:302012-07-06T10:48:34.833+05:30राष्ट्रपति या समाज को माफी तभी देनी चाहिए जब कि स...राष्ट्रपति या समाज को माफी तभी देनी चाहिए जब कि स्वयं व्यक्ति और समाज इसके लिए तैयार हो।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-57120493503948168602012-07-06T08:40:19.236+05:302012-07-06T08:40:19.236+05:30हाँ - सामाजिक न्याय के सम्बन्ध में तो बहुत सटीक है...हाँ - सामाजिक न्याय के सम्बन्ध में तो बहुत सटीक है आपकी बात | सच ही - किस basis पर माफियाँ बांटी गयीं यह पूछने के अधिकार देश को, और खास तौर पर उन बलात्कारियों और हत्यारों के victims के परिवारजनों को होना चाहिए |<br /><br />ब्लॉग जगत के बारे में bhi आपकी बात से सहमत हूँ |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-82488102780828847442012-07-05T19:55:36.112+05:302012-07-05T19:55:36.112+05:30आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/blog-post_05.html" rel="nofollow">आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद ! </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-35175795760136874252012-07-05T17:08:14.865+05:302012-07-05T17:08:14.865+05:30दीपक बाबा जी को दी प्रति टिप्पणी से आप के सवाल का ...दीपक बाबा जी को दी प्रति टिप्पणी से आप के सवाल का जवाब भी अब शायद मिल गया होगा |<br />जहा तक बात आप ने ब्लॉग जगत की की है तो मुझे लगता है की इसमे कुछ भी अनोखा नहीं है ये सब तो पूरे समज में होता है फर्क इतना है की कुछ चीजे हमरी पीठ के पीछे चलाती है जिसे हम नहीं देख पाते है किन्तु यहाँ तो सब लिखित में है और हर व्यक्ति उसे पढ़ सकता है इसलिए इतना खुल कर हम सभी को पता चला जाता है | हा शुरू में मुझे भी लोगो के कुछ विचार देख कर बिल्कुल धक्का सा लग जाता था किन्तु अब लगता है की अच्छा ही है मै अब समाज और लोगो की सोच को ज्यादा अच्छे से जानती हूँ |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-72092587573882334082012-07-05T17:02:34.020+05:302012-07-05T17:02:34.020+05:30मैंने तो बस राष्ट्रपति की माफ़ी के कारण पोस्ट को लि...मैंने तो बस राष्ट्रपति की माफ़ी के कारण पोस्ट को लिखा और सामजिक रूप से लोगो को माफ़ी का नाटक करते और लोगो के माफ़ करते देख दोनों खबरों को जोड़ा है , आप ब्लॉग जगत को छोड़ बस मुद्दे पर टिप्पणी कर सकते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-79038687665645150512012-07-05T16:51:14.834+05:302012-07-05T16:51:14.834+05:30प्रतुल जी
धन्यवाद !
सम्राट अशोक ने जब हि...प्रतुल जी<br /> धन्यवाद !<br />सम्राट अशोक ने जब हिंसा का मार्ग त्याग कर प्रयाश्चित करने का सोचा तो जुबानी खर्च माफ़ी मांगने की जगह जमीनी रूप से उसे करता रहा, बाकि का जीवन बुद्ध के अहिंसा के मार्ग का प्रचार कर जो आज भी सैकड़ो सालो के बाद भी हमारे सामने उसके सच्चे प्रायश्चित को दिखाता है बाकि आज क्या हो रहा है ये सभी पाठको की टिप्पणी से ही पता चला जाता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com