tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post3102458039855322520..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: काश होती मै लता मंगेशकर - - - - - mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-42471037514531898812011-06-26T17:57:06.384+05:302011-06-26T17:57:06.384+05:30aapki vyatha samjh sakti hu..ye hal sirf mumbai me...aapki vyatha samjh sakti hu..ye hal sirf mumbai me hi nahi hai vikas ki rah par chal rahe chhote shaharon ki bhi yahi kahani hai. betarteeb nirman katate ped dooshit hawa...kabhi indore ka bhi hal bayan karoongi...aapse prerna le kar..abhar..kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-81014206671233449632011-06-26T13:38:41.621+05:302011-06-26T13:38:41.621+05:30मुंबई में तो कुत्ता भी अपनी पूंछ दाये बाये नहीं ऊप...मुंबई में तो कुत्ता भी अपनी पूंछ दाये बाये नहीं ऊपर निचे हिलाता है |<br />sari bat ek is line me hi likh dali aapne .sach me bahut dukh hota hai ki shahrikaran ke chakkar me paryavaran ka to satyanash hi ho gaya hai .achchha vyangyatmak aalekh .aabharशिखा कौशिकhttps://www.blogger.com/profile/03372296358939070553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-68623267216049267402011-06-26T03:55:28.634+05:302011-06-26T03:55:28.634+05:30अच्छा आलेख! मुझे तीन विकल्प दिखते हैं -
1. सब लोग ...अच्छा आलेख! मुझे तीन विकल्प दिखते हैं -<br />1. सब लोग एकसाथ आम से खास बन जायें।<br />2. आम, खास, और खासुलखास का अंतर कम किया जाये<br />3. नगर नियोजन में अधिक नागरिकों की आवाज़ शामिल हो <br /><br />अमेरिका में बडे-बडे नगर भी छोटी नगरपालिकाओं में बंटे हैं और नगर नियोजन सहित सभी मुद्दों पर टाउन हाल सभायें होती हैं और लोग उनमें भाग लेकर अपना पक्ष रखते हैं और निर्णयों में शामिल होते हैं। न्यू योर्क के मुख्य बाज़ार से लगा हुआ विशाल केन्द्रीय पार्क इस बात का उदाहरण है कि भू-माफिया की गिद्ध दृष्टि वहीं चलती है जहाँ चलाने की छूट दी जाती है। <br /><br />भविष्य? वह क्या चीज़ है?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-48424860317187446192011-06-24T21:51:29.354+05:302011-06-24T21:51:29.354+05:30आपकी पोस्ट पढकर लगा कि बेचारा कुत्ता मुंबई में दा...आपकी पोस्ट पढकर लगा कि बेचारा कुत्ता मुंबई में दायें बाएं पूंछ तो हिला ही नहीं पा रहा,अब ऊपर नीचे भी नहीं हिला पायेगा.उसकी दुम<br />सीधी ही रहेगी और कहावत हो जायेगी 'बारह साल बिना नली में रख्खे ही कुत्ते कि दुम सीधी की सीधी'.<br />आप अभी तक मेरे ब्लॉग पर क्यूँ नहीं आयीं?<br />आकर 'सरयू' स्नान कीजियेगा न.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-53096356774093024082011-06-24T11:25:45.406+05:302011-06-24T11:25:45.406+05:30शहर के महानगर बनने से हमारे शहर के बाशिंदे भी इस...शहर के महानगर बनने से हमारे शहर के बाशिंदे भी इसी समस्या से गुजर रहे हैं ...<br />पर्यावरण की रक्षा के साथ शहर का विकास हो , क्या इस तरह की योजनायें नहीं बना सकती सरकारें ??वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-31794964066391924152011-06-23T19:02:50.020+05:302011-06-23T19:02:50.020+05:30बहुत गहरा कटाक्षबहुत गहरा कटाक्षPatali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-40767951643594776162011-06-23T18:04:29.474+05:302011-06-23T18:04:29.474+05:30भलाई का तो जी टैम ही न रहा। अपनी तरफ़ से देश की स...भलाई का तो जी टैम ही न रहा। अपनी तरफ़ से देश की सबसे पावरफ़ुल हस्ती बनने की सोचने की सलाह दी थी, हमारी ही धुलाई कर दी:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-73718515911271426942011-06-22T21:27:36.605+05:302011-06-22T21:27:36.605+05:30Har taraf har jagah beshumar aadmi...
fir bhi tanh...Har taraf har jagah beshumar aadmi...<br />fir bhi tanhayee ka hai shikaar aadmi...<br /><br />Mumbai ho dilli<br />Janta hai bheegi billi.Vijuy Ronjanhttps://www.blogger.com/profile/05204504837179424572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-74364941335046922432011-06-22T20:11:55.851+05:302011-06-22T20:11:55.851+05:30खास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिये,
यह हमारे व...खास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिये,<br />यह हमारे वक़्त की सबसे बड़ी पहचान है!<br />अंशुमाला जी! अभी पत्ना एक हफ्ते रहकर लौटा हूँ... सारे शहर में फ्लाई ओवर बन गए हैं, लेकिन एक ईलाके को दूसरे व्यस्त ईलाके से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क महीनों से बन्द है.. कारण आप सोच भी नहीं सकतीं.. उसपर पड़ा है गन्धाता हुआ कचरा.. आहिस्ता आहिस्ता वो पूरी सड़क एक कचरा घर में तब्दील हो गई है...<br />अफसोस उसी जगह से कुछ दूर पर शेखर सुमन का घर है और पास में ही शत्रुघ्न सिन्हा का.. मगर वे तो मुम्बई में हैं, इस बास से दूर.. और इनके अलावा तो कोई सेलेब्रिटी नज़र नहीं आता.. और मेरे पास तो वो मिसाल भी नहीं कि कह सकूँ कि काश मैं फलाँ होता!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-11270721040006707872011-06-22T16:43:06.274+05:302011-06-22T16:43:06.274+05:30आपकी व्यथा पढ़कर समझ आया कि जितने बड़े शहर में रह...आपकी व्यथा पढ़कर समझ आया कि जितने बड़े शहर में रहो, उतनी बड़ी समस्याएं। आपने पीने के पानी का कोई जिक्र नहीं किया। <br />मैं आजकल भोपाल में हूं। भोपाल में भी मेरा अपना मकान नहीं है। यहां दो दिन में एक बार पानी की सप्लाई होती है। बंगलौर में जहां मैं रह रहा हूं वहां भी पानी की किल्लत है। बड़ी बड़ी आवासीय कालोनियां बन रही हैं। जो पहले से हैं उनमें रोज पानी के टैंकर दूर दूर से आ रहे हैं। सोचता हूं जिस दिन जमीन का पानी नीचे चला जाएगा,उस दिन इन बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों का क्या होगा।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-22037174009838370662011-06-21T22:10:48.160+05:302011-06-21T22:10:48.160+05:30घरों के आकार से याद आया....महानगरों के फ्लैट्स को ...घरों के आकार से याद आया....महानगरों के फ्लैट्स को हम कबूतर की ढाबली की संज्ञा देते हैं...:):Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-2759813064324450902011-06-21T19:33:34.886+05:302011-06-21T19:33:34.886+05:30पूरे शहर का यही हाल है....कभी घर की खिड़की से....द...पूरे शहर का यही हाल है....कभी घर की खिड़की से....दो पहाड़ों के बीच उगता सूरज दिखता था...और मैं सबको गर्व से बताती थी,..मुंबई में रहकर भी इतना सुन्दर सूर्योदय...देखने को मिलता है...बस दो बरस बाद ही अब सूरज बीच आसमान में ही दिखता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-38250513977376502862011-06-21T18:20:31.442+05:302011-06-21T18:20:31.442+05:30अंशुमाला जी,
इतना तो अभी हमें नहीं झेलना पड रहा ले...अंशुमाला जी,<br />इतना तो अभी हमें नहीं झेलना पड रहा लेकिन पिछले पाँच सालों में जितना बदलाव देखने को मिला है उतना पहले कभी नहीं हुआ.सडकों को चौडा करने के लिये पेड यहाँ भी खूब काटे गये है ताकि सडक दुर्घटनाओं में कमी आ सके.एक चीज जो यहाँ कि सबसे अच्छी लगती है वो ये कि यहाँ बारिश के दिनों में सडकों को जलमग्न हुऐ कभी नहीं देखा जैसा कि दिल्ली और मुंबई में होता है चाहें कितनी ही जोरदार बारिश क्यों न हो पर आगे का कुछ नहीं कह सकते.<br />और अभी अपने घर के आस पास निर्माण से जो परेशानी आपको हो रही है उसकी तो आदत पड ही जाएगी.हम भी जब अपने नये घर में आये थे तो ट्रेनों की आवाज से शुरू शुरू में बहुत परेशान रहते थे क्योंकि ये कॉलोनी रेलवे लाईन के बहुत नजदीक थी और हर पंद्रह बीस मिनट बाद कोई न कोई ट्रेन यहाँ से गुजरती है पर धीरे धीरे हम लोग इसके अभ्यस्त हो गये हाँ मेहमानों को परेशानी होती है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-57814645999600111202011-06-21T18:02:20.235+05:302011-06-21T18:02:20.235+05:30बहुत गहरा कटाक्ष......
हार्दिक शुभकामनायें।बहुत गहरा कटाक्ष...... <br />हार्दिक शुभकामनायें।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-2871721230014358092011-06-21T16:34:19.202+05:302011-06-21T16:34:19.202+05:30@ अजित जी
क्या कहूँ अजित जी ...@ अजित जी <br /><br /> क्या कहूँ अजित जी यदि मान सकती है तो मान लीजिये मुझे मुंबई विवाह के पहले से ही नहीं पसंद था कारण, यहाँ के घरो का आकार, जिस फ़्लैट में रहती हूँ मायके में उससे बड़ा तो हमारा आँगन था | सलाम तो आप को करती हूँ |<br /><br /> @ संजय जी <br /><br /> दो बाते पहली की आम आदमी हूँ ,जो सोचेगा तो उतना ही जीतनी उसकी पहुँच होगी, जो आप की तरह खास होती तो जरुर अबोमा होने की सोचती ताकि पूरी दुनिया को अपनी उंगली पर घुमा सकती | दूसरी बात, हम भी अपने योजनाकारों से अलग थोड़े ही है फौरी राहत के लिए उपाय सोच लिया अगली परेशानी के लिए कुछ और होना सोच लुंगी, बस सोचना ही तो है :)) | <br /><br />@ संजय चौरसिया जी <br /><br /> धन्यवाद |<br /><br />@ निर्मला जी <br /><br /> ये तो सही है की विकास की मांग हम ही करते है और प्रकृति का दोहन भी हम ही करते है पर योजना बनाये वाले तो खास दिमागदार लोग है वो पर्यावरण को कुछ तो बचा ही सकते है जो वो नहीं कर रहे है | <br /><br />@ मनप्रीत कौर जी <br /><br /> धन्यवाद | कुछ नए गानों के लिए जल्द ही आप के पास आती हूँ |<br /><br />@ मीनाक्षी जी <br /><br /> साधन तो है पर कोई उसे प्रयोग करने के लिए तैयार नहीं है |<br /><br />@ शिखा जी <br /><br /> सही कह रही है हमारे बनारस में भी एक फ्लाई ओवर बन रहा है इतनी बुरी हालत है शहर की कि हफ्ते भर में ही सेहत की बैंड बज गई |<br /><br />@ सतीश जी <br /><br /> हम सभी बस अपने बारे में ही सोचने में लगे है देश के बारे में और आने वाली पीढ़ी के बारे में सोच ही कौन रहा है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-5109534762212981702011-06-21T16:19:13.290+05:302011-06-21T16:19:13.290+05:30@ शिवम जी
जी हा आप ज्याद...@ शिवम जी <br /><br /> जी हा आप ज्यादा सुखी है |<br /><br />@ शेखर जी <br /><br /> शहर आने के बाद ही गांव की अहमियत समझ आती है |<br /><br />@ खुशदीप जी <br /><br /> आम आदमी के पास चुप रहने के आलावा चारा ही क्या है |<br /><br />@ मोनिका जी <br /><br /> सहमत होने के लिए धन्यवाद |<br /><br />@ अर्चना जी <br /><br /> हा जब हम भी बनारस में थे तो यही सोचते थे तब हमारा घर गली में होता था अब सड़क के घर का नुकसान भोग रहे है |<br /><br />@ मनोज जी <br /><br /> धन्यवाद |<br /><br /> @ प्रवीण जी <br /><br /> योजनकारो को अपने जीवित रहते श्रेय भी तो लेना है योजनाओ का, उनके मरने के बाद होने वाले नुकसानों से उन्हें क्या | <br /><br /> @ दीप जी <br /><br /> आप को और आप के बच्चो को हवा पानी धुप और आसमान हमेसा नसीब हो इसके लिए शुभकामनाये |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-28166796225870399642011-06-21T15:17:30.482+05:302011-06-21T15:17:30.482+05:30अंशुमाला जी,
कभी पढ़ा था कि जो पॉलिटिशियन होता ह...अंशुमाला जी,<br /><br /> कभी पढ़ा था कि जो पॉलिटिशियन होता है वो केवल देश के वर्तमान पीढ़ी की सोचता है जबकि जो स्टेट्समैन होता है वह देश के अगली कई पीढियों के बारे में सोचता है।<br /> <br /> किंतु देश की कौन कहे महानुभाव लोग अपना ही सोचने में लग गये हैं। कांट्रेक्ट लेकर, घूस पताई ले देकर तमाम चीजें बना बूनू कर सब कुछ गड़्म गड्ड कर दे रहे हैं। <br /><br />ऐसे में किसी स्टेट्समैन के होने के बारे में केवल कल्पना ही की जा सकती है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-57161332230992597852011-06-21T14:50:17.777+05:302011-06-21T14:50:17.777+05:30अंशुमाला!कुछ समय रुक जाओ मुंबई ही नहीं हर शहर का य...अंशुमाला!कुछ समय रुक जाओ मुंबई ही नहीं हर शहर का यही हाल होगा.<br />वैसे व्यवस्था तो हमारे देश की ऐसी है कि हर पल हर इंसान यही सोचता है..काश मैं .....( कोई भी सेलेब्रटी) होता.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-62488120264883233732011-06-21T14:42:02.241+05:302011-06-21T14:42:02.241+05:30आपका लेख गहरी चिंता में डाल देता है...रेगिस्तान मे...आपका लेख गहरी चिंता में डाल देता है...रेगिस्तान में होते हुए भी यहाँ हरयाली को इतनी खूबसूरती सहेजा गया है कि बस बार बार मन में अपने ही देश का ख्याल आता है कि काश अपने देश में भी हरयाली को बचाए रखने के साधन होते..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-38398717372796183112011-06-21T10:15:31.582+05:302011-06-21T10:15:31.582+05:30कुछ पाने के लिये बहुत कुछ खोना पडता है सुविधायें न...कुछ पाने के लिये बहुत कुछ खोना पडता है सुविधायें न मिलें तो सरकार को कोसते हैं विकास को कोसते हैं सुविधायें लेने के लिये कुछ तो खोना ही पडेगा नही तो चलो हम पिछले युग मे रहें और सरकार से कहें हमे नही चाहिते सडकें बिजली पानी। प्रकृति के दोहन के लिये हम ही तो कसूरवार हैं। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-58040907920119999802011-06-21T09:13:48.699+05:302011-06-21T09:13:48.699+05:30आप लोगों को सलाम।आप लोगों को सलाम।संजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-59516600032345644792011-06-21T08:57:59.237+05:302011-06-21T08:57:59.237+05:30आपने निराश कर दिया। काश मैं.., जब ऐसा ऐसा सोचने ...आपने निराश कर दिया। काश मैं.., जब ऐसा ऐसा सोचने पर उतारू हो ही गईं थीं तो फ़िर सोच को पूरी उड़ान तो भरने देतीं। होना ही था तो कम से कम आलाकमान बनने की सोचना था, ये क्या कि मी मुंबईकर तक सिमट कर रह गईं? आप सड़क, पुल न बनने देने की सोच रही हैं, फ़िर तो पी.एम., लोकपाल बिल जैसे कानून आदि आपके इशारों पर बन\न बन रहे होते। और तो और, जिस वर्तनी को लेकर हम जैसे छेड़ जाते हैं, फ़िर इसी की तारीफ़ में कसीदे कढ़े जा रहे होते। बिटिया के स्कूल एडमिशन जैसी समस्यायें आने से पहले सैटल हो जातीं। जो ब्लॉगर आपकी तारीफ़ न करता या सहमत न होता, उसके खिलाफ़ सी.बी.आई. जाँच शुरू हो जाती। स्लेबस में पुरानी कविताओं में सुधार किये जाते -<br />मैडम की भृकुटि हिली नहीं,<br />तब तक पी.एम. मुड़ जाता था<br />आदि आदि।<br />आप भी रहीं वही मध्यमवर्गीय मानसिकता वाली। अब भी वक्त है, मानसिकता सुधारिये और ऊँचा सोचिये। नहीं तो हम असहमत होते रहेंगे।<br />चलते-चलते पर एक और जोक था कि किसी महानगर में रहने वाले को एक बोतल वाला जिन्न मिला और हुक्म करने के ऑफ़र पर जब आका ने एक फ़्लैट मांग लिया तो जिन्न ने जोरों की एक चपत अपने आका के सर पर मारी और बोला, ’फ़्लैट लेना\देना मेरे बस में होता तो मैं बोतल में रह रहा होता?"संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-59226966558073101682011-06-21T08:48:51.832+05:302011-06-21T08:48:51.832+05:30लोग तो मुम्बई में रहने को सौभाग्य मानते हैं, मुझ...लोग तो मुम्बई में रहने को सौभाग्य मानते हैं, मुझे तो कई लोग मिलते हैं जो कहते हैं कि जिन्दगी तो मुम्बई में ही है। हमें तो हमारा छोटा सा शहर ही पसन्द है। आप लोगों को सलाम।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-15626057025813856962011-06-21T08:35:22.819+05:302011-06-21T08:35:22.819+05:30महानगरों में रहने वाले सभी आम और खास लोगों के लिए...महानगरों में रहने वाले सभी आम और खास लोगों के लिए हवा पानी धुप और अपने हिस्से का आसमान दुर्लभ होता जा रहा है और ऐसा क्यों है इस बात को प्रवीन शाह जी ने उल्लेखित कर ही दिया है. दिल्ली में मैं भी एक १५' गुना ३०' के आसमान के नीचे रहता हूँ. अभी तो हवा और धुप मिल रही है पर कब इसकी सप्लाई बंद हो जाय कुछ भरोसा नहीं.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-91261527717250139372011-06-21T08:11:36.823+05:302011-06-21T08:11:36.823+05:30.
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नीति निर्माता हर प्रोजेक्ट वर्तमान देख कर बन....<br />.<br />.<br /><b>नीति निर्माता हर प्रोजेक्ट वर्तमान देख कर बना रहे है भविष्य के बारे में कोई कुछ भी सोचने के लिए तैयार नहीं है और न ही इस अंधाधुंध होने वाले विकास के नाम के बर्बादी के बारे में | सभी हर मुश्किल का फौरी इलाज कर रहे है और इस इलाज से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में कोई भी सोचने के लिए तैयार नहीं है सभी का रवैया वही है तब की तब देख ली जाएगी या तब फिर उसके लिए भी कोई फौरी नीति बना ली जायेगी |</b><br /><br />अंशुमाला जी,<br /><br />गलती यहीं है, हमारे योजनाकारों के पास वह क्षमता नहीं है कि वह आने वाले पचास-साठ सालों को ध्यान में रख प्लानिंग कर सकें... फायर-ब्रिगेड रिस्पॉन्स ज्यादा रहता है यानि जब आग लगेगी तब बुझा लेंगे, वरना कोई वजह नहीं कि आपकी आवासीय कॉलोनी को यह सब झेलना पड़े!<br /><br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.com