tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post3122387235969418449..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: ये पुरुष का दुर्भाग्य है की वो माँ नहीं बनता - - - - - - - -mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-29611550281810402242011-06-08T07:20:21.132+05:302011-06-08T07:20:21.132+05:30आपके आलेख की दोनों कडियों से अलग कुछ याद आ गया, एक...आपके आलेख की दोनों कडियों से अलग कुछ याद आ गया, एक बार एक ट्रेन में एक महिला को दूसरी से कहते सुना था, "आय हेट बीइंग प्रैगनैंट, आय लव बीइंग अ मॉम दो"Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-72521611682694870932011-05-19T12:45:50.876+05:302011-05-19T12:45:50.876+05:30बहुत ही विचारणीय पोस्ट है.
वे व्यक्ति दुर्भाग्यशाल...बहुत ही विचारणीय पोस्ट है.<br />वे व्यक्ति दुर्भाग्यशाली हैं चाहे पुरुष हों या स्त्री ,जो बच्चों के सही तरीके से प्यार नहीं दे पाते.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-81871132868409845102011-05-19T10:15:00.660+05:302011-05-19T10:15:00.660+05:30@ राज भाटिया जी
आ...@ राज भाटिया जी <br /><br /> आप जो अपने बच्चो के लिए कर रहे है या किया है वही मै सभी पिता को करने के लिए कह रही हूँ ताकि जब कभी माँ कुछ समय के लिए साथ न हो तो बच्चे पिता के पास रह सके पिता भी बच्चो के करीब आ सके | पर कई पिता ऐसा नहीं करते है वो बच्चों को माँ की गैर मौजुदगी में वो प्यार साथ नहीं देते जो आप देते है वो पिता दुर्भाग्यशाली है आप नहीं| <br /><br />@ गिरीश मुकुल जी <br /><br /> आप मेरे दोनों लेख पढेंगे तो समझ जायेंगे की मै यहाँ ये नहीं कह रही की पुरुष को भी बच्चे को जन्म देना चाहिए, यहाँ कहने का अर्थ बस इतना है की पिता को भी बच्चो की देखभाल में भी सहयोग करना चाहिए ताकि बच्चे पिता से भी उतना ही जुड़ सके जितना माँ से होते है और पिता को भी उतना ही प्यार दे जितना माँ को, मै बच्चो के प्यार को पाने को शौभाग्य मान रही हूँ उसे श्मशान में जाने से न जोड़े | <br /><br /> दूसरी बात महिलाए घर पर रहेंगी और पुरुष घर के बाहर काम करेगे ये भगवान ने नहीं मानव ने तय किया है |<br /><br /> @ संजय जी <br /><br /> बिलकुल सहमत हूँ आप से , मैंने आप को दी दूसरी टिप्पणी में ये बात कही है कि हा कुछ माँ लापरवाही करती है ,और उनकी सजा उन्हें मिलती भी है उनके लापरवाह बच्चे या बड़े होने के बाद बच्चो के द्वारा उन पर ध्यान न देना | जहा तक इस महिला की बात है तो उन्हें भी सजा मिल चुकी है उनसे उनकी बेटी को अलग कर दिया गया है | वैसे यदि अपने देश को देखा जाये तो यहाँ ज्यादातर माँ बाप आप को इतने ही लापरवाह दिखेंगे क्योकि यहाँ पर लोग माँ बाप बनते समय कुछ भी नहीं सोचते बस विवाह हुआ और बच्चे का जन्म हो गया सो बन गये माँ बाप तकनीकी तौर पर |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-63964275343334777522011-05-19T06:24:02.373+05:302011-05-19T06:24:02.373+05:30अपनी आठ साल की बच्ची को बोटॉक्स देने वाली माँ को त...अपनी आठ साल की बच्ची को बोटॉक्स देने वाली माँ को तो मैं दुर्भाग्यशाली महिला की कैटेगरी में ही रखूँगा। कम समझदार या जानकार न होना अगर पैमाना माना जाये तो फ़िर सिर्फ़ महिलाओं को क्यों छूट दी जाये? जो पुरुष ऐसे हैं, उन्हें भी अधिकार होना चाहिये न? लेकिन क्या ये छूट देने से जिन बच्चों का बचपन छिन गया, आगे का जीवन नष्टप्राय हो गया उसकी जिम्मेदारी से चाहे मां हो या पिता, वह बच सकते हैं? कुछ अपराध अक्षम्य होते हैं, और मेरी नजर में ये ऐसा ही अपराध है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-36591930917684188592011-05-19T04:14:59.056+05:302011-05-19T04:14:59.056+05:30ईश्वर ने दो बात महत्वपूर्ण तय कीं हैं जिसे इस तरह ...ईश्वर ने दो बात महत्वपूर्ण तय कीं हैं जिसे इस तरह सकारात्मक कहना/समझना चाहिये<br />पुरुष को शमशान वैराग्य का अवसर मिलता है जो नारी को नही मिलता क्या उसे अभागी कहूं न मैं इतना अल्पग्य नहीं <br />नारी को मातृत्व भाव का अवसर मिलता है . ये दौनो ही क्रियाएं(अवसर) अदभुत हैं<br />कभी सोचा आपने वैग्यानिक कारणों से पुरुष गर्भधारण नही करता स्तनपान नहीं करा सकता तो क्या उसमें संतान के प्रति कोई भाव नहीं है ?बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-76098553409090227882011-05-18T23:25:03.069+05:302011-05-18T23:25:03.069+05:30मेरे दो बच्चे हे, उन के जन्म के समय मै अपनी पत्नी ...मेरे दो बच्चे हे, उन के जन्म के समय मै अपनी पत्नी के संग था, इस लिये मै वो दर्द महसुस करता हुं, बाकी बच्चे तो बाप के बिना या मां के बिना कुछ दिन रह लेते हे, मुंह से कुछ नही कहते लेकिन अंदर से उदास हो जाते हे, ओर उस समय बच्चे मां या बाप के ज्यादा करीब आ जाते हे, मेरे बच्चे भी जब कभी मुझे अकेले कही जाना पडा तो मां से ही चिपकए रहे, मां कभी बिमार हुयी तो मेरे बहुत करीब आ जाते हे,ओर जब बच्चे अपने दोस्तो के साथ जाते हे तो हम दोनो को फ़िक्र के कारण नींद नही आती...इस लिये इस मे बाप का दुर्भाग्या कहां से आ गया? बाप बच्चो को वक्त से लडना सीखाता हे तो मां उस मे संस्कार भरती हे, बाप बाहरी आफ़तो से बचता हे ब्च्चो को, तो मां अच्छी आदते डालती हे बच्चे मे, दोनो ही बराबर की जिम्मे दारी निभाते हे.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-63294303357787469452011-05-18T23:12:55.006+05:302011-05-18T23:12:55.006+05:30@ दीप जी
मै ये नहीं कह रही की पित...@ दीप जी <br /><br /> मै ये नहीं कह रही की पिता को माँ की जगह ले लेनी चाहिए और बच्चे को माँ की जरुरत ही ना पड़े मरे कहने का अर्थ ये है की पिता भी माँ की तरह की बच्चे से जुड़ सकता है बस वो थोडा और प्रयास करे, वो भी उस भावनाओ को महसूस कर सकता है जो माँ और बच्चे के बीच होता है | क्या ये बच्चे के लिए अच्छा नहीं होगा की उसे एक की जगह दो माँ अपना प्यार और देखभाल दे या जब किसी कारण वश या मजबूरी में कुछ समय के लिए माँ से दूर हो तो खुद का अकेला बेचारा असहाय ना महसूस करे पिता के रूप में एक माँ उसके पास मौजूद रहे | सिर्फ जन्म देने से कोई माँ नहीं बनता है यदि ऐसा होता तो हम कृष्ण की माँ के रूप में यशोदा को नहीं जानते और जब माँ और बेटे के प्यार की दुलार की बात होती तो इन दोनों का नाम नहीं लेते ,क्योकि जन्म देने से बड़ा बच्चे की परवरिश करना होता है और वही बड़ा होता है माँ होता है जो कम एक पिता भी कर सकता है फुल टाइम तो नहीं पर पार्ट टाइम माँ तो बन ही सकता है | पञ्च साल तक के बच्चे को अच्छे देखभाल और प्यार की जरुरत होती है जो पिता भी उसे दे सकता है माँ के साथ |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-15284126098983763252011-05-18T23:03:02.094+05:302011-05-18T23:03:02.094+05:30@ रश्मी जी
बिलकुल सही कहा आप...@ रश्मी जी <br /><br /> बिलकुल सही कहा आप ने पर ये पिता इस बात को नहीं समझ पाते है |<br /><br />@ शिखा जी <br /><br /> और कई पिताओ को ये पल गवाने का अफसोस भी नहीं होता है | भारत में कई ऐसे पिता को भी देखा है जो पत्नी को प्रसव का दर्द होने पर अस्पताल पहुंचा कर उसे घरवालो के भरोसे छोड़ घर या अपने काम पर चले जाते है और कुछ तो पिता बनने की खबर सुनने के बाद भी बड़े आराम से शाम को अस्पताल पहुंचाते है फुरसत पाने के बाद |<br /><br />@ दीपक जी <br /><br /> ये छोटी छोटी खुशिया ही हमें हमारे बच्चो से जोड़ती है |<br /><br />@ संजय जी <br /><br /> पर ये भी देखा जाना चाहिए की वो ऐसा क्यों कर रही है कही ऐसा तो नहीं की वो खुद भी अभी बच्ची है , कही ऐसा तो नहीं वो बच्चे की जिमेदारी उठाने लायक समझदार हुई ही नहीं है या मानसिक रूप से तैयार ही नहीं है माँ बनने के लिए या दुसरे कामो का बोझ उन पर इतना ज्यादा है की वो बच्चो पर ध्यान ही नहीं दे पा रही है | अभी टीवी पर देखा एक अमेरिकी माँ ने अपनी आठ साल की बच्ची को बोटाक्स दे दिया उसके वैक्स किये ताकि वो एक सौन्दर्य प्रतियोगिता में भाग ले सके | जिस तरह वो टीवी पर ये सब बता रही थी उससे साफ था की वो इन सब से अपनी बेटी पर होने वाले शारीरिक और मानसिक नुकसान के बारे में समझ ही नहीं पा रही थी इसलिए ये सब किया ना की वो अपनी बेटी की दुश्मन थी और जानबूझ कर ये सब कर रही थी | अब ऐसी कम समझदार या जानकार माँ को आप किस श्रेणी में रखेंगे | फिर भी ये मानती हूँ की कुछ महिलाए बच्चे के प्रति लापरवाही करती है वो बच्चे को उस जिम्मेदारी से नहीं पालती जीतनी की हम और आप |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-29701261003493680042011-05-18T22:45:08.647+05:302011-05-18T22:45:08.647+05:30@ राधारमण जी
बिलकुल स...@ राधारमण जी <br /><br /> बिलकुल सही कहा धन्यवाद |<br /><br />@ संजय जी <br /><br /> पिता के साथ कम्फर्टेबल होना यही तो बच्चे चाहते है | वरना आज भी कई घर देखे है जहा बच्चो को पिता के नाम से डराया जाता है ( पिता न हुआ गब्बर सिंह हो गया ) और पिता के घर आते ही बच्चे दुबक कर अपने कमरों में चले जाते है और मेरी बात से सहमति जताने के लिए धन्यवाद | आज से ही पूरा प्रयास कर रही हूँ की वर्तनी की गलती न हो और पोस्ट ध्यान से लिखा करुँगी |<br /><br />@ मोनिका जी <br /><br /> जी हा इससे बच्चे से आत्मविश्वाश में काफी फर्क पड़ता है |<br /><br />@ राकेश जी <br /><br /> पिता यदि माँ बनने की सोच भी ले तो भी उसमे काफी सेंवेदानाये आ जाएँगी | आप की पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा आगे से नियमित रूप से पढ़ने का प्रयास करुँगी |<br /><br />@ रमेश जी <br /><br /> टिपण्णी देने के लिए धन्यवाद | <br /><br />@ खुशदीप जी <br /><br /> एक प्रयास करे तो माँ की जगह भले न ले उसके करीब का दर्जा तो मिल ही सकता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-22413031441530866302011-05-18T20:23:42.459+05:302011-05-18T20:23:42.459+05:30अंशुमाला जी मेरी नज़र में तो एक बच्चे के लिए माता स...अंशुमाला जी मेरी नज़र में तो एक बच्चे के लिए माता से बढकर कुछ नहीं और अगर पुरुष बच्चे को जन्म देता तो शायद वो ही सबसे बढ़कर होता. जो प्रकृति ने व्यवस्था की है उसके ऊपर ऊँगली उठाना मैं जायज नहीं समझता. मैं तो सिर्फ यही कहूँगा की एक पुरुष एक अच्छा पिता बन पाए ये ही बहुत है, उसे माँ बनाने की जरुरत ही क्या है. कम से कम शुरू के पञ्च वर्ष तो एक बच्चे के लिए माँ एक बहुत बड़ी आवश्यकता होती है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-50661060501625214212011-05-18T18:22:29.665+05:302011-05-18T18:22:29.665+05:30एक बात और कहनी भूल गया था, वे औरतें और भी दुर्भ...एक बात और कहनी भूल गया था, वे औरतें और भी दुर्भाग्यशाली हैं जो माँ होकर भी अपने बच्चों को सही से नहीं पालतीं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-32222390757470985652011-05-18T15:26:21.143+05:302011-05-18T15:26:21.143+05:30आप से सहमत हूँ की कुछ बाप बिना कष्ट के माँ बनने का...आप से सहमत हूँ की कुछ बाप बिना कष्ट के माँ बनने का मौका गवा देते है <br /><br />लोग बड़ी खुशी के चक्कर में छोटी छोटी खुशियो को गवा देते है <br /><br />आभारDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-55929300102818592452011-05-18T13:52:09.735+05:302011-05-18T13:52:09.735+05:30बहुत ही सीधी और सच्ची बात कह दी आपने.सच कितना आसान...बहुत ही सीधी और सच्ची बात कह दी आपने.सच कितना आसान है पिता के लिए माँ बनना और कितना आनंद दायक परन्तु गवां देते हैं वे यह पल.<br />पश्चिमी देशों में प्रसव के समय पिता को प्रसव कक्ष में ही रहने की सलाह दी जाती है जिससे वह अपने बच्चे को दुनिया में आता देख सके.माँ की पीड़ा को समझ सके और इस अनुभव के बाद पिता और बच्चे का बंधन बड जाता है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-62535963738141948182011-05-18T13:12:22.755+05:302011-05-18T13:12:22.755+05:30बच्चों के साथ, समय बिताने..उनकी भोली बातें सुनने.....बच्चों के साथ, समय बिताने..उनकी भोली बातें सुनने......उनकी शरारतें....उनका भोलापन निरखने का अवसर ...जो गँवा देता है...वो एक स्वर्गिक सुख से वंचित रहता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-89595468852427948292011-05-18T09:36:24.919+05:302011-05-18T09:36:24.919+05:30बाप की जगह मां ले सकती है,
मां की जगह बाप ले नहीं ...बाप की जगह मां ले सकती है,<br />मां की जगह बाप ले नहीं सकता,<br />ओ लोरी दे नहीं सकता.<br />ओ सो जा, सो जा...<br /><br />(फिल्म दर्द का रिश्ता के इस गाने में आपकी पोस्ट का मूल छुपा है)<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-25306266686964565072011-05-18T09:10:30.362+05:302011-05-18T09:10:30.362+05:30पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सु...<a href="http://rksirfiraa.blogspot.com/" rel="nofollow"> पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव</a>अपने अनुभवों से तैयार पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में दंड संबंधी भा.दं.संहिता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव विधि आयोग में भेज रहा हूँ.जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के दुरुपयोग और उसे रोके जाने और प्रभावी बनाए जाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. अगर आपने भी अपने आस-पास देखा हो या आप या आपने अपने किसी रिश्तेदार को महिलाओं के हितों में बनाये कानूनों के दुरूपयोग पर परेशान देखकर कोई मन में इन कानून लेकर बदलाव हेतु कोई सुझाव आया हो तब आप भी बताये.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-40778010290490801022011-05-18T08:16:54.044+05:302011-05-18T08:16:54.044+05:30"एक प्यार भरे स्पर्स को जितने अच्छे से एक बच्..."एक प्यार भरे स्पर्स को जितने अच्छे से एक बच्चा महसूस कर सकता है कोई और नहीं कर सकता " <br /><br />बच्चों से ही निर्मल और निश्छल प्यार का अहसास होता है.पुरुष को यदि 'माँ' बनने का अनुभव हों जाये,तो ही स्त्री का त्याग और तपस्या उसे समझ आ सकती है.अनुभव न हों पर यदि अहसास ही वह कर पाए तो भी उसका हृदय कोमल और पवित्र हों जायेगा.इसीलिए भगवान को याद करते हुए सर्वप्रथम कहते हैं 'त्वमेव माता ..'<br /><br />सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.<br /><br /><br />आपकी यद्धपि अध्यात्म में रूचि नहीं,तो भी आपको अपने ब्लॉग पर आमंत्रित करने का मन कर रहा है.आपके पास माँ होने का सुन्दर अहसास है.उसी नजर से मेरी पोस्ट पर कृपा वृष्टि कीजियेगा.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-55617289560483073092011-05-18T07:34:00.470+05:302011-05-18T07:34:00.470+05:30पुरुष की माँ बनने की कोशिश उसे बच्चों के बहुत कर...पुरुष की माँ बनने की कोशिश उसे बच्चों के बहुत करीब ले आती है...... यह अहसास बच्चों को भी बहुत संबल देता है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-67792864776281763352011-05-18T06:41:10.285+05:302011-05-18T06:41:10.285+05:30"जनाने" काम हमने किये कि नहीं, ये नहीं ब..."जनाने" काम हमने किये कि नहीं, ये नहीं बतायेंगे लेकिन इतना जरूर है कि मेरे दोनों बच्चे मेरे साथ बहुत कम्फ़र्टेबल फ़ील करते हैं। यही नहीं, भाई के बच्चे भी और अपनी ससुराल के बच्चे हों या मेरे खुद के भांजे - मैं खुद बच्चों के साथ बहुत एन्जाय करता हूँ। आपकी पोस्ट से शायद भटक रहा हूँ लेकिन किसी इन्सान को पहचानने का अपना तो ये लिटमस टेस्ट है कि बच्चे उसे किस रूप में देखते हैं। सिर्फ़ बच्चे ही हैं जो प्यार की भाषा, प्यार का स्पर्श निर्दोष तरीके से पहचानते हैं। न उन्हें सामने वाले के रूप से मतलब है, न धन, पद और प्रतिष्ठा से। सिर्फ़ प्यार ही अकेला मापदंड है।<br />सौ प्रतिशत सहमत इस निष्कर्ष से कि शायद ये पुरुष का दुर्भाग्य ही है की वो बिना किसी कष्ट के माँ बनने का मौका गवा देता है |संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-4270664185347524352011-05-18T00:24:42.593+05:302011-05-18T00:24:42.593+05:30बचपन स्वर्णकाल है। जिसने गंवाया,उसका जीवन अंधकार-य...बचपन स्वर्णकाल है। जिसने गंवाया,उसका जीवन अंधकार-युग।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.com