tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post367684711071311348..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: क्या माँ दुर्गा और काली के रूप को आप हिंसक मानते है - - - - - - -mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-15180898912021778762012-07-24T15:36:53.243+05:302012-07-24T15:36:53.243+05:30अगर देश का कानून कड़ा और न्याय प्रदान करने वाला ह...अगर देश का कानून कड़ा और न्याय प्रदान करने वाला हो, तो आधी से ज्यादा समस्याएं तो खुदबखुद सुलझ जाएं।<br /><br />............<br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/?m=1" rel="nofollow">International Bloggers Conference!</a></b>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-89208946228598990522012-07-20T17:20:54.666+05:302012-07-20T17:20:54.666+05:30रचना जी,
आपका स्टेंड सही था / सही है !रचना जी,<br />आपका स्टेंड सही था / सही है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-22020827830640815832012-07-20T15:55:39.259+05:302012-07-20T15:55:39.259+05:30पुलिस सुधार, कड़ा कानून तो देश की हर समस्या का हल ...पुलिस सुधार, कड़ा कानून तो देश की हर समस्या का हल है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-12829938357183132542012-07-20T15:49:41.307+05:302012-07-20T15:49:41.307+05:30रश्मि जी
हा मैंने वो देखा, इसलिए लि...रश्मि जी<br /> हा मैंने वो देखा, इसलिए लिखा था की "स्पष्ट रूप से" | मुझे बस वहा आई टिप्पणी को पढ़ कर ऐसा लगा इसलिए कहा और कोई बात नहीं है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-32869784591180577132012-07-20T11:07:51.330+05:302012-07-20T11:07:51.330+05:30नीचे आपका नाम , ब्लॉग लिंक सब है ... और लोग जानते ...नीचे आपका नाम , ब्लॉग लिंक सब है ... और लोग जानते हैं कि इस ब्लॉग पर मैं दूसरे लोगों की शानदार रचना ही डालती हूँरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-7747581505854190142012-07-20T08:54:55.128+05:302012-07-20T08:54:55.128+05:30शोभाजी, निश्चित रूप से पोस्ट लिखने का प्रयास रहेग...शोभाजी, निश्चित रूप से पोस्ट लिखने का प्रयास रहेगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-56476528157210182532012-07-19T13:53:13.367+05:302012-07-19T13:53:13.367+05:30http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/07/blog-po...http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/07/blog-post_19.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-14609403442936234292012-07-19T11:13:54.682+05:302012-07-19T11:13:54.682+05:30@smt.Ajit Gupta आप के किस्से हम सुनना चाहेंगे@smt.Ajit Gupta आप के किस्से हम सुनना चाहेंगेशोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-32500320984253435792012-07-19T10:29:58.854+05:302012-07-19T10:29:58.854+05:30shakti ka antim roop 'kali' hi hai......&q...shakti ka antim roop 'kali' hi hai......"guruji" ke taraf se hum sahmat ho rahe hain.....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-53856440006170454482012-07-18T22:40:09.827+05:302012-07-18T22:40:09.827+05:30महिलाएं शारीरिक तौर पर पुरुषों से कमजोर हैं,यह स्व...महिलाएं शारीरिक तौर पर पुरुषों से कमजोर हैं,यह स्वीकार किया जाना चाहिए। किंतु,यह कहने का अर्थ यह नहीं है कि पुरुषों को बदतमीजी का अधिकार है अथवा इस कारण महिलाओं को सहम कर जीना चाहिए। दुर्गा और काली की तरह बदला लेने के कई मामले हम फिल्मों में भी देखते रहे हैं। मगर ज़िंदगी की मुसीबतें असली होती हैं। उन्ही् से निपटने के लिए,दिल्ली पुलिस महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर मुफ्त में सिखाती है। यद्यपि ऐसी वारदात बड़ी जगहों पर ज्यादा होती हैं,मैं समझता हूं कि देश भर की महिलाओं के लिए ऐसा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। <br /><br />पुलिस सुधार देश की एक बड़ी आवश्यकता है जिस ओर समुचित ध्यानाकर्षण नहीं हुआ है। क़ानून व्यवस्था की स्थिति लचर होने के चलते ही अपराधियों का मनोबल बढ़ता जाता है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-19607276123102473842012-07-18T22:16:23.109+05:302012-07-18T22:16:23.109+05:30@ ali जी,
गल्ती की तरफ़ ध्यान दिलाने के लिये आभा...@ ali जी, <br /><br />गल्ती की तरफ़ ध्यान दिलाने के लिये आभारी हूं, लिखना तो "विवश" ही चाहता था पर बुढापे में ये कमबख्त की बोर्ड धोखा दे गया.:)ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-65673576005585440612012-07-18T21:39:14.344+05:302012-07-18T21:39:14.344+05:30घुघूती जी
यदि सुरक्षित रहना है तो हर पह...घुघूती जी<br /> यदि सुरक्षित रहना है तो हर पहल हमें ही करनी होगी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-77108935007866246132012-07-18T21:34:27.045+05:302012-07-18T21:34:27.045+05:30अली जी
कड़ा कानून तो देश की हर समस्या का हल है , क...अली जी<br />कड़ा कानून तो देश की हर समस्या का हल है , किन्तु अपने देश में तो हम इसकी जल्द उम्मीद नहीं कर सकते है | कड़ा कानून , बेटो को संस्कार आदि उपाय तो है किन्तु इसमे हम दूसरो से उम्मीद करते है कुछ उपाय लडकियों को खुद भी करने चाहिए , और ये सब तब कारगर होगा जब लड़किया खुद प्रतिरोध करे और कानून के पास जाने की हिम्मत दिखाए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-78040467731461069392012-07-18T21:29:18.787+05:302012-07-18T21:29:18.787+05:30ताऊ जी
यही आत्मविश्वास ही तो नहीं है लड़कियों में ...ताऊ जी<br />यही आत्मविश्वास ही तो नहीं है लड़कियों में उसे ही बढ़ना होगा |<br />अली जी<br /> टंकण त्रुटी है मुझसे भी बहुत होती है :)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-6205597904240193552012-07-18T19:02:19.408+05:302012-07-18T19:02:19.408+05:30अंशुमाला जी,
लड़कियों को सशक्त न करने की प्रथा को...अंशुमाला जी, <br />लड़कियों को सशक्त न करने की प्रथा कोई अपने आप घटी घटना नहीं है यह समाज की एक सोची समझी लड़कियों व स्त्रियों को वश में रखने की तरकीब है। स्त्री पुरुष से कम बलशाली है किन्तु सारे पुरुष भी बराबर बलशाली नहीं होते। एक मरियल लड़के को भी बचपन से शेर बनने को कहा जाता है। घी, दूध, अंडे, टॉनिक से लेकर कसरत, कुश्ती, जूडो कराते सभी उपाय किए जाते हैं उसे सशक्त बनाने के। जबकि एक लम्बी चौड़ी लड़की को भी कभी हाथ नहीं उठाने दिया जाता। उसे यही बताया जाता है कि भाई बहनों से लड़ाई में भी हाथ उठाना स्त्रियोचित व्यवहार नहीं है। <br />यदि ऐसा सिखाया नहीं जाएगा तो यदि दुर्भाग्य से उसकी ससुराल में पिटाई हो या पति ही उसे पीटे तो क्या वह भी पलटवार न कर देगी? इसलिए पलटवार को बेहयाई और मार खाने को स्त्रियोचित गुण व लज्जा कहा जाता है। और यह लज्जा और अबला होना ही स्त्री का गहना माना जाता है। <br />बात केवल अपने घर की बेटी की नहीं थी। यदि मैं अपनी बेटी को जुझारू बनाऊँगी तो क्या मेरी बहू के मायके वाले नहीं बनाएँगे? यूँ तो पितृसत्ता डगमगा जाती। सो स्त्रियों को भीरू बनाने से ही समाज व संस्कृति पुराने व तथाकथित व्यवस्थित तरीके से चल सकती थी।<br />खैर, अब हमें स्त्री को आत्मरक्षा तो सिखानी ही होगी। स्त्री को एक दूसरे की सहायता करना भी सीखना होगा। अब वह सब करने से डरते, बचते, प्रार्थना करते कि पुरुष के अन्दर का जानवर न जागे तो जीना असंभव है। हाँ यदि चारदिवारी में कैद हो जीने को जीना कहते हैं तो अलग बात है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-71436838072618338822012-07-18T16:03:48.903+05:302012-07-18T16:03:48.903+05:30अंशुमाला जी,
अपना एक ख्वाब है कि जब जो चाहे, जहां ...अंशुमाला जी,<br />अपना एक ख्वाब है कि जब जो चाहे, जहां चाहे, जिस वक़्त चाहे, निर्विघ्न आ जा सके / घूम सके! देखें ये कब पूरा होगा ?<br /><br />ये बात सही है कि छेड़छाड़ के मामले रोकने का कोई परफेक्ट एक उपाय नहीं है, रश्मि जी ने सह शिक्षा कहा, आपने प्रतिरक्षा और मैं चाहता हूं, कड़ा कानून जो फ़ौरन राहत दे, छेड़छाड़ करने वाले बन्दों के मन में दहशत भर दे! आपने प्रतिरक्षा की हिंसा को उचित माना है सो इस बिंदु पर आपसे मैं भी सहमत हूं क्योंकि यह तात्कालिक उपचार है! सुझाव सिर्फ ये है कि इसे(प्रतिरक्षा को)कानून का समर्थन भी मिलना चाहिये वर्ना लड़कियों की ज़िन्दगी कोर्ट कचहरी के चक्कर में यूं भी नरक बना दी जाती है!उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-74541931824355772782012-07-18T15:50:09.955+05:302012-07-18T15:50:09.955+05:30ताऊ जी,
आपकी टीप में 'अविवश देवताओं' पढूं ...ताऊ जी,<br />आपकी टीप में 'अविवश देवताओं' पढूं या 'विवश देवताओं' ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-71559978678813270552012-07-18T13:55:34.908+05:302012-07-18T13:55:34.908+05:30सह-शिक्षा की बात मैने अपनी पोस्ट में की थी तो कुछ ...सह-शिक्षा की बात मैने अपनी पोस्ट में की थी तो कुछ बातें सपष्ट करनी लाज़मी हैं...मैने कहीं नहीं कहा कि यह उपाय सौ प्रतिशत कारगर है बल्कि यह कहा था कि..."अगर बचपन से ही ये सह शिक्षा वाले स्कूल में पढ़ें तो ऐसे व्यवहारों पर काफी हद तक रोक लग सकती है. " काफी हद तक का आशय शत-प्रतिशत नहीं होता <br /><br />डीपीएस MMS स्कैंडल ..जरूर एक को-एड स्कूल में हुआ..पर क्या समाज में और कहीं MMS स्कैंडल नहीं हुए??<br /> <br />बार-हंगामे और rave parties का ईव-टीजींग या को-एड स्कूल या only girls /boys स्कूल से कोई लेना देना नहीं होता...यह एक बिलकुल अलग तरह की अलग वर्ग की समस्या है. <br /><br />मैने यह कहीं नहीं कहा कि को-एड में पढ़ने वाले सारे लड़के सुच्चरित्र और आदर्श होते हैं...और only boys स्कूल में पढ़ने वाले सारे के सारे इव- टीज़र्स ..लेकिन हाँ , जैसा अंशुमाला जी आपने भी कहा..."को-एड में पढ़े लडके उन कुंठाओ से तो भरे नहीं होते होंगे जिसका प्रदर्शन हम कई रूपों में कई बार देखते है"<br /><br />समस्याएं तो को-एड स्कूल में भी हँ..और मैने पोस्ट में लिखा भी है..." सह-शिक्षा में थोड़ी बहुत अनचाही घटनाएं भी घट सकती हैं. किशोर होते लड़के/लड़कियों का एक दूसरे के प्रति सहज आकर्षण. पर यह तो बिना को-एड स्कूल में पढ़े भी संभव है. मोहल्ले में...कॉलोनी में भी इतने बंधन के बावजूद प्रेम-कथाएं परवान चढ़ती रहती हैं. वैसे ही को-एड स्कूल में भी इक्का-दुक्का घटनाएं ही ऐसी होती हैं. ऐसा नहीं होता कि को-एड स्कूल के सारे लड़के-लड़की एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं. बल्कि एक दूसरे के प्रति दोस्ताना भाव ज्यादा रहता है. "<br /><br />संकोची..अंतरमुखी-बहिर्मुखी होना कुछ लोगों के अन्तर्निहित स्वभाव होते हैं..जो किसी भी माहौल में नहीं बदलते और आज से बीस-पच्चीस वर्ष पहले..छोटे शहरों कस्बों में जो को-एड स्कूल होते थे ..क्या वहाँ लड़के/लड़कियों का इंटरैक्शन होता था? <br /><br />वहाँ लड़कियों की अलग बेंच होती थी...वे आपस में ही मिलती-जुलती बातें करती थीं. लड़कों से नाम-मात्र की पुस्तकों के आदान-प्रदान से सम्बंधित ही बातचीत होती थी या वो भी नहीं. यहाँ तक कि जो लड़के-लडकियाँ पड़ोसी होते थे...घर पर बातें करते थे...वे भी स्कूल में बात नहीं करते थे. ऐसा नहीं होता था कि खाली पीरियड में या लंच-टाइम में पूरे क्लास में ही छोटे-छोटे ग्रुप बना कर स्टुडेंट्स बैठे हैं...जिन ग्रुप में लडकियाँ और लड़के दोनों शामिल हों. (होप, अब ये सब बदल गया हो ) तो फिर संकोच कहाँ से टूटता??<br />और उन दिनों तो लड़के/लड़कियों का आपस में बातें नहीं करना...दूर रहना...कोई मेल-जोल नहीं रखना...अच्छाई का प्रतीक..तारीफ़ के काबिल माना जाता था .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-71774271279617349342012-07-18T11:27:37.939+05:302012-07-18T11:27:37.939+05:30मां दुर्गा और काली ने तो स्वयं अविवश देवताओं को बच...मां दुर्गा और काली ने तो स्वयं अविवश देवताओं को बचाया है. अगर आत्मविश्वास परिपूर्ण हो तो कोई भी स्थिति अपने अंदर समायी दुर्गा रूप को स्मरण करके की जा सकती है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-17164806108558554362012-07-18T10:35:13.732+05:302012-07-18T10:35:13.732+05:30लड़किया सदा ये मान कर चलती है की उनकी रक्षा किसी औ...लड़किया सदा ये मान कर चलती है की उनकी रक्षा किसी और को करनी है वो खुद नहीं कर सकती है , उम्मीद है की आप की बात से सभी लड़किया प्रेरणा लेंगी |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-91735810325626029102012-07-18T10:34:55.438+05:302012-07-18T10:34:55.438+05:30धन्यवाद की आत्मरक्षा के लिए किये हिंसा को आप बुरा ...धन्यवाद की आत्मरक्षा के लिए किये हिंसा को आप बुरा नहीं मानते है |<br />जो परम्परागत उपाय है उन का ध्यान सभी लड़किया रखती ही है किन्तु जब ये कहा जाये की इन उपायों का कड़ाई से पालन करो मतलब की बाहर ही मत निकालो, तो ये संभव नहीं है | लड़किया रात में अकेले और इस तरह की जगह बस यु ही नहीं जाती है , पर कोई ये कहे की नहीं किसी भी काम के लिए ना जाओ यो गलत है , जिम्मेदार लोगों ने तो महिला पत्रकार के भी रात में बाहर निकलने पर टोक दिया था | हम सभी भी यही कहते है की चुप रह कर सहना कई बार समाधान नहीं होता है समाधान विरोध करना होता है | हा मानती हूं की सहशिक्षा में भी कुछ दूसरी समस्याए है और ये भी सही है की सभी लडके लड़कियों से खुल जाये संभव नहीं है , इसलिए तो मैंने लिखा है की पता नहीं लडके कितने सुधरेंगे किन्तु लड़कियों को कुछ तो फायदा होगा ,वैसे वहा पढ़े लडके उन कुंठाओ से तो भरे नहीं होते होंगे जिसका प्रदर्शन हम कई रूपों में कई बार देखते है | मैंने भी यही कहा है की बेटी ही क्यों माँ को भी आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-61237448793629403862012-07-18T10:34:38.798+05:302012-07-18T10:34:38.798+05:30जो कर रहे है उन्हें तो सबक मिलेगा ही जो ऐसा सोच रह...जो कर रहे है उन्हें तो सबक मिलेगा ही जो ऐसा सोच रहे है वो भी डरेंगे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-48417818040296317022012-07-18T10:34:18.939+05:302012-07-18T10:34:18.939+05:30पुन्य कमाना शुरू कर देना चाहिए अब महिलाओ को |पुन्य कमाना शुरू कर देना चाहिए अब महिलाओ को |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-52148528613818318302012-07-18T10:34:03.454+05:302012-07-18T10:34:03.454+05:30सबसे आसान उपाय है अपनी रक्षा का बीड़ा खुद उठाये किस...सबसे आसान उपाय है अपनी रक्षा का बीड़ा खुद उठाये किसी और के सहारे ना बैठे रहे इतनी सशक्त बने की किसी की हिम्मत क्या सोच भी ना हो आप की चिर हरण करने की |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-31937375582157705202012-07-18T10:33:49.251+05:302012-07-18T10:33:49.251+05:30सबसे जरुरी बात यही है की वो सामना करना सीखे |सबसे जरुरी बात यही है की वो सामना करना सीखे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com