tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post9125743928491259503..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: नकारात्मक सोच क्या वास्तम में गलत है- - - - - mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-51053725589662310552012-08-28T15:13:43.011+05:302012-08-28T15:13:43.011+05:30बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडि...बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....<br />बधाई<br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> पर भी पधारेँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-47329967268858089062012-08-24T12:33:05.908+05:302012-08-24T12:33:05.908+05:30
मैं भी हमेशा यही बोलता हूँ, भगवान् कभी भी तथास्तु...<br />मैं भी हमेशा यही बोलता हूँ, भगवान् कभी भी तथास्तु बोल सकते हैं... इसलिए... अच्छी अच्छी बातें करनी चाहिए... लेकिन वो कहते हैं न<br />Hope for the BEST BUT Be Prepared for the WORST...Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-73046606460063616422012-08-20T21:23:19.640+05:302012-08-20T21:23:19.640+05:30सब सोच का खेल है हर इंसान की अपनी एक आला सोच होती ...सब सोच का खेल है हर इंसान की अपनी एक आला सोच होती है जिसके आधार पर यह तय होता है कि वह सोच सकरात्म्क है या नकारात्मक हाँ कभी-कभी सोच परिस्थियों पर निर्भर हो जाती है मगर आपकी इस बात से सहमत हूँ कि कोई भी कार्य को करने से पहले उससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार कर लेना ही समझदारी है। क्यूंकि होनी, होकर ही रहती है उसे कोई नहीं टाल सकता। मगर अपनी ओर से सावधानी बरतना ही एक समझदार इंसान कि पहचान है। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-43673774233546441492012-08-20T12:10:51.159+05:302012-08-20T12:10:51.159+05:30आप की बात से सहमत हूँ की आज कल कुछ ज्यादा ही सकरात...आप की बात से सहमत हूँ की आज कल कुछ ज्यादा ही सकरात्मकता का राग आलाप जाता है मेरी पोस्ट भी उसी कारण थी | पत्नी का किया आप के लिए नकरात्मक है उनके लिए तो ये एक अच्छा कदम है , मेरी माता जी भी कई बार कहती थी की मेरी बेटी की नजर उतार दी तो इसमे बिगड़ ही क्या जायेगा कोई नुकशान तो नहीं हो रहा है ना , तो मै जवाब देती थी की की बीमारी है तो ठीक तो होगा ही अपने आप हो या दवा से हो नजर उतारने से तुम्हारा ये भ्रम बढेगा की बिटिया ठीक नजर उतारने से हुई है ( डरती थी ये भ्रम मुझे भी ना हो जाये ) अगली बार बीमार पड़ने पर डाक्टर के यहाँ ले जाने की जगह नजर उतारने के लिए कहोगी | मेरी बेटी आज ५ साल की हो गई है मैंने आज तक एक बार भी उसकी नजर नहीं उतारी है हा एक दो बार माता जी ने ही उतारी है , जब मात्र 2 माह की थी तो माता जी ने एक बार काजल लगाया था उसके बाद मैंने कभी काजल या उसका टिका नहीं लगाया , कभी मूंगा , चाँद तारा आदि भी धारण नहीं कराया | किन्तु एक बात याद रखिये की बच्चो के मामले में होगा वही जो उसकी माँ चाहेगी :))) बछो के मलाले में मते कुछ ज्यादा सतर्क होती है वो कही से भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है वो पूरी तरह से दिल से सोचती है ,आप बस एक काम कर सकते है वो ये की बेटे को कोई नुकशान ना हो और बाकि जितनी तरह की अहानिकारक क्रिया कलाप हो वो आप को करना ही पड़ेगा :)<br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-78679766828939127702012-08-19T07:37:25.742+05:302012-08-19T07:37:25.742+05:30मुझे लगता है कि हमारे ऊपर सकारात्मक होने का बहुत द...मुझे लगता है कि हमारे ऊपर सकारात्मक होने का बहुत दबाव है. न्यू एज थिंकिंग ने भी यह विचार थोपना शुरू कर दिया है कि विश्व और विचार ऊर्जा की तरंगों से बनते हैं और नकारात्मक विचारों की तरंगें सकारात्मक विचारों और परिवेश को नष्ट कर देतीं हैं. मेरी समझ से यह सब छलावा है और पाखण्ड को बढ़ावा देता है. वस्तुतः हमें सिर्फ सत्य बोलना चाहिए और अप्रिय सत्य या तो बोलना नहीं चाहिए या सोच-समझकर बोलना चाहिए. मैं इसी बात पर अमल करता हूँ.बाकी बातें या तो मन को केवल दिलासा देतीं हैं या भ्रम में रखतीं हैं.<br /><br />एक उदाहरण देता हूँ: हमारे यहाँ बेटे को हर मंगलवार को हनुमान दर्शन कराने का नियम है. उसकी तबीयत अक्सर ख़राब रहती थी इसलिए श्रीमती जी ने यह नियम बाँध लिया कि हर मंगलवार को उसके हाथ से हनुमान मंदिर में गुड़ रखाया जाए. अब, उसे मंदिर ले जाने की जिम्मेदारी मुझपर है लेकिन हर मंगलवार यह नहीं हो पाटा. कभी तो बात दिमाग से उतर जाती हैं, कभी कोई ज़रूरी काम आ जाता है इसलिए दफ्तर से लौटने में देरी हो जाती है, कभी बारिश-पानी. ऐसे में यदि कोई मंगलवार छूट जाता है तो श्रीमती जी को बहुत परेशानी होने लगती है. बच्चे हैं, सर्दी-बुखार चलता रहता है. किसके बच्चे साल भर पूरे भले-चंगे रहते हैं? लेकिन मैं जब ऐसे नियमों की व्यर्थता की बात करता हूँ तो मैं नकारात्मक बन जाता हूँ, लेकिन उनका हर समय बच्चों की तबीयत को दान, दर्शन और पूजा आदि से जोड़ते रहना क्या नकारात्मकता नहीं है?निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-16187626179908882292012-08-16T11:35:17.323+05:302012-08-16T11:35:17.323+05:30हाँ तो मीडिया ने यह काम किया ना दोनों बार पहले भी ...हाँ तो मीडिया ने यह काम किया ना दोनों बार पहले भी और अब भी और बिना मध्यम वर्ग को डरपोक बताए किया(ये अलग बात है कि इसका इस बार कोई फायदा नहीं हुआ).आप मध्यम वर्ग की कोई आलोचना करती चाहे तो उसे डरा बताकर ही तो कोई बात नही थी पर आपने अपनी तरफ है कारण बताया था कि मध्यम वर्ग क्यों डर गया हैं और मेरी असहमति इसी तर्क से थी और असहमति मतलब असहमति, इसे हम सकारात्मक या नकारात्मक के रूप में नहीं देख सकते.वैसे मुझे लगता है कि ये नकारात्मक और सकारात्मक को लेकर सभी की सोच भी अलग अलग होती है कोई एक परिभाषा तय नहीं कि जा सकती.<br />राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-20773970248883173082012-08-13T22:30:49.230+05:302012-08-13T22:30:49.230+05:30सुन्दर आलेख के लिए बधाई...
सुन्दर आलेख के लिए बधाई...<br />प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-22107568669929243282012-08-13T16:53:45.417+05:302012-08-13T16:53:45.417+05:30Jaaki rahi bhawna jaisi.
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कितनी बदल र...Jaaki rahi bhawna jaisi.<br /><br />............<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/2012/08/old-and-new-hindi.html" rel="nofollow">कितनी बदल रही है हिन्दी !</a></b><br />Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-19966435097242045922012-08-03T22:42:28.939+05:302012-08-03T22:42:28.939+05:30अंधविश्वासी शुभ-शुभ की कामना करता है, बुरा होने पर...अंधविश्वासी शुभ-शुभ की कामना करता है, बुरा होने पर किस्मत को कोसता है। <br />ज्ञानी सिक्के के दोनो पहलू पर विचार करता है और शुभ की कामना करता है। बुरा होने पर किये गये कार्यों की समीक्षा करता है। जान जाता है कि मैने कहाँ गलती करी। <br />योगी दोनो पहलू पर विचार करता है। अच्छे और बुरे को सम भाव से स्वीकार करता है।<br /><br />सकारात्क सोच से आशय केवल अपने लिए नहीं सभी के भले की कामना से भी है। सभी, सभी के भले की सोचने लगें तो सोचिए यह संसार कितना अच्छा हो जायेगा।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-73490734254502569102012-08-01T17:50:19.570+05:302012-08-01T17:50:19.570+05:30बीमा आदि इसी सोच के अंतर्गत लिया जाता है. प्लैन बी...बीमा आदि इसी सोच के अंतर्गत लिया जाता है. प्लैन बी ही नहीं सी भी बनाना पड़ता है. वे मूर्ख होते हैं जो अपनी वसीयत नहीं करते.<br />किन्तु यह थोड़ा सा नकारात्मक भी सोचने का गुण किसी को सिखाया नहीं जा सकता.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-52824998858131897992012-07-31T23:12:08.182+05:302012-07-31T23:12:08.182+05:30जिसे आप नकारात्मक सोच कह रही हैं, असल में वह वैज्...जिसे आप नकारात्मक सोच कह रही हैं, असल में वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। किसी भी घटना या समस्या के बारे में हर पहलू से सोचना नकारात्मकता नहीं है। <br />*<br />सरस्वती मैया पता नहीं हैं भी कि नहीं। और अगर हैं तो पता नहीं उन्होंने सुना कि नहीं। लेकिन हमने तो सुन लिया है,सो अभी से बधाई दे देते हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-5325159223047257372012-07-31T22:33:06.589+05:302012-07-31T22:33:06.589+05:30@शुभ बोलना हमारे जीवन का अंग होना चाहिए,बात चाहे द...@शुभ बोलना हमारे जीवन का अंग होना चाहिए,बात चाहे दूसरों के बारे में ही क्यों न हो।<br />किन्तु यदि व्यक्ति वैसा हो ही नहीं की उसके बारे में कुछ शुभ अच्छा बोला जाये और कोई हम से उसके बारे में राय मांग रहा हो तो क्या हमें अच्छा अच्छा बोलने की जगह राय मांगने वाले को सच ना बता दिया जाये कही हमारा शुभ बोलना उसके हनी ना करा दे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-72987935513367205572012-07-31T22:30:36.255+05:302012-07-31T22:30:36.255+05:30अजित जी
आप सही कह रही है पैरा ज्यादा लम्बा ह...अजित जी<br /> आप सही कह रही है पैरा ज्यादा लम्बा हो गया है पहले दो पैरे बनाये थे तो अचानक याद आया की ज्यादा पैर होने पर भी किसी ने टोक दिया था :(anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-9160471175408584742012-07-31T22:27:57.599+05:302012-07-31T22:27:57.599+05:30इस तरह के कहानिया कितनी सच होती है पता नहीं इसलिए ...इस तरह के कहानिया कितनी सच होती है पता नहीं इसलिए जितनी मुँह उतने वर्जन सामने आते है, मैंने भी बस कही पढ़ा था |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-69746431682435457802012-07-31T22:25:03.817+05:302012-07-31T22:25:03.817+05:30@ नकारात्मकता के सकारात्मक पहलू
मेरी पोस्ट के लिए ...@ नकारात्मकता के सकारात्मक पहलू<br />मेरी पोस्ट के लिए बेहतर शीर्षक !<br />व्यावसायिक क्षेत्र में जरुर इसको महत्व देते होंगे किन्तु आम जीवन में तो लोग बस आच्छा अच्छा ही सुनना पसंद करते है और चाहते है की सामने वाला बस उनकी हा में हा मिलता रहे नहीं किया तो आप नकरात्मक सोच वाले है और सुडोको तो मै भी इस तरह ही हल करती हूँ मुझे लगता है यही बेहतर तरीका है | नोबेल के लिए अब इतना भी मत कहिये की पहले ही नकरात्मक सोच आ जाये की सरस्वती माँ के मन में :)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-27969587326807336832012-07-31T22:18:26.356+05:302012-07-31T22:18:26.356+05:30मै आप से सहमत हूं |मै आप से सहमत हूं |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-34430985832796007652012-07-31T11:37:57.270+05:302012-07-31T11:37:57.270+05:30सकारात्मक या नकारात्मक भाव स्वयं में कुछ नहीं हैं,...सकारात्मक या नकारात्मक भाव स्वयं में कुछ नहीं हैं,वे हमारे ऊर्जा-स्तर के प्रतीक मात्र हैं। इसमें भी संदेह नहीं कि हमारी सोच का न सिर्फ हम पर,बल्कि हमारे परिवेश पर भी असर पड़ता है। शुभ बोलना हमारे जीवन का अंग होना चाहिए,बात चाहे दूसरों के बारे में ही क्यों न हो। जिस दिन व्यक्ति में यह परिवर्तन होगा,उसे न तो किसी ग्रंथ की आवश्यकता रहेगी,न पुरस्कार की!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-10932235903557981952012-07-31T10:40:27.670+05:302012-07-31T10:40:27.670+05:30jab maan 'saraswati' jaban pe aati hai tab...jab maan 'saraswati' jaban pe aati hai tab sayad maan kali-durga nepathya me chali jati hai.....<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-4695521374687920412012-07-31T09:22:45.816+05:302012-07-31T09:22:45.816+05:30आपका मुख्य पेराग्राफ इतना लम्बा हो गया है कि पढन...आपका मुख्य पेराग्राफ इतना लम्बा हो गया है कि पढने में कठिनाई हो रही है- (नकारात्मक भाव)। जीवन में अच्छे और बुरे की हमेशा विवेचना होनी चाहिए।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-86300908667938844272012-07-31T00:28:24.035+05:302012-07-31T00:28:24.035+05:30gandhi ji ne pin rakh liya tha ye kahkar ki jo kam...gandhi ji ne pin rakh liya tha ye kahkar ki jo kam ki cheez hai vah main rakh raha hoon jo bekar hai use hata raha hoon .sach hai ki kabhi kabhi nakaratmak soch bhi hamare liye sahi sabit hoti hai aur hame bahut si pareshaniyon se bacha leti hai.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार. <a href="http://shalinikaushikadvocate.blogspot.com" rel="nofollow"> मोहपाश को छोड़ सही राह अपनाएं .</a> <a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com" rel="nofollow"> रफ़्तार ज़िन्दगी में सदा चलके पाएंगे .</a>Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-37141224285490593662012-07-31T00:06:40.213+05:302012-07-31T00:06:40.213+05:30नकारात्मकता के सकारात्मक पहलू|
जिन पहलुओं का जिक्...नकारात्मकता के सकारात्मक पहलू| <br />जिन पहलुओं का जिक्र आपने किया है, ये वो नकारात्मकता नहीं है जिसे आम बोलचाल में हम लोग लेते हैं| कोई भी नीति बिना इन सब बातों पर विचार किये नहीं बनती| ऐसा हुआ तो क्या होगा के साथ ऐसा न हुआ तो क्या होगा, इस पर भी हमेशा विचार करना चाहिए| प्रबंधन में SWOT analyis जहां स्ट्रेंथ की बात करता हैं वही वीक्नैसेस, ओपोर्चुंनिटीस और थ्रेट्स की बात भी करता है| इस सबके अलावा, मैं तो इसका सबसे ज्यादा उपयोग सूडोकू हल करने में करता हूँ, कि इस बोक्स में ये नंबर नहीं आ सकता:)<br />सरस्वती मैया आपको नोबेल शान्ति, नोबेल साहित्य, नोबेल फिजिक्स, नोबेल कैमिस्ट्री वगैरह सभी श्रेणियों के पुरस्कार दिलवाएं| नकारात्मकता का उपयोग करते हुए हम तो कहेंगे कि नोबेल से नीचे तो कुछ सोचना ही नहीं है:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-15460698199546383062012-07-30T23:46:31.404+05:302012-07-30T23:46:31.404+05:30मैं नकारात्मकता को व्यवहारिक सोच के ज्यादा करीब पा...मैं नकारात्मकता को व्यवहारिक सोच के ज्यादा करीब पाती हूँ...... बाकि अति तो किसी भी तरह की सोच की न हो यह ज़रूरी है ही ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-35654051668706897332012-07-30T22:25:52.165+05:302012-07-30T22:25:52.165+05:30मैंने पोस्ट में लिखा है कुछ केस हाथ से निकल चुके...मैंने पोस्ट में लिखा है कुछ केस हाथ से निकल चुके होते है उनका फिर सामना ही करना पड़ता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-72971019227916671262012-07-30T22:23:35.061+05:302012-07-30T22:23:35.061+05:30मैंने भी इस पोस्ट में वही कहा है की नकारात्मकता को...मैंने भी इस पोस्ट में वही कहा है की नकारात्मकता को भी थोड़ी सकारात्मक ढंग से लेना चाहिए <br />और उस पोस्ट में तो मध्यम वर्ग को ललकारने जैसा था वही नकरात्मक बात कहा उन्हें जोश में लाने की चेष्टा जैसा इस बार मीडिया ने किया है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-53281430358077309482012-07-30T22:19:12.193+05:302012-07-30T22:19:12.193+05:30संतुलन होना बहुत जरुरी है कोई भी किसी पर हावी ना ह...संतुलन होना बहुत जरुरी है कोई भी किसी पर हावी ना हो |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com