tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post990461753983495973..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: गाली पुराण -२ हम विरोध से क्यों बचते है - - - - - - mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-472969013165314602011-01-19T20:33:07.858+05:302011-01-19T20:33:07.858+05:30do not like remote is in our hand dont watch that ...do not like remote is in our hand dont watch that show.<br />Must learn to respect the freedom of others.smhttp://realityviews.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-32398924302777916482011-01-19T17:20:44.254+05:302011-01-19T17:20:44.254+05:30very nice post dear friend
Music Bol
Lyrics Mantr...very nice post dear friend<br /><br /><a href="http://musicboll.blogspot.com" rel="nofollow">Music Bol</a><br /><a href="http://lyrics-mantra.blogspot.com" rel="nofollow">Lyrics Mantra</a>ManPreet Kaurhttps://www.blogger.com/profile/17999706127484396682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-18942563549574548092011-01-18T16:42:54.818+05:302011-01-18T16:42:54.818+05:30vyakti ke pas jab apne rosh ko vyakt karne ke liye...vyakti ke pas jab apne rosh ko vyakt karne ke liye shabdon ka abhav rahta hai to uski javan anayas hi galiyan bakne lagti hai........Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-54570576160481673382011-01-17T04:00:08.826+05:302011-01-17T04:00:08.826+05:30शब्दों का अर्थ समय के साथ साथ बदल भी जाता है। अधिक...शब्दों का अर्थ समय के साथ साथ बदल भी जाता है। अधिकतर गालियां होती हैं जो सदैव एक ही अर्थ रखती हैं। पर कुछ शब्दों के अर्थ कालातंर में बदल गए। गुंडा और लुच्चा ऐसे ही शब्द हैं। समय के साथ समाज में अच्छे शब्द अपना वजूद जमाते जा रहे हैं, वहीं ऐसे शब्द जो कल तक घर में बोले जाने पर जमकर मार पड़ती थी, वो अब स्वीकार्य होते जा रहे हैं।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-2069973769813886092011-01-17T00:08:54.983+05:302011-01-17T00:08:54.983+05:30अपशब्दों का प्रयोग कोई भी करे बुरा ही लगता है .......अपशब्दों का प्रयोग कोई भी करे बुरा ही लगता है ...... यक़ीनन इसका विरोध भी ज़रूरी है...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-26204679360428578222011-01-16T15:45:27.818+05:302011-01-16T15:45:27.818+05:30@ राजन जी
होता ये है की जब हम ...@ राजन जी <br /><br /> होता ये है की जब हम किसी के लिए ये मान लेते है की वो मेरा बुरा करेगा तो उसके छिकने पर भी हमें अपने खिलाफ साजिस लगती है जबकि ऐसा होता नहीं है , लोग ओवर कॉन्सेस हो जाते है उसके लिए मै क्या करू |<br /><br />जब हम दोनों के बीच हिंदुत्व और धर्मनिरपेक्षता को लेका बहस हुई थी तो उसके दो दिन बाद ही मेरे लिए सब ख़त्म था जब मैंने उन्हें फालो करना बंद कर दिया मुझे नहीं पता था की वो मेरी पोस्ट पढ़ती है वो भी एक एक टिप्पणी सहित उनकी मर्जी मै क्या कर सकती हु | <br /><br />मैंने एक पोस्ट पर नहीं तीन बार उनके पक्ष में टिप्पणिया दी है आगे भी देती यदि उन्होंने मुझे इसके लिए रोका नहीं होता | <br /><br />पढ़ने वाले सब समझते है संजय जी की टिप्पणी पढ़े वो बता रहे है की पाठक क्या करते है , इसलिए सफाई की कोई जरुरत नहीं है सफाई के लिए मेरी ये दो पोस्ट ही काफी है जो उन्होंने अपने ऊपर समझ ली थी | <br /><br /> <br /><br /> @ रचना जी <br /><br /> धन्यवाद | मै खुद नारी हु इसलिए उन्हें और अच्छे से समझती हु , उनकी भावना दुःख और गुस्से को भी अच्छे से समझती हु | वो इस समय समझ नहीं पा रही है की वो किसको क्या कह रही है | बस दुख होता है की इन सब में सबका समय और क्षमता व्यर्थ जा रहा है देखिये मुझे भी आज रविवार को थोडा समय इस कारण ब्लॉग के लिए निकलना पड़ा |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-66205670611117964932011-01-16T15:45:08.369+05:302011-01-16T15:45:08.369+05:30@ प्रवीण जी
आप की पिछली दो कवि...@ प्रवीण जी <br /><br /> आप की पिछली दो कविता में कही भी गाली नहीं थी मुझे नहीं लगता की आप जो कहना चाहते थे वो नहीं कहा पाये या उसका असर उतना नहीं हुआ जितना गाली से होता | बिना गाली के हमारे पास कहने के लिए ज्यादा शब्द और भावनाए होती है और वो भी हर बार अलग |<br /><br /> और हँस लीजिये मुझ पर जितना मन करे पर मैंने जब उस पत्थर पर सर मार था तो पता थोड़े था की वो पत्थर है वो तो मारने के बाद पता चला | पर आप तो इतनी बार उस पत्थर पर हाथ मार चुके है आप को अभी तक नहीं पता चला की वो पत्थर है :)))))anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-59013921763489843692011-01-16T15:44:43.944+05:302011-01-16T15:44:43.944+05:30@शिखा जी , संजय जी
बिल्कुल सही कहा क...@शिखा जी , संजय जी<br /><br /> बिल्कुल सही कहा की विरोध झेलना सबके बस की बात नहीं होती है | खुद मेरा अनुभव भी मिला जुला है जहा कई बार कई बड़े ब्लोगरो ने उनकी गलती की तरफ मेरे द्वारा ध्यान दिलाने पर ना केवल अपनी गलती सुधारी बल्कि सार्वजनिक रूप से उसे मान भी ली | वही किसी के साथ बहस भी हुई है और दो बार खरी खोटी भी सुननी भी पड़ी है | फिर भी अगली बार किसी और को कोई गलती करते देखूंगी तो एक बार ही शालीन भाषा में टोकुंगी जरुर बस भाषा उनकी आलोचना करने वाली नहीं उनकी गलती की तरफ ध्यान दिलाने वाली होगी ठीक किया तो उनके लिए अच्छा होगा नहीं तो बहस तो नहीं करुँगी | ऐसा करने से फायदा ये होता है कि कई बार लोग ऊपर से अहम के कारण भले अपनी गलती ना माने पर वो खुद जान जाते है की उन्होंने गलती की है उसे दोहराने कि संभावना कम हो जाती है | <br /><br /> संजय जी चित पट वाली बात तो मैंने भी कई बार देखा है शायद लोग ये अपने निजी संबंधो के कारण करते है पता नहीं ???anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-65803321833231099412011-01-16T14:38:59.618+05:302011-01-16T14:38:59.618+05:30अच्छा लगा अंशुमाला कि आप ने नारी होने के नाते दूस...अच्छा लगा अंशुमाला कि आप ने नारी होने के नाते दूसरी नारी के प्रति अपना नैतिक कर्तव्य याद रखा । व्यक्तिगत रूप से मे गाली के जवाब मे गली देने कि परिपाटी को गलत नहीं मानती पर एक दूसरी महिला अगर सामने हो तो अपने नियम बदल लेती हूँ । अपशब्दों कि हिमायती नहीं हूँ , अपनी और से कभी देती भी नहीं पर कोई दे तो बर्दाश्त नहीं करती फिर भी नारी नारी कि दुश्मन ना बने इस पर अटल हूँ<br />सादर<br />रचनारचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-7225916421906820442011-01-16T09:23:42.748+05:302011-01-16T09:23:42.748+05:30परिचित हों या अपरिचित, बिना गाली-गलौज के विरोध या ...परिचित हों या अपरिचित, बिना गाली-गलौज के विरोध या असहमति जता ही देते थे हम। सलिल जी जैसा अनुभव हमें भी हो चुका है, उल्टे हम ही उपदेश सुनकर आ गये थे। हमने उस बहस को लंबा नही खींचा, जिन्हें अपनी गलती स्वीकार करने में शर्म आती हो उनके सामने हम सुझाव देने की अपनी गलती मान लेते हैं। वैसे ये ब्लॉगजगत आधुनिक कुरुक्षेत्र है जिसमें किसी सूरमा का पता नहीं चलता कि वो है किसकी तरफ़? एक ही मुद्दे पर अलग अलग ब्लाग पर अलग अलग प्रतिक्रिया देकर चित्त, पट, अंटा सब अपना ही कर लेते हैं।<br />शेर की सही सर्जरी की है, <br />"आगे आती थी कभी ही हंसी <br /><br />अब तो हर बात पर हंसी आती है | :)))"संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-51115481010278252412011-01-16T04:29:02.568+05:302011-01-16T04:29:02.568+05:30इस पोस्ट पर मैं राजेश जी से सहमत हूँ.
@अंशुमाला जी...इस पोस्ट पर मैं राजेश जी से सहमत हूँ.<br />@अंशुमाला जी,<br />जिस तरह से उस ब्लॉग पर आपके नाम को दुर्भावनावश घसीटा गया है वह निंदनीय है उन्होने पहले भी ऐसा किया था लेकिन वो बात आई गई हो गई थी जबकि तब भी मामला बस एक पोस्ट पर असहमति का था.आपने पिछली बार भी संयम का परीचय दिया था .एक ब्लॉग पर कुछ दिन पहले जब नया नया गया था तो वहाँ कुछ पुरानी पोस्ट भी पढी.एक पोस्ट ऐसी भी मिली जिसमें जब सब लोग इन मोहतरमा का नाम लेकर इन्हे मूर्ख बता रहे थे तब केवल आपने इस बात का विरोध किया था .मैं नही मान सकता कि ये पोस्ट उन्होने न पढी हो क्योंकि वह थी ही उन पर.लेकिन फिर भी बिना सोचे समझे पोस्ट में किसीका नाम लेकर ऐसी हरकत करना गलत हैँ.मुझे लगता है कि आपको भी एक पोस्ट लिखकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये इसलिये नहीं कि वे आपके बारे में गलत सोचती है बल्कि इसलिये क्योंकि बाकी लोग भी बिना सच्चाई जाने आपको गलत मान रहे है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-38261578642592743662011-01-16T04:23:26.853+05:302011-01-16T04:23:26.853+05:30इस पोस्ट पर मैं राजेश जी से सहमत हूँ.
@अंशुमाला जी...इस पोस्ट पर मैं राजेश जी से सहमत हूँ.<br />@अंशुमाला जी,<br />जिस तरह से उस ब्लॉग पर आपके नाम को दुर्भावनावश घसीटा गया है वह निंदनीय है उन्होने पहले भी ऐसा किया था लेकिन वो बात आई गई हो गई थी जबकि तब भी मामला बस एक पोस्ट पर असहमति का था.आपने पिछली बार भी संयम का परीचय दिया था .एक ब्लॉग पर कुछ दिन पहले जब नया नया गया था तो वहाँ कुछ पुरानी पोस्ट भी पढी.एक पोस्ट ऐसी भी मिली जिसमें जब सब लोग इन मोहतरमा का नाम लेकर इन्हे मूर्ख बता रहे थे तब केवल आपने इस बात का विरोध किया था .मैं नही मान सकता कि ये पोस्ट उन्होने न पढी हो क्योंकि वह थी ही उन पर.लेकिन फिर भी बिना सोचे समझे पोस्ट में किसीका नाम लेकर ऐसी हरकत करना गलत हैँ.मुझे लगता है कि आपको भी एक पोस्ट लिखकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये इसलिये नहीं कि वे आपके बारे में गलत सोचती है बल्कि इसलिये क्योंकि बाकी लोग भी बिना सच्चाई जाने आपको गलत मान रहे है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-67360279365834554422011-01-16T00:45:39.202+05:302011-01-16T00:45:39.202+05:30.
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अंशुमाला जी,
मुझे तो कभी कभी लगता है कि हम ....<br />.<br />.<br />अंशुमाला जी,<br /><br />मुझे तो कभी कभी लगता है कि हम गाली इसलिये देते हैं क्योंकि हमारे पास उस अभिव्यक्ति के लिये उचित शब्द नहीं होता... Vocabulary बहुत सीमित है हमारी...<br /><br />और हाँ... <br /><b>मैंने भी एक बार गलती से पत्थर तोड़ने के लिए अपना माथा ही दे मार था मेरे उस महान कारनामे की अभी तक चर्चा हो रही है।</b><br /><br />... :-) X 1008 times 4 this कारनामा of yours.<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-60394638023374542072011-01-15T22:39:15.506+05:302011-01-15T22:39:15.506+05:30अंशु जी !विरोध झेलना भी सबके बस की बात नहीं होती.(...अंशु जी !विरोध झेलना भी सबके बस की बात नहीं होती.(जैसा कि सलिल जी ने कहा ) शायद इसी डर से लोग नहीं करते. :) और ये भी सच है कि विरोध करना गलत नहीं पर वह शालीनता के साथ होना चाहिए.एक फैक्टर यह भी है कि किसी भी शब्द या अपशब्द की गंभीरता हर व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकती हैshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-49806931210813889832011-01-15T22:35:12.150+05:302011-01-15T22:35:12.150+05:30This comment has been removed by the author.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-4119891200120453682011-01-15T22:27:29.053+05:302011-01-15T22:27:29.053+05:30@ रश्मि जी
वही मै कहना चाह रही थी ...@ रश्मि जी <br /><br /> वही मै कहना चाह रही थी कि गालियों को आम भाषा बनाने ही क्यों दे ठोक है ये हरी लोक संस्कृति में था किन्तु जिस तरह हमने लोक संस्कृति कि कई बुरी चीजी को नकार दिया उसे आम नहीं मानते तो फिर इन गालियों को क्यों अपनाये | जैसा आप ने कहा कि लडके लड़किया आपस में ये गलिया देते है सोचिये यदि हम इन्हें स्वीकार कर ले तो हमारे बच्चे हमारे ही सामने एक दूसरे को देना शुरू कर देंगे क्या हम से बर्दास्त होगा | आप ने ये ठीक कहा की ये हमारे ऊपर की हम इन गालियों को ना अपनाये पर ये भी जरुरी है की हमारे आस पास के सभ्य और हमारे अपने भी इसे ना अपनाये तभी ये हमारे घरो बच्चो से दूर रहेगा |<br /><br /> <br /><br /> @ राज भाटिया जी <br /><br /> बिल्कुल यही बात मैंने अपनी पोस्ट में भी की थी की हम आम शब्दों को भी गालियों के रूप में प्रयोग करने लगे है ये भी गलत है जब हम लोगों को ऐसा करने से मना करेंगे तभी तो उन्हें लगेगा की वो गलत कर रहे है |<br /><br /> <br /><br />@ राजेश जी <br /><br /> बिहारी को गाली के रूप में मैंने नहीं किसी और ने टिप्पणी में किया था और सरदार वाली बात पर तो ब्लॉग जगत में पहले ही विरोध जाता दिया गया है उसी का नतीजा है की अब कोई भी ( ज्यादातर सक्रीय ब्लोगर ) इस तरह के समुदाय विशेस के लोगों को लेकर कोई मजाक या चुटकले नहीं लिखते है | <br /><br /> वैसे उस खाली स्थान पर तो किसी ने मेरा नाम पहले ही लिखा दिया है |<br /><br /> <br /><br /> @ संजय जी , सलिल जी <br /><br /> मैंने यहाँ लिखा है की कम से कम अपने परचित के ब्लोगों पर ऐसा करे जिसको आप लोग जानते हो | भाई लोग शीशा तोड़ने के लिए पत्थर मारे ठीक पर पत्थर तोड़ने के लिए शीशा मारेंगे तो का होगा | आप की ही तरह मैंने भी एक बार गलती से पत्थर तोड़ने के लिए अपना माथा ही दे मार था मेरे उस महान कारनामे की अभी तक चर्चा हो रही है | ;))))<br /><br /> आगे आती थी कभी ही हंसी <br /><br /> अब तो हर बात पर हंसी आती है | :))))anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-55556417250802575842011-01-15T22:03:49.768+05:302011-01-15T22:03:49.768+05:30@ राजेश जी , संजय जी
आ...@ राजेश जी , संजय जी <br /><br /> आप लोगो की को जलने की जरुरत नहीं है आप लोग तो मुझे एक आम महिला एक आम मामूली सी ब्लोगर समझ कर ना कभी मेरी चर्चा करते है ना मेरी यशोगाथा गाते है | पर कोई है जिसे मेरी कद्र है उन्हें दो चार टिप्पणियों से मेरी विद्वता ने इतना प्रभावित किया की आज भी मेरी चर्चा कर रही है मेरी यशोगाथा गा रही है | अच्छा हो आप लोग जलने के बजाये मुझसे कुछ सीखिए | कम से कम इसी बहाने कई नए ब्लोगर कई महाभारत रामायण पसंद करने वाले धार्मिक ब्लोगर जो उनकी पोस्ट पर आते है मुझसे जुड़ जायेंगे बिना मेरे प्रयास के | नहीं तो पहले सबके ब्लॉग पर जा जा कर टिपियाना पड़ता था | उनको मेरी तरफ से धनबाद, पटना, पुरा बनारस है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-84019571432467974712011-01-15T20:49:05.640+05:302011-01-15T20:49:05.640+05:30ब्लॉग पर इतना अच्छा लेख लिखना मना है।ब्लॉग पर इतना अच्छा लेख लिखना मना है।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-83406679332356204472011-01-15T20:46:34.403+05:302011-01-15T20:46:34.403+05:30आपके लेख में प्रस्तुत विचार अनुकरणीय है! बहुत अच्छ...आपके लेख में प्रस्तुत विचार अनुकरणीय है! <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2011/01/blog-post_15.html" rel="nofollow">फ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (दूसरा भाग)<br /></a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-9582962680917747382011-01-15T19:53:12.257+05:302011-01-15T19:53:12.257+05:30अंशुमाला जी!आप विरोध की बात करती हैं. एक बार ग़लती ...अंशुमाला जी!आप विरोध की बात करती हैं. एक बार ग़लती से मैंने ग़लती सुधार दी थी सिर्फ एकछोटे से सवाल के माध्यम से... और तब जिनकी ग़लती सुधारी थी, उन्होंने जवाब देना तो दूर मुझे बिहारी, अनपढ, नासमझ और न जाने क्या क्या कह डाला. मैं चुपचाप सुनता रहा और बस अपना सवाल दोहराता रहा. उन्हें चुप हो जाना पड़ा. मैंने विरोध में कुछ भी नहीं कहा.<br />मॉडरेशन में मेरा मामूली सआ कमेंट भी डिलीट कर दिया गया और इतना दावे से कह सकता हूँ कि दुनिया के किसी समाजिक पैमाने से न तो वो अश्लील, गाली, अनुचित या असम्मानजनक था. हाँ वह सिर्फ उनकी बात को दुरुस्त करता हुआ था.<br />दरसल हम यह स्वीकारने को तैयार नहीं हो पाते कि हमसे ग़लती हो सकती है! और किसी ने आईना दिखा दिया तो आसमान सिर पर उठा लिया. <br />आगे आती थी हालेदिल पे हँसी,<br />अब किसी बात पर नहीं आती!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-4954629311848981522011-01-15T19:51:22.068+05:302011-01-15T19:51:22.068+05:30rashmi ravija जी की बौद्ध वाली बात से याद आया कि ज...rashmi ravija जी की बौद्ध वाली बात से याद आया कि जब भी किसी अनजान भाषा को informal तरीक़े से सीखने की बात चलती है तो सबसे पहले यही पता किया जाता है कि वो कौन-कौन से अपशब्द हैं जो सामने वाला आपकी शान में कसीदे पढ़ने के लिए इस्तेमाल करे तो कम से कम पता तो चले...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-33951441037744434402011-01-15T18:37:58.312+05:302011-01-15T18:37:58.312+05:30कल आपके ब्लॉग पर आये तो कई जगह भटकना पड़ा,लिंक कोई...कल आपके ब्लॉग पर आये तो कई जगह भटकना पड़ा,लिंक कोई था नहीं। आज फ़िर वही आलम:) कमेंट लिख रहा था कि राजेश उत्साही जी की टिप्पणी पढ़कर फ़िर से सूंघते सूंघते एकाध जगह तो आपकी यशोगाथा देख आये हैं। <br />आपकी मानें तो विरोध करना चाहिये, हमारे हिसाब से जहाँ समर्थन करना हो वहाँ समर्थन जरूर करना चाहिये। विरोध वहीं शोभा देगा, जहाँ असहमति को सम्मान मिलता हो। अपना अपना सिद्धांत है सबका।<br />जो ब्लॉग्स प्रेज्युडिस्ड सोच से भरे दिखते हैं, उन्हें पढ़ बेशक लें लेकिन कमेंट करने से बचते ही हैं। समय कम है जी अपने पास:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-7336096959259582502011-01-15T17:41:54.441+05:302011-01-15T17:41:54.441+05:30लीजिए अंशु जी ब्लाग जगत में भी कुछ नई गालियां इजा...लीजिए अंशु जी ब्लाग जगत में भी कुछ नई गालियां इजाद हो गई हैं। अगर आपको किसी महिला ब्लागर को गाली देनी हो तो कह सकती हैं........कहीं की। (कृपया खाली स्थान में अपनी पसंद की मेरा मतलब है नापसंद की ब्लागर का नाम भरलें।) और किसी पुरुष को गाली देनी हो तो भी यही फार्मूला अपनाया जा सकता है। <br />*<br />आप फिर से चर्चा में हैं कहीं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-50527358414148967302011-01-15T17:16:26.081+05:302011-01-15T17:16:26.081+05:30गाली देना और सुनना दोनों बुरी बातें हैं...बीमार मा...गाली देना और सुनना दोनों बुरी बातें हैं...बीमार मानसिकता के लोग ही गाली का प्रयोग करते हैं...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-75401869159456576622011-01-15T16:43:08.815+05:302011-01-15T16:43:08.815+05:30अंशु जी पहली बात तो यह, मेरा मानना है कि कल आपने ज...अंशु जी पहली बात तो यह, मेरा मानना है कि कल आपने जो चुटकुला दिया था वह वास्तव में चुटकुला है ही नहीं,बल्कि वह असलियत है। किसी घनी बस्ती में सटे हुए घरों की छत पर खडे़ होकर कोई अगर हवा में भी एक ऐसी गाली उछालेगा तो लौटकर वैसे ही गालियां आएंगी। <br />दूसरी बात जब पोस्ट ही गालियों पर केन्द्रित है तो फिर उस तथाकथित चुटकुले को भी हम उसी तरह से पढ़ रहे हैं। तीसरी बात मैंने पहले शिखा जी के ब्लाग की पोस्ट पढ़ी। वहां उन्होंने जिस तरह गालियों का जिक्र किया है उसके बाद इस चुटकुले को पढ़ना तो बस एक और उदाहरण ही लगा। <br />*<br />कल आपने बिहारी शब्द को गाली के रूप में उपयोग किए जाने की बात कही थी। आपने ऐसे बहुत से चुटकुले सुने होंगे जो खासतौर पर सरदारों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं। आप उस चुटकुले में भी सरदार ही पात्र है। गालियों में स्त्रीयों को निशाना बनाया जाता है और चुटकुलों में किसी वर्ग विशेष को। यह भी उतना ही खतरनाक है। संता-बंता नाम से दो पात्र इस कदर लोकप्रिय बना दिए गए हैं कि वे अब आपको हर कहीं मिल जाएंगे। उनके माध्यम से जिन बेवकूफियों की बात कही जाती है वह किसी भी व्यक्ति के लिए हो सकती है,पर चुटकुलों में केवल सरदारों को निशाना बनाया जाता है। यह भी एक तरह की गाली ही है। ध्यान दें कि आप,आपके परिचित और बच्चे कहीं अनजाने में ही इन चुटकुलों को फैलाने में मदद तो नहीं कर रहे।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com