नोट --- मुद्दे शायद कई आ गए है इसलिए विचार कही घुले मिले से लेगे तो झेल लीजियेगा
एल आई सी का विज्ञापन " चाचु आप को शादी के लिए कैसी लड़की चाहिए "
चाचू जबाब देते है की लड़की पैसे वाले घर से हो तो एक सपोर्ट मिलेगा , बचत करने वाली हो तो सेविंग होगी जिंदगी अच्छी चलेगी , पढ़ी लिखी और सरकारी नौकरी वाली हो तो बुढ़ापे की चिंता न हो । बच्चा कहता है की चाचू ये सब चाहिए तो एल आई सी की फलाना पॉलोसी ले लो और शादी ऐसी लड़की के साथ करो जो तुम्हे प्यार करे । हाल ही में रचना जी ने नारी ब्लॉग पर दो पोस्टे डाली एक में एक गांव से आ कर शहर में बसे एक युवा लडके की है जिसे गांव की अरेंज मैरिज वाली पत्नी नहीं पसंद है , तो दूसरी पोस्ट में युवा लड़की है (जो अब डाक्टर भी है ), जो अपने ९ साल के सम्बन्ध को शादी में न बदल पाने और उसे बिना बताये उसके प्रेमी के किसी और से शादी कर लेने से दुखी है , और अब अपने प्रेमी को सबक सिखाना चाहती है । उस पोस्ट पर मुक्ति जी और रचना जी कहती है की समस्या ये है की आज भी बच्चो को माता पिता अपनी मर्जी का जीवन साथी नहीं चुनने देते है , उन्हें पढ़ने के लिए बाहर भेज देते है किन्तु विवाह का निर्णय खुद करते है , और इस कारण कई बार बेमेल विवाह हो जाता है , पति को पत्नी नहीं पसंद या पत्नी को पति । विवाह के लिए इन युवाओ को मर्जी को जानना चाहिए और उनका विवाह उनकी मर्जी से करना चाहिए ।
किन्तु सवाल ये है की आज के युवा अपने लिए जीवन साथी चुनने में कितने सक्षम है , जीवन साथी को लेकर उनकी सोच क्या है , क्या पढाई लिखाई करने के बाद उनके कपडे रहने खाने के ढंग के साथ की क्या जीवन साथी को लेकर उनकी सोच भी बदली है । विवाह के लिए जीवन साथी के रूप में आज के युवा क्या चाहते है इसकी कुछ बानगी देखिये ( अपनी छोटी बहनों के लिए कितने ही लडके देखे उनसे बात की अपनी बिरादरी से बाहर तक के लडके देखे इसलिए कुछ का निजी अनुभव है और कुछ आस पास के युवाओ से बात की है )
करीब २८ साल का युवा एयरनॉटिक इंजिनियर ( हेलीकाप्टर के इंजिनियर को यही कहते है न ) जिनको अपने काम के लिए एक हफ्ते मुंबई और एक हफ्ते पुणे में रहना होता है के विचार , जी मुझे पढ़ी लिखी समझदार पत्नी चाहिए ,नहीं मै उससे नौकरी नहीं कराऊंगा , आप तो टीवी सीरियल में देखा होगा की कैसे नौकरी करने वाली पत्नियों से परेशानी होने लगती है , फिर घर आओ तो घर पर कोई एक कप चाय भी पिलाने वाला न हो तो शादी से क्या फायदा । पत्नी तो मुंबई में ही रहेगी उसे पुना ले कर अप डाउन नहीं करूँगा :)
तो भैया ये बताओ की पुने में तुमको एक हफ्ते चाय कौन पिलाएगा , क्या वहा के लिए दूसरी पत्नी रखोगे ।
बैंक में नौकरी करने वाला युवा जिसने बाकायदा अखबार में विज्ञापन दिया है , प्रोफेशनल लड़की से विवाह , जी नहीं मुझे भी अपनी पत्नी से नौकरी नहीं करवानी है , तो प्रोफशनल लड़की की बात क्यों कही , जी वो तो इसलिए की लड़की थोडा पढ़ी लिखी हो मुझे घर का आटा दाल न लाना पड़े :)
हे प्रभु घर का सामान लाने के लिए भी किसी प्रोफेशनल डिग्री की जरुरत होती है ।
अपने पिता की दुकान को अपने स्तर का न बताने वाला युवा जो बाहर जा कर मामूली सा डी डी पी के काम को ही बड़ा और पढ़ा लिखा काम मानता है , मुझे फलाने की पत्नी ने भी सुन्दर पत्नी चाहिए , चार दोस्तों के बीच ले जाने लायक हो और दहेज़ भी उससे ज्यादा चाहिए वो तो दो भाई है , जबकि मै तो इकलौता बेटा हूँ :)
भाई पत्नी अपने लिए चाहिए या दोस्तों के लिए ।
एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर, मै ५ फिट १० इंच का हु तो लड़की कम से कम ५ फिट ६-७ इंच की हो मेरी सेलरी ८ लाख है तो लड़की की कम से कम ७ लाख हो मेरा रंग गेहुआ है पर लड़की बिलकुल गोरी और सुन्दर होनी चाहिए , और खाना उसे केवल भारतीय ही नहीं विदेशी भी आना चाहिए, बिलकुल मेरी टक्कर की हो हम दोनों चले तो लगे की भाई जोड़ी हो तो ऐसी ।
बंधू इस कद वाली और ७ लाख कमाने वाली लड़की अपने टक्कर के लडके के साथ जिसका कद ६ फिट और कमीई १०-१ 2 लाख होगी उससे करेगी तुमसे क्यों करेगी, उस पर से तुमको खाना भी लिखाएगी बना कर ,एक कुक न रख लेगी अपनी कमाई से , उसे भी तो अपनी जोड़ी लाजवाब बनानी होगी ।
लड़किया भी कम नहीं है , समय बदल गया किन्तु सफ़ेद घोड़े पर मुझे "प्यार" करने वाला मेरा "राजकुमार" आयेगा की मानसिकता अभी भी बहुत सारी लड़कियों के दिमाग से नहीं उतरा है । उत्तर भारत के एक गांव में युवती बी ए की पढाई आगे बस घरेलु जीवन जीने की इच्छा जीवन साथी कैसा चाहिए, सीधा जवाब था की कम से कम ३० - ४० हजार कमाता हो उसके आगे उन्होंने कोई दूसरी बात नहीं कही । इसी तरह की एक और युवती , गोरा लम्बा हैंडसम हो और मुझे खूब प्यार करे । जो पढ़ी लिखी है नौकरी कर रही है , मुझे तो ऐसा पति चाहिए जो पढ़ा लिखा हो खुले दिमाग का आजाद ख्याल रहे, अकेले रहता हो संयुक्त परिवार नहीं चाहिए , मुझे भी नौकरी करने दे , मुझे भी आजादी रहे । किन्तु इन्हें ये नहीं पता की पढ़े लिखे होने भर से कोई आजाद ख्याल नहीं हो जाता है और संयुक्त परिवार न भी हो तो भी पति पत्नी को आजादी दे ही दे ये भी जरुरी नहीं है । ( अब आप कह सकते है की लड़को को इतने उदहारण दिए लड़कियों के इतने कम क्यों , जवाब सीधा सा है की लड़कियों से पूछता कौन है की उन्हें कैसा जीवन साथी चाहिए उन्हें बोलने का हक़ ही कहा है , उन्हें पसंद या नापसंद किया जाता है वो किसी को पसंद या नापसंद नहीं करती है विवाह के लिए , हा कुछ घरो में ये स्थिति बदली है किन्तु वो संख्या बहुत ही छोटी है ) ये लिस्ट बहुत ही लम्बी है आप लोगो के पास भी इस तरह के उदहारण होंगे ।
आज कल के ज्यादातर ( जो कोई बड़ी डिग्रीधारी है या जो नए नए आधुनिक बने है ) युवा जीवनसाथी के रूप में चाहते क्या है इसे लेकर उनकी समझ थोड़ी उलझी हुई है , असल में पति और पत्नी कैसे हो इस बात को लेकर ही उनके मन में गलत धारणाये बनी हुई है , एक घिसी पिटी सी सोच, लकीर है और हर युवा उसी पर चलना चाहता है , की बस मै ही अपना जीवन साथी चुनुगा तो वो मेरे लिए ठीक होगा नहीं तो दुसरो ने किया या उसमे वो सारी खूबिया नहीं हुई और कोई भी कमी हुई तो वो विवाह बेमेल है उसमे रहना एक समझौता है । सबसे बुरी हालत उन की है जो अभी अभी आधुनिक बने है , गांवो से पढ़ने शहर में आ गए दो चार साल की पढाई और एक नौकरी उन्हें अचानक से गलतफहमी में डाल देते है की वो अब आधुनिक हो चुके है , खासकर विवाह के मामले में अब उन्हें उनके पसंद की या कहे उनके स्तर ? की लड़की चाहिए । जबकि वास्तव में दिमागी तौर पर खासकर अपनी पत्नी को लेकर उनकी सोच में जरा भी परिवर्तन नहीं होता है , कुछ तो इस बात को भली प्रकार जानते है और भले शहर में रहे किन्तु भूल कर भी शहर की लड़की से शादी नहीं करते है , कितनो को ही जानती हूँ कहते है बाप रे मुंबई -दिल्ली की लड़की के साथ शादी कभी नहीं यहाँ की लड़की पत्नी के रूप में हमें नहीं चलेगी , वो अपनी सोच को जानते है और ये भी जानते है की शहरो में पली बढ़ी लड़कियों की सोच को वो पचा नहीं पाएंगे , जबकि कुछ पूरी तरह से गलतफहमी में ही जीते रहते है । अब रचना जी ने अपनी पोस्ट में जिस युवक ने अपने बारे में लिखा है उसे ही ले लीजिये हम जिस देश में रहते है वहा किसी लड़की का शराब न पीना उसकी कमी कब से बन गई , जो युवक इतना आधुनिक बन रहा है वही एक रुढ़िवादी पति की तरह अपनी पत्नी को जरा भी सम्मान नहीं दे रहा है उसके अंग्रेजी न जानने भर को वो गावर होने की निशानी बता रहा है , क्या वो अपने माता पिता को भी ऐसे शब्दों से नवाजेगा शायद नहीं क्योकि वो कहने को तो आधुनिक बना गया है किन्तु दिमाग में आज भी पत्नी को लेकर वही सोच है कि उसे मेरी कठपुतली होना चाहिए उसे वही करना चाहिए जो मै कहूँ , यहाँ तक की नौकरी भी वही करनी चाहिए जो मेरी मर्जी हो , पत्नी की मर्जी पत्नी की सोच से उसे कोई लेना देना नहीं है पत्नी का अर्थ है वो महिला जो बस आज्ञाकारी गुलाम की तरह अपने पति की हर उम्मीदों पर खरा उतरे , इन सब के आलावा एक पढ़ी लिखी नौकरी कर रही लड़की को खाना बनाना और घर संभालना भी अच्छे से आना चाहिए नौकरी करने के बाद भी ये जिम्मेदारी भी केवल उसी की होगी , यहाँ पर इनकी आधुनिकता उनकी पढाई लिखाई उनका शहरीपन कहा चला जाता है, तब वो आधुनिक पति की तरह उसे अपनी भी जिम्मेदारी नहीं समझते है ।
क्या खुद के पसंद से विवाह करने में कोई परेशानी ही नहीं है , क्या खुद से अपना जीवन साथी चुनने पर उनकी सभी इच्छाए पूरी हो जाती है , जवाब सीधा सा है नहीं, ऐसा हो ही ये भी जरुरी नहीं है , बिलकुल वैसे ही जैसे अरेंज मैरिज का मतलब बस बेमेल और बच्चो की मर्जी के खिलाफ विवाह ही होता है । ज्यादा क्या कहु आज कल के युवा लिव इन रिलेशन से आजम कर अपना जीवन साथी चुनना चाहते है और नतीजा क्या है , कि आज लिव इन रिलेशन को भी कोर्ट को घरेलु हिंसा में शामिल करना पड़ा , इतने से ही आप समझ गए होंगे की मै क्या कहना चाह रही हूँ । अब खुद रचना जी के दूसरी पोस्ट को देखिये जिसमे लड़की बता रही है की ९ सालो के संबंधो के बाद भी विवाह नहीं हुआ , लडके ने उसे धोखा दिया , लड़की ने अपनी मर्जी से किसी को अपना जीवन साथी चुन था, उसका एक ये भी नतीजा हुआ , और ये धोखा दोनों तरफो से होता है । आधुनिकता के नाम पर वो ऐसे संबंधो में आ तो जाते है किन्तु उसके टूटने को वो उसी आधुनिकता के साथ पचा नहीं पाते है , तो बहुत सी जगहों पर ऐसी संबंधो के नाम पर लड़की और लड़का दोनों का शोषण होता है कभी शारीरिक और कभी आर्थिक , और जो रिश्ते विवाह तक पहुँच भी जाते है वह भी विवाह के बाद बिलकुल वैसे ही होते है जैसे किसी अरेंज मैरिज में पति पत्नी के बीच होता है । आप को हजारो जोड़े मिल जायेंगे जो बताएँगे की लव मैरिज में मैरिज के बाद लव पता नहीं कहा गया अब तो बस मैरिज ही बचा है । कारण एक ही है की जीवन साथी को लेकर युवाओ की सोच आज भी वही रुढ़िवादी है , वो भले ही कितने ही आधुनिक हो गए है । पति पत्नी के बिच झगड़े तनाव , विवाद , एक दूसरो क नापसंद करना और तलाक हर तरह के विवाह में होते है , वो जो सिर्फ माता पिता की मर्जी से हुए , उसमे भी जो माता पिता और बच्चो दोनों की मर्जी से हुए , उसमे भी जो केवल बच्चो की मर्जी से हुए और उनमे भी जिसमे कई सालो तक लिव इन रिलेशन के बाद विवाह हुए । कोई भी विवाह ऐसा नहीं होता है जिसमे कुछ समझौते न हो , जिसमे दोनों में कोई कमिया न हो , जिसमे किसी मुद्दे पर दोनों के विचार अलग न हो । यदि विवाह में दो व्यक्ति है दो इकाई है तो निश्चित रूप से वहा दो तरह की सोच होगी और कभी न कभी वो आपस में टकराएंगी और दोनों को समझौता करना होगा , हा वहा पर नहीं होंगे जहा पर पत्नी को दूसरी इकाई माना ही न जाये ।
कहने का अर्थ ये है की जो युवा और परिवार भी आधुनिक पढ़ा लिखा होने का दंभ भरते है उन्हें पहले अपने जीवन साथी को लेकर अपनी सोच को बदलना होगा , और उसे भी उतना ही आधुनिक बनाना होगा जितना की वो खुद को समझते है , पत्नी को सम्मान देना, उसके अस्तित्व को स्वीकार करना , उसकी इच्छा मर्जी का भी ध्यान रखना और उसे भी परिवार की बराबरी की इकाई समझना , और खुद से कमतर न समझने की समझ बढानी होगी , पहले किसी बात में सक्षम बनिए फिर कीजिये कोई मांग । मैंने जो कहा वही सत्य नहीं है सभी की अपनी सोच है और अपवाद से दुनिया भरी पड़ी है ।
चलते चलते
दो दिन पहले एक बच्ची के जन्मदिन में गई वहा कुछ गेम के बाद लडके और लड़कियों की दो टीम बना दी गई और फिर उनके बीच शारीरिक ताकत के गेम शुरू कर दिया गया , हम सब बेटियों वाली मम्मियो ने कहा ये गलत है लड़किया हार जायेंगी निश्चित रूप से लडके शारीरिक ताकत में उनसे ज्यादा होते है और लड़किया ऐसे गेम खेलना भी पसंद नहीं करती है , उन्हें इसकी आदत नहीं है , उन्हें चोट लग जाएगी , किन्तु कुछ ही मिनट में हमारी ही बेटियों ने हमें गलत साबित कर दिया ५ में से ४ गेम जित गई । हम सभी अपनी बेटियों को कम आकते है , असल में हम सभी बेटियों को कम आकते है । वो गांव में पढ़ी लिखी है तो आधुनिक नहीं होगी , वो बदल नहीं सकती है , गांव की लड़की शहर में पढ़े लिखे लडके के लिए उपयुक्त पत्नी नहीं है , यदि लड़की को आधुनिक बनाना है तो उसे अपने गांव शहर से दूर जा कर ही पढाई करनी होगी तभी वो आधुनिक बनेगी , उन्हें आधुनिक बनना ही चाहिए , इसलिए की उनका विवाह किसी अच्छे लडके से हो सके , क्यों ऐसा क्यों होना चाहिए , हम क्यों अपनी बेटियों को कम आंक रहे है हम क्यों कहते है की हिंदी मीडियम से पढ़ी लड़की कुछ कर नहीं सकती है, गांव के घरेलु वातावरण में पली लड़की कुछ कर नहीं सकती है । यदि ये सोच हमारी है तो हम से बड़ा गावर कोई नहीं है । सच कहू तो आज यदि हमारे समाज में शादिया बची है परिवार नाम की कोई चीज बची तो वो इन गांव छोटे शहरो हिंदी मीडियम में पढ़ी लडियो की वजह से है जो आज भी परिवार को बचाने और बनाये रखने की जिम्मेदारी खुद पर ही लेती है , जो जानती है की हमारा पढ़ा लिखा आधुनिक पति, पत्नी के लिए कैसा गावर , रुढ़िवादी सोच रखता है , जो जानती है की नौकरी के बाद घर भी उसे ही संभालना है , जो जानती है की आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के बाद भी कैसे अपने वजूद को खो के जिना है , कैसे अपनी इच्छाओ , सोच को मार कर केवल पति और परिवार की सोच के हिसाब से जिन है खुद को ढालना है , और सारा जीवन सिखते सिखते बदलते बदलते बिताना है । उन्हें बदलने की कोशिश मत कीजिये क्योकि हमारे समाज की पुरुषवादी सोच पत्नी को लेकर सोच अभी नहीं बदली है , पहले उसे बदलिए बेटिया अपने आप बदल जाएँगी । मै अपनी बेटी को रोलर स्केट सिखाने जाती थी वहा लड़को की रफ़्तार बड़ी तेज होती थी और लड़किया उस मुकाबले धीमा चलाती थी , लेकिन वो तेज रफ़्तार उन लड़को के बार बार गिर जाने का कारण होता था जबकि लड़किया गिरती नहीं थी इस संतुलन का सम्मान कीजिये उसे कम करके मत दिखाइए :)
एक नई बात भी पता चली इस विचार विमर्श में की आप तब तक ही युवा है नए ज़माने के है जब तक आप का विवाह नहीं हुआ है । विवाह होने और बच्चे होने के बाद आप की आयु कितनी भी हो आप के साथ आप की सोच भी अब युवा नहीं होती है , आप पुराने और रूढ़िवादियो की श्रेणी में आ जाते है और कितनी भी आयु तक आप का विवाह न हो आप युवा ही होते है आज के ज़माने के होते है । जैसे ३०-३५ साल की अविवाहित युवती को लोग लड़की और बच्चे दीदी बोलते है और 22 साल में ही माँ बन गई युवती को औरत और बच्चे आंटी कहते है :)))