अभी तक लगता था की ये देश भगवान भरोसे चलता था किन्तु उत्तराखंड त्रासदी के बाद लगने लगा की अब तो भगवन ने भी शायद अपने हाथ खड़े कर दिए है, भाई इतनी नालायकी तो हम से भी न झेली जाएगी , ठीक है सब मेरे भरोसे छोड़ दिया है, लेकिन मेरा हाल भी बुरा कर रखा है तुम लोगो ने , मै दुनिया के शोर शराबा मोह माया त्याग हिमालय में शन्ति के लिए आ बैठा था कभी कदार कुछ भक्त आते दर्शन पाते तृप्त हो चले जाते , लेकिन तुम लोगो ने तो मुझे भी अपनी कमाई का जरिया बना लिया , तीर्थ तो कब का पीछे छुटा मेरे हिमालय, मंदिर को भी पर्यटन की जगह बना डाला , कहा एक समय तीर्थ उनके लिए था जो सांसारिक जीवन में अपनी सारी जिम्मेदारिय निभा चुके है , जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं है अब संसार में , तो वो शांति से मेरे ध्यान मान कर सकते है बिना पीछे किसी चिंता के मेरे दर्शन को आते लेकिन यहाँ तो बच्चे से लेकर जवान तक सभी चले आ रहे है , तो अब बस भक्त गण लीजिये अपनी जिम्मेदारी और भरोसा अब ये मेरे बस का नहीं ।
बोध गया के हुए बम ब्लास्ट के बाद तो ये बात और भी सच लग रहा है कि अब भगवान भी इस देश को नहीं कर सकता है । निकम्मेपन और नालायकी में हम से पीछे अब कोई न होगा । अभी तक नाटक होता था की जी कोई ख़ुफ़िया जानकारी नहीं है इसलिए कब कहा बम फट जाये कहना मुश्किल होता है , लो जी अब तो हर त्रासदी की पहले से खबर भी मिलने लगी यहाँ तक की भारी बारिस की खबरे भी पूर्व में दे दी जाती है , लेकिन ये हमारी सरकारों के कान है इसे बस राजनीति की आवाज ही सुनती और सुहाती है कुछ और न सुनाई देता है न दिखाई देता है , इस बार तो हद ही हो गई आतंकवादीयो के घुसने से लेकर उनके नाम स्केच के साथ ब्लास्ट की जगह की जानकारी भी पहले से ही दे दी गई थी उसके बाद भी वही का वही हाल , यहाँ तक की पहले पकडे गए आतंकवादियों के बताये दो स्थानों में से एक हैदराबाद में पहले ही ब्लास्ट हो चुका है उसके बाद भी दूसरी जगह की सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया , अब और क्या चाहते है सूचना के नाम पर , क्या उन्हें आतंकवादी ला कर दिया जाये कि लो भाई ये आतंकवादी है इसे पकड़ लो । कल टीवी पर खबर देख रही थी लिखा आ रहा था की सूत्रों के मुताबित आतंकवादियों ने हताशा में ये बम ब्लस्ट किये ????? कौन सी हताशा भाई जरा समझाइयेगा , ये की इतनी सूचना के बाद भी भारतीय सुरक्षाकर्मी हमें पकड़ नहीं पाते है किसी ब्लास्ट को रोक नहीं पाते है , हर बार लोग मारे जाते है लेकिन इस भारतीय सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है, किस बात की हताशा है इन आतंकवादियों को कि उनके सभी योजनाए बड़े आराम से पूरी हो जा रही है उन्हें "शहीद" होने का मौका नहीं मिल रहा है , हद है खबर देने वाले एक बार भी सोचते है की वो क्या लिख रहे है या पैसा मिला या सनसनी फ़ैलाने के लिए जो ठीक लगा बस खबर चला दी ।
उस पर से ये अक्ल के अंधे ख़ुफ़िया विभाग वालो को भी दिमाग नहीं है की खबर निकाली कहा से जाये , देखिये दिग्विजय सिंह बता रहे है की ब्लास्ट का कनेक्शन कहा से है , उनके पास ऐसी ऐसी खबरे होती है की मुझे लगता है की उनका अपना ख़ुफ़िया विभाग देश के ख़ुफ़िया विभाग से ज्यादा मजबूत और तेज है, कई बार तो कुछ होने के पहले ही उसके होने की जानकारी मिल जाती है । मुझे तो लगता है की अगली बार एन आई ए को बम स्थल पर जाँच करने की जगह इंतज़ार करना चाहिए की राजा साहब क्या क्लू देने वाले है , या उन्हें ही जा कर उनसे पूछ लेना चाहिए की आप के पास इस बम विस्फोट से जुडी कौन कौन सी जानकारी है , ताकि सही लोगो को पकड़ा जाये , ऐसा न हो की देश की चार एजेंसिया चार तरह के लोगो को पकडे और बाद में इस बात का झगडा हो की किसी की सूचना सही थी किसके पकडे गए लोग असली वाले आतंकवादी है , हरा आतंकवाद या भगवा आतंकावाद , या लाल आतंकवाद , रंग रंगीले देश का आतंकवाद भी बड़ा रंगीला है ।
अब आप को क्या लग रहा है की मामला यहाँ पर ही शांत हो जायेगा , याद रखिये हर नहले के बाद एक दहला भी आता है है , इंतजार कीजिये दूसरी तरफ से भी खबर आ रही होगी बिलकुल गुप्त खबर की वर्मा में बौद्धों ने मुस्लिमो पर जो अत्याचार किया है उसके बदले के लिए भारत में बौद्धों के ऊपर और उनके धर्म स्थल को निशाना बनाया गया है , अब ये न कहियेगा की कहा वर्मा और कहा भारत , याद नहीं है तो फिर से याद कर लीजिये की मुंबई में म्यांमार से कुछ तथा कथित दंगो में हजारो मुस्लिमो के बौद्धों के द्वारा मारे जाने की फोटो आने के बाद यहाँ मुंबई में कितना बवाल मचा था कितना दंगा हुआ था । यही तो समस्या है की लोगो की यादास्त बड़ी कमजोर है इसलिए महान समझदार लोगो को आगे आ कर बताना पड़ता है लोगो को याद करना पड़ता है । जब दिग्विजय सिंह एक दिन पहले मोदी के बयान से बम को जोड़ सकते है तो दुसरे भी इसका कनेक्शन अपने मतलब की चीज से जोड़ दे तो कौन सा आश्चर्य की बात है और हा एक तीसरी कटेगरी भी है जो फिर से विदेशी हाथ , पकिस्तानी हाथ पैर आदि आदि का जानकारी देगा ।
तो इंतज़ार कीजिये की देश की एजेंसिया जो सांप जाने के बाद लकीर पीटने की आदि हो चुकी है किसकी सूचना को ज्यादा पुख्ता मान कर किस तरह के ( रंग ) लोगो को पकड़ती है और सजा , नहीं नहीं सजा की बात न ही की जाये तो अच्छा है क्योकि वो भी यहाँ भगवान भरोसे ही होता है सारी दुनिया के सामने आतंकवादी हरकत करने वाले और फांसी की सजा की घोषणा होने के बाद भी उसे मारने के लिए भी भगवान को ऊपर दे डेंगू की बीमारी भेजनी पड़ती है , और निचे वालो को गुप्त फांसी का नाटक करके अपनी फंसी जान बचानी पड़ती है ।
बिच में मरने कटने के लिए हम लल्लू , वैसाख नन्दक लोग है , जिनके जान माल की कोई कीमत नहीं है, हम जब तक जिन्दा है तो वोट है नहीं तो मरने पर मुआवजा बन जाते है ,( हमारे टैक्स में दिए पैसे हमें ही दे कर मुआवजा कहते है ) हम आम जनता नेताओ के लिए जीता जागता चलता फिरता ए टी एम मशीने है , जो समय समय पर कभी वोट देता है कभी भ्रष्टाचार कर पैसा कमाने का मौका । तो चलती फिरती ए टी एम मशीने कोई मरा नहीं अभी तक इस नए नवेले बम विस्फोट में इसी बात की ख़ुशी मनाइये , अभी तक है जिन्दा है तो शुक्र मनाइये , फालतू के काम की जगह जरुरी काम निपटाइये ,क्योकि अब भगवान् उसे पूरी करने का मौका आगे आप को दे न दे , इसलिए कप्यूटर पर समय बर्बाद न करके परिवार के साथ कुछ समय बिताइये ।
चलते चलते
एक राजा साहब शिकार करते हुए जंगल में खो गए साथ में उनकी कानी उंगली भी चाकू से कट कर अलग हो गई ,साथ में मंत्री था , बोल जो होता है अच्छे के लिए होता है राजा को गुस्सा आया उसने मंत्री को सूखे कुए में धकेल दिया आगे बढ़ा तभी जंगलियो ने उसे पकड़ कर उसकी बलि देनी चाही लेकिन उसकी कटी उनगलि देख छोड़ दिया की वो पूरा नहीं है , राजा भाग कर वापस आया मंत्री को कुए से निकला मंत्री ने कहा देखा मैंने सही कहा था कि जो होता है अच्छे के लिए होता है आप की उंगली कट कर अच्छा हुआ नहीं तो वो आप की बलि दे देते , मुझे क़ुए में ढकेल अच्छा किया नहीं तो आप की जगह मेरी बलि दे देते , अच्छा हुआ जंगल में खो गए तो पता चला की हमारे राज्य में ऐसे अशिक्षित लोग भी जिन्हें शिक्षा की जरुरत है , इसलिए जो होता है अच्छे के लिए होता है । तो दिल बहलाने के लिए उसे बेफकुफ़ बनाने के लिए दुनिया ये कहानी अच्छी है , चुपचाप आँखे बंद कर बस यही दोहराइए की जो होता है अच्छे के लिए होता है , ऑल इज वेल, ऑल इज वेल :)
अपडेट - -- --- अपने रंग रंगीले देश की बात करते हुई इतने रंग के आतंकवाद की बात की एक रंग भूल गई थी वो है नीला रंग । बम ब्लास्ट हुआ दूर वहा बिहार में वहा पर आर जे डी , बी जे पी ने बेमतलब का बंद बुलाया तो भी बात समझ आती है वहा की विपक्षी पार्टी है ये उनका हक़ काम अधिकार है की ऐसे बेमतलब के काम करे किन्तु यहाँ मुंबई में बंद हद हो गई, आर पी आई नाम की एक दलित पार्टी जिसके मुखिया अठावले है जिन्होंने मांग की है की उन्हें महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बनाया जाय उनके सिट की संख्या शायद दहाई आकडा भी नहीं छूती है , अब आप समझ लीजिये , पहले कांग्रेस के साथ है अब शिवसेना गठबंधन में है उनके कार्यकर्ता मुंबई में दुकाने बंद करा रहे है नील रंग का झंडा लिए आम्बेडकर के नाम के खाने वालो को अब बुद्ध और बौद्ध धर्म में भी अपनी रोटी राजनीति दिख रही है , वैसे मुझे जानकारी नहीं है की बौद्ध धर्म कब से दलितों के साथ जुड़ गया केवल इसलिए की एक बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया है , लीजिये एक और कोण , ये हमला दलितों पर है ।