हम चाहे ४० के बदले चार सौ पाकिस्तानी आतंकवादी मार दे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला | केवल कश्मीर में हाल के सालो में आतंकवादियों के मारे जाने का आंकड़ा लगभग पांच सौ से ऊपर है | सर्जिकल स्ट्राइक और सीमा पर घुसपैठ के समय जो मारे गए वो अलग से है | जो देश अपने लोगों के जान की कोई कीमत ही नहीं समझता हो | जो उनके लिए मात्र उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरी करने का एक मामूली मोहरा है भला उस देश के आतंकवादियों को खाली मार कर हम उसे कैसे रोक सकते है |
सौ पचास युद्ध भी इसको ख़त्म नहीं कर सकती | हम पहले ही दो सीधा युद्ध और एक कारगिल जीत चुके हैं | बुरी तरह हारे हैं फिर भी बाज नहीं आतें | क्यों , क्योकि भारत में आतंकवाद फैलाना और भारत से दुश्मनी बनाये रखना पाकिस्तानी सेना के वजूद के लिए जरुरी है |
सोचिये यदि पाकिस्तान और भारत मित्र हो जाये और कोई बड़ी लड़ाई ना हो तो पाकिस्तान को उसकी सेना और उस पर भारी भरकम रकम खर्च करने की क्या जरुरत होगी | पाकिस्तान बनने के साथ ही पाकिस्तानी सेना को इस बात का अहसास था इसलिए वो इस दुश्मनी को बनाये रखने के लिए और समय के साथ बढ़ाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ती |इधर लोकतान्त्रिक सरकार शांति की वार्ता के लिए आगे बढ़ी और उधर पाकिस्तानी सेना ये वार्ता ख़त्म करने के इंतजाम में लग जाती है | उसके रहमोकरम पर चलने वाली नागरिक सरकार अपनी सत्ता बचाये या भारत से बात करे | उनको भी सत्ता में बने रहना है अपना पेट पालना है , इसलिए वो इसी में भलाई समझती है सेना को उसका हिस्से की बोटी दो और सत्ता बचा कर रखो |
पाकिस्तानी सेना के लिए उनके नागरिक की कीमत कितनी है बताने की जरुरत नहीं है | देश के लोग भूखे मर जाए लेकिन , बचे पैसो से वो हथियार ख़रीदेगा खाना नहीं | इसलिए नागरिको पर किसी तरह का प्रतिबन्ध लगा उन्हें परेशान कर भी हम ये बंद नहीं करवा सकतें |
हमारे लिए एक तरफ कुवां एक तरफ खाई है , हम वार्ता करे ना करे , व्यापार करे छोड़ दे , कोई संबंध रहने दे या सब ख़त्म कर दे , उधर से यह परोक्ष युद्द हमेशा जारी रहेगा | यदि पाकिस्तान में लोंगो को भारत का डर ना दिखाया जाए तो पाकिस्तानी जनता ही सेना को दफा करे , इसलिए वो भारत के खिलाफ कुछ ना कुछ करते रहते है और भारत की प्रतिक्रिया को भारत से युद्ध दुश्मनी के रूप में प्रस्तुत करते हैं |
पाकिस्तानी सेना का लगातार भारत में आतंकवादी गतिविधिंयों को बढ़ावा देना एक अलग ख़ास बिमारी है जिसका ईलाज भी अलग तरीके से करना होगा | पारंपरिक ईलाज से ये समस्या जड़ से ख़त्म नहीं होने वाली है |