tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post1610075336624012263..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: पुरुषो का कोई चरित्र नहीं होता है ? - - - - -mangopeople anshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger80125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-63856107817973453242014-01-30T11:47:57.616+05:302014-01-30T11:47:57.616+05:30जिन खोजा तीन पाइयां ...
http://sandoftheeye.blogsp...जिन खोजा तीन पाइयां ...<br />http://sandoftheeye.blogspot.in/2008/09/blog-post_08.html?m=1राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-60616498631427335502013-12-10T19:36:21.798+05:302013-12-10T19:36:21.798+05:30बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्त...बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...<br /><br />नयी पोस्ट<a href="http://pbchaturvedi.blogspot.in/" rel="nofollow">@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी</a>प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-23005593798387186272013-12-04T13:43:41.325+05:302013-12-04T13:43:41.325+05:30बदलाव की बात करने वाले को सुनने वाला , बदलाव को स्...बदलाव की बात करने वाले को सुनने वाला , बदलाव को स्वीकार करने वाला और बदलने के लिए तैयार रहने वाला उन तथा कथित विद्वान् , हठी से बेहतर है जो जड़ बने रहते है :) anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-88702304930745051272013-12-04T09:51:20.086+05:302013-12-04T09:51:20.086+05:30kament ko like karnae kaa option nahin haen par sa...kament ko like karnae kaa option nahin haen par sanjay ji kaa kament 100 likes रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-60668364671957431732013-12-03T21:01:17.369+05:302013-12-03T21:01:17.369+05:30राजन, प्रयोग तो कर ही सकता हूँ लेकिन उसे मानने के ...राजन, प्रयोग तो कर ही सकता हूँ लेकिन उसे मानने के लिये औरों को मजबूर नहीं कर सकता :)<br /><br />’जल्दी अधीर न होना’ तारीफ़ की बात नहीं है। सीरियसली कहता हूँ अगर सब मेरे जैसे अधीर न होने वाले होते तो हम बहुत पिछड़े होते, कभी आजाद ही न हुये होते। इसी वजह से बदल सकें या न, लेकिन बदलाव लाने की कोशिश करने वाले और यहाँ तक कि बदलाव की बात करने वालों को खुदसे बेहतर मानता हूँ। <br /><br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-1759273909120582682013-12-03T15:50:33.850+05:302013-12-03T15:50:33.850+05:30संजय जी,हम तो दोनों मोर्चों पर फैल होकर लौटे न तो ...संजय जी,हम तो दोनों मोर्चों पर फैल होकर लौटे न तो सुजाता जी की वह पोस्ट खोज पाए और न खुद लिख पाए।पर कोई बात नहीं।अपनी बात वैसे ही कहते है।संजय जी आप एक ही तर्क को अपने पक्ष और विपक्ष में प्रयोग नहीं कर सकते।महिलाएँ जब कहे तो उसका विरोध लेकिन दीप जी कहे तो समर्थन ।जे का बात? मैं दोनों का विरोध करता हूँ बल्कि यह बात तो देवी दुर्गा भी आकर मुझसे कहे तो कसम आम अदमी पार्टी अपन उनसे भी भिड जाएंगे क्योंकि यह झूठ है कि सब पुरुष बलात्कार करना चाहते हैं।संजय जी बलात्कारी रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखता।यहाँ महिलाएँ कह रही हैं कि महिलाएँ पुलिस की वजह से सुरक्षित है लेकिन जरा सोचिए पुरुष तो हर जगह है यदि सभी बलात्कारी है तब तो वो आपस में मिल ही जाएँगे तब तो महिलाएँ भी कुछ नहीं कर पाएँगी लेकिन बलात्कारियों को भी पता है कि सभी उनकी तरह नहीं है तभी उन्हें छुपना पड़ता है।पर संजय जी फिर भी कहूँगा कि आपकी बातों में एक ठहराव है आप जल्दी अधीर नहीं हो उठते पता नहीं मेरे अंदर ऐसा धैर्य क्यों नहीं है जबकि मुझे पता है मैं कुछ बदल नहीं सकता।खैर ये सब चलता रहेगा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-11042726221290998802013-12-03T14:48:25.235+05:302013-12-03T14:48:25.235+05:30http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2009/04/b...http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2009/04/blog-post_23.html<br /><br />2009 i wrote this रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-52839268653223139062013-12-02T22:33:00.661+05:302013-12-02T22:33:00.661+05:30अंशुमाला जी,
मैं भी इसी दुनिया में रहता हूँ और ऐस...अंशुमाला जी, <br />मैं भी इसी दुनिया में रहता हूँ और ऐसी बातें न सुनी हों या इनकी सत्यता पर बिल्कुल संदेह हो, ऐसा नहीं है। आप सब कहती हैं तो मान लेता हूँ कि प्रतिशत मेरी अपेक्षा से ज्यादा होगा। रही बात बुरा मानने की, उसका कोई चांस नहीं। फ़िलहाल मेरा स्ट्रेस 0 से 100 के बीच की किसी संख्या पर सहमत होने पर नहीं है, मैं तो आप लोगों का ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूँ कि जब कोई preventive measures लेने की बात करता हो तो उसे यौन अपराधियों की पैरवी करने वाला समझ लिया जाता है जबकि हर बार ऐसा होता नहीं। हाँ, आज भी मैं और शायद मेरे जैसे कई लोग " better safe then sorry " को ज्यादा उपयुक्त कहते\मानते हैं और उसके पीछे अपनी समझ में हम स्त्री का सम्मान ही कर रहे होते हैं।<br />मीडिया वाली बात आप सही कह रही हैं, मीडिया के आने से ऐसे मामले ज्यादा प्रकाश में आने लगे हैं लेकिन बात फ़िर वहीं आ जायेगी कि मीडिया में आ गया और चर्चा हो गई, तीन दिन के बाद अंदर के किसी पेज पर उसी खबर का contradictory वर्ज़न आ जाता है। चर्चा की चर्चा हुई और प्रायश्चित का प्रायश्चित, परनाला फ़िर वहीं बहता रहता है।<br /><br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-12939480662868349802013-12-02T19:09:31.785+05:302013-12-02T19:09:31.785+05:30यहाँ...कई बार लड़कियों को ही सावधान रहने की बात कही...यहाँ...कई बार लड़कियों को ही सावधान रहने की बात कही गयी है. पर आज लडकियां मल्टीनेशनल कम्पनीज, कॉल सेंटर्स में काम कर रही हैं. उनकी शिफ्ट वाली ड्यूटी होती है. कभी रात के एक बजे कभी तीन बजे घर लौटती हैं. कम्पनी टैक्सी मुहैया करवाती है .साथ में सहकर्मी होते हैं और अगर लड़की का स्टॉप अंतिम है तो कंपनी की तरफ से एक गार्ड भी साथ में होता है. अब रात के दो बजे सुनसान रास्ता, टैक्सी में सिर्फ ड्राइवर और एक गार्ड...उनकी नियत बिगड़ गयी तो लड़की क्या करे? कौन से सुरक्षा के उपाय करे ? लडकियां शिफ्ट ड्यूटी से मना नहीं कर सकतीं, करती भी नहीं...तो क्या ऐसे में लड़कियों को इस तरह के प्रोफेशन नहीं चुनने चाहिए ? सोफ्टवेयर इंजीनियर नहीं बनना चहिये? एम.बी.ए . नहीं करना चाहिए ? सिर्फ टीचर या डॉक्टर ही बनना चाहिए (डॉक्टर भी तो रात में ड्यूटी करती ही हैं ) .अब लडकियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और बढती रहेंगी....संभलना अब पुरुषों को है कि वे उनका सम्मान करना सीखें.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-13080646446928743832013-12-02T12:56:02.224+05:302013-12-02T12:56:02.224+05:30अजित जी धन्यवाद । अजित जी धन्यवाद । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-359660444506340812013-12-02T12:55:27.088+05:302013-12-02T12:55:27.088+05:30सलिल जी
धन्यवाद । घटना के...सलिल जी <br /> <br /> धन्यवाद । घटना के इतने दिन बाद पोस्ट लिखने का यही मकसद था की मिडिया का शोर थमने के बाद उस लड़की को पता चले की हम जैसे आम लोग उसके दूसरे दौर के तकलीफ में उसके साथ है । रश्मि जी ने अपने टिप्पणी में कहा है कि यदि लड़की आप से किसी तरह का फेवर चाहती है अपने शरीरी के बल पर तो क्या ये पुरुषो के चरित्र को दिखने का समय नहीं है की साफ मना करे , जैसे पैसो को मना किया जाता है । लड़की तो ख़राब है ही ऐसा करके किन्तु उसके साथ आप को अपना चरित्र गिराने कि जरुरत क्या है , उसका फायदा उठाने वाला चरित्रवान नहीं हो सकता है । महाभारत और आरुषि का केस तो महज एक छोटे से बिंदु को समझने के लिए था उसका कोई अन्य या बड़ा मतलब नहीं था । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-14695849114826952342013-12-02T12:46:04.787+05:302013-12-02T12:46:04.787+05:30
संजय जी
ये समाज का बहुत ही गन्दा ...<br />संजय जी <br /><br /> ये समाज का बहुत ही गन्दा और कड़वा सच है की लडकिया अपने घरो में सुरक्षित नहीं है और ये सब आज नहीं हुआ है ये हमेसा से ही होता रहा है , फर्क इतना है की पहले इसके बारे में घर के पुरुषो को जानकारी कभी नहीं दी जाती थी लेकिन स्त्रियो को पता होता थी , किन्तु अब लडकिया चुप नहीं रहती है और बता देती है और मिडिया के कारण ये सबके सामने है । चचेरे ममरे फुफेरे मौसरे भाई हो या चाचा मामा फूफा और पिता के मित्र जैसे रिश्तो ने इन रिश्तो का सम्मान नहीं किया है , आप के कानो तक ये खबरे नहीं पहुंचती है इसलिए आप को बुरा लगता है एक बार विश्वास में लेकर अपने आस पास कि स्त्रियो से इस बारे में पूछियेगा , कुछ भुक्त भोगी होंगी , कुछ ने अपने आस पास ये होते देखा होगा , लेकिन वो किसी से नहीं कहती है , क्योकि उन्हें पता है की लोग उनसे ही सवाल करेंगे उनकी ही बदनामी होगी । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-1143555344772067442013-12-02T12:45:24.563+05:302013-12-02T12:45:24.563+05:30संजय जी
वहा...संजय जी <br /> <br /> वहा की घटना सामाजिक कम राजनीतिक ज्यादा है विरोध करने वाले के झंडे का रंग देख कर आप समझ जायेंगे और वो अफवाह का ही परिणाम ज्यादा है ,( ये बात भी गारंटी से नहीं कह सकती क्या पता रेप की बात सत्ता पक्ष की तरफ से छुपाया जा रहा हो बवाल को देख कर ) जैसे बंगलोर से पूर्वोत्तर के लोगो का एकाएक पलायन हुआ । स्त्री कभी भी असावधान नहीं होती है , वो चाहे घर में हो या घर के बाहर ये गुण उसमे स्वाभाविक और प्राकृतिक होता है , किन्तु जैसा आप ने कहा की एक भाई और पिता की गलती पर सभी को वैसा क्यों समझा जाये , वैसे ही मानवीय स्वभाव है की एक समय बात आप लोगो पर विश्वास करने ही लगते है , या उनके बाहरी चरित्र को ही सही समझते है , ऐसा सिर्फ स्त्री नहीं करती है पुरुष भी करते है , लोगो से धोखा वो भी खाते है , क्या वो असावधान होते है , क्या आप और मै सोच सकते है की हम कही लिफ्ट जैसी सार्वजनिक जगह पर किसी परचित के साथ हो और वो ऐसा कर देगा । ये कहना की स्त्री पुरुष में परम्परा के हिसाब से दुरी होना चाहिए बिलकुल यही कहना होगा की जी हां पुरुष एक शिकारी होता है और वो सदा ही शिकार की तलाश में रहता है और स्त्री रूपी शिकार को उससे दूर भागते रहना चाहिए , सामने आई तो ये उसकी गलती , जब हम ऐसे मामलो में स्त्री को कुछ ऐसा कहे जिसका अर्थ है की उसने नौकरी करके ही गलती की, तो इससे शोषण करने वालो को ही बढ़ावा मिलता है , उनको लगता है की समाज की ये सोच लडकियो को चुप रहने के लिए विवश करेगी और वो आसानी से उसका शोषण कर सकते है । हा ये सही है कि हर बुरी घटना के बाद पीड़ित को भी सलाह दी जाती है और उसे आगे से बचने की सलाह देनी भी चाहिए किन्तु ऐसे जिससे अपराधी का मन न बढे पीड़ित का हौसला न टूटे और बाकियो को भी सबक मिले , जब हम ये कहते है की आज का जमाना तो बाप भाई पर ही विश्वास का नहीं है तो असम में हम यही कहना चाह रहे है की एक स्त्री को इन मामलो में किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए , लोगो की नियत पहचानने की कोशिश करनी चाहिए और कोई सुरक्षात्मक उपाय करने चाहिए , किन्तु सच बताऊ तो जब हम डरे होते है तो हमारी बुद्धि और काम नहीं करती , हमें उपाय नहीं समझ आते है , इस केस में दूसरी बार लड़की को आशंका थी किन्तु फ़ौरन वो उससे बचने का कोई उपाय नहीं कर सकी , किन्तु शांत दिमाग होते है तेजपाल की बेटी से कहा कर उसने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया और बात सिर्फ नौकरी करने की नहीं है , क्या स्त्रिया घर से बाहर ही निकलना बंद कर दे क्योकि ये सब जगह होता है । <br />anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-32645839836275681182013-12-02T10:40:59.848+05:302013-12-02T10:40:59.848+05:30मैं तो यहां बहुत देर से आई हूं जब तक तो सारी बाते ...मैं तो यहां बहुत देर से आई हूं जब तक तो सारी बाते हो गयी है। आप पुन: ब्लाग पर सक्रिय हुई यह ही सुखद है। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-46882834399777262792013-12-02T09:46:28.215+05:302013-12-02T09:46:28.215+05:30@किसी एक नराधम पिशाच बाप या भाई के किये दुष्कृत्य ...@किसी एक नराधम पिशाच बाप या भाई के किये दुष्कृत्य को<br /><br />संजय जी<br />तीन लिंक मैने उपलब्ध इस लिये कराये हैं ताकि जो भी " better safe then sorry " को महिला के लिये बार बार उपयुक्त कहता हैं वो ये समझ सके कि विपरीत लिंग का आकर्षण अगर हर बार कारण बनाया जायेगा तो पिता / भाई / गुरु सब को एक स्त्री केवल पुरुष ही समझा करेगी। <br />दीप ने इन सम्बन्धो में भी दूरी कि सलाह दी हैं अपनी टिपण्णी में<br /><br />किसी एक नराधम पिशाच बाप या भाई के किये दुष्कृत्य को आधार बनाकर हर लड़की को अपने पिता\भाई से असुरक्षित सिद्ध करती पोस्ट या टिप्पणियां इस लिये दी जाती हैं ताकि लोग समझ सके कि बात विपरीत लिंग के आकर्षण कि हैं ही नहीं , बात हैं केवल और केवल स्त्री के शरीर से बलात्कार के जरिये उसको अपने "नीचे " और अपने को "उसका मालिक " सिद्ध करने कि <br /><br /><br />http://vichaarshoonya.blogspot.com/2013/04/blog-post_5969.html?showComment=1366478802335#c3005207722800396613रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-34161938294187236262013-12-01T14:51:30.312+05:302013-12-01T14:51:30.312+05:30राजन जी, बहुत संभव है कि मुझे गलतफ़हमी ही हुई हो। द...राजन जी, बहुत संभव है कि मुझे गलतफ़हमी ही हुई हो। दीप के कमेंट से यदि हर स्त्री और पुरुष के चरित्र पर सवाल उठते दिख रहे हैं तो किसी एक नराधम पिशाच बाप या भाई के किये दुष्कृत्य को आधार बनाकर हर लड़की को अपने पिता\भाई से असुरक्षित सिद्ध करती पोस्ट या टिप्पणियां भी गलतफ़हमियाँ ही पैदा करती हैं। <br />पोस्ट लिखियेगा या लिंक दीजियेगा, अपनी राय से अलग दूसरों की राय जानने की मेरी उत्सुकता हमेशा रहती है, सक्रियता भले न दिखे :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-49325015334969366302013-12-01T14:09:23.610+05:302013-12-01T14:09:23.610+05:30मैंने यह पोस्ट पहले ही दिन पढ़ी थी लेकिन विवश था कि...मैंने यह पोस्ट पहले ही दिन पढ़ी थी लेकिन विवश था कि मोबाइल पर रोमन में लिखना और वो भी इस पोस्ट के जवाब में असंभव सा काम था.. लिहाजा आज घर लौटा हूँ और लिख रहा हूँ.. बहुत कुछ कहा सुना गया.. मैंने एक बार पहले भी कहीं कहा था कि लडकी के लिये शोर मचाना, विरोध करना बहुत आसान है.. लेकिन बाद की परिस्थितियों को संभालना बहुत ही मुश्किल.. बलात्कार के विरुद्ध मुकदमे करना बहुत आसान है, लेकिन उस मुकदमे में वकीलों की जिरह उस बलात्कार से कहीं अधिक भयावह होती है.. समाज ही सड़ गया है.. मान्यताएं बदबू दे रही हैं और वे आदर्श जिनकी हम दुहाई देते हैं, जर्जर हो चुके हैं. <br />अब देखिये न, दिल्ली गैंग रेप पीड़ित बच्ची के नाम तक को छिपाना पड़ा, ताकि उसकी बदनामी न हो.. तेजपाल के केस में भी लडकी का नाम गुप्त रखा, मोदी का जो किस्सा चल रहा है उसमें भी नाम गुप्त.. अब आप ही बताइये कि ऐसे में विरोध की बात सोचना भी असंभव सा लगता है.. मेरा मतलब यह नहीं कि उन्हें विरोध करना ही नहीं चाहिए. अपने पर्स में परफ्यूम या चिली पावडर रखना चाहिए और ऐसे किसी भी प्रयास करने वाले को ऑन द स्पॉट सज़ा दें या अपना बचाव करें.<br />जहाँ तक मर्दों का सवाल है उनका हौसला इसलिए बढ़ा है कि उन्हें ऐसी भी महिलायें/युवती मिली हैं जिन्होंने तरक्की का यह रास्ता अपनाया है.. नतीजा बाकी को भी वैसा ही मान लिया गया.. बेदी साहब के उपन्यास "दस्तक" की तरह!!<br />महाभारात का उदाहरण और आरुशी की बात से सहमत नहीं हूँ. एक अलग विषय है जिसपर बहुत कुछ अलग से कहना पडेगा मुझे!!<br />आपकी बातें हमेशा की तरह सोचने पर विवश करती हैं!! धन्यवाद!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-25736905569756212222013-12-01T10:11:01.701+05:302013-12-01T10:11:01.701+05:30संजय जी,आपको गलतफहमी हुई है।दीप जी की इस बात पर वि...संजय जी,आपको गलतफहमी हुई है।दीप जी की इस बात पर विवाद नहीं हो रहा कि महिलाओं को सावधान रहना चाहिए(हालाँकि सावधान करने और डराने में फर्क तो होता है)।मैंने कहा कि यह तो शुरू से ही था।अंशुमाला जी ने भी कहा कि हर महिला सावधान तो रहती ही है।लेकिन वो हर पुरुष और हर स्त्री के चरित्र पर ही सवाल उठा रहे हैं।क्या इस बात को हँसते हुए स्वीकार कर लेना चाहिए?थोडा लडकों की शिक्षा और परवरिश में अंतर लाया जाए थोड़ा लड़कियों को आत्मविश्वासी बनाया जाए तो ऐसी घटनाएँ बहुत कम हो जाएँगी।यहाँ तो ऐसे समझाईश दी जा रही है जैसे पुरुष का तो जन्म ही सिर्फ सेक्स करने के लिए हुआ है।वैसे तो ये सब बातें एक पोस्ट की ही माँग करती हैं पर शायद ऐसी पोस्ट पहले भी लिखी गई हैं।मैं खोजकर लिंक देने की कोशिश करुँगा ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-34931386250851540762013-12-01T00:12:43.586+05:302013-12-01T00:12:43.586+05:30http://mosamkaun.blogspot.in/2013/02/blog-post_14....http://mosamkaun.blogspot.in/2013/02/blog-post_14.html<br /><br />http://mosamkaun.blogspot.in/2012/10/blog-post.html<br /><br />संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-16541782803717733122013-12-01T00:01:55.866+05:302013-12-01T00:01:55.866+05:30लीजिये, फ़िर आ गया मैं। कल ही कहा था कि ये मौके सिर...लीजिये, फ़िर आ गया मैं। कल ही कहा था कि ये मौके सिर्फ़ हाय-हाय, शेम-शेम टाईप कमेंट्स के लिये उचित होते हैं और आज ही के अखबार में बीच के पन्नों में एक छोटी सी खबर थी कि टीवी और अखबारों में पूर्वोत्तर के एक राज्य में एक महिला के साथ ऑटो में गैंगरेप और आँखें निकाल लेने की जिस घटना का शोर मच रहा था, हत्या जरूर हुई और वो स्वयं में एक अक्षम्य अपराध है लेकिन वहाँ रेप हुआ ही नहीं था और न ही मृतका की आँखें निकाली गई थीं। जिस समय इस बात को लेकर धरने प्रदर्शन चल रहे थे, उस समय अगर कोई ऐसी घटना की संभाव्यता(एक व्यस्क महिला के साथ ऑटो के अंदर चार लोगों के द्वारा गैंगरेप) पर सवाल करता तो उसे कई उपाधियाँ मिल चुकी होतीं। यह भी तो सामान्यीकरण ही है कि महिला की हत्या हुई तो साथ में गैंगरेप भी हुआ ही होगा । <br />इस पोस्ट पर आये दीप पाण्डेय के विचार अनदेखे नहीं किये जा सकते। विचार कितने भी पुरातनपंथी क्यूँ न लगें, गौर इस बात पर होना चाहिए कि उसके पीछे उद्देश्य या भावना क्या है। <br />फ़िर कहता हूँ कि इस मुद्दे पर कहने को बहुत कुछ है लेकिन हम लोग शायद अभी उतने परिपक्व हुये नहीं कि स्वस्थ विमर्श कर सकें। कुछ दिन पहले एक धर्मगुरू पर ऐसे आरोप लगे तो कई जगह देखा कि एक\चंद लोगों पर आरोपों के कारण एक धर्मविशेष को टार्गेट किया जाने लगा था लेकिन तहलका प्रकरण के बाद ऐसा किसी ने नहीं कहा कि लड़कियों को मीडिया लाईन में नहीं जाना चाहिये। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-27414897642432135572013-11-30T22:39:52.475+05:302013-11-30T22:39:52.475+05:30दीप जी
स्त्री की इच्छा, मन और उसके ...दीप जी <br /> स्त्री की इच्छा, मन और उसके सेक्स को लेकर आप का ज्ञान काफी कम है , उस पर पोस्ट लिखिए जवाब तब देते है , यहाँ विषय कुछ और है , वैसे पुरुषो के लेकर भी आप का ज्ञान भी कुछ ज्यादा अच्छा नहीं दिख रहा है । हर स्त्री अपनी तरफ से सुरक्षा के सभी उपाय ले कर ही चलती है और सतर्क होती है , किन्तु परिवार और जानपहचान के लोगो के बिच भी उसे साँस रोक कर रहना होगा उसे अभी तक नहीं पता था । चोर चोरी तो करते ही है तो क्या महिलाए गहने पहनना छोड़ दे या लोग पर्स ले कर बाहर जाना छोड़ दे , चोरी तो घर में भी हो जाती है फिर किसे और कैसी सलाह देंगे , फिर तो यही कहेंगे की पुलिस का डर इतना होना चाहिए कि चोरो को चोरी कि हिम्मत ही नहीं हो , कानून और समाज का डर बहुतो को नियंत्रण में ला देता है । किन्तु समस्या ये है कि जब लडको से बचपन से ये कहा जाये की भाई तुम तो खुले सांड हो जो चाहे करो , बचने का काम तो दुसरो का है तो ऐसे संस्कारी बालक बड़े हो कर बलात्कारी और मवाली ही बनेगे , संस्कारी लडके आकर्षण में पड कर लड़की की सहमति से उससे भावनात्मक सम्बन्ध बनाते है , जबरजस्ती उसके साथ रेप नहीं करते है । anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-71551974753621276072013-11-30T19:37:07.014+05:302013-11-30T19:37:07.014+05:30अंशुमाला जी मेरे ऊपर दिए उदहारण एकदम लचर और गलत हो...अंशुमाला जी मेरे ऊपर दिए उदहारण एकदम लचर और गलत हो सकते हैं पर मेरी मंशा एकदम साफ़ है कि मैं किसी अपराधी को ये मौका नहीं देना चाहता कि वो मेरा कुछ लूट ले इसलिए मै खुद सतर्क रहता हूँ और दूसरों को भी सतर्क रहने को कहता हूँ। जैसे हम किसी चोर को अपना चरित्र सुधारने कि सलाह देने कि बजाय अपने कीमती सामान कि सुरक्षा के लिए चिंतित होते और और उपाय करते हैं उसी तरह से मैं समझता हूँ कि स्त्रियों को भी अपनी शारीरिक व हर तरह कि सुरक्षा के लिए सतर्क सावधान रहना चाहिए। सतर्कता से मेरा आशय घर में छुप कर बैठने का कतई नहीं था। पुरातनपंथी नियमों का पालन करने से मेरा आशय भी यही था कि स्त्रियां जहाँ तक सम्भव हो खुद से शक्तिशाली पुरुष चाहे वो पिता भाई या गुरु तुल्य ही क्यों न हो एकांत और असुरक्षित माहोल में ना मिलें। अपनी छटी इंद्री को हमेशा जाग्रत रखें। ये सब सुरक्षात्मक बातें हैं लेकिन इन सब बैटन को कहने का मेरा ये मतलब नहीं है कि मैं बलात्कारी पुरुषों के बचाव में ये बातें कह रहा हूँ। आरोप सिद्ध बलात्कारी पुरुषों के लिए तो मैं उनके बंधियाकारन को ही उत्तम सजा मनाता हूँ। VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-67946602425070254932013-11-30T19:34:25.712+05:302013-11-30T19:34:25.712+05:30और हाँ दीप जी,मैं आपकी तरह यह बिल्कुल नहीं मानता क...और हाँ दीप जी,मैं आपकी तरह यह बिल्कुल नहीं मानता कि हर एक स्त्री और हर एक पुरुष बस एक "मौके" की तलाश में रहते हैं।विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना एक बात है और उसकी कल्पना दूसरी बात है और उस पर एक्ट करना तीसरी ।आप तीनों को मिला दे रहे हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-8442184894361425472013-11-30T19:27:56.554+05:302013-11-30T19:27:56.554+05:30दीप जी,शेखर सुमन जी की टिप्पणी के नीचे अपने कमेंट ...दीप जी,शेखर सुमन जी की टिप्पणी के नीचे अपने कमेंट में मैंने साफ कहा है कि दोनों तरह के मामले होते हैं(मैं महज भावनाओं में बहकर कुछ नहीं कहता) हालाँकि ज्यादातर कानून तक पहुँचने वाले केस सच्चे ही होते हैं ।लेकिन जो हो दोनों ही मामलों में पुरुष सहानुभूति का हकदार तो नहीं है बल्कि सजा मिलनी चाहिए उसे।थोडी गलती मुझसे भी हुई प्रतिटिप्पणी करते हुए क्योंकि आप चार कदम नहीं चार सौ कदम आगे निकल गए।अंशुमाला जी ने पुरुष के विवाहेतर संबंधो पर समाज द्वारा आपत्ति न करने की बात की थी जिससे एक हद तक मैं भी सहमत हूँ मैंने केवल उनके द्वारा सामान्यीकरण पर सवाल उठाया था।पर आपने सारे पुरुष समुदाय को ही बलात्कारी बता दिया।दोनों बातों में बहुत फर्क है।और अंशुमाला जी,ये साधारण या असाधारण लेखक जैसे फर्क नहीं मानता।मेरे लिए व्यक्ति के विचार महत्तवपूर्ण हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-76732963910729421622013-11-30T16:58:18.778+05:302013-11-30T16:58:18.778+05:30टिप्पणियों पर नज़र बनी हुई है......तेजपाल प्रकरण मे...टिप्पणियों पर नज़र बनी हुई है......तेजपाल प्रकरण में उस साहसी पीडिता ने जो स्टेटमेंट दिए हैं...उनमे लिखी ये पंक्तियाँ बहुत महत्वपूर्ण है .<br /><br />"Now that we have a new law that broadens the definition of rape, we should stand by what we fought for. We have spoken, time and again, about how rape is not about lust or sex, but about power, privilege and entitlement. Thus this new law should be applicable to everybody – the wealthy, the powerful, and the well connected – and not just to faceless strangers."<br /><br />रेप सिर्फ कामाग्नि दीप्त होने से नहीं होता ,जो किसी भी असावधान महिला को देखते ही ९९% पुरुषों में प्रज्वलित हो जाती है. विक्टिम को कमजोर होना चाहिए...जिसपर आप अपना बल दिखा सकें. कोई पुरुष किसी कार्यवश अपने बॉस के घर जाता है. घर में बॉस नहीं पर उनकी ख़ूबसूरत पत्नी अकेली है. उन पर क्या वह पुरुष अपना पुरुषार्थ दिखा सकता है?? <br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com