tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post756810536342667075..comments2024-01-31T15:22:21.672+05:30Comments on mangopeople: नशा शराब में होता तो नाचती बोतल - - - - - - mangopeopleanshumalahttp://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-44168628999425785692011-12-02T05:14:06.551+05:302011-12-02T05:14:06.551+05:30मीडिया की छिछली छवि ऐसे ही नहीं बन गई है। किसी बात...मीडिया की छिछली छवि ऐसे ही नहीं बन गई है। किसी बात को किस एंगल से घुमा फिराकर बताया जाय यह वे लोग अच्छी तरह जानते और प्रयोग करते हैं। वे ही क्यों हम भी तो अपने लेखन के जरिये किसी बात को एंगल देने में उस्तादी दिखा जाते हैं :) <br /><br /> खैर, आपने बहुत सटीक और बढ़िया विवेचन प्रस्तुत किया है इस शराबपंती के बारे में। और सब बातें छोड़ भी दें तो मुझे अन्ना के उद्देश्य में कोई खोट नजर नहीं आता। दोमूहे राजनेताओं से लाख गुना बेहतर हैं अन्ना।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-41530491724231584452011-11-28T23:22:20.769+05:302011-11-28T23:22:20.769+05:30गलत गलत है, सही सही है
दुःख का कारण सिर्फ यही है
...गलत गलत है, सही सही है<br /><br />दुःख का कारण सिर्फ यही है<br />सही गलत है गलत सही है।<br /><br />सुख के अपने-अपने चश्में<br />दुःख के अपने-अपने नग्में<br />दिल ने जब-जब, जो-जो चाहा<br />होठों ने वो बात कही है।<br /><br />गलत गलत है, सही सही है।<br />......धारदार..असरदार..जोरदार ढंग से आपने अपना पक्ष रखा है। <br /><br />अन्ना जब शराबियों को पीटने की बात करते हैं तब मेरी समझ में वो उस पिता के समान होते हैं जो गलत कार्य करने वाले बच्चे को सुधारना जाहता है। पिता का थप्पड़ भी प्यार होता है..आशीर्वाद होता है। यदि ऐसा न होता, उनका यह आचरण गलत होता तो उनके गांव के लोग उन्हें इतना सम्मान न देते। सभी थप्पड़ मार कर सुधारने की हैसियत नहीं रखते। थप्पड़ मारने के लिए पिता या गुरू का स्थान प्राप्त करना पड़ता है। इसके विपरीत.. किसी देश के किसी नागरिक का चुने हुए प्रतिनिधि के साथ इस प्रकार हिंसा का सहारा लेना निंदनीय..दण्डनीय है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। इसकी निंदा ही की जानी चाहिए।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-51694517178611293662011-11-27T14:37:42.619+05:302011-11-27T14:37:42.619+05:30मेरे एक बहुत ही अच्छे मित्र हैं, बहुत ज्यादा पीते ...मेरे एक बहुत ही अच्छे मित्र हैं, बहुत ज्यादा पीते हैं, पर उतने ही स्पष्ट,साफ़ दिल वाले और बेहद ही अच्छे इंसान हैं..<br />उन्हें सिगरेट की भी जबरदस्त लत है, खुद ही वो कहते हैं, की अभिषेक जी, ये बड़ा खराब नशा है...नहीं करना चाहिए!!<br /><br />बहुत सटीक पोस्ट है...<br /><br />@शिखा दी..<br />रोकेट छोड़ने के लिए पेप्सी और कोको कोला के बोतल नहीं हैं क्या :Pabhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-66570402221654104152011-11-27T08:08:09.913+05:302011-11-27T08:08:09.913+05:30गीत लिखने वाले ने ठीक लिखा है, मतलब निकालने वालों ...गीत लिखने वाले ने ठीक लिखा है, मतलब निकालने वालों ने भी ठीक मतलब निकाला है। अन्ना का फ़ार्मूला भी ठीक है और इस बात पर अन्ना की खिंचाई करने वाले भी ठीक हैं। <br />लिखने वाले, कहने वाले इतना कुछ लिख कह गये हैं कि हर कोई अपने मतलब की बात निकाल ही लेता है। <br /> अनुराग जी का ये कहना "जिन्होने समाज-सुधार में थोड़ा भी योगदान दिया है वे उनसे तो बेहतर ही हैं जिन्होने कुछ नहीं किया" बिल्कुल ठीक है।<br />8 A.M. वाली हमारी ये टिप्पणी पता नहीं ठीक है या नहीं:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-58555377513154821392011-11-26T17:17:18.068+05:302011-11-26T17:17:18.068+05:30This is a really neatly written article. I will ma...This is a really neatly written article. I will make sure to bookmark it and return to read more of your helpful information. Thank you for the post. I’ll certainly comeback.<br /><br />From <a href="http://unlucky-unwanted.blogspot.com/2011/11/everything-is-canvas_21.html" rel="nofollow">everything is canvas</a>Always Unluckyhttps://www.blogger.com/profile/15784767245238881738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-56559060494206233902011-11-26T13:27:05.704+05:302011-11-26T13:27:05.704+05:30मुश्किल ये है कि...अन्ना वाक्पटु नहीं हैं....राजने...मुश्किल ये है कि...अन्ना वाक्पटु नहीं हैं....राजनेताओं जैसी चिकनी-चुपड़ी बातें कर उन्हें वोट नहीं बटोरना.. वे दिल से बोलते हैं....और मीडिया और विरोधी पक्ष उसके मायने-मतलब निकालने में जुट जाते हैं..<br /><br />सिर्फ गाँवों की ही क्यूँ..इन महानगरों की ही बात की जाए...जहाँ कामवाली बाइयों के पति शराब पीकर उन्हें पीटते भी हैं और जी तोड़ मेहनत कर कमाए गए उनके पैसे भी छीन लेते हैं.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-752839841455777732011-11-26T13:16:18.652+05:302011-11-26T13:16:18.652+05:30anshumala ji,
मैं बताना चाहता था कि जिस समाज में ऐ...anshumala ji,<br />मैं बताना चाहता था कि जिस समाज में ऐसा होता हैं वहाँ महिलाओं का शराब पीना किसीको अस्वाभाविक नहीं लगता न ऐसी महिलाओं को बेशर्म माना जाता है क्योंकि ये लोग शुरू से ही ऐसा देखते आ रहे है.हो सकता है कलको महिलाओं का शराब पीना भी आम हो जाएँ जैसा कि महानगरों में धीरे धीरे होता भी दिख रहा है.(ये कितना गलत है और कितना सही वो एक अलग विषय है).हाँ एक सीमा के बाद तो शराब पीना पुरूषों के लिए भी अच्छा नहीं माना जाता और न ही इनकी कोई विशेष इज्जत होती है.इन्हें चौराहे पर ले जाकर कोडे लगाए जाने चाहिए ऐसा मानने वाले पुरूष भी आपको खूब मिल जाऐंगे.युवाओं के बारे में आप पोस्ट में खुद मान रही है.लेकिन ये बात मानने के लिए मुझे कोई बहुत बडे साहस की जरूरत नहीं कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं पर चार गुना ज्यादा पाबंदी है.या कहें कि उन्हें ही ज्यादा नियंत्रण में रखने का प्रयास किया जाता है.और ये सब मानकर मैं कोई एहसान नहीं कर रहा बल्कि जो मुझे लगेगा वैसा ही कहूँगा.<br />प्रियंका पर थोडी मेहनत इसलिए कर ली क्योंकि पिछली कुछ मर्तबा ये दिखाने कि कोशिश की जा रही है कि बेचारी प्रियंका ने कुछ गलत नहीं किया और सब उसके पीछे केवल महिला होने के कारण ही पडे हैं जबकि मैंने ऐसे एक दो लेख पढे थे जिनमें बस ये कहा गया था कि प्रियंका को समझना चाहिए कि इसका फायदा अंतत: नशे के व्यापारियों को ही मिलेगा.वो भी इसलिए क्योंकि प्रियंका कोई साधारण अभिनेत्री भर नहीं है बल्कि उनके कुछ सामाजिक सरोकार भी है.जैसा आपने बताया कि कई लोगों ने प्रियंका के बारे में ऐसा भी कहा तो कहा ही होगा(वैसे भी कोई महिला यदि कह रही हैं तो विश्वास न करने का कोई कारण तो नहीं है).पर मैं तो अपना अनुभव बता रहा हूँ कि ज्यादातर पुरूषों को अब इन सब बातों से फर्क नहीं पडता वो ये सब देखते हैं लेकिन ज्यादा ध्यान नहीं देते.और कभी कभी नैतिकता को लेकर प्रश्न पुरुषों पर भी उठते है.अमिताभ तो महानायक हैं लेकिन उन पर भी बूम नामक ऐक फिल्म में काम करने के कारण आलोचना हुई थी कि आपने ऐसी चरम अश्लील फिल्म में काम क्यों किया.बच्चन ने फिर इस पर माफी भी माँगी थी ऐसे ही कभी अलविदा ना कहना में उनके किरदार को देखकर उनके किरदार के बारे में क्या कहा गया,यहाँ नहीं बता सकता.ऐसे ही रामायण के राम अरूण गोविल से तो कई लोग आज तक कट्टी है कि तुमने 'भगवान' होते हुए भी सी ग्रेड फिल्मों में अंतरंग दृश्य क्यों दिए.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-54944510091876658892011-11-25T22:33:16.938+05:302011-11-25T22:33:16.938+05:30हिंसा तो किसी भी समस्या का हल नहीं है। चाहे वह अन...हिंसा तो किसी भी समस्या का हल नहीं है। चाहे वह अन्ना करें, या हरविंदर।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-61208848800923232522011-11-25T16:31:01.396+05:302011-11-25T16:31:01.396+05:30१.लुत्फ़-ऐ मय तुझसे क्या कहूँ जाहिद
हाय कमबख्त तून...१.लुत्फ़-ऐ मय तुझसे क्या कहूँ जाहिद<br />हाय कमबख्त तूने पी ही नहीं<br /><br />२. शैख़ ये कहता गया पीता गया <br />है बहुत ही बद मज़ा अच्छी नहीं <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-73182475802329345262011-11-25T13:36:49.356+05:302011-11-25T13:36:49.356+05:30सटीक आलेख! बुराई तो बुराई ही है लेकिन यह सच है कि ...सटीक आलेख! बुराई तो बुराई ही है लेकिन यह सच है कि किसी भी बात को जनरलाइज़ करना ठीक नहीं होता। जिनकी पिटाई हुई उनका (और परिवारजनों का भी) सर्वेक्षण कराके पूछा जाना चाहिये कि आज क्या वे अनुशासित रहना पसन्द करेंगे या पहले जैसे पियक्कड़ बनकर रहना। और फिर हर आदमी की हर बात हर समय 100% परफ़ैक्ट हो, यह कैसे सम्भव होगा। जिन्होने समाज-सुधार में थोड़ा भी योगदान दिया है वे उनसे तो बेहतर ही हैं जिन्होने कुछ नहीं किया।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-1498183338534619182011-11-25T11:14:39.508+05:302011-11-25T11:14:39.508+05:30@ राजन जी
हा मै इस परम्परा के...@ राजन जी <br /><br /> हा मै इस परम्परा के बारे में जानती हूँ कई जगह महिलाए बीडी और हुक्का भी पीती है किन्तु वो सभी तब ही करती है जब पुरुषो की इजाजत सहमती होती है इसे करने की | क्या कोई भी परम्परा बिना पुरुषो के हामी के चलना संभव है क्या देश के दूसरे जगहों पर कोई महिला ये काम कर सकती है लोगो सीधे उसे बिगडैल चरित्रहीन कह देंगे क्यों जब पुरुष वही गलत करे तो उसके चरित्र पर उंगली नहीं उठता किन्तु जब महिला शराब पिए तो सीधे उसके चरित्र पर उंगली क्यों उठा दी जाती है | और प्रियंका ने सीधे तौर शराब का विज्ञापन नहीं किया था शराब बनाने वाली कंपनी फैशन टूर का विज्ञापन किया था ब्लॉग पर इस पर पोस्ट आने के काफी पहले ही मुझे कई लोगो ने कहा था लो जी अब तो हीरोइने भी खुलेआम शराब का विज्ञापन करने लगी, लगता है बड़ी पियक्कड़ है ये फिम्ल वाली होती ही बर्बाद है | बोलो पुरुष बर्बाद नहीं होते है पर महिलाए ये करे तो बर्बाद होती है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-67130907446890799412011-11-25T11:05:34.782+05:302011-11-25T11:05:34.782+05:30@ खुशदीप जी
मै भी यही कहत...@ खुशदीप जी <br /><br /> मै भी यही कहती हूँ की बस एक ही थप्पड़ दिख रहा है पवार को उनके ही क्षेत्र विदर्भ में जब एक किसान आत्महत्या करता है तो उनके गाल पर एक साथ दस थप्पड़ पड़ते है अब तक हजारो किसानो ने आत्महत्या कर ली है , उनके ही क्षेत्र जिला मुंबई और ठाणे में बच्चे कुपोषण से मर रहे है और दूसरी तरफ हजारो टन अनाज सड रहा है और वो कोर्ट में कहते है की अनाज मुफ्त में नहीं बाटे जायेंगे हर बच्चे की मौत पर उनके गाल पर सौ थप्पड़ अब इसमे पूरे देश के किसानो की आत्महत्या कुपोषण और भूख से मरे लोगो को मौत पर कुल कितने थप्पड़ पड़े आप खुद ही जोड़ लीजिये | बे आवाज थप्पड़ो को परवाह नहीं करने वाले पवार तो अब भी इस आवाज वाले थप्पड़ को भी थप्पड़ मानने से ही इंकार कर रहे है साफ है की उन्हें अभी भी जनता की परवाह नहीं है | <br /><br /> अन्ना गांधीवाद में विश्वास रखते है किन्तु उन्होंने कई बार ये भी कहा है की उनके अन्दर गाँधी के साथ शिवाजी भी रहते है जो कई मौके पर बाहर आ जाता है उस पर से वो सेना में रह चुके सैनिक है तो वो कभी कभी बाहर आएगा ही | सभी को याद रखनी चाहिए की अन्ना ने कभी नहीं कहा है की वो गाँधी है या वो गाँधी बनना चाहते है वो तो मिडिया है जो बार बार उन्हें गाँधी बनाने का प्रयास करता है वैसे भी गाँधी भी एक दिन में महात्मा गाँधी नहीं बने थे एक लम्बा सफ़र तय किया गया था और बनते बनते गाँधी से महात्मा गाँधी बने थे और मै नहीं मानती की बिना गाँधी बने आप देश के लिए कुछ कर ही नहीं सकते या आप किसी आन्दोलन का नेतृत्व नहीं कर सकते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-68346912067342167862011-11-25T09:04:13.680+05:302011-11-25T09:04:13.680+05:30सच तो यही है कि पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए ...सच तो यही है कि पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए ...शराब और शबाब का सहारा लेने वाले भीतर से डरे हुए वही लोंग हैं जो महिलाओं के मंदिर में भजन कीर्तन को वास्तविक जीवन से पलायन बता कर अपनी बुद्धिवादिता पर खुश होते हैं, कम से कम पलायन का यह रुख अपना या किसी दूसरे का मानसिक, आर्थिक या शारीरिक नुकसान तो नहीं करती !<br /><br />आज हमारे शहर में हालात ये है कि रात गये घर लौटते गली गली में खुल गयी शराब की दुकानों पर खड़ी भीड़ , शराब के नशे में लड़खड़ाते , चिल्लाते लोंग नजर आ जायेंगे , वही राशन या दवा की दूकान आपको ढूंढनी पड़ेगी!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-66610668821539644482011-11-25T06:39:01.042+05:302011-11-25T06:39:01.042+05:30अन्शुमालाजी शराब ऐसी बला है जिससे किसी को लाभ नहीं...अन्शुमालाजी शराब ऐसी बला है जिससे किसी को लाभ नहीं पहुँचता ....न पीने वाले को और न ही उसके परिवार , समाज या देश को..... बाकि न्यूज़ चेनल वालों की तो क्या कहें ये जितना करें कम है..... बहुत अफ़सोस होता है इनकी गैरजिम्मेदारी पर . डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-22305205049112715492011-11-25T00:32:21.089+05:302011-11-25T00:32:21.089+05:30देखिये अंशुमाला जी
बात बड़ी आसान हैं शराब और शबाब प...देखिये अंशुमाला जी<br />बात बड़ी आसान हैं शराब और शबाब पर हक़ तो पुरुषो का बनता हैं . अब अगर शबाब , शराब पर हक़ जमाये तो पुरुष के पौरुष को ज्यादा दंड बैठक पेलनी पड़ सकती हैं .<br />नारी का काम , काम नहीं होता छिनालता होती हैं पुरुष का काम पौरुष हैं<br />वो तिलियर लेक की ब्लॉग मीट तो याद होगी आप को वहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ था<br />आप का आलेख पढ़ कर याद आगया वो वाकिया <br /><br />http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_9611.html<br /><br /><br />anna ki baat sae mae sehmat nahin hun kyuki kanun ne ek age limit banaa rakhii haen sharab peenae kae liyae <br />jarurat haen samajik badlaav ki yaani sharab ko ban karnae kiरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-61872510748455405952011-11-25T00:27:35.634+05:302011-11-25T00:27:35.634+05:30एक बार आन्दोलन चला था और महिलाओं ने कई शराबियों की...एक बार आन्दोलन चला था और महिलाओं ने कई शराबियों की लत छुड़वा दी थीं। <br />पीट-पीट कर।<br />लातों के भूत बातों से नहीं मानते।<br />न जाने इसकी लत ने कितने परिवार को नारकीय जीवन जीने को विवश कर दिया है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-29609828714063469032011-11-24T23:00:58.426+05:302011-11-24T23:00:58.426+05:30सही कहा आपने.पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए.आपन...सही कहा आपने.पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए.आपने महिलाओं की बात की,मैं राजपूत जाति से हूँ और हमारी जाति में बहुत सी महिलाएँ भी खूब शराब पीती हैं और किसी खास मौके पर तो जमकर(वैसे पुरुषों की तुलना में तो ये कम ही है).कहने का मतलब जहाँ परंपरा के रूप में ये चलता रहा हैं वहाँ महिलाओं पर भी कोई खास रोक टोक होती हो ऐसा लगता नहीं.हालाँकि हमारे घर में मेरे दादाजी के अलावा किसीने कभी शराब नहीं पी.जहाँ तक बात है महिलाओं द्वारा शराब के विज्ञापनों की तो शायद आप प्रियंका के विज्ञापन की बात कर रही है.उन पर सवाल इसलिए उठे क्योंकि वे विश्व सुंदरी रह चुकी है राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी है और बच्चों के लिए भी काम करती है.जाहिर सी बात है उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी बरतनी चाहिये(वैसे मुझे नहीं लगता उनका कोई खास विरोध हुआ है).और यदि आप किसी पोस्ट को ध्यान में रख कह रही हैं तो बात अलग है वैसे वहाँ पुरूष के बारे में भी कुछ कहा गया होगा.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-21265159533040295292011-11-24T22:53:09.369+05:302011-11-24T22:53:09.369+05:30This comment has been removed by the author.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-53994879682272739982011-11-24T22:51:05.701+05:302011-11-24T22:51:05.701+05:30This comment has been removed by the author.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-76708086099178611402011-11-24T20:44:41.171+05:302011-11-24T20:44:41.171+05:30दिल्ली में एक शख्स ने महंगाई पर विरोध जताते हुए शर...दिल्ली में एक शख्स ने महंगाई पर विरोध जताते हुए शरद पवार को एक थप्पड़ जड़ दिया...कृपाण निकाल कर नेताओं की हत्या की धमकी भी दी...पत्रकारों ने अन्ना का ध्यान जब इस घटना की ओर दिलाया तो उन्होंने त्वरित प्रतिक्रिया दी...बस एक ही मारा...मौजूद सभी लोग हंसने लगे और अन्ना चले गए...जल्दी ही अन्ना को समझ आ गया कि उन्होंने क्या बोला है...अन्ना लौटे और बात को संभालते हुए बोले...वो (थप्पड़ मारने वाला) गुस्से में होगा...लेकिन किसी को मारना सही नहीं है...हमारा लोकतंत्र ऐसे हमलों की इजाज़त नहीं देता...<br /><br />उधर, शरद पवार को थप्पड़ जड़े जाने की प्रतिक्रिया में महाराष्ट्र में एनसीपी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए...मुंबई के दादर में दुकानें बंद करा दीं...मुंबई-आगरा नेशनल हाईवे को नागपुर के पास जाम कर दिया...कल पुणे बंद का आह्वान किया है...<br /><br />सही जा रहा है हमारा देश...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-8191162328399965392011-11-24T20:06:00.645+05:302011-11-24T20:06:00.645+05:30हमारे एक दोस्त तो पीने की वज़ह नहीं बताते थे बस फख्...हमारे एक दोस्त तो पीने की वज़ह नहीं बताते थे बस फख्र से इतना कहते थे कि हम तो बस दो मौकों पर पीते हैं, कोई घर आ जाए तो उसका साथ देने को या किसी के घर जाएँ तो उसका मन रखने को. अब सामाजिक आदमी हैं तो रोज ही आना-जाना लगा रहता है!<br />आदत सुधारने की बात अन्ना मुख से प्रकाशित होने के कारण बवाल बन गयी, लेकिन बरसों पहले इन्हीं चैनल वालों ने दिखाया था कि पूर्वोत्तर राज्यों की महिलाओं ने अपने पुरुषों की इस आदत से परेशान होकर यही रास्ता निकाला था... तब इस बात की बड़ी प्रशंसा हुई थी.. और जो लोग नियमित टीवी पर समाचार-मनोरंजन चैनल देखते हैं (मैं नहीं देखता) उन्हें याद होगा.. हमारे लालू जी ने भी अपने चिर परिचित अंदाज़ में "चवनिया मुस्की" के साथ कहा था कि हमारे राज में तीन तरह से कोई काम बनता है ईटिंग (खिलाकर), सीटिंग (बैठकर) और पीटिंग (पीटकर... <br />तो फिर यही बात शराब की समस्या पर क्यों नहीं लागू होती!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-43968383034228161322011-11-24T19:13:43.809+05:302011-11-24T19:13:43.809+05:30शराब तो हम बेचारे ??? कभी खुशी, कभी गम, कभी थकान उ...शराब तो हम बेचारे ??? कभी खुशी, कभी गम, कभी थकान उतारने, कभी बोरियत मिटाने और कभी कुछ भी खास न होने की वजह से इस का सहारा लेते हैं."<br />यह सब भ्रान्ति है की नशा ग़म कम करता पीने की बहाने है .अच्छा सार्थक आलेखSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-36592941761682758712011-11-24T16:22:08.337+05:302011-11-24T16:22:08.337+05:30सटीक लेखन... बहुत अच्छा लिखा है आपने शुभकामनायें.....सटीक लेखन... बहुत अच्छा लिखा है आपने शुभकामनायें...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट परhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/11/blog-post_20.html<br />वैसे भी बहुत दिनों बाद आपका कोई आलेख आज पढ़ने को मिला। अच्छा लगा पढ़कर...Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-38312834064088101562011-11-24T15:03:56.190+05:302011-11-24T15:03:56.190+05:30@ शराब तो हम बेचारे ??? कभी खुशी, कभी गम, कभी...@ शराब तो हम बेचारे ??? कभी खुशी, कभी गम, कभी थकान उतारने, कभी बोरियत मिटाने और कभी कुछ भी खास न होने की वजह से इस का सहारा लेते हैं."<br />एक कारण भूलगईं तुम अंशुमाला..दिवाली पर रोकेट छुडाने के लिए खाली बोतल चाहिए न ...कहाँ से आएगी ?:)<br />बहुत ही सही और धारदार लिखा है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9018826800392573952.post-51616037397487959072011-11-24T14:18:55.212+05:302011-11-24T14:18:55.212+05:30शराबियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी ही च...शराबियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए... <br /><br />लेकिन कानून को अपने हाथ में लेने वालो के साथ उससे भी ज्यादा सख्ती से निपटना चाहिए...Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.com