टीवी चैनलों पर हम सभी ने देखा होगा ग्राहकों को जागरुक करता सरकारी विज्ञापन " जागो ग्राहक जागो " बताया जाता है की किसी भी चीज को खरीदने से पहले उसकी एक्सपायरी डेड यानि उसको इस्तेमाल करने की आखरी तारीख जरुर देख ले, किन्तु सरकार आम आदमी को तो जगाती रही पर जब उसकी बारी आई तो शायद खुद ही सो गई | देश की सबसे बड़ी "सरकारी" जाँच एजेंसी सी बी आई १९९५ के पुरुलिया कांड के मुख्य आरोपी किम डेवी के प्रत्यर्पण के लिए कोपेनहेगन पहुची तो उसे पता चला की वो तो डेवी को ले जाने के लिए जो वारंट लाई है वो एक्सपायर हो चूका है | इस बात की जानकारी भी उन महान अधिकारियो को खुद नहीं हुई उसकी जानकारी भी डेवी के वकील ने दी | खैर ऐसे वैसे कर तुरंत नया वारंट मगाया गया और वहा की आदालत में पेश किया गया |
सरकार और उसकी जाँच एजेंसियों , सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से की गई ये गलती तब बड़ी मामूली लगती है, जब हमें पता चलता है की पाकिस्तान को जो ५० अपराधियों ( भारत के मोस्ट वांटेड ) की लिस्ट दी जा रही है जिनके पाकिस्तान में होने की बात की जा रही है उस लिस्ट में भी बड़ी गड़बड़िया है | पहले तो उस लिस्ट में उस वजाहुल कमर खान का नाम सामने आया जो पहले ही पुलिस के द्वारा पकडे जाने के बाद जमानत पर रिहा है और रोज पुलिस स्टेशन जा कर हाजरी भी लगाता है | अभी तक इतनी बड़ी गड़बड़ी के बारे में हमारे केन्द्रीय गृह मंत्री जी ठीक से सफाई भी नहीं दे पाए थे की अब उस मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल एक और अपराधी फिरोज अब्दुल रशीद के बारे में कहा जा रहा है की वो तो मुंबई के आर्थर रोड जेल में कसाब के साथ ही बंद है | पहली गलती पर तो केंद्र और राज्य सरकारे एक दुसरे पर दोस मढ़ने लगी वो भी तब जब दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकारे है यदि अलग अलग पार्टी को होती तो इस बड़ी गड़बड़ी को भी राजनीतिक रंग दे दिया जाता और कभी पता ही नहीं चलता की गलती किसकी है | वैसे अधिकारिक रूप से तो अब भी ये नहीं पता चला है की गलती किसकी है और उसे क्या सजा दी जा रही है | किन्तु इन सभी के कारण जो देश की दुनिया के सामने किरकिरी हुई है उसके लिए किसे सजा दिया जाये | दुनिया के आगे अक्सर हम ये रोना रोते है की अमेरिका से ज्यादा और पहले से तो हम आतंकवाद से पीड़ित है हम तो अपने पडोसी के द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के सताये हुए आदि आदि किन्तु जब इन सब रोने गाने के अलावा काम करने की बारी आती है तो हम ढंग से कागजी कार्यवाही तक नहीं कर पाते है और सपने अमेरिका जैसी कार्यवाही की देखते है | इस कारनामे के बाद क्या लगता है की दुनिया में कोई भी देश हमारे द्वारा पाकिस्तान पर लगाये गए किसी आरोप को गंभीरता से लेगी | क्योकि ये हमारी सुरक्षा और जाँच एजेंसियों द्वारा की गई कोई पहली गलती नहीं है इसके पहले भी जब २६/११ के मामले में पाकिस्तान को कुछ अपराधियों के फिंगर प्रिंट दिए गए थे तब भी इसी प्रकार की गड़बड़ी की गई थी और दो व्यक्तियों के नाम पर एक ही व्यक्ति का फिंगर प्रिंट दे दिया गया था और उसके पहले भी इसी मामले में डी एन ए दिया गया था तब भी यही गड़बड़ी की गई थी | यानि हम इसे एक मामूली मानवीय भूल समझ कर माफ़ नहीं कर सकते है बल्कि ये सरकार की लापरवाही को दिखा रहा है उसका गंभीर न होना दिखा रहा है जो बार बार दुहराया जा रहा है |
इस सारे मामले को देख कर हम समझ सकते है की सरकार आतंकवाद से लड़ने को ले कर, २६/११ के मामले में पाकिस्तान से बातचित को लेकर और वहां पर आजाद घूम रहे भारत के अपराधियों को यहाँ लाने को लेकर कितनी गंभीर है | उसका रवैया बिलकुल उस आम आदमी की तरह है जो सोचता है की खाली पिली होना कुछ है नहीं, दाउद क्या उसका कुत्ते का प्रत्यर्पण भी नहीं होने वाला है, फिजूल में मगज मारी काहे को की जा रही है | यानि सरकार खुद ये मान कर चल रही है की होना कुछ नहीं है बस कागजी खानापूर्ति और दिखावा करना है सो कैसे भी कर दो | अब शायद सभी को समझ में आ गया होगा की मुंबई के २६/११ के अपराधियों पर इतने दबाव और सबूत के बाद भी पाकिस्तान क्यों नहीं कार्यवाही कर रही है | जब हमारी सरकार का ही रवैया इतना ढीला ढाला है तो पाकिस्तान क्या खाक कार्यवाही करेगा न तो पाकिस्तान के ऊपर और न ही अमेरिका के ऊपर सरकार ने ऐसा कोई दबाव डाला है की वो कार्यवाही के लिए मजबूर हो जाये बस जनता को बेफकुफ़ बनाने के लिए सतही तौर पर खानापूर्ति की जा रही है |
इसे लापरवाही की हद न कहा जाये तो क्या कहा जाये की सरकार को अपने यहाँ पकडे गये आतंकवादियों की कोई खबर नहीं है और दुनिया के सामने दावा ये कर रहे है की हमें पता है जी दाउद से लेकर हमारे सारे मोस्ट वांटेड पाकिस्तान में ही है | और आम आदमी सपने सजा रहा है की हमें भी अमेरिका की तरह पाकिस्तान में घुस कर अपने अपराधियों को मार देना चाहिए | अब सरकार के ये कारनामे देख कर सभी समझ गये होंगे की क्यों मनमोहन सिंह ने अमेरिका जैसी किसी भी कार्यवाही पाकिस्ताने में करने से इंकार कर दिया था | लो जी अपने देश के जेल में बंद अपराधियों का तो हमें पता ही नहीं है पाकिस्तान में कौन कहा छुपा बैठा है इस बात की जानकारी कहा से लायेंगे | अब तो शायद पाकिस्तान कहें की मनमोहन सिंह जी जरा ठीक से अपनी लिस्ट जाँच कर ले ५० में से दो तो आप को भारत में ही मिल गये जरा ध्यान से खोजिये बाकि ४८ भी वही मिल जायेंगे बेकार में हमें बदनाम किये जा रहे है और जिस दाउद को पकड़ने के लिए इतना मारा मारी कर रहे हो उसको पालने पोसने वाला और दाउद को इतना बड़ा बनाने वाला उसका बाप ही तुम्हारे यहाँ मंत्री बना बैठा है |
ये सोच कर कोफ़्त होती है की अभी कुछ समय पहले तक हम लादेन के पाकिस्तान में छुपे होने, अमेरिका द्वारा वह घुस कर उसे मारने, पाकिस्तान को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होने और सब होने के बाद अंत में पाकिस्तान की स्थिति पर हंस रहे थे उस पर दुनिया भर में चुटकुले बनाये जा रहे थे और अब शायद पाकिस्तान में हमारे ऊपर चुटकुले बन रहे होंगे |
( वैसे मुझे तो अब सक सा हो रहा है की ये गलतिया वास्तव में लापरवाही से हो रही है या हमारी जाँच और सुरक्षा एजेंसियों यहाँ तक की सरकार में बैठा कोई जासूस साजिस तो नहीं कर रहा है, ताकि दुनिया में भारत की किरकिरी हो सके उसके दिए पक्के सबूतों पर भी कोई विश्वास न करे और पाकिस्तान पर लगाये भारत के सारे आरोपों को बस एक राजनीति समझ झुठला दिया जाये | पता नहीं क्या हो रहा है शायद ये भी हो सकता है )
ये सोच कर कोफ़्त होती है की अभी कुछ समय पहले तक हम लादेन के पाकिस्तान में छुपे होने, अमेरिका द्वारा वह घुस कर उसे मारने, पाकिस्तान को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होने और सब होने के बाद अंत में पाकिस्तान की स्थिति पर हंस रहे थे उस पर दुनिया भर में चुटकुले बनाये जा रहे थे और अब शायद पाकिस्तान में हमारे ऊपर चुटकुले बन रहे होंगे |
( वैसे मुझे तो अब सक सा हो रहा है की ये गलतिया वास्तव में लापरवाही से हो रही है या हमारी जाँच और सुरक्षा एजेंसियों यहाँ तक की सरकार में बैठा कोई जासूस साजिस तो नहीं कर रहा है, ताकि दुनिया में भारत की किरकिरी हो सके उसके दिए पक्के सबूतों पर भी कोई विश्वास न करे और पाकिस्तान पर लगाये भारत के सारे आरोपों को बस एक राजनीति समझ झुठला दिया जाये | पता नहीं क्या हो रहा है शायद ये भी हो सकता है )