१- काम करने का कोई निर्धारित घंटा नहीं हैं
२- २४*७ डियूटी पर तैनात
३- पहले से निर्धारित काम के साथ ही कभी भी ओवर टाइम के लिए तैयार रहने की उम्मीद
४- अपने काम के साथ ही दुसरो के काम की करना
५- काम करने का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं , कुक , सफाईकर्मी , डॉक्टर , नर्स , शिक्षक, ड्राइवर , इंजिनियर , आया , काउंसलर आदि इत्यादि दुनियां में जितने भी प्रोफेशन हैं सब कार्य
६ - कार्य करने का कोई निर्धारित एरिया नहीं घर के अंदर बाहर सभी काम करने की शर्त
७ - शारीरिक और मानसिक दोनों कार्य करने की योग्यता और काम से भावनात्मक लगाव की सबसे बड़ी शर्त
८ - साल में कोई छुट्टी नहीं
९ - कोई वेतन बोनस नहीं , साल के ३६५ दिन काम बिना किसी वेतन के
१० - सिर्फ खाने कपडे और छत की शर्त पर काम * ( कंडीशन अप्लाई ) , लेकिन किसी भी चीज पर आप का हक़ नहीं | ये सब कभी भी बिना नोटिस छिना जा सकता हैं
११ - ये सब करने के बाद भी ताने की घर बैठी हैं कुछ काम नहीं करती घरेलु हैं |
१२ - सरकारे भी इन्हे अनप्रोडक्टिव नागरिक के तौर पर देख इन्हे भिखारियों की श्रेणी में रखती रही हैं |
१३ - ये सब करने के बाद भी शारीरिक और मानसिक प्रताणना और मौत होने तक अमानवीय पिटाई आम बात |
इनकी हालत मजदूरों से भी बत्तर हैं | अनपढ़ो को छोड़ दीजिये पढ़े लिखे लोग अपना मन टटोले वो घर में काम करने वाली महिलाओं को कितना सम्मान देतें हैं उनके लिए कैसी सोच रखते हैं |
#मईदिवस
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/05/2019 की बुलेटिन, " १ मई - मजदूर दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सार्थक लेख
ReplyDeleteसादर
मजदूरों की दशा, दिशा को प्रदर्शित करने वाली बेहतरीन पोस्ट !!!
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