दोपहर बाहर से घर आई तो देखा पतिदेव ऑफिस से आ चुके हैं | मुझे देखते ही पूछा
"कहाँ से आ रही हो मैडम , मैं कब का घर आ गया "
"इतनी जल्दी दोपहर में तुम कैसे "
"ऑफिस का काम था सोचा घर से ही कर लेता हूँ "
एक बड़ी ठंडी सांस लेते कहा अच्छा और जानबूझ कर अपना वो हाथ आगे किया जिस पर सफ़ेद चौकोर चिप्पी लगी थी ब्लड टेस्ट वाली | लेकिन बंदा अपने काम में इतना व्यस्त की उसकी नजर ही ना पड़ती | अब तो गुस्सा आने लगा था , एक तो बंदे ने सिर्फ पूछा कहाँ से आ रही हो उसके जवाब में उसका कोई इंट्रेस्ट नहीं हैं , अब मैं उसे कुछ दिखा के इंट्रेस्ट जगाना चाह रहीं हूँ तो उसका ध्यान ही नहीं हैं | एक आखरी कोशिश फिर की इस बार देख ही लिया |
"अरे ये क्या हुआ , ब्लड टेस्ट के लिए गई थी " बिना चिंता के बिना घबराई सी मुख मुद्रा के एकदम सामान्य तरीके से जब ये सवाल किया गया तो मेरा पारा सांतवे आसमान पर था | दो मीनट चुप रही कि देखूं इसके जवाब में भी कोई रूचि हैं की नहीं | लेकिन जैसा की उम्मीद थी कोई रूचि नहीं बंदा अपने काम में व्यस्त | हमने भी कहा अब ऐसा जवाब दिया जायेगा की बंदा ऊपर से नीचे तक झनझना जायेगा , सब काम छोड़ मेरे पीछे ना आये तो कहना |
" अपना एच आई वी टेस्ट कराने गई थी " इतना कह वहां से उठ किचन में चली गई |
अब बताने की जरुरत तो हैं नहीं बंदा लैपटॉप फेक ( मतलब बगल में आराम से रख कर , हमारे ऐसे नसीब कहाँ कि इतनी व्याकुलता हमारे लिए दिखाए ) पीछे पीछे सीधा किचन में आ गए और कहा
" इसमें मेरी कोई गलती नहीं हैं मैंने कुछ नहीं किया हैं "
"गुर्रर्रर्र "
"अच्छा अच्छा नाक मत फुलाओ , बताओ क्या हुआ हैं , बीमार हो , क्या हुआ हैं , किसा लिए टेस्ट कराइ हो , क्या आया रिपोर्ट में "
" ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट एक दिन में आ जाती हैं क्या "
" ओके पूरी बात बताओ सुन रहा हूँ "
"कल घर पर कॉलेज के दो स्टूडेंट आये और बोले पास के उनके कॉलेज में ब्लड डोनेशन का कैंप लगेगा आज , तो मैंने उनसे कह दिया मैं आज आउंगी "
" अच्छा तो ब्लड डोनेशन के लिए गई थी | इसमें कौन सी बड़ी बात हैं मैंने तो कितनी बार किया हैं " इतना कह वो वापस कमरे में चल दिए |
" देखा इसीलिए तुम पर गुस्सा आता हैं | पूरी बात तो सुनी नहीं चले आयें ना "
" बोलो मैं सुन रहा हूँ "
" मैं हमेशा से ब्लड डोनेशन करना चाहती थी लेकिन कभी कर ही नहीं पाई | शादी के पहले इतनी पतली दुबली थी की सब चिढ़ाते थे , कि कभी डोनेशन के लिए जाना मत , वरना पकड़ कर तुम्हे ही दो बोलत चढ़ा देंगे "
"अच्छा तो पहली बार डोनेशन किया हैं "
"कहाँ कर पाई "
"क्या हुआ हीमोग्लोबिन कम निकला क्या "
"नहीं , वो ठीक था, डॉक्टर ही गदही थी | तुम तो जानते ही हो मेरा ब्लड निकालना आसान तो हैं नहीं ज्यादातर नस ही नहीं मिलती | जूनियर डॉक्टर को देखते समझ गई कि इसके बस का हैं नहीं मेरा ब्लड निकालना | मैंने उसे पहले ही टोक था कि किसी बड़े डॉक्टर को बुला लो लेकिन वो मानी नहीं | पहले ही तीन बार सुई अंदर बाहर करके मेरा हाथ दुखा दिया | ब्लड निकलने का नाम ही ना ले | फिर चौथी बार में किसी तरह निकलना शुरू हुआ तो देखा जो ब्लडप्रेसर की मशीन लगाई थी उससे हवा निकल रही थी | वो थोड़ी देर में आती हवा भरती वो फिर निकल जाता , मेरे हाथ में गेंद दे दिया इसे दबाते रहिये | फिर निचे ब्लड जमा कर रहें पाउच को देख कर तोड़ी टेंशनियाई | और चली गई गेंद दबाने के चक्कर में मेरा हाथ भी दुःख रहा था | फिर अचानक बगल वाले बेड पर मेरा ध्यान गया , जो आदमी मेरे बाद आया था उसका हो भी गया दूसरा आदमी भी आ गया , लेकिन मेरा तो निकले जा रहा हैं | उतने में वो फिर आई हवा भरा आपकी पहले से ज्यादा टेंशनियाई , इस बार तो मैं भी डर गई | मैंने पूछ लिया क्या समस्या हैं तुम किसी बड़े डॉक्टर को बुलाओ | उसके जाने के बाद ही सामने लेटा दूसरा आदमी भी अपना काम करके चला गया | फिर बड़ा डॉक्टर आया उसने पाउच उठाया वो आधा भी नहीं भरा था | उसने सुई निकल कर कहा जाइये आप का हो गया | मैंने तुरंत जूनियर डॉक्टर की शिकायत उससे की कि मैं काम से इन्हे टोक रहीं हूँ और ये सुन नहीं रही हैं | फिर उससे पूछा क्या ये बेकार हो गया | तो उसने कहा नहीं बेकार नहीं जायेगा , छोटे बच्चो को जरुरत होती हैं उनके काम आ जायेगा "
"वाह क्या बात हैं | जब मच्छर तुम्हे नहीं काटते थे तो लगता था मच्छर के बस का नहीं हैं , लेकिन आज पता चला तुम्हारा खून चूसना डॉक्टर के बस का भी नहीं हैं "
आज ब्लड डोनेशन डे हैं तो किसी प्रशिक्षित काबिल अच्छे लोगों के पास ही डोनेशन के लिए जाये | वरना जितना डोनेशन किया नहीं हैं उतना खून जला लेंगे आप |
#पतझड़
"कहाँ से आ रही हो मैडम , मैं कब का घर आ गया "
"इतनी जल्दी दोपहर में तुम कैसे "
"ऑफिस का काम था सोचा घर से ही कर लेता हूँ "
एक बड़ी ठंडी सांस लेते कहा अच्छा और जानबूझ कर अपना वो हाथ आगे किया जिस पर सफ़ेद चौकोर चिप्पी लगी थी ब्लड टेस्ट वाली | लेकिन बंदा अपने काम में इतना व्यस्त की उसकी नजर ही ना पड़ती | अब तो गुस्सा आने लगा था , एक तो बंदे ने सिर्फ पूछा कहाँ से आ रही हो उसके जवाब में उसका कोई इंट्रेस्ट नहीं हैं , अब मैं उसे कुछ दिखा के इंट्रेस्ट जगाना चाह रहीं हूँ तो उसका ध्यान ही नहीं हैं | एक आखरी कोशिश फिर की इस बार देख ही लिया |
"अरे ये क्या हुआ , ब्लड टेस्ट के लिए गई थी " बिना चिंता के बिना घबराई सी मुख मुद्रा के एकदम सामान्य तरीके से जब ये सवाल किया गया तो मेरा पारा सांतवे आसमान पर था | दो मीनट चुप रही कि देखूं इसके जवाब में भी कोई रूचि हैं की नहीं | लेकिन जैसा की उम्मीद थी कोई रूचि नहीं बंदा अपने काम में व्यस्त | हमने भी कहा अब ऐसा जवाब दिया जायेगा की बंदा ऊपर से नीचे तक झनझना जायेगा , सब काम छोड़ मेरे पीछे ना आये तो कहना |
" अपना एच आई वी टेस्ट कराने गई थी " इतना कह वहां से उठ किचन में चली गई |
अब बताने की जरुरत तो हैं नहीं बंदा लैपटॉप फेक ( मतलब बगल में आराम से रख कर , हमारे ऐसे नसीब कहाँ कि इतनी व्याकुलता हमारे लिए दिखाए ) पीछे पीछे सीधा किचन में आ गए और कहा
" इसमें मेरी कोई गलती नहीं हैं मैंने कुछ नहीं किया हैं "
"गुर्रर्रर्र "
"अच्छा अच्छा नाक मत फुलाओ , बताओ क्या हुआ हैं , बीमार हो , क्या हुआ हैं , किसा लिए टेस्ट कराइ हो , क्या आया रिपोर्ट में "
" ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट एक दिन में आ जाती हैं क्या "
" ओके पूरी बात बताओ सुन रहा हूँ "
"कल घर पर कॉलेज के दो स्टूडेंट आये और बोले पास के उनके कॉलेज में ब्लड डोनेशन का कैंप लगेगा आज , तो मैंने उनसे कह दिया मैं आज आउंगी "
" अच्छा तो ब्लड डोनेशन के लिए गई थी | इसमें कौन सी बड़ी बात हैं मैंने तो कितनी बार किया हैं " इतना कह वो वापस कमरे में चल दिए |
" देखा इसीलिए तुम पर गुस्सा आता हैं | पूरी बात तो सुनी नहीं चले आयें ना "
" बोलो मैं सुन रहा हूँ "
" मैं हमेशा से ब्लड डोनेशन करना चाहती थी लेकिन कभी कर ही नहीं पाई | शादी के पहले इतनी पतली दुबली थी की सब चिढ़ाते थे , कि कभी डोनेशन के लिए जाना मत , वरना पकड़ कर तुम्हे ही दो बोलत चढ़ा देंगे "
"अच्छा तो पहली बार डोनेशन किया हैं "
"कहाँ कर पाई "
"क्या हुआ हीमोग्लोबिन कम निकला क्या "
"नहीं , वो ठीक था, डॉक्टर ही गदही थी | तुम तो जानते ही हो मेरा ब्लड निकालना आसान तो हैं नहीं ज्यादातर नस ही नहीं मिलती | जूनियर डॉक्टर को देखते समझ गई कि इसके बस का हैं नहीं मेरा ब्लड निकालना | मैंने उसे पहले ही टोक था कि किसी बड़े डॉक्टर को बुला लो लेकिन वो मानी नहीं | पहले ही तीन बार सुई अंदर बाहर करके मेरा हाथ दुखा दिया | ब्लड निकलने का नाम ही ना ले | फिर चौथी बार में किसी तरह निकलना शुरू हुआ तो देखा जो ब्लडप्रेसर की मशीन लगाई थी उससे हवा निकल रही थी | वो थोड़ी देर में आती हवा भरती वो फिर निकल जाता , मेरे हाथ में गेंद दे दिया इसे दबाते रहिये | फिर निचे ब्लड जमा कर रहें पाउच को देख कर तोड़ी टेंशनियाई | और चली गई गेंद दबाने के चक्कर में मेरा हाथ भी दुःख रहा था | फिर अचानक बगल वाले बेड पर मेरा ध्यान गया , जो आदमी मेरे बाद आया था उसका हो भी गया दूसरा आदमी भी आ गया , लेकिन मेरा तो निकले जा रहा हैं | उतने में वो फिर आई हवा भरा आपकी पहले से ज्यादा टेंशनियाई , इस बार तो मैं भी डर गई | मैंने पूछ लिया क्या समस्या हैं तुम किसी बड़े डॉक्टर को बुलाओ | उसके जाने के बाद ही सामने लेटा दूसरा आदमी भी अपना काम करके चला गया | फिर बड़ा डॉक्टर आया उसने पाउच उठाया वो आधा भी नहीं भरा था | उसने सुई निकल कर कहा जाइये आप का हो गया | मैंने तुरंत जूनियर डॉक्टर की शिकायत उससे की कि मैं काम से इन्हे टोक रहीं हूँ और ये सुन नहीं रही हैं | फिर उससे पूछा क्या ये बेकार हो गया | तो उसने कहा नहीं बेकार नहीं जायेगा , छोटे बच्चो को जरुरत होती हैं उनके काम आ जायेगा "
"वाह क्या बात हैं | जब मच्छर तुम्हे नहीं काटते थे तो लगता था मच्छर के बस का नहीं हैं , लेकिन आज पता चला तुम्हारा खून चूसना डॉक्टर के बस का भी नहीं हैं "
आज ब्लड डोनेशन डे हैं तो किसी प्रशिक्षित काबिल अच्छे लोगों के पास ही डोनेशन के लिए जाये | वरना जितना डोनेशन किया नहीं हैं उतना खून जला लेंगे आप |
#पतझड़
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, क्यों उतर आती हैं अप्सराएं आसमान से
ReplyDelete“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !