बनारस और उसके आसपास में जो भाषा बोली जाती हैं उसमे ढेर सारे उर्दू के शब्द इस तरह घुलेमिले होते हैं जिनके बारे में कई बार वहां के बोलने वालों को भी नहीं पता होता |मुंबई आने के बाद भी कई सालों तक मेरा बोलने का लहजा तो थोड़ा बदला लेकिन ढेरों शब्द बनारस वाले ही थे | ऑफिस में एक लड़की थी , महाराष्ट्र से, एक बार पूछ बैठी आप शायरी भी करतीं हैं क्या | आश्चर्य में पूछा तुम्हे किसने कहा , तो बोली आप बहुत सारे उर्दू शब्द बोलतीं हैं |
बोलो , किसी ने दो चार उर्दू के शब्द बोल दिए तो वो शायर हो गया | फिर उसने कहा मुझे उर्दू बड़ा पसंद हैं आप मुझे उसका मतलब बता सकती हैं | उस दिन मुझे पता चला कि मेरी भाषा में उर्दू के शब्द हैं और लोग बिना समझे भी मेरी बात भी सुन लेते हैं | मैंने कहा ठीक हैं, अब से कम से कम जो बात ठीक से समझ ना आये वो तो पूछ लेना | उसके बाद मुझे पता चलता रहा कि कौन कौन से शब्द मै उर्दू के बोल रहीं हूँ और उन्हें उसका मतलब हिंदी में पता चलता रहा |
मेरे ऑफिस में दो इंटर्न आये , दो महीने काम करने के बाद उनमे से एक ने टीवी चैनल में इंटरव्यू दिया और उसे बताने लगा , कि मेरी जॉब वहां लग जाएगी | मै पास में ही बैठी उनकी बातें सुन रही थी |लडके के जॉब लगने की बात कहतें ही पता नहीं लड़की के दिल में उर्दू बोलने की कौन सी तलब जगी और उसे बोला खुदा ना खासता तेरी जॉब लग गई तो तू यहाँ नहीं आएगा | इतना सुनते ही वो लड़का मुंह बाए आश्चर्य में खड़ा उसे देखने लगा की ये क्या बक रही है वो और मेरी जोर की हँसी निकल गई |
मैंने तुरंत उसे टोका , अरे खुदा खाँसता बहुत खाँसता ऐसा नहीं बोलते उसकी जॉब लगने दो | मैं समझ गई उसने बिना मतलब समझे ये कह दिया हैं और लड़का मेरी बात आगे बढ़ाते बोला और नहीं तो क्या खुदा खाँसता बहुत खाँसता इतना खाँसता की उसे खाँसते खाँसते टीबी हो जाता | जब मैंने लड़की को इसका मतलब बताया तो खूब शर्मिंदा हुई और लडके को बार बार सॉरी बोलने लगी |
No comments:
Post a Comment