लोगों को एसबीआई पर चुटकुले बनना छोड़ देना चाहिए क्योकि अब प्राइवेट बैंक में भी अगर आपके पैसे अटक जाये तो वपस लेने के लिए वैसे ही चक्कर लगाने पड़ते हैं जैसे की किसी सरकारी बैंक में | जनवरी में अटका पैसा अप्रैल में आखिर तब मिला जब हम दस चक्कर लगाने के बाद भी छोड़ने को तैयार ना थे और रिजर्व बैंक में भी शिकायत तक दर्ज करा दी |
ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद भी पैसा ट्रांसफर कर दिया गया बैंक द्वारा अमेजन को | हम में से ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते लेकिन जब हम अमेजन जैसे किसी कंपनी को पेय करते हैं तो पैसा सीधा अमेजन के पास नहीं बल्कि एक तीसरी पार्टी पेय इंडिया जैसो के पास जाता हैं और वो अमेजन को ट्रांसफर करती हैं |
बैंक से पैसा ट्रांसफर हो गया लेकिन वो अमेज़न को मिला नहीं | बैंक जिद पर अड़ा रहा कि उसने पैसे दे दिये उसकी जिम्मेदारी ख़त्म जिसके पास पैसा गया हैं उससे बात करूँ | अमेजन को पैसा मिला नहीं इसलिए वो भी मानने को तैयार नहीं कि उसे पैसा मिला तो वो रिटर्न करने को तैयार नहीं |
मेरा और पेय इंडिया का कोई सीधा रिश्ता बिजनेस ही नहीं हैं तो में कैसे और किस बिना पर उससे बात करू ये मेरी समस्या थी |
चुकीं बैंक ने ट्रांजेक्शन फेल बता कर पैसा ट्रांसफर किया था तो उसकी जिम्मेदारी थी कि वो पैसे तीसरी पार्टी से लेकर मुझे वापस करे | अमेज़न की भी भी जिम्मेदारी थी कि जब वो ग्राहको से सीधा पैसा अपने अकाउंट में नहीं लेती तीसरी पार्टी के माध्यम से लेती हैं तो उसे तीसरी पार्टी से भी चेक करना चाहिए था कि पैसा उसके पास तो नहीं गया |
लेकिन दोनों अपना अपना पिंड छूटा कर ग्राहक को मुर्ख बना उसे सब कुछ करने के लिए कह रहें थे | जबकि पहली जिम्मेदारी उन दोनों की थी | पेय इंडिया का हालत ये थे कि वो बैंक के भेजे दो तीन मेल का जवाब नहीं दे रहा था | अब सोचिए मैं उनसे संपर्क करती तो क्या मेरे किसी भी मेल और फोन का वो कोई जवाब देते |
बैंक और अमेजन का कस्टमर सर्विस तो कस्टमर को साफ कहा दिया हमारी समस्या नहीं हैं आपकी समस्या हैं शिकायत हमारी तरफ से क्लोज हो गया , जा कर मरिये कहीं | बैंक में लिखित शिकायत दी गयी फिर दूसरे कम्प्लेन नंबर के लिए एक और चक्कर लगाना पड़ा तब नया नंबर जनरेट हुआ |
जूनियर वाले तो बैंक में भी हमें कॉल सेंटर वालों का फोन थमाने की कोशिश करते रहें | हमने मना कर दिया ब्रांच में हमारा खाता हैं और ये आपका काम हैं | उन्होंने तो एकबार ये भी कहा दिया ये ब्रांच का काम ही नहीं हैं आपको कॉल सेंटर पर बात करनी चाहिए |
हमने कहा खाता ब्रांच में खुलवाया था | आप सारे ब्रांच बंद कर दीजिये डिजिटल ही सब काम कीजिये हम भी पैसे मिलने के बाद अपना खाता बंद किये देते हैं | दो चार चक्कर में मैनेजर डिप्टी से लेकर ब्रांच मैनेजर तक पहुँच गए | फिर मैनेजर ने डिप्टी से कहा अमेजन , पेय इंडिया का कांफ्रेंस कॉल कर सबको एक साथ ला कर बात करो |
उसके बाद भी ये डिजिटल कम्पनियाँ मानने को तैयार नहीं | अंत में हमने आरबीआई में शिकायत कर ही दी | लेकिन शिकायत के तीन दिन बाद ही बैंक से फोन आया कि पैसा आ गया हैं कल मिल जायेगा | आरबीआई में शिकायत सिर्फ शिकायत दर्ज होने के स्तर पर थी उसके आगे नही बढ़ी थी | तो मान कर चलते हैं कि बैंक ने अपने स्तर पर काम किया लेकिन पैसे मेरी ज़िद पर मिले |
मैंने अपनी शिकायत को लगातार फॉलो ना किया होता तो वो सब हर बार शांत बैठ जा रहें थे और आगे कुछ नहीं कर रहें थे | आरबीआई में शिकायत करने में देरी इसलिए हुई क्योकि वो लिखित शिकायत मांग रहें थे और औपचारिक रूप से लिखित शिकायत तो हमने ब्रांच में की थी | डिजिटल वाले में तो फोन पर हुयी बातों को मेल पर बस आगे बढ़ा रहें थे |
इसलिए याद रखिये फोन पर कितनी भी बातें हो बैंक को पहले दिन ही एक औपचारिक लिखित शिकायत कर दीजिये | उसके बाद उनके रिप्लाई को भी लिखित में लीजिये | हमारे केस में भी बैंक हमारे मेल का जवाब बड़ी मुश्किल से मेल पर लिखित में दे रहा था | रिप्लाई ना करे तो एक रिमांडर भी डाले |
आरबीआई बैंक को लिखित शिकायत के एक महीने बाद अपने यहाँ शिकायत लेता हैं और ये तीन चीजे मांगता हैं | अगली बार आपकी रकम अटके तो कम से कम एक लिखित शिकायत कर दे भले पैसे लेने में आपकी रूचि हो या ना हो | क्योकि किसी गरीब या आम आदमी के लिए वो रकम बड़ी हो सकती हैं |
लोग पैसा भूल जाते हैं छोटी रकम कह करके तो बैंक भी बाकियो के साथ भी वही करने का सोचती हैं कि ग्राहक पैसा भूल जाए या परेशांन हो कर आना बंद करदे | बैंको में या आरबीआई में शिकायतों का भंडार लगेगा तब ये बैंक एक बार में काम करना सीखेंगे या शिकायतों को गंभीरता से लेंगे | बैंक के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं हैं बस घर बैठे शिकायत दर्ज करा दीजिये डिजिटली | इससे दूसरों का भला होगा |
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