लॉकडाउन के बाद जब शराब की दुकाने खुलने की घोषणा हुयी तो एक शराबी , पत्रकारों से दुःखी हो कर कहता हैं कि नौ बजे दूकान खुलने वाली हैं पौने नौ बज गए पुलिस प्रशासन कोई अभी तक इस शराब के दुकान के पास व्यवस्था बनाने लाइन लगवाने नहीं आया | सरकार नकारा हैं उसे हमारी कोई चिंता नहीं हैं |
और बहुत सारे इंटरव्यू आम लोगों के देखे जो कहते हैं कि हम मास्क नहीं पहनेंगे , हम दूसरे लोगों से शारीरिक दुरी भी नहीं रखेंगे , हम लॉकडाउन का पालन भी नहीं करेंगे | ये काम तो सरकार का हैं कि वो देखे कि कोरोना बिमारी ना फैले और उचित इलाज मिले |
एक अच्छे नागरिक बन लाइन लगा सामान लेने , मामूली से नियम जो हमारी सुरक्षा के लिए बने हैं उनका पालन करने की सोच भी हम नहीं रखते और चाहते हैं कि ये सारे काम भी सरकार हमें डंडा मार कर करवाए | हम भेड़ बकरियों सा व्यवहार करते हैं और चाहते हैं की सरकारे हमें हांक कर सब काम करवाए फिर कहते हैं कि सरकार जनता को कुछ समझती ही नहीं |
लोगों को अपनी जान की परवाह नहीं होती और उम्मीद करती हैं कि सरकारे उनकी जान की परवाह करे | 2020 मे अक्टूबर-नवंबर त्यौहारों और शादी के सीजन में लोगों ने बिमारी से बेपरवाह हो कर खूब नियमो की धज्जियाँ उड़ाई | बाजारों , शादियों , पंचायत चुनावों , राज्य के चुनावी रैलियों , कुंभ और धार्मिक आयोजन आदि में लापरवाह हो कर भीड़ जमा की |
मास्क पहने और हाथ धोने जैसे मामूली नियमो को भी अनदेखा किया | दूसरी लहर की चेतावनी को अफवाह बताया , दूसरे देशो से फिर से बीमारी फैलने की आ रही की खबरों को नजर अंदाज किया नतीजा 2021 अप्रैल मई तक सबने देखा |
काश बाजार , घूमने फिरने , शादियों में , धार्मिक आयोजन , चुनावी रैलियों और भीड़ भरी आदि जगहों पर मजे के लिए जाने से पहले , दूसरी लहर की चेतावनी को नजरअंदाज करने से पहले बस एक बार सबने 2020 अप्रैल मई वाले पोस्ट, स्टेटस को सोशल मिडिया पर खंगाला होता तो 2021 वाले दूसरी भयंकर लहर के खौफनाक हालातो मौतो से बच सकते थे।
इस कोरोना से भविष्य के लिए कुछ सीखा समझा तो ठीक नहीं तो भेड़ बकरियों को वैसे भी फर्क नहीं पड़ता |
#फ्लैशबैक
व्यवहार में भेड़ बकरियाँ और अधिकार के लिए जागरूक ..... ऐसे ही हैं हम ...... सटीक लेख .
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