दो दिन पहले रिटायर्मेंट ले चुकी अपनी फैमिली डॉक्टर के पास उनके घर गयी । सुबह सुबह घर पहुंची तो वो रसोई मे सब्जी बना रही थी । देखकर लगा रिटायर्मेंट शब्द स्त्रियों के लिए नही बना है ।
अपने प्रोफेशन से तो रिटायर्मेंट ले लिया लेकिन ये अवैतनिक काम घर गृहस्थी से कभी उनको छुट्टी नही मिलती । सत्तर साल से ज्यादा की आयु हो चुकी है लेकिन गृहस्थी रसोई अब भी उनकी जिम्मेदारी और कर्तव्यों मे है ।
संभव है कि काम वाली हो और उस दिन ना आयी हो तो भी उस दिन के लिए ही सही सारे काम की ज़िम्मेदारी हर घर मे स्त्रियों की ही होती है । उनके पति भी डॉक्टर ही थे लेकिन बहुत पहले ही उन्होंने भी काम से विदाई ले ली थी । पैरो मे कुछ समस्या हो गयी थी उन्हे ।
मेरे पड़ोस मे जो परिवार रहता है वहां भी वही हाल है । पति नेवी मे थे जमाने पहले रिटायर हो गये लेकिन सत्तर साल से भी ज्यादा की पत्नी ही घर के सारे काम करती है । दो बेटियों एक बेटे की शादी हो गयी सबकी अलग अपनी गृहस्थी है ।
छोटी बेटी साथ रहती है लेकिन वो सुबह आठ बजे ही अपनी नौकरी पर निकल जाती है और रात सात आठ तक आती है । इस बीच खाना बनाने से लेकर बाजार से सामान लाने आदि सारे घर का काम वो खुद ही करती है । बेटी से थोड़ा-बहुत ही मदद मिल पाती होगी ।
हम तो अपना सोच रहे है हमारा क्या होगा । हम तो पतिदेव से कहते तुम्हारा तो बढ़ियां है साठ मे नौकरी से छुट्टी मिल जायेगी फिर मन है तो कुछ करो नही तो आराम करो । लेकिन मेरे रिटायर्मेंट की तो कोई डेट ही नही है ।
पहले अच्छा था । संयुक्त परिवार में बहुओं के आने के बाद स्त्रियाँ रिटायर हो जाती थीं , लेकिन सत्ता उनके ही हाथ में रहती थी 😄😄
ReplyDeleteबहु कार्यण भी स्त्रियां ही होती हैं
ReplyDeleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-7-22}
को सैनिकों की बेटियाँ"(चर्चा अंक 4495)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सही कहा हम चाह कर भी आराम नहीं कर सकती।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा मन को छूते भाव।
सादर