July 04, 2022

दिल तो बच्चा है जी



उमर जीतनी  भी हो गर बच्चा बनने का मौका मिले तो कभी नहीं छोड़ना चाहिए और ऐसी खुराफातें करने से हम कब पीछे हटने वाले थे | जमाने से ट्रैम्पोलिन पर  दुनियां जहान के लोगों को कूदते फांदते और करतब करते देख देख मन में वो सब तो बहुत बार  कर चुकी थी असलियत में करने का मौका अब मिला | 

वैसे तो करने के लिए बहुत कुछ सोचा था लेकिन टिकट खरीदते ही उसने पहले चेतावनी यही दी कि जो स्टंट नहीं आते तो मत कीजियेगा | बस इसी के चक्कर में थोड़ा लिहाज कर लिया  वरना अरमान तो बहुत कुछ करने के थे | शुरुआत तो दो चार जंप के बाद गिर जाने से हुयी लेकिन एक बार रिदम बन गया तो फिर तो कहना ही क्या | 

हम होस्ट से पूछते रहें कि ये स्टंट कैसे होगा वो  स्टंट कैसे होगा ओबामा की औलादे यू कैन डु इट कह कह कर हमें बताते , उकसाते रहें और हम करते चले | फिर एडवांस वाले पर जा कर पूछा फ्लिप कैसे होगा | उसने बताया और हमने फ्रंट वाला पहली बार में ही ऐसे किया जिसकी उम्मीद हमें और बच्चो किसी को नहीं थी | बैक वाले के बारे में पूछा ही नहीं पता था अपने बस का नहीं | 
 

आठ दस फिट की ऊंचाई से उलटा फ्री फॉल एक बार करेंगे तो आपको समझ आयेगा की एक दूसरे पर ट्रस्ट एक्सरसाइज में इसे क्यों करवाते है | ये फ्रंट जंप से अलग और ज्यादा मजेदार होता हैं | इसमें आप सामने देखते नहीं हैं गिरते हुए और जानते हैं संभलने के लिए आपके पास मौका नहीं होगा बचता हैं बस थोड़ा सा डर और भरोसा | 

उसके बाद हम पहुंचे उस जंप पर जिसमे आपने कई बार देखा होगा लोग ऊँचे प्लेटफार्म  से पीठ के बल गिरते हैं और बाउंस हो कर वापस उसी प्लेटफार्म पर खड़े हो जाते हैं | होस्ट ने हमें , औकात में अरमान पालो  आंटी , वाली नजर से देखा और बोला कि जिस जवान छोरे को ये करता देख इंस्पायर हो रही हो ना आंटी , वो दो महीने से प्रैक्टिस कर रहा हैं तब कर पा रहा हैं | काहें गर्दन तोड़वा के अंकिल पर बोझा बनना चाहती हो ( ये बात उसने मैम कह कर विनम्रता से कही लेकिन हमें पता हैं उसके दिमाग में वही चल रहा था जो मैंने लिखा ) 


लेकिन उसने सही सलाह दी थी क्योकि सब करके के बाद शरीर का पुर्जा पुर्जा , पूरा अस्थि पंजर ऐसा खड़खड़ाया की पूछिए मत | दूसरे   पूरा दिन तो उठना बैठना भयंकर तकलीफदेह हो गया तीसरे दिन भी दर्द बना हुआ था   | जिस गर्दन और घुटनो को लेकर चिंता थी उसे तो कुछ नहीं हुआ लेकिन बाकि शरीर ने साफ कह दिया बहन उमर पचपन और शरीर  बचपन नहीं चलेगा अब जरा हफ्ता दस दिन बैठो शांति से |  


नोट - ये करने का सारा क्रेडिट बिटिया को ( ऐसा उसने लिखने के लिए बोला हैं ) 







 



3 comments:

  1. 😆😆😆 उम्र पचपन की हो लेकिन दिल तो बच्चा है न । रोमांचक संस्मरण ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(०५-०७ -२०२२ ) को
    'मचलती है नदी'( चर्चा अंक-४४८१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. लेकिन बाकि शरीर ने साफ कह दिया बहन उमर पचपन और शरीर बचपन नहीं चलेगा अब जरा हफ्ता दस दिन बैठो शांति से ... अब भुगतो बच्चों के चक्कर में आकर

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