July 13, 2012

गुवाहाटी मामले में पहले लड़की की असलियत जानिए फिर लड़को को कुछ कहिये - - - - -mangopeople

                                                                                          

                                                    गुवाहाटी में एक लड़की के साथ  क्या क्या हुआ सब ने देखा मुझे उसका विवरण देने की आवश्यकता नहीं है | बहुत से लोग जुबानी खर्च में लगे है कह रहे है की ऐसा करने वालो को कड़ी सजा होनी चाहिए आदि आदि किन्तु बिना सच्चाई को जाने जिसके मुंह में जो आये जा रहा है वो बके जा रहा है  | कितने है जो असलियत को जानते है शायद ही कोई हो,  मेरी ही तरह कईयो के मन में ये विचार आ रहे होंगे किन्तु बेचारे लोगो के डर से नहीं कह पा रहे है (बस अभी के लिए जब तक उस लड़की के प्रति लोगो के बेमतलब की सहानभूति उफान पर है) जब ये उफान ख़त्म होगा तो मेरी तरह कई विद्वान् लोग ये सवाल कर रहे होंगे |
                                                                          सबसे पहले सवाल ये है कि ये बताइये आप सब ने वीडियो में देखा होगा की ये रात की घटना है सोचिये की इतनी रात को कोई भले घर की लड़की घर से बाहर निकलती है और निकली भी तो क्या घर से अकेली निकलती है या कभी भी किसी "बार"  के आस पास नजर आती है,  बिलकुल भी नहीं किसी भी भले घर की लड़की जो अभी मात्र ११वि में पढ़ रही है ( मिडिया रिपोर्ट के अनुसार ) इनमे से ऐसा कोई भी काम नहीं करती है | फिर आप लोगो ने उसके कपडे देखे,  उसने किस तरह "बदन दिखाऊ", " भड़काऊ "  आधुनिक कपडे पहन रखे थे जो सीधे सीधे लड़को को आमंत्रित करने के लिए काफी थे | अब आप सोचिये की इस तरह के आधुनिक कपडे पहने रात में अकेली कोई लड़की किस दारू बार के पास जाएगी तो उसके साथ ये नहीं होगा तो और क्या होगा,  वो लड़की इसी के लायक थी , संभव तो ये भी है की उसने ही लड़को को ये सब करने के लिए उकसाया होगा वरना लड़को को क्या पड़ी थी की उससे छेड़खानी या मारपीट करने की | वीडियो को ध्यान से सुनिए उसमे हमारी संस्कृति हमारी परंपरा की रक्षा करने वाले लोग है जो लड़की से पूछ रहे है की  तुने शराब पी है , बोल शराब पीयेगी , बार में जाएगी , मतलब साफ है की लड़की ने शराब पी रखी है ( जब वो लडके पूछ रहे है तो जरुर पी रखी होगी वो बेमतलब का ये बात तो पूछेंगे नहीं ) अब सोचिये की कोई  अच्छी सभ्य लड़की कभी भी शराब पीयेगी या किसी बार में जाएगी,   पर क्या है की आज कल की लड़कियों को बराबरी के नाम पर पुरुषो की तरह ही शराब पीने बार , पब में जाने की आदत लग गई है तो ऐसी परम्पराव के खिलाफ जाने वाली हमारी महान संस्कृति को बदनाम करने वाली लड़कियों के साथ ऐसा ही होना चाहिए ताकि उन्हें सबक मिले की उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है ये सब बस पुरुषो के करने का काम है वो इसे नहीं कर सकती है | याद होगा कुछ साल पहले दिल्ली में भी इसी तरह एक महिला को सरेआम खूब पिटा गया था उसके ही मोहल्ले वालो ने क्योकि उसने अपने मकान मालिक पर बलात्कार का आरोप लगाया था और बाद में एक दिन सभी समाज के ठेकेदारों ने  मिल कर उस महिला को भी अच्छे से सबक सिखाया था सब ने कहा की महिला ने शराब पी रखी थी और महिलाओ का शराब पीना जुर्म है तो इस जुर्म की सब ने मिला कर खूब सबक सिखाया,  | कुछ समय पहले हिन्दू धर्म के ठेकेदारों ने भी बंगलोर में भी इसी तरह पब  में गई लड़कियों को ऐसे ही सबक सिखाया था हम सब ने देखा था | इस तरह की हर घटना के बाद लोग जुबानी जमा खर्च शुरू कर देते है चिल्ल पो करते है और फिर शांत हो जाते है पर इन चिल्ला पो मचने वालो को हमरी परम्परा संस्कृति की जरा भी चिंता नहीं है | जब तक लड़किया ठीक से सबक न सिखा ले उनके साथ ऐसा ही किया जाता रहना चाहिए |
                                                 ये भी संभव है की वो लडके लड़की के लिए अनजान हो ही नहीं मतलब की अभी कुछ समय पहले की घटना है अपने मित्रो के साथ जन्मदिन की पार्टी में गई लड़की के साथ उसके दोस्तों ने ही उसे शराब पिला कर बलात्कार किया था बाद में हमारी महानी खोजी पुलिस ने पता लगाया था असल में वो लड़की एक वेश्या थी भला कोई सभ्य  घर की  लड़की लड़को के साथ अकेले जा कर पार्टी करती  है या शराब पीती है या  लड़को को मित्र बनाती  है , असल में लड़की  और लड़को के साथ पैसे के लिए झगडा हुआ था और कोई बात नहीं हुई थी और इस तरह के धंधा करने वालो के साथ भी कोई बलात्कार होता है | संभव है की इस मामले में भी लड़की ही चरित्रहिन हो और लड़को को फ़साने का प्रयास किया हो और कामयाब नहीं हो पाई या उसने पैसे की ज्यादा मांग की हो या लड़को पर  इल्जाम लगाने लगी हो और तब उसे मात्र सबक सिखाने के लिए लड़को ने उसे दो चार हाथ मार दिया हो जिसे बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रह है | कुछ समय पहले एक टीवी चैनल पर पुलिस वालो ने देश में हो रही सारी बलात्कार और छेड़ छड की घटनाओ की असलियत सभी को बताई थी की कोई भी सभ्य महिला या लड़की कभी भी अपने साथ हुए बलात्कार या छेड़छाड़ की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में लिखवाने नहीं आती है अरे भाई वो तो अपने इज्जत को यु सरे आम क्यों ख़राब करेगी वो तो सब छुपा कर घर में बैठ जाती है , जो भी इस तरह की घटनाओ की रिपोर्ट लिखाने पुलिस स्टेशन में आती है वो सभी अच्छे और सभ्य घरो की नहीं होती है उन्हें रिपोर्ट लिखवाने से फायदा होता है तभी आती है , वो मर्दों को फंसा कर पैसा ऐठना चाहती है इसलिए ही पुलिस के पास आती है | सोचिये कितना बड़ा सच उजागर किया था पुलिस ने और लोग है की इस तरह की घटनाओ पर लगते है लड़की के प्रति सहानभूति जताने और पुरुषो को गाली देने | लोगो की आदत है की बिना सोचे वो भावनाओ में बहने लगते है और कुछ भी कहने लगते है | अब जैसे बागपत की पंचायत ने एक सही और महान फैसला लिया है की अब उस गांव से कोई भी ४० वर्ष तक की महिला बाजार नहीं जाएगी , मोबाईल नहीं रखेगी सोचिये की यदि ये फैसला पहले ही सारे देश में लागु हो जाती तो कितना अच्छा होता तब तो ये घटना होती ही नहीं महिलाए अपने अपने घरो में सुरक्षित होती | जिस तरह चोर डाकू से बचा कर आप अपनी संपत्ति तिजोरी में रखते है उसी तरह लड़किया भी घर के पुरुषो की इज्जत है उसे बचाने के लिए पुरुषो को अपने अपने घरो की महिलाओ को घरो में ताला बंद कर रखना चाहिए | कुछ लोग हर बात में पुरुषो को गाली देने लगते है उन्हें भला बुरा कहते है किन्तु वो ये नहीं समझ पाते है की किसी स्त्री के प्रति किसी पुरुष का आकर्षित होना प्राकृतिक क्रिया है बनाने वाले ने ही उनके अन्दर ऐसा कैमिकल लोचा किया है की वो महिला के प्रति आकर्षित होंगे ही उसमे उनका कोई भी दोष नहीं है,  यदि मौका हो ,उद्दीपन हो, भड़काऊ तत्व हो तो कई "सभ्य" के दिलों में धड़कता पुरुष जानवर पैजामे से बाहर आएगा ही 
इसलिए मै तो कहती हूँ की लड़कियों को घरो में नहीं बल्कि घर के एक कमरे में बंद रखना चाहिए ताकि उन पर उनके भाइयो पिता चाचा मामा फूफा किसी भी पुरुष की नजर ना पड़े क्योकि प्राकृतिक नियम के अनुसार स्त्री को देखते ही पुरुषो के मन में उनके शिकार की भावना जगा जाएगी क्योकि बाहर तो उन्हें देखने तक के लिए लड़किया नहीं मिलेगी और घर में रह रही लड़किया भी तो स्त्री लिंग ही है ना  इसलिए अच्छा है की उन्हें सभी पुरुषो से दूर कमरों में बंद रखा जाये |  किन्तु लोग समझते नहीं है और पंचायतो के फैसलों को  भी बुरा कहने लगते है अब क्या जवाब है उनके पास , क्या अब भी आप को लगता है की पंचायत ने कोई गलत फैसला किया है | लोग नाहक इमोशनल होते है असल में तो ये घटना इस लायक है ही नहीं की इस पर चर्चा भी की जाये किन्तु "चर्चाए" हो रही है क्योकि  इन सब के लिए  पुलिस व्यवस्था जलील पत्रकार जिम्मेदार हैं और इसे मिठाई बनाकर प्रस्तुत करने वाले लोग |
                                                                   
चलिए यदि आखिर में हम मान भी ले की ठीक है लड़को ने जवानी को जोश में भड़काने के करण कुछ मारपीट कर दिया या लड़की को छू दिया ( अब लड़की को इतना भी छुई मुई होने की क्या जरुरत है ) तो क्या उन्हें आप मार ही डालेंगे क्या, कुछ लोग बार बार कड़ी सजा की पैरवी करते है,  किन्तु ये सही नहीं है हिंसा कभी भी किसी भी मर्ज का इलाज नहीं होता है हिंसा गलत बात है हर किसी को सुधरने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए,  ना की उनको सजा दे कर उनका जीवन बर्बाद करना चाहिए | इन सभी लड़को को सुधरने का मौका देते हुए हम सभी को इन्हें माफ़ कर देना चाहिए ये बच्चे है और इन्होने "मात्र " "छोटी " सी "मुर्खता" की है जिसकी सजा की कोई जरुरत नहीं है माफ़ी बड़ी जीज है ये जरुर इन की पहली गलती होगी सौवी भी हो तो क्या आखिर गलती तो इन्सान से ही होती है याद रखिये माफ़ी देने वाला बड़ा होता है और उस लड़की से भी उम्मीद करती हूँ की वो अपने साथ हुए "छोटी मोटी" घटना को भूल कर उसे माफ़ कर देगी |
                                      जारी ..................................................

                                                                                   कुछ समय पहले रचना जी ने बताया था कि  सटायर को ब्लैक ह्यूमर भी कहा जाता है । पर अपनी पोस्ट को ये नाम देते डर लगा कही कालापन मुझ पर अपने अपमान का मुक़दमा न कर दे और रही बात ह्यूमर की तो हा ये हो सकता है तभी तो वो लडके लड़की के साथ ऐसा करते हँस रहे थे | वो करते हँस रहे थे आप पढ़ कर हँस लीजिये हमें तो नहीं आई ............


73 comments:

  1. समाज पर करारा व्‍यंग्‍य है। ऐसा समाज जो आर्थिक दौड में अपनी संतानों को संस्‍कार देना ही भूल गया और उसने पुरुष नामक जीव को शिकारी बना दिया। कभी यही पुरुष रक्षक होता था लेकिन आज शिकारी बन गया है। शिकारी भी कैसा जिसे किसी हथियार की आवश्‍यकता नहीं है। महिलाओं को अपनी संतानों की भी अब टोह लेनी होगी कि वह किधर जा रहे हैं? कुछ तन का शिकार कर रहे है और शेष मन का। ऐसा कोई नहीं है जो शिकार ना कर रहा हो। गोहाटी जैसी जगहों पर ऐसी घटना आश्‍चर्य पैदा करती हैं इससे विदित होता है कि आग अब पानी में भी लग रही है।

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    1. संस्कार की कमी दो तरीके से है, कुछ है जो बर्बरता कर रहे है और बाकि उसे चुपचाप देख रहे है, ये भी बर्बरता से कम नहीं है, तब तो और जब ये गलत काम करने वाले कोई हथियार बंद आतंकवादी नहीं है |

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  2. भीड़ का चुप रहकर तमाशा देखना अखरता है ||

    घृणित-मानसिकता गई, असम सड़क पर फ़ैल ।
    भीड़ भेड़ सी देखती, अपने मन का मैल ।
    अपने मन का मैल, बड़ा आनंद उठाती ।
    करे तभी बर्दाश्त, अन्यथा शोर मचाती ।
    भेड़ों है धिक्कार, भेड़िये सबको खाये ।
    हो धरती पर भार , तुम्हीं तो नरक मचाये ।।

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    1. किसी महिला का अपमान करने वाली घृणित-मानसिकता कभी कभी शब्दों से भी बाहर आती है सड़क पर नहीं अंतर्जाल पर , एक बार हम सभी को अपने आप को भी टटोलना चाहिए की कही हम भी तो अनजाने में ये काम नहीं कर रहे है, जिसे मात्र ठिठोली कह भूल जाते है , वो कई दूसरो को अपमानित करती है |

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  3. आपने जो कुछ भी लिखा है..आज भी नब्बे फ़ीसदी पुरुषों की यही सोच है...

    लडकियाँ कहाँ सुरक्षित हैं??..क्या सारी लडकियाँ घर के अंदर सुरक्षित हैं??
    पर हाँ घर के अंदर की कहानी यूँ सब नहीं देख पाते...इसलिए उन्हें घर में ही बंद रहने दो.
    खीझ..आक्रोश...विवशता...सारी भावनाएं गड्ड मड्ड हो रही हैं.

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    1. एक पुरुष की सोच तो मै देख चुकि हूं उनके ही कुछ शब्द उधार ले यहाँ लिखे है आप उन्हें पोस्ट में आसानी से पकड़ सकती है और दूसरे की सोच इसी पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में आप देख सकती है , जल्द ही एक एक कर आप के ये ९०% वाले खुल कर बाहर आ जायेंगे |

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    2. pata nai main 90% me hoon ya 10% ... par jo hua.... achchha nahi hua!!

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  4. हेअडिंग देख कर डर ही गयी थी अंशु मै तो :)
    ख़ैर चरित्र समाज का हैं
    साल भर में एक आध ऐसी घटना हो जाए तो इतना बाय बवेला क्यूँ मचता हैं ,सभ्य और गुनी चिन्तक सोच रहे हैं
    ये सब तो आम बात हैं , स्त्री पुरुष तो पूरक हैं ये सब चलता है
    वैसे भी कपड़े थे ही कितने , फाड़ दिये तो क्या हुए
    अब बाहर निकालो तो छुमुई ना ही बनो
    काली का अवतार बनो अपनी बेटी को वही बनाना होगा

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    1. डरना छोड़ दीजिये ये समाज की सच्चाई है स्वीकार कीजिये | आप की बात सही है काली ही बेहतर है दुर्गा नहीं जो इस तरह मारे की दूसरा दानव पैदा भी ना होने दे |

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  5. फिर से हमारी टिप्पणी स्पैम में गयी :(

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    1. सब गूगल बाबा की कृपा है :(

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  6. आँखे खोल दी आपने!
    हम तो खामख्वाह इमोशनल हुए जा रहे थे.भई कुछ भी कहें पर महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होती है ये अब पता चला बताइये आप एक महिला होकर अच्छी तरह से जानती हैं कि ऐसी बिगडैल लडकियों को देखकर बेचारे पुरुषों पर क्या क्या बीतती है सडक पर चलना मुश्किल हो जाता है.वैसे केवल हमारे समझने से ही बात नहीं बनेगी इस लेख को गृहमंत्री जी को भी भेजा जाए उन्होने भी बचकानेपन में इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बता डाला है.खुद भी इमोशनल हो रहे हैं हमें भी कर दे रहे हैं.खुद महिलाओं को भी ये घोषणा करते सुना हैं कि अब महिलाओं को दुर्गा या काली का अवतार लेना पडेगा.कृप्या उन्हें भी समझाएँ कि ऐसी छोटी मोटी बातों के लिए इतनी मेहनत न करें बिंदिया चूडी सिंदूर वगेरह सब धीरे धीरे गायब हो रहे हैं उसकी तो कोई चिंता इन्हें हैं नहीं.वैसे हमें तो लगता है आपकी तरह वे भी संस्कृति की महानता आदि को समझती तो ऐसी बातें कभी न करती.और जो बात का बतंगड बनाने से परेशानी आपको हो रही है उससे तो मैं भी सहमत हूँ पर चिँता न करें मीडिया को जल्दी ही सद्बुद्धि आ जाएगी.ये ससुरे आईपीएल भी तो नहीं हो रहे आजकल.

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    1. पोस्ट की असली भावना को आप ने समझा इसके लिए धन्यवाद , किन्तु ये आप के लिए सटायर होगा बहुतो की ये असली सोच है जो अब बाहर आना शुरू हो गई है जो जल्द ही गोवाहाटी की भीड़ से भी बड़ी एक भीड़ बनेगी |

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    2. @किन्तु ये आप के लिए सटायर होगा बहुतो के लिए ये असली सोच है...
      इसीलिए ये सटायर या कटाक्ष जो भी है इसमें बहुत सावधानी बरतनी पडती है.ध्यान से देखिए मैंने सिर्फ आपकी पोस्ट नहीं बल्कि उन असली सोच वालों की भावनाओं को समझते हुए ही टिप्पणी दी है.

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  7. i was shocked to read the title - oh my god - THIS is called satire
    yes - sad but true.
    anu singh choudhri ji has written almost the same thing - different aspect (at main ghumantu)

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    1. इस तरह की सोच और घटनाए अब हमें डराती नहीं , सब ब्लॉग जगत की कृपा है | अनु जी की पोस्ट की चर्चा करने के लिए धन्यवाद उन्होंने मुझसे बेहतर और बहुत ही अच्छा लिखा है |

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  8. समाज में दलाल बढते जा रहे है ....जिसको देखो वो ठेकेदार बना चला आता है.....

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    1. किन्तु ऐसे ठेकेदारों को दुरुस्त करने का काम तो हम सभी को ही करना है |

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  9. aap bhi samaj ki usi mansikta ko ujagar karti hai par mai puchti hu ki kya ghar me ladkiyan surakshit hai? koi giddh unhe bhi to dabochne ke liye tak me rahta hai ............

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    1. सही कह रही है आप इसलिए तो कहा है की उन्हें घर के पुरुषो से भी दूर एक अकेले कमरे में बंद रखा जाये वहा भी टेल तोड़े जाने का डर है तो सबसे अच्छा है उन्हें कोख में ही मार दिया जाये जैसा सब कर रहे है |

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  10. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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    1. अपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण देने का धन्यवाद | काश मेरी पोस्ट भी पढ़ कर कुछ टिप्पणी दी होती |

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  11. thoda bahut ajijit ji ki baat se aur baki rachna ji baat se poorn sahmati hai yhi hai hamaare samaaj ka kadva sach.jo in dono ne kaha hai.

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    1. पर अब इस कड़वे कोनिगलने के बजाये मुँह से बाहर थूकने का समय आ गया है |

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  12. तमाशबीन होते हैं कुछ लोग... उनके सामने सब कुछ होता रहेगा और सोचेंगे.. अरे छोडो हमें क्या पड़ी है...पुलिस आएगी थोड़ी देर बाद देख लेगी... यहाँ तक कि अगर पुलिस ने इनसे पूछा कुछ देखा था क्या ..?? तो बोलेंगे अरे नहीं साहब मैं तो इतने समय पर फलां फलां जगह पर था....
    और घर जा कर बोलेंगे...जाने कौन लड़की थी... बार से आ रही थी, क्या ज़रुरत है बार जाने की इतनी रात को... लड़की ही बेहूदा होगी... और ये निष्कर्ष निकाल कर चैन से चादर तान कर सो जायेंगे... और तो और कुछ लोग तो लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स की सलाह तक देने लगेंगे... मतलब भाई हम तो बिगड़े हुए ही हैं तुम खुद को बचा सकती हो तो बचा लो... हद्द है....

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    1. सही है ना की अब पुरुषो में सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है तो लड़कियों को ही अपनी रक्षा खुद करना सिखा लेना चाहिए और उन्हें सबक सिखाना चाहिए | हम तो आप जैसे युवाओ से ही उम्मीद करते है की आप अपने और अपने आस पास के सभी युवाओ से मिल कर प्रयास करे और माहौल को बेहतर बनाये |

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  13. गहरे उतरते हैं आपके कटाक्ष रुपी प्रश्न ..... न जाने आज भी कुछ बातों के लिए स्वीकार्यता नहीं बन पाई ..... दोगले चरित्र से बाहर आना ही नहीं चाहते

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    1. सही कह आ सकते है किन्तु आना नहीं चाहते |

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  14. Replies
    1. मेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद !

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  15. तड़ाक तड़ाक से बजते आपके प्रश्न इस समाज के कुरूप चेहरे पर.

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    1. काश की उस लड़की ने भी अपना चेहरा छुपाने की जगह ये तड़ाक उन के चेहरे पर दिये होते |

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  16. कम कपड़े पहनने के लिए लड़की को क्यों माफ़ करें , बेचारे भोले इंसानों पर दया करो !

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    1. सब दया माफ़ी का ही नतीजा है |

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  17. हालांकि हिंसक विचार है पर सजा के लिए एक ही शब्द सूझता है मृत्यदंड !

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    1. कितनो को दे अली जी, ऐसा करने वालो को, चुपचाप देखने वालो को , कार्यवाही ना करने वालो को , समाज को यहाँ तक पहुँचाने वालो को , लड़की को कमजोर बनने वालो को जिन्होंने लड़कियों को खुद अपनी रक्षा करने के लिए हमला करना नहीं सिखाया किस किस को दे |

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    2. शुरुवात कर पायें तो सबकी अक्ल ठिकाने आ जायेगी !

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  18. ऐसे कर्म करने वाले दरिन्दे वाकई कोड़ों की सजा के पात्र हैं,,
    लेकिन इस सब में क्या इस लड़की का दोष बिलकुल नहीं है,,
    इतनी रात को ऐसे वस्त्र पहन कर बार में से वापिस आना किस संस्कृति को दिखाता है ...
    बढ़ावा मिलता है ऐसे कार्य करने वालों को ऐसे वस्त्र और बार में से निकलती अकेली लड़की को देखकर..
    पता नहीं मेरा समाज कहाँ जाकर दम लेगा..

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. लेकिन इस सब में क्या इस लड़की का दोष बिलकुल नहीं है,,
      इतनी रात को ऐसे वस्त्र पहन कर बार में से वापिस आना किस संस्कृति को दिखाता है ...

      saraa dosh ladki kaa hi haen
      wo paedaa kyun hui

      aur wo bhi bina kapdo kae

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    3. अमीत सिंह जी
      आप को मै क्या जवाब दू मुझे समझ ही नहीं आ रहा है , अब तो मुझे अपने लिखे पर शर्म आ रही है | वैसे आप सही है सबसे बड़ा दोष तो उस लड़की का ही है जो लड़की बन कर पैदा जो हो गई |

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    4. After seeing the video and the molesters' smirks, can anybody still call it a crime of lust? It was not a crime of lust but a crime of hatred or power and aggression. And these men knew some people would support them by blaming the young girl, who did not have the right to be there, because public spaces, safety and freedom in this country are reserved for men.
      And locking all the women inside their homes, for centuries, like sheep and goat, has made public spaces safe for all the women?

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    5. बिल्कुल। यदि लड़की बन पैदा होने का दुस्साहस किया तो अब झेलो।
      घुघूती बासूती

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  19. Samajh me nahi aata kya kahun? Jisne vedio liya wo bhee to shor macha sakta tha?

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    1. अभी तो ये देखना बाकि है की वीडियो किसने लिया है और किस मकसद से उसे इंटरनेट पर लोड किया और हा वही क्या ये तमाशा देखने वाले वहा कितने थे , किस किस को बोले |

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  20. अफ़सोस जनक घटना! शर्मनाक!

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    1. ये शब्द लिखा जाना कब बंद होगा |

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  21. Ek hi samaj main alag alag tarah ke long rahte hain, bhawnaye sabhi mai eak jaisi hi hoti hain bus antar itna hota hain ki kuch long sahas karte hain or usse sabko dikhadete hain....or kuch mon rahke usse sochte hi rahte hain... ye baat istri or purush dono pe lagu hoti hain...
    humare samaj ki ek khasiyat ye hain ki agar kisi hud ko agar purush banat hain to istri usse nahi tood sakti... albatta purush hi uss had ko todta rahe.... sharab pina kisi ke liye bhi sabhy nahi mana jata... but kisi purush ko iss tarah gair longo se pitate dekha hain...

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    1. सही कह रहे हो सुधांशु , पर सभी ऐसा नहीं सोचते है , उन्हें लगता है की सभी नियम कानून बस स्त्रियों के लिए ही है पुरुषो को किसी हद की जरुरत ही नहीं है |

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  22. DeepakSat Jul 14, 04:15:00 PM

    ... Chhote (Kam) Kapade Pehanane Par Rape Karoge Kya...? Kam Kapde Tere Ghar ki Chhoti Girls (Girls Child) Bhi Pahanati Hai... Fir Tu Unaka Kya Karega... re....

    दीपक जी

    माफ़ कीजियेगा मेरे ब्लॉग पर इस तरह की गाली देने की इजाजत नहीं है इसलिए आप की टिप्पणी से गाली हटा कर बस असली बात को रखा दिया है आप के नाम के साथ | बिल्कुल सही सवाल किया है और यही बात वो लड़की भी पूछ रही थी पर शायद आप को पता नहीं है की हमारे देश में छोटी बच्चिया भी सुरक्षित नहीं है ना घर के बाहर ना घर के अंदर |

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  23. हमने पोस्ट में उन महान शख्सियत के कमेन्ट का जिक्र देख लिया था और समझ भी गए थे...कोई उनसे पूछे..उन्हीं आधुनिक कपड़ों में, लडकियाँ अगर आपके मित्र की होती हैं..रिश्तेदार की होती हैं....या फिर जब आप महानगरों में जाते हैं तो बड़े होटल..ऑफिस में मिल जाती हैं तब तो आपके भीतर का जानवर नहीं जागता...जहाँ किसी अकेली लड़की को असुरक्षित जगह देखा...झट से जाग जाता है...बड़ा डरपोक जानवर है...कम से कम जानवर भी तो कोई शक्तिशाली पालो...कि जहाँ भी ऐसी लडकियाँ दिखे, झट से जाग जाए..और फिर आपको पागल समझकर पागलखाने में बंद कर दिया जाए.

    क्यूंकि जो लोग अपने भीतर जानवर लिए घूमते हैं..वे सभ्य समाज में रहने के लायक तो हो ही नहीं सकते .
    (मेरे पहले कमेन्ट के नीचे प्रत्युत्तर के रूप में ये कमेन्ट पोस्ट नहीं हो पा रहा है )

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    1. @ क्यूंकि जो लोग अपने भीतर जानवर लिए घूमते हैं..वे सभ्य समाज में रहने के लायक तो हो ही नहीं सकते .
      १००% सहमत, ऐसे लोगों को आबादी से दूर जंगलो में रहना चाहिए ये समाज मानवों और वो भी सभ्य लोगों के लिए है | पर उनकी ये सोच अकेले की नहीं है देखीये ऐसा कहने वालो की भीड़ धीरे धीरे बढ़ा रही है |

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    2. http://mypoeticresponse.blogspot.in/2011/08/blog-post_9052.html
      kabhie yae post kiyaa thaa , isii sandarbh par bahut kuchh kar sakatae haen ham sab par sanskaar haen ki beti dushman ki bhi kyun naa ho hameshaa surakshit rahey aur ham har sambhav koshis karaey uskae liyae duniya surakshit karnae ki

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    3. @ऐसे लोगों को आबादी से दूर जंगलो में रहना चाहिए
      नहीं अन्शुमालाजी इन्हे तो ऐसे द्वीप पर छोड़ना चाहिए जहाँ एक भी इन्सान न हो क्योंकि जंगलो में तो आदिवासी रहते है जिनकी स्त्रियों को देख कर इनका जानवर जगा ही रहेगा.

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    4. बिल्कुल सही कहा शोभा जी

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  24. हंसने का तो सवाल ही नही है. अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय कृत्य.

    रामराम

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    1. और कितनी बार हम सब ये शब्द दोहराएंगे |

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  25. Loved this post!! Shared it on Google Plus, now sharing on twitter.

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  26. वो लड़की चाहे जैसी हो, जो कृत्य वहसी लड़कों ने किया वो जानवरों वाला सुलूक था... और जिन लोगों ने ये किया उन्हें उसी सड़क पर घसीट घसीट कर मारा जाना चाहिए...
    यह कोई मर्दवादी कांड नहीं है. इसलिए इसे मर्दवादी सोच से न जोड़ा जाये तो ठीक है... यह एक राक्षसी प्रवृति के लोगों के द्वारा किया गया बेहद निंदनीय कांड है... इस तरह का हिंसक राक्षस स्त्री-पुरुष किसी के भीतर हो सकता है... अगर लोगों को याद हो तो कुछ दिन पहले दैनिक भास्कर सहित अन्य वेब पोर्टल पर एक खबर चली थी फोटो सहित जिसमे कुछ लड़कियां एक लड़की के कपडे फाड़ रही थी सरेराह....

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    1. जिस तरह से वो लडके लड़की से सवाल कर रहे थे की तुने शराब क्यों पी , क्या अब पीयेगी उससे क्या लगता है की ये मर्दवादी कांड नहीं है क्या किसी पुरुष को शराब पीने के कारण इस तरह मारते पिटते या कपडे फाड़ते देखा है , हा उसने शराब पी कर कुछ अन्य गलत काम किया हो तब ऐसा किया गया हो सकता है किन्तु केवल शराब पीने के लिए किसी पुरुष के साथ ऐसा नहीं होता है |

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  27. Those who are trying to assassinate the character of the hapless gilr in the Guwahati molestation may be trying to mislead the investigators and the general public. This may be a smokescreen to protect the real perpetrators of the heinous crime in whole public view. Even if the argument is accepted for the sake of it, this does not absolve the perpetrators of their culpability in the crime. All those in the camera openly seen as molesting the girl must be arrested and subjected to exemplary punishment. The Assam Police authorities must flex its muscle and book the culprits without any further delay instead of dillydallying. The honour of women must be protected in Guwahati also like in any civilized society to prove that women and children are safe there too. Any delay in dispensing justice will only reinforce the conception that the Police is seeking to delay the criminal justice delivery system.

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    1. Those who are trying to assassinate the character of the hapless gilr in the Guwahati molestation may be trying to mislead the investigators and the general public.


      This post is a satire on them

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    2. कई अन्य जगहों पर आम लोगों ( पुरुषो ) की टिप्पणिया देखी ऐसे सोचने वालो की भीड़ कम नहीं है और ये भीड़ उसी तरह की है जो गुवाहाटी में लड़की के साथ दुर्व्यवहार कर रही थी , उन्होंने तब किया था ये अब कर रहे है |

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  28. Replies
    1. काश की हम सभी इससे ज्यादा कुछ कह ( कर ) पाते |

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  29. मने जो बोया वही काट रहे हैं। पुरुष को घर, परिवार, समाज, ने इतना उद्दंड बना दिया कि वह स्त्री को अपने लिए बनाया एक खिलौना भर मानने लगा है। न जाने कितने दोहे चौपाई व श्लोक हैं जो स्त्री को नीचा दिखाते हैं। ये सब भी पुरुष को अपने हर कृत्य को सही सिद्ध करने में सहायता करते हैं। फिर पढ़े लिखे, स्त्री मित्रों की चाहत रखने वाले, बेटी के पिता भी अपने भीतर एक जानवर, एक गोरिल्ला लिए घूमते पाए जाते हैं। पुलिस का कोई अढ़िकारी लड़की को गोली मारने की सलाह देगा। फिर हम २० बदमाशों से और क्या आशा कर सकते हैं?
    घुघूती बासूती

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    1. सही कहा जब समाज में हम बिज की गलत बो रहे है तो और उम्मीद ही क्या कर सकते है |

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  30. कहाँ बोम्बे? कहाँ गुवाहाटी? बिना गए/जाने पोस्ट बना दी, गजब का/की? लेखक/लेखिका है महाभारत के संजय ने अपनी आँखे दे दी है क्या? जो यही से सारा अनुमान लगा लिया है?

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