December 07, 2022

लैंगिक भेदभाव


 हाल ही मे न्यूजीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न और फिनलैंड की पीएम सना मरीन से एक संयुक्त प्रेस कांप्रेंस मे एक पत्रकार पूछ बैठा कि लोग कह रहे है कि आप दोनो इसलिए मिली क्योकि आप दोनो हमउम्र है और दोनो एक जैसा सोचती है । इस तरह के सवाल पर दोनो महिला पीएम हैरान हो गयी ।

अर्डर्न ने उलटा पत्रकार से सवाल किया कि क्या ओबामा और  जाॅन , न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री , जब मिले थे तब भी ये सवाल हुआ  था कि वो हमउम्र है इसलिए मिल रहे है । हम इसलिए मिले है क्योंकि  हम दो देशो के प्रधानमंत्री है । 

ये नया नही है जब महिलाओ के साथ चाहे वो किसी भी पद पर हो उनके साथ लैंगिक भेदभाव किया जाता है उनकी बातो को गम्भीरता से नही लिया जाता और उनके स्त्री होने को उनके पद और कार्य से अलग नही किया जाता और ये सब लगभग दुनियां के हर कोने मे हो रहा है । 

सालो पहले जब पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी भारत आयी थी तो यहां कि मिडिया उनके पर्स, कपड़ो , सुंदरता पर बात ज्यादा कर रहा था बजाये विदेश नीति के । जबकि शायद ही  कभी ऐसा हुआ हो कि किसी दूसरे देश से पुरुष मंत्री के सूट शर्ट जूतो पर उनके ब्रांड पर चर्चा हुयी हो । काम दोनो एक ही कर रहें है । 


सिर्फ राजनीति ही नही लगभग हर क्षेत्र की यही हालत है । याद होगा पत्रकार राजदीप सरदेसाई सानिया मिर्जा से पूछ बैठे थे कि आप सेटेल कब होंगी । सानिया ने पलट कर जवाब दिया ग्रैंड स्लैम जीत लिया , डबल मे रैकिंग नंबर वन हो गयी , दस साल से ज्यादा से खेल रही हूँ,  शादी हो गयी अब और कितना सेटेल होना है । वास्तव मे पत्रकार महोदय पुछना चाह रहें थे कि वो बच्चे कब पैदा करेंगी । 

आप ही सोचिए कोई  महिला शादी के बाद बिना बच्च पैदा किये कैसे सेटेल कहला सकती है । जबकि  आपने कभी नही सुना होगा कि किसी पुरुष खिलाड़ी से ये पूछा गया हो कि आप बच्चे कब पैदा करेगे या सेटेल कब होंगे । 

महिलाओ के साथ लैंगिक भेदभाव मे उनकी बातो को गम्भीरता से ना लेना , उनकी शादी-ब्याह, बच्चे की हर समय चर्चा के बाद नंबर आता है उनका चरित्र हरण करना । 

किसी महिला पत्रकार की पत्रकारिता पसंद नही आयी तो कार्टूनिस्ट ने उनकी वर्जीनिटी पर सवाल वाला कार्टून बना दिया । पुरुष पत्रकार को रीढविहिन कहा जाता है उसके वर्जीनिटी,  चरित्र पर सवाल नही किये जाते । रीढविहिन कहना उसके कार्य पर प्रहार है लेकिन स्त्री की बात आते ही हमला कार्य पर नही उसके चरित्र उसके स्त्री होने पर किया जाता है । 

आम जीवन मे हर आम आदमी ये भेदभाव रोज करता है । हम सड़क पर रोज सैकड़ो लोगो को खराब ड्राइविंग करते दुर्घटना होते देखते है लेकिन दो चार महिने मे एक बार भी किसी महिला को खराब ड्राइविंग करते किसी पुरुष ने देखा । फटाफट उसका विडियों फोटो लेकर वायरल  किया जाता है या पोस्ट लिख कर उपहास उड़ाया जाता है । रोज सैकड़ो पुरूषो को खराब ड्राइविंग करते देखने की बात भूल जाते सब । 

सड़क दुर्घटनाओ के आकड़े निकाल कर देख लिजिए दुर्घटना करने वाले  सब पुरुष ही होगें महिलाए नाम मात्र की होगीं । लेकिन कहा ये जायेगा कि महिलाएं खराब ड्राइविंग करती है । मजेदार बात ये है कि ये कहने वाले पुरूष उस मौलाना पर हँसेगें जिसने महिला पायलट होने के कारण विमान मे सफर करने से इंकार कर दिया था । जबकि दोनो ही जगह एक ही स्तर की बात हो रही है । 

बचपन से सिखाया पढ़ाया गया है कि महिलाए अक्षम है कमतर है ।  घरो मे लोगों के जुबान पर रहता है हर छोटी बात पर , अरे तुम औरतों से हो क्या सकता है , तुम लेडिज को कुछ आता भी है । वही बाहर भी आ जाता है किसी महिला को कुछ करते देखते । वो उसके काम पर कमेंट करने की जगह उसके महिला होने पर   कमेंट  करने लगते है । 

और ये सब सिर्फ कम पढे लिखे लोग , छोटे शहरो के लोग , पुरुषवादी सोच रखने वाले ही नही सब करते है । पढे लिखे समझदार भी , फेमिनिस्ट सोच रखने वाले भी । कभी कोई जानबूझकर कर करता है तो कभी आदत है , तो कभी अनजाने मे कर देते है । कुछ टोकने पर इस लैंगिक भेदभाव को समझ जाते है और कुछ समझाने पर भी नही समझते । आप किस वर्ग मे है खुद सोच लिजिए।  

वैसे  एक खास प्रकार  का लैंगिक भेदभाव पुरूषो के साथ भी होता है इस पर भी कभी बात करेंगे ।