December 11, 2023

जालसाजों से सतर्क और सावधान रहें

अपने अनुभव , खासकर पैसे के लिए फ्रॉड करने का प्रयास वाले, यहां साझा करना कितना जरूरी और अच्छा है आज की पोस्ट इसी पर है। 

कुछ महिनो पहले एक मित्र ने पोस्ट शेयर करते बताया कि कैसे उनके किराये पर घर देने का विज्ञापन ऑनलाइन देने पर एक स्कैमर ने उन्हे काॅल किया और खुद को सशस्त्र सेना बल का बताते ये कहने लगा कि उसका ट्रांसफर हुआ है अभी। 

उसे तुरंत आते ही परिवार के लिए घर चाहिए। इसलिए वो सीधा पैसे देने को तैयार है । बस उसे अपना पेटीएम का नंबर दे दें । अपना विश्वास बनवाने के लिए वो एक नंबर दे रहा था अपने सीनियर का बोलकर । 

कल बिल्कुल यही मेरे साथ भी हुआ।  सुबह ही जिस साइट पर विज्ञापन दिया शाम को उसका नाम लेते एक व्यक्ति का फोन आया । 

सिस्टर आपका विज्ञापन देखा आपका घर मुझे पसंद आया है । मै लेना चाहता हूं।  हमने कहा अभी आप कहां रहतें है । इस पर बोलता है जम्मू।  हमने कहा इतनी दूर से यहां । 

तो जवाब दिया मै जम्मू मे सशस्त्र बल मे काम करता हूं । उसका इतना बोलना था कि हमे पहले ही पढ़ी हुयी पोस्ट याद आ गयी । समझ आ गया कि फ्राॅडिया है । वो आगे बोलते जा रहा था । 

सिस्टर मेरा ना आपके शहर में ट्रांसफर हो गया है । मेरी पत्नी और एक पांच साल की बेटी है । सिस्टर क्या आप फैमली वाले को घर देंगीं । 

बहुत सालों से अरमान था कि कोई ऐसा स्कैमर हमे फोन करे और हम उसे चरायें कुछ घंटा येड़ा बने रह कर । लेकिन कमबख्त ने फोन बहुत गलत टाइम पर किया था । 

हम घर से बाहर निकल रहें थें बिटिया के जरूरी काम से । टाइम पर पहुंचना था और बकवास करने का टाइम उस समय नही था । 

सो जब वो अपनी बात कह कर चुप हुआ तो आगे की उसकी कहानी हमने खुद ही उसे सुना दी कि अब मेरे हां करने पर तुम मेरा पेटीएम नंबर मांगोगे । 

मुझे विश्वास दिलाने के लिए अपने सीनियर का नंबर दोगे और फोन करके वेरीफिकेशन के लिए बोलोगें । पागलों कितने दिन तक तुम लोग यही सब करते रहोगे । सबको अपने जैसा बेवकूफ समझा है क्या । बंद करो ये सब करना । 

आगे हम कुछ बोलते गरियातें उसने फोन ही काट दिया । अब सोच रहें है ऑनलाइन साइबर सेल मे शिकायत कर दें । सभी लोग शिकायत करेगें नंबर देगें तो शायद पुलिस कोई कार्रवाई भी करे । 

वैसे नंबर ये था उसका 8926061572

December 08, 2023

गर्भनाल से जुड़े बच्चें

  करीब चार पांच साल पहले की बात है। मुंबई के एक लगभग पचास वर्षीय पति पुलिस स्टेशन मे रिपोर्ट लिखाता है कि दो दिन से उसकी पत्नी घर वापस नही आयी फोन भी ना उठा रही । साथ मे कार भी लेकर गयी है 

दो दिन बाद कार पुलिस को वेस्टन घाट पर खायी की तरफ लुढ़की मिल जाती है । लेकिन उसमे कोई रहता नही । लोग समझें हैं कि या तो महिला खायी मे गिर गयी या फिर बच कर बाहर आयी हो और किसी अस्पताल मे हो । 

पुलिस आसपास के अस्पताल में पता करती है लेकिन कोई नही मिलता । अब पुलिस को पति पर शक हो जाता है और उसका फोन टेप होने लगता है । बस दस दिन बाद ही पुलिस पति को पकड़ लेती हैं क्योंकि उसके फोन पर उसी दिन सुबह उसकी पत्नी का फोन आया था । 

तो माजरा ये था कि चालीस बयालीस की पत्नी का कोई पच्चीस छब्बीस साल के युवक से अफेयर शुरू हो जाता है । वास्तव मे पति पत्नी बेटे के कारण साथ रह रहे थें उनका आपसी रिश्ता बहुत साल पहले ही खत्म हो गया था । 

जब पति को अफेयर के बारे मे पता चला तो उसने पत्नी को लड़के के साथ चले जाने को कहा ।  लेकिन समस्या थी कि इससे बारहवीं पास कर चुका बेटे के दिल मे और समाज मे माँ की क्या छवी बनेगी। 

फिर दोनो पति पत्नी ने तय किया कि इस तरह पत्नी को मरा साबित कर देगें । वो आराम से लड़के के साथ किसी दूसरे राज्य मे जा कर रहेगी और पति बेटे से कुछ साल संपर्क नही करेगी । 

 अब सोचिये इतना सब तय होंने के बाद भी केवल दस ही दिनों मे पत्नी ने पति को फोन क्यों किया होगा । उसने ये पुछने के लिए फोन किया था कि बेटे का इंजिनियरिंग काॅलेज से काॅल लेटर आया था पति एडमिशन कराना भूल तो नही गया है ना । 

मैने ये खबर पढ़ी तो मुझे बहुत हँसी आयी । मैने कहा कुछ पिता और पति घर से बाहर काम पर जाते ही भुल जातें की मेरे बीबी बच्चे भी हैं । कुछ दोस्तो के साथ गोवा के चार दिन के टूर पर भूल जातें हैं की बाल बच्चेदार हैं । थाईलैंड घुमने गयें अधेड़ तो अपनी ऊमर भूल जाते हैं । 

 लेकिन एक महिला शायद दुनियां की सब चीज छोड़ दे भूल जायें लेकिन अपने बच्चो की फिक्र करना नही छोड़ सकती उसे भूल नही सकती । भले उसे कल्पनाओं से परे की चीज मिल गयी हों सुखी जीवन मिल गया हो ।

अब सुन रहीं हूं पाकिस्तान गयीं अंजु अपने बच्चो को लेने वापस आयीं हैं । इसके पहले पाकिस्तान की सीमा  ने ज्यादा समझदारी दिखायी थी ।  जब बिना बच्चों के नेपाल आयीं तब भारत नही आयीं । वापस पाकिस्तान जा कर अपने बच्चों को लेकर भारत आयीं । 

सीमा को पता था कि बच्चो को छोड़ा तो उनसे कभी मिल ना पायेगीं । अंजु ये गलतीं कर चुकि अब उनके बच्चे उन्हे ना मिलने वाले कभी भी। अब बाकि जीवन उन्हे इस दुख के साथ ही जीना होगा । 

December 07, 2023

तीसरी कसम

 

केला बेचती ललीता पवार और उसे खरीदते राजकपूर मे मोल चाल करते हुज्जत चल रही है । ललीता पवार कहतीं है दो आने मे तीन केले दूंगी और राजकपूर कहतें है तीन आने मे दो केले लूंगा । 

थोड़ी देर बहस करने के बाद ललीता पवार को समझ आता हैं कि सामने वाला तो उनके फायदे की बात बोल रहा है । जीवन मे एकबार हम भी ललीता पवार वाली गलती कर चुकें हैं । 

बनारस से कजन की शादी के अगले दिन ट्रेन से मुंबई लौट रहें थें । साथ मे कोई तीन चार साल को बीटिया भी थीं । हमारी मिडिल बर्थ थी तो  तय था कि दिन मे तो सीट शायद ही  खुले । 

नीचे के बर्थ वाले आये नही थें हम शादी के जागे बैठे बैठे उंघ रहें थे बिटिया मोबाइल मे व्यस्त थीं । उनके जागते हम सो भी नही सकते थे और फिर पता नही कब नीचे के बर्थ वाला आ जाये । 

कुछ घन्टो बाद एक आदमी करीब छ फिट का अपने छ सात साल के बच्चे के साथ सीट पर आया और आते ही बोला सीट खाली किजिए।

  हमने कहा दिन का समय है हमारी मीडिल बर्थ है तो लिजिए हम किनारे हो जाते है आप बैठिये । तो कहता है आप पूरी सीट खाली किजिए पूरी सीट हमारी है । मेरे बेटे को सोना है । 

इतना छोटा सा उसका बच्चा था हमने कहा हम एकदम किनारे बैठ जातें है आपका बच्चा आराम से एक तरफ सो सकता है । इस पर वो एकदम ही बत्तमीजी पर उतर आया और तेज आवाज मे बोलने लगा। 

बोला देखने मे आप तो पढ़ी लिखी लग रही है आपको समझ नही आ रहा है कि सीट मेरी है । मै बच्चे को सुलाने जा रहा हूं उसके पैर से आपको चोट लगेगा तो मै नही जानता । 

हमे भी गुस्सा आने लगा लेकिन अपनी बिटिया को भी देखा तो वो जरा सा परेशान हो रहीं थी इस बहस से । 

फिर हम खुद भी जानते थें कि ट्रेन मे ऐसे कभी भी किसी से बहस भी नही करनी चाहिए।  पता नही सामने कौन किस तरह का है । लेकिन अब करूं भी क्या । बिटिया को लेकर मीडिल बर्थ पर बैठना एक मुश्किल काम था । 

बस वही पल था जब बिना मैन्टोस खाये दिमाग की बत्ती जली । हमने कहा एक मीनट ये हम का फालतू का बहस कर रहें हैं इस बन्दे से ये तो हमारे फायदे की बात कर रहा है । 

हमे इस समय मीडिल बर्थ पर बैठना नही है हम तो आराम से उस पर सो सकते हैं । नीचे के बर्थ पर तो इसलिए नही सो रहें थें कि बिटिया कहीं उतर कर कहीं चली ना जायें । 

 हम तो तीन रात के जगे उंघ रहे थें हमे तो घंटो की नींद ही चाहिए और मिडिल बर्थ से तो बिटिया के कहीं उतर के जाने का सवाल ही नही है । तो हम घंटो बेखटक सो सकते है । 

फिर हमने धाड़ से बर्थ खोला चादर बिछाया और सो गयें । एक डेढ़ घंटा बिटिया मोबाइल पर विडियो गेम खेलने के बाद , शादी की थकीं वो भी थीं तो वो भी सो गयी । 

कोई तीन चार बजे के सोये शाम को सात बजे हम उठें तो वो और उनका बच्चा दोनो जाग रहे थें । असल मे उनका बच्चा सोया ही नही। 

बीच बीच मे जितनी बार भी आधी अधूरी आँख खुली तो हमे सुनायी दे रहा था कि वो बैठे बैठे कहानी सुना सुना बच्चे को सुलाने की कोशिश कर रहें थें । लेकिन छ सात साल का लड़का ट्रेन मे आ कर कहीं सोने वाला है । वो सोया ही नही । 

अब आप अंदाजा लगाइये छ फिट का आदमी नीचे के बर्थ मे किस तरह झूक कर इतने घंटे बैठा होगा । क्योकि बच्चा तो पापा बिस्किट,  पापा पानी , पापा सूसू किया पड़ा था तो वो लेट सकते नही थें उसके साथ।  

सात बजे हमारी जैसे ही आँख खुली थोड़ी देर बाद वो खड़े हुए हमसे नजरे मिली । बस मुंह खोलने ही वालें थें कि हम पलट कर दूसरी तरफ चेहरा कर फिर  जानबूझ कर सो गये । 

उसके बाद साढें आठ के करीब नींद खुली । हमे जागता देख तपाक से बोलें कि आप चाहें तो बर्थ बंद करके नीचे आ जायें । हमने ना मे सर हिला दिया । 

अब वो हमसे बहस भी कर चुकें थें और तब हमारी बिटिया भी सो रही थीं । तो हमसे रिक्वेस्ट करने तक का मुंह ना था उनका । 

 सबसे मजेदार बात ये थीं कि पूरे बोगी मे सब घोड़ा बेच मुर्दों की तरह चादर डाल सो रहें थें । क्योंकि सब शादी से ही लौट रहें थे सबकी मेंहदी आलता यही बता रहा था । 

एक भी सीट खाली नही थी कि वो बैठ सकें । बच्चा उनका बैठा था और वो ठीक से बैठ भी नही पा रहे थें । कभी खड़े होते कभी उकता कर बाहर चले जाते । हम लेटे लेटे मस्त अपना मोबाइल देख रहें थें ।

साढें नौ बजे हमारी बिटिया जागी बोली मम्मी कुछ खाने को दो । वो फट से खड़े हो गये । सोचा कि अब तो हम नीचे उतरेगें और सीट बंद करेगें । 

वहीं ऊपर टंगें हमारे झोला से हमने बिस्किट केक और चिप्स निकाला और आराम से मोबाइल देखते खाने लगा नीचे उतरे ही नही । अब उनको पता चल गया था कि कितनी दुष्ट महिला से उन्होने फालतू की बहसबाजी की थी । 

यही बात वो रिक्वेस्ट मे कहतें  या साइड मे अपने बच्चे को सुला देतें तो हम से बाद मे सीट खोल नीचे आने को भी कह सकतें थें ताकि वो आराम से बैठ सकें । लेकिन बहस और खराब व्यवहार से हमारे अंदर के रावण के दर्शन कर लिए उन्होने । 

करीब साढ़े दस बजे रात को उनका स्टेशन आया और वो उतरने की तैयारी करने लगा तो हम बड़े मजे से उनके सामने नीचे ऊतरे सीट नीचे किया और बिटिया को बोला मजा आया ना बाबू । अब हम लोग आराम से नीचे बैठेगें चलो हमारी नींद भी पूरी हो गयी । 

उसी दिन हमने तीसरी कसम खायी कि आज के बाद कभी किसी से फालतू की हुज्जत नही करेगें । पहले ध्यान से सुनेंगें कि सामने वाला क्या कह रहा है । कहीं हमारे ही फायदे की बात तो ना कह रहा है । 

सामने वाला दो आने मे तीन केले लेने की जगह तीन आने मे दो ही केला लेना चाहता है तो यही सही । 

#तीसरीकसम 

November 27, 2023

इस मांसाहार से कैसे बचें

 हैल्लो फ्रेंडस दुख के साथ बताने पड़ रहा है कि आज से खुद को शाकाहारी होने की लिस्ट से बाहर निकाल रहें हैं 😔

बहुत साल पहले एक दम ताजा बढ़ियां दिख रहा टमाटर काटें तो अंदर ढोले बिलबिला रहें थें । तब का दिन है और आज का टमाटर चाहे उबालना हो पकाना भूनना बिना  चार टुकड़ा काटे, देखे गैस पर ना चढ़ातें । 

कल टमाटर काटे तो देखा बस एक काला सा बीज था अंदर । वो हिस्सा काट कर फेक दिया । फिर लगा चश्मा लगा कर एक बार देखते है सारे बीज को हटा । टमाटर के सारे बीज हटाया तो अंदर मेहीन मेहीन सफेद वाले किड़े के बच्चे । 

इतने मेहीन थें कि रेंगते नही तो चश्मे के बाद भी देखना संभव ना था । ये देखते पूरे शरीर के रोयें गिनगिना गया । लगा बीज को हटा कर तो टमाटर कभी चेक ही ना किया अब तक कितनो को खा चुके होगें। 

जन्मदिन पर बिटिया मेरी लिए कुछ खास बना रहीं थीं बकायदा मैदा डाल कर बनाया । अगले दिन वही नया खरीद कर लाया मैदा हमने थाली मे पलटा तो उसमे भी ढोले । 

ये सोच कि कल ही इस मैदो को खाया है माँ बेटी को तो उलटी आने लगी । एक बार तो सोचे जा कर बनियें का खून कर देतें है ऐसा मैदा देने के लिए।  फिर लगा दिवाली , मैच के बीच कहां कोर्ट कचहरी के चक्कर मे फसेंगें तो जाने देतें हैं । 

वैसे बचपन मे एक बार चीटी का स्वाद भी ले चुकें है । हमारे यहां तीज पर गुजिया बनता था कंडाल भर। हफ्तो उसे खाया जाता । जब कोई बच्चा लेते समय ढक्कन ठीक से बंद करना भूल जाता तो चिटियों की पार्टी हो जाती । 

चिटियां एक छोटा छेद कर गुजिया के अंदर घुस जाती और बाहर से पता ही ना चलता । हमने गुजिया निकाल कर खाया और अचानक से कुछ तेज खट्टा सा स्वाद आया । 

हमने जैसे ही ये बात सबको बतायी दोनो दादा लोग हमको चिढ़ा चिढ़ा बताने लगे वो खट्टी चीज चीटी थी । हमने गुजिया फोड़ी और उसमे से दो तीन जिन्दा चिटियां निकल कर भागी । 

गुजिया हम तुरंत ही प्लेट मे वापस रख दिये । जिसे झाड़ फूक छोटका दादा खा गये । तब का दिन है और आज का गुजिया देखते हमे खट्टी चीटी का स्वाद मुंह मे आ जाता है  और तीसरे दिन के बाद उसको ना खातें । 

अब हाल मे हुए एक के बाद एक हुए घटना से लग रहा है कि अब क्या ही अपने आपको शाकाहारी कहें  🙄

November 18, 2023

जस्ट शट अप

 

विश्व कप के अपने पहले ही मैच मे पांच विकेट लेने के बाद  जब मोहम्मद शमी प्रेस कांप्रेंस मे आयें तो एक पत्रकार ने पूछा की पिछले चार मैच मे आपको टीम मे नही लिया गया था तब आपको कैसा लग रहा था । 

शमी बोले अच्छा लग रहा था क्योंकि अपनी टीम जीत रही थी । चाहे मै टीम मे था या नही था टीम जीत रही थी और अपनी टीम को जीतते देखना अच्छा ही लगता है । 

तीन मैच खेलने और चौदह विकेट लेने के बाद एक बार फिर मैच के बाद कमेंटेटर पूछने लगे कि एक चार सौ विकेट  ( टेस्ट वनडे मिला कर ) लेने वाला बेंच पर बैठा था चार मैचो तक तो क्या सोच रहें थें । 

बोले मेरे साथ छ सौ विकेट लेने वाला ( अश्विन) भी बेंच पर बैठा था । मुझे लेने के लिए टीम से किसी छ सौ विकेट लेने वाले को निकाला जाता तब मेरा नंबर आता । इस समय भारत के पास प्रतिभान खिलाड़ियों की कमी नही है । तो किसी ना किसी बड़े खिलाड़ी को बेंच पर तो बैठना ही पड़ेगा । 

अफसोस की  बात है कि शमी के उन फर्जी फैन और खुद को फैन होने का दावा करने वालों को समझ नही आ रही हैं जो खुद शमी ने पहले ही कह दी है । 

हर मैच के बाद मुंह उठाये चले आतें हैं कि पहले चार मैच मे क्यों नही लिया । तुम लोग अपना सड़ा सा मुँह बंद क्यों नही कर लेते । 


November 17, 2023

क्रिकेट की गाॅसिप सोशल मीडिया वाली

 फिल्मी गाॅसिप बहुत सुना होगा आज क्रिकेट की गाॅसिप सुनाती हूँ । 

खिलाड़ियों के चौके छक्को या आउट करने पर स्टैंड मे बैठी उनकी पत्नियों को दिखाना लाज़मी है । शुभमन के चौके छक्के पर सारा को दिखाना भी एक बार समझ आता है । लेकिन श्रेयश अय्यर के शाॅट पर स्टैंड मे बैठी धनश्री को दिखाना , कुछ ज्यादा गाॅसिप हो गया । 

जिन्हे नही पता है उनके लिए धनश्री अपने चहल की पत्नी है । वो एक अच्छी डांसर है और यूट्यूब आदि पर बहुत प्रसिद्ध भी । ये प्रसिद्धी चहल से मिलने से पहले से उनके पास है । वो चहल और कई दूसरे खिलाड़ियों के साथ भी डांस विडियों बनाती रहतीं हैं । 

लेकिन सोशल मीडिया वाले छपरियों की बाई आँख उस दिन फड़कने लगी जिस दिन उन्होने अय्यर के साथ अपना डांस विडियो जारी किया क्योंकि उसमे साथ मे चहल नही थे । बाकि खिलाड़ियों के साथ विडियों बनाते चहल अक्सर साथ होते थें । 

कुछ ही दिनो बाद धनश्री ने अपनी सहेलियों के साथ एक सेल्फी पोस्ट की । वो किसी के घर के अंदर की थी और उस फोटो मे पीछे किनारे पर अय्यर भी जाते हुए दिख रहें थें । अब तो छपरियों की दोनो आंख फड़कने लगी कि अय्यर वहां क्या कर रहें हैं । 

दिनेश कार्तिक और उनकी पहली पत्नी का किस्सा पहले से ही वायरल हो चुका था और वो सबके दिमाग मे था । लोग इन दोनो को लेकर चटर पटर कर कुछ कुछ पकाने लगें । 

लेकिन इसके बाद हुआ उससे बड़ी चीज । धनश्री ने अपनी खिड़की से बाहर सामने कि बिल्डिंग की एक फोटो पोस्ट की । कुछ ही देर बाद अय्यर ने भी उसी तरह की मिलती जुलती फोटो पोस्ट कर दी । 

इसके बाद तो भाई साहब भुचाल आ गया सोशल मीडिया पर । ठुकरा के मेरा प्यार अंजाम देखेगी , मुझे छोड़ कर जो तुम जाओगें , अच्छा सिला दिया तुने मेरे प्यार का टाइप मीम सीम बनने लगे तीनो को लेकर । 

अपनी बहन पत्नी बेटी को किसी और पुरूष से मुस्करा कर बात करना भी भी बर्दास्त ना करने वाले समाज से उम्मीद भी क्या कर सकते हैं । 

खैर असल बात ये थी कि धनश्री और अय्यर की बहन सहेलियां हैं और दोनो का एक दूसरे के घर आना जाना भी । तो धनश्री अय्यर को दोनो तरफ से जानती हैं ।

 घर की किसी फोटो मे अय्यर का आ जाना या साथ मे डांस विडियो बनाना एक सामान्य बात है । बाकि बिल्डिंग वाली फोटो के समय अय्यर देश मे ही नही थें । 

ये सब तो सोशल मीडिया की पागलपंथी थी उस पर क्या ही बोलना। लेकिन दो मैचों के दौरान धनश्री चहल के साथ मैच देखने आयीं थी और अय्यर के चौके छक्को पर कैमरामैन उन्हे दिखा रहा था ।जिसमे कल का भी मैच था  । मतलब कुछ भी । 

पिछले मैच के बाद एक अखबार की हेडलाइन थी कि श्रेयस के इतने लंबे छक्के से डर कर भागीं धनश्री । असल मे उसका छक्का स्टेडियम की छत से टकरा कर वहां गिरा जहां सभी खिलाडियों की पत्नियां बैठी थीं । उसमे रोहित की पत्नी भी थीं लेकिन नाम धनश्री का लिखा गया । 

अभी कल कोई कमेंटेटर या कोई पत्रकार कोई बड़ा नाम था जिसने कहां हां हमे पता है कि श्रेयश एक बहुत अच्छे डांसर है । 

बात कहां की कहां पहुचते जा रही है । उम्मीद है तीनो समझदार हैं और ये सब सम्भाल लेगें । छपरियों को कुछ नया मिल जायेगा वो ये सब भूल उस तरफ मुड़ जायेगें । 









 

October 30, 2023

सत्तर घंटे काम - कम या ज्यादा


1- ज्यादा समय नही हुआ जब आईटी कंपनियों का टाॅप मैनेजमेंट इस बात की शिकायत कर रहा था कि उसके यहां काम करने वाले ऑफिस से जाने के बाद और वीकेंड पर कहीं और भी काम कर रहें है जो नैतिक रूप से सही नही है।

तब लोग उन पर भड़क गयें कि ऑफिस के बाद हम कही और काम करे इससे आपको क्या । हमे ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिल रहा है तो आपको क्या । 

अब वही जनता अब हफ्ते के सत्तर घंटे काम करके अपनी प्रोडक्टीविटि बढ़ाने ग्रोथ बढ़ाने की बात पर भड़का हुआ है । हमे लगा लोग पैसा बढ़ाने की बात करेगें पिछली बार की तरह पर लोग इस बार कह रहें हैं कि हम काम क्यों करे इतना देर । 



2- हम बिजनेस वाले परिवार से आते है । हमने तो बिना छुट्टी ,संडे ,होली , दिवाली अपने घर या बोले तो हर बिजनेस , दुकान वाले को इससे भी ज्यादा काम करते  हमेशा देखा है और देख रहें है ।

 इसमे तो कुछ भी अनोखा और नया नही हैं । सब मान कर चलतें हैं ज्यादा पैसे कमाने के लिए अपने मन की करने के लिए इतना काम और मेहनत तो करना ही पड़ेगा । कभी इसके लिए शिकायत करते किसी को नही देखा है । 

3-हर नौकरीपेशा महिला सालों साल से ऑफिस घर बच्चे की तीन तीन फुल टाइम जिम्मेदारियां संभालते इससे कहीं ज्यादा समय काम करते बिताती है । कभी कोई उसकी तरफ देखता तक नही कोई बवाल नही होता कोई सवाल नही करता ।

और आज वही नौकरी पेशा , घर के अंदर आँखे बंद किया पुरूष सिर्फ बात कहने भर से ऐसे भड़क गयें हैं कि जैसे कोई ऐसी बात कह दी  गयी हो जो इस धरा पर हो ही नही रहा था ।  

4- वो किस्सा सुना है जब आदमी भीखारी से कहता है कि भाई इसकी जगह काम करो तो ज्यादा पैसा कमा पाओगे । एक घर गाडिय़ा, इज्जत होगी , परिवार और तुम खुश होगे । तो भीखारी कहता है तो खुश होने के लिए काम करने की क्या जरुरत है मै तो ऐसे भी खुश हूँ।  

अपने गांव छोटे शहरो और आसपास के उन बहुत  सारे लोगों को याद किजिए जो आपसे बहुत पीछे छुट गयें और आप अपनी मेहनत के बल पर उनसे कितना आगे बढ़ गयें । वो लोग जिनसे आप कहतें रहें कि भाई कुछ मेहनत कर लो , पढ़ लो , दिमाग  लगा लो , ढंग का काम कर ले और वो आपकी बात अनसुना कर कहते रहें उनके लिए उतना ही बहुत है । 

किस तरह देखते हैं आप उनका और खुद को , अपने और उनके जीवन का अंतर समझ आ रहा है । जब वो कहतें है कि वो अपनी स्थिति से खुश हैं तो आपको वो सच लगता है । 

5- जितना मुझे समझ आया युवाओं को प्रोत्साहित किया गया है कि बस पहली सफलता के बाद वही रूक मत जाओ । युवा हो जोश है यही समय है और मेहनत करों और अपनी ग्रोथ को अभी ही तेजी से बढ़ा लो । 

ये प्रोत्साहन भी ऐसे व्यक्तित्व से है जिसने खुद ये करके दिखाया हैं । लेकिन अंकिल जी लोग भड़क गये हैं । भाई आप काहें अपना बीपी बढ़ा रहें हैं ऑफिस हाॅवर बढ़ाने की बात नही हुयी है । 

6- बहुत से युवा बड़े शहरों मे काम करने जातें हैं । कुछ का सपना कुछ साल की नौकरी से पैसा जुटा आगे पढ़ाई करने का , कुछ को अपने खर्च के बाद पैसा घर भी भेजना होता है । कुछ को अपना लोन भी चुकाना है ,कुछ को आईफोन जैसी विलासितापूर्ण जीवन जीना है । 

 बड़े शहरों मे ना उनका कोई अपना होता है ना ऑफिस के बाद कुछ करने को उन सबको कहूंगी कि पैसे की बात करो पैसे की । काम सत्तर कर लेगें घंटे के हिसाब से पेमेंट भी करो । 

बाकि बांतें और भी बहुत है पर अभी ही बहुत कह दिया है तो बस करतें हैं । 
















October 17, 2023

रिश्ते और उसके सम्बोधन

 मुंबई आयी तो ससुराल की एक मजेदार बात पता चली कि मेरे चाचा ससुर के बच्चे अपने पापा को चाचा कहतें हैं । शुरू मे उन लोगों से बात करते बहुत कन्फ्यूजन होता था ।  लगा गांव से चाचा आयें हैं उनकी बात हो रही है । 

बाद मे पता चला मेरे ससुर बड़े थे उनके बड़े  बच्चे चाचा कहते उन्हे  देख चाचा के बच्चे भी उन्हे चाचा ही कहने लगें । 

ऐसी ही बनारस मे मेरी एक मित्र अपनी मम्मी को बाजी कहतीं थीं । बचपन से वो नानी के घर रहतीं थीं । उनकी मम्मी सबसे बड़ी, सात छोटे भाई बहन वो सब उन्हे बाजी बुलातें मेरी दोस्त भी वही सीख गयी और उन्हे किसी ने मना भी नही किया । 

हम लोग तो दो तीन सालों तक यही समझते रहें कि वो अपनी बड़ी बहन की बात करतीं रही थीं । तब लगता वाह इसकी बड़ी बहन तो बहुत अच्छी है इसके सारे काम करती है । 

इसी तरह हमारे बचपन मे एक किरायेदार रहते थी उनके बच्चे उन्हे बहु बुलातें थे। शुरू मे लगा कि शायद इनके गांव इलाके मे ऐसा बुलाया जाता होगा । 

फिर एक दिन जब गाँव से उनके ससुर आयें वो भी बहु कहने लगे उन्हे तब पता चला कि उनकी तरफ कुछ ऐसा पुकारा नही जाता । 

वास्तव मे उनके बड़े संयुक्त परिवार मे वो सबसे छोटी बहु थीं । पूरा घर ही उन्हे बहु कहता था तो जेठ जेठानी के बच्चो से लेकर उनके अपने बच्चे भी उन्हें बहु ही पुकारने लगें । 

मेरी नानी मेरे सबसे छोटी मौसी के दोनो बेटो पर बहुत गुस्सा करतीं थीं क्योंकि दोनो अपने दादाजी को नाना बुलातें थें । 

असल मे उन दोनो से बड़ी उनकी एक बुआ की बेटी थी जो उनके साथ रहती थी । वो नाना जी बुलाती तो उन दोनो ने भी सीख लिया ।   

जब छोटी मौसी की शादी हुयी थी तो नाना गुजर चुके थे । इसलिए नानी गुस्सा करती कि अपने दादा को नाना बोल कर इस उमर मे  मेरा रिश्ता उनसे खराब कर रहे हो 😂😂

October 09, 2023

सर्वे और तथ्य

 किसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान के किये सर्वे तकनीकि रूप से कितने गलत हो सकते है वो इस सर्वे को देख कर समझा जा सकता है । 

हाल मे ही एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान ने अपने सर्वे मे बताया कि स्कूली शिक्षा के स्तर मे भारत सबसे नीचे से दूसरे पायदान पर है । उसके अनुसार भारत के ग्रामीण इलाके के दूसरी तीसरी कक्षा के छात्र ठीक से किताब मे लिखा पढ़ नही पा रहे थे और दो और दो चार जैसे जोड़ घटाना भी नही कर पा रहे थें । 

ये खबर पढ पर ज्यादातर शहरी भारतीय भी इससे सहमत हो जायेंगें और सरकारी शिक्षा के स्तर को कोसने लगेंगे कि हमारे बच्चे तो दूसरी तीसरी तक फर्राटेदार किताबे पढ़तें है । गणित मे कहीं आगे के प्रश्न हल करने लगते हैं ये बच्चे कैसे नही कर पा रहे हैं । 

पर ज्यादातर लोग इस बात को भूल जाते हैं कि शहरी मध्यम और उच्च वर्गीय बच्चा दो से ढाई साल की आयु मे प्लेग्रूप फिर नर्सरी , एलकेजी , यूकेजी  के तीन साल के बाद पहली फिर दूसरी तीसरी कक्षा मे जाता है । 

दूसरी से तीसरी कक्षा तक उसकी स्कूलिंग के पांच से छः साल हो चुके होते हैं । प्लेग्रूप मे वो अक्षरो को बोलना , नर्सरी मे पढ़ना लिखना उसके बाद शब्दो को जोड़ कर पढ़ना आदि सीख लेता है । तब पांच छः साल बाद फर्राटेदार रिडिंग करता है । 

जबकि सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चे खासकर ग्रामीण इलाके के बच्चे छः से सात साल की आयु मे पहली बार स्कूल जाते है पहली क्लास मे जहां उन्हे अक्षर ज्ञान दिया जाता है । 

अब आप सोचिये पहली क्लास मे अक्षर और अंक बोलना सिखने वाला बच्चा दूसरी क्लास या तीसरी मे भी धाराप्रवाह पढ़ कैसे सकता है । 

पांच से छः साल स्कूलिंग किये बच्चो का मुकाबला क्या दो या तीन साल स्कूल गये बच्चो से किया जा सकता है । उसकी भी पांच या छः साल की स्कूलिंग हो जाये फिर उसके स्तर को देखा जाना चाहिए। 


ये ठीक है कि आज भी सरकारी खासकर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों मे पढाई का स्तर ठीक नही है । अध्यापक छात्र की संख्या कम , वो अनियमित है ,अध्यापको का ठीक से प्रशिक्षित ना होना , बीच मे स्कूल छोड़ देना जैसी हजारो समस्याएं है । लेकिन वो दूसरा विषय और समस्या है । 

शहरों के सरकारी स्कूल की स्थिति इतनी भी खराब नही है । हमारे समय के ना जाने कितने लोग सरकारी स्कूलों से पढ़ कर ही आये हैं । बनारस जैसे शहर मे स्कूल,  अध्यापक,  पढाई सब अच्छे थे उस जमाने मे भी । आज मुंबई जैसे बड़े शहर मे तो सरकारी स्कूलों मे कहीं कहीं क्लास मे प्रोजेक्टर आदि भी लगे हैं। दिल्ली मे भी स्कूल अच्छी हालत मे हैं ।

ऐसे सर्वे आदि मे यदि गलत जगह या इरादे के साथ से सैंपल लिया जायेगा तो ऐसे सर्वे कभी सही नही हो सकते हैं । 

ज्यादा समय की बात नही है जब अपना पड़ोसी पाकिस्तान एक सर्वे के अनुसार हैप्पीनेस इंडेक्स मे हमसे ऊपर था और पेट्रोल के दाम हमसे कम । पर आज उसकी स्थिति ये है कि वहां के नागरिक हर हाल मे वहां से भागने की सोच रहे हैं । 

October 06, 2023

नकरातमकता से बचें

दुनियां के कुछ क्रिकेट स्टेडियम मे दर्शको के बैठने की क्षमता । गुगल के अनुसार 

मेलबर्न आस्ट्रेलिया 100000

लार्ड इंग्लैंड 31180 

पर्थ आस्ट्रेलिया 61266

एडिलेड ओवल आस्ट्रेलिया 53583

सिडनी 80000

ईडन पार्क न्यूजीलैंड 42000

प्रेमादासा और महेन्द्रा राजपक्षे  श्रीलंका 42000  और 40000

बाकि पचास हजार से ऊपर वाले सब भारत मे है और दुनियां के बाकी क्रिकेट मैदान की क्षमता पचास हजार से कम दर्शकों की है । 

कल अहमदाबाद मे खेले गये विश्व कप के पहले मैच मे साढ़े सैतालिस हजार लोग आये थे । वो भी सप्ताह के बीच यानी कामकाजी समय मे इसलिए शायद दर्शक धीरे धीरे मैदान मे आये , अपना काम जल्दी खत्म कर । दुनियां के ज्यादातर मैदान इतने दर्शकों के साथ पूरा या लगभग भरा होता । 

फिर  समझ ना आ रहा है लोग ये सवाल क्यों कर रहें है कि पहले मैच मे दर्शक कहां हैं । भाई अहमदाबाद स्टेडियम की क्षमता एक लाख बत्तीस हजार की है । उसे पूरा भरने के लिए भारत का मैच होना चाहिए। 

कल की दो टीमो मे से एक भी भारत क्या एशियाई टीम भी नही थी उसके बाद भी इतनी बड़ी संख्या मे दर्शक ना केवल मौजूद थे बल्कि ज्यादातर न्यूजीलैंड को सपोर्ट भी कर रहे थे । शायद मेरी ही तरह पिछले विश्व कप के फाइनल मे जिस तरह न्यूजीलैंड को हारा घोषित किया गया उसके कारण । 

कम से कम क्रिकेट के विश्व कप मे भी मेजबान और भारत तथा  पाकिस्तान के मैचों के अलावा ज्यादातर मैदान खाली ही रहता है । फुटबॉल की तरह लाखो दर्शक टीम के साथ आयोजित देश नही जाते । 

कौन है ये लोग कहां से आते हैं । इतनी निगेटिवीटि के साथ  कैसे जीते है । हर बात मे बुराई खोज लेना हर बात मे राजनीति डाल देना कैसे कर लेते हो आप लोग । चैन से सो और खा भी नही पाते होंगे ये लोग । 

जो पत्रकार क्रिकेट का क भी नही जानते जिनको ये भी नही पता की एक टीम मे खिलाड़ी कितने होते है वो भी दर्शकों को संख्या पर सवाल बस इसलिए कर रहे है ताकि अमित शाह के बेटे जय शाह को गरिया सकें । 

माने हद है भाई तुम लोगों क्रिकेट को बख्श दो अपनी गंदी राजनीति और नकारात्मक सोच से । 

October 04, 2023

दवाओं के सहारे जीवन

 

कल रात इमारत मे  किसी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी । 65  के करीब थें ।  कुछ साल पहले मुंह के कैंसर से पीड़ित थें पर अब उससे छुटकारा पा चुकें थे । 

बस दो दिन से अपने हाई बीपी की दवा नही खा रहें थें और बीपी बढ़ गया था । कल शाम ही बीपी नापा तो वो बहुत हाई निकला । 

घर आये पड़ोसी से इस बात का अफसोस भी जाहिर किया कि दवा नही खाया तो देखो कितना बीपी बढ़ गया है । कुछ समय बाद ही जब घर मे अकेले थे तो शायद हार्ट अटैक आया और बच नही पायें । 

इन्होनें तो दो दिन दवा नही खाया था । दो साल पहले हमारे फ्लोर के एक बुजुर्ग तो बस रात मे दवा नही खाया और अगली सुबह गुजर गयें। 

 उन्हे बहुत सारी समस्याएं थी , दवा खा खा कर तंग आ गये थे । उस रात जिद्द पकड़ ली कि अब से दवा नही खायेंगे जब मौत आनी है आ जाये । पत्नी बेटे से इस बात को लेकर झगड़ा भी हो गया । 

अगली सुबह ही तबियत बिगड़ गयी अस्पताल ले जाने के लिए बिल्डिंग के बाहर निकलते ही मौत हो गयी । 

हमारी अपनी छोटी चाची पचास से भी कम आयु मे पैरालाइसिस के अटैक का शिकार हो गयी बस दो तीन दिन दवा छोड़ने पर । हाई ब्लडप्रेशर और और पैरालाइसिस उनका फैमली इतिहास था । 

यही कारण था कि चाचा उनकी दवा का हमेशा ध्यान रखते थे । भाई दूज पर मायके गयी और दवा को लेकर लापरवाही बरत दी । तीन दिन बाद घर आयी तो दवा फिर से ले लिया था लेकिन शरीर के लिए देर हो चुका था । 

मंदिर मे सुबह पूजा करते गिर गयी । वो तो चाचा को फैमली हिस्ट्री उनकी पता थी तो तुरंत समझ गये । सीधा स्पेशलिस्ट हास्पिटल गये और डाॅक्टर को खुद बता दिया कि पैरालाइसिस का अटैक है । 

समय से इलाज मिल गया और लंबी फिजियो थेरपी से  धीरे धीरे इतना रिकवर कर लिया कि आराम से चल फिर सकती है घर और अपना काम कर लेती है । लेकिन उलटे हाथ से कुछ पकड़ नही सकतीं और कहीं भी अकेले नही जाने दिया जाता है । 

अब आधा दर्जन दवा चार पांच सालों से रोज खा रहीं । कुछ कुछ महीनों मे हाथ पैर मे अकड़न और दर्द की समस्या अलग से । 

एक महीने पहले मेरी कामवाली अचानक स्टेशन पर चलते हुए एकदम से बेहोश हो कर पटरियों पर गिर गयी । बहुत ज्यादा चोट आ गयी थी एक महीना लगा उसे ठीक होने मे । 

डाॅक्टर ने बताया सुगर बहुत ज्यादा हाई हो गया था । उसे अपनी बीमारी के बारे मे पता ही नही था । वो तो शुक्र था कोई ट्रेन नही आ रही थी और लोगो ने उसे तुरंत पटरी से हटाया । 

दो दिन से काम पर आ रही है मैने उसे ढेर सारी हिदायते दी । परहेज को लेकर और दवा के प्रति लापरवाही ना करने को लेकर।  

तो भाई दवाओं और स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही जरा भी ना बरते । अपने लिए नही तो अपने अपनों का सोचें । ठीक है मौत तो जब आनी  है तब आयेगी ही लेकिन ये सोच कर कोई बीच सड़क से चलना या नदी मे छलांग तो नही लगाता ना । 

तो ख्याल रखिये अपना भी और अपने अपनो का भी । 

October 01, 2023

इस अधर्म को कौन रोके




अपने देवता के साथ ऐसा  व्यवहार करने का महान कार्य अपना हिन्दू उर्फ सनातन धर्म ही कर सकता है । तस्वीरे देखिये,  जिस गणपति को दस दिन भक्तिभाव से पूजा और रोते खुश होते नाचते गाते विदा किया । उसे किस दुर्दशा मे समुद्र किनारे छोड़ आये हैं । 

कल बिटिया बीच की सफाई के लिए गयी थीं जो दृश्य देखा वो उनसे भी बर्दास्त नही हो रहा था । गन्दगी की पराकाष्ठा देख बहुत दुखी हुयी और  देवता की मूर्तियों की ऐसी हालत कि ईश्वर मे विश्वास ना होने के बाद भी उन्हे आश्चर्य रूपी दुख हो रहा था ।

समुद्र अपने पास कुछ ना रखता सब लौटा देता है नतिजा विसर्जन के दूसरे दिन मुर्तियां रेत पर टुटी फूटी खराब हालत मे पड़ी थी । बड़ी मूर्तियों को जेसीबी मशीन से तोड़ा जा रहा था ताकि उन्हे आसानी से निस्तारण किया जा सके। 

ये देख उनकी एक मित्र तो रोने लगी क्योंकि उसके घर गणपति आये थे और एक दिन पहले वो विसर्जन के लिए आयी थी । गणपति से उसकी श्रद्धा प्रेम के कारण ये सब उसके लिए असहनीय हो रहा था । 

सालों से पर्यावरण प्रेमी से लेकर समझदार वर्ग कहता आ रहा है कि मूर्तियों का आकार छोटा किया जाये और उन्हे मिट्टी से बनाया जाये । लेकिन श्रृद्धा कम बाजारवाद मे डूबे पूजा पंडाल इसको मानने को तैयार नही होते है । बीस से चालीस फिट ऊंची मूर्तियां बनायी जाती हैं । 

यही सारे मंडल तब चुपचाप सरकारी फरमान को मान रहे थें जब कोविड के कारण मूर्ति का आकार सिर्फ पांच फिट निर्धारित था । लेकिन उसके बाद सब अपने ढर्रे पर वापस आ गया । 

जिस धर्म के मानने वाले ही जब ऐसा व्यवहार अपने ही देवता की मूर्ति से करे तो उस धर्म को क्या किसी और से खतरा हो सकता है । 

खैर हम अ-धार्मिक लोगों का क्या बिटिया सब पूजनियों को कचरे की तरह साफ करने का सहयोग कर घर आ गयीं । 




September 29, 2023

तीसरी कसम


 जब सी फेस पर टहलने जाती थी तो इनसे मिलती थी । चारो पैरो मे इनके जूतें से हर किसी की नजर इन पर उठ ही जाती । अपनी नौकरानी के साथ आते बस एक दिन ही अपने मालिक के साथ इन्हे देखा ।

 नौकरानी भी टहलाने के बजाये एक बेंच पर बैठ कर मोबाइल चलाती और ये उसके बगल मे बैठे आते जाते अपनी नस्ल वालों को देख बीच बीच मे भौंक लेतें । 

एक दिन देखा अपने से चार पांच गुना बड़े पर भौके जा रहें है । बदले मे उसने भी भौकना शुरू किया । इन्हे गुस्सा आ गया ये बेंच से कुद पड़ें और तेज से भौकने लगे । शुक्र है कि बेल्ट मे थे तो उसके पास तक नही जा सके , थोड़े दूर से ही चिल्लाते रहें । 

बड़े वाले के साथ उसके मालिक थे दो यंग लड़का लड़की । दोनो आगे जाने के बजाये एक सुरक्षित दूरी पर अपने कुत्ते का बेल्ट पकड़ खड़े हो इस दृश्य का मजा लिये जा रहें है ।

अब छुटकु के नौकरानी को गुस्सा आ गया । उसके शान्ती से मोबाइल देखने में खलल पड़ रहा था । वो भी गुस्से से उठी अपने  छुटकु को गोद मे उठाया और आगे चली गयी । 


हम पीछे से आते हुए ये सब देख रहे थें । इतने मे देखा कि अच्छे खासे भरे बदन की नौकरानी का कुर्ता उनके पृष्ठ भाग मे फंस गया है । सोचा जल्दी से आगे बढ़ कर उसे बता देतीं हूं । छुटकु के चक्कर मे मेरी कई बार उससे बात हुयी थी । 

फिर सोचा कि बतायें की ना बतायें क्योकि एक विडियो मे देखा था कि किसी लड़की के ब्रा की पट्टी दिखे तो आंटी बन कर उसे टोकना नही है । दिख रहा है तो दिखने देना चाहिए उसे बताना रूढ़ीवादी सोच और आंटीगीरी है । 

समझ ना आ रहा था कि यही नियम कुर्ते के पृष्ठ भाग मे फंसने पर लागू होगा की नही । फिर लगा आगे जा रही महिला लड़की नही मेरी उमर की आंटी ही है तो हमारे जमाने वाली है । निश्चित रूप से ये चाहेगी  मेरी ही तरह कि इसे कपड़े को ठीक करने के लिए बता दिया जाये । 

इतना सोचते विचारते हम उसके पास तक आ गये थें । तो हमने कहा रिस्क ले लेते है अब आंटी की ऊमर मे आ कर आंटीगीरी तो की ही जा सकती है । 

तो उसे बताने के लिए उसके पास तक गयें कि धीरे से बोल दूंगी ताकि कोई और ना सुने । अपने कान से इयरफोन भी निकाल दिया ताकि बातचीत कान बंद होने के कारण तेज से ना हो और वो धन्यवाद कहे तो मै मुस्कराहट के साथ जवाब भी दे दूं । उसे ना लगे कि नौकरानी है तो मैने भाव ना दिया । 

उसके पास गयी और धीरे से कहा अपना कुर्ता ठीक कर लो । उसने मेरी तरफ देखा नाक सिकोड़े , भौवे ऊपर कर बुरा सा मुँह बनाते बोली  " मै क्यों अपना कुत्ता ठीक करूं वो अपना कुत्ता ठीक करे । उनका कुत्ता ज्यादा भौक रहा था । वो टहल रहे थें आगे क्यों नही गये ----

पहले तो हम हक्का बक्का हुए फिर बात समझ आ गयी कि उसने कुछ का कुछ सुना है । उसे बीच मे टोकते हमने कहा कि मै कुत्ते नही कुर्ते की बात कर रही थी । 

लोग अपनी दुनियां , सोच , विचारों और समस्याओं मे उलझे रहते हैं । इतने मे आप उन्हे जा कर कुछ कहें तो वो सुनते वो है जिसमे वो उलझे हैं या जो वो सुनना चाहते है  । नतिजा सही बात समझे बिना आप पर भौकना शुरू कर देते है । 

उसी दिन हमने अपनी तीसरी कसम खायी कि आज के बाद किसी के ब्रा की पट्टी दिखे , किसी का चेन खुला हो या किसी का कुर्ता गलत जगह फंस गया हो हम अब किसी को ना बतायेंगे ।

 पहली और दूसरी कसम फिर कभी बताते हैं । 

#तीसरीकसम