December 31, 2010

नए साल की कुछ नई कसमे - - - - - - - - -mangopeople

                                                     
                                  लो जी कल से नया साल शुरू हो जायेगा कुछ लोगों के लिए तो बस तारीख बदलने वाली है पर कुछ महान, सामर्थवान, हिम्मत वाले लोगों के लिए ये एक नई शुरुआत है असल में हर साल वो एक नई शुरुआत करते है | ये वो विशेष लोग है जो हर साल नवम्बर से ही कुछ कसमे वादे खाने की रस्म खुद से परिवार से दोस्तों से करना शुरू कर देते है कि अगले साल से मै अपनी एक बुरी आदत छोड़ दूंगा या कुछ नया शुरू करूँगा | सभी अपने हिसाब से एक कसम खाते है जैसे


सिगरेट पीना छोड़ दूंगा या
शराब पीना छोड़ दूंगा या
 जिम जाना शुरू कर दूंगा  |
 रोज सुबह जागिंग शुरू करूँगा |
 घर पर ही कसरत शुरू कर दूंगा  |
मीठा, तला भुना, जंक फ़ूड खाना बंद कर दूंगा  |
अब से जम कर पढाई करूँगा |
जीवन को और कैरियर को गंभीरता से लूँगा | 
सारा समय घर गृहस्थी में बर्बाद हो जाता है इस बार जरुर कुछ नया सीखूंगी  |
इस साल छुट्टियों में हम कही जरुर घूमने जायेंगे |
इस साल से फिजूल खर्ची नहीं करूँगा कुछ बचत भी करूँगा |

                                                     
                                      आदि इत्यादि | जब भी कोई कसम पूरा करने के लिए मुहर्त देखा जाने लगे तो समझ लीजिये की वो कभी भी पूरा नहीं होने वाला है जैसे यदि आज गुरुवार है तो मुहर्त सोमवार का निकलेगा " पक्का सोमवार से ये सब बंद या सोमवार से शुरू " यदि तारीख बीस के ऊपर की है तो मुहर्त एक तारीख का निकलेगा और नवम्बर है तो फिर दो महीने इंतजार कीजिये मुहर्त सीधे एक जनवरी का निकलेगा " नए साल से नई शुरुआत पक्का एक जनवरी से सब बुरी आदते बंद " | जैसे ही इन कामो के लिए मुहर्त निकले समझ जाइये की अब ये कसम पूरी नहीं होने वाली है बस चार दिन के चोचले होने वाले है | मुझे समझ नहीं आता है की लोग आखिर ऐसी कसमे खाते ही क्यों है जिनको पुरा किया ही ना जा सके | अरे कसमे खाइए तो ऐसी जो पुरी की जा सके जिनको पुरा कर सके जैसे 


इस साल सिगरेट छोड़ दूंगा - - - इतनी पी चूका हु की साल के अंत तक अस्पताल पहुच ही जाऊंगा |
रोज जिम के सामने से गुजरूंगा 
कम से कम जॉगिंग सूट या सूज खरीद कर लाऊंगा
दिन में एक बार कसरत करने के बारे में जरुर सोचूंगी
मीठा ,तला भुना ,जंक फ़ूड खाना बंद, रोज रोज
जम कर पढूंगा, पेपर के एक दिन पहले
घर गृहस्थी से समय निकाल कर एक दिन नए कोर्सो के बारे में पता करने जरुर जाउंगी
इस साल छुट्टी में हम पूरा शहर घूमेंगे, अपना
इस साल एक बचत खाता तो खोल ही लूँगा
कैरियर को गंभीरता से लूँगा और कम से कम अपना बायोडेटा तो बना ही लूँगा |
शराब तो जरुर छुट जाएगी - - - - लोगों ने उधर देना बंद ही कर दिया है |

                        
                                            देखिये कितना आसन है इन कसमो को पूरा करना | एक ब्लोगर होने के नाते मै भी कुछ ब्लोगरी  कसमे खाती हु कि


टिप्पणियों की मोह माया से बाहर आउंगी
टिप्पणिया पाऊ पोस्टो की जगह कुछ सार्थक अच्छा और सकरात्मक लिखूंगी - - - मतलब एक भी टिप्पणी नहीं मिलेगी
 अपने ब्लोगिंग का एक उद्देश्य बनाउंगी
 किसी को नकारात्मक टिप्पणी नहीं करूंगी
किसी की आलोचना नहीं करुँगी
 लोगों पर व्यंग्य बाण नहीं चलाऊँगी
 सभी नए ब्लोगरो का उत्साह बढ़ाउंगी |
 अपनी हिंदी और सुधारुंगी
हिंदी साहित्य का स्तर हिंदी ब्लोगिंग में और ऊपर उठाउंगी
सभी को टिप्पणिया दुँगी
टिप्पणिया आदान प्रदान का खेल नहीं करुँगी  
ब्लोगिंग से समाज, लोगों, गरीबो, दलितों, बेचारो, दिन हीनो , पीडितो , को न्याय दिलाउंगी उनकी मदद करुँगी उनकी आवाज लोगों के सामने लाऊंगी |
                                 
                                         ये सब मै १ जनवरी २०२० से शुरू करुँगी | तब तक जो चल रहा है वैसा ही चलेगा |

      
                   आप सभी को नए साल की ढेरो शुभकामनाये |

December 29, 2010

क्या आप को नहीं लगता की एक ब्लॉग अख़बार की जरुरत है - - - - - - - mangopeople

                                            ब्लॉग जगत में यदि किसी चीज की बड़ी शिद्दत से कमी महसूस हो रही है तो वो है एक अदद ब्लॉग समाचारपत्र की, क्यों ? देखिये किसी समाचार पत्र की जरुरत क्यों होती है निश्चित रूप से ये जानने के लिए की कहा क्या हो रहा है अब हमारा हिंदी ब्लॉग जगत भी इतना बड़ा हो चूका है की हमें कभी कभी पता ही नहीं चलता है की हम जिन ब्लोगों पर जाते है उनके आलावा दूसरे ब्लोगों पर क्या हो रहा है कही दूर किसी ऐसे ब्लॉग पर जहा हम कभी गये ही नहीं या जहा ज्यादा लोग जाते ही नहीं वहा भी कुछ अच्छा बुरा हो सकता है वहा की हमें तो खबर ही नहीं लगती है | वहा की खबर लगे तो क्या पता कुछ और अच्छे पाठक हमें मिल जाये या कुछ ऐसे पाठक मिल जाये जो हमारे विचारो से मेल खाते हो और कुछ तारीफ वाली टिप्पणिया भी मिले इन विरिधियो के सवालो का जवाब दे देकर तो अब तंग आ चुके है या कुछ नया और अच्छा पढ़ने को मिले |
                                                      कई बार तो ये भी होता है की हम दो चार दिन के लिए ब्लोगिंग से दूर रहे और उसके बाद आये तो पता ही नहीं चलता है की हमारे पीछे क्या क्या हो गया और कोई जोरदार बहस चल रही होती है और हम अनाड़ियो की तरह तब पुछते है की क्या हुआ भाई हमें तो प्रसंग का पता ही नहीं चला जबकि बाकि धुरंधर दे दना दन एक से एक टिप्पणिया वहा दे कर महफ़िल लुट चुके होते है और हम अज्ञानियों की तरह बस सबको पढ़ने के सिवा कुछ नहीं कर पाते है , और कभी कभी किसी ब्लॉग पर कोई झन्नाटेदार विषय पर टिप्पणियों की बारिश हो रही होगी और हम उस पर तब पहुचते है जब मेले का डेरा तम्बू उखड रहा होता है तब लगता है की अब टिप्पणी देने से क्या फायदा काश की हमें पहले ही पता होता की यहाँ पर ये हो रहा है तो हम भी आग में थोडा घी डालते या नमक छिड़कते | अब क्या फायदा सारे बाजीगर तो अपनी बाजीगरी दिखा कर जा चुके है अब तो दर्शक भी नहीं मिलेंगे  अब मेरी बाजीगरी कौन देखेगा  या कभी लगता है की अरे इतने अच्छे विषय का भी लोगों ने विरोध किया है और सबके विरोध  से डर कर अकेला बेचारा लिखने वाला ब्लोगर सबसे माफ़ी मांगे जा रहा है या कुछ घिसा पीटा सा सफाई दे रहा है , तो लगता है की हाय हम यहाँ होते तो लेखक का भरपूर साथ देते और सभी विरोध करने वालो की अकेले बैंड बजा देते और कभी कभी तो ये भी होता है की बेचारा कोई ब्लोगर किसी एक पोस्ट पर आहात हो कर एक अपनी पोस्ट डाल देता है " आज मन बड़ा उदास है " टाईप और पढ़ने वाले बेचारे अपना सर नोचते रहते है की भाई बताया नहीं की हुआ क्या और बस मन उदास है बताओगे की मन क्यों उदास है तब तो कुछ कहा जाये |
                                       मतलब की ये की इस तरह की ढेरो ऐसे कारण है जिसके लिए लगता है की एक ऐसा समाचारपत्र  ब्लॉग जगत में तो होना ही चाहिए जो हम सभी को पूरे ब्लॉग जगत की खबर दे जैसे घर बैठे ही अखबार हमें पूरी दुनिया की खबर देते है | बस उस ब्लॉग अखबार पर जाओ और हमें पता चल जाये की कहा कहा कुछ खास हो रहा है कहा जोरदार बहस हो रही है, कहा लड़ाई हो रही है, कहा पर सब मिल कर एक को धो रहे है, कहा पर कुछ गासिप चल रही है और कहा किस चीज के मजे लिए जा रहे है , ताकि हम भी समय रहते वहा जा कर अपनी टिप्पणियों की आहुति दे सके और पूरे प्रसंग का मजा उठा सके | जरूरत हुआ तो बहती गंगा में हाथ धो लेंगे या कोई पुराना हिसाब चुकता कर लेंगे या चुप चुप मजे ले कर चल देंगे, ब्लॉग जगत में हम से कुछ भी छूटे नहीं |
                                 भाई आज कल संचार का खबरों का जमाना है वो दिन गये जब लोग कहा करते थे की जिस गांव जाना नहीं वहा का पता क्या पूछना | अब तो लोग ढूंढ़ ढूंढ़ कर पिपिली जैसे गांव के बारे में भी खबर रखते है | भाई ऐसा ना हो की विद्वानों की कोई सभा हो और हम कहे की जी हमें पता ही नहीं की मल्लिका शेरावत कौन है | कभी रेखा के दीवाने रहे लोगों को आज भले पता ना हो की रेखा कहा क्या कर रही है पर मल्लिका ,राखी कैटरीना कहा क्या कर रही है सभी को पता रहती है भाई खबरे रखने का जमाना है | खबरे काम आती है क्या कहा ई खबरे कहा काम आती है अब ई भी हम ही बताये|
                                        अपना ब्लॉग जगत अब इतना बड़ा हो गया है की किसी साप्ताहिक पत्रिका से काम नहीं चलेगा इसके लिए तो रोज का एक बुलेटिन चाहिए | जहा तक मेरी समझ है एक बार रोज का बुलेटिन शुरू तो हो जाये कुछे दिन में उसको दिन में दो बार अप डेट करने की नौबत आ जायेगी | ई ना सोचे की मैटेरियल की कमी है भरपूर मैटेरियल यहाँ मिल जायेगा बल्कि लगता है की एक बार शुरू तो हो उसके बाद फिर देखिएगा कैसे धड़ा धड पेज बढाना पड़ेगा | दो चार दिन में ही सभी को इसके फायदे नजर आने लगेंगे | आज की ताजा खबर फलाने के ब्लॉग पर कल दोपहर से एक जोरदार बहस चालू है समाचार लिखे जाने तक टिप्पणियों की संख्या ६० के पार पंहुच चुकी थी | लो जी अख़बार निकने के दो घंटे बाद है टिप्पणियों की संख्या १०० के पार | बहस शुरू करने वाला ब्लोगर सीना फुलाए कहेगा वहा आज तो मेरा ब्लॉग फ्रंट पेज पर था |
                         कुछ और मुख्य समाचार ऐसे होंगे की फला ब्लॉगर ने हास्य  के फुहारों से सभी को भिंगो दिया या ढेकाने ब्लॉग पर का और ख के बीच घमासान छिड़ा हुआ है ,या जनानियों के ब्लॉग पर दो जनानियों और एक जन आपस में भिड़े पड़े है या इस ब्लॉग पर इनकी टिप्पणी से ये आहात हुए या उनका उपहास उड़ाया गया या फिर उनकी टिप्पणी से आहत हो उन्होंने एक पूरी पोस्ट ही दे मारी ,या आज तीसरे दिन भी दोनों ब्लोगरो में पोस्ट प्रति पोस्ट जारी है और अब तो उसमे ई ई ब्लोगर भी शामिल हो कर एक ही विषय में चार और पोस्ट ठेल दी है पाठक झेल सके तो झेल ले , ये हास्य के राजा फला ब्लोगर ने सभी को हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया | अब देखिये कैसे बहस ,वाद विवाद, झगड़ो ,हास परिहास और व्यंग्य से दूर भागने वाले और सार्थक निरर्थक बहस पोस्ट पर बहस करने वाले  ब्लोगर भी कैसे इस तरह की पोस्ट के इंतजाम में लग जायेंगे जिसमे अच्छी खासी बहस झगड़े की गुन्जाईस हो | तब लोग इस बात पर बुरा नहीं मानेगे की आप को बहस की आदत है तब लोग कहेंगे की आप की आदत बड़ी ख़राब है आप बहस नहीं करते है | यदि ये नहीं करेंगे तो साहित्य की सेवा कैसे करेंगे विषय को ऊपर कैसे उठाएंगे |
                                            अब जब बात फ्रंट पेज की हुई है तो पेज थ्री की बात ना हो हो ही नहीं सकता है कोई भी अख़बार बिना पेज थ्री के पूरी हो सकती है क्या | पेज थ्री पर होगा ब्लोगर मिट की फोटो और उससे जुड़े मजेदार चटकारी खबरे | अब ये मत पूछियेगा की चटकारी खबरे क्यों ???? तो पता दू पेज थ्री लोग चटखारी खबरों और रंगीन फोटो के लिए ही देखे उप्स पढ़े जाते है | कई बार ये भी होता है कि कही कोई ब्लोगर मिट हो जाती है और कुछ लोग बेचारे जो काफी दोनों से इसकी बाट जोह रहे होते है उनको पता ही नहीं चलता है | उन बेचारो को तब पता चलता है जब मिट पर पोस्टे आने लगती है | समाचार पत्र निकालने से ये भी फायदा होगा की एक कालम इसके लिए बुक रहेगा जिसपे सिर्फ ये बताया जायेगा की देश के किस हिस्से में कहा कब कोई ब्लोगर मिट होने वाला है | जिसे भी ब्लोगर मिट में जाने की ज्यादा इच्छा है वो इस कालम को पढ़ पढ़ कर सभी मिटो में लोगों से मिट कर सकता है वैसे ब्लॉग जगत में ऐसे मिटनसार लोगों की कोई कमी नहीं है , उनके लिए ये बड़ा काम का होगा और बोनस में फोटो छपेगी वो अलग | बस आप को अपने मिट को कुछ मजेदार चटकारेदार बनाना होगा और कुछ खास बड़का, महान, विवादित ब्लोगरो को बुलाना होगा ताकि खबर भी बने और फोटो देखने को सभी ब्लोगर उत्सुक भी  रहे | यदि ई सब माल मसाला आप के ब्लोगर मिट में नहीं होगा तो आप के मिट को डाल दिया जायेगा कही किसी पीछे के पेज पर | सोचिये ब्लॉग अखबार प्रकाशित होने के बाद होने वाले ब्लोगर मिट कितने धमाकेदार हुआ करेंगे | भाई पेज थ्री पर आने का मजा ही कुछ और होता है | 
                         अब अख़बार है तो कुछ एक्सक्लूसिव खबरे भी होंगी ही जैसे कई बार ये भी होता है की टिप्पणी देने के बाद उस पर विवाद होता है और टिप्पणी और कभी कभी तो पूरी पोस्ट ही हटा दी जाती है | बेचारे बाद में आये पाठको को पता ही नहीं चलता की क्या कहा गया किसने क्या क्या कहा बेचारे मन मसोस कर रह जाते है की एक मजेदार धमाकेदार जानदार और जितने भी दार वाली पोस्ट और टिप्पणी को पढ़ने से वंचित रह गए | तो ये अखबार ऐसी पोस्टो को संभाल कर रखेगा एक एक टिप्पणी सहित | ब्रेकिंग न्यूज फलाने की हटाई गई विवादित टिप्पणी और पोस्ट पूरी की पूरी एक्सक्लूसिव पोस्ट हमारे पास है | बच्चे, महिलाओ और सभ्य, परिवार वाले शाकाहारियो के लिए रात ११ के पहले फ़िल्टर वर्जन बीप के साथ पढ़े और ज्यादा मनोरंजन चाहने वाले मासाहार पसंद करने वालो के लिए रात ११ के बाद पूरी पोस्ट और टिप्पणी लेकिन अपने रिस्क पर पढ़े |
           फिर कुछ लोगों को ये चिंता रहेगी की यहाँ भी गुटबाजी होगी अपने लोगों को अखबार में ज्यादा जगह दी जाएगी | तो फिर उसके जवाब में कुछ और नए अखबार निकलेंगे प्रतियोगिता बढ़ेगी ज्यादा से ज्यादा ब्लोगों को अपने अखबार में जगह दे कर पाठक अपनी तरफ खीचा जायेगा और हम ब्लोगरो की बल्ले बल्ले हो जाएगी | फिर तो किसी के आगे हाथ पैर नहीं जोड़ने पड़ेंगे की भईया ब्लॉग अग्रीगेटर चालू करो चालू करो | अखबार होगा तो विज्ञापन भी मिलेगा और कमाई भी होगी फिर ना कोई बस ऐवे ही एक दिन सब बंद बूंद कर चल देगा |
                अब रही बात की खबर लाने के लिए रिपोर्टर कहा से आयेंगे सारे ब्लोगों पर नजर रखेगा कौन तो मुझे नहीं लगता है की अखबार निकालने वालो को संवाददाता की कमी होगी अरे भाई हर ब्लोगर खुद रिपोर्टर होगा और अपनी खबरे खुद अख़बार मालिक तक पहुचायेगा जितनी मजेदार, धमाकेदार, झन्नाटेदार  ब्लॉग होगा उसे ज्यादा जगह मिलेगी | कम से कम ब्लॉग जगत से थोड़ी नीरसता चली जाएगी जो कुछ कुछ समय बाद वापस आ जाती है ना कोई ढंग का विवाद ना कोई बहस ना कोई ढंग का झगडा और सबसे बुरी बात काफी समय से कोई ढंग का लफडा भी नहीं सुना | ब्लॉग अखबार इस बोझिलता नीरसता को दूर करेगी |
              बोलिये आप का क्या ख्याल है |

December 27, 2010

क्या आप जानते है FAMILY क्या है ?- - - - - - - -mangopeople



क्या आप जानते है FAMILY क्या है ?
क्या आप सच में समझते है की FAMILY शब्द के पीछे क्या मतलब छुपा है ? 

आप नहीं जानते है तो मै बताती हु की FAMILY शब्द का क्या अर्थ है जब आप जानेगे तो जरुर आप को आश्चर्य होगा | 

FAMILY
(F)ather
(A)nd
(M)other
(I)
(L)ove
(Y)ou

 
WHY does a man want to have a WIFE? Because:
 
(W)ashing
(I)roning
(F)ood
(E)ntertainment


 
WHY does a woman want to have a HUSBAND?
because:
 
(H)ousing
(U)nderstanding
(S)haring
(B)uying
(A)nd
(N)ever
(D)emanding


 
Do you know that a simple "HELLO" can be a sweet one?

 
Especially from your love one. (I mean not only from the boyfriend/girlfrien d).

 
The word HELLO means :

 
(H)ow are you?
(E)verything all right?
(L)ike to hear from you
(L)ove to see you soon!
(O)bviously, I miss you .. 

 
Pls care for your FAMILY....

ई मेल से प्राप्त                                                                                  

December 23, 2010

इसे कहते है बेटी के लिए अच्छा रिश्ता - - - - - - - - - - mangopeople

पंडित जी ने जैसे ही अपनी तशरीफ़  सोफे में घुसाई अशोक जी की पत्नि शुरू हो गई " पंडित जी कोई अच्छा रिश्ता बताइये इस बार जो हमारे हैसियत और रुतबे के बराबर का हो हमारी तरह ही इज्जतदार सम्मानित हो समाज में | "
" ये पहला लड़का है आबकारी विभाग में बड़ा आफिसर है पिछले साल ही आयकर विभाग का छापा पड़ा था पुरे पचास लाख रुपये कैश बीस लाख के गहने और दो मकान बाहर आये थे " पंडित जी ने फोटो आगे बढ़ाते हुए कहा |
 ये सुनते ही अशोक जी के चहरे पर गुस्सा साफ दिख गया " क्या पंडित जी आप भी कैसे कैसे रिश्ते उठा लाते है कुछ हमारी इज्जत का भी ख्याल रखा कीजिये अब क्या हमारे ऐसे दिन आ गए है की हम अपनी बेटी का विवाह ऐसे घरो में करे दुनिया को क्या मुँह दिखायेंगे, लोगो को क्या जवाब देंगे, हम अपनी बेटी को ऐसे घर में नहीं भेज सकते है | हम उससे प्यार करते है उसके दुश्मन थोड़े ही है " अशोक जी एक साँस में सब बोल गये |
 " तो फिर जजमान ये दूसरा रिश्ता देखिये ये आप को जरुर पसंद आयेगा | बिल्कुल आप के हैसियत के बराबर का है , लड़का कस्टम में बड़ा आफिसर है पिछले साल रेड में इसके पास से दो करोड़ नगद अस्सी लाख के गहने पांच करोड़ की जमीन और चार बंगले मिले थे "
 ये सुनते ही अशोक जी की चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई " वाह पंडित जी इसे कहते है बेटी के लिए अच्छा रिश्ता आप फटा फट मेरी बेटी की बात यहाँ चलाइये और ये लीजिये मेरी लिस्ट की जब हमारे यहाँ रेड पड़ी थी तो क्या क्या मिला था आयकर विभाग को, लडके वालो को दे दीजियेगा वो भी समझ जायेंगे की हम भी हैसियत में उनसे कम नहीं उनके बराबर है "

December 19, 2010

देश की मुख्य धारा - - - - - - - - mangopeople

एक महान दार्शनिक समाजसेवी विचारक को निमत्रण दिया गया की आइये और देश के उन लोगों को मुख्यधारा में लाइए जो हासिये पर है देश की मुख्यधारा से नहीं जुड़े है उन्हें जोड़ने के लिए कुछ उपाय बताइये | विचारक समय पर उस जगह पहुच गये जहा उन्हें लोगों से मिलना था | वहा पर जम्मू कश्मीर पूर्वोतर के सात राज्यों के कुछ लोग कुछ आदिवासी कुछ अल्पसंख्यक आदि आ कर बैठे थे विचारक को कुछ बोलने के लिए कहा गया स्टेज पर आते ही विचारक ने सभी से कहा की वो उनसे कुछ सवाल करेगा उसका आप सभी जवाब दे सभी ने कहा की वो सवाल करे सभी जवाब देंगे | विचारक ने सवाल किया
क्या आप के यहाँ बिजली पानी नहीं आती है ,
क्या सड़के टूटी फूटी है या है ही नहीं ,
क्या सरकारी राशन की दुकान पर राशन नहीं मिलता है ,
क्या सरकारी स्कूलों में अध्यापक और सरकारी अस्पतालों में डाक्टर नहीं मिलते है
 क्या आप बिना रिश्वत दिये सरकारी आफिस में काम नहीं करा पाते है ,
 क्या आप के जनप्रतिनिधि चुनावों में बड़े बड़े झूठे वादे करते है पर वोट लेने के वाद दुबारा नजर नहीं आते है ,
 क्या आप के आस पास विकास  नहीं हो रहा है
 क्या आप भ्रष्ट पुलिस प्रसाशन से तंग आ चुके है '
 क्या आप सभी खुद को सुरक्षित महसूस नही करते है
 सभी ने एक सुर में कहा है हमारे साथ ऐसा ही होता है हम सभी इस चीज से परेशान है
 तब विचारक ने कहा की मुबारक हो आप सभी देश की मुख्यधारा से जुड़े हुए है आप सबसे अलग नहीं है |

December 16, 2010

फोन टैपिंग ,लाबिंग और चमेलिया जी - - - - - - -mangopeople

चमेलिया जी फोन पर अपनी सहेली से बात कर रही थी " आज कल ये मुर्गी बड़ा परेशान करने लगी है सुबह पांच बजे ही बांग दे कर उठा देती है और वो बिल्ली तो हफ्ते भर से यही आकर बैठी है रोज दूध का मलाई चट कर जाती है| आज कल कबूतर के लिए नई कबूतरी खोजी जा रहा है मैंने अपनी शोपिंग फिट करना शुरू कर दिया है |"
बेचारा घिसु ये सब सुन कर अपना सर खुजाये जा रहा था उसके पल्ले कुछ भी नहीं पड़ रहा था वो सोचने में लगा था की हमारे तो आस पास कोई मुर्गी रहती है नहीं तो बाग क्या देगी और ये बिल्ली कबूतर कबूतरी कहा से आ गई चमेलिया जी हमें तो कुछ बताती नहीं है और पूरे मोहल्ले को सारी बात पता रहती है | चमेलिया जी ने जैसे ही फोन रखा घिसु ने दे दना दन सवाल ठोक दिये
" चमेलिया जी ये मुर्गी कहा से आ गई और ये बिल्ली कबूतरी कौन है और ये शोपिंग फिट करना का होता है "
"मुर्गी है आप की अम्मा " चमेलिया जी ने बड़े आराम से जवाब दिया |
" अरे भाई ऐसे गुस्सा काहे होती हो सीधा सा सवाल किया था उलटा जवाब काहे दे रही है " घिसु ने कहा |
" अरे मै उलटा जवाब नहीं दे रही हु सच कहा रही हु मुर्गी का मतलब आप की अम्मा बिल्ली आपकी बड़ी बहन और कबूतर आप का छोटा भाई है " चमेलिया जी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया |
" अरे मै तो अब भी नहीं समझा थोडा खुल कर बताओ "
" जानती हु जब तक सब कुछ विस्तार में ना बताऊ तुम्हारे भेजे के रेंज में कुछ भी नहीं आने वाला है इ सब कोड भाषा है सब बात कोड में कर रही थी की तुम्हारी अम्मा रोज हमको सुबह पांच बजे ही उठा देती है और तुम्हारी बहन ससुराल से आ कर  हफ्तेभर से यही पड़ी है और रोज रोज कुछ ना कुछ स्पेशल खाने की मांग करके तुम्हारी ऊपरी कमाई जो नाम मात्र का है उसे भी खा जा रही है |"
ये सुनते ही घिसु सर पकड़ कर बैठ गया " पर आप लोग ऐसी कौन सी जरुरत आन पड़ी कोड भाषा में बात करने की "
" अरे कोड भाषा में बात ना करे तो का करे जो हमारे PM मन्नू जी भी कह रहे है की जब बात देश की सुरक्षा विकास की हो तो किसी का भी फोन टेप हो सकता है सोचो कल को हमारा फोन टेप हो गया और फिर लिक हो गया तो हमारी का इज्जत रह जाएगी ससुराल में "
घिसु बस पलकें झपकते चमेलिया जी को देखा जा रहा था |
" सोचो कल को टेप लिक हो गया और अम्मा जी को पता चल गया की मै उनकी सब से इतनी बुराई करती हु तो कल का पता चला की ये मकान जमीं जायदाद आप के छोटे भाई के नाम कर दिया और और आप की बहन अपने नए बिजनेस में जो आप को साझेदार बनाने वाली थी वो ना बनाये तो | इसलिए अब पूरी सावधानी बरत रही हु सोच समझ कर बात करती हु फोन पर | का पता कब हमारा फोन टेप हो जाये | मेरी मानो तो आप भी कोड में ही बात किया करो देखती हु आज कल बड़े खुल कर अपने दोस्तों से अपने बॉस की बुराई बतियातो हो फोन पर किसी दिन टेप हो कर लिक हो गया ना तो दूसरे दिन नौकरी जाएगी याद रखना " चमेलिया जी ने अपनी सारी समझदारी उलट दी और उनकी ये समझदारी देखा घिसु नतमस्तक हुआ जा रहा था
"वाह चमेलिया जी क्या बात कही है अच्छा हुआ आप ने हमें अभी से सावधान कर दिया नहीं तो हम बड़ी भारी गलती कर रहे थे | का पता कब कौन दुश्मन हमें देश का दुश्मन कह कर सरकार को हमारे बारे में टिप दे दे और हमारे फोन की टेपिंग चालू | इ तो बड़ा खतरनाक ही जी अब तो फोन पर बात करने से ही डर लगने लगा है "
चमेलिया जी हँसने लगी बोली " तुम क्या अब तो मोबाईल फोन के मालिक लोग भी फोन को टाटा कर दिए है | बोलो क्या जमाना आ गया है सभी को फोन बेचने वाला सभी को फोन पर और ज्यादा बात की सलाह देने वाला  खुद अब फोन पर बात करने से तौबा कर लिया है | "
" पर इ बताओ की कबूतर कबूतरी और शोपिंग फिट का का मतलब है " घिसु ने नए सवाल सुरु किये |
" अरे इ में का मुश्किल है कबूतर आप का छोटा भाई है जिसके लिए लड़किया खोजी जा रही है और मै अपने ममेरी बहन के लिए लाबिंग कर रही हु "
" लो जी अब शादियों के लिए भी लौबिंग होने लगी है " घिसु ने अपनी आँखे बड़ी करते हुए पूछा |
" लो जी दुनिया का कौन सा काम है जो बिना लौबिंग के हुआ है | अरे बड़े खेलो का आयोजन पाना हो या यु एन में वोटिंग करना हो सब लाबिंग के बल पर होता है नहीं तो आप को का लगा की अमेरिका आप का ससुर है जो अपने नियम कायदे बदल कर आप के साथ परमाणु समझौता कर रहा है अमेरिका और अंग्रजो के देश  की जगह फुटबाल अब रूस में होगा इ कामनवेल्थ का ऐसे ही मिल गया पता करो इ    खेल हमको देने वालो की वेल्थ कितनी बढ़ी  | अरे दुनिया में कोई शादी भी बिना लौबिंग के नहीं होता है | अब आप की बहन है लगी है अपनी फुफेरी ननद का रिश्ता अपने भाई से जोड़ने में और मै चाहती हु की शादी मेरी ममेरी बहन से हो जाये दोनों लगे है अपनी अपनी लडकियों की खुबिया बताने में और एक दूसरे की लड़कियों की खोट बताने में "
" पर एक बात बताओ की इसमे तुन दोनों को का फर्क पड़ेगा जिससे होना होगा हो जायेगा |"
" ल जी हम दोनों को का फर्क पड़ेगा आप को का लगता है की हम लोगों ने शादी ब्याह करने का केंद्र खोल रखा है जो यु ही शादी करा रहे है | अरे आप के बहन के फुफेरे ससुर रेलवे में बड़े आफिसर है और देवर आई ए एस आफिसर आप को का लगता है आप के जीजा जी को सारा ठेका ऐसे ही मिल जाता है का ,ऊ चाहती है की एक बार उनकी लड़की यहाँ आ जाएगी तो ये ठेके सारे जीवन उन्हें ही मिलते रहेंगे "
"बाप रे ई आसामी तो बहुत बड़ा है आप की लड़की यहाँ तो ना चल पायेगी  चमेलिया जी "
" अरे तो हमारे मामा को का ऐसा वैसा समझा  है का, बड़का नेता है विधायक है जल्द ही मंत्री  भी बन जायेंगे आप के बहन के फुफेरे ससुर और देवर जैसे दस अधिकारी जेब में ले कर घुमते है | ई अधिकारी लोग तो खुदे उंनके  आगे पीछे  दौड़ते है | एक बार उनकी लड़की की शादी आप के भाई से हो जाये तो फिर देखिये कैसे धका धक हमारे भाई को हर चीज का लाइसेंस मिलता है और काफी दिन से मामा के एक बिजनेस में पिता जी साझेदार बनना चाह रहे थे इ बिया होते ही साझेदारी पक्की समझो "
" एक बात पुछू चमेलिया जी आप दोनों तो अपने अपने फायदे के लिए लाबिंग में लगी है पर हमारे भाई के बारे में कुछ सोचियेगा "
" देखिये जी इसमे केवल हमारा ही फायदा थोड़े ही है अरे जिससे सबसे ज्यादा दान दहेज़ रुतबा आप की माता जी को मिलेगा वो उसी के पक्ष में फैसला देंगी  रही बात आप के भाई की तो अब उसके बारे में का सोचे उसके किस्मत में तो चुपचाप शहीद होना लिखा है तो वो होगा ही का फर्क पड़ता है की हम करे या आप की बहन करे |"

December 12, 2010

लड़कियों पर एसिड अटैक क्या कानून काफी है इसे रोकने के लिए ?- - - - - - - - -mangopeople

आज कल महिलाओ पर तेजाब फेंकने की घटनाओं में काफी तेजी आई है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का विचार किया और गृह मंत्रालय ने इसके लिए भारतीय दंड सहिंता में संशोधन लाने का प्रस्ताव रखा है | प्रस्ताव के अनुसार तेजाब फेंकने वाले को दस साल की कैद और दस लाख रूपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है | सरकार के काम की गति को देख कर हम अंदाजा लगा सकते है की आने वाले पांच छ सालों में ये कुछ संशोधनों के साथ तब आनन फानन में पास करा कर लागु कर दिया जायेगा जब इस अपराध का आकडा आसमान छूने लगेगा और यह रोज की बात हो जाएगी और महिला संगठन और कुछ एन जी ओ उस कानून को पास कराने के लिए आन्दोलन करेंगे हो हल्ला मचाएंगे  | तब तक ना जाने और कितनी लड़कियों का जीवन इस घटिया मानसिकता के कारण किये गये इस अपराध के कारण बर्बाद हो चूका होगा |
                                            पर क्या हम किसी लड़की पर तेजाब फेक कर उसको मौत से भी बदतर जीवन देने वालो को मात्र कड़ी सजा देने का कानून बना कर रोक सकते है | जी नहीं ये संभव नहीं है क्योंकि बिना इस कानून के भी आज की तारीख में भी ऐसा करने वालो पे हत्या का प्रयास का मुक़दमा चलता है (पर वास्तव में तो होना ये चाहिए की उस पर क्रूरता से हत्या करने का मुक़दमा चलना चाहिए ) जिसमे काफी कड़ी सजा का प्रावधान है ,लेकिन उसके बाद भी इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लग सकी है और ना ही अपराधियों में ( जो की वास्तव में कोई शातिर अपराधी नहीं बल्कि विकृत मानसिकता वाले आम लोग ही है ) कानून और पुलिस का कोई डर है |
कारण क्या है --- किसी लड़की या महिला पर तेजाब फेंकना पूरी तरह से बदला लेने की भावना से की जाती है | मनोवैज्ञानिक इसे सैडीज्म कहते है |  अभी तक इस तरह की घटनाओं में लड़की से एक तरफ़ा प्यार या लड़की द्वारा विवाह के प्रस्ताव को ठुकराया जाना या पर अपने साथी के चरित्र पर शक होने के कारण किया जाता है | ऐसा करने वाले लड़की को सबक सिखाने,उससे बदला लेने और "मेरी नहीं हुई तो किसी की नहीं होगी" जैसी ओछी मानसिकता के कारण ये करते है | ये विकृत दिमाग के वो लड़के है जो किसी लड़की द्वारा प्रेम प्रस्ताव या विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिये जाने को पचा नहीं पाते है या लड़की के चरित्र पर शक करते है की उसका संबंघ किसी और से भी है और किसी लड़की द्वारा किये इस कृत्य को अपने पुरुषवादी गुरुर का अपमान समझने लगते है | उसी अपमान का बदला लेने के लिए वो पूरी तरह से सोच समझ कर लड़की के चेहरे पर तेजाब फेक कर उसे विकृत बनाने का प्रयास करते है की इसी स्त्रियोचित व्यक्तित्व की निशानी  खूबसूरती के कारण ही इसने हमारे प्रस्ताव को ठुकराया है हम उसे ही बर्बाद कर देंगे | वो उसे जीवित रख कर उसका जीवन नरक बनाने का प्रयास करते है |
कानून काफी नहीं है ----- इस तरह के अपराधों को हम केवल कानून बना कर नहीं रोक सकते है या ये कहे  कि किसी भी सामाजिक समस्या को हम केवल कानून बना कर नहीं रोका सकते है | दहेज़ कानून , कन्या भ्रूण हत्या ,बाल विवाह और घरेलू हिंसा कानून बना कर हम पहले ही देख चुके है की इससे अपराध पर कोई लगाम नहीं कसा जा सका है | उसके बाद एक लड़की का तेजाब फेक कर उसे मौत से भी बदतर जीवन देने वाले के लिए क्या सिर्फ दस साल की कैद काफी है | किसी लड़की के लिए इस तरह की घटना मौत से भी बड़ी है ऐसा करने वालो पर तो हत्या का मुक़दमा चलाना चाहिए और उसे लड़की के जीवित रहने पर कम से कम आजीवन कारावास और उसकी मृत्यु होने पर उसी सीधे फाँसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए | फिर कानून बना भर देने से काम नहीं चलता है ज़रुरी है कि उसे कड़ाई से लागू किया जाये अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ा जाये और जल्द से जल्द उसे सजा भी दिलाई जा सके | जो हमारे देश के कानून व्यवस्था को देख कर मुमकिन नहीं लगता है की होगा | इसी कारण से इस तरह के अपराध दिन पर दिन और बढ़ते जा रहे है |
अपराध की मानसिकता पर चोट की जाये --------- फिर सवाल ये है कि इसे रोका कैसे जाये ? क्योकि कानून बना कर हम अपराधी को सजा तो दिला सकते है पर इसके साथ ही ये भी जरुरी है की इस तरह के अपराध दोहराए ना जाये किसी और लड़की के साद इस तरह का अपराध ना हो इसके लिए भी कुछ किया जाये | तो इसके लिए ज़रुरी है कि अपराध की मानसिकता पर चोट की जाये | अभी तक जो भी केस सामने आये है उन सभी में तेजाब फेंकने का एक मात्र सोच यही था की लड़की का चेहरा ख़राब करके उसके जीवन को बर्बाद कर दिया जाये उसे शारीरिक नुकसान के साथ ही एक बड़ा मानसिक चोट दिया जाये जिससे वो कभी भी बाहर ना आ सके और फिर कभी भी एक सामान्य जीवन ना जी सके दुनिया में कही भी रह कर | बस अपराधियों के इसी मकसद को पूरा नहीं होने देना है | इसके लिए ज़रुरी है की लड़की के पुराने चेहरे को प्लास्टिक सर्जरी द्वारा  फिर से उसे वापस दिया जाये | सरकार जो प्रस्ताव ला रही है उसमे भी दस लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है जो निश्चित रूप से लड़की के लिए होगा ताकि वो फिर से अपना इलाज करा सके | किंतु जब ये रकम ठीक से इलाज के लिए काम पड़े तब या जब   अपराधी इस जुर्माने को भर ही नहीं सकेगा तब | इसके लिए ज़रुरी है की सरकार अपनी तरफ से ये सुनिश्चित  करे कि जिस भी लड़की के साथ इस तरह की घटना होगी यदि अपराधी जुर्माने की या इलाज की रकम नहीं भर पाता है तो उसकी प्लास्टिक सर्जरी सरकार कराएगी और उसे वापस उसका पुराना चेहरा देगी | ये प्लास्टिक सर्जरी सरकारी अस्पतालों की में किया जा रहा मुफ्त कटे होठ का आपरेशन जैसा नहीं होना चाहिए, बल्कि उच्च तकनीक वाला आधुनिक सर्जरी होना चाहिए जिसमे लड़की को उसका चेहरा वापस उसे मिले ना कि सर्जरी के नाम पर बस चेहरे कि विभत्सता मिटाई जाये | ये करना ज़रुरी है क्योंकि अपराधी के तेजाब फेंकने का मकसद को ही पूरा नहीं होने देना है | जिससे इस तरह की कोई भी बात किसी के दिमाग में आती है तो उसे ये याद रहेगा की पकडे जाने पर ना केवल उसे कड़ी सजा मिलेगी बल्कि उसे भारी जुर्माना भी देना होगा और बाद में लड़की वापस से अपना चेहरा भी पा लेगी और उसका मकसद कामयाब नहीं होगा |
फंड कहा से आयेगा --------जी हा ये इलाज काफी महँगा होगा और इसके लिए फंड की समस्या होगी | ऐसे तो सरकारी खर्च पर विदेश जा कर इलाज करने वाले मंत्रियों के देश में फंड की समस्या तो नहीं होनी चाहिए फिर भी इसके लिए सरकार प्राइवेट सेक्टर, निजी एन जी ओ का भी साथ ले सकती है |  पाकिस्तान में इस तरह की एक एन जी ओ है जो महिलाओ के जले चेहरों की अच्छी प्लास्टिक सर्जरी करती है, मुफ्त में, भारत की एक महिला ने भी अपनी सर्जरी वहा जा कर कराई है | या  फिर महिला बाल कल्याण मंत्रालय के बजट से इसके लिए धन की व्यवस्था की जा सकती है | ऐसे तो मुझे लगता है की समाज को भी खुद आगे आकर इन मामलों में पीड़ित का इलाज में मदद करना चाहिए | यदि सरकार कुछ साल भी इस कार्य को पूरा करती है तो काफी सम्भावना है की इस तरह के अपराध में कमी आये और फिर उसे किसी धन की समस्या का सामना ही ना करना पड़े |
                    एसिड अटैक की तरह ही आज कल दिल्ली में ब्लेड मैन ने भी लड़कियों के बीच काफी आतंक मचा रखा है | अपराधी रहा चल रही किसी भी लड़की के चेहरे पर ब्लेड मार कर घायल कर देते है और दो लड़कियों की तो जान पर ही बन आई थी क्योंकि ब्लेड ने उनकी गर्दन पर एक बड़ा ज़ख्म दे दिया था | ये भी लड़कियों के चेहरे बिगाड़ने के मकसद से किया जा रहा है | अब इस तरह के अपराधियों को हम क्या कह सकते है निश्चित रूप से ये फ्रस्टेडेड लोग है जो अपनी खुन्नस मासूम लड़कियों पर निकाल रहे है |
                  कारण क्या है वही पुलिस की लापरवाही और लोगों में कानून का कोई डर नहीं है | हर आदमी जानता है कि ऐसे मामलों को पुलिस पहले दबाती है फिर लिपापोती करती है और जब पानी सर से ऊपर चला जाता है तब मीडिया के हल्ला मचाने पर कार्यवाही करने की खानापूर्ति करती है तब तक अपराधियों के हौसले और भी बुलंद हो चुके होते है |
                       काश की महिलाओ के ऊपर हो रहे इस तरह के एसिड और ब्लेड अटैक  जैसे अपराध की पहली घटना पर ही पुलिस तुरंत ही गंभीर कार्यवाही करे तो कई दूसरी लड़कियाँ इस तरह के अपराध की शिकार होने से बच सकती है |

December 10, 2010

बहस ,विचार विमर्श और शास्त्रार्थ - - - - - - - - mangopeople

  घिसु डिग्री धारी पर कम समझदार सीधा साधा बिल्कुल पति मैटिरियल वाला और चमेलिया जी कम पढ़ी लिखी और ज्यादा होशियार पत्नी खूबी विहीन महिला थी | राम ने मिलाई जोड़ी और दोनों की हो गई शादी | शादी के बाद घिसु ने कहा की हम घूमने के लिए वैष्णो देवी जा रहे है  तैयारी कर लो और बाहर चला गया | समझदार चमेलिया जी ने सोचा की हमें अपने नए नए पति को अभी ही अपनी समझदारी का सबूत दे देना चाहिए ताकि जीवन आराम से कटे नहीं तो हमें बेफकुफ़ समझ सारी जिंदगी चराते रहेंगे | दो घंटे बाद जब घिसु आया तो चमेलिया जी शुरू हो गई |
"सुनते हो जी हम घूमने के लिए वैष्णो देवी नहीं जायेंगे क्या शादी के तुरंत बाद भी कोई तीर्थ यात्रा पर जाता है हम तो कश्मीर चलते है " चमेलिया जी ने शांति से कहा |
"ठीक है हम कश्मीर ही चलते है " घिसु ने कहा
ये सुनते ही चमेलिया जी को ४४० वॉल्ट का झटका लगा गया चेहरे का रंग उड़ गया काटो तो खून नहीं |
बोली " बस इतना ही, तुम मान गये, क्या तुम मेरी बात का विरोध नहीं करोगे "
"क्यों भाई मैं तुम्हारी बात का क्यों विरोध करूँ सही ही कह रही हो ये हमारे तीर्थ यात्रा की उम्र थोड़े ही है | " घिसु ने बड़े आराम से कहा |
" फिर भी तुम कुछ और ही बात का विरोध करो कहो की हम कश्मीर नहीं कही और ही जायेंगे | " चमेलिया जी ने माथे पर सिकन लाते हुए कहा |
" लेकिन क्यों भला कश्मीर तो ठीक ही है जम्मू तक की तो हमारी टिकट है ही आसानी होगी "
" फिर भी पत्नी का कुछ तो विरोध करो कैसे मर्द हो चुपचाप पत्नी की बात मान ली मर्द नहीं कम से कम पति बनो और मेरी बात का विरोध करो और जोरू का ग़ुलाम मत बनो पत्नी की कोई भी बात मानने वाला जोरू का ग़ुलाम हो जाता है | "
अब घिसु को लगा की कुछ तो गड़बड़ है बोला " क्या बात है कुछ सीधा सीधा बताओ "
" मैं क्या बताऊ पूरे दो घंटे की मेरी सारी मेहनत बेकार कर दी, दो घंटे से सोच रही थी की तुम आओगे और मेरी बात का विरोध करोगे और मैं अपनी बात मनवाने के लिए दुनिया जहान के तर्क दूंगी न जाने कहा कहा से तर्क लिंक  रिफरेंसे ढूँढ कर लाई थी कि जैसे जैसे तुम मेरी बात का विरोध करोगे वैसे वैसे नए तर्क नए लिंक नए रिफ़रेंसेस रख रख कर तुम्हारी बातों का जवाब दूंगी | अंत में बहस में मेरी ही जीत होगी | "
घिसु सर खुजाते हुए बोला " तर्क लिंक रिफरेन्स बहस इ का बाला है | इ बहस क्या होता है और ई तर्क लिंक विंक से का होगा |"
" इतना भी नहीं जानते बहस करने से व्यक्ति की समझदारी का पता चलता है |"
" समझदारी का पता बहस से चलता है जो बहस ना करे तो "
" तो उसे समझदार विद्वान नहीं माना जाता है | "
" और तर्क लिंक देने से का होता है |"
" बहस करने वाला जितने अच्छे तर्क देता जाता है और अपनी बात को साबित करने के लिए जितने लिंक देता जाता है वो उतना ही विद्वान समझा जाता है | "
" अच्छा ऐसा करने वाले को लोग विद्वान समझने लगते है | "
" लोगों का तो पता नहीं पर वो खुद को विद्वान ज़रुर समझने लगता है | "
" तो ई बहस किया क्यों जाता है "
" ताकि दूसरे से अपनी बात मनवाई जा सके "
" तो क्या बहस के अंत में बहस करने वाले एक दूसरे की बात मान जाते है "
" अरे कोई दूसरे की बात मानने के लिए बहस थोड़े ही करता है वो तो अपनी बात मनवाने के लिए बहस करता है |"
" तो अंत में कौन किसकी बात मानता है "
" अंत में कोई किसी की बात नहीं मनाता है दोनों अपनी ही बात पर अड़े रहते है |"
" जब दोनों अपनी ही बात पर अड़े रहते है तो बहस करने का फायदा क्या |"
" अरे बहस करने से हम अपनी ही बात को साबित करने के लिए की नए तर्क जान जाते है और अपनी बात पर और अड़ जाते है |"
" वैसे ये बताओ की तर्क लाते कैसे है उन्हें पता कैसे चलता है की दूसरा कब कौन से तर्क रखने वाला है |"
" ये तो अकेले शतरंज खेलने जैसा है दोनों तरफ की चाल खुद ही सोचनी पड़ती है नहीं तो तुमको क्या लगा की बहस करना इतना आसान है |"
" और ई लिंक रिफरेन्स का क्या मतलब है |"
" उन लोगों का नाम पता जो आप की तरह ही सोच कर आप की तरह ही बात करते है | "
" कोई महान लोग |"
" ए लो तुमको किसने कहा की महान लोग होते है | किसी का भी नाम ले लो जो तुम्हारी तरह सोचते है | चाहे पनवारी का नाम लो चाहे बनवारी का चाहे ट्रक के पीछे लिखे इबारत का ही लिंक दे दो बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला | जो तुम्हारी तरह सोचे वो सब महान तुम्हारी तरह विद्वान | पर एक बात बताइए घिसु जी कब से आप बहस करने पर बहस करते जा रहे है पर जिस बात पर बहस करनी है उसपे क्यों नहीं करते है |"
" पर ये बताओ की जब मैंने तुम्हारी बात बिना बहस के मान ली है तो बहस करने की अब क्या जरुरत है |"
" लेकिन जो मैंने इतने तर्क जुटाए है वो तुमको नहीं बताउंगी तो मैं समझदार कैसे कहलाउंगी | अच्छा ठीक है तुम बहस नहीं करना चाहते हो तो हम विचार विमर्श कर लेते है |"
" अब ई विचार विमर्श क्या है |"
" देखो इसमे कोई लफड़ातुमको कश्मीर जाने के फायदे गिनाती जाउंगी और तुम सभी को मानते जाओगे फिर मैं पूरे टूर का कार्यक्रम बनाउंगी और तुम उन सब को सुन कर वाह वाह करोगे और मानते जाओगे | तुम्हारा काम बस मेरी हा में हा मिलाना होगा |"
" इससे क्या फायदा होगा |"
" इससे फायदा ये होगा की तुम मेरी हर बात का समर्थन कर चुके होगे फिर तुम किसी बात से पलट नहीं सकोगे अब ये सारा कार्यक्रम सिर्फ मेरा बनाया हुआ नहीं कहा जायेगा फिर कहा जायेगा की ये हम दोनों ने मिल कर विचार विमर्श करके बनाया है | टूर अच्छा गया तो सारा क्रेडिट मेरा यदि कोई गड़बड़ी हुई तो सब दोष तुम्हारा "तुमने पहले क्यों नहीं बताया तुम किसी काम के नहीं हो सब मैंने किया एक चीज भी तुम ध्यान नहीं दिला सकते थे " मैं ऐसा उस समय कह सकती हुं |"
" अगर मैं तुम्हारी बात ना मनु और किसी बात को काट दू तो |"
" तो क्या ! फिर मैं कहूँगी की तुम हमेशा बहस करते रहते हो विचार विमर्श करने की बौद्धिक क्षमता तुम में नहीं है | वैसे तो ये जूमला महिलाओ के लिए होता है | पर मैं तुम्हारे लिए भी ये चला लुंगी |"
" पर तुम्हें पता है चमेलिया शास्त्रों में लिखा है की हर पत्नी को अपनी पति की बात माननी चाहिए |"
ये सुनते ही चमेलिया जी का चेहरा गुस्से से तमतमा गया गुस्से में बोली " मैं जानती थी तुम हो तो आखिर मर्द, वो भी पति , मर्दपना कहा जायेगा आगये ना अपनी पर |"
बेचारा घिसु हडबडा गया की उसने ये क्या कहा दिया की शांत सी दिख रही सीता साक्षात काली का रूप धर लिया बोला " शांत देवी शांत भक्त आप से क्षमा मागता है मैंने ऐसा क्या कह दिया की आप ने ये रौद्र रूप धारण कर लिया |"   
घिसु को क्षमा मांगता देख चमेलिया जी का गुस्सा शांत हो गया बोली " जब तुम मर्दों की हमारे आगे कुछ नहीं चलती है तुम हमारे सवालों का जवाब नहीं दे पाते हो तो तुम शास्त्रों की बात करके शास्त्रार्थ करने लगते हो |"
" पर मैंने कब शास्त्रार्थ किया आप से, मैं तो सीधा साधा प्राणी कुछ बोल ही नहीं रहा हुं सिर्फ गलती से शास्त्र का नाम भर लिया है |"
" अभी अभी तुमने शास्त्रों की बात की है ना जानते हो की महिलाएँ शास्त्रार्थ नहीं करती है | ये काम सिर्फ विद्वान पुरुषों का है महिलाओ का ये करना वर्जित है |"
" वैसे शास्त्रार्थ का मतलब क्या होता है और ये महिलाओ के लिए वर्जित क्यों है |" घिसु ने डरते डरते धीरे से पूछा |
" शास्त्रार्थ का अर्थ होता है जब दो विद्वान पुरुष अपने अपने मतलब की बात शास्त्रों से उठाते है या शास्त्रों की बातों की व्याख्या अपने मतलब के हिसाब से करते है | जब जरुरत हो तो शास्त्रों की बात मान लो जब उसे मानने से तुम्हारा नुकसान हो तो उसे मानने से ही इंकार कर दो या ये कह दो की ये तो बाद में कुछ मेरे विचारों के दुश्मनों ने जोड़ दिया है ,ये शास्त्रों का अंग है ही नहीं और रही बात महिलाओ की तो उन्हें हमेशा इससे दूर रखा गया एक तो उन्हें विद्वानों कि श्रेणी में नहीं रखा जाता है दूसरे  उन्हें भी विद्वान पुरुष अपने लाभ और मतलब के हिसाब से शास्त्रों की व्याख्या करके बेफकुफ़ बनाते रहे | उन्हें शास्त्र के हिसाब से चलने का प्रवचन देते रहे और खुद उससे दूर रहे |"
" अब ये बताओ की बहस और शास्त्रार्थ में अंतर क्या हुआ |"
" हे प्रभु तुम तो सच में पति मैटेरियल से परिपूर्ण हो तुमको महिलाओ की बेकार की बहस और विद्वान पुरुषों के बीच के शास्त्रार्थ   में कोई अंतर ही नहीं लग रहा है |" चमेलिया जी ने दोनों हाथ जोड़ कर  ऊपर वाले को धन्यवाद दिया " हे प्रभु आप का धन्यवाद जो आप ने हमें घिसु जैसा पति दिया | समझ गई अब ये मुझे जीवन भर नहीं चरायेगा |"

  अपने आस पास लोगों को बेमतलब की बहस करेते हुए देख कर और महिलाओ की काम की ज्ञान वाली बातो को भी बेकार कह कर ख़ारिज करते देख कर ये पोस्ट की उपज हुई थी | खुद मुझे भी कई बार इस तरह की बातो का सामना करना पड़ा है जब मेरी बात को महिला होने के कारण काट दिया गया और वही बात जब किसी पुरुष ने कही तो उसे विद्वान कह दिया गया | ऐसा बहुत सी महिलाओ के साथ हुआ होगा और बहुत से पुरुष भी कुछ लोगों की बेमतलब की बहसों से परेशान हुए होंगे |
   

December 04, 2010

कही अनजाने में आप अपने शब्दों से बलात्कार पीड़ित का दर्द तो नहीं बढ़ा रहे है - - - - - - mangopeople

                                   

                            समय के साथ हम सभी ने समाज की कई गलत पुरानी मान्यताओं और सोच को पीछे छोड़ा है और एक नई सोच को बनाया है  उसे अपनाया है | ये देख कर अब अच्छा लगता है की समाज में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो किसी बलात्कार पीड़ित नारी को दोषी की नजर से नहीं देखते है और उसके प्रति सहानुभूति रखते है , मानते है की इस अपराध में उसका कोई दोष नहीं है और उसे फिर से खड़े हो कर अपना नया जीवन शुरू करना चाहिए | मीडिया से ले कर हम में से कई लोगों ने उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए आवाज़ उठाई और काफी कुछ लिखा है | पर क्या उनके पक्ष में लिखते और बोलते समय हमने कभी इस बात पर ध्यान दिया है की हम अनजाने में वो शब्द लिखते और बोलते जा रहे है जो पीड़ित के मन में और दुख पैदा कर सकता है उसे फिर से खड़ा होने से रोक सकता है और उसके लिए सजा जैसा हो जायेगा |
                          जी हा कई बार जब हम इस विषय पर लिखते है तो कुछ ऐसे शब्द और वाक्य भी लिख देते है जिससे कुछ और  ध्वनिया  और अर्थ भी निकलते है | जैसे बलात्कार पीड़ित के लिए हम " उसकी इज़्ज़त लुट गई", " उसकी इज़्ज़त तार तार कर दी " या "उसे कही मुँह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा " जैसे वाक्य लिख देते है | क्या वास्तव में ऐसा ही है कि जिस नारी के साथ बलात्कार हो वो हमारे आप के इज़्ज़त के काबिल ना रहे क्या हम उसे उसके साथ हुए इस अपराध के बाद कोई सम्मान नहीं देंगे क्या वास्तव में वो समाज के सामने नहीं आ सकती, लोगों से नज़रे नहीं मीला सकती है लोगो को अपना मुँह नहीं दिखा सकती | मैं यहाँ ये मान कर चल रही हुं कि हम में से कोई भी ऐसा नहीं सोचता होगा फिर हम इन शब्दों का प्रयोग क्यों करते रहते है और पीड़ित को और दुखी कर देते है उसमे ग्लानी भर देते है |
               एक बार पीड़ित के तरफ से सोचिये की उस पर उसके लिए लिखे इस शब्दों का क्या असर होगा या ये कहे की उसने तो ये सारे शब्द पहले ही सुन रखे होंगे और उसके साथ हुए इस अपराध के बाद जब वो इस शब्दों को खुद से जोड़ेगी तो उस पर कितना बुरा असर होगा | यही कारण है की कई लड़कियाँ अपने साथ इस तरह के अपराध होने के बाद इस ग्लानी में कि अब उनकी इज़्ज़त लुट गई है उनका कोई सम्मान नहीं करेगा वो कही मुँह दिखाने के काबिल नहीं रही वो परिस्थिति से लड़ने के बजाये आत्महत्या कर लेती है | 
                 ये ठीक है की ये शब्द हमने नहीं बनाये है ये काफी समय पहले से बनाये गए है | रेप के लिए ये शब्दों तब बनाये गए जब समाज की सोच वैसी थी जब समाज इसके लिए कही ना कही स्त्री को ही ज्यादा दोषी मानता था और इस अपराध के बाद उसे अपवित्र घोषित कर दिया जाता था उसे समाज में अलग थलग करके उसे भी सजा दी जाति थी | लेकिन अब हमारी सोच बदल गई है हम मानते है ( कुछ अब भी नहीं मानते ) की इसमे पीड़ित का कोई दोष नहीं है दोष तो अपराध करने वाले का है और सजा उसे मिलनी चाहिए ना की पीड़ित को | जब हमने ये सोच त्याग दिया है तो हमें इन शब्दों को भी त्याग देना चाहिए जो कही ना कही पीड़ित को ही सजा देने वाले लगते है | कुछ शब्दों को हमने पहले ही त्याग दिया है जैसे उन्हें अपवित्र कहना पर अब हमें इस शब्दों को भी त्याग देने चाहिए | ताकि किसी पीड़ित को ये ना लगे की उसने कोई अपराध किया ही य समाज उसे सज दे रह है या वो सम्मान के काबिल नहीं रही | जब ये ग्लानी अपराधबोध नहीं होगा तो उसे अपने दर्द से बाहर आने में और एक नया जीवन शुरू करने में आसानी होगी |
आशा है मेरी बात सभी पाठक सकारात्मक रूप से लेंगे यदि मेरी सोच में कही कोई गलती हो तो मेरा ध्यान अवश्य दिलाइयेगा मैं उसमे अवश्य सुधार करुँगी और यदि इस मामले में आप की भी कोई राय है तो मुझे अवगत कराये |

        

November 30, 2010

देखिये लालू का खास कंप्यूटर - - - - - -mangopeople

                      
    बिल गेट्स से लालू के आग्रह किया की उन्हें ऐसा कंप्यूटर बना के दे जिसमे अंग्रेजी नहीं उनकी भाषा में काम किया जा सके जो उनके समझ में आये | लालू के दोस्त बिल्लू ने उनके लिए खास उनकी भाषा में बना एक कंप्यूटर भेज दिया जरा आप भी उस कंप्यूटर के दर्शन करे |      











सभी फोटो ई मेल से प्राप्त हुई

November 29, 2010

यदि कोई व्यस्क सामग्री सीधे मेरे डैश बोर्ड पर आ जाये तो मै क्या करू , पाठक राय दे - - - - - - - mangopeople

                                 पूरा वाक्या क्या हुआ पढ़िये फिर अपनी राय दीजियेगा | चुकी मुझे घूमा फिर कर बात करना नहीं आता है और हर बात सीधे कहने कि आदत है तो यहाँ भी वही करने वाली हुं |  इसलिए यदि इस पोस्ट में किसी का नाम आ रहा है तो उसे व्यक्तिगत रूप से ना ले | चुकी इस तरह का मेरा पहला अनुभव है और बात को समझाने के लिए उनकी पोस्ट का नाम लिया जा रहा है | यदि इससे उन्हें किसी प्रकार की ठेस लगे तो आरम्भ में ही माफ़ी मांग ले रही हु | आशा है आप मेरे पूरे लेख को पढ़ कर मुझे समझेंगे |
 चुकी मैं ब्लॉग पर ऐसा कुछ नहीं करती की उसे अपने घर वालो से छुपाना पड़े इसलिए मैं उसे ना केवल अपने पति को दिखाती हुं बल्कि अपने भाई बहन और मम्मी को भी देखने के लिए भेजती रहती हुं चाहे मेरी पोस्ट हो या किसी और की या कोई अच्छी टिप्पणी | रविवार को अपने पति को अपनी पोस्ट के अलावा कुछ दूसरी अच्छी पोस्ट और टिप्पणियां दिखाने की आदत है | उसी के लिए कल जब अपना ब्लॉग खोला तो अपने डैश बोर्ड पर आये सभी ब्लॉग के पोस्ट में से एक ब्लॉग पर निहायती ही अश्लील फोटो लगी थी देख कर जितना मुझे आश्चर्य हुआ उतनी ही शर्मिंदगी भी हुई क्यों की मेरे पति मेरे साथ बैठे थे और वो देख रहे थे | उनके कहने से पहले ही मैंने कहा की ये बेफकुफी का काम किसका है देखती हुं अभी सब इसका विरोध करेंगे और इसे हटा लिया जायेगा | देखा ब्लॉग सामूहिक था और उस पर पोस्ट का लिंक था वहा गई वहा कोई कविता थी जिसको पढ़ने के बजाये मैंने सीधे टिप्पणियों की तरफ कर्सर घुमाया इस उम्मीद में की वहा विरोध का ढेर लगा होगा और उसे दिखा कर मैं पति देव के सामने ये बता सकूँ की किसी ने यु ही लगा दिया होगा सबके मना करने के बाद अब निकाल देगा थोड़ी ईज्जत तो बच जाये | लेकिन वहा निराशा ही हाथ लगी बस दो टिप्पणियां मिली फोटो पर आपत्ति दर्ज कराने वाली |   
                                                     वो सब देख कर बहुत अजीब लगा की अब तक जिस ब्लोगिंग को मैं अपने पति के सामने बहुत वैचारिक दिमागी विद्वानों वाली बात कह कर बड़ाई करती थी एक फोटो ने उस पर पानी फेर दिया था | मैं बार बार उनको सफाई देने लगी की नहीं यहाँ ऐसा नहीं होता है | उन्होंने ने कहा जाने दो इतना सफाई क्यों दे रही हो ये तुमने तो नहीं किया है हर जगह हर तरह के लोग होते है | मुझे शर्मिंदा और उलझन में देख कर उन्होंने ये बात तो कह दी पर मेरे मन से वो शर्मिंदगी गई नहीं | लग रहा था की उनके मन में ब्लॉग लेखन के प्रति जो सम्मान जनक स्थान बनाया था वो एक झटके में कही ख़त्म तो नहीं हो गया , थोड़ी खीज आ रही थी |
                               अब ऊपर लिखी बातों को एक तरफ रख दीजिये | मैं हमेशा से मानती रही हुं कि हम ब्लॉग पर कुछ भी लिख सकते है ये अपनी बात कहने का एक स्वतंत्र माध्यम है और आज भी उसी पर कायम हुं तो उस ब्लोगर ने अपने ब्लॉग पर जो किया वो उसे करने के लिए स्वतंत्र है मैं उस पर यहाँ कुछ नहीं कहने वाली हुं | लेकिन एक पाठक के नाते ये हमारे भी अधिकार है कि हम क्या पढ़ना चाहते है उस बारे में हमारे पास भी अधिकार हो | जैसे मैं अपनी बात करूँ तो मैं उन ब्लॉग पर नहीं जाति हुं जहा केवल धर्म का प्रचार या धार्मिक बात हो रही है ऐसे पोस्ट साफ दिख जाते है | मैं उनको ना तो पढ़ती हुं और ना ही उन्हें फालो करती हुं  | दूसरा है व्यस्क सामग्री और लेखन वाले ब्लॉग अभी तक मैंने तीन ब्लॉग इस तरह के देखे है पर पढ़ा नहीं है क्योंकि उस पर पहले ही गूगल द्वारा साफ चेतावनी दी जाति है कि यहाँ पर आप को क्या मिलने वाला है | लेकिन ऐसे ब्लॉग जिस पर इस तरह कि कोई चेतावनी नहीं दी गई है और हम उस के फालोवर बन जाते है यदि उस पर इस तरह की चीजें पोस्ट हो तो हम क्या कर सकते है | क्या ये ठीक नहीं होगा की इस तरह के खुल कर लिखने वालो को अपने ब्लॉग पर इस तरह की चेतावनी दी जाये की उस पर क्या प्रकाशित होने वाला है या उस पर व्यस्क चीजे भी प्रकाशित हो सकती है |
                         
                                              ये ठीक है की सभी अपने ब्लॉग पर कुछ भी लिखने और प्रकाशित करने के लिए आज़ाद है आप देख समझ कर उस ब्लॉग को खोलिए पर यहाँ तो ऐसा कुछ था ही नहीं मैंने तो अपना ब्लॉग ओपन किया था और मेरे ही डैश बोर्ड पर वो आ रहा था तो बोलिये मैं क्या कर सकती हुं | यदि लेखन अश्लील हो तो आप उसे दो लाइन पढ़ कर छोड़ सकते है नजर अंदाज़ कर सकते है पर फोटो तो सीधे आप के सामने हाज़िर हो जाता है आप उसे कैसे नजर अंदाज़ कर सकते है |
                                        
                                                मेरे लिए ये काफी डराने वाला अनुभव था क्योंकि मैं जब अपने मायके जाती हुं तो वहा भी सबके सामने अपना ब्लॉग ओपन करती हुं सबको दिखाती हु यदि कभी ऐसी कोई फोटो मेरे मम्मी पापा या छोटे भाई बहन के सामने आ जाये तो कितनी शर्म आएगी अपने ब्लोगिंग पर या कभी किसी सार्वजनिक इंटरनेट पार्लर में जा कर ये स्थिति सामने आई तो |                 
                        मैं यहाँ ये भाषणबाजी नहीं करुँगी की लोगो को क्या प्रकाशित करना चाहिए क्या नहीं ये उन्हें क्या लिखना चाहिए क्या नहीं | मेरा एक सामान्य सा सवाल है जिस पर आप सभी राय दे की क्या ये ठीक नहीं होगा की जो ब्लॉग स्वामी अपने ब्लॉग पर इस तरह की सामग्री प्रकाशित करना चाहता है उसे इस बात की पहले ही चेतावनी दे देनी चाहिए ताकि कोई फालोवर बनने से पहले समझ जाये की कौन सी सामग्री उसके डैश बोर्ड पर पहुचने वाली है | कम से कम ब्लॉग स्वामी ये तो कर ही सकते है कि ऐसी फोटो अपने ब्लॉग पर इतना पहले ना लगाये की वो सीधे डैश बोर्ड पर दिखने लगे | 
             
                           इसलिए सभी छोटे बड़े नए पुराने ब्लोगरो से निवेदन है की ये मुद्दे पर अपनी राय अवश्य दे भले एक दो लाइन की ही ताकि कम से कम मै अपने ब्लोगिंग को अपने घर में सम्मान दिला सकू |

 निवेदन ___  इस निवेदन को निवेदन के साथ आदेश भी समझे और केवल मेरे उठाये मुद्दे पर ही टिप्पणिया करे , अपनी निजी दोस्ती दुश्मनी दिखाने का मेरे ब्लॉग को लड़ाई का अड्डा ना बनाये | ऐसी टिप्पणिया हटा ली जाएँगी | इसलिए बिना कुछ गलत कहे मुद्दे पर टिप्पणिया दे |


       

November 25, 2010

हमारे लोकतंत्र के लिए यह एक शुभ संकेत है - - - - - - - - -mangopeople

सबसे पहले आप से अपना बिहार से जुड़ा अनुभव बताती हुं | बिहार का जिक्र हो और वहा के पहले के   ( अब का पता नहीं )  बदहाल सड़को को जिक्र ना हो ये नहीं हो सकता | हम अपने परिवार के साथ भुनेश्वर जा रहे थे सड़क के रास्ते से हम पहले भी सड़क के रास्ते काफी घूमते फिरते थे सो हम सब ने हमेशा की तरह पहले सारा प्लान बना लिया, चुकी हमें बिहार की सड़को का अंदाजा था सो तय हुआ था कि वहा पर तो गाड़ी ४० से ऊपर की स्पीड से नहीं चलेगी सो पहले से तय कर ले की रात में किस किस शहर में रुकना है | पर जब हम बिहार में प्रवेश किये तो पता चला की वहा तो आप २० की स्पीड से ऊपर चल ही नहीं सकते थे और इस तरह के रास्ते कई किलोमीटर तक होते थे | हमारा बनाया सारा प्लान बेकार हो गया हम रात तक उन शहरों तक पहुंच ही नहीं सके जहा पर हमने रुकने का सोचा था और हमें हाइवे पर बने एक गंदे से होटल में रात डर डर कर गुजरना पड़ा | ये था सड़को का हाल फिर कानून व्यवस्था का हाल देखिये |  वापसी के समय वही बात हुई रात एक बजे हमें पुलिस ने रोका और पूछ ताछ शुरू की और सीधा कहा की आप इतनी रात को बाहर क्यों है आप को पहले ही किसी शहर में रुक जाना था यहाँ इतनी रात को सड़क पर परिवार के साथ रहना ठीक नहीं है | धनबाद वहा से कुछ दूरी पर था हमने उन्हें बताया की हमारे रिश्तेदार वहा है हम उन्ही के घर रुकने वाले है ( ऐसा था नहीं ) इसलिए किसी और शहर में नहीं रुके | उसने कहा की आप तुरंत यहाँ से जितनी जल्दी हो धनबाद पहुचिये | बोलिये पुलिस को भी ये बाते कहनी पड़ रही थी ,वो लालू राज का समय था |

बिहार चुनावों में नितीश कुमार की जीत कोई अप्रत्याशित नहीं थी सभी को इसका अंदाजा था लेकिन शायद ही किसी को इतने बड़ी जीत का अंदाजा रहा होगा | कहा जा रहा है इसका कारण है उनके द्वारा बिहार में किया गया विकास कार्य और जनता ने उसी को वोट किया है | एक लम्बे समय से भारत में होने वाले हर चुनावों में जाति और धर्म एक बड़ा कारक रहा है | सारी चुनावी रणनीति इसी के आस पास बुनी जाती थी | पर अब ये बदल रहा है कई चुनावों में इसकी एक झलक दिख रही है मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ ,दिल्ली गुजरात ,आंध्रप्रदेश और अब बिहार में जनता ने जाति और धर्म से ऊपर उठ कर विकास के नाम पर वोट दिया है | जिन नेताओं ने काम किया प्रदेश का विकास किया वो लौट कर सत्ता में वापस आये और जो केवल जाति धर्म के आधार पर चुनावों में आये और काम कुछ नहीं किया वो सत्ता से बाहर हो गए जैसे की राजस्थान में |
ये हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए एक अच्छी खबर एक शुभ संकेत है | नहीं तो जाति और धर्म के समीकरण ने देश के विकास को काफी अवरुद्ध कर रख था | जनता को जाति और धर्म के नाम पर डरा डरा कर विकास के मुद्दों से ध्यान हटा दिया जाता था | कभी अगड़ी जातियों का डर दिखा कर कभी बहुसंख्यको का डर दिखा कर वोटों का ध्रुवीय करण किया जाता था और इसी गणित से, बिना काम किये ही लोग चुनाव जीत भी जाते थे |
पर कहते है ना की आप किसी को एक बार बेफकुफ़ बना सकते है  दो बार बना सकते है बार बार भी बना सकते है पर आप किसी को हमेशा बेफकुफ़ नहीं बना सकते है | अभी तक जनता बेफकुफ़ बनती रही पर अब उसे समझ  आ रहा है कि वो इन चक्करों में पड़ कर क्या खो रही थी अपना ही नहीं पूरे देश का नुकसान करा रही थी | पर अब नेताओं को समझ लेना चाहिए की जनता तो उनके सारे जाति धर्म वाले चक्करों से बाहर आ गई है और अब उन्हें प्रदेश और देश के विकास का काम करना ही पड़ेगा यदि वो दुबारा सत्ता में आना चाहते है तो | अब उनके गणित लोगों को समझ आने लगे है और लोग उनका हल भी जान गये है और अपने वोट देने की ताकत को भी पहचान गये है |

ये तो हुई जनता की बात पर क्या हमारे राजनीतिक दल और नेता इस जात पात और धर्म सम्प्रदाय की सोच से बाहर निकल पाए है शायद नहीं , तभी तो क्षेत्र देख कर उम्मीदवार खड़े किये गए  जिस क्षेत्र में जिस जाति के लोग ज्यादा है जिस धर्म के लोग ज्यादा है वहा पर उसी धर्म या जाति के लोगो को उम्मीदवार बनाया गया क्यों ? शायद हमारे नेता अभी इससे बाहर नहीं आ पाए है | चलिए उम्मीद करते है कि जनता ने अब नेताओ का ये भ्रम तोड़ दिया होगा की वो जनता को हमेसा बेफकुफ़ बना सकते है | जनता जरा सयानी होने लगी है और अब अपना हक़ लेना सिख रही है | हमारे लोकतंत्र के लिए यह एक शुभ संकेत है

एक बात नितीश जी के लिए कि पिछले पांच साल काम करके इन चुनावों को जितना बड़ा आसन काम था क्योकि उनके काम की और राज की तुलना लालू के किये कामो ( जो की उन्होंने कभी किया ही नहीं ) और उनके राज करने के तरीके ( जो उनको आता नहीं था ) से होती थी किन्तु अब उनकी तुलना और उनके किये काम की समीक्षा देश के अन्य राज्यों से होगी सो वो अब पहले से ज्यादा कमर कस कर तैयार हो जाये आने वाले पांच साल पिछले पांच साल से ज्यादा मुश्किल होने वाले है |

चलते  चलते  एक और मजेदार बात हुई एक तरफ इस बार महिलाओ को वोटिंग प्रतिशत पुरुषो से ज्यादा था दूसरी तरफ सबसे बड़ी और चर्चित महिला उम्मीदवार राबड़ी देवी दोनों जगहों से चुनाव हार गई | मतलब !!! अब मै क्या कहू आप खुद सोच ले अपनी समझ से |

November 23, 2010

हम सभी भ्रष्ट है ,एक री- पोस्ट - - - - - - -mangopeople

आज कल हम सभी में अचानक से एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर एक नया जोश भर गया है और उसी जोश में हम नेताओं को जी भर के कोस रहे है पर क्या हमारा दामन इतना पाक साफ है की हम केवल उनको भ्रष्ट कह सके |
मेरी एक पुरानी पोस्ट का एक रिठेल क्या करे माहौल आज कल इसी का है |


 अपने देश में (और अपने पड़ोसी देशों में भी )अगर ये सवाल किया जाये की सबसे भ्रष्ट कौन है तो सबकी  उंगलिया नेताओं की तरफ ही उठेगी | हर आम आदमी देश  में व्याप्त भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद की जड़ नेताओं को ही मानता है | हमारे अनुसार इन नेताओं के किये भ्रष्टाचार का नतीजा हमारे और आप जैसे बेचारी, भोली भाली और ईमानदार आम जनता को भुगतना पड़ता है | हम सभी को लगता है कि यदि  नेता भ्रष्टाचार और परिवारवाद छोड़ दे  तो सारी समस्या ही समाप्त हो जाये पर क्या वास्तव में  ऐसा  है क्या वास्तव में हमारी और आप के जैसी  आम जनता भोलीभाली और  ईमानदार  है | चुनावों के  समय हम में से ज्यादातर अपना वोट अपने ही धर्म,जाती और बिरादरी के लोगो  को किस आधार पर देते है क्या  हमारी   सोच ये नहीं होती की धर्म जाती बिरादरी और प्रांत के नाम पर हम सभी कभी भी अपना काम नेताओं से आसानी से  करा सकते है और नेता अपने धर्म जाती के लोगों को फायदा पहुचने का काम करेगा| क्या ये सोच ईमानदार है क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है | जो आम आदमी हर समय नेताओं को कोसता रहता है वो खुद भी अपने निजी फायदे के लिए नेताओं के पास दौड़ा चला जाता है |  कोई टेंडर पास करना हो किसी घर  दुकान आदि का ग़ैरक़ानूनी नक्सा पास करना हो किसी वाजिब पुलिस केस से छूटने से लेकर बच्चों के स्कूलों में दाखिले तक के  लिए   नेताओं  से सिफारिसे  मागी  जाती  है | यहाँ  तक  की  लोग  अपने  पारिवारिक  विवाद और बँटवारे जैसे निजी झगड़ो में भी  नेताओं कि  नज़दीकियों का फायदा उठाते है, और ये सारे काम  किया जाता है  नेताओं  को  पैसा  दे  कर या फिर   उनसे  दूर या पास की जान पहचान  के बल  पर | क्या  इस तरह के निजी लाभ के लिए नेताओं  से काम  करना भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढावा देना नहीं है क्या इसके लिये हम जिम्मेदार नहीं है |  नेताओं को भ्रष्ट और  खुद को ईमानदार बताने वाला हर आम इन्सान किसी विवाद  में फसने  पर और मुसीबत  में पड़ने  पर  यही  सोचता  है की  काश  हमारी   भी  किसी सांसद मंत्री  से  पहचान   होती   तो  हम  अपना  काम  आसानी  से  करा  लेते  या  विवाद  से  जल्दी  छुटकारा पा जाते |  ऐसा  नही   है  कि   हर  बार  लोग  ग़ैरक़ानूनी  काम  के  लिये   ही  नेताओं  के  पास  जाते  है  कई  बार  तो  क़ानूनी  रूप  से  ठीक  काम  के  लिये  भी किसी पोलिटीसियन  के  पास  महज  इस  लिये  चले  जाते  है  ताकि हमको कोई  परेशानी  न  हो  और हमारा काम  जल्द से जल्द हो जाये | जब हमारा काम हो जाये तब तो नेता अच्छा है नहीं तो भ्रष्ट है |
हम सोचते है कि यदि हम नेता होते तो हमेशा ईमानदारी से काम करते और सारा समय देश कि सेवा और आम जनता कि भलाई  में गुजार देते नेता तो आम आदमी होता नहीं इसलिए  वो हमारी परेशानी को नहीं समझता है |  तो सवाल उठता है कि क्या हर नेता खास बन कर ही पैदा होता है | मुँह में चाँदी का चम्मच ले कर पैदा हुआ लोगों को छोड़  दे तो राजनीति  में ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो कभी हम लोग जैसे आम आदमी ही थे और संघर्ष करके सत्ता के ऊँचे पायदान पर पहुचे | तो क्या वो सारे नेता दूसरे खानदानी (अर्थात जिसका  पूरा खानदान ही नेतागिरी करता हो दादा से लेकर पोता तक)  और पैसे वाले नेताओं से अलग है क्या वो भ्रष्टाचारी नहीं है वो भाई भतीजावाद नहीं करते | सभी करते है किसी में कोई फर्क नहीं है क्योंकि हम सभी अंदर से बेईमान है बस हम सभी  को मौका चाहिए  और मौका मिलते  ही सभी सिर्फ अपने निजी फायदे की बात सोचते है चाहे वो नेता हो या हमारे और आप जैसा  आम आदमी | इसलिए आगे से नेताओं सांसदों और मंत्रियोंकी  तरफ उँगली  उठाते समय ये ज़रूर ध्यान रखियेगा की खुद हमारी तीन उंगलिया हमारी ओर इशारा कर रही है | 
 हमारा देश महान सौ में से निन्यानबे बेईमान  

November 18, 2010

अमेरिका और उसकी नीतियाँ हम और हमारी नीतियाँ - - - - - - mangopeople

                     जैसा की उम्मीद थी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थाई सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किये अभी हफ्ता भर भी नहीं हुआ की अमेरिका ने वही बात कहना शुरु कर दिया की सुरक्षा परिषद सुधारों पर जल्द कुछ होने वाला नहीं है | ये पहले से ही तय था की यही होने वाला है ओबामा ने भारत में जो कहा उसका लब्बो लुआब यही था की जब कभी जी हा जब कभी सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या बढाई जाएगी और सदस्यों को चुनने का समय आयेगा तो वो भारत का समर्थन करेगा अब उसने साफ कर दिया की पहले ऐसा कुछ होने तो दीजिये मतलब सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या बढ़ने तो दीजिये  तब ना आप का समर्थन करेंगे  यानी यह की ना नौ मन तेल होगा ना राधा गौने जईयना सुरक्षा परिषद के सुधारों को लागू ही नहीं होने देंगे तो समर्थन की नौबत ही नहीं आएगी |
अब इस बात पर बहुतों को गुस्सा आयेगा कि देखा एक बार फिर अमेरिका ने हमें बेफकुफ़ बनाया हमसे हजारों नौकरियाँ अपने देश के लिए ले गया और बदले में हमें दिया कोरा आश्वासन वो भी बाद में झूठा निकला |  वो केवल अपने बारे में ही सोचता है आतंकवाद के नाम पर वो अपनी निजी लड़ाई लड़ रहा है इसी आतंकवाद के नाम पर दो देशों को बर्बाद कर दिया है  दुनिया पर दादा गिरी करता है | उसकी नीति हमेशा से दोहरी रही है अपने लिए कुछ और और दूसरों के लिए कुछ और आदि आदि आदि | पर मुझे नहीं  लगता है कि उसकी नीतियाँ दोहरी है मेरे समझ से उसकी नीतियाँ सिर्फ उसके देश के हित में है | क्या दुनिया का कोई भी देश अपनी नीतियाँ दुनिया के हित को ध्यान में रख कर बनाता है यदि नहीं तो फिर अमेरिका से ये उम्मीद क्यों की जाये की वो दुनिया के हित सुख शांति को ध्यान में रख कर अपनी नीतियाँ बनाये | उसकी नीतियाँ अपने देश के विकास उन्नति और फायदे के लिए होंगी | अब ये तो हमारे देश के नीति निर्माताओ की गलती है कि हम अपने देश के हितानुसार अपनी नीतियाँ क्यों नहीं बना पाते है अब इस गलती के लिए हम अमेरिका को तो नहीं कह सकते है कि भायो हमारे नेता तो हमारे देश के लिए कुछ नहीं कर रहे है तू ही हमारे लिए कुछ कर |
                 
                    अब सवाल ये है की फिर वो दादा गिरी क्यों करता है दुनिया के हर मामलों में अपनी टाँग क्यों अडाता है हर जगह अपनी क्यों चलता है यदि वो ऐसा करता है तो उसे सभी कमजोर देशों के लिए कुछ करना चाहिए सिर्फ अपने फायदे वाले देशों के लिए ही कुछ क्यों करता है | तो निश्चित रूप से कोई भी देश अपने आप को सैनिक तकनीकी और कूटनीतिक रूप से ज्यादा शक्तिशाली इसीलिए बनाता है ताकि दुनिया के दूसरे देश उस पर बुरी नजर डालने की हिम्मत ना कर सके और इसकी चाहत तो सभी देश रखते है और अपने सामर्थ्य के हिसाब से खुद को शक्तिशाली बना रहे है | भारत को ही लीजिये हम ढाई बार पाकिस्तान से युद्ध लड़ चुके है क्या कहा ढाई का मतलब नहीं समझ आया पहला 65 दूसरा 71 और फिर करगिल | उम्मीद है करगिल  को भूले नहीं होंगे हमारे सैंकड़ो जवान शहीद हुए थे वो युद्ध था उसे घुसपैठ या झड़प की संज्ञा देने की भूल ना करे | पर अब सैनिक रूप से हम इतने सामर्थवान हो चुके है कि अब पाकिस्तान हम पर सीधे हमला करने की सोच भी नहीं सकता है पर हम अभी भी इस मामले में चीन से काफी पीछे है और निरंतर उसके बराबर बनने का प्रयास कर रहे है | रही बात दादा गिरी की तो जी ये इल्जाम तो दक्षिण एशिया में हम पर भी लगता है की हम सार्क देशों के ऊपर दादा गिरी करते है ७१ में हम पर भी आरोप लगा था कि हम दूसरे के आतंरिक मामलों में अपनी टाँग ( सैनिक ) अड़ा रहे है और अपने फायदे के लिए पाकिस्तान के दो टुकड़े करा दिया | वो अलग बात है की हम उसका उतना फायदा नहीं उठा पाते है और ना ही उस वर्चस्व को निरंतर बरकरार रख पाते है जितना की इसका फायदा अमेरिका उठा लेता है | हमने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद होने में सहायता की वहा के लोगो को पाकिस्तान के सैन्य जुल्मो से बचाया लेकिन आज स्थिति क्या है उसी बांग्लादेश में फिर से पाकिस्तान की घुसपैठ बढ़ गई है और हमारे ही खिलाफ वहा भी आतंकवादी गतिविधियाँ शुरू हो गई है | यही हाल धीरे धीरे हमारे एक और पड़ोसी नेपाल का भी होता जा रहा है | एक समय था जब हम दो सगे भाइयों की तरह थे वहा पर लोकतंत्र की स्थापना में हमारा भी योगदान था पर आज वहा क्या हो रहा है | इस बात से फर्क नहीं पड़ता की वो अब एक हिन्दू राष्ट्र ना हो कर धर्मनिरपेक्ष देश बना गया है लेकिन जिस तरह से वहा चीन का वर्चस्व बढ़ा रहा है वो हमारे लिए ठीक नहीं है | वहा के बाजार पर तो धीरे धीरे चीन ने कब्ज़ा जमा ही लिया था अब तो वहा चीनी हथियारों की भी पहुँच हो गई है और राजनीति में उनके दखल की ख़बरे अब आम हो गई है | क्या ये सही है की हमारे दो इतने क़रीबी पड़ोसी देशों में जो कभी हमारे काफी क़रीबी और मित्र हुआ करते थे वहा अब हमारे दो दुश्मन अपना वर्चस्व बढाते जा रहे है और हम चुप चाप उसे देख रहे है | आखिर क्यों हमने अपने उन पड़ोसी देशों को अपने हाथ से निकाल जाने दिया जिनसे हमारी सीमाएँ इतनी ज्यादा मिली हुई है और हमारे लिए उनसे दुश्मनी एक बड़ा खतरा बन सकती है | यही काम अमेरिका कितनी खूबी से करता है वो ना केवल किसी देश पर अपनी धौस जमतासिखना चाहिए ना की इसके लिए उसे उलाहना देना चाहिए | पर हमारे नेता  तो अपने देश के अन्दर ही  अपना वर्चस्व स्थापना में इतने व्यस्त रहते है की घर के बाहर क्या हो रहा है इसकी सोचने की उनको फ़ुरसत ही नहीं है |
  ओबामा ने इस बार कहा की भारत को हम बराबरी का दर्जा दे रहे है | हमारा बड़ा बाजार उनको ये कहने के लिए मजबूर कर रहा था ये हमारे हाथ में था कि हम इस का फायदा अपने देश के लिए कितना उठाते पर हम ऐसा नहीं कर सके तो ये गलती हमारे देश के नेताओं और उन अधिकारियों की है जो इस बराबरी के दर्जे का फायदा नहीं उठा सके इस दौरे के दौरान हुए सौदों में बराबरी का मुनाफ़ा नहीं कमा सके | इसके लिए हम अमेरिका को दोष नहीं दे सकते है | ये सौदे एक दिन में नहीं हुए होंगे इस पर महीनों पहले ही काम शुरू हो गया होगा ओबामा ने तो उन पर हस्ताक्षर की औपचारिकता भर निभाई होगी फिर क्यों नहीं हमारे नेता और अधिकारी अपने लिए कुछ फायदे का सौदा इस दौरे से निकाल पाये |  ये बात किसी से नहीं छुपी है की अमेरिका एक अच्छा व्यापारी भी है और वो अपने फायदे के लिए आप से हर तरह की सौदेबाजी कर सकता था क्यों हमने  केवल ओबामा के इस पूरे दौरे में अपने लिए केवल राजनीतिक और कूटनीतिक फायदे तक ही सीमित रखा क्यों नहीं हमने भी इससे कुछ आर्थिक फायदा उठाया | राजनीतिक और कूटनीतिक बयानबाज़ी का क्या हर्श होता है वो हमें एक हफ्ते बाद ही पता चल गया | वो शब्दों के जाल  ज्यादा होते है और उसमे काफी कंडीशन अप्लाई वाला फंडा होता है जो तुरंत नहीं समझ आता है | अच्छा होता की हम सब इस गलती के लिए अमेरिका को कोसने के बजाये अपने नीति निर्माताओ से सवाल करते |
 
       अब रही आतंकवाद की नीति तो मुझे ये दोहराने की अब जरुरत नहीं है की अमेरिका आतंकवाद के नाम पर अपनी निजी लड़ाई लड़ रहा है और उससे हम अपनी लड़ाई में किसी सहयोग की उम्मीद नहीं कर सकते है वो भी उस देश के खिलाफ तो कतई नहीं जो पैसे ले कर उसकी तरफ से लड़ रहा है उसका हर तरह से साथ दे रहा है | हमारे देश में फैला आतंकवाद हमारी समस्या है और इससे हमें खुद ही लड़ना है हम इसमे किसी और से मदद की अपील नहीं कर सकते है | बार बार ये सवाल भी उठाए जाते है की अमेरिका को पता है की पाकिस्तान ही भारत में आतंकवाद की जड़ है वही लश्कर हिज्ब्बुल जैसे आतंकवादी गुटों को पैदा करने और बनाने वाला है फिर उसके खिलाफ कुछ करता क्यों नहीं | हा ये सही है की अमेरिका को इन सब बातो की जानकारी है पर वो पाकिस्तान के खिलाफ जा कर क्यों काम करे जबकि उसे पता है की ये सारे संगठन से उसे कोई खतरा नहीं है उसका असली दुश्मन तो तालिबान है | क्या हम अपने सैनिक या किसी तरह की सैन्य मदद अमेरिका को तालिबान से लड़ने में करेंगे नहीं ना क्योंकि तालिबान आज हमारे लिए उतना बड़ा खतरा नहीं है जितना की कुछ अन्य गुट | हम एक काम कर सकते है वह है अफग़ानिस्तान में निर्माण और इस जैसे कुछ असैन्य काम में सहयोग वो हम कर रहे है पर उसमे भी हमारा स्वार्थ है हम नहीं चाहते ही एक बार फिर वहा पर पाकिस्तान की दख़लअंदाज़ी बढ़े जो हमारे लिए ठीक नहीं है  साथ ही हमारे रिश्ते अफगान सरकार से बेहतर हो | तो जब हम अमेरिका की उसकी लड़ाई में सांकेतिक मदद के अलावा कुछ नहीं कर सकते है तो हमारी लड़ाई में वो प्रत्यक्ष रूप से हमारी कैसे मदद कर सकता है |
               ऐसा नहीं है की अमेरिका के सारे नेता बड़े देश भक्त टाईप के है और देश के हित के अलावा कुछ सोचते ही नहीं है| दुनिया के हर देश के नेता भ्रष्टता से अछूते नहीं है | पूरा इराक युद्ध तेल का खेल था और इस खेल में बुश और उनके परिवार को से जुड़े तेल कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ था | लेकिन उनके नेताओं और हमारे नेताओं में फर्क ये है की उनके नेता अपना हित + देश हित या देश हित + अपना हित की बात करते है पर हमारे यहाँ तो नेता हमारा हित +हमारा हित या फिर  हमारा हित + हमारे परिवार परिचित का हित  से आगे कभी बढ़ ही नहीं पाते है देश तो इसमे कही आता ही नहीं तो इसके लिए हम किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते है | अच्छा हो हम अमेरिका को हर बात में कोसने के बजाये सवाल अपने नेताओं पर उठाये और यदि हमें दुनिया में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनना है तो सच में अमेरिका से थोड़ी कूटनीतिक थोड़ी व्यापार बुद्धि सीख लेनी चाहिए |
इस लेख को लिखने का ये अर्थ कतई नहीं है की अमेरिका जो कुछ भी कर रहा है वो उसके देश हित में है तो वो सही है या उसके सारे काम सही है | ये तो बस कुछ मुद्दों पर सोची गई एक सामान्य सी अलग सी सोच भर है और उनके और हमारे नीति निर्माताओ को फर्क दरसाना भर है | मैं इस मामले की कोई बड़ी जानकार नहीं हुं इसलिए लेख में सुधार की काफी सम्भावना है आप के विचार मेरे लेख और मुझे नई दिशा दे सकते है | इसलिए अमेरिका हाय हाय के अलावा कुछ विचार भी रखियेगा |

चलते चलते

एक बार एक भारतीय सांसद अमेरिका के सांसद (सीनेटर ) से मिलने अमेरिका गया वहा उसका शानदार फ़्लैट देख कर आश्चर्य में पड़ गया और पूछ बैठा की आप लोगो को इतना वेतन और सुख सुविधा मिलती है की आप ने इतना शानदार फ़्लैट बना लिया | अमेरिकी सांसद मुस्कराया और उसे अपनी खिड़की के पास ले गया और बोला की सामने वो सड़क देख रहे हो भारतीय  ने कहा हा देख रहा हुं अमेरिकी ने कहा उसके ऊपर बना ओवर ब्रिज देख रहे हो भारतीय ने कहा हा फिर अमेरिकी ने कहा १० % भारतीय वाह वाह करने लगा और उन्हें भारत आने का निमंत्रण दे कर भारत आ गया वही अमेरिकी सांसद भारत आ कर उसी सांसद के घर गया उनका शानदार बँगला देख कर तो वो घोर आश्चर्य में पड़ गया बोला क्या आप को इतना वेतन मिलता है की इतना शानदार बँगला बना लिया भारतीय सांसद मुस्कराया और उन्हें घर के पिछवाड़े की खिड़की के पास ले गया और बाहर दिखा कर कहा की वो बाहर सड़क और उस पर बना ओवर ब्रिज देख रहे हो  अमेरिका ने कहा की कहा है सड़क और ओवर ब्रिज तो भारतीय ने कहा १००% |

November 15, 2010

"शायद ज़िन्दगी बदल रही है" ये कौन रचनाकार है - - - - - - - - mangopeople



ये कविता मुझे मेरी भांजी ने कोलकाता से मेल किया मुझे बहुत अच्छी लगी सोचा आप लोगों से शेयर कर लू और मुझे ये भी पता चल जाये की ये कविता किसकी है | चुकी साहित्य से मेरा जुड़ाव नहीं है तो संभव है की ये किसी बड़े साहित्यकार की हो और मुझे पता ही ना हो  या हमारे किसी साथी ब्लॉगर की अगर आप को पता हो तो मुझे बताये |

  

प्रिय सखा:
                      
  शायद ज़िंदगी बदल रही है!!

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया 
बहुत बड़ी हुआ करती थी.. 
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल"
तक का वो रास्ता,  
क्या क्या नहीं था   
वहां,  
चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले,  
सब कुछ,

अब वहां "मोबाइल शॉप", "वीडियो पार्लर" हैं,
फिर भी सब सुना है..

शायद अब दुनिया सिमट रही है...
/
/
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जब मैं छोटा था,
शायद शामे बहुत लंबी हुआ करती थी.
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे,  
घंटो उडा करता था, वो लंबी "साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूर हो जाना,

अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है  
और सीधे रात हो जाती है.

शायद वक्त सिमट रहा है..

/
/


जब मैं छोटा था, शायद 
दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,

दिन भर वो हुजुम बनाकर खेलना,
वो दोस्तों के घर का खाना, वो लड़कियों की
बातें, वो साथ रोना,
 
अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है,
जब भी "ट्रैफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाई" करते हैं,  
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,

होली, दीवाली, जन्मदिन , नए साल 
 पर बस SMS जाते हैं
 
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..

/
/


जब मैं छोटा था,  
तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,

छुपन छुपाई, लंगडी टाँग, पोषम पा, कटते थे केक
 टिप्पी टीपी टाप.

अब इंटरनेट, ऑफ़िस, फिल्मस, से 
 फ़ुरसत ही नहीं मिलती..

शायद ज़िंदगी बदल रही है.
.
.
.


जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. 
 जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर
लिखा होता है.

"
मंज़िल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते "
.
.
.
जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.

कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने मैं ही हैं.

अब बच गए इस पल मैं..

तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी  
में हम सिर्फ भाग रहे हैं..

इस जिंदगी को जियो 
  की काटो



वाह वाह वाह बहुत ही अच्छी कविता पर सवाल एक है ये कौन रचनाकार है ?

कहते है की खोजने से तो भगवान भी मिल जाता है ये तो एक रचना ही थी प्रकाशित करने के एक घंटे बाद ही प्रकाश गोविन्द जी ने बता दिया की ये रचना पलक जी के ब्लॉग "ख्वाहिश " पर सात अगस्त को प्रकाशित हुई थी | प्रकाश गोविन्द जी आप का धन्यवाद |  मैंने पलक जी को इसकी जानकारी दे दी ये सोच कर कि ये उनकी रचना है लेकिन ये क्या पलक जी का कहना है की उन्हें भी ये कविता मेल से ही मिली थी ये उनकी भी नहीं है और उन्हें भी रचनाकार का पता नहीं है | यानी ये पहेली अभी भी नहीं सुलझी है की इस रचना का रचनाकार कौन है ?