November 29, 2010

यदि कोई व्यस्क सामग्री सीधे मेरे डैश बोर्ड पर आ जाये तो मै क्या करू , पाठक राय दे - - - - - - - mangopeople

                                 पूरा वाक्या क्या हुआ पढ़िये फिर अपनी राय दीजियेगा | चुकी मुझे घूमा फिर कर बात करना नहीं आता है और हर बात सीधे कहने कि आदत है तो यहाँ भी वही करने वाली हुं |  इसलिए यदि इस पोस्ट में किसी का नाम आ रहा है तो उसे व्यक्तिगत रूप से ना ले | चुकी इस तरह का मेरा पहला अनुभव है और बात को समझाने के लिए उनकी पोस्ट का नाम लिया जा रहा है | यदि इससे उन्हें किसी प्रकार की ठेस लगे तो आरम्भ में ही माफ़ी मांग ले रही हु | आशा है आप मेरे पूरे लेख को पढ़ कर मुझे समझेंगे |
 चुकी मैं ब्लॉग पर ऐसा कुछ नहीं करती की उसे अपने घर वालो से छुपाना पड़े इसलिए मैं उसे ना केवल अपने पति को दिखाती हुं बल्कि अपने भाई बहन और मम्मी को भी देखने के लिए भेजती रहती हुं चाहे मेरी पोस्ट हो या किसी और की या कोई अच्छी टिप्पणी | रविवार को अपने पति को अपनी पोस्ट के अलावा कुछ दूसरी अच्छी पोस्ट और टिप्पणियां दिखाने की आदत है | उसी के लिए कल जब अपना ब्लॉग खोला तो अपने डैश बोर्ड पर आये सभी ब्लॉग के पोस्ट में से एक ब्लॉग पर निहायती ही अश्लील फोटो लगी थी देख कर जितना मुझे आश्चर्य हुआ उतनी ही शर्मिंदगी भी हुई क्यों की मेरे पति मेरे साथ बैठे थे और वो देख रहे थे | उनके कहने से पहले ही मैंने कहा की ये बेफकुफी का काम किसका है देखती हुं अभी सब इसका विरोध करेंगे और इसे हटा लिया जायेगा | देखा ब्लॉग सामूहिक था और उस पर पोस्ट का लिंक था वहा गई वहा कोई कविता थी जिसको पढ़ने के बजाये मैंने सीधे टिप्पणियों की तरफ कर्सर घुमाया इस उम्मीद में की वहा विरोध का ढेर लगा होगा और उसे दिखा कर मैं पति देव के सामने ये बता सकूँ की किसी ने यु ही लगा दिया होगा सबके मना करने के बाद अब निकाल देगा थोड़ी ईज्जत तो बच जाये | लेकिन वहा निराशा ही हाथ लगी बस दो टिप्पणियां मिली फोटो पर आपत्ति दर्ज कराने वाली |   
                                                     वो सब देख कर बहुत अजीब लगा की अब तक जिस ब्लोगिंग को मैं अपने पति के सामने बहुत वैचारिक दिमागी विद्वानों वाली बात कह कर बड़ाई करती थी एक फोटो ने उस पर पानी फेर दिया था | मैं बार बार उनको सफाई देने लगी की नहीं यहाँ ऐसा नहीं होता है | उन्होंने ने कहा जाने दो इतना सफाई क्यों दे रही हो ये तुमने तो नहीं किया है हर जगह हर तरह के लोग होते है | मुझे शर्मिंदा और उलझन में देख कर उन्होंने ये बात तो कह दी पर मेरे मन से वो शर्मिंदगी गई नहीं | लग रहा था की उनके मन में ब्लॉग लेखन के प्रति जो सम्मान जनक स्थान बनाया था वो एक झटके में कही ख़त्म तो नहीं हो गया , थोड़ी खीज आ रही थी |
                               अब ऊपर लिखी बातों को एक तरफ रख दीजिये | मैं हमेशा से मानती रही हुं कि हम ब्लॉग पर कुछ भी लिख सकते है ये अपनी बात कहने का एक स्वतंत्र माध्यम है और आज भी उसी पर कायम हुं तो उस ब्लोगर ने अपने ब्लॉग पर जो किया वो उसे करने के लिए स्वतंत्र है मैं उस पर यहाँ कुछ नहीं कहने वाली हुं | लेकिन एक पाठक के नाते ये हमारे भी अधिकार है कि हम क्या पढ़ना चाहते है उस बारे में हमारे पास भी अधिकार हो | जैसे मैं अपनी बात करूँ तो मैं उन ब्लॉग पर नहीं जाति हुं जहा केवल धर्म का प्रचार या धार्मिक बात हो रही है ऐसे पोस्ट साफ दिख जाते है | मैं उनको ना तो पढ़ती हुं और ना ही उन्हें फालो करती हुं  | दूसरा है व्यस्क सामग्री और लेखन वाले ब्लॉग अभी तक मैंने तीन ब्लॉग इस तरह के देखे है पर पढ़ा नहीं है क्योंकि उस पर पहले ही गूगल द्वारा साफ चेतावनी दी जाति है कि यहाँ पर आप को क्या मिलने वाला है | लेकिन ऐसे ब्लॉग जिस पर इस तरह कि कोई चेतावनी नहीं दी गई है और हम उस के फालोवर बन जाते है यदि उस पर इस तरह की चीजें पोस्ट हो तो हम क्या कर सकते है | क्या ये ठीक नहीं होगा की इस तरह के खुल कर लिखने वालो को अपने ब्लॉग पर इस तरह की चेतावनी दी जाये की उस पर क्या प्रकाशित होने वाला है या उस पर व्यस्क चीजे भी प्रकाशित हो सकती है |
                         
                                              ये ठीक है की सभी अपने ब्लॉग पर कुछ भी लिखने और प्रकाशित करने के लिए आज़ाद है आप देख समझ कर उस ब्लॉग को खोलिए पर यहाँ तो ऐसा कुछ था ही नहीं मैंने तो अपना ब्लॉग ओपन किया था और मेरे ही डैश बोर्ड पर वो आ रहा था तो बोलिये मैं क्या कर सकती हुं | यदि लेखन अश्लील हो तो आप उसे दो लाइन पढ़ कर छोड़ सकते है नजर अंदाज़ कर सकते है पर फोटो तो सीधे आप के सामने हाज़िर हो जाता है आप उसे कैसे नजर अंदाज़ कर सकते है |
                                        
                                                मेरे लिए ये काफी डराने वाला अनुभव था क्योंकि मैं जब अपने मायके जाती हुं तो वहा भी सबके सामने अपना ब्लॉग ओपन करती हुं सबको दिखाती हु यदि कभी ऐसी कोई फोटो मेरे मम्मी पापा या छोटे भाई बहन के सामने आ जाये तो कितनी शर्म आएगी अपने ब्लोगिंग पर या कभी किसी सार्वजनिक इंटरनेट पार्लर में जा कर ये स्थिति सामने आई तो |                 
                        मैं यहाँ ये भाषणबाजी नहीं करुँगी की लोगो को क्या प्रकाशित करना चाहिए क्या नहीं ये उन्हें क्या लिखना चाहिए क्या नहीं | मेरा एक सामान्य सा सवाल है जिस पर आप सभी राय दे की क्या ये ठीक नहीं होगा की जो ब्लॉग स्वामी अपने ब्लॉग पर इस तरह की सामग्री प्रकाशित करना चाहता है उसे इस बात की पहले ही चेतावनी दे देनी चाहिए ताकि कोई फालोवर बनने से पहले समझ जाये की कौन सी सामग्री उसके डैश बोर्ड पर पहुचने वाली है | कम से कम ब्लॉग स्वामी ये तो कर ही सकते है कि ऐसी फोटो अपने ब्लॉग पर इतना पहले ना लगाये की वो सीधे डैश बोर्ड पर दिखने लगे | 
             
                           इसलिए सभी छोटे बड़े नए पुराने ब्लोगरो से निवेदन है की ये मुद्दे पर अपनी राय अवश्य दे भले एक दो लाइन की ही ताकि कम से कम मै अपने ब्लोगिंग को अपने घर में सम्मान दिला सकू |

 निवेदन ___  इस निवेदन को निवेदन के साथ आदेश भी समझे और केवल मेरे उठाये मुद्दे पर ही टिप्पणिया करे , अपनी निजी दोस्ती दुश्मनी दिखाने का मेरे ब्लॉग को लड़ाई का अड्डा ना बनाये | ऐसी टिप्पणिया हटा ली जाएँगी | इसलिए बिना कुछ गलत कहे मुद्दे पर टिप्पणिया दे |


       

44 comments:

  1. अंशुमाला जी, आपकी व्‍यथा समझ सकती हूँ। कल मेरी भी उस पोस्‍ट पर निगाह गयी थी और चित्र पर भी। शायद आप जिसकी चर्चा कर रही हैं मैं उसी का सोच रही हूँ। इसके पूर्व भी कई सारी सीमाओं को लांघकर चित्र दिए गए हैं। लेकिन कल नामी गिरामी व्‍यक्ति की पोस्‍ट पर ऐसे चित्र लगाना दुखकारी है।

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  2. अंशुमाला जी
    मैं समझ सकता हूं
    बल्कि समझ लिया है
    उसी के अनुसार
    आपका आदेश मान
    लिया है।
    सादर/सस्‍नेह

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  3. इस तरह की ब्लागिंग शर्मनाक है
    यदि किसी इस व्यस्क ब्लाग बनाना है तो वह पहले अपने ब्लाग पर लिख दे
    ताकि आने वाले समय मे फालोवर को कोई शर्मींदगी ना उठानी पडे

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  4. विषय विशेष पर कहा जाए तो उन साहब ने फोटो हटा ली है. आपके पतिदेव भी सुलझे हुए व्यक्ति लगते है, और उनकी तरफ से तो मुद्दा ख़तम ही लगता है; बाकी आप पर है की आप इस विषय पर कितना विचार विमर्श करना चाहती है ...'मैं क्या करूँ' पे हमारी राय यह है की मैं वहीँ करूँ जो मुझे ठीक लगे, लोगों से राय लेने से तो हमें कभी कोई ख़ास लाभ नहीं हुआ, आपको होता हो तो बेशक लें, हमारी तरफ से शुभकामनाए ....

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  5. aapki bat se 100% sahmat hoon. kam se kam hindi blogers ko isse bachna hi chahiye. ashlilta pachim walon ki aur aur pacschim walon ke liye hain. unhi ko mubarak ho.

    kam se kam hame to apni sanskriti nahi bhulni chahiye.

    (naam mera bhi anshu hi hai lekin sahmati ki sirf yahi ek vajah nahi hai.(ha ha ha ha))

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  6. अंशुमाला मैने २००७ से अब तक ना जाने कितनी जगह ये आपत्ति दर्ज की हैं और आज तक उसका खामियाजा भुगत रही हैं । अश्लील चित्रों के लिये लोग कहते हैं कि मोरल पालिक का काम मत करिये । कल वहां मेरा कैम्त्न आहें पर आपत्ति नहीं हैं चित्र को ले कर । आगे से कहीं भी नहीं करूगीं ये फैसला भी कर चुकी हूँ । अच्छा लगा तुमने कि । ज्यादा लम्बा कमेन्ट दूंगी तो विष फेलाने का आरोप लगेगा

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  7. @ अजित जी

    इस तरह के अश्लील फोटो किसी के भी ब्लॉग पर हो वो गलत है | लोग क्यों भूल जाते है की ये हिंदी ब्लोगिंग है किसी की निजी डायरी या पार्टी नहीं इसको सभी लोग देख रहे है जिनमे महिलाओ के साथ जवान और बच्चे भी हो सकते है | अभी एक ब्लॉगर ने बताया की उन्होंने अपने ६ साल केबच्चे से ब्लोगिंग शुरू कराई है सोचिये यदि ये फोटो उस तक पहुचे तो | ये निहायत ही शर्मनाक है |

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  8. @ अविनाश जी

    आपने फोटो हटा ली है मैं आप का नाम हटा रही हुं | उसके देने का बस एक ही मकसद था की लोग खुद निर्णय कर ले की फोटो वास्तव में ख़राब थी या मैं ही बात को बढ़ा चढ़ा कर बता रही थी |

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  9. @ दीपक सैनी जी

    बिल्कुल मैंने यही कहा है धन्यवाद |


    @ मजाल जी

    आप फिर बात को व्यक्ति विशेष के साथ जोड़ कर देख रहे है | पढ़िये अजित जी ने क्या लिखा है ये एक ब्लॉग की बात नहीं है यहाँ सभी ब्लॉग के लिए बात की जा रही है आज इन्होंने किया ही कल कोई और करेगा कितनी बार मना किया जाये क्या इस मुद्दे को उठा कर सभी ब्लोगरो को सावधान ना किया जाये की आप के अपने निजी ब्लॉग पर किया गया कोई भी गलत कम दूसरों को खासकर आप के फलोवर के शर्मिंदगी का कारण भी बन सकता है |

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  10. @ बेनामी ( अंशु ) जी

    धन्यवाद |


    @ रचना जी

    कोर्ट ने अभी एक आदेश दिया है की यदि कोई अपने घर में निजी रूप से या निजी पार्टी में कोई पोर्न देख रहा है तो वो कोई अपराध नहीं है | पर ब्लॉग तब निजी नहीं है जब उसके ३०० से ज्यादा फालोवर हो और आप का प्रकाशित सभी चीज सभी के ब्लॉग तक पहुँचता है | अत: सभी खुद से अनुशासित रहे तो ही ठीक है कम से कम इस तरह की अश्लील चित्रों को लेकर | बाकी अड़ियल लोगों का हम क्या कर सकते है सिवा विरोध दर्ज कराने के |

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  11. meri samajh ye kahti hai ki hame purn ajadi apne desh me mili hui hai, lekin fir bhi hamare haath hilane ki ajadi wahi tak hai, jahan se dusre ka chehra shuru hota hai..........attah, hame itna to khyal khud rakhna chahiye...........!
    ab kuchh baaten soch ki hoti hai,
    kuchh vikrit mansikta wale log , kuchh bhi kar dete hain............

    ham sabne dekha hoga, Train ki toilet me log kya kya bana dete hain......jabki jisne banaya hoga, wo khud agle station pe utar gaya hoga........par usko kya kahenge.........aisa hi kuchh soch hai to hai..........isliye sabse achchha hai, chup chap patli gali se nikal lena behtar hota hai.........:)

    mujhe to lahta hai virodh darj karne se bhi kuchh nahi hoga........

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  12. पूर्ण सौम्यता से आपने विरोध दर्शाया। मैं इस लेख को सबसे जागरुक लेख कहूंगा। आप जैसे सम्वेदनशील लोग है तब तक ब्लोग-जगत का जिम्मेदार बनना सम्भव है। बस यही तो हमारे संस्कार है।

    अविनाश जी का तो तहेदिल से आभार मानता हूं जिन्होने बडा सरल अभिगम अपनाया।

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  15. मैं यहाँ पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं करूँगा क्योकि मुझे ब्लॉग में लिखी फोटो कहीं नहीं देखी है. जब कोई अपनी आँखों से देख न लूँ. तब तक अच्छी या बुरी टिप्पणी करना उचित नहीं है. जैसे किसी किताब को पढ़े बगैर उसके बारे में कहना कि-किताब अच्छी है या बुरी. अपने जीवन को बचाने की भागदौड़ में काफी दिनों से लोगों के ब्लॉग नहीं पढ़ सका था.

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  16. .
    .
    .
    अंशुमाला जी,

    मैंने भी वह गोवा की छिपकलियों वाली पोस्ट पढ़ी थी... पर सच कहूँ तो मुझे उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा... पर यह भी सच है कि मुझे किसी भी ब्लॉग पर ऐसी सामग्री आपत्तिजनक नहीं लगती... आजकल 'टाइम्स ऑफ इन्डिया' अखबार में भी रोजाना कुछ वैसी ही तस्वीरें छपती हैं... और हाँ यह भी पूरी ईमानदारी से कह रहा हूँ कि मैं ऐसा बहुत कुछ कर चुका हूँ और करता रहता हूँ जिसे मैं चाहता हूँ कि मेरे घर वाले और परिचित न जानें तो उनकी और मेरी दोनों की सेहत के लिये अच्छा है...

    इतनी लम्बी सफाई मैं इसलिये दे रहा हूँ कि आपको पता चल जाये कि मैंने विरोध क्यों नहीं किया... :)

    अब जब लेखक तक आपकी बात पहुंच चुकी है और वह तस्वीर हटाई जा चुकी है... तो क्या यह मामला खत्म माना जाये मी लॉर्ड !


    ...

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  17. यह चित्र और पोस्ट तो नहीं देख पाई...पर हाँ यह मानती हूँ की किसी भी ब्लॉग पर ऐसी सामग्री होनी अनुचित है....

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  18. जब ब्लॉग फ़ॉलो कर रखा है तो इससे बचने का कोई उपाय नहीं है। पोस्ट, तस्वीर वगैरह देखी ही नहीं है, कमेंट्स से अंदाजा जरूर लगा।हम तो आजकल बहुत कम समय दे रहे हैं इधर, और इसका कोई गम नहीं।
    खैर, अंशुमाला जी आप खुशकिस्मत हैं कि आपको ऐसे समझदार पति और परिवार वाले मिले हैं। इस सारे प्रकरण में इस उजले पक्ष को हमारी तरफ़ से बधाई।

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  19. ek saral saumya aur samuchit virodj jo aapne darj karwaaya wo sammaniya to tha hi saath me sarhaaniya bhi...
    shubhkaamnaaye swikaar kare...

    kunwar ji,

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  20. अंशुमाला जी,आप खुद कुछ गलत न लिखें तो आप अपनी तरफ से ब्लोगिंग का सम्मान कर ही रही है ।और यदि दूसरे कुछ गलत करें तो यथासम्भव आपत्ति भी जतानी चाहिये परंतु यह समस्या पूरी तरह तो तभी खत्म हो सकती है जब सभी खुद ही अपनी जिम्मेदारी समझे । रही बात घरवालों के सामने शर्मिंदा होने की तो इतनी बात तो वे भी समझते होंगे कि ये आपने नहीं किया है ।कई बार टी.वी. देखते हुए भी ऐसी ही स्थिति बन जाती है लेकिन वहाँ भी हम क्या कर सकते है ।ब्लॉगिंग को सम्मान दिलाना एक सामूहिक जिम्मेदारी है ।

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  21. यह चित्र और पोस्ट तो नहीं देख पाई...पर हाँ यह मानती हूँ की किसी भी ब्लॉग पर ऐसी सामग्री होनी अनुचित है

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  22. अंशुमाला जी

    गलती हुई
    मान ली

    वैसे इस प्रकार की जागृति समाज में आनी आवश्‍यक है। हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में तो निहायत जरूरी है ही ... खैर ...
    आपके विरोध का मैं सम्‍मान करता हूं और इस लड़ाई में सबके साथ हूं, चाहे अपना ही विरोध क्‍यों न करना पड़े ?

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  23. अविनाश जी ने गलती की और मान ली यही इंसानियत है.......आज कल तो ऐसे बेशर्म लोग ज्यादा हैं जो अपनी गलती को सही साबित करने में लगे रहतें हैं.........बेतुका दलील देने से भी नहीं चूकतें हैं........मेरे ख्याल से हमसब को एकदूसरे की भावना की हार्दिक कद्र करनी चाहिए....

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  24. अविनाश जी ने अपनी गलती स्वीकार कर बड़प्पन का परिचय दिया है पर शायद अनुशुमाला जी कि परेशानी का सबब अश्लील सामग्री का उनके डेश बोर्ड पर आना है ना कि किसी पोस्ट में इनका होना. तो मुद्दा ये है कि वो इसे कैसे रोक सकती हैं. शायद कोई तकनीकी विशेषज्ञ ही इस समस्या का निदान दे पायेगा. हो सकता है कि कोई एक ऐसा तरीका हो जिसमे हमारे डेश बोर्ड पर हमारे द्वारा अनुसरित ब्लोग्स कि नए पोस्ट का सिर्फ शीर्षक ही प्रसारित हो. अगर ऐसी कुछ व्यवस्था हो पाये तो इस समस्या से निबटा जा सकता है.

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  25. अविनाश जी वो तस्वीर तो मैं भी नहीं देख पाया.....

    आपकी कलात्मक अभिरुचियों को जानने का एक अवसर खो गया.......







    दुहाई हो सरकार.......मजाक था......मजाक था......मजाक था.......

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  26. @ मुकेश जी

    बिल्कुल सही कहा यदि लोग आज़ादी का सही मतलब समझाने लगे और उसका सही प्रयोग करे तो फिर कोई समस्या ही नहीं हो |


    @ सुज्ञ जी

    धन्यवाद | विरोध यदि गुस्से में करती तो लोगों को सिर्फ गुस्सा दिखता मुद्दा नहीं और जल्द हो उसे ख़ारिज कर दिया जाता |


    @ मासूम जी

    अच्छा होता की आप किसी पर टिप्पणी देने के बजाये मुद्दे पर टिप्पणी देते |

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  27. @ रमेश जी

    फोटो को देखने की नहीं मुद्दे को समझने की जरुरत है |


    @ प्रवीण जी

    आप को क्या वहा तो दो लोगो को छोड़ कर किसी को भी कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा सभी की अपनी सोच होती है और यही फर्क होता है महिला और पुरुष के सोच का | लोगो को कम से कम इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पाठक वर्ग में सभी लोग है और अब तो बच्चे भी खुद ब्लोगिंग शुरू कर रहे है | मालूम है की ये सब आज हर जगह फैला हुआ है हम इसे रोक नहीं सकते है पर क्या हमें हिंदी ब्लोगिंग को कम से कम इस चीज से तो साफ रखने की ज़िम्मेदारी हमें नही उठानी चाहिए |

    वैसे आप को क्या किसी को भी सफाई देने की जरुरत नहीं है मैंने पहले ही कहा सभी अपने ब्लॉग पर कुछ भी करने के लिए आज़ाद है सभी की अपनी पसंद है | जो ऐसा करना चाहता भी है तो ऐसे करे की दूसरों को इससे शर्मिंदगी का सामना ना कारण पड़े |


    @ मोनिका जी

    धन्यवाद |

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  28. @ संजय जी

    उपाय तो एक ही है कि किसी को फालो ही ना करू कोई समस्या ही नहीं | पर सवाल ये है कि किसी को भी ऐसा करने की जरुरत ही क्या है आज मैं हुं कल किसी और को इस स्थिति से दो चार होना पड़ सकता है |


    @ कुंवरजी

    धन्यवाद |


    @ राजन जी

    धन्यवाद | टीवी, फिल्मे, अखबार व्यवसाय है उन्हें बेचने के लिए ये करना ज़रुरी है क्या हिंदी ब्लोगिंग को भी हम उसी स्तर का मानने लगे या बना दे | उन चीजों पर तो हमारा बस नहीं है पर यहाँ तो है ना तो इसे साफ सुथरा क्यों ना रखे |

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  29. @ शिखा जी

    धन्यवाद |


    @ अविनाश जी

    मैंने पहले ही कहा है की बात सिर्फ आप के ब्लॉग की नहीं है मैं सभी की बात कर रही हुं | अजित जी और रचना जी के बात से साफ है की ऐसा और जगहों पर भी हो चुका है या हो रहा है खुद मैंने भी एक ब्लॉग पर देख था लेकिन तुरंत ही वहा पर सभी ने उसका विरोध किया और उन्हें कुछ घंटो बाद ही हटाना पड़ गया | मुद्दा ये है की सभी इसका विरोध करे सभी के ध्यान में ये बात आये और आगे कभी भी इस तरह का काम या तो हो ही नहीं या कुछ बातों का ख्याल रख जाये |



    @ honesty project democracy जी

    धन्यवाद | जी हा यदि हम सभी एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करे तो कोई परेशानी होगी ही नहीं |



    @ दीप जी

    धन्यवाद | सबसे अच्छा उपाय ये नहीं है की कोई अपने ब्लॉग पर भी ये प्रकाशित ना करे | ब्लॉग पर इस तरह की सामग्री की जरुरत ही क्या है इसके लिए तो दूसरे माध्यम है ही उनका ही उपयोग किया जाये ब्लॉग को सिर्फ लिखने पढ़ने तक ही सीमित रखा जाये |

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  30. ये बहुत अच्छा हुआ कि आपने सार्वजनिक रूप से अपना विरोध प्रकट कर दिया....इससे शायद कुछ लोगों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो पाए.

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  31. अंशु जी, इसे संयोग ही कहना चाहिए कि जिस तस्‍वीर की बात हो रही है उसे मैं नहीं देख पाया। बहरहाल अविनाश जी ने उसे खुद हटा लिया,इसका अर्थ है वास्‍तव में वह ऐसी थी जिसे इस तरह ब्‍लाग पर और लोकप्रिय ब्‍लाग पर तो कम से कम नहीं लगाया जाना चाहिए था। अविनाश जी मेरे भी मित्र हैं। वरिष्‍ठ ब्‍लागर हैं ऐसी असावधानी की उम्‍मीद नहीं की जाती है।
    पर मुझे आश्‍चर्य हो रहा है कि न तो आपने और न ही किसी और ब्‍लागर ने उनकी उस पोस्‍ट पर आपत्ति की है जिसके साथ उन्‍होंने वह तस्‍वीर लगाई थी। मेरी दृष्टि में तो छिपकली वाली वह कविता भी उतनी ही अश्‍लील है अभ्रद है। जिस प्रकरण का जिक्र उसमें किया गया है वह महिलाओं के सम्‍मान से जुड़ा है। अविनाश जी इस कविता को व्‍यंग्‍य कविता कहकर इससे बच नहीं सकते हैं। (मैं यह‍ टिप्‍पणी उनके ही ब्‍लाग पर करना चाहता था। पर वहां कमेंट बाक्‍स नहीं खुल रहा है। फिर मैंने देखा कि उन्‍होंने वहां आपकी पोस्‍ट का लिंक दिया है। इसलिए मैं अपनी बात यहां कह रहा हूं। अविनाश जी से मेरा अनुरोध है कि इस कविता को भी हटा लें तो बेहतर होगा। उनके नाम के साथ ऐसी कविता शोभा नहीं देती। )

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  32. @ वत्स जी

    धन्यवाद | उम्मीद तो यही है की लोग अपनी जिम्मेदारी समझेंगे |


    @ राजेश जी

    जैसा की आप ने कहा की वहा किसी ने विरोध दर्ज नहीं कराया जबकि कविता भी ठीक नहीं थी ( मैंने कविता नहीं पढ़ी और कठिन भाषा में लिखी कविता मुझे समझ भी नहीं आती है ) पर काफी लोगों ने उसकी तारीफ की मतलब की आपत्ति सिर्फ मुझे थी तो मै अपनी निजी आपत्ति वहा कैसे दूसरो पर थोपती वो भी उनके ब्लॉग पर | आप जानते है एक बार किसी के ब्लॉग पर आपति नहीं सिर्फ उनके विचार से उलट विचार देने भर से मुझे कितना सुनना पड़ा था और वहा से टिप्पणी भी हटा दी गई थी | लोगों को आलोचनात्मक टिप्पणिया भी नहीं भाती तो विरोध तो दूर की बात है वो भी उस चीज का जिसकी कई बड़े बड़े नामी ब्लोगर तारीफ कर रहे हो | जहा तक बात महिलाओ के सम्मान की है तो ब्लॉग जगत में मेरा अनुभव इस मामले में काफी ख़राब रहा है अपने लिए भी दूसरो के लिए भी और पूरे महिला जगत के लिए भी |

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  33. शुक्रिया अंशु जी। आप सही कह रही हैं। यहां सही और गलत की बात तो बाद में आती है। लोगों को असहमति ही नहीं पचती है। लेकिन इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में यह हमेशा ही होगा।
    *
    महिलाओं के सम्‍मान का जो मसला है अंतत: वह हमारी सामाजिक सोच से ही जुड़ा हुआ है। असल में हम इस मुगालते में रहते हैं कि जो पढ़ा-लिखा है वह इन बातों को समझता है। लेकिन पढ़े-लिखों की भी यहां दो श्रेणियां हैं। बहरहाल यह बहस तो जारी रखनी ही होगी।
    *
    आपको एक तार्किक असहमति की आवाज बुलंद करने के लिए बधाई।

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  34. अंशुमालाजी, अभी एक अन्‍य पोस्‍ट पर भी ऐसी ही आपत्तिजनक फोटो लगी थी, मेरी निगाह गयी और मैंने तत्‍काल टिप्‍पणी की। दुर्भाग्‍य से वो पोस्‍ट किसी महिला की ही थी। उन्‍हें अपनी भूल समझ आयी और उन्‍होंने तत्‍काल हटा ली। आपकी पोस्‍ट लिखने से यह प्रभाव हुआ।

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  35. पहले ही पढ़ ली थी पोस्ट मगर कमेन्ट नहीं कर पायी थी ...
    तस्वीर देखि थी और आश्चर्य भी हुआ था क्यूंकि उस ब्लॉग पर इससे पहले ऐसी पोस्ट कभी नहीं देखी थी ...आपने गंभीरता से अपनी बात रखी ...और इसके सकारत्मक परिणाम देखकर अच्छा लगा ...

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  36. @ राजेश जी

    आप ने सही कहा पढ़े लिखे क्या अनपढ़ गवार की भी दो श्रेणिया होती है |


    @ अजित जी

    बहुत बहुत धन्यवाद |


    @ त जी

    आप की टिप्पणी हटाने के लिए माफ़ी पर मैंने पहले ही कहा था की टिप्पणी सिर्फ मेरे मुद्दे पर ही दे | यदि आप को किसी से कुछ कहना ही तो उनके ब्लॉग पर जा कर कह सकते है |


    @ वाणी जी

    धन्यवाद | टिप्पणी करे या ना करे आपने पोस्ट पढ़ ली आप ने और उसका सकरात्मक परिणाम भी देख लिया निश्चित रूप से उसके बाद आप भी आगे से वही करेंगी जो अजित जी ने किया | कोई पोस्ट लिखने की सार्थकता तब ज्यादा हो जाएगी |

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  37. अंशुमाला जी, जहाँ तक बात अश्लीलता के खिलाफ आपके प्रयास की है, तो मेरा तहे दिल से उसको समर्थन है. खैर मुझे तो उस पोस्ट में कोई ऐसी तस्वीर नज़र नहीं आई थी. हो सकता है मेरे ब्लॉग पर जाने से पहले ही हटा ली हो, इसलिए सही या गलत होने पर कुछ भी कहना मेरे विचार से गलत है. हाँ पोस्ट लेखक को दाद देना चाहूँगा कि संज्ञान में आते ही उन्होंने बिना कोई ना-नुकुर किए हटा दिया तस्वीर को.

    अगर बात कविता के अश्लील होने की है, तो मुझे उसमें कोई भी ऐसी बात नज़र नहीं आई. हो सकता है मेरी कमअक्ली के कारण ऐसा हो!

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  38. अंशुमाला जी, मेरी टिप्पणी मैं कभी कोई भी बात ऐसी नहीं होती जिसके कारण टिप्पणी निकालनी पड़े. शायद यह पहला मौक़ा है जब किसी ने टिप्पणी निकली है.

    जहाँ तक सवाल है अश्लील तस्वीर की तो ऐसी तस्वीर किसी को नहीं लगानी चाइये. अगर कविता अश्लील है तो क्यों उसे समझे जाए. क्योंकि आप इंसान को इतनी समझ नहीं..आशा है इस बार टिप्पणी नहीं निकलेगी.
    आज का दौर मैं आप TV भी देखें तो सपरिवार देखना मुश्किल हुआ करता है..लेकिन लोग देखते भी हैं और इसके खिलाफ बोलते भी हैं. यह हल तो नहीं...

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  39. @ शाह नवाज जी

    मैंने कविता पर कोई सवाल नहीं उठाया है आपत्ति सिर्फ फोटो पर थी | कविता के मामले में मै भी कम अक्ल वाली ही हु |


    @ मासूम जी

    मैंने लेख में पहले ही लिखा दिया था कि किसी व्यक्ति विशेष पर टिप्पणी नहीं कीजियेगा सिर्फ मुद्दे पर टिप्पणी कीजियेगा पर आप ने किसी के बारे में लिखा था और मुद्दे पर अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कहा | अगर मै उसे नहीं हटाती तो जिन पर आप ने टिप्पणी कि थी वो उसकी सफाई देने लगते और फिर आप दोनों का एक दूसरे से सफाई का सिलसिला शुरू हो जाता और मुद्दा कही पीछे छुट जाता | जो मै नहीं चाहती थी इस कारण उसे हटा दिया था | कविता पर मैंने सवाल नहीं उठाया है ये पहले ही कह चुकी हु |
    टीवी, फिल्मे, अखबार व्यवसाय है उन्हें बेचने के लिए ये करना ज़रुरी है क्या हिंदी ब्लोगिंग को भी हम उसी स्तर का मानने लगे या बना दे | उन चीजों पर तो हमारा बस नहीं है पर यहाँ तो है ना तो इसे साफ सुथरा क्यों ना रखे | इसके लिए तो दूसरे माध्यम है ही उनका ही उपयोग किया जाये ब्लॉग को सिर्फ लिखने पढ़ने तक ही सीमित रखा जाये |

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  40. इंटरनेट पर इस तरह के खतरे सदैव बने रहते हैं. ब्लॉग की ही बात नहीं है. किसी भी लिंक पर क्लिक करें तो यह खतरा बना रहता है कि उसके साथ सही गलत पृष्ठ खुल रहे हैं या नहीं.
    एक हल ये हो सकता है कि अपने ब्राउजर की सेटिंग में बाई डिफ़ॉल्ट चित्र लोड करने का विकल्प बंद कर रखें. इससे सिर्फ पाठ सामग्री ही लोड होगी. चित्रों को आप अलग से आवश्यकतानुसार लोड कर खोल सकते हैं. आपका ब्राउजर भी तेज चलेगा. इसके लिए ऑपेरा ब्राउज़र बहुत मुफ़ीद है. उसमें ब्राउजर के दाएँ नीचे कोने में चित्रों को लोड करने / नहीं करने का टॉगल बटन दिया होता है जो ऑन-द-फ़्लाई काम करता है.

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  41. आप सबको इनसे भी मिलना चाहिए। कुछ कह रही हैं वे छिपी हुई कलियां जिन्‍हें कहा जाता है छिपकलियां
    छिपी हुई कलियों यानी छिपकलियों का कहना है कि बिन बोले अब मुझे, नहीं कहना है

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  42. आप तो खुद ही समझदार हैं, यह सलाहें तो इस पोस्ट के बहाने नवागंतुक ज़िम्मेदार ब्लॉगरों के लिये: अव्वल तो ब्लॉग्स को फॉलो करते समय ही सावधानी बरतिये। दूसरे अपने फॉलोअर्स की सूची पर नियमित नज़र रखिये। फिर भी अगर कोई चूक होती है तो वह ब्लॉग/फोलोअर को पूरी बेदर्दी (यहाँ ज़िम्मेदारी पढिये) से अपनी सूची से सदा के लिये बाहर कर दीजिये। और हाँ, कोई कितना भी हल्ला मचाये, एक ज़िम्मेदार ब्लॉगर के लिये टिप्पणी मॉडरेशन का कोई विकल्प नहीं है।

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  43. अंशुमाला जी,

    आज आपने ये लिंक दिया तो पता चला कि ऐसा भी कुछ हुआ था ।

    बहरहाल, जान बूझकर गंदी मानसिकता से लिखे गये पोस्टों से असुविधा तो जरूर होती है और ऐसे में लेखन-स्वतंत्रता मुद्दे पर सवाल उठना भी लाजिमी है।

    लेकिन मेरे विचार से ऐसे लोगों का उद्देश्य वक्ती तौर पर मजमा जुटाना होता है जोकि लंबे समय के लिये कारगर नहीं साबित होता....लोग समझने लगते हैं कि बंदा फालतू की बकवास कर रहा है। समय बीतने के साथ हो सकता है ऐसे लोग खुद ही सुधर जांय। क्योंकि फालतू का लेखन करने में भी समय लगता है, उर्जा लगती है....अब ऐसे लोग कहां और किस हद तक अपना समय और उर्जा नष्ट करेंगे सो उन्हीं लोगों पर निर्भर है।

    बाकी तो अनुराग जी की टिप्पणी से पूरी तरह सहमति है।

    लिंक देने के लिये शुक्रिया।

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  44. अच्छा मुददा बहुत सलीके से उठाया है आपने.
    आपकी पोस्ट और उस पर हुईं टिप्पणियाँ से अच्छा
    मार्गदर्शन मिला.


    @मैं उन ब्लॉग पर नहीं जाति हुं जहा केवल धर्म का प्रचार या धार्मिक बात हो रही है ऐसे पोस्ट साफ दिख जाते है |

    मेरे ब्लॉग को किस् श्रेणी में रखेंगीं आप.
    वैसे जब भी आप आतीं हैं तो आपके विचार जानकर खुशी होती है.

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