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मेरा देश महान सौ में से निन्यानबे बईमान
August 29, 2020
यहाँ निष्पक्ष कोई नहीं ------mangopeople
August 28, 2020
विद्यार्थियों का हित किसमे -------mangopeople
August 26, 2020
मास्क अब जीवन का हिस्सा हैं -------mangopeople
दुनियां और देश के बाकि हिस्सों का हाल मार्च में जो भी था लेकिन मुंबई में मास्क की कमी कभी नहीं रही | मार्च में यहाँ फुटपाथों पर 30 ,50 , १०० रुपये तक के मास्क के ढेर लगे थे , अब भी लगे हैं | वो अलग बात हैं कि वो थ्री लेयर नहीं थे और जरुरत के मुताबिक भी , लेकिन मास्क थे | इसलिए कोई कम से कम तब और अब मास्क ना मिलने का बहाना मार कर मास्क पहनने से इंकार नहीं कर सकता हैं | |
पुरुष तो एक मात्र कृष्ण हैं बाकी तो सब गोपियाँ ---------mangopeople
वो तुम थे कृष्ण जिसने बताया कि माँ होने के लिए किसी बच्चे का लालन पालन कहीं बड़ा होता हैं उसको जन्म देने से | तुमने बताया कि स्त्री मात्र जन्म देने से माँ का दर्जा नहीं पाती , वो सभी स्त्रियां जो किसी भी बच्चे को अपना संतान मान लेती हैं वो माँ हो जाती हैं | वो तुम ही तो थे जिसने ब्रज की हर गोपी से दुलार पा उस भ्रम को भी तोड़ा कि हर माँ अपनी संतान से ज्यादा किसी और बच्चे को प्रेम नहीं करती |
वो तुम थे कृष्ण जिसने राधा से प्रेम कर बताया किसी स्त्री पुरुष के बीच का प्रेम अपवित्र नहीं होता और विवाह के बिना प्रेम अधूरा भी नहीं होता | प्रेम तो अपने आप में सम्पूर्ण हैं , उसका जीवन में होना ही हमें पूर्ण कर देता हैं |
वो तुम थे कृष्ण जिसने द्रौपती से अपनी मित्रता निभा बताया बताया कि एक स्त्री पुरुष कहीं अच्छे मित्र हो सकते हैं | जीवन में जब अपने ही हमें हार जाते हैं तो सखा ही संकट में याद आतें हैं | तुम जैसे सखा से अच्छा, जीवन का मार्ग दर्शक कौन हो सकता हैं |
वो तुम थे कृष्ण जिसने विवाह के लिए बहन शुभद्रा की इच्छा को सर्वोपरि रखा परिवार के इच्छाओं के आगे और समाज की मर्यादाओं को तोड़ने में उसका साथ दिया | तुमने बताया द्रौपती , शुभद्रा , रूपमणि को कि स्वयंबर का अर्थ पिता भाई की पसंद में से किस एक वर को चुनना नहीं होता | स्वयंवर का अर्थ हैं स्वयं की इच्छा से एक वर चुनना |
वो तुम थे कृष्ण जिसने उन हजारों स्त्रियों को एक बार में अपना लिया जिन्हे समाज ने सिर्फ इसलिए त्याग दिया था क्योकि किसी दुष्ट पुरुष ने अपनी इच्छाओं के लिए उनका हरण कर लिया था | तुमने ही तो समाज की उन रूढ़ियों को तोडा जिसमे पुरुषों के किये अपराधों की सजा निर्दोष स्त्रियों को दिया जाता था |
वो तुम्हारी ही भक्ति और प्रेम था कृष्ण जिसने मीरा को संसार की बेड़ियों को तोड़ने का साहस दिया , जिसमे किसी स्त्री को पारिवारिक जिम्मेदारी को छोड़ भक्ति , संन्यास की भी इजाज़त नहीं होती |
राधा और यशोदा का जीवन जी लिया अब अगर कभी कुछ होने इच्छा हुई तो मैं तुम ( कृष्ण ) हो जाना चाहूंगी |
August 23, 2020
काबलियत ही आगे बढ़ायेगी --------mangopeople
बिटिया कोई छः सात साल की रही होंगी , उनके स्कूल के एक कार्यक्रम में उन्हें मराठी डांस के लिए चुन लिया गया | अभी तक वो स्कूल के कार्यक्रमों में कुछ बोलने के लिए ही भाग लेती पहली बार शौक में डांस में भाग ले रही थी | हफ्ते भर बाद एक दिन घर आ कर बोली आज वाइस प्रिंसपल हमारे डांस की प्रेक्टिस देखने आयी थी और मुझे देख कर बोली कितनी क्यूट गर्ल हैं इसे पीछे क्यों खड़ा किया हैं इसे आगे खड़ा करों |
March 18, 2020
बुजुर्ग , कोरोना और इटली की प्राथमिकताएं --------mangopeople
हमारी एक मित्र एक एनजीओ में हैं जो गरीब कैंसर पीड़ित बच्चों का मुफ्त इलाज कराती हैं | कैंसर का इलाज मंहगा भी हैं और लंबा चलने वाला भी | इजाज के साथ महीनो पीड़ित के साथ उसके माता पिता के भी रहने खाने पीनी की व्यवस्था भी संस्था अपने यहाँ करती हैं | किसी भी संस्था के पास इतने संसाधन नहीं होते कि हर किसी को ये सुविधा दे सके इसलिए उन्हें चुनाव करना पड़ता हैं | वो उन्ही बच्चों की मदद करती हैं जिनके कैंसर से बचने की संभावना कम से कम साठ प्रतिशत हो , उससे कम वालों को , वो नहीं लेती हैं |
इसका कारण जहां सिमित संसाधनों का सही जगह उपयोग करना हैं वही उनका कहना हैं जब संस्था में बहुत प्रयास के बाद और कई बार माता पिता की लापरवाही , जिसमे वो इलाज बीच में छोड़ कर चले जाते हैं और फिर वापस आतें हैं के कारण किसी बच्चे की मौत हो जाती हैं तो बाकी बच्चों और परिवारो मेंउसका बुरा असर होता हैं वो बहुत निराश हो जातें हैं | एक मौत के बाद सभी की फिर से कॉउंसलिंग करनी पड़ती हैं |
अब देख रहीं हूँ जब से इटली में कोरोना को लेकर बुजुर्गों के इलाज में बाकियों से कम ध्यान देने की खबर आई हैं लोग उस समाज , देश , सरकार , संस्कृति को भला बुरा कह रहें हैं | बिलकुल गलत सोच और रवैया हैं इटली के लिए लोगों का |
जब परिस्थितियां बहुत ख़राब हो और संसाधन बहुत सिमित तो हमें इस तरह की प्राथमिकताए तय करना मजबूरी भी होती हैं और जरुरी भी | सिमित संसाधनों का प्रयोग पहले उनके लिए करना पड़ता हैं जिनके बचने की संभावना ज्यादा हो | 80 साल से ऊपर के उन बुजुर्गों की बात की जा रही हैं जिन्हे कोरोना के पहले ही अनेक तरीके की शारीरिक समस्याएं हैं | कोरोना होने के बाद ये इतनी बढ़ जा रहीं हैं कि हर बुजुर्ग को अपने सहायता और समस्याओं के लिए एक नर्स और डॉक्टर की जरुरत हैं | ऐसे समय पर जब हजारों लोग एक साथ बीमार हो तो क्या किसी एक मरीज के लिए ऐसी व्यवस्था की जा सकती हैं और इसके बाद भी उसके बचने की संभावना बहुत कम हैं |
बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय महिलाओं बच्चों बुजुर्गों को पहले बचाया जाता हैं | क्या आजतक हमने इस पर सवाल उठाया हैं कि क्या किसी हट्टे कट्टे पुरुष की जान कम कीमती होती हैं जो उसे प्राथमिकता नहीं दी जाती | यहाँ पर देखा जाता हैं कौन ज्यादा लम्बे समय तक दुबारा लौट कर आने तक खुद को बचा कर रख सकता हैं | लेकिन यही अगर नाव पलट जाए तो प्राथमिकता बदल जाती हैं जो पहले सामने आता हैं पहले उसे बचाया जाता हैं बिना किसी भेदभाव के , तब स्त्री पुरुष बच्चा नहीं देखा जाता |
इसलिए किसी भी समाज , संस्कृति देश आदि को कुछ कहने से पहले सभी परिस्थितियों को व्यावहारिक रूप से सोच समझ लेना चाहिए | हमारे समाज में कौन हैं जो अपने 80 के ऊपर के बुजुर्ग को बचाने के लिए अपने जवान या छोटे बच्चों को कुर्बान करेगा ऐसी खराब स्थिति में | बेहतर हैं अपने बुजुर्गों की देखभाल अभी ही कीजिये और उन्हें जितना हो सके घर में रखिये आसपास की साफ़ सफाई पर ध्यान दीजिये | हम इटली के मुकाबले काफी गरीब देश हैं , हमारे संसाधन उनसे भी कम हैं |
January 20, 2020
वो बस आपको थका रहें हैं -----mangopeople
सुरक्षात्मक खेलना सही ना होता क्योकि लाख बचाव के बाद भी एक एकाध मुक्का लग ही जाना था | तय हुआ आक्रामक खेल का जवाब और आक्रमक हो कर देना होगा | मैच शुरू हुआ और ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया गया , लेकिन ये क्या हुआ जो बॉक्सर अभी तक आक्रमक था वो अचानक बचाव की मुद्रा में आ गया | वो मारने के बजाय खुद को बचाने में ही व्यस्त था |
नए खिलाड़ी का और उत्साह बड़ा और उसने और हमला तेज कर दिया | अब तो उसने बचाव की जगह अपने प्रतिद्वंदी से दूर भागना शुरू कर दिया | वो एक भी हमला नहीं कर पा रहा था | नए खिलाड़ी को जीत की उम्मीद दिखने लगी | अब वो उसकी तरफ भाग भाग कर हमला कर रहा था | उसके मुक्के लग नहीं रहें थे नामी खिलाड़ी को क्योकि वो सिर्फ बचाव में व्यस्त था लेकिन नया खलाड़ी उम्मीद कर रहा था प्रयास करते करते मार ही लेगा |
मैच ख़त्म होने में कुछ ही समय था कि नामी खिलाड़ी रुका ध्यान केंद्रित किया और एक जोरदार मुक्का अपने प्रतिद्वंदी को दे दिया | नया खिलाड़ी हमला कर कर के और उसके पीछे भाग भाग कर इतना थक चुका था कि उस एक मात्र प्रहार का बचाव भी ना कर सका और नॉक आउट | लोगों ने नामी खिलाडी के उस चालाकी की खूब तारीफ की कि कैसे उसने पहले खिलाडी को खूब थकाया , छकाया और फिर आखिर में एक पंच में मैच जीत लिया | नए खिलाड़ी के समर्थक भी उसे कोसने लगे इतना हमला किया , क्या फायदा एक भी ढंग का मार ना सका , बेकार था वो |
CAA और NRC को लेकर भी कुछ ऐसा ही मैच चल रहा हैं | अभी तक NRC को संसद में पेश तक नहीं किया गया हैं यहां तक कि उस पर कैबिनेट में चर्चा तक नहीं हुई हैं | मोदी ने सही कहा था उसकी चर्चा तक नहीं हुई हैं | किसी भी बिल को संसद में रखने के पहले केबिनेट में चर्चा की जाती हैं वहां से मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश होता है , बहस होती हैं , पास होता हैं फिर कहीं जा कर कानून बनता हैं | किसी के घोषणापत्र में होने और गृहमंत्री का संसद या बाहर कहना की कानून बनेगा इस पर, का कोई महत्व नहीं होता हैं | ऐसी घोषणाएँ तो मंदिर वही बनाएंगे जैसा भी हुआ था लेकिन संसद और सरकार कुछ नहीं कर पाई | निर्णय उसी कोर्ट से आया जहां से उसका आना तय था , लेकिन नारों का प्रयोग कर उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया |
NRC आएगा की घोषणा बार बार लगातार करके लोगों में उसका खौफ पैदा किया गया | जानबूझ कर CAA के साथ ये सब किया गया और क्रोनोलॉजी भी संमझायी गई ताकि लोग आक्रमक हो विरोध करे उन कानूनों का जिसमे से एक उन पर लागु ही नहीं होता और दूसरा तो अभी तक बना ही नहीं |
ऐसे किसी भी कानून को आप कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकतें जो अभी तक बना ही नहीं | आप विरोध करते रहिये कोई उस पर ध्यान भी नहीं देगा | क्या किसी ने भी देखा की शाहीन बाग़ और उसके जैसे दूसरे आंदोलनों को रोकने के लिए किसी भी प्रकार की दिलचस्पी सरकार ने दिखाई हो | अब कोर्ट के कहने पर खानापूर्ति की जा रही हैं और आगे भी जो किया जाएगा वो सब कोर्ट के नाम पर और आम लोगों के परेशानी के नाम पर किया जाएगा |
सरकार की मंसा इसे और लंबा खींचने की हैं ताकि आम जनता सड़क बंद होने रोज रोज के विरोध प्रदर्शन से इतनी परेशान हो जाए कि वो धीरे धीरे आंदोलनकारियों के खिलाफ हो जाए | विरोध करने वाले के अव्यवस्थित होने , कानून का पालन ना करने , हिंसक होने जैसी मान्यताएं समाज में पहले से प्रचलित हैं , ऐसा विरोध उन्ही मान्यताओं को और पुख्ता करेगा | उन आम लोगों में जो राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं लेते , जो मात्र वोटर हैं , वो NRC का विरोध करने वालों के खिलाफ होतें जायेंगे ये सोच कर कि जो कानून बना ही नहीं उसका विरोध क्यों हो रहा हैं अभी से | जबकि दूसरा कानून उन पर लागू ही नहीं होता हैं | सरकार के समर्थक तो पहले ही उनके विरोध में हैं |
सरकार विरोध करने वालों को सिर्फ थका रही हैं और इस बात का इंतज़ार कर रही हैं कि कब आप बेवजह का , समय से पहले वार कर कर के थक कर पस्त जाए , उस दिन वो अपना पंच मारेगी | विरोध कर और उसका कोई नतीजा , असर ना निकला देख कर विरोध करने वाले भी , जिस दिन कानून आयेगा , उस दिन सिर्फ निराश हताश हो कर कागजों के लिए दौड़ भाग करेंगे विरोध नहीं | और आज का विरोध उन लाखों करोड़ों को उनके खिलाफ कर चुका होगा जो शायद कानून लागू होने के समय उनका साथ देने के लिए सड़क पर आ सकते थे , क्योकि परेशानियां तो उस कानून से उन्हें भी होंगी | लेकिन तब तक ये विरोध एक धार्मिक रंग ले चुका होगा , जनता के लिए परेशानी का कारण हो चूका होगा और विरोध करने वालों में शायद निराशा भर चुका होगा |
December 31, 2019
जीवनसाथी ------mangopeople
ठकठक ठकठक
"बोलो क्या काम हैं , क्यों बाथरूम का दरवाजा इतना पीट रहें हो "
" नहा चुकी हो ना , तो अब क्या कर रही हो बाथरूम में "
" अपने कपडे धो रही हूँ "
" बाहर निकलों मैं नहाते समय धो दूंगा | तुम बस जल्दी से तैयार हो जाओ पहले ही बहुत देर हो चुकी हैं , हम लेट हो जायेंगे "
" ज्यादा नहीं हैं बस एक ब्रा हैं , दो मिनट में हो जायेगा "
" लाओ इधर दो मुझे , मैं धो देता हूँ "
" इधर दो मुझे | कोई जरुरत नहीं हैं , मैं कर लुंगी | किसी ने देखा तो कहेगा नई नवेली अपने कपडे तक धुलवा रही हैं "
" तुम जा कर जल्दी तैयार हो जाओ , उतना ही बहुत हैं | जीतनी देर तुम बड़बड़ कर रही हो देखों मैंने धो भी दिया "
" ठीक से नहीं किया "
" वैसे एक बात बताओ क्या साइज हैं तुम्हारा "
" तुम्हे क्या करना हैं | मेरे लिए खरीद कर लाने वाले हो क्या "
" नहीं , मैं नहीं खरीदने वाला | मेरे कहने का मतलब हैं कि शादी के बाद तुम्हारा साइज बदल गया होगा "
" छी ! तुम्हे शर्म नहीं आ रही हैं | तुम शादी के पहले मुझे ऐसे देख रहे थे "
" इतना गुस्सा क्यों हो रही हो | इसमें शर्म किस बात की , अब तुम्हे देख रहा था तो नजर जाना नेचुरल था ना | "
" छी छी ! कितने गंदे हो तुम "
" मैं नहीं सभी की नजर जाती हैं | तुम्हे पता हैं मेरे दोस्त के पापा एक बार दोस्त के लिए लड़की देखने गए थे | आ कर बोलते हैं लड़की इतनी पतली दुबली थी की सामने से तो पता ही नहीं चल रहा था लड़का हैं या लड़की "
" चुप रहों मुझे नहीं सुननी तुम सबकी ये बकवासगिरि "
" अरे यार , तुम गलत मतलब निकाल रही हो "
" अब एकदम चुप रहों | इसमें सीधा मतलब क्या निकालता हैं , बताओ जरा '
" मतलब वैसे नहीं देखते , अब ऐसे ही चली जाती हैं नजर, मतलब एकदम नार्मल सा "
" तुम मुझे इतना गुस्सा दिला रहें हो की ये बकेट का पानी तुम्हारे ऊपर डाल दूंगी मैं सच कह रही हूँ "
" अरे तुम्हे देखने आया था तो तुम्हे देख ही तो रहा था "
" लो नहाओ इस ठंडे पानी से , अपना दिमाग ठंडा करों | ताकि ये सब बेशर्मी दुबारा ना करो "
बकेट का पानी उस पर डाल जैसे ही वो गुस्से में जाने के लिए पलटी गिरे पानी में फिसल ही पड़ी थी कि , दो मजबूत हाथों ने उसे थाम कर गिरने से बचा लिया और एक बार फिरउन्ही हाथों की पकड़ दुबारा महसूस कर वो उन यादों के समंदर से बाहर आ गई |
सामने बैठी डॉक्टर अब भी कुछ बोले जा रही थी
" ज्यादा देर नहीं हुई हैं | समझो ये ब्रेस्ट कैंसर का पहला ही स्टेज हैं | कोई समस्या नहीं हैं एकदम ठीक हो जाएगी | बस इलाज शुरू करने में अब जरा भी देर मत करना "
वो अब भी शून्य में थी लेकिन दो मजबूत हाथों में उसकी हाथ को अब भी मजबूती से पकड़ रखा था |
December 30, 2019
जीवन चलने के नाम ------- mangopeople
" क्या हैं 🤔"
" पति अपने मरने के बाद भी बीवी के हर बर्थडे के लिए फूलों का गुलदस्ता बुक कर गया हैं और बीवी के हर बर्थडे पर वो बुके दे जातें हैं 😊 "
" हम्म बढ़िया हैं , प्यार करने वाला पति 🥰 "
" बकवास हैं 😏| काहे का प्यार करने वाला पति | मर गया लेकिन इस बात का इंतजाम कर गया की बीवी कभी उसे भूले नहीं और जिंदगी में आगे ना बढे | सोचो इस तरह कोई हर साल अपनी याद दिलाता रहेगा और ये याद दिलाता रहेगा कि वो उसे कितना प्यार करता था तो कभी कोई आगे बढ़ पायेगा अपने जीवन में | उसकी जिंदगी तो वहीँ ठहर जायेगी | मरने के बाद भी बीवी की जंदगी चले गए पति के ही इर्द गिर्द घूमती रहेगी 😔"
" बताओ प्यार से भी समस्या हैं 😅"
" अच्छा होता विज्ञापन , यदि उसमे यंग कपल की जगह किसी बूढ़े कपल को दिखाया जाता 🥰| मैं तो ऐसा प्यार कभी ना करूँ | सुनो मुझे कुछ हुआ तो तुम हमारी शादी का एलबम समुन्दर में फेक देना और आगे की सोचना , मूव ऑन 😍😘"
" अच्छा मुझे कुछ हुआ तो तुम फटाफट मूव ऑन 😲 "
" तुम्हे कुछ हुआ तो 🤔, तुम्हारी जैसी हरकतें हैं ना मुझे लगता हैं तुम्हारे जीते जी एक दिन सच में मैं ना छोड़ कर चली जाउंगी ये सब 😅😁 "
" मुझसे अच्छा ना , तुम्हे कोई मिलेगा नहीं 😂😂"
" तुम्हे ये क्यों लगता हैं कि मुझे कोई मिलेगा तो ही मैं जाउंगी , या तुम्हे ये क्यों लगता हैं कि मुझे अब भी किसी का इतंजार हैं | खुश हो जाओ ,मैं ऐसे भी जा सकती हूँ 😄 "
कुछ सवाल को माजक में उड़ा दे लेकिन उनके जवाब काफी मुश्किल होते हैं |
December 28, 2019
महिलाओं के लिए जरुरी महिला डॉक्टर ------- mangopeople
दिन भर आप कितना भी सकारात्मक सोच ले , अच्छी बाते बोल दे , शुभ शुभ का मनन कर ले लेकिन सरसत्ती मैया जबान और दिमाग की उसी बात पर विराजेंगी जो ख़राब हो | ख़राब सोचो ,किसी बात से डरो तो वो झट से पूरा हो जाता हैं |
हमारी ही बिल्डिंग में हमारी फैमली डॉक्टर का क्लिनिक हैं | पतिदेव लोग बचपन से उनके पास जाते रहें हैं | विवाह के बाद मेरी भी डॉक्टर बन गईं छोटी मोटी हर समस्या के लिए | १७ सालों में मुझे और मेरी समस्याओं से अच्छे से अवगत भी हो गई थी |
तो हुआ ये कि जुलाई में हमारी डॉक्टर दो महीने बाद अमेरिका से आईं ( उनके भाई , माता जी और बेटी सब वही सेटल हो गए हैं तो ये खुद दो महीने के लिए हर साल मिलने वहीँ चली हैं ) तो मुझे अचानक से वो कुछ ज्यादा ही वृद्ध और कमजोर दिखने लगी | उनकी आयु का अंदाजा लगाया तो 65 -70 के आस पास लगी |मुझे चिंता होने लगी इनकी तो आयु हो रही हैं , कहीं इन्हे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा | आस पास कोई एमबीबीएस अच्छी महिला डॉक्टर नहीं हैं | इनके साथ तो पारिवारिक रिश्ते जैसा हैं , कितने आराम से इन्हे सब बता देतीं हूँ , इन्हे कुछ हुआ तो क्या करुँगी |
इस बारे में पतिदेव से चर्चा भी की , तो वो बोले अरे अभी कुछ नहीं होगा शारीरिक रूप से एकदम ठीक हैं | कल जब उनसे मिलने गई तो उन्होंने बताया वो अब रिटायरमेंट ले रहीं हैं , पहली जनवरी से नहीं आएँगी | उसके जाने का दुःख उसके सामने ही तुरंत प्रकट कर दिया , जो बिलकुल असली थी | क्योकि इस बारे में दो चार महीने पहले ही विस्तार से सोच लिया गया था | उन्होंने भी आश्वासन दिया , घर ज्यादा दूर नहीं हैं फोन करके आ जाना |
माथा ठोक लेने का जी किया , डॉक्टर रिटायर भी होते हैं ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं था | पतिदेव को बताया गया देखा मैं ना कहती थी कि मुझे सब कुछ पहले ही पता चल जाता हैं , लो एक और उदहारण सामने हैं | अब हमारा लोहा नहीं सोना पीतल चाँदी सब मान लो |
डॉक्टर यदि स्त्री को तो स्त्री रोगियों के लिए वरदान जैसा होता हैं | स्त्रियों को अपनी शारीरिक बनावट के चक्कर में कई समस्यांओं से दो चार होना पड़ता हैं , जिसके लिए वो किसी महिला डॉक्टर के पास जाना ही ज्यादा अच्छा समझती हैं | कई बार पुरुष डॉक्टर से कहने में झिझक होती हैं , तो कई बार लगता हैं बता तो दे लेकिन वो समझेगा नहीं , क्योकि उसने सिर्फ पढाई की हैं उसक अनुभव नहीं किया हैं |
आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन स्त्रियों की समस्याओं का ऐसा हैं कि लगता हैं कि बिना इसका अनुभव किये डॉक्टर ठीक से समझ ना पायेगा | कई बार तो समस्याओं के लिए महिला डॉक्टर को ज्यादा बताना भी नहीं पड़ता एक दो लाइन में ही पूरी बात समझ जाती हैं | फिर इन सब को किनारे रखे तो बहुत सी महिलाऐं ऐसी भी हैं जिन्हे सामान्य शारीरिक जाँच को लेकर भी पुरुष डॉक्टरों के पास जाने में झिझक होती हैं |
तो कुल मिला कर बात इतनी हैं कि यदि अपनी आस पास की सभी स्त्रियों का बेहतर स्वास्थ , सेहत चाहतें हैं तो ढेर सारी लड़कियों को डॉक्टर बनाइये | हम जिस समाज में रहतें हैं वहां महिलाए और उनके परिवार वाले उनके स्वास्थ के प्रति लापरवाह होते हैं |उनकी छोटी , मोटी बिमारियों , समस्याओं को जितना हो सके टाल दिया जाता हैं | ये सब तो महिलाओं को होता रहता हैं अपने आप ठीक हो जाएगा , या ये तो हर महीने की समस्या हैं इसके लिए डॉक्टर के पास क्या जाना , थोड़ा बर्दास्त करों कोई बड़ी बात नहीं जैसे जुमले से उन्हें बहला दिया जाता हैं , या महिलाए आस पास कोई महिला डॉक्टर ना होने से झिझक में नहीं जाती या खुल कर नहीं बताती |
नतीजा छोटी बीमारिया , समस्यांए बड़ी और विकराल रूप धारण कर लेती हैं और फिर महिलाए को उसके लिए भी कोसा जाता हैं कि पहले क्यों नहीं दिखाया डॉक्टर को , लापरवाही क्यों किया आदि इत्यादि | कोई ये नहीं सोचता कि हमने खुद पहले ही क्यों नहीं उन्हें ले जा कर दिखाया डॉक्टर को , हमने उसकी समस्याओं को गंभीरता से क्यों नहीं लिया |
December 26, 2019
हाल कैसा हैं जनाब का -----mangopeople
" कहूँगी तो तुम विश्वास करने वाले नहीं हो , तो कहने से क्या फायदा "
" ऐसा क्या कह दिया उसने "
" कहा हैं अभी बुढ़ापा नहीं आया हैं तुम्हारा , ये क्या हर समय बुर्के में रहती हो | थोड़े सॉर्ट्स पहनो , बैकलेस पहनो , बाहर घूमो फिरो क्या घर में पड़ी रहती हो | ऐसे घर में रहोगी तो फंगस लग जायेगा "
" अच्छा डॉक्टर ने ऐसा कहा "
" और क्या , उसने तो मुझे सदा सेक्सी रहो का आशीर्वाद भी दिया हैं "
" हो गई तुम्हारी बकवासगिरी "
" बकवासगिरि नहीं हैं ये , फटाफट मेरी गोवा की टिकट कटाओ , वहां जा कर आराम से सनबाथ लूंगी "
" अच्छा समझा , विटामिन डी की कमी हैं "
" मेरे साथ रहते रहते स्मार्ट होते जा रहे हो "
" दवा क्या दी हैं | देखो जरा गूगल पर किस किस चीज में विटामिन डी मिलता हैं "
" मैंने मना कर दिया उस दवा को और खाने को "
" क्यों "
" क्यों का क्या मतलब , उसे खा कर अपना धरम भ्रष्ट करूँ | बोला हैं एक ख़ास मछली में ही विटामिन डी मिलता हैं या तो मछली खाओ या उसका निकला तेल पियों | बताओ , उससे अच्छा तो मैं गोवा जा कर -----"
" तुम्हे धुप ही सेकना हैं ना मै इंतजाम कर देता हूँ | तुम्हारे घर का टिकट कटा देता हूँ तुम्हारा ठंडी का , छत पर जा कर खूब धुप सेकना वहां और छुट्टियां भी मना लेना | एकदम तबियत ठीक हो जाएगी तुम्हारी "
" पता था मुझे मेरी ऐयासिया बर्दास्त ना होंगी तुम्हे , कुछ ना कुछ अड़ंगा लगाओगे ही "
पापा की परी 2 ------mangopeople
बिटिया एकदम छोटी सी थी तो हम सब हर चीज में उनसे जान बुझ कर हार जाते और वो "मैं वीन मैं वीन" कह कर खूब उछलती | थोड़ी बड़ी हुई स्कूल में स्पोर्ट डे आया तो इन्होने भी उसमे हिस्सा लिया , मैंने सोचा इनकी थोड़ी प्रेक्टिस करा दी जाए बाकी बच्चों के साथ |
शाम को पार्क में दूसरे बड़े बच्चों के साथ इनकी प्रेक्टिस में ये तीसरे स्थान पर आई लेकिन मै वीन मैं वीन कह कर फिर ख़ुशी से उछलने लगी | तब मुझे समझ आया कि ये तो जीतने हारने का मतलब ही नहीं जानती |
उन्हें लाख समझाया कि वो तीसरे स्थान पर थी जीत किसी और की हुई , लेकिन वो मानी ही नहीं |
उसके बाद बिटिया के पापा जी को समझाया गया अब जानबूझ कर मत हारों , इन्हे जीतने हारने का मतलब भी पता चले और हर बार कोई जीत नहीं सकता कभी कभी हारते भी ये भी सीखे |
लेकिन पापा जी कहाँ मानने वाले थे , बोले इतनी छोटी है उसे कुछ भी पता नहीं होगा | उसे तो लगता होगा वही जीत रही हैं मैं कोई जानबूझ कर थोड़े हार रहा हूँ | मैंने तो जानबूझ कर हारना छोड़ दिया उस दिन से , नतीजा ये हुआ की बिटिया मेरे बजाये अपने पापा के साथ ज्यादा खेलती |
एक दिन पापा जी घर पर बिटिया के लिए कोई सामान लाये , देखा तो वो बहुत ख़राब क़्वालिटी का था | खूब गुस्सा आया और गुस्से में उन्हें डांट लगा दी | वो कहने लगे सामान रख दो बाद में बदल दूंगा |
मैंने भी चिढ़ाने के लिए बोला तुम सामान रहने दो इस बार तो मैं उसका पापा ही बदलने वाली हूँ , ये पापा एकदम अच्छा नहीं हैं |
ये बात बिटिया भी सुन ली अब उन्हें ये तो पता चला नहीं कि मम्मी मजाक कर रहीं हैं , बोली नहीं मुझे अपना पापा नहीं बदलना हैं | मुझे उनकी इस बात पर हँसी आई लेकिन मैंने उन्हें भी चिढ़ाने के लिए फिर कहा ये पापा कुछ भी ढंग का काम नहीं करता , मैं पक्का ये पापा बदल दूंगी |
उस पर वो अपने पापा से लिपटते बोली नहीं मेरे पापा बहुत अच्छे हैं | इतने में मारे ख़ुशी के पापा जी की तो गर्दन ही अकड़ गई , बिटिया से प्यार जताने लगी | लेकिन बिटिया यहीं नहीं रुकी बोली कितने अच्छे हैं मेरे पापा , हर खेल में मुझे जीताते हैं , वो खुद हर खेल में जानबूझ कर हार जाते हैं | कल पंजा लड़ाने में भी मुझसे हार गए थे , मुझे मेरे पापा ही चाहिए |
इतना सुनते ही मैं हँस हँस कर लोट पोट हो गई और पापा जी का चेहरा देखने लायक था | हँसी उन्हे भी आ रही थी लेकिन शायद खुद पर ज्यादा ,कि वो इतने दिनों से ये सोच रहें थे कि बिटिया कुछ नहीं समझती और बिटिया सब समझ कर भी पापा जी का दिल खुश कर रहीं थी |
December 25, 2019
पापा की परी-------mangopeople
December 24, 2019
बिल्ली रानी बड़ी सयानी ------mangopeople
बात कुछ साल पहले की हैं एक दिन बाहर से घर वापस आई तो दरवाजा खोलते देखा खिड़की पर एक बिल्ली बैठी हैं | एकबारगी एकदम से चौक गई बंद दरवाजे से वो अंदर कैसे आई , शायद जंगले से घुसी हैं तो दूसरी मंजिल तक चढ़ी कैसे | इस बात पर और आश्चर्य हुआ कि वो कमरे के अंदर थी , मेरे आने पर खिड़की पर भागी लेकिन वहां से नहीं गई | थोड़ा अजीब सा ख्याल आया लेकिन उसे आगे बढ़ कर भगा दिया | थोड़ी देर में बिटिया भी स्कूल से आ गई | वो हाल में बैठी थी और अचानक से चीखते हुए रसोई में आई कि मम्मी घर में बिल्ली आ गई हैं | अब तो आश्चर्य का और ठिकाना नहीं रहा , दुबारा बिल्ली अंदर क्यों आई |
बिल्लियों को लेकर ना जाने कैसे कैसे बुरी बातें कहीं गई हैं , सब एक साथ याद आने लगा | मुंबई के लिए बिल्ली बड़ी आम बात हैं लेकिन खिड़की से दूसरी मंजिल तक इतने सालों में पहली बार आना , बिलकुल भी आम बात नहीं थी | उसे फिर से भगा के खिड़की को बंद कर दिया | थोड़ी देर बाद बिटिया फिर आई बोली बिल्ली की आवाज आ रही हैं | अब तो दिल की धड़कने भी बढ़ गई लगा बिल्ली जा क्यों नहीं रही हैं शायद जंगले पर बैठी हैं | देखा तो वहां नहीं थी लेकिन बहुत धीमे धीमे उसकी आवाज आ रही थी | फिर ध्यान दिया कि आवाज घर से ही आ रही हैं सब जगह झुक कर कान लगा कर सुनने लगी तो पता चला सोफे के निचे से आ रही हैं | सोफे के गैप से देखा तो दो चमकती आँखे दिखी |
फिर तुरंत समझते देर ना लगा , बिल्ली अपने बच्चे मेरे घर छोड़ गई हैं |
हाथ डाल उसी छोटी जगह से बिल्ली के बच्चों को ऊपर खिंचा , लगा कहीं सोफे को हिलाया तो कोई उसमे दब ना जाए , एक बच्चा तो होगा नहीं | दो निकले फिर अच्छे से जाँच लिया और कोई तो नहीं हैं | बिटिया तो दो दो बच्चे देख मारे ख़ुशी के चींख ही पड़ी | उनका जन्मदिन आने वाला था और बहुत सालों से वो अपने लिए एक पेट की मांग कर रहीं थी | उन बिल्लियों को देख उन्हें लगा उनकी तो इच्छा ही पूरी हो गई |
सबसे पहले सोचा उनमे से एक जो लगातार बोले जा रहा हैं शायद वो भूखा हैं उसे दूध कैसे पिलाया जाए |घर में एक भी दवा का ड्रॉपर नहीं मिला , फिर रुई भिंगो कर पिलाने का प्रयास किया लेकिन दोनों ने पीने से ही इंकार कर दिया | हमने बिटिया से कहा कि इन्हे इसी कमरे में छोड़ कर दूसरे कमरे में चलो | इनकी मम्मी फिर से आएगी और इन्हे दूध पीला देगी | उपाय काम किया और बिल्ली आ कर अपने बच्चों को दूध पीलाने लगी | लेकिन उम्मीद के मुताबिक उन्हें ले कर नहीं गई |
फिर अपने गोदाम से जा कर एक गत्ते का बॉक्स ला उसमे पुराना कपड़ा पीछा उनके रहने का इंतजाम किया गया और उसे खिड़की पर रख दिया गया | दो दिन में ही ये हाल था की हम वही बैठे रहते बिल्ली चुपचाप आती बॉक्स में जाती और आराम से बच्चों को दूध पिलाती उनकी सफाई करती और चली जाती | कितनी बार तो उसके आने का पता ही नहीं चलता , अचानक से टीवी देखते खिड़की को देखती तो वहां उसे आराम से बैठ कर टीवी देखते अपने बच्चों को दूध पीलाते , उसे देख चौक सी जाती मैं | लेकिन उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ता जैसे मैं उस कमरे में हूँ ही नहीं |
बिटिया के दिन गुलजार हो गए , पूरी बिल्डिंग में खबर फ़ैल गई और बच्चों के जमवाड़े हमारे घर लगने लगे | दोनों का नामकरण भी हो गया ब्लैकी और व्हाटी | बच्चों के मार्फ़त बिल्ली की पूरी रिपोर्ट आ गई , बच्चे ढेड़ हफ्ते के हैं , पहली मंजिल वाले फ़्लैट में पैदा हुए थे , कुल चार थे लेकिन दो की मौत हो गई बारी बारी , फिर पहली मंजिल के ही दूसरे फ़्लैट में गए | हमने भी सुन रखा था बिल्ली अपने बच्चों के लिए दस या सात घर बदलती हैं , हमारा तीसरा था |
ये और दस दिन बाद ही हमें अपने घर जाना हैं याद कर बिटिया को ये समझाया कि भाई ये बच्चे हमेसा के लिए हमारे पास नहीं रहने वाले , इन्हे जाना होगा | जितना खेलना हैं खेलों लेकिन हमेसा साथ रखने का ख्याल मत रखों | हम चले जायेंगे तो इनका क्या होगा , खिड़की खुली छोड़ कर नहीं जा सकते हैं | कुछ उपाय करके बिल्ली को ले जाने के लिए मजबूर करना होगा |
सात दिन आराम से इन दोनों के साथ खेलते निकल गए | फिर हमने सातवे दिन से बॉक्स को खिड़की के बाहर रख दिया रात में खिड़की का दरवाजा भी बंद कर देतें | बिल्ली वैसे ही रोज आती खिड़की के बाहर ही बॉक्स में अपने बच्चों की देखभाल करती | उम्मीद थी बिल्ली हमारा इशारा समझ जाएगी और बिल्ली बड़ी समझदार निकली हमारे जाने वाले दिन ही सुबह अपने बच्चों को लेकर चली गई | पहली को ले जाते हमें तो आहाट भी ना लगी , जब दूसरी को ले जाने लगी तब मेरी नजर गई | शुक्र था की उसी दिन मुझे घर जाना था तो बिटिया थोड़ी दुखी तो हुई लेकिन फिर नानी के घर जाने के ख़ुशी में जल्द ही भूल गई |
एक पालतू जानवर के लिए बिटिया आज भी ज़िद करतीं हैं , हम साफ़ मना कर देतें हैं | हमारे घर कुत्ता , तोता , खरगोश , गाय , बंदर तक पालतू के रूप रह चुके हैं , जानते हैं उनके साथ कितनी जिम्मेदारियां जुडी होती हैं | घर में ला तो कोई भी देता हैं लेकिन उन्हें संभालने का काम सिर्फ मम्मियों को करना पड़ता हैं | उनके ना होने पर जानवर कितने उदास हो जाते हैं , खाना छोड़ देतें हैं | जिम्मेदारी तो दूसरी तरफ रखिये एक तीसरे मोह के बंधन में तो बिलकुल नहीं पड़ना हैं , पहले के दो ही काफी हैं |

अहिंसक आंदोलन , विरोध और गाँधी जी ------mangopeople
1922 में जब गोरखपुर के चौरी चौरा में भारतीयों ने पुलिस चौकी जला कर पुलिस वालों को जला कर मार दिया तो गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था | उनके अनुसार उनके अहिंसक आंदोलन की शुरुआत हिंसा से हुई इसलिए वो इस आंदोलन की ख़त्म कर रहें हैं |
उनके इस निर्णय से रामप्रसाद बिस्मिल जैसे उनके शिष्यों ने विरोध स्वरुप उनसे खुद को अलग कर लिया और अपना एक गरम आंदोलन शुरू किया | गाँधी जी ने उनका भी कभी समर्थन नहीं किया |
गाँधी जी से बहुत लोग इसलिए भी नाराज होतें हैं आज भी , कि उन्होंने भगतसिंह की फांसी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया | एक अहिंसक आंदोलन चलाने वाले ये ये उम्मीद करना कि किसी हिंसक आंदोलनकारी के बचाव में आएगा , बहुत ही गलत सोच हैं | भगत सिंह को बचाने का कोई भी उनका प्रयास , उनके तरीकों को समर्थन देना होता | फिर हजारों हजार नौजवान भगत सिंह के उग्र तरीके का अनुसरण करने आगे आ जाते और अहिंसक आंदोलन से भी लोग दूर हो जाते |
हर दमनकारी सरकार बड़ी आसानी से हिंसक आंदोलनों का दमन कर लेती हैं वो ज्यादा लंबा नहीं चलता और ना कभी अपनी मंजिल तक पहुँच पाता हैं |
वो सभी जो आज के समय में देश में चल रहें विरोध प्रदर्शन में हुए हिंसा पर एक लाइन का भी विरोध नहीं करतें हैं और केवल सरकारी दमन की निंदा करतें हैं | उन सभी को गाँधी जी का नाम नहीं लेना चाहिए | अहिंसा को लेकर उनके मानदंड बहुत ऊँचे थे , उनका पालन करना आपके बस का नहीं हैं | इसलिए गाँधी जो को कम से कम इससे दूर रखिये | बाकी आपकी अपनी जो विचारधारा हैं उसे आगे बढ़ाते रहिये |