July 08, 2013

अब तो भगवान से भी नहीं होगा जी - - - - - - - -mangopeople




                                                                    अभी तक लगता था की ये देश भगवान भरोसे चलता था किन्तु उत्तराखंड त्रासदी के बाद लगने लगा की अब तो भगवन ने भी शायद अपने हाथ खड़े कर दिए है, भाई इतनी नालायकी तो हम से भी न झेली जाएगी , ठीक है सब मेरे भरोसे छोड़ दिया है, लेकिन मेरा हाल भी बुरा कर रखा है तुम लोगो ने , मै दुनिया के शोर शराबा मोह माया त्याग हिमालय में शन्ति के लिए आ बैठा था कभी कदार कुछ भक्त आते दर्शन पाते तृप्त हो चले जाते , लेकिन तुम लोगो ने तो मुझे भी अपनी कमाई का जरिया बना लिया , तीर्थ तो कब का पीछे छुटा मेरे हिमालय, मंदिर को भी पर्यटन की जगह बना डाला , कहा एक समय तीर्थ उनके लिए था जो सांसारिक जीवन में अपनी सारी जिम्मेदारिय निभा चुके है , जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं है अब संसार में , तो वो शांति से मेरे ध्यान मान कर सकते है बिना पीछे किसी चिंता के मेरे दर्शन को आते लेकिन यहाँ तो बच्चे से लेकर जवान तक सभी चले आ रहे है , तो अब बस भक्त गण लीजिये अपनी जिम्मेदारी और भरोसा अब ये मेरे बस का नहीं । 

                                               बोध गया के हुए बम ब्लास्ट के बाद तो ये बात और भी सच लग रहा है कि  अब भगवान भी इस देश को नहीं कर सकता है ।  निकम्मेपन और नालायकी में हम से पीछे अब कोई न होगा । अभी तक नाटक होता था की जी कोई ख़ुफ़िया जानकारी नहीं है इसलिए कब कहा बम फट जाये कहना मुश्किल होता है , लो जी अब तो हर त्रासदी की पहले से खबर भी मिलने लगी यहाँ तक की भारी बारिस की खबरे भी पूर्व में दे दी जाती है , लेकिन ये हमारी सरकारों के कान है इसे बस राजनीति की आवाज ही सुनती और सुहाती है कुछ और न सुनाई देता है न दिखाई देता है , इस बार तो हद ही हो गई आतंकवादीयो के घुसने से लेकर  उनके नाम स्केच के साथ ब्लास्ट की जगह की जानकारी भी पहले से ही दे दी गई थी उसके बाद भी वही का वही हाल ,  यहाँ तक की पहले पकडे गए आतंकवादियों के बताये दो स्थानों में से एक हैदराबाद में पहले ही ब्लास्ट हो चुका है उसके बाद भी दूसरी जगह की सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया , अब और क्या चाहते है सूचना के नाम पर , क्या उन्हें आतंकवादी ला कर दिया जाये कि लो भाई  ये आतंकवादी है इसे पकड़ लो । कल टीवी पर खबर देख रही थी लिखा आ रहा था की सूत्रों के मुताबित आतंकवादियों ने हताशा में ये बम ब्लस्ट किये ????? कौन सी हताशा भाई जरा समझाइयेगा  , ये की इतनी सूचना के बाद भी भारतीय सुरक्षाकर्मी हमें पकड़ नहीं पाते है किसी ब्लास्ट को रोक नहीं पाते है , हर बार लोग मारे जाते है लेकिन इस भारतीय सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है, किस बात की हताशा है इन आतंकवादियों को कि  उनके सभी योजनाए बड़े आराम से पूरी हो जा रही है उन्हें "शहीद" होने का मौका नहीं मिल रहा है , हद है खबर देने वाले एक बार भी सोचते है की वो क्या लिख रहे है या पैसा मिला या सनसनी फ़ैलाने के लिए जो ठीक लगा बस खबर चला दी । 

                                  उस पर से ये अक्ल के अंधे ख़ुफ़िया विभाग वालो को भी दिमाग नहीं है की खबर निकाली कहा से जाये , देखिये दिग्विजय सिंह बता रहे है की ब्लास्ट का कनेक्शन कहा से है , उनके पास ऐसी ऐसी खबरे होती है की मुझे लगता है की उनका अपना ख़ुफ़िया विभाग देश के ख़ुफ़िया विभाग से ज्यादा मजबूत और तेज है,  कई बार तो कुछ  होने के पहले ही उसके होने की जानकारी मिल जाती है । मुझे तो लगता है की अगली बार एन आई ए को बम स्थल पर जाँच करने की जगह इंतज़ार करना चाहिए की राजा साहब क्या क्लू देने वाले है , या उन्हें ही जा कर उनसे पूछ लेना चाहिए की आप के पास इस बम विस्फोट से जुडी कौन कौन सी जानकारी है , ताकि सही लोगो को पकड़ा जाये , ऐसा न हो की देश की चार एजेंसिया चार तरह के लोगो को पकडे और बाद में इस बात का झगडा हो की किसी की सूचना सही थी किसके पकडे गए लोग असली वाले आतंकवादी है , हरा आतंकवाद या भगवा आतंकावाद , या लाल आतंकवाद , रंग रंगीले देश का आतंकवाद भी बड़ा रंगीला है ।
                    

                                    अब आप को क्या लग रहा है की मामला यहाँ पर ही शांत हो जायेगा , याद रखिये हर नहले के बाद एक दहला भी आता है है , इंतजार कीजिये दूसरी तरफ से भी खबर आ रही होगी बिलकुल गुप्त खबर की वर्मा में बौद्धों ने मुस्लिमो पर जो अत्याचार किया है उसके बदले के लिए भारत में बौद्धों के ऊपर और उनके धर्म स्थल को निशाना बनाया गया है , अब ये न कहियेगा की कहा वर्मा और कहा भारत , याद नहीं है तो फिर से याद कर लीजिये की मुंबई में म्यांमार से कुछ तथा कथित दंगो में हजारो मुस्लिमो के बौद्धों के द्वारा मारे जाने की फोटो आने के बाद यहाँ मुंबई में कितना बवाल मचा था कितना दंगा हुआ था । यही तो समस्या है की लोगो की यादास्त बड़ी कमजोर है इसलिए महान समझदार लोगो को आगे आ कर बताना पड़ता है लोगो को याद करना पड़ता है  । जब दिग्विजय सिंह एक दिन पहले मोदी के बयान से बम को जोड़ सकते है तो दुसरे भी  इसका कनेक्शन अपने मतलब की चीज से जोड़ दे तो कौन सा आश्चर्य की बात है और हा एक तीसरी कटेगरी भी है जो फिर से विदेशी हाथ , पकिस्तानी हाथ पैर आदि आदि का जानकारी देगा ।


                                          तो इंतज़ार कीजिये की देश की एजेंसिया जो सांप जाने के बाद लकीर पीटने की आदि हो चुकी है किसकी सूचना को ज्यादा पुख्ता मान कर किस तरह के ( रंग )  लोगो को पकड़ती है और सजा , नहीं नहीं सजा की बात न ही की जाये तो अच्छा है क्योकि वो भी यहाँ भगवान भरोसे ही होता है सारी दुनिया के सामने आतंकवादी हरकत करने वाले और फांसी की सजा की घोषणा होने के बाद भी उसे मारने के लिए भी भगवान को ऊपर दे डेंगू की बीमारी भेजनी पड़ती है , और निचे वालो को गुप्त फांसी का नाटक करके अपनी फंसी जान बचानी पड़ती है ।
                                         

                                              बिच में मरने कटने के लिए हम लल्लू , वैसाख नन्दक लोग है , जिनके जान माल की कोई कीमत नहीं है,  हम जब तक जिन्दा है तो वोट है नहीं तो मरने पर मुआवजा बन जाते है ,( हमारे टैक्स में दिए पैसे हमें ही दे कर मुआवजा कहते है )  हम आम जनता नेताओ के लिए जीता जागता चलता फिरता ए टी एम मशीने है , जो समय समय पर कभी वोट देता है कभी भ्रष्टाचार कर पैसा कमाने का मौका । तो चलती फिरती ए टी एम मशीने कोई मरा नहीं अभी तक इस नए नवेले बम विस्फोट में इसी बात की ख़ुशी मनाइये , अभी तक है जिन्दा है तो शुक्र मनाइये , फालतू के काम की जगह जरुरी काम निपटाइये  ,क्योकि अब भगवान् उसे पूरी करने का मौका आगे आप को दे न दे , इसलिए कप्यूटर पर समय बर्बाद न करके परिवार के साथ कुछ समय बिताइये ।




चलते चलते 

                      एक राजा साहब शिकार करते हुए जंगल में खो गए साथ में उनकी कानी उंगली भी चाकू से कट कर अलग हो गई ,साथ में मंत्री था , बोल जो होता है अच्छे के लिए होता है राजा को गुस्सा आया उसने मंत्री को सूखे कुए में धकेल दिया आगे बढ़ा तभी जंगलियो ने उसे पकड़ कर उसकी बलि देनी चाही लेकिन उसकी कटी  उनगलि देख छोड़ दिया की वो पूरा नहीं है , राजा भाग कर वापस आया मंत्री को कुए से निकला मंत्री ने कहा  देखा मैंने सही कहा था कि जो होता है अच्छे के लिए होता है  आप की उंगली कट कर अच्छा हुआ नहीं तो वो आप की बलि  दे देते , मुझे क़ुए  में ढकेल अच्छा किया नहीं तो आप की जगह मेरी बलि दे देते , अच्छा हुआ जंगल में खो गए तो पता चला की हमारे राज्य में ऐसे अशिक्षित लोग भी जिन्हें शिक्षा की जरुरत है , इसलिए जो होता है अच्छे के लिए होता है  । तो दिल बहलाने के लिए उसे बेफकुफ़ बनाने के लिए दुनिया  ये कहानी अच्छी है , चुपचाप आँखे बंद कर बस यही दोहराइए की जो होता है अच्छे के लिए होता है , ऑल  इज वेल,  ऑल इज  वेल :)


अपडेट - -- --- अपने रंग रंगीले देश की बात करते हुई इतने रंग के आतंकवाद की बात की एक रंग भूल गई थी  वो है नीला रंग ।  बम ब्लास्ट हुआ दूर वहा बिहार में वहा पर आर जे डी , बी जे पी  ने बेमतलब का बंद बुलाया तो भी बात समझ आती है वहा की विपक्षी पार्टी है ये उनका हक़ काम अधिकार है की ऐसे बेमतलब के काम करे किन्तु यहाँ मुंबई में बंद  हद हो गई,  आर पी आई नाम की एक दलित पार्टी जिसके मुखिया अठावले है जिन्होंने मांग की है की उन्हें महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बनाया जाय उनके सिट की संख्या शायद दहाई आकडा भी नहीं छूती है , अब आप समझ लीजिये , पहले कांग्रेस के साथ है अब शिवसेना गठबंधन में है उनके कार्यकर्ता मुंबई में दुकाने बंद करा रहे है नील रंग का झंडा लिए आम्बेडकर के नाम के खाने वालो को अब बुद्ध और बौद्ध धर्म में भी अपनी रोटी राजनीति दिख रही है , वैसे मुझे जानकारी नहीं है की बौद्ध धर्म कब से दलितों के साथ जुड़ गया केवल इसलिए की एक बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया है , लीजिये एक और कोण , ये हमला दलितों पर है  ।






July 05, 2013

हमारे पैसे फिर भ्रष्टाचार के भेट चढ़ेंगे --------------- mangopeople



खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर दुनिया जहान के आरोप प्रत्यारोप राजनितिक दलों द्वारा एक दुसरे पर लगाया जा रहा है  ,
 अभी तक सो रहे थे क्या ९ साल क्या किया ।
चुनावों के समय इसकी याद क्यों आई ।
ये खाद्य सुरक्षा बिल नहीं वोट सुरक्षा बिल है
ये गेम चेंजर योजना का एक और गेम है ।
इस गेम के बल पर हम २०१४ क्या १९ का भी चुनाव जित जायेंगे ।
अध्यादेश क्यों लाया जा रहा है ।
संसद में बहस क्यों नहीं हो रही है ।
विरोधी संसद चलने नहीं दे रहे है ।
आदि आदि न जाने कितने ही आरोपों को आप सुना चुके होंगे , यहाँ मै राजनितिक दलों  के आरोपों की नहीं बल्कि आप आदमी की बात करने वाली हूँ   । इसमे कोई दो राय नहीं है की जब देश में लोग भूख से मर रहे हो बच्चे कुपोषित हो तो ये सरकारों की जिम्मेदारी बनती है की वो इसे रोके और कम से कम लोगो को भूख से मरने जैसी हालातो को बदले । जब देश में अनाजो का इतना भण्डार है की वो खुले में पड़े सड रहे है तो उन्हें गरीबो को दे देने में कोई बुराई नहीं है और ये एक अच्छी योजना है । एक अच्छी योजना होने के बाद भी मै इस बिल का विरोध करती हूँ और मुझे इसका विरोध करने का हक़ भी है , क्योकि इस योजना को लागु करने के लिए सरकार ने कोई भी अन्य आय के साधनों को ईजाद नहीं किया है , न तो यहाँ कोयला खदानों , और न ही २ जी ३ जी स्पैक्ट्रम को बेच कर मिले पैसे से और न ही विदेशो और देश से मिले काले धन से और न ही अपने नीजि खर्चो में कटौती करके  इस योजना को चलाने वाली है , ये योजना उन्ही पैसो से चलेगी जो हम और आप टैक्स के रूप में सरकार को देते है ताकि वो हमें सुविधा दे सके , जो हमें मिलती नहीं है । इस लिहाज से जब कोई योजना हमारे दिए पैसो से चल रही है , तो हम देखे की उस योजना का क्रियान्वयन ठीक से हो और योजना अपने काम में सफल हो  ।
     
                                                       पीछे मुड़ कर देखे तो हमारे देश में भुखमरी और कुपोषण होना ही नहीं चाहिए था , सरकार मनरेगा योजना ( वो भी हमारे ही पैसो से चलता है ) के तहत गरीबो को साल में सौ दिन रोजगार की गारंटी देती है उसके बाद भी गरीब भूख से मर रहे है क्यों , बच्चो को स्कुलो में एक समय का मुफ्त खाना मिलता है मिड डे मिल के तहत , उसके बाद भी बच्चे कुपोषित है क्यों , आगनवाड़ी के तहत गर्भवती महिलाओ को भी खाने के लिए पैसे मिलते है फिर भी कुपोषित बच्चो का जन्म और कुपोषित माँ है और जच्चे और बच्चो की मौत का आकडा कम नहीं हो रहा है क्यों , साफ है की योजनाओ को ठीक से लागु नहीं किया जा रहा है , सारा पैसा भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रहा है  । इस बात को खुद नेता मंत्री भी जानते है और मानते है,  राजीव ने भी कहा की १ रु निचे आते आते १५ पैसा बन जाता है और दो दशक के बाद उनका बेटा कहता है की १ रु निचे आते आते १० पैसा बन जाता है , दो दशको में ५ पैसा और भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया , समस्या को माना तो गया किन्तु उसे ठीक करने का,  व्यवस्था को सुधारने का कोई भी काम नहीं किया गया ।  यहा कांग्रेस हाय हाय का नारा लगाने की जरुरत नहीं है पिछले दो दशको में देश में हर पार्टी ने राज किया है किसे ने भी इस काम को नहीं किया है,  सभी के राज में एक एक पैसे का भ्रष्टाचार बढ़ा ही है और इसे बढाने में सभी ने बराबर का योगदान दिया है इसलिए यहाँ मै "सरकारे या सरकारों " लिखे रही हूँ और दोष किसी एक का नहीं पूरी राजनीतिक व्यवस्था का है ।
     
                                                  दूसरी समस्या है राशन के वितरण की , सरकारी राशन वितरण की जो व्यवस्था हमारे पास पहले से है वो दुनिया के सबसे बेकार और भ्रष्ट व्यवस्था में से एक है जो पहले की योजनाओ को ही ठीक से नहीं चला रहा है ।  सरकारी राशन की दुकानों पर आने वाला ज्यादातर राशन खुले बाजार में बेच दिया जाता है , आम गरीब लोगो तक उसकी पहुँच नहीं हो पाती है,  तो भूख से मर रहे लोगो तक उसकी पहुँच कैसे होगी  । नहीं मै  आप के मोहल्ले के राशन क दूकान की बात नहीं कर रही हूँ , वहा कोई भुखमरी का शिकार नहीं हो रहा है , मै उन सुदूर गांवो आदिवासी इलाको की बात कर रही हूँ जहा सरकारी राशन की दूकान वाला माई बाप जैसे व्यवहार करता है , छोटे शहरों में तो फिर भी लोग लड़ झगड़ कर दबाव बना कर अपनी जरुरत का राशन सस्ते में सरकारी राशन की दुकानो से ले लेते है , किन्तु ये सब कुछ छोटे छोटे गांवो में आदिवासी इलाको में नहीं हो पाता है , वो पूरी तरह से उस व्यक्ति के दया पर निर्भर होते है जिसके हाथ में अनाज वितरण का काम होता है  । बिना पुरानी सड़ चुकी व्यवस्था को ठीक किये आप भूखो तक खाना कैसे पहुंचा पाएंगे ।
          
                                                                    तीसरा मुद्दा है की लोगो का चयन कैसे होगा , ये कैसे तय होगा की किन लोगो को इसके तहत अनाज दिया जाये , जिस आधार कार्ड की बात आप कर रहे है , उस तक भिखारियों , सड़क पर रहने वाले , खानाबदोशो , अनाथ बेघरो , और दूर बिहड़ो में बसे गांवो और जंगलो में रह रहे आदिवासियों की पहुँच नहीं है , उन्हें तो ये भी पता नहीं होता की सरकारों की कोई ऐसी योजनाए है , वो उसका फायदा उठा सकते है , आधार कार्ड जैसी भी की चीज है ,  ये बनता कहा है और इसके लिए जरुरी कागजात कहा से लाये । सड़क पर भीख मांगने वाले और घूम घूम कर बंजारों की तरह रहने वाले कहा से कैसे और किस आधार पर अपना आधार कार्ड बनवायेगा । यहाँ भी भ्रष्टाचार व्याप्त है , बी पी एल कार्ड हो या मनरेगा का जॉब कार्ड हो इस तरह के सभी कार्ड धड़ल्ले से गलत लोगो के बनाये जाते है , या जिनके पास अधिकार होता है वो खुद झूठे कार्ड बनवा कर उसके फायदे खुद लेता है  । यही कारण है की सही लोगो तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पाती है और हर रोज एक नए योजना का निर्माण किरना पड़ता है किन्तु हालत नहीं बदलते है ।
               
                                                           २००९ से सरकार इस पर काम कर रही है बात कर रही है किन्तु आभी तक कुछ जरुरी मुद्दों पर उसने ध्यान ही नहीं दिया जो इस योजना को ठीक से और चलाते रहने के लिए जरुरी था , सबसे पहले की इस योजना को चलाने के लिए पैसे कहा से आयेंगे अभी तो पैसे आवंटित कर दिए गए किन्तु ये कब तक चलेंगे उसके बाद इस योजना के लिए कोई आय का साधन निर्धारित नहीं किया गया है , नतीजा कुछ साल बाद पता चले की बढ़ता बजट घाटा , सरकारी खर्चो में कटौती , सब्सिडी में कटौती आदि आदि के नाम पर सबसे पहले इस तरह को योजनाओ को ही बंद कर दिया जाये , अनाज आज भी गोदामों के न होने के कारण खुले में सड़ रहा है , उस आनाज को बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की , इस तरह की योजनाओ को चलाने के लिए आनाज का उत्पादन भी बढ़ना चाहिए उसके लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है , फिर वही होगा की विदेशो से महंगे दामो में सड़े  हुए अनाज दुनिया में ब्लैकलिस्टेड हो चुके कंपनियों से मंगा कर एक और घोटालो की योजना है , ये सब नहीं किया क्यों की पहले ही मन बना लिया है की ये सब चुनावों तक रहेगा फिर इस व्यवस्था को भी कैश पैसे देने में बदल दिया जाएगा , ये लो कैश पैसा अब इससे खाना खाओ या दारू में उडाओ हमें क्या , पैसा कैश लो और वोट हमें दो , और यही कारण है की संसद का सत्र सामने होने के बाद भी अध्यादेश लाया जा रहा है ताकि इस योजना को बाद में कैश के रूप में बदलने के प्रावधानों को संसद में बदला  न जा सके । भला हो कुछ टीवी कार्यक्रमों का जिससे हम आम लोगो को पता चलता है की हो क्या रहा है , कल बताया गया की यदि इस बिल को संसद में रख कर बहस कराया गया तो इस बिल में संसोधन की मांग हो सकती है और सरकार को मजबूरी में उसमे संसोधन करना पड़  सकता है ताकि बिल पास हो सके किन्तु यदि वो अध्यादेश लाती है और उसके बाद संसद में इस पर बहस करा कर पास करती है तब इस बिल में कोई भी संसोधन नहीं हो सकता है उसे वैसे ही पास करना होगा , और सरकार नहीं चाहती है की बाद में इस योजना को अनाज के बदले कैश देने की बात को बदला जाये, क्योकि उसे भूखो को खाना देने में कोई रूचि नहीं है वो बस किसी भी तरह इसे लागु कर वोट बैंक अपनी तरफ करना चाहती है ।  सरकारों का मतलब वोट तक है,  होना भी चाहिए वो सारे काम ही वोट के लिए करते है , राजनितिक दल है तो राजनीति ही करंगे इसमे कोई बुराई नहीं है  किन्तु जिन पैसो से आज अनाज खरीद कर गरीबो को दिया जाएगा ओर भविष्य में जो पैसे कैश दिए जायेंगे , वो हमारी मेहनत के होंगे हमारे दिए टैक्स के पैसे के होंगे इसलिए माननीय नेतागढ़ आप लोगो की इस योजना को ठीक से लागू करने की इच्छाशक्ति न होने के कारण मै इस योजना का विरोध करती हूँ और साफ मना करती हूँ की मेरे पैसो को एक और भ्रष्टाचार की भेट न चढ़ाये , जिस दिन लोगो को भूख से न मरने देने की इच्छाशक्ति आ जाएगी और सच में जमीनी रूप से योजना को ठीक से लागू करनी की सोच आ जाएगी उस दिन के लिए हमारे पैसे आप के पास सुरक्षित पड़े रहे तो ही अच्छा  ।

चलते चलते             
                                      क्या सरकारे, क्या नेता क्या आम लोग जब पैसो की बात आती है तो सभी एक हो कर उसे लुटने में लग जाते है , गरीबो के लिए मदद के नाम पर आम लोगो ने भी धंधा चला रखा है की अब तो एक पैसा भी दान देने की इच्छा नहीं होती है । केदारनाथ त्रासदी के बाद साधुओ ने मंदिर लुटा , आम खच्चर वालो और स्थानीय लोगो ने यात्रियों को लुटा,  वहा व्यवस्था करने के नाम पर सरकारी अधिकारी पहले ही सरकारी खजाना लुट चुके थे , त्रासदी के बाद नेता ने प्रचार लुटा , फिर राहत के नाम पर सरकारी खजानों की लुट शुरू हुई और आगे और होती रहेगी ,  किन्तु इसमे भी आम लोग पीछे नहीं रहे , अभी फेसबुक पर कुछ लोग सामने आये है जिन्होंने बाकायदा एयरफोर्स का लोगो लगा कर आम लोगो से दान देने की गुजारिश कर दी बाकायदा एकाउंट नंबर भी दिये गए , सेना की शिकायत पर उस पेज को बंद कर दिया गया जल्द वो पकडे भी जायेंगे , एक बेटा पकड़ा गया जिसके पिता ७ साल से गायब दे और उसने कहा की हाल में केदारनाथ से गायब हुए ,  , इतने दिनों बाद इलाहबाद में एक एक कर गंगा से  १५ लोगो के शव मिलने की खबर आ रही है जिसके लिए दावा किया जा रहा है की वो केदारनाथ से बह कर आये है , अभी और न जाने कितने जिन्दा लोगो और कितने पहले से मरे लोगो के केदारनाथ से गायब होने की खबरे आएँगी , और कुछ "बदनशीब" बैठ कर घरो में मातम मना रहे है की उन्होंने भी अपने माता पिता को चार धाम की यात्रा पर केदारनाथ ...............










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पहले ही .क्यों नहीं भेज दिया ।