December 17, 2016

लघु कथा पॉजिटिव एटीट्यूट -------mangopeople



 "क्या बात है शीशे में खुद को इतना गौर से देख खुद ही मुस्कुरा रही हो " 
" हां यार पता न था कि मैं अभी भी इतनी जवान जहान हूँ " 
" ये लो अभी हफ्ता भर पहले बालो को रंगने की सोच रही थी , आँखों के निचे रिंकल देख , रिंकल क्रीम को गाली दे रही थी अचानक सब बदल गया "
" हां वही तो , मेरा बर्थडे आने वाला था सोच रही थी बाप रे चालीस की हो जाऊंगी अब अपनी और केयर करना शुरू कर देना चाहिए , फिर ऐसी तारीफ मिली की लगा मैं बेकार की बात सोच रही थी ।  "
" तारीफ किसने की जरा हमें भी तो बताओ , कौन है जो हमारे पीछे इतनी तारीफे कर चला जाता है तुम्हारी "
" तुम्हारे पीछे कहा तुम्हारे सामने ही तो कल रात किया तुम्हारी मामी बहन ने , पहली बार देखा न मुझे , फ़िदा हो गई "
" तुम्हारी तारीफ कब "
" अरे तुमने सूना नहीं , उन्होंने मुझे क्या कहा , बहु सिंदूर बिछिया पायल कुछ नहीं पहनती , बाहर कुँआरी दिखना चाहती हो क्या , ताकि चार लडके लाईन मारे । बस तब से ही सोच रही हूँ कि हाय अभी भी ऐसी दिखती हूँ की बाहर लडके मुझे लाईन मारे । 
" वाह क्या गजब सोचती हो , सच्ची , इसे कहते है पॉजिटिव एटीट्यूट "
" करना पड़ता है , ऐसा सोचना पड़ता है , उन्हें तो मैंने मुंह तोड़ जवाब दे दिया जीवनभर याद रखेंगी मुझे , अंत में मेरी हा में हा मिला कर गई । लेकिन खुद को कैसे संतुष्ट करू खुद को कैसे बहलाऊ कि किसी ने मेरे पति के सामने मेरे चरित्र पर उँगली उठा दी और वो चुपचाप सुनता रहा । फिर अपने दिल को बहलाने के लिए ऐसा सोचना पड़ता है ।" 

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