January 04, 2017

ये शहर नहीं जंगल है , सतर्क रहिये -------mangopeople



                                                                   कोई कुछ भी कहे किन्तु मुझे भी गलती उन लड़कियों की ही दिख रही है । आये दिन जिस तरह की वारदाते हो रही है उसे देखते हुए उन्होंने कैसे सोच लिया की वो एक सुरक्षित समाज में है और उन्हें सुरक्षा के कोई उपायो की कोई जरूररत नहीं है । कितनी बार पर्स में पेपर स्प्रे रखने की सलाह दी गई , चाकू ब्लेड से लेकर कुछ भी अपने लिए रख सकती है । कितनो ने अभी तक हथियारों के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया है । दुसरो को कुछ मत कहिये गलती आप की है जो आप समझती है कि आप एक सभ्य समाज में रह रही है , जब आप घर से निकले तो समझिये आप जंगल में है और चारो तरफ जंगली जानवर , जिनसे आप को हर समय सतर्क रहना है और आप का शिकार करने के लिए बढे तो सीधा गोली मार दीजिये ।
                                                                   पढाई लिखाई किसी इंसान की सोच नहीं बदल सकते है , ये सब बाते आप की अपनी गलतफहमी है पढ़ा लिखा आदमी ये सब नहीं करता । कितना भी पढ़ ले आदमी आदमी ही होता है इंसान नहीं बन जाता । पढ़ा लिखा आदमी सीना ठोक कर रोज बताता है , Men will be Men और पुरातनपंथी कहता है कि आदमी के अंदर जानवर होता है , उसे उकसाना नहीं चाहिए । वो तो स्त्री रूपी प्लस्टिक के उन पुतलो को भी देख भड़क जाता है , जो कम कपड़ो में हो , मुम्बई में उन्हें हटवाया गया , क्योकि वो आदमी को आदमी बना रही थी , अंदर के जानवर को उकसा रही थी । आप तो जीती जागती है और आप की जान बहुत कीमती , हर हाल में उन जानवरो से ज्यादा , जो अपनी जरुरत के लिए आप के जान की भी परवाह नहीं करेंगे ।

                                                                  मैं अब भी कहा रही हूँ , पुरुषो को और उनकी सोच को दोष देना अब बंद कर दीजिये , जो चीज नहीं बदल सकती उसे हर बार दोष नहीं दिया जा सकता है । उसे उसके हाल पर छोड़ आगे बढ़ाना चाहिए और अपनी तैयारी करनी चाहिए, यदि सुरक्षित रहना चाहती है । जब दूसरे न सुधरे तो अपने आप को बदल देना चाहिए । आप के साथ कोई पुरुष हो न हो , आप दिन में चले या रात में , सुनसान जगह या भीड़ में , अपनी जिम्मेदारी खुद लीजिये । इस पागलपन में मत जिये की कोई और जरुरत पड़ने पर आप की मदद को आयेगा , सोचिये की जब आप घर से निकलती है तो जंग पर जा रही है , और दुश्मन कोई भी हो सकता है , और जंग पर जुबानी हथियार से नहीं जाते । तैयार कीजिये अपने शरीर को दिमाग को मन को , तैयारी हर तरह के हथियारों के साथ ।



4 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं सहित ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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    1. मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए धन्यवाद ।

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