January 09, 2017

चीजो का नॉनवेज एंगल --------- mangopeople




                                                     ज़माने पहले कही पढ़ा  पहले नाइस का अर्थ बेवकूफ होता था फिर धीरे धीरे इसका मतलब बदल गया , सोचा क्या फालतू की बात लिखी है ।  एक शब्द को कई जगह कई तरीके  से प्रयोग कर सकते है ये बात तो समझ आती है किन्तु उसका मतलब ही बदल जाये वो भी बिलकुल विपरीत अर्थ हो जाये, ये कैसे हो सकता है । बाद में समझ आया की हो सकता है ।  सालो बाद एक फिल्म के पोस्टर और प्रचार में " तेरी लूंगा " "तेरी कह कर लूंगा" जैसे वाक्य प्रयोग हुए तो समझ न आया की आखिर कहा क्या जा रहा है ।  इससे जुड़ा और एक वाक्य  "तेरी बजेगी" या " तेरी बजायेंगे " भी सुन रही थी । लगा जब हम छोटे थे तो ली जाती  खबर मतलब आप को डांट पड़ेगी और बजती थी बैंड मतलब अब पिटाई होगी । इससे ज्यादा इसका कोई मतलब नहीं था । लेकिन धीरे धीरे सुन कर और लोगो के बोलने के अंदाज से इसके आधुनिक मतलब पता चल गये और मान लिया की अब आगे से इसका आधुनिक वर्जन यानि नॉनवेज वर्जन को ध्यान में रखा जायेगा और इसका प्रयोग नहीं किया जायेगा । 

                                                     ये पहली बार नहीं था , मुम्बई में जब पहली बार आई तो एक और शब्द सुना  "फटी पड़ी है" । लोगो के बोलने का अंदाज ऐसा था कि कभी लगे वेज कभी लगे नहीं इसमे कुछ तो नॉनवेज है । एक दिन पति से पूछ ही लिया कि ये " फटी पड़ी" में क्या  फट रहा है , हमारा तो दिमाग ही फटता है पर लोग जिस तरीके से बोलते है उससे लगता है कि कुछ नॉनवेज सा फट रहा है ।पति ने हंसते हुए कहा कि है तो नॉनवेज लेकिन तुमको  क्यों जानना है कि क्या फट रही है । जवाब दिया पता तो चले की अंडा है या मिट ताकि कोई बोले तो उसे टोका जा सके , वैसे क्या जहा मिर्ची लगती है वही । ठहाके मारते उन्होंने कहा अरे वाह ये पता है कि मिर्ची कहा लगती है । मैंने कहा नहीं वो भी लगता था कि मिर्ची बदन में  मुंह में लगती होगी एक दिन एक दादी टाईप ने खुल कर पूरा बोला कि तुम्हारी कार में मिर्ची लगी तब पता चला की ये तो बोलने वाले की  इच्छा पर है कि वो मिर्ची कहाँ  लगाये । उन्होंने आश्चर्य में पूछा कार में मिर्ची कैसे लगती है । अरे यार उसका हिंदी सोचो ना , ग्रीन मैंगो मच की तरह ,अभी मेरे दिमाग में  नॉनवेज चल रहा है तो उसको हिंदी में नहीं बोल पा रही , गाली जैसा लग रहा है । उनका हस हस बुरा हाल बोले पर गाली को थोड़ा अलग तरीके से बोलते है । मैंने कहा जाने दो हमें पता है किसे क्या कहते है , अभी दिमाग जरा उधर चल रहा है तो वही लग रहा है नहीं तो बोलने में क्या था । कुछ साल बाद देखा मेरी एक मित्र भी ये बोलती , अच्छा तो नहीं लगता लेकिन कभी टोका नहीं एक दिन उन्होंने बच्चो के लिए बोल दिया तो मुझे लगा की उन्हें भी इसका मतलब  नहीं पता होगा ।  तुरंत उन्हें ज्ञान दिया बेचारी शर्म के मारे हाय हाय मुझे तो पता ही नहीं था करती रही । 


                                               कुछ दिनों पहले फेसबुक पर पढ़ा आलू कचालू बेटा  कहा गए थे जैसा बचपन में गाई कविता , जो हर बच्चा धड़ल्ले से गाता आ रहा है उसका भी एक नॉनवेज एंगल है । वहा लोगो के कमेंट पढने के बाद जब दुबारा इस कविता को पढ़ा "आलू कचालू बेटा कहाँ गये थे मम्मी के बिस्तर पर सो रहे थे " तो लगा बस एक गन्दा दिमाग होना चाहिए आप आराम से इस कविता मतलब नॉनवेज कर सकते है । कविता क्या एक गंदा दिमाग किसी भी चीज का एक नॉनवेज एंगल देख सकता है ।  

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