October 27, 2017

ये उन दिनों की बात है --------- mangopeople


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दूसरा और आखरी भाग
           
                                    ऊपर भाभी के कानो में भी बाउजी की आवाज जा चुकी थी , वो सब काम छोड़ निचे की और भागी |  अब तो मेरा ससुराल और पति दोनों छूटा , सब उसी पर ननद को बिगाड़ने का इलजाम लगायेंगे और सजा के तौर पर उसे उसके घर पंहुचा दिया जायेगा | निचे आई तब तक बाउजी बैठक के दरवाजे पहुँच चुके थे सामने हक्के बक्के खड़े दामाद को देख चौक  पड़े | अरे दामाद जी आप अचानक यहां कैसे और दामाद के जैसे ठंड ने होठ सील दिये हो उसे सूझी नहीं रहा क्या जवाब दे | तभी पीछे से हड़बड़ाई  सी भाभी ने जवाब दिया अरे शारदा चाची से मिलने आये थे इनकी रिश्ते से बुआ लगती है ना पर चाची थी नहीं तो यहाँ गये हम लोगो मिलने | अब जा कर दामाद जी को होश आया और ससुर के पैर पड़ते पूछा भाभी ने बताया आप कचहरी गये है हमें तो लगा किसी से मुलाक़ात ही न हो पायेगी ,क्या हुआ वापस कैसे आ गये | अरे चौक तक ही गया था तो गांव के एक लोग मिल गये बोले वकीलों की हड़ताल हो गई है , जाने से कोई फायदा नहीं है कुछ होने वाला नहीं है | शाम को वकील साहब से पूछ लूंगा फोन कर अगली तारीख कब की पड़ी है | लेकिन भाभी की चिंता दूसरी थी उन्हें कमरे में सीमा कही नहीं दिख रही थी जैसे ही बाउजी अपना झोला अलमारी में रखने के लिए मुड़े उन्होंने इशारो में नन्दोई से पूछा सीमा कहा है | नन्दोई के इशारो में ये बताने पर की सीमा चौकी के निचे है उनके होश उड़ गये | पहले तो उसने सुबह चौकी पर नई चद्दर बिछाते समय चद्दर को आगे लटका के चौकी के निचे के हिस्से को छुपाने के लिए खुद को धन्यवाद दिया फिर दूसरा ख्याल आया हाय राम एक तो उसने कोई शॉल या स्वेटर न पहना है एक हलकी सी साड़ी  ही पहन रखी है उस पर से चौकी के नीचे ठंडी  जमीन पर पड़ी है |   अब कुछ पल के लिए ही बाउजी को किसी तरह भी कमरे से निकाला जाए  तभी कुछ हो पायेगा  |  बाउजी चलिये आप के पैर धुला देती हूँ बाहर से आये है उसने एक प्रयास किया  | अरे उसकी जरुरत नहीं है चौक तक ही तो गया था पैर साफ़ है और वो दामाद के साथ चौकी पर बैठ बातो में लग गए | जबकि उस बेचारे से न बोला जाए न कुछ समझ आये | तभी भाभी वापस कमरे में आई उसने अपने शॉल  के निचे एक और शॉल  छुपा रखा था | धीरे से बाउजी के पीछे जा कर पूछा क्या लाउ बाउजी और इसी बीच उसने शॉल निचे गिरा कर पैरो से उसे चौकी के अंदर धकेल दिया | ये ओढ़ लिया तो कम से कम ननद की जान तो बचेगी नहीं तो आज चाहे शर्म से चाहे ठंड से उसका मरना तो तय है उसने मन की मन सोचा | बाउजी से चाय लाने की बात सुन तुरंत उसके दिमाग में एक उपाय कौंधा | फटा फट वहा रखी चाय उसने गर्म कर उन्हें दिया और ठंड बहुत है कर पुरे आधे ग्लास भर चाय उन्हें पकड़ा दिया |      रसोई में आ कर उसने तय किया की आज बाउजी और ननद की जान में से वो ननद की जान बचायेगी | बाउजी शुगर के मरीज है , अभी आधा ग्लास चाय पीया है अभी मिठाई दे कर एक ग्लास और पानी पिलाऊंगी और फिर दोपहर के लिये बनाई खीर दूंगी उसके बाद एक और ग्लास पानी | इतने के बाद तो जरूर उन्हें हल्का होने गुशलखाने जाना होगा | उतना समय काफी है ननद को वहा से निकालने के लिए | मीठा उन्हें मिलता नहीं और आज कोई रोकने  वाला है नहीं जरूर मेरे जाल में फसेंगे | चाल कामयाब रही लेकिन इन सब में पुरे एक घंटा निकल गया |
                                                                                     
                                                       ईधर बाउजी कमरे से बाहर निकले भाभी और दामाद जी तुरंत चौकी के निचे झुक चद्दर हटाया  | अंदर सीमा अपने पैरो को घुटनो से मोड़ दोनों हाथो से जकड सीने से लगा सिकुड़ कर लेटी पड़ी  ठंड से कांप रही थी और दांतो से आवाज ने निकले इसलिए मुंह में आँचल ठूस रखा था | भाभी ने धीरे से पूछा शॉल  था उसे क्यों नहीं ओढ़ लिया | उसके मुंह से सिर्फ घु घु आवाज आई तब भाभी ने हाथ आगे बढ़ा उसके मुंह से आँचल निकाला | ज़रा भी हिलती डुलती तो पिताजी को पता चल जाता जीते जी मर जाती मै उससे तो अच्छा था कि यही डंठी से धरती मैया के गोद में मेरी अर्थी सज जाती | अच्छा ठीक है अब जल्दी बाहर निकल बाउजी के आने से पहले यहां से चल | अरे भाभी मेरे तो हाथ पैर जाम हो अकड़ गए है खुल ही नहीं रहे | अरे देख क्या रहे है नन्दोई जी इसे बाहर खिचिये भाभी ने अपनी चीख को रोकते कहा | अभी तक हक्का बक्का हो सारा तमाशा देख रहा पति फटाफट थोड़ा अंदर घुसा और गठरी बनी अपनी पत्नी को बाहर खींचा | भाभी ने वहा पड़ी शॉल उसे ओढ़ा कहा जल्दी उठाइये और बगल में रसोई में ले चलिए | उसने भी ठंड से कांपती  पत्नी को गोद में उठाया और रसोई की तरफ चल पड़ा जो बैठक के बगल में ही थी |
                                                       
                                            कोई और मौका या समय होता तो ये पल कितने रोमांटिक और खुशनुमा होता जब पति पत्नी को गोद में लिया जा रहा हो | कुछ देर पहले  जिसे पत्नी के एक  स्पर्श के  लिए  गले लगाने के लिए  पति उतावला हुआ जा रहा था अभी उसी पत्नी को बाहो  में भरे होने के  बाद भी कोई उत्साह और प्रेम नहीं था बल्कि डर और खौफ भरा पड़ा था दोनों के मन में |    भाभी ने उसे  चूल्हे के पास पीढ़े पर बैठाने के लिए कहा चूल्हा गर्म ही था भाभी जल्दी जल्दी अपने हाथ गर्म करके उसके हाथ पॉंव मलने लगी और सीमा अभी भी सर से पैर तक खड़खड़ा रही थी | भाभी को हाथ पैर मलता देख पति को भी होश आया की उसे भी बूत की तरह खड़ा नहीं रहना चाहिए उसे भी अपनी पत्नी के लिए कुछ  करना चाहिए लेकिन जैसे ही उसने पत्नी का दूसरा हाथ पकड़ उसे मलने की कोशिश की |  भाभी बोली नन्दोई जी जल्दी से बैठक में जाइये बाउजी आ गये और आप को देखे लिया तो सारी पोल खुल जायेगी | बेचारा पति जिस पत्नी से मिलने के लिए इतने जतन किये उसी को इस हाल में छोड़ कर जाना पड़ रहा था | लेकिन बड़े बुजुर्गो का डर उस ज़माने में जो करवाये वो कम था | पति महोदय अगले एक घंटे तक ससुर के साथ बातो में उलझे रहे | घंटे भर बाद अचानक से बाउजी ने बड़ी बहु को आवाज लगाई वो अभी भी सीमा को गर्म तेल मल उसे ठंड से बचाने में लगी थी |
                                                         
                                               बैठक में आते ही बाउजी बोले भाई दामाद जी इतनी दूर से आये है सीमा को बुलाओ मिल ले | अब भाभी को काटो तो खून नहीं सीमा की ये हालत ही नहीं थी की उसे यहां लाया जाये | लेकिन बाउजी को जवाब क्या दे वो हा कर चली गई | सीमा को दो स्वेटर पहनाए ऊपर से शॉल भी दिया ताकि उसका ठंड से खड़कना तो बंद हो लेकिन वो रुके तब ना | भाभी किसी तरह उसे पकड़ कर बैठक में ले गई | अब पिता जी के सामने उसने नजर उठा कर भी पति को न देखा | ऐसा है बहु दामाद जी को अम्मा के कमरे में ले  कर चली जाओ दोनों आराम से बाते कर लेंगे | ये सुन तो जैसे तीनो शून्य हो गए ये क्या  हो गया आज बाउजी इतने उदार कैसे हो गए , घर के संस्कार ही बदल दिए | अब ये बदलते जमाने की हवा थी या जमाने बाद इतना मीठा खाने की ख़ुशी लेकिन बाउजी ये बात सुन भाभी की पकड़ सीमा से ढीली हो गई और वो फिर से सर से पांव तक हिलना शुर हो गई | अरे इसे क्या हुआ बहु | कुछ नहीं ज़रा ठंड लग गई है तबियत ठीक नहीं है | अरे इसे तुरंत इसके कमरे में ली जाओ बोरसी जलाओ और इसे रजाई में सुलाओ | ऐसा करो अजवाइन तेल में गर्म करके इसके हथेलियों में मलो ठीक हो जायेगी | जी बाउजी कह भाभी सीमा को लेजाने लगी दामाद जी भी उदारता का लाभ उठाते हुए उनके साथ जाने को उठे ही थे कि पिताजी ने कहा आओ बेटा हमारे पास बैठो सीमा को आराम करने दो |
                               
                                             दमाद जी शाम तक ससुराल  में रुके थे बाउजी से घंटो बात की  भैया लोगो से भी मिले और शाम तक अम्मा भी आ गई उससे भी मिले | लेकिन जिससे मिलने आये थे जिसके लिए इतने किरिया करम किये उसे जी भर देख भी न सके | भाभी सारे दिन दामाद जी के खूब आव भगत में लगी रही साथ में बीमार पड़ी सीमा की भी देखभाल करती रही , रात तक थक कर चकनाचूर हो चुकी थी | और सीमा ऊपर कमरे में रजाइयों में पड़ी रही , उसे तो कुछ होश ही  न था | और तीनो यही सोच रहे थे जो काम बस बाउजी की मिठाईया खिला कर आसानी से हो सकता था उसके लिए सब ने क्या क्या किया और सफल भी न हुए | समाप्त

#ये_उन_दिनों_की_बात_है 

ये उन दिनों की बात है ---------- mangopeople




                                                              ये उन दिनों की बात है जब परिवार के सामने पति पत्नी एक दूसरे से बात क्या एक दूसरे को सीधा देखा भी नहीं करते थे | बेटिया पति के साये से भी दूर भागती थी जब पिताजी या बड़े भाई घर पर हो | शर्म नैतिकता का इतना हाई डोज बेटियों को दिया जाता था कि लडकिया शर्म के बजाये ठंड से मरना ज्यादा अच्छा समझती थी | करीब ८६-८७  की बात होगी बनारस के पास एक गांव की | सीमा की शादी नवम्बर में हुई और दिसम्बर के पहले सप्ताह वो  दो महीने के लिए मायके चली आई |   पति का फोन तो आता लेकिन उन दिनों घरो में एक ही लैंडलाइन होता और जो  बैठके में रखा होता जहा कभी कभी पूरा मोहल्ला तो कभी पूरा खानदान बैठा बाते सुन रहा होता | सीमा पति की बातो का जवाब हां, नहीं, ठीक हूँ, अच्छा, से ज्यादा दे ही नहीं पाती | नया नया विवाह और १८-२२ की कमशीन सी उमर दोनों की,  उस पर भयंकर सा जाड़ा और इतनी लंबी जुदाई | एक दिन उसके पति ने कह दिया की करो कोई जतन मुझे तो मिलने आना है और ध्यान रहे घर में पिताजी और बड़के भैया लोग न हो , क्योकि उनके सामने तो अकेले में मिलना तो दूर लोग उसकी पत्नी को ठीक से देखने भी न देंगे , कम से कम घडी भर तुमसे बात तो कर सकू  | सीमा फोन पर सुनती रही फिर समस्या अपनी बड़ी भाभी को बताया | हाथ जोड़ उपाय करने को कहा क्योकि पति का भरोसा नहीं ,  ना माने और चला आए , फिर कुछ ऐसा ना हो जाए कि उसे पिताजी और भैया के सामने  शर्म की दिवार गिरानी पड़े |

                                                 भाभी ने सोचा भैया लोग समस्या तो है  नहीं रोज ही काम पर जाते है , लेकिन अम्मा और बाउजी तो घर में ही रहते है उन्हें कैसे हटाया जाये | फिर एक रोज खबर आई की कोर्ट की तारीख पड़ गई है और पिताजी को बनारस जाना है | तय हुआ बस अम्मा को टरकाने का बहाना खोजा जाए और अगले ही दिन भाभी अम्मा के सामने नानी और मामा का जिक्र ले बैठ गई फिर क्या था घंटे भर में अम्मा के आँखों से आशु झरने लगे और अपनी माँ  से मिलने को तड़प उठी | भाभी ने भी गर्म तवे पर फट रोटी डाली और अम्मा से कहा कि वो जा कर मिल आये उनसे | लेकिन अम्मा ने वही रोना रोया जिसके बारे में भाभी को पहले से ही पता था | मै गई तो बाउ जी  खयाल कौन रखेगा , दिन भर उनका कुछ न कुछ तो लगा ही रहता है | ऐसा करो अम्मा कोर्ट की तारीख जिस दिन की पड़ी है उसदिन चली जाओ सबेरे की बस पकड़ कर , बाउ जी भी रात के पहले न आयेंगे , जो एक बार बनारस गये आप भी रात तक लौट आना | भाभी की रोटी अच्छे से पकी और अम्मा ने हा कर दिया |
                                                                सीमा ने इशारो में  पति को फोन पर बोला  पिता जी बनारस जा रहे है कोर्ट की तारीख पड़ी है | बंदा समझदार निकला झट बात समझ गया | पति ने इस बीच नई नवेली पत्नी के लिए उपहार लिया और इधर सीमा और भाभी मेहमान की आवभगत की तैयारी में लग गये वो भी बिना किसी के पता चले | वो दिन भी आ गया जब दोनों की मुलाक़ात होनी थी | इधर पिताजी घर से निकले और शायद चौक तक भी न पहुंचे होंगे दामाद जी घर के अंदर | भाभी और सीमा दोनों घबरा गये  ,भाभी ने झट नन्दोई को बैठक में बिठाया और पूछ बैठी कही पिताजी ने देख तो न लिया अभी अभी ही घर से निकले है | भोला सा दामाद तपाक से बोला वो तो सुबह ७ बजे ही आ गया था कब से घर के बाहर वाली चाय की दूकान पर बैठा कितने कुल्लड़ चाय पी गया पिताजी के जाने के इंतज़ार में | ठंड का फायदा मिला और मफलर से पूरा चेहरा ढक रखा था किसी ने पहचाना भी नहीं | भाभी को उनका उतावलापन देख हँसी आ गई इतनी ठंड में सुबह ५ बजे चले होंगे अपने घर से , जबकि पता था वो घर में १० पहले न आ पाएंगे | समझदार भाभी जाते हुए नन्दोई को छेड़ते बोली अभी सीमा को भेजती हूँ लेकिन उसके उसके आते किवाड़ न बंद कर लेना मै बगल की रसोई में ही खाने की तैयारी कर रही हूँ | इधर पति की धड़कने और  उतावलापन बढ़ने लगा इधर सीमा जनवरी की कड़क ठंडी में भी बस साडी पहन पति के सामने आई |   कुछ फैशन का जोश था कुछ पति से मिलने की चाहत में रगो में  दौड़ते गर्म खून की  गर्मी उसे ठंड न लग रही थी ,  तन पर न स्वेटर न शॉल |

                                                दोनों की आँखे मिली और दोनों मुस्कराये पति ने उसकी तरफ बढ़ते हुए  पूछा कैसी हो | सीमा ने तुरंत भाभी के बाहर खड़े होने का इशारा कर उसे रुक जाने को कहा , तभी भाभी दोनों के लिए अंदर चाय रख ये बोलती चली गई कि वो अब न आयेगी दुबारा उन्हें डिस्टर्ब करने जो चाहिए रसोई से ले लेना वो कुछ देर के लिए ऊपर अपने कमरे में जा रही है | अब अंधा क्या चाहे दो आँखे , दोनों के कुछ पलो का एकांत ही चाहिए था जो मिल रहा था | पति की इच्छा तो तुरंत ही आगे बढ़ पत्नी को गले लगा लेने की थी , लेकिन उसने तुरंत ही खुद को रोका | मै पति हूँ ऐसा आवारा प्रेमियों की तरह का व्यवहार मुझे शोभा नहीं देती मुझे संयम रखना चाहिए  | पत्नी से ऐसे खुलेआम प्यार जताया तो सर पर चढ़ जायेगी कभी मेरी इज्जत न करेगी मेरी बात न मानेगी अपनी मनमानी करेगी और वो आखिर में क्या सिखाया था दोस्तों ने उसने बहुत जोर दिमाग पर लगाया लेकिन वो याद न आया | लेकिन जैसे ही उसने सीमा को प्यार से अपनी तरफ बढ़ते देखा तो उसे लगा दोस्तों की सीख को आज के लिए आराम देना  बेहतर है अच्छा हो समय और मौके के हिसाब से व्यवहार किया जाये वरना भोर से ठंडी हवाओ के थपेड़े झेलना बेकार हो जायेगा | पत्नी खुश हो जाए सोच उसने झोले  से गिफ्ट रैप किया उपहार उसकी और बढ़ाया गिफ्ट लेते देते पति के हाथो का स्पर्श सीमा के कानो में प्रेम की घंटिया बजा गया  और उसी घंटियों के बीच उसे अपना नाम सुनाई दिया सीमा लेकिन  ये क्या आवाज पति की नहीं पिता जी की थी | सीमा ने मन ही मन सोचा पिताजी का डर इतना मन में समाया है कि कानो में उनकी आवाजे आ रही है |  लेकिन जो दूसरी आवाज कान पड़ी वो थी बड़ी बहु वो भी पिता जी की ही आवाज थी | अचानक उन दो प्रेम के पंछियो की तन्द्रा टूटी | अरे ये तो पिता जी की आवाज है लेकिन वो वापस कैसे आ गए  और अब तो वो आँगन में आ चुके है अब सीधा बैठक में आयेंगे |
                                                                       सीमा को लगा जैसे उस पर घड़ो पानी पड़ गया हो , अब क्या होगा पिताजी अभी अंदर आयेंगे पति के साथ उसे अकेला कमरे में देख उन पर क्या गुजरेगी | हाय मै कैसे उनका सामना करुँगी , उन्ही क्या बताउंगी की दामाद जी अचानक कैसे आ गए और हम दोनों अकेले यहाँ क्या कर रहे है | दामाद जी कैसे उसी दिन घर आये जब घर में कोई नहीं था | हाय मै आज के बाद कैसे उनका सामना करुँगी | फिर ये बात अम्मा के साथ भैया लोगो को भी पता चलेगी, ओह ! मै तो इस घर में एक पल भी किसी से नजरे नहीं मिला पाऊँगी , अब मेरा क्या होगा  | धीरे धीरे बात पुरे गांव में फ़ैल जायेगी और मै हर जगह बदनाम हो जाउंगी | उसने मन ही मन बोला हे धरती मैया तुम यही और अभी फट जाओ और आज मै उसमे समा जाऊ |  उधर दामाद का दिमाग भी काम नहीं कर रहा नये नये ससुराल में इज्जत उतरेगी बात घर तक भी जायेगी |  किसी को बता के नहीं आया हूँ , बाबूजी खाल उधेड़ेंगे और भाभियाँ भैया जोरुका गुलाम कह चिढ़ाएँगे , अम्मा तो बोल बोल बुरा हाल करेंगे  | तभी सीमा ने न आव देखा न ताव झट चौकी के निचे घुस छुप गई और वही खड़ा उसका पति उसके इस काम को आँखे फाड़ फाड़  देखता रह गया |

क्रमश
                                                                  
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#ये_उन_दिनों_की_बात_है 












October 01, 2017

संस्कारी रोमांस और बेडरूम के संस्कार -------- mangopeople




          एक न्यूज साईट पर खबरों को देखते एक हेडिंग पर नजर पड़ी "पहल आप भी कर सकती है " साफ था बात महिलाओ के लिए लिखी थी तो फट से खबर पर चली गई | वहा सवाल था क्या आप का जीवन बहुत बोरिंग होता जा रहा है , दिल से आवाज आई हा , विवाह के एक दसक बितने के के बाद आप दोनों के बीच रोमांस गायब है , दिल ने फिर जवाब दिया हां बिलकुल सही कर रहे हो , क्या आप फिर से अपने जीवन में रोमांस लाना चाहती है जीवन से बोरियत दूर करना चाहती है , दिल चीखा हां भाई हां तुम तो अंतर्यामी हो | तो पहल आप भी कर सकती है अच्छा तो ये हमको रोमांस करना सिखाएंगे सिखाओ भाई हम सीखने को तैयार है | पहला उपाय था पहले अपना बेडरूम बदलिये इस पर दिमाग चिल्लाया पागल है क्या मुंबई में प्रापर्टी के रेट पता है क्या उससे सस्ते में तो पत्नी पत्नी बदल जायेंगे , आगे जब पढ़ा बेडरूम की  साज सज्जा बदलिये तब जान में जान आई | बेड पर नई अच्छी चादर डालिये , लो भाई नये चादर से रोमांस कैसे आयेगा इतने सालो में कितने नये चादरे खरीद  बिछा चुकी हूँ जीवन वैसे ही बोरिंग है खुद का ध्यान उस पर न गया तो दूसरे से क्या शिकायत करे , फिर भी कह रहे हो तो मान लेते है | कमरे ने सुन्दर ताजे फूल रखे वो नयी ऊर्जा भरते है दिल प्रसन्न करते है और महंगे विदेशी फूलो के नाम गिना दिया | हमने कहा अपने भारतीय गुलाब और रजनी गंधा में क्या खराबी है जो फूल रखने से कुछ फायदा हो तो हम तो बगीचा लगा दे ,चलो ये भी किया |

                                                आगे लिखा था अब कमरा देखने में अच्छा हो  उसमे खुसबू भी अच्छी आनी चाहिए और लाइट भी रोमांटिक होनी चाहिए  इसके लिए अच्छी खुसबू वाले कैंडिल जलाइये | अरे कम्बख्त  पहली ही लिखा दिया होता की बहन ये रोमांस वोमंस करना न बड़े लोगो का चोचले है इसमें बड़ा खर्चा है मडिल क्लास और मिडिल क्लास वाला दिमाग रखने वालो के बस का और जेब का नहीं होता ये सब , तो पढ़ते ही नहीं | खुसबू तो हम २० रुपल्ली के मोगरे के गजरे और और मदम रौशनी तो अपने जिरो वॉट वाले बल्ब से भी ला देंगे , मुंबई जैसे गर्म जगह में जो घर में एसी न हो तो ये मोमबत्तिया जलेंगी कैसे पंखे में तो जलने से रही फिर तो लालटेन जलानी पड़ेगी और पता नहीं लालटेन से आती कैरोसिन की खुशबू में रोमांस का क्या होगा | फिर लिखा था कमरे में खाने और पिने  के लिए भी कुछ रखे , स्ट्रबेरी क्रीम के साथ , उनके पसंद की चॉकलेट , अच्छी क्वॉलिटी की शैंपेन | लिखने वाला जरूर विदेशी है वरना कमरे में खाने के लिए कुछ रखने का नाम नहीं लेता | उसका पता नहीं है यहाँ तो भारतीय पति रात में इतना ठूस के खा लेता है या खिला दिया जाता है कि वो पत्नी के मुंह  डकार मार देता है , वो कमरे में आने तक पहले ही गले तक इतना भरा रहता है की वो और क्या खायेगा और कभी भारतीय पुरुषो को आम खाते देखा है , देखा होता तो फिर उनके फल खाने को रोमांस से जोड़ने की गलती कभी नहीं करते | और महाराज भारत में पीने का मतलब एक ही होता है और वो पत्नी के साथ नहीं दोस्तों के साथ होता है और उसके बाद रोमांस नहीं हुल्लड़ होता है | जाने दो ये भारत के लिए कुछ करना तुम्हारे बस का नहीं है  |

                                                उसके बाद बताया गया कि अब जब सब कुछ बदल दिया है तो अपने आप को भी बदलिये | कर दी न वही पतियों वाली बात सारे बदलावों जरुरत हमी लोगो में है मतलब बदलना है तो हम लोग ही बदले मतलब सारी बुराई हमी लोगो में है , मतलब जो करे हमी लोग करे | ये सब सोचते जब दिमाग साँस लेने के लिए रुका तो देखा लिखा था कुछ नये कपडे लीजिये , हाय ये पढ़ते ही दिल गार्डन गार्डन हो गया पहले ही ये लिखना था ना हम लोग तो हमेसा तैयार है कुछ नया ड्रेस खरीदने को बोलिये क्या क्या लेना है | तो जवाब था रेड नाइटी खरीदिये , अब ये क्या बात हुई की सिर्फ लाल रंग में ही  रोमांस जगेगा मतलब की नील पिले हरे में क्या खराबी है उनकी रोमांस से क्या दुश्मनी है  कितने रंगो में नाइटी खरीद पहन चुके है गदहे राम तुमको कुछ नहीं पता , खालीपीली लिखे हो तुम इसमें से कुछ किया विया है नहीं ऐसा लगा रहा है किसी पिच्चर विच्चर का सीक्रिप्ट यहाँ छाप दिए हो , कुछ भी हुंह | अंत में लिखे का लब्बो लुआब ये था कि यदि आप पति पत्नी है तो बहुत कुछ करते ही होंगे लेकिन रोज के कामो में फंस कर एक दूसरे को समय नहीं देते है एक दूसरे से  बात नहीं करते  तो एक पूरी रात जागिये बाते कीजिये अपने बारे , रोमांस कीजिये |

                                                  जब ये सब पढ़ कर निचे बढे तो अचानक पाठको की प्रतिक्रिया पर नजर गई बन्दे ने लिखा था , " क्या बकवास लिखा है हमारे देश की संस्कारी लडकिया ये सब नहीं करेंगी , ये सब हमारे देश की सस्कृति नहीं है | "  ये पढ़ कर पीछे बैकग्राउंड में तीन बार बजा  संस्कारी रोमांस , रोमांस रोमांस  बेडरूम के संस्कार , संस्कार संस्कार और मुंह से निकला ओय धत्त तेरे की ये बेडरूम के कौन से संस्कार होते है और ये संस्कारी तरीके से कैसे रोमांस किया जाता है, ये तो हमें आज तक पता ही न चला   |  मतलब रेड नाइटी की जगह लाल साड़ी पहन लिया जाए मोमबत्ती की जगह अगरबत्ती  जला दिया जाये , स्ट्रबेरी क्रीम , सैपेन  की जगह नारियल पानी और बताशे रख दिए , और खुसबू वाले विदेशी फूलो की जगह गुड़हल के फूल रख दिए जाए | उसके बाद क्या होगा और हम कैसे दिखेंगे अब आप अंदाजा ही लगा लीजिये | बस लगेगा एक चौकी रख कर उस पर बैठ जाये और पति  आते है ही आप के चरणों में गिर बोले,  बोलो पहाड़ो वाले माता की जय , बोलो सच्चे दरबार की जय और दोनों मिल कर माता का जागरण करेंगे रातभर पुरे मोहल्ले के साथ  | जो आप को पता हो ये संस्कारी रोमांस क्या होता है तो हमें भी बताये |

चलते चलते

             ईमारत में किसी ने गांव में   अपने बेटे की शादी की और मुंबई आ कर एक छोटी पार्टी ईमारत में रखी साथ में सत्यनारायण की कथा भी | अब जाने के लिए सोचा पहना क्या जाए कॉटन का सूट नहीं चलेगा पूजा के साथ आखिर शादी की पार्टी है , तो बंधेज वाली सिल्क की लाल साड़ी निकाल लिया | अब साड़ी अकेले कभी नहीं होती उसके साथ बिंदी ,काजल, लिपिस्टिक , चूड़ी आदि सब होता है तो ५ मिनट वाला सूट आधे घंटे की साड़ी बन गया | पहन कर पति से पूछा ठीक है ना , (ना ना कैसी लग रही हूँ वाले धर्म संकट में पति को कभी डालती ही नहीं मतलब कुछ ज्यादा तो नहीं कर लिया एक पूजा के लिए ) पतिदेव २ मिनट देखे फिर उठ कर मेरे पास आये और मेरे घुंघराले बालो से क्लचर निकाल दिया और बालो को पीछे से कंधो तक  फैला दिया फिर पीछे जा कर बोले बस एक चीज की कमी है बस एक त्रिशूल आ जाये तो साक्षात माँ दुर्गा | गुर्रर्र  सही कह रहे हो त्रिशूल की हो कमी है वरना महिसासुर तो मेरे सामने ही है आज ही अंत हो जाना था मैंने गुस्से में बोला | पतिदेव पुरे मूड में थे बस बस इसी क्रोध और आँखे बड़ी करने की ही देर थी बची खुची कसर भी पूरी हुई , जय माता दी | इतने में हमारी बिटिया रानी जो उस समय बस तीन साल की थी आ गई वो भी पापा के साथ उछल उछल बोलना शुरू कर दी जय माता दी | मै गुस्से में बाहर निकल गई लिफ्ट तक बाप बेटी की जय माता दी जोर से बोलो जय माता दी की आवाज आ रही थी गुर्रर्र  |