October 27, 2017

ये उन दिनों की बात है ---------- mangopeople




                                                              ये उन दिनों की बात है जब परिवार के सामने पति पत्नी एक दूसरे से बात क्या एक दूसरे को सीधा देखा भी नहीं करते थे | बेटिया पति के साये से भी दूर भागती थी जब पिताजी या बड़े भाई घर पर हो | शर्म नैतिकता का इतना हाई डोज बेटियों को दिया जाता था कि लडकिया शर्म के बजाये ठंड से मरना ज्यादा अच्छा समझती थी | करीब ८६-८७  की बात होगी बनारस के पास एक गांव की | सीमा की शादी नवम्बर में हुई और दिसम्बर के पहले सप्ताह वो  दो महीने के लिए मायके चली आई |   पति का फोन तो आता लेकिन उन दिनों घरो में एक ही लैंडलाइन होता और जो  बैठके में रखा होता जहा कभी कभी पूरा मोहल्ला तो कभी पूरा खानदान बैठा बाते सुन रहा होता | सीमा पति की बातो का जवाब हां, नहीं, ठीक हूँ, अच्छा, से ज्यादा दे ही नहीं पाती | नया नया विवाह और १८-२२ की कमशीन सी उमर दोनों की,  उस पर भयंकर सा जाड़ा और इतनी लंबी जुदाई | एक दिन उसके पति ने कह दिया की करो कोई जतन मुझे तो मिलने आना है और ध्यान रहे घर में पिताजी और बड़के भैया लोग न हो , क्योकि उनके सामने तो अकेले में मिलना तो दूर लोग उसकी पत्नी को ठीक से देखने भी न देंगे , कम से कम घडी भर तुमसे बात तो कर सकू  | सीमा फोन पर सुनती रही फिर समस्या अपनी बड़ी भाभी को बताया | हाथ जोड़ उपाय करने को कहा क्योकि पति का भरोसा नहीं ,  ना माने और चला आए , फिर कुछ ऐसा ना हो जाए कि उसे पिताजी और भैया के सामने  शर्म की दिवार गिरानी पड़े |

                                                 भाभी ने सोचा भैया लोग समस्या तो है  नहीं रोज ही काम पर जाते है , लेकिन अम्मा और बाउजी तो घर में ही रहते है उन्हें कैसे हटाया जाये | फिर एक रोज खबर आई की कोर्ट की तारीख पड़ गई है और पिताजी को बनारस जाना है | तय हुआ बस अम्मा को टरकाने का बहाना खोजा जाए और अगले ही दिन भाभी अम्मा के सामने नानी और मामा का जिक्र ले बैठ गई फिर क्या था घंटे भर में अम्मा के आँखों से आशु झरने लगे और अपनी माँ  से मिलने को तड़प उठी | भाभी ने भी गर्म तवे पर फट रोटी डाली और अम्मा से कहा कि वो जा कर मिल आये उनसे | लेकिन अम्मा ने वही रोना रोया जिसके बारे में भाभी को पहले से ही पता था | मै गई तो बाउ जी  खयाल कौन रखेगा , दिन भर उनका कुछ न कुछ तो लगा ही रहता है | ऐसा करो अम्मा कोर्ट की तारीख जिस दिन की पड़ी है उसदिन चली जाओ सबेरे की बस पकड़ कर , बाउ जी भी रात के पहले न आयेंगे , जो एक बार बनारस गये आप भी रात तक लौट आना | भाभी की रोटी अच्छे से पकी और अम्मा ने हा कर दिया |
                                                                सीमा ने इशारो में  पति को फोन पर बोला  पिता जी बनारस जा रहे है कोर्ट की तारीख पड़ी है | बंदा समझदार निकला झट बात समझ गया | पति ने इस बीच नई नवेली पत्नी के लिए उपहार लिया और इधर सीमा और भाभी मेहमान की आवभगत की तैयारी में लग गये वो भी बिना किसी के पता चले | वो दिन भी आ गया जब दोनों की मुलाक़ात होनी थी | इधर पिताजी घर से निकले और शायद चौक तक भी न पहुंचे होंगे दामाद जी घर के अंदर | भाभी और सीमा दोनों घबरा गये  ,भाभी ने झट नन्दोई को बैठक में बिठाया और पूछ बैठी कही पिताजी ने देख तो न लिया अभी अभी ही घर से निकले है | भोला सा दामाद तपाक से बोला वो तो सुबह ७ बजे ही आ गया था कब से घर के बाहर वाली चाय की दूकान पर बैठा कितने कुल्लड़ चाय पी गया पिताजी के जाने के इंतज़ार में | ठंड का फायदा मिला और मफलर से पूरा चेहरा ढक रखा था किसी ने पहचाना भी नहीं | भाभी को उनका उतावलापन देख हँसी आ गई इतनी ठंड में सुबह ५ बजे चले होंगे अपने घर से , जबकि पता था वो घर में १० पहले न आ पाएंगे | समझदार भाभी जाते हुए नन्दोई को छेड़ते बोली अभी सीमा को भेजती हूँ लेकिन उसके उसके आते किवाड़ न बंद कर लेना मै बगल की रसोई में ही खाने की तैयारी कर रही हूँ | इधर पति की धड़कने और  उतावलापन बढ़ने लगा इधर सीमा जनवरी की कड़क ठंडी में भी बस साडी पहन पति के सामने आई |   कुछ फैशन का जोश था कुछ पति से मिलने की चाहत में रगो में  दौड़ते गर्म खून की  गर्मी उसे ठंड न लग रही थी ,  तन पर न स्वेटर न शॉल |

                                                दोनों की आँखे मिली और दोनों मुस्कराये पति ने उसकी तरफ बढ़ते हुए  पूछा कैसी हो | सीमा ने तुरंत भाभी के बाहर खड़े होने का इशारा कर उसे रुक जाने को कहा , तभी भाभी दोनों के लिए अंदर चाय रख ये बोलती चली गई कि वो अब न आयेगी दुबारा उन्हें डिस्टर्ब करने जो चाहिए रसोई से ले लेना वो कुछ देर के लिए ऊपर अपने कमरे में जा रही है | अब अंधा क्या चाहे दो आँखे , दोनों के कुछ पलो का एकांत ही चाहिए था जो मिल रहा था | पति की इच्छा तो तुरंत ही आगे बढ़ पत्नी को गले लगा लेने की थी , लेकिन उसने तुरंत ही खुद को रोका | मै पति हूँ ऐसा आवारा प्रेमियों की तरह का व्यवहार मुझे शोभा नहीं देती मुझे संयम रखना चाहिए  | पत्नी से ऐसे खुलेआम प्यार जताया तो सर पर चढ़ जायेगी कभी मेरी इज्जत न करेगी मेरी बात न मानेगी अपनी मनमानी करेगी और वो आखिर में क्या सिखाया था दोस्तों ने उसने बहुत जोर दिमाग पर लगाया लेकिन वो याद न आया | लेकिन जैसे ही उसने सीमा को प्यार से अपनी तरफ बढ़ते देखा तो उसे लगा दोस्तों की सीख को आज के लिए आराम देना  बेहतर है अच्छा हो समय और मौके के हिसाब से व्यवहार किया जाये वरना भोर से ठंडी हवाओ के थपेड़े झेलना बेकार हो जायेगा | पत्नी खुश हो जाए सोच उसने झोले  से गिफ्ट रैप किया उपहार उसकी और बढ़ाया गिफ्ट लेते देते पति के हाथो का स्पर्श सीमा के कानो में प्रेम की घंटिया बजा गया  और उसी घंटियों के बीच उसे अपना नाम सुनाई दिया सीमा लेकिन  ये क्या आवाज पति की नहीं पिता जी की थी | सीमा ने मन ही मन सोचा पिताजी का डर इतना मन में समाया है कि कानो में उनकी आवाजे आ रही है |  लेकिन जो दूसरी आवाज कान पड़ी वो थी बड़ी बहु वो भी पिता जी की ही आवाज थी | अचानक उन दो प्रेम के पंछियो की तन्द्रा टूटी | अरे ये तो पिता जी की आवाज है लेकिन वो वापस कैसे आ गए  और अब तो वो आँगन में आ चुके है अब सीधा बैठक में आयेंगे |
                                                                       सीमा को लगा जैसे उस पर घड़ो पानी पड़ गया हो , अब क्या होगा पिताजी अभी अंदर आयेंगे पति के साथ उसे अकेला कमरे में देख उन पर क्या गुजरेगी | हाय मै कैसे उनका सामना करुँगी , उन्ही क्या बताउंगी की दामाद जी अचानक कैसे आ गए और हम दोनों अकेले यहाँ क्या कर रहे है | दामाद जी कैसे उसी दिन घर आये जब घर में कोई नहीं था | हाय मै आज के बाद कैसे उनका सामना करुँगी | फिर ये बात अम्मा के साथ भैया लोगो को भी पता चलेगी, ओह ! मै तो इस घर में एक पल भी किसी से नजरे नहीं मिला पाऊँगी , अब मेरा क्या होगा  | धीरे धीरे बात पुरे गांव में फ़ैल जायेगी और मै हर जगह बदनाम हो जाउंगी | उसने मन ही मन बोला हे धरती मैया तुम यही और अभी फट जाओ और आज मै उसमे समा जाऊ |  उधर दामाद का दिमाग भी काम नहीं कर रहा नये नये ससुराल में इज्जत उतरेगी बात घर तक भी जायेगी |  किसी को बता के नहीं आया हूँ , बाबूजी खाल उधेड़ेंगे और भाभियाँ भैया जोरुका गुलाम कह चिढ़ाएँगे , अम्मा तो बोल बोल बुरा हाल करेंगे  | तभी सीमा ने न आव देखा न ताव झट चौकी के निचे घुस छुप गई और वही खड़ा उसका पति उसके इस काम को आँखे फाड़ फाड़  देखता रह गया |

क्रमश
                                                                  
दूसरी क़िस्त यहाँ पढ़े

#ये_उन_दिनों_की_बात_है 












4 comments:

  1. लज्जा तू न गई जीवन से :)

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    1. अपने ही जीवनसाथी से इतनी लज्जा आज वालो के समझ के बाहर होगी | :)

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