August 24, 2019

मेरी मर्जी -------mangopeople


१- कड़कती धुप से बचने के लिए कोई लड़की छाते और क्रीम की जगह कपडे से सर मुंह ढक ले तो ये उसकी मर्जी हैं | लेकिन दूसरों की बुरी नजर ना पड़े या स्त्री का शरीर देख कर किसी पुरुष की भावनाएं ना भड़के , उसका धर्म ऐसा कहता हैं इसके लिए घूँघट और बुर्का कोई लड़की पहने तो वो उसकी मर्जी नहीं होती |
२- कोई  किसी कपड़ें  को पहनना आरामदायक नहीं समझता और नहीं पहनता तो ये उसकी मर्जी हैं | लेकिन लोग गलत नजर से देखेंगे उसे छेड़ेंगे इसलिए किसी कपडे को ना पहनना उसकी मर्जी नहीं होती |
३- अपने जीवनसाथी से प्यार है इसलिए उससे झगड़े के बाद भी उसके साथ रहना उसकी मर्जी हैं | लेकिन पति के घर डोली जाती हैं तो अर्थी भी वही से उठेगी कि सोच के साथ कोई रोज पिटने के बाद भी वही रहें  तो ये उसकी मर्जी नहीं हैं |
४- कोई घर बच्चे और ऑफिस तीनो नहीं संभाल सकता , कोई अपना समय केवल अपने बच्चे परिवार को देना चाहे इसलिए नौकरी छोड़ दे या ना करे तो ये उसकी मर्जी हैं | लेकिन पति , पिता, परिवार को उसका काम करना नहीं पसंद इसलिए घर की शांति के लिए उसका नौकरी ना करना उसकी मर्जी नहीं हैं |

                              दुनियां के दबाव में , बचपन से धर्म की पिलाई गई घुट्टी के कारण  किसी तरह का निर्णय लिया गया हैं तो वो  किसी लड़की की  मर्जी नहीं होती | अपनी स्वतंत्र  सोच से निर्णय लेना और किसी तरह के दबाव में लिए गए निर्णय में फर्क होता हैं | अक्सर लड़कियां लोगों के दबाव में उनके कहने पर या परेशान हो कर कोई ऐसा निर्णय ले लेती हैं जो धर्म और समाज के ठेकेदारों के नजरिये से ठीक होता हैं लेकिन उनके अपने लिए नहीं , ऐसे निर्णयों को स्त्री का निर्णय नहीं कहा जा सकता और ना ही उसकी व्यक्तिगत सोच कह कर छोड़े जाने लायक |

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