August 17, 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में मेरा छोटा योगदान और आप ने कितना दिया - - - - - - - mangopeople

                                                     धार्मिक बातो और कहानियो में मेरी ज्यादा रूचि कभी नहीं रही है किन्तु किसी अच्छे काम में एक छोटा से छोटा योगदान का महत्व समझाती दो कहानिया सुन रखी है एक वो जिसमे एक छोटी सी गिलहरी कैसे राम सेतु बनाते समय उसके पत्थरो पर लगे रेत को अपने बदन में लपेट कर उसे साफ कर रही थी दूसरी कहानी जो इस्लाम धर्म से है जिसमे बताया गया की जब  धर्म युद्ध में आग लगी थी तो एक छोटी चिड़िया अपने चोंच में पानी भर कर वहा डाल उसे बुझाने का प्रयास कर रही थी किसी ने पूछ की क्या तुम्हारे इतने कम पानी से इतनी बड़ी आग बुझ जाएगी तो चिड़िया ने कहा हा पता है की नहीं बुझेगी पर कल को जब इतिहास लिख जायेगा तो लोगों को मेरे इस छोटे योगदान से पता होगा की मै किस तरफ थी  ( कहानी ठीक से याद नहीं है कुछ ऐसा ही ही ) | मतलब ये की आप का योगदान कितना छोटा है ये बात महत्व नहीं रखती है बस आप का कोई ना कोई योगदान होना चाहिए किसी ऐसे अच्छे काम में जिसका आप समर्थन करते है |
                                                         तो भ्रष्टाचार की इस लड़ाई में मैंने भी अपना छोटा सा योगदान दे दिया मेरे पास बस तीन घंटे थे जब तक बेटी स्कुल में थी तो वही तीन घंटे मैंने सड़क पर आ कर इस मुहीम में अपना समर्थन दे दिया |  मै एक आम सी गृहणी हूं और आम आदमी की तरह डरपोक भी हूं कल जब मै भी घर से भ्रष्टाचार की मुहीम में शामिल होने के लिए अकेले निकली तो थोडा अजीब भी लग रहा था और कुछ होने का डर भी किन्तु वहा जाने के बाद कुछ भी ना अजीब लगा ना डर वहा मेरी जैसी कई महिलाए थी जो अकेले ही वहा आई थी और मेरी तरह ही आम गृहणी थी | तो मेरा योगदान तो कल हो गया और आज और आने वाले कल भी होगा भले तीन घंटो का ही आप कितना समय दे रहे है इस भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए |




  ये है मेघा पाटेकर इनके झोपड़पट्टी के लिए चलाये जा रहे अभियान की कई बातो से मै सहमत नहीं हूं और इनका विरोध करती हूं पर कल इनके साथ थी क्योकि कल हम वहा सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ थे
                    



       ये भी मेरी तरह आम गृहणिया है जो अपने घरो में बच्चो को छोड़ कर आई थी तो कुछ कालेज में पढ़  रहे अपने बच्चो के साथ आई थी    
 
 
                                              

18 comments:

  1. बधाई हो !
    इस माइक्रो पोस्ट का आभार
    इस विषय पर आपके विचारों का इन्तजार था ....आगे भी रहेगा :)

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  2. आज सभी अपनी अपनी तरह इस आन्दोलन को बल दे रहे हैं आपने अच्छा प्रयास किया …………बधाई।

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  3. अन्ना तो पूरा अन्ना है और देसी है , कांग्रेसी है
    अगर कोई गन्ना भी खड़ा हो किसी बुराई के खि़लाफ़ तो हम हैं उसके साथ।

    कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि अन्ना ख़ुद भ्रष्ट हैं।
    हम कहते हैं कि यह मत देखो कौन कह रहा है ?
    बल्कि यह देखो कि बात सही कह रहा है या ग़लत ?
    क्या उसकी मांग ग़लत है ?
    अगर सही है तो उसे मानने में देर क्यों ?
    अन्ना चाहते हैं कि चपरासी से लेकर सबसे आला ओहदा तक सब लोकपाल के दायरे में आ जाएं और यही कन्सेप्ट इस्लाम का है।
    कुछ पदों को बाहर रखना इस्लाम की नीति से हटकर है।
    अन्ना की मांग इंसान की प्रकृति से मैच करती है क्योंकि यह मन से निकल रही है, केवल अन्ना के मन से ही नहीं बल्कि जन गण के मन से।
    इस्लाम इसी तरह हर तरफ़ से घेरता हुआ आ रहा है लेकिन लोग जानते नहीं हैं।
    आत्मा में जो धर्म सनातन काल से स्थित है उसी का नाम अरबी में इस्लाम अर्थात ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है और भ्रष्टाचार का समूल विनाश इसी से होगा।
    आप सोमवार को
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में भी हमने यही कहा था।

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  4. अंशुमाला जी,
    आपने 'अन्ना समर्थन' के लिये व्यावहारिक प्रयास शुरू किया ........... सराहनीय है.
    एक-एक अंशु जुड़कर अंशुमाला बन जाती है... मतलब एक-एक किरण एकजुट होकर सूर्य सा दैदीप्यमान प्रकाश-पुञ्ज बिखेरती हैं.
    आपने अपने नाम को सार्थक किया ..... मेरा मानना है कि जो जहाँ है वह वहीं से पुरजोर प्रयास करे .... अपने संवादों में, अपने कार्यों में, अपने सम्पूर्ण व्यवहार में ..... वह 'अन्ना-समर्थन' की झलक दे .... 'अन्ना-समर्थन' मतलब भ्रष्टाचार वृक्ष को उखाड़ फैंकने की इच्छा... 'वास्तविक आजादी', 'धूर्तता को मुंहतोड़ जवाब'............. एक और बात सोच रहा हूँ ...... साथ ही साथ इस देश की सत्ता संभालने के लिये एक 'नये विकल्प का उदय' शीघ्र होना चाहिए..... यदि सत्तापक्ष में बैठे विपक्ष ने आज़ अपनी भूमिका सही ढंग से नहीं निभायी तो देश की जनता उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगी....

    फिर से आपकी पोस्ट को साधुवाद देता हूँ.......... यह एक प्रेरक पोस्ट है.

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  5. जिसको जितना संभव हो करना ही होगा ...
    प्रेरक !

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  6. आपने एक सच्चे इन्सान का फ़र्ज़ निभाया है .जय हो .बधाई
    blog paheli

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  7. आपके जज्बे को सलाम!!

    सामन्य से दिखते यह व्यक्तिगत योगदान ही तो महान जनशक्ति कहलाते है।

    बस हमें सन्तुष्टि है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन के कार्यों को हमारा सहयोग है।

    शुभकामनाएँ!!

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  8. achchha kiya

    aatma jis cheez ko sahii kahae karna hi chahiyae

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  9. ये छोटे-छोटे पल ही बडे पल ले कर आते है।

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  10. यह भी देखें

    http://ret-ke-mahal-hindi.blogspot.com/2011/08/blog-post_17.html

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  11. vastvik aur abhasi jagat donon mein aapka prayas achcha hai.vastvik aur abhasi jagat donon mein aapka prayas achcha hai.

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  12. आपका योगदान सभी के लिए प्रेरक है .....!

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  13. आपका योगदान प्ररणा है सबके लिए.. चैतन्य जी ने आज छुट्टी ले रखी थी और टीवी से सीधा प्रसारण मेरे फोन पर कर रहे थे.. मेरे साथ मजबूरी थी इसलिए न तो छुट्टी ले सका.. न पिछली बार की तरह भाग ले सका!! लेकिन मन से तो हमारा समर्थन सदा से है.. बस आशा है कि हम होंगे कामयाब!!

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  14. @ प्रतुल जी
    धन्यवाद | मेरे पोस्ट में तो कही अन्ना का जिक्र ही नहीं है |

    @ ग्लोबल अग्रवाल जी
    आप की टिप्पणी पिछली पोस्ट पर पढ़ी मुझे लगता है जब आप ने नेट पर इतना कुछ खोजा है तो उसे हिंदी ब्लॉग के लोगों तक भी पहुचाइए क्योकि कई लोगों को जन लोकपाल के बारे में ज्यादा पता ही नहीं है, लोग उसके बारे में जान जायेंगे साथ ही उनके विरोधियो की शंकाओ का और उन पर शंका करने वालो की शक का भी समाधान हो जायेगा | यदि आप हिंदी में वो सारी जानकारी लोगों तक पहुंचा सकते है तो ये भी आप का इस लड़ाई में योगदान होगा |

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  15. कल में अपने बेटे से कह रही थी कि आज का युवा मौज-मस्‍ती में डूबा है लेकिन ये युवा जो अन्‍ना के आन्‍दोलन के साथ जुड़ रहे हैं उन्‍हें वास्‍तविक आनन्‍द की अनुभूति हो रही है। और जो भी इस आंदोलन से जुड़ जाएगा उसे आनन्‍द के मायने पता लग जाएंगे। आपने देश के लिए कुछ करने के जज्‍बे को बनाए रखा इसके लिए आपको शुभकामनाएं। इस आंदोलन में कौन साथ है इस बात की चिन्‍ता वे ही लोग करते हैं जो लक्ष्‍य को ध्‍यान में नहीं रखते। यदि विपरीत विचारों वाले व्‍यक्ति भी देश को भ्रष्‍टाचार मुक्‍त बनाने में एकजुट होते हैं तो उनका स्‍वागत करना चाहिए ना कि विरोध। अभी केवल लक्ष्‍य पर ध्‍यान ही रहे सभी का तो परिणाम आशाप्रद होंगे।

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  16. अंशुमाला जी,
    बेशक आपने उस नाम का उल्लेख नहीं किया .... किन्तु आपने अपने योगदान का ऐसा अवसर चुना जो 'संकेत' उस प्रतीकात्मक व्यक्ति नाम से जुड़ा है. ........ बिना नाम लिये भी विरोध-प्रदर्शन आज की प्रथा बन चुका है.... इसे हम व्यक्ति की भीरुता नहीं कहेंगे.. अपितु इसे कहना चाहिए ... विषय को महत्व देना न कि व्यक्ति को....... पर मेरी एक सोच है .... कार्यों से व्यक्ति पूजा जाने लगता है.

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  17. कुछ लोग केवल बातें करते हैं, लेकिन कुछ लोग बात न करते हुए सीधा कर के दिखाते हैं, आप उन्‍हीं विरले लोगों में से हैं। अच्‍छा लगा तीन घंटे का योगदान। बस कुछ ऐसे ही छोटे छोटे विचार ही क्रांति का सूत्रपात करते हैं। आपको बधाई। दिल से शुक्रिया, यही कामना कि आपका जज्‍बा हमेशा कायम रहे। जज्‍बे को सलाम

    डॉ महेश परिमल

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