May 10, 2018

सुंदरता हॉटनेस ये सब वाकई किसी स्त्री के लिए एक एटीट्यूट है और किसी पुरुष के दिमाग का फितूर ------mangopeople

 

   
सुंदरता लड़की के लिए प्राकृतिक है ये स्त्रीय अंग है लेकिन ये कोई योग्यता नहीं है जिसे बेमतलब का निखारने में समय व्यर्थ किया जाये  |  जिनमे कुछ काबलियत नहीं होती वही आगे बढ़ कर बेमतलब लीपा पोती कर अपनी सुंदरता दिखाते है | बचपन में हमारे मातृसत्तात्मक घर का बिन कहा ये सन्देश बड़ा साफ़ था काबिल बनो सहूर सीखो जीवन में वही काम आएगा  | ये सहूर सलाई कढ़ाई , खाना बनाने से  लेकर पढाई लिखाई कर कुछ बनने तक में से कुछ भी हो सकता था |   लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं था कि अच्छे दिखने के लिए कुछ करो ही मत , खूब स्टाइल में कपडे पहनो , ( हम डिजाइनर कपडे पहनते थे उस जमाने में , क्योकि कपडे घर में सिले जाते थे बुआ , दीदी या मम्मी द्वारा ) सबसे अलग दिखो जो करो अपने लिए करो लेकिन इन सब को योग्यता मत समझो और समय बर्बाद न करो | फिर  सुंदरता का कोई पैमाना उस जगह कैसे तय हो,  जहा हर तरह के लोग रहा रहे हो | कोई सांवला लेकिन नयन नक्श में अच्छा तो कोई गोरा लेकिन लेकिन शकल कोई ख़ास नहीं कोई लंबा तो कोई छोटा कोई अति दुबला तो कोई मोटा | इसलिए खामखा का सुन्दर दिखने के प्रयास में हम लोग कभी पड़े ही नहीं |  हमारे लिए कभी कोई कॉम्लीमेन्ट होता तो पहला "अच्छी" दिख रही हो और सबसे बड़ा , "बड़ी अच्छी" दिख रही हो | मतलब जीवन सुन्दर , प्यारी , ब्यूटीफुल गॉर्जियस जैसे तमाम शब्दों के बिना ही गुजर गया |  ये शब्द कभी तारीफ बने ही नहीं हम लोगो के लिए , उलटा ये एहसास दिलाते की नाकाबिल हो ,उसे मुझ में और कुछ न दिखा |
                                                                  बड़े होने पर एक फिल्म से ज्ञान मिला , फिल्म में सांवली सी आधुनिक हीरोइन बोलती है सुंदरता कुछ नहीं होती , ऐटिट्यूड  सब कुछ होता है | आप खुद को कैसे दुसरो सामने रखते है आप का ऐटिट्यूड कैसा है ये बड़ी बात है , वरना भारत में मेरे सांवले रंग के बाद भी लोग मेरी सुंदरता की इतनी तारीफ नहीं करते | फिर मुझ टेढ़े  ऐटिट्यूड वालो को पता चला  ऐटिट्यूड भी कुछ होता है , और हम सुन्दर क्यों नहीं है , ऐसे टेढ़े  ऐटिट्यूड वाले से लोग डरते है | साथ में ये भी समझ आ गया कि सुन्दर दिखने की जगह लोगो को डराना ज्यादा मजेदार है | उस खूबसूरती के पीछे क्या भागना जिसका कोई भरोसा नहीं वो कब अपना रूप बदल दे | एक सिकुड़ी सी अभिनेत्री आती है और बड़े  ऐटिट्यूड से बोलती है जीरो फिगर ही सुंदरता है और लोग उसे ही सुन्दर मान पैमाना तय कर देते है | अचानक से कर्वी बॉडी वाली भारतीय सौंदर्य मोटापा दिखने लगता है और पचके गाल तेजहीन चेहरा , गर्दन की हड्डिया और जीरो कमर सुन्दर हो जाता है | अभिनेत्री बच्चे को जन्म देती है और उसी अदा से अपनी कर्वी कमर दिखा सुन्दर बताती है और रातो रात खूबसूरती का पैमाना बदल जाता है और भारतीय कर्वी स्थूल शरीर खूबसूरत हो जाता है | अब लोगो की नजर स्त्री के कर्व पर जाने लगती है और जीरो कमर वालो को हसींन लोगो के लिस्ट से छांट दिया जाता है | ऐसी सुंदरता जो नजर के साथ बदल जाये उसे पाना एक मुश्किल क्या लगभग असंभव काम था लेकिन ये पक्की बात है कि ऐटीट्यूड ही आप को हर रूप में सुन्दर बना सकता है लोगो की नजर में | तो असल में सुंदरता किसी स्त्री के लिए बस एक  ऐटिट्यूड है और पुरुषीय दिमाग का मात्र फितूर |  सोशल मिडिया में ऐसी ढेरो महिलाओ को इस नियम का पालन करते देख सच में बड़ा मजा आता है और अच्छा लगता है कि स्त्री ने अब अपने रूप और सौंदर्य को लेकर अपना पैमाना बनाना शुरू कर दिया है |

           हवा में उड़ता जाये लाल दुपट्टा

    विवाह के बाद  हमने हॉटनेस की भी नहीं परिभाषा गढ़ी | मेरे शरीर का तापमान हमेशा सामान्य लोगो से ज्यादा गर्म होता है , नतीजा निश्चल हर दूसरे दिन , तुम्हे बुखार है , नहीं मै ठीक हूँ , नहीं मुझे लग रहा है तुम्हे बुखार है  |  मै ना कहती वो मानते नहीं न जाने कितनी ही बार थर्मामीटर से चेक कर लिया गया सब सामान्य है लेकिन उन्हें विश्वास न हो पूरी तरह | सामान्य थर्मामीटर पर भरोसा न हुआ तो एक दिन डिजिटल थर्मामीटर उठा लाये | उसे देख हैरान होती बोली कोई और होता तो कहता वॉव मेरी बीबी कितनी हॉट है और कुछ ढंग के गिफ्ट लाता , एक तुम हो जो बार बार बुखार बोल कर उसकी हॉटनेस चेक करने के लिए थर्मामीटर लाए हो हद है , इस अरेंज मैरिज का कुछ नहीं हो सकता |  बस जो हॉटनेस किसी आधुनिक लड़की के लिए एक बड़ा कॉम्प्लिमेंट होता वो हमारे घर कॉमेडी बन गई तब से |
                                                        एक फिल्म में सांवली सी आधुनिक हीरोइन बोलती है सुंदरता कुछ नहीं होती , एटीट्यूट सब कुछ होता है | तो ये गांठ बांधी फ़िल्मी ज्ञान एक दिन काम आया | बर्फ में घूमने जाना था , सारी जिंदगी देखी यश चोपड़ा की फिल्मो का असर था कि एक रेड शिफॉन की साड़ी खरीद लाई |  उसे पहन बर्फ में फोटो खिचानी है एक दम कुछ तूफानी करना है सोच लिया | एक्साइटमेंट में घर आते ही फटा फट उस साड़ी को रेड प्लाजो के ऊपर ही  बांध लिया गया और रेड टॉप को पीछे कल्चर लगा ब्लॉउज बना लिया गया | खिड़की के सामने खड़े हो पल्लू पर्दे पर टांग लहराते पल्लू का सीन बनाया और पुरे एटीट्यूट के साथ पोज़ बना  यश चोपड़ा की सारी हीरोइनों की आत्मा को अपने अंदर आत्मसात  किया गया और निश्चल को फोटो खींचने के लिए बोला |  वो बिना मुझे पर ध्यान दिए , कंधे और कान के बीच अपना फोन फंसाये अपने फोन में बतियाते ,चार क्लिक कर दिए | मेरे हर पोज़ पर हम्म्म का जवाब देते |   जब फोटो देख कर कहा अच्छी दिख रही है ना तो बिना फोटो देखे जवाब फिर से था हम्म | बड़ा गुस्सा आया देखो तो मै इतनी एक्साइटेड हूँ और यहाँ से कोई रेस्पॉन्स ही नहीं , फिर उसी  फ़िल्मी ज्ञान का ध्यान आया | वॉव कितनी सेक्सी फोटो है ना और पुरुषीय चेतना जगाने वाले शब्द ने जादू दिखाया | कौन सी , एकदम ध्यान मेरे फोन पर |  वही जो तुमने खींची है , वाह कमाल फोटो ली है चलो फोटो खींचने आ ही गया | तारीफ पर कंधे उचकाते ,मै तो अच्छी फोटो लेता ही हूँ , नजर ध्यान से फोटो पर | मै ,झीनी सी साड़ी में फिगर अच्छा आता है ना , हूँ सही कह रही हो | फिर  खुद की फोटो की ऐसी नख से केश तक की खोज खोज कर तारीफ़ शुरू हुई की अगले कुछ देर तक जारी रही | कुछ ही देर में शब्दों और एटीट्यूट ने अपना काम कर दिया | एक साधारण सी फोटो जो बिना मन के  खींची गई , थकी हालत में आधे अधूरे तरीके से पहने साडी में , बाल तक बिखरे क्योकि कल्चर टॉप में लगाया है , वो फोट ख़ास बन किसी के मुंह से वॉव निकलवाने लायक बन गई और कुछ ही देर पहले मै उन्ही कपड़ो में उतनी ही साधारण और  ध्यान देने लायक नहीं थी जैसे सब्जी खरीदते समय बगल खड़ी महिला , बस हद ही थी |
                                                 
                   अगले दिन तो गजब ही हो गया जब वो फोटो उनके मोबाईल में दिख गई , मुझे दिखा मुस्कुराने लगे |  मन ही मन जोर की हँसी आई पर उसे रोका और बहार एक मुस्कान दे दी | पता न था कि वाकई में एटीट्यूट में जादू होता है | फिर भी चलो अच्छा है अब अपना बुढ़ापा अच्छा गुजरेगा , कभी जब तुम्हारे सर पर अंगुलिया फेरने के लिए बाल न होंगे और मेरे माथे का पसीना कही माथे के सिलवटों में फँसा रहा जायेगा तब ये आइडिया काम आयेगा |


#अधूरीसीकहानी_अधूरेसेकिस्से




           

         

                   





                                                 

5 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  2. मेरा मानना है जिसको जो करने का दिल है वो करे, किसी को सजना संवारना अच्छा लगे तो करे, अगर कोई बेखबर सी ज़िन्दगी जीए तो उसपे भी कोई आवाज़ न उठाये... As simple as that. :)

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    1. बिलकुल , जिसकी जो मर्जी आये करे | कोई बेखबर सी जिंदगी जीता है तो हम कभी उसके ब्लॉग या फेसबुक वॉल पर जा कर नहीं पूछते क्यों भाई शेखर कहा लापता हो , कर क्या रहे हो , नजर नहीं आ रहे , लिखने से मन उचट गया है या लोगो से , या नई कविताओं के लिए कोई प्रेरणा नहीं मिल रही , हम कभी उससे ये नहीं पूछते :)))

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  3. वाह!

    वैसे, ये अभी हमारे काम आ रहा है -

    "पता न था कि वाकई में एटीट्यूट में जादू होता है | फिर भी चलो अच्छा है अब अपना बुढ़ापा अच्छा गुजरेगा , कभी जब तुम्हारे सर पर अंगुलिया फेरने के लिए बाल न होंगे और मेरे माथे का पसीना कही माथे के सिलवटों में फँसा रहा जायेगा तब ये आइडिया काम आयेगा |"

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