क्या आप को पता है एक ऐसा वेद भी है जिसे शूद्र भी पढ़ सकते है |
क्या आप पांचवे वेद के बारे में जानतें हैं |
कभी सोचा है अप्सराओं का जन्म क्यों कब और कैसे हुआ |
क्या अप्सराओं के भी विवाह होते हैं |
आखिर सौराष्ट्र गुजरात के लोग हर बात पर गरबा क्यों करतें है , उन्हें नृत्य इतना पसंद क्यों है |
आखिर ये ऋषिमुनि सौकड़ो साल जी कर इतने ग्रन्थ कैसे लिख लेते हैं |
देवदासी प्रथा असल में क्या थी |
जो इन सवालों के जवाब में और धार्मिक कहानियों में आप की रूचि है तो मेरे वॉल से इस महीने जुड़े रहिये | हम मौखिक ज्ञान बांटने वाले देश से हैं तो जो ज्ञान प्राप्त कर रहें है उसे सब में बांटते चलना चाहिए , क्योकि लिखा पढ़ा , सुना कहा गया कभी बेकार नहीं जाता , कभी ना कभी वो किसी के काम आता है |
किसी भी ज्ञान की शुरुआत में उसके बेसिक नियम रूल , सोच सिद्धांत जो भी कहा जाए उसे समझ लेना चाहिए |
पहला किसी भी किताब ग्रन्थ ज्ञान आदि को पढ़ने समझने से पहले अपने दिमाग से पूर्वाग्रहों को निकाल देना चाहिए | सिर्फ ये इच्छा होना चाहिए कि इसमें लिखा क्या गया है पहले ये जानना है|
यदि आप ये सोच पर कुछ पढ़ेंगे सुनेंगे की आप को उसे गलत साबित करना है तो आप को हर चीज गलत ही लगेगी और इरादा उसे सही साबित करने का है तो आप को गलत कुछ नजर ही नहीं आयेगा |
इसलिए सबसे पहले उस किताब ज्ञान को पढ़ना सुनना चाहिए बिना किसी पूर्वाग्रह के, उसके बाद उसका अपने स्तर पर हम विश्लेषण करसकते हैं |
लेकिन विश्लेषण करते समय ध्यान रखना चाहिए कि ग्रन्थ कब और किन सामाजिक परिवेश में लिखा गया है | किसी ग्रन्थ में लिखी कोई बातउस समय के हिसाब से लिखा जाता है आज के समय में वो भिन्न हो सकता है |
बिना समझे उसे पूर्णतः गलत कहना उतना ही गलत है जितना उसे आज के समय में लागु करने का प्रयास करना |
इसलिए पोस्ट में कही जा रही बातों को सामान्य नजरिये से लीजियेगा ना तो अक्षत ले कर बैठने की जरुरत है ना ही चुभाने के लिए पिन |
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/01/2019 की बुलेटिन, " अंग्रेजी के "C" से हुआ सिरदर्द - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete.
मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद
Deleteबेसब्री से इंतज़ार है आपके लेखों का।
ReplyDeleteसच है साहित्य भी समाज देश और काल का आइना होता है ...
ReplyDeleteहर बात उस काल के अनुसार ही होती है ...
सटीक...बहुत खूब..।
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