रेप करने के बाद उसने उसके योनि में बारबार चाकू डाल कर फाड़ डाला और उसकी दोनों अतड़ियां तक खींच ली | फिर चाकू से पेट फ़ाड़ उसकी दोनों किडनियां तक निकाल ली | पूरी पोस्ट मुझसे ना पढ़ी गई , इतने विस्तार से पूरी घटना को जितना वीभत्स बना सकते हैं बना कर वर्णन किया गया था जैसे सबकुछ उनके सामने हुआ हो | अपनी कल्पना से ऐसा वीभत्स वर्णन करने वाले सवाल करते हैं समाज में लोग इतने वीभत्स कैसे हो सकते हैं |
एक पत्रकार पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ट्वीट कर देंती हैं | जिसमे लिखा था शरीर से कौन कौन से अंग गायब थे , जिसके आधार पर ही इस तरह के काल्पनिक वीभत्स वर्णन किया गया था | लेकिन पत्रकार ये तथ्य नहीं बताती कि शरीर सड़ चूका था और कुत्ते उसे नोच कर खा रहें थे |
कुछ अपनी विचारधारा के साथ सामने हैं | उन्हें अपराधी और इन्साफ में कम इस बात से कष्ट ज्यादा हैं कि कितने प्रगतिशील लोगों ने किसी और अपराध पर कुछ कहा था लेकिन अब चुप हैं | उनमे से कुछ को इसपे समस्या हैं कि तब जिन लोगों ने कड़े शब्दों में विरोध किया था आज उनके शब्द उन्हें उतने कड़े नहीं लग रहें हैं | विरोध के लिए दुसरो पर सलेक्टिव होने का आरोप लगाने वाले खुद सलेक्टिव हैं | तब वो चुप थे आज कोई और चुप हैं तो उन्हें परेशानी हैं |
कुछ को पीड़ित से कोई मतलब नहीं हैं उनके लिए अपराधी का धर्म बहुत हैं उसके पुरे धर्म को गाली देने के लिए , अपना एजेंडा प्रचारित करने के लिए | कुछ उससे भी महान हैं वो पीड़ित का सरनेम लिख इसमें जाति का एंगल भी ले आतें हैं | दलित होती तो लोग कितना शोर करते ऊँची जाति से हैं तो लोग चुप हैं | कुछ अपनी वही घिसी पीटी राग फिर से गाना शुरू कर दिए कि इसके लिए नग्नता जिम्मेदार हैं विकास जिम्मेदार हैं |
कुछ के लिए लगता हैं किसी बच्ची को मार देना एक बहुत ही मामूली अपराध हैं इसलिए अपराध को बड़ा बनाने के लिए उसके साथ रेप जुड़ना जरुरी है | रेप ना जुड़ा तो अपराध संवेदनशील सहानभूति के लायक नहीं लगेगा | किसी मासूम बच्ची को निर्मम तरीके से मामूली से पैसो के झगड़े के लिए मार देना , ये भी कोई इन्साफ मांगने आंदोलन करने और विरोध प्रदर्शन के लायक का अपराध हुआ | उसके साथ रेप, वीभत्स आदि आदि ना जुड़ा तो मामले में दम नहीं हैं | भले पोस्टमार्टम में ये नहीं निकल पाया क्योकि शरीर में जाँच के लिए अंग ही पुरे नहीं थे ठीक हालत में नहीं थे | पुलिस की जाँच के पहले हम बतायेंगे कि अपराध क्या और कैसे हुआ हैं |
कुछ कल तक महिलाओं लड़कियों को लेकर बेतुके पोस्ट लिख अपनी भड़ास निकाल रहें थे आज वो वीर रस में समाज में महिलाओं की स्थिति पर पोस्ट लिख रहें हैं |
कुछ मजबूरी में देर से बोल रहें हैं कही उन्हें चुप रहने के लिए आरोपित ना कर दिया जाए | कुछ को इस बात की चिंता ज्यादा हैं कि मामले को सांप्रदायिक रंग क्यों दिया जा रहा हैं | इससे हमारी धर्मनिरपेक्ष समाज का माहौल ख़राब करने का प्रयास किया जा रहा हैं |
कुछ को चिंता हैं इस विरोध के चक्कर में समाज हिंसक हो रहा हैं | लोगों का विरोध ही समाज का माहौल ख़राब कर रहा हैं |
सबके अपना अपना एजेंडा हैं जिसके लिए सब काम कर रहें हैं | इन्साफ के लिए , समाज में , व्यवस्था में बदलाव के लिए कोई कुछ भी अपनी तरफ से ना कर रहा हैं ना करना चाहता हैं और ना करेगा |
एक पत्रकार पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ट्वीट कर देंती हैं | जिसमे लिखा था शरीर से कौन कौन से अंग गायब थे , जिसके आधार पर ही इस तरह के काल्पनिक वीभत्स वर्णन किया गया था | लेकिन पत्रकार ये तथ्य नहीं बताती कि शरीर सड़ चूका था और कुत्ते उसे नोच कर खा रहें थे |
कुछ अपनी विचारधारा के साथ सामने हैं | उन्हें अपराधी और इन्साफ में कम इस बात से कष्ट ज्यादा हैं कि कितने प्रगतिशील लोगों ने किसी और अपराध पर कुछ कहा था लेकिन अब चुप हैं | उनमे से कुछ को इसपे समस्या हैं कि तब जिन लोगों ने कड़े शब्दों में विरोध किया था आज उनके शब्द उन्हें उतने कड़े नहीं लग रहें हैं | विरोध के लिए दुसरो पर सलेक्टिव होने का आरोप लगाने वाले खुद सलेक्टिव हैं | तब वो चुप थे आज कोई और चुप हैं तो उन्हें परेशानी हैं |
कुछ को पीड़ित से कोई मतलब नहीं हैं उनके लिए अपराधी का धर्म बहुत हैं उसके पुरे धर्म को गाली देने के लिए , अपना एजेंडा प्रचारित करने के लिए | कुछ उससे भी महान हैं वो पीड़ित का सरनेम लिख इसमें जाति का एंगल भी ले आतें हैं | दलित होती तो लोग कितना शोर करते ऊँची जाति से हैं तो लोग चुप हैं | कुछ अपनी वही घिसी पीटी राग फिर से गाना शुरू कर दिए कि इसके लिए नग्नता जिम्मेदार हैं विकास जिम्मेदार हैं |
कुछ के लिए लगता हैं किसी बच्ची को मार देना एक बहुत ही मामूली अपराध हैं इसलिए अपराध को बड़ा बनाने के लिए उसके साथ रेप जुड़ना जरुरी है | रेप ना जुड़ा तो अपराध संवेदनशील सहानभूति के लायक नहीं लगेगा | किसी मासूम बच्ची को निर्मम तरीके से मामूली से पैसो के झगड़े के लिए मार देना , ये भी कोई इन्साफ मांगने आंदोलन करने और विरोध प्रदर्शन के लायक का अपराध हुआ | उसके साथ रेप, वीभत्स आदि आदि ना जुड़ा तो मामले में दम नहीं हैं | भले पोस्टमार्टम में ये नहीं निकल पाया क्योकि शरीर में जाँच के लिए अंग ही पुरे नहीं थे ठीक हालत में नहीं थे | पुलिस की जाँच के पहले हम बतायेंगे कि अपराध क्या और कैसे हुआ हैं |
कुछ कल तक महिलाओं लड़कियों को लेकर बेतुके पोस्ट लिख अपनी भड़ास निकाल रहें थे आज वो वीर रस में समाज में महिलाओं की स्थिति पर पोस्ट लिख रहें हैं |
कुछ मजबूरी में देर से बोल रहें हैं कही उन्हें चुप रहने के लिए आरोपित ना कर दिया जाए | कुछ को इस बात की चिंता ज्यादा हैं कि मामले को सांप्रदायिक रंग क्यों दिया जा रहा हैं | इससे हमारी धर्मनिरपेक्ष समाज का माहौल ख़राब करने का प्रयास किया जा रहा हैं |
कुछ को चिंता हैं इस विरोध के चक्कर में समाज हिंसक हो रहा हैं | लोगों का विरोध ही समाज का माहौल ख़राब कर रहा हैं |
सबके अपना अपना एजेंडा हैं जिसके लिए सब काम कर रहें हैं | इन्साफ के लिए , समाज में , व्यवस्था में बदलाव के लिए कोई कुछ भी अपनी तरफ से ना कर रहा हैं ना करना चाहता हैं और ना करेगा |
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/06/2019 की बुलेटिन, " ब्लॉग बुलेटिन - ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसबके अपना अपना एजेंडा हैं जिसके लिए सब काम कर रहें हैं | इन्साफ के लिए , समाज में , व्यवस्था में बदलाव के लिए कोई कुछ भी अपनी तरफ से ना कर रहा हैं ना करना चाहता हैं और ना करेगा |
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने ,कुछ दिनों बाद सब भूल भी जायेगे यही हमारी मानसिकता हो चुकी हैं ,इंसान जानवर नहीं बल्कि वहशी दरिंदा हो चूका हैं।