August 12, 2022

सरकार का तुगलगी फरमान

बीच बीच मे कोरोना काल वाली यादे भी ताजा कर लेनी चाहिए , ताकि सनद रहे ।   एक व्यंग्य लिखा था कोरोना की दूसरी लहर के बाद कि कैसे सोशल मीडिया पर हम सभी डाॅक्टर बन सभी को हर तरह की सलाह दिये जा रहे थे । 


इंडिया अब आपने घबराना हैं क्योकि सरकार का एक तुगलगी फरमान आ गया हैं और वो हमारी बातें नहीं सुन रही हैं | सरकार का कहना हैं कि एमबीबीएस कोर्स  पंचा साल की पढाई के बाद ही पूरा होता हैं उसके बाद ही डॉक्टर (मेडिकल वाला ) माना जाएगा | 


सरकार का कहना हैं कि एक साल में कोरोना से जुड़े तमाम इलाज, दवा,  ट्रीटमेंट आदि की सारी सोशल मिडिया वाली जानकारी होने के बाद भी हम आम लोगों को सोशल मिडिया वाला डॉक्टर की मान्यता नहीं देगी | मतलब ऐसे कैसे चलेगा | कोरोना मतलब  कोविड 19 जब से शुरू हुआ हैं हम सभी ने बहुत गंभीरता से उसे फॉलो  किया हैं |  


अब तक हमें कोरोना कैसे होता हैं ,  क्यों होता हैं , किसको होता हैं , उससे बचने के उपाय क्या क्या हैं , उसकी तमाम दवाएं , हाइड्रोक्विन से लेकर फैबिफ्यू , रेमडेसिविर तक की जानकारी हैं | हां ठीक हैं हाइड्रोक्विन और  रेमडेसिविर जैसो का उच्चारण करने में शुरू शुरू में समस्या होती थी लेकिन अब तो सीख ही गए हैं | ठीक हैं स्पेलिंग नहीं पता हिंदी मीडियम वालों को , लेकिन हमें कौन सा अंग्रेजी में नाम लिखना हैं | सोशल  मिडिया पर तो हिंदी  में ही सबको सलाह देनी हैं वो तो हम लोग  कर ही लेंगे | लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं हैं | 


हमने कहा हम लोगों ने खान सर की यूटुब क्लास भी की हैं हमें RT -PCR  टेस्ट क्या हैं , कोरोना कैसे हमारे फेफड़े में प्रोटीन कवर का  धोखा  दे कर घुसता हैं कैसे अपना फोटो कॉपी बनाता हैं , सब पता हैं | ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन पल्स नापने से लेकर ऑक्सीजन कब कम ज्यादा समझा जाए तक पता हैं | हमे तो प्रोन पोजीशन सोने के फायदे तक पता हैं | हम किसी डॉक्टर से ज्यादा बेहतर सलाह मरीजों को दे सकते  हैं और वो भी मुफ्त  लेकिन ये फांसीवादी सरकार सुनने और हमें मान्यता देने को तैयार  ही नहीं हैं | 



हमने कहा एक साल का कोर्स किया  हैं तो 20 % डॉक्टर मान लो | दूसरा साल तो हम लोगों का शुरू हो  भी हो गया हैं और बहुत कुछ नया हम लोगों ने सीख भी लिया हैं | अफ्रीकन वेरियंट , ब्राजीलियन वेरियंट , इंडियन वेरियंट , आंध्र वेरियंट , अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी वेरियंट तक की जानकारी हो चुकी हैं हम लोगों को | पांच साल का क्या  मुंह देखते हो | 

वो देखो सामने दिवाली , छठ और दिसंबर में शादियों का सीजन साफ़ दिख रहा हैं और साथ में हमारा तीसरे साल का कोर्स भी | हमें धीरे धीरे 20- 20 परसेंट की मान्यता साथ में देते चलो | तब तक हम लोग  अपनी सोशल मिडिया वाली डॉक्टरी सलाह से ना जाने कितनो की   जान सांसत में डालने  सॉरी सॉरी बचाने में मदद कर सकते हैं | लेकिन इस निकम्मी सरकार के कानू पर जूं भी नहीं रेंग रही | 

हमने कहा चलो हमें छोड़ दो लेकिन अपने देशी , शुद्ध भारतीय , लोकल - वोकल के नाम पर आयुर्वेदिक वैद्य की मान्यता हमारे अजवाइन , कपूर , लौंग , गठरी , नाक में अणु का तेल , निम्बू करने वाले मित्रो को तो दे दो | बेचारे कहाँ कहाँ से घर के मसालों के डिब्बों से , पूजाघर से आयुर्वेदिक इलाज खोज पर ला रहें हैं | कम से कम आयुर्वेद के नाम पर उन्हें वैद्य की मान्यता दे दो लेकिन सरकार इस पर भी तैयार नहीं हैं | 


हाई स्कूल फेल हो कर भी घर बैठे डॉक्टर बनिये वाला कोर्स करके होम्योपैथ के डॉक्टर बन मीठी गोलियां की सलाह बांटने वालों को भी सरकार मान्यता नहीं  दे रही हैं  | कोई बात नहीं,  ना दे मान्यता सरकार,  एकबार हम सभी का कोरोना कोर्स पूरा होने दीजिये हम सभी कोरोना टेस्ट देंगे | अरे नहीं आरटी पीसीआर टेस्ट नहीं लिखित टेस्ट मिल कर देंगे कोरोना से जुडी जानकारियों पर | फिर हम सब खुद एक दूसरे को ५७ सत्तावन   ( सांत्वना ) पुरुष्कार ले दे लेंगे | 

तब तक सोशल मिडिया पर बैठ कर सबको अपनी मुफ्त डॉक्टरी    सलाह  देते रहिये भले  कोई लाख मना करे |  

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