February 27, 2010

हम तो छोटे अपराधी है

एक बहस जो आम लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है की देश के सभी नियम कानून सिर्फ गरीबो के लिए है अमीरों को हर कानून से छुट मिली होती है | पैसे वाले हर नियम कानून को तोड़ कर आसानी से बच कर निकल जाते है और बेचारा आम गरीब आदमी कानून तोड़ना क्या कई बार तो बिना कानून तोड़े भी फस जाता है | ताकतवर को सब छुट  है बेचारा कमजोर आम आदमी  हर जगह मारा जाता है | पर क्या वास्तव में ऐसा  है की देश में सारे कानून  सिर्फ आम लोगो  पर ही लागु होते है ,क्या सिर्फ आम आदमी ही कानून का पालन करता है और अमीर ताकतवर लोग अपने हिसाब से कानून मानते है | इस सवाल का जवाब हा और नहीं दोनों ही है क्योकि ताकतवर और अमीर होने की परिभाषा व्यक्ति और केस के हिसाब से बदलती  रहती है |
जब रुचिका केस में इतने  सालो बाद आये फैसले में राठौर को सिर्फ ६ महीनो की सजा हुई तो सभी के जुबान पर एक  ही बात थी कि देश में कानून धनवान  ऊँचे पदों पर बैठे  और ऊँची पहुच वालो का कुछ नहीं बिगाड़  सकता  | यह कोई  पहला मामला नहीं था इसके पहले जेसिका लाल , प्रियदर्शनी मट्टू ,नितीश कटारा  जैसे कई मामलो में हम देख चुके थे की कैसे कानून अमीर  पैसे वालो की जागीर बन जाती है | ये वो मामले थे जो मीडिया  के कारण  नजर में आये  | पर इस तरह के न जाने देश में रोज कितने मामले है जो लोगों के सामने आते ही नहीं | इन सारे केसों को देख कर सभी इस बात पर हाय तौबा मचाते रहे  की अमीर लोग तो अपने पहुंच के बल पर इंसाफ  को भी प्रभावित कर दे रहे है | पर यदि हम गौर करे तो इन सारे केसों में पीड़ित पक्ष कोई आम गरीब भारतीय परिवार नहीं थे फिर क्या कारण है की इन्हे सही समय पर  और उचित न्याय नहीं मिला पाया | असल में तो नियम कानूनों का पालन इस बात पर निर्भर करता है की दो पक्षों में कौन ज्यादा ताकत वाला है ये ताकत शारीरिक ,धन, पद और पहुँच किसी की भी हो सकती है | एक छोटे से उदाहरण से इसे समझाना आसान होगा जैसे आप ने ट्रैफिक का कोई नियम तोडा और ट्रैफिक हवलदार ने आप को पकड़ लिया अब आप पर कोई नियम कानून लागु हो या नहीं ये आप पर निर्भर है यदि आप किसी ऊँचे  सरकारी पद  पर विराजमान है तो मान कर चलिए की आप को न तो फाइन  भरने की जरुरत है और न ही आप को कोई सजा होगी बस आप को जरा सा अपने पद का रौब झाड़ना है हवलदार आप को कुछ  कहे उसके पहले आप ही उसकी खबर लेना सुरु कर दीजिये कि उसकी हिम्मत कैसे हुई आप को रोकने की आप कितने बड़े पद  पर शोभायमान है उसने आप को रोक के आप का अपमान किया है और आपके जरुरी सरकारी काम में बाधा डाली है अब तो वो अपनी खैर मनाये बस  वो तुरंत ही आप को साँरी बोल कर  जाने को कहेगा | यदि आप किसी पद पर नहीं है तो भी कोई बात नहीं हवलदार को बताइए  की कोई बड़ा लोकल नेता या कोई बड़ा ऑफिसर आदि आप का कितना सगावाला है फिर वो आप को प्यार से कहेगा की आगे से ये मत करीयेगा और आप को जाने देगा | अगर ये दोनों काबीलियत आप में नहीं है तो फिर बचने का एक तरीका और है वो है की आप के जेब में माया हो  माया की माया से कोई नहीं बच पाता हजार का फाइन भरना है तो बात दो या तीन सौ में जरुर बन जाएगी बस उसकी रसीद नहीं मिलेगी मिलेगी तो एक कड़क नसीहत की आगे से मत करना नहीं तो लाइसेंस  ले लूँगा | अगर ये तीनो चीजे आप के पास नहीं है तब आप आम आदमी होंगे और  सारे नियम कानून  आप पर लागु होंगे समझीए गया लाइसेंस आप के हाथ से और उसे पाने के लिये अब आप को एक तो मोटी फाइन भरनी पड़ेगी साथ ही लाइसेंस पाने के लिए लगाने पड़ेगे कई चक्कर | लेकिन आप को पकड़ने वाला कोई बड़ा ट्रैफिक ऑफिसर है तो समझ लीजिये कि फिर तो आप सभी आम आदमी है और कानून सब पर लागु होगा | अब  आप समझ गए होंगे की कानून किसके लिए होता है | इस उदाहरण को बस मात्र एक ट्रैफिक नियम कह कर ख़ारिज मत कीजिये यही नियम ज्यादातर मामलो  पर लागु होता है |
              हम कानूनों का पालन न करने के लिए अमीर और पहुँच वालो को भला बुरा कहते समय ये क्यों भूल जाते है की देश में रोज हर जगह कानूनों को तोडा जाता है और लोग पकडे भी जाते है वो सारे  काम  खास लोग नहीं आम लोग भी करते है | कई बार उनके किये की सजा उन्हें मिलती  है तो कई बार नहीं क्योकि आम आदमी भी सजा से बचने के लिए वो सब करता है जो कोई  खास आदमी करता है धन, बल, पहुच और  झूठ का प्रयोग  | इस मामले में आम और खास में कोई  फर्क नहीं है  फर्क है तो बस दोनों के लेबल का | हम सभी  ने कई बार गौर किया होगा की एक ही धारा के तहत दर्ज  दो मामलों में वादी और प्रतिवादी के साथ  अलग अलग व्यवहार किया जा रहा है | कुछ मामलो  में रिपोर्ट लिखने में ही देर की जाती है या रिपोर्ट लिखने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की जाती जबकि कुछ मामलों में पुलिस की तत्परता देखते बनती है रातोरात आरोपियों को न केवल पकड लिया जाता है बल्की पुरा केस ही सुलझा लिया जाता है जबकि वो सब भी आम आदमी ही है बस फर्क होता है उन दोनों के आर्थिक और सामाजिक रुतबे में |  दहेज़ के मामले  ,घरेलु हिंसा और सम्पति विवादों को ही ले लीजिये इन कानूनों के तहत दर्ज होने वाले ज्यादातर मामले आम लोगों के होते है इन में भी ज्यादातर मामलों में आप देखेंगे की कानून के तहत निष्पछ* जाच की जगह कार्यवाही किसी एक पक्ष की और झुकी हुई दिखाई देगी | हर व्यक्ति अपने पक्ष में फैसला पाने के लिये अपने ताकत अनुसार पुरे न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की हर संभव कोशिश करता है | चाहे दुसरे पार्टी को  डरा धमका के किया जाये या  पुलिस को पैसे और पहुंच के बल पर प्रभावित करके या फिर झूटे गवाह खड़ा करके |
           ऐसा नहीं है कि हर बार किसी केस से जुड़े लोग ही न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करते है कई बार तो ये अपने आप ही होता है जैसे हमने देखा है कि कई मामलो में न्यायपालिका ही खुद केस को अपने संज्ञान में लेते है तो कई बार वह केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट को दे देती है वह उस कानून के तहत आने वाले सारे मामलो में ऐसा क्यों नहीं करती | कुछ मामलो में ये काम सरकार करती है क्यों ?  कभी मिडिया समाज के दबाव में कभी अपने राजनितिक  फायदे के लिए तो कभी उस केस से जुड़े हाई प्रोफाइल लोगों के कारण |
          पर  हम बात आम आदमी कि कर रहे थे हम सब रोजमर्रा के जीवन में कितने कानून का पालन करते है | हम सारे कानून अपनी सुविधानुसार मानते है जिसे मानाने में हमारा फायदा हो या न मानने से नुकसान तो उस कानून का हम सब पालन करते है लेकिन उससे कोई नुकसान हो तो हम उन कानूनों को अनदेखा करते रहते है पर  जब दुसरे भी  उसे नहीं मानते तो हम उन्हे  भला बुरा कहने लगते है | घर कि गलत रजिस्ट्री करना(पूरी स्टैम्प डियूटी नहीं भरना)  घर बनाते समय अतिक्रमण करना, खाने पीने कि चीजो में मिलावट करना, झूठे कागजात बनाना, बिना टिकट यात्रा करना, रेलवे ट्रैक क्रास करना, ट्रैफिक नियम न मानना इस तरह है के ढेरो कानूनों को हम सब रोज तोड़ते है वो भी बिना किसी अपराध बोधा के क्योकि इन कानूनों को तोड़ते समय हम मानते ही नहीं कि हम कोई कानून तोड़ रहे है | अब ये मत कहिये कि ये छोटे कानून  है इन्हें तोड़ कर हम कोई बड़ा अपराध  नहीं करते | कानून कानून होता है छोटा या बड़ा नहीं उसे तोड़ना अपराध है क्या आप छोटी  चोरी  और बड़ी चोरी  करने वाले दो चोरो में , एक व्यक्ति कि हत्या या कई लोगों कि हत्या करने वालो के बीच फर्क करते है क्या हम कहते है कि एक का अपराध कम है इसलिए उसे छोड़ दिया जाये, नहीं हम दोनों को सजा देने कि मांग करते है क्योकि अपराधी तो दोनों ही है | अपराध अपराध होता है छोटा या बड़ा अमीर या गरीब का नहीं हमें हर अन्याय का विरोध करना चाहिए चाहे वो कोई भी करे और किसी के भी खिलाफ हो |
               फिर सवाल ये भी है कि खुद हम भी गरीबो को न्याय दिलाने  के प्रति कितने गंम्भीर है हम चीख चीख कर कहते है कि गरीब  आम आदमी के साथ अन्याय हो रहा है पर क्या हम उस गरीब बेसहारा के साथ भी वैसे ही खड़े होते है जैसे कि हम जेसिका प्रियदर्शनी मट्टू के केस में खड़े हुए थे | उनको इंसाफ दिलाने के लिए मीडिया से लेकर आम आदमी भी आगे आया मोमबत्तिया ले कर मोर्चा निकला गया हो हल्ला मचाया गया क्या किसी भवरी  देवी के लिए भी हम ये करेंगे क्या किसी गाव के दलित, आदिवासी या सड़क पर रहने वालो के लिये भी मोमबत्तिया ले कर मार्च निकालेंगे  जवाब है नहीं शायद  कभी नहीं |  हम अपने ऊपर हो रहे अन्याय का विरोध तो करते ही नहीं दुसरो के लिये क्या करेंगे | हम अगर कुछ कर सकते है तो वो है दूसरो को दोषारोपण करना और हर बुरे चीज के लिए सिस्टम को कोसना जबकि हम खुद भी उसी  सिस्टम का एक हिस्सा है |

3 comments:

  1. I am agree with you. If we could not stop some wrong thing for our self, then we are doing help indirectly to increasing crime.

    ReplyDelete
  2. ham dusaro par ungaliya uthakar asal me ham apne apradh ko chhupana chahte hai hame hamesa dusaro ka chhidr hamesa bada hi dikhata hai

    ReplyDelete
  3. अंशुमाला जी, आपने उपरोक्त पोस्ट में बहुत सही बात कहीं है. हम अपने ऊपर हो रहे अन्याय की तो आवाज उठा सकते नहीं हैं, दूसरों के लिए क्या आवाज उठाएंगे. पूरी पोस्ट में आम आदमी की छोटी-छोटी समस्याओं पर आपका गहन विचार करना बहुत उपयोगी है.
    # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

    ReplyDelete