अभी हाल में ही खबर पढ़ी की मुंबई में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने पोलियो की दवा अपने बच्चों को पिलाने से इंकार कर दिया | अभी तक देखा गया था की जब पल्स पोलियो की दवा पिलाने घरों तक लोग जाते थे तो कुछ लोग झूठ बोल कर अपने बच्चों को पोलियो को डोज नहीं पिलाते थे जैसे की हमारे घर बच्चे नही है या हमने अपने बच्चों को पिला दिया है और ये झूठ तब सामने आता था जब कुछ बच्चों को पोलियो हो जाता था | अभी तक देश में जितने भी मामले पोलियो के सामने आये है उनमें से एक बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय के बच्चो की थी ( ये भी अखबारों में पढ़ा और टीवी पर देखे खबर के आधार पर कह रही हुं ) पर कुछ लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते थे और न हीं सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया | पर इस बार तो हद ही गई खुल्लम खुल्ला एक साथ मुस्लिम समुदाय के सैंकड़ो परिवारों ने इसे पिलाने से इंकार कर दिया | उनका मानना है की इसे पिलाने से उनके बच्चे कमजोर हो जायेंगे | बी एम सी ने तुरंत ही लोकल मौलवी से संपर्क किया और उन्हें लोगो को समझाने के लिए कहा उनके कहने पर कुछ परिवारों ने तो अपने बच्चों को दवा का डोज दे दिया पर ज्यादातर ने उसके बाद भी दवा पिलाने से इंकार कर दिया |
उस क्षेत्र के लिए एस तरह की बात नई नहीं है दो साल पहले भी वहा पल्स पोलियो दिवस के दो दिन पहले उस पूरे क्षेत्र में रातों रात पोस्टर लगा दिए गए थे जिस पर लिखा था दो बूंद जहर के ठीक उसका उल्टा जो पल्स पोलियो के प्रचार के लिए किया जाता है दो बूंद जिंदगी के |
इसकी वजह क्या है | मैंने सुना है ( कितना सच है मैं नहीं जानती) कि मुस्लिम समुदाय के बीच ये बात फैला दी गई है कि पोलियो कि दवा असल में पोलियो को मिटाने के लिए नहीं है बल्कि ये डब्ल्यू एच ओं और पश्चिमी देशों की एक साज़िश है मुस्लिमों को ख़त्म करने की यदि हम अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलायेंगे तो हमारे बच्चे कमजोर हो जायेंगे और भविष्य में वो बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो जायेंगे इस तरह मुस्लिमों को एक दिन दुनिया से समाप्त कर दिया जायेंगे | जिन लोगों ये बाते पता नहीं होगी वो हसेंगे पर जिस देश में एक ही समय में हर जगह गणेश जी दूध पीने लगे किसी मुह नोचवे मंकी मैन या इसी तरह के अफवाहों से लोगो में दहसत फ़ैल जाये वहा लोगों के बीच इस तरह की अफवाह हो तो कोई आश्चर्य की या बड़ी बात नहीं है | पर अफसोस है की जब मुंबई जैसे बड़े शहर का ये हाल है तो छोटे शहरो गावो का क्या हाल होगा |
इससे नुकसान क्या है अब आप सवाल कर सकते है कि यदि किसी समुदाय के कुछ लोग कोई दवा अपने बच्चों को नहीं पिला रहे है तो इसमे बड़ी बात क्या है कुछ लोगों के न पिलाने से क्या नुकसान हो जायेगा | पल्स पोलियो कार्यक्रम का लक्ष्य है की देश से पोलियो के जीवाणु को जड़ से नस्ट कर दिया जाये जिस तरह बड़े चेचक जिसको बड़ी माता भी कहा जाता है जैसी अन्य कई बीमारियों को ख़त्म कर दिया गया है | लेकिन यदि एक बच्चा भी इसे पीने से छुट जाता है और उसमे पोलियो का जीवाणु बच जाता है तो ये कार्यक्रम फिर से जारी रखना पड़ेगा | यही कारण है की इतने साल बाद भी इसमे सफलता नहीं मिली है क्योकि हर बार कुछ बच्चे छुट जाते है और पोलियो के केस सामने आ जाते है | जिस लाइलाज बीमारी का इलाज मौजूद हो और वो भी मुफ्त में जिसे आपके घर पर आ कर पिलाया जाता है यदि उस बीमारी से देश के बच्चे ग्रसित हो रहे है तो ये हमारे लिए शर्म की बात है | ये कार्यक्रम डब्लू एच ओं की मदद से सरकार चला रही है जिसमे कितना पैसा समय और श्रम जा रहा है केवल कुछ लोगों की नादानी की वजह से ये लम्बा खिचता जा रहा है यदि लोग ये नादानी बंद कर दे तो वही पैसा समय और श्रम किसी और गंभीर लाइलाज बीमारी से लड़ने में गरीब बच्चो की पढाई में या गरीबो की भलाई में खर्च किया जा सकता है | पर वो सब कुछ बेमतलब में खर्च हो रहा है एक ऐसी बीमारी में जो कुछ लोगों की बेवकूफी के कारण जिन्दा है | ( प्लस पोलियो के बारे में विस्तार से और वैज्ञानिक जानकारी अप किसी डाक्टर से ले सकते है मेरी जानकारी सिमित है )
करना क्या है हम लोगों की एक बुरी आदत है की हम खुद तो कुछ करते नहीं है पर सरकारों को बैठे बैठे कोसते है हम सभी बस ये मान कर बैठे है की ये परेशानी सरकार की है वही इसको सुलझाये हमसे क्या पर वास्तव में ये परेशानी हम सबकी है क्योंकि इससे हमारे ही देश के बच्चे असुरक्षित हो रहे है | इस लिए जरुरत इस बात की है की मुस्लिम समुदाय के पढ़े लिखे समझदार लोग जरा बाहर निकल के आये और ज़मीनी रूप से कुछ काम करे ना की बैठे बैठे सिर्फ भाषण बाजी की जाये | हम सभी दूर दराज के इलाको में तो नहीं जासकते है पर आप हर पोलियो दिवस के दिन अपने शहर ( आप काम का बहाना नहीं बना सकते है वो रविवार का दिन होता है ) के उन क्षेत्रो के पोलियो बुथो पर जाये जहा काम पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों की संख्या ज्यादा है या लगता है की वहा के लोग ऐसे मामलों में थोड़े कान के कच्चे है और हर अफ़वाह को सच मान कर प्रतिक्रिया देते है | चेक करे की क्या वहा सभी बच्चों ने पोलियो की दवा पी ली है यदि वो मना करे तो उन्हें हर संभव तरीके से समझाये | मैंने खुद कई कम पढ़े लिखे और कई पढ़े लिखे गवारो को इस बारे में समझाया है की क्यों हर बार अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने की जरुरत है उन्हें लगता था की एक बार पिला दिया काफी है हर बार पिलाने की जरुरत नहीं है | पर मैं मुस्लिमों में बैठे इस सक को नहीं मिटा सकती क्योंकि वो मुझपर भरोसा नही करेंगे वो आप पर भरोसा कर सकते है और ये काम आप को ही करना होगा ना केवल अपने समुदाय के सभी बच्चों की सेहत के लिए बल्कि देश के बेहतर भविष्य के लिए |
शक शंका का कोई इलाज नहीं है कहा गया की शक शंका का इलाज किसी वैद्य हकीम के पास नहीं होता है मतलब जिन लोगों के मन में ये बात पूरी तरह से घर कर गई है ये हमारे समुदाय को ख़त्म करने के लिए साज़िश है तो मुझे लगता है ऐसे लोगों के लिए एक उपाय है कि इनसे कहा जाये की वो चाहे तो उस क्षेत्र में जा कर अपने बच्चों को पोलियो डोज दे जहा बहुसंख्यक समुदाय रहता है पोलियो पिलाने से पहले किसी का नाम पता नहीं पूछा जाता है वो चाहे तो अपनी समुदाय की पहचान छिपा कर अपने बच्चों को ये दवा दे सकते है तब तो उनको कोई नुकसान नहीं होगा | वैसे तो आप सभी खुद काफी समझदार है |
नोट ---------ऊपर दी गई खबर आप मुम्बई से प्रकाशित नवभारत टाइम्स में पढ़ सकते है माफ़ करे मुझे तारीख याद नहीं है पर खबर करीब १० -१२ दिन पहले प्रकाशित हुई थी | चुकी मुझे ये खबर कल मेरे मित्र ने दिखाई इस कारण पोस्ट आज लिखी जा रही है | इस पोस्ट को लिखने का ये मतलब नहीं है की सिर्फ एक समुदाय के कुछ लोगों के कारण ही पोलियो बचा है | इसके लिए और कारण भी जिम्मेदार है जैसे की पल्स पोलियो से जुड़े लोग देश के कई पिछड़े और दूर दराज के इलाको में नही जा पाते है यदि हम खुद प्रयास करे और कम से कम शहरो से इस बीमारी को भगाने में मदद कर सके तो सरकार भी अपना सारा ध्यान उन इलाको पर लगा सकती है |
अच्छा लेख है .... एक अच्छी कोशिश ..........
ReplyDeletehttp://thodamuskurakardekho.blogspot.com/
EK ACCHI KOSHISH KE LIYE THANK
ReplyDeleteसही कहा पर कितने लोग आपको सुन कर कुछ करने वाले है
ReplyDeleteआपने सही कहा हम खुद तो कुछ करते नहीं बस हर बात में सरकार को कोसते है
ReplyDeleteअच्छे विचार हैं आपके ...यह ईमानदारी कम जगह मिलती है आशा है आपकी आवाज का सम्मान होगा !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
गजेन्द्र जी तारकेश्वर जी सतीश जी उत्साह बढ़ाने का धन्यवाद
ReplyDeleteकोशिश का फायदा तो तभी है जब मेरी पोस्ट पढ़ कर कम से कम दो चार लोग भी बाहर निकले और दस बीस परिवारों को भी पोलियो की दवा पिलाने के लिए मना ले |
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ReplyDelete.
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अंशुमाला जी,
एक जरूरी पोस्ट,
पर एक हकीकत आपको बताउंगा कि केवल कुछ अनपढ़, जाहिल, नासमझ और गरीब मुसलमान ही नहीं देश के कई भागों में कुछ पढ़े लिखे, समृद्ध,समर्थ व समझदार मुसलमान भी अपने बच्चों को पोलियो की दवा देने से बच रहे/बचना चाहते हैं।
कारण सबको पता है परंतु पॉलिटिकल करेक्टनेस की मजबूरी रोकती है जाहिर करने से!
आप टेक्सट सलेक्शन लॉक हटा दीजिये प्लीज, टिप्पणी करते समय यदि किसी पैरा को उद्धृत करना चाहें तो यह नहीं हो पाता है इस से... और दोबारा से टाइप करना दुष्कर है।
आभार!
...
प्रवीन शाह जी
ReplyDeleteआपकी बात कही न कही सही लग रही है अभी तक मुझे उस तरफ से एक भी इस विषय पर चिंता जाहिर करने वाली या आश्वासन वाली टिप्पणी नही मिली है कि हा कोई कुछ करने वाला है | ये मानना थोडा मुश्किल लग रहा है की मेरी अपील पर अभी तक उनकी नजर नहीं पड़ी है क्योकि इस टिप्पणी के लिखे जाने तक इस पोस्ट को ६४ बार चिठ्ठा जगत पर खोला गया है क्या उनमे से कोई भी वो नही था जिसके लिए अपील की गई थी | फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है चलिए कोई यहाँ कुछ कहे न कहे पर कम से कम कुछकाम तो करे पोस्ट लिखने कि असली सार्थकता तभी है |
प्रवीन जी टेक्सट सलेक्शन लॉक हटा दिया गया है आप को जो असुविधा हुई उसके लिए खेद है |
आपका कहना दुरूस्त है...लेकिन किसी ईमानदाराना पहल की गुजांईश कम ही है...क्यों कि यहाँ बातें तो लोग बहुत बडी बडी करते हैं... लेकिन अपनी ओर से किसी तरह के सुधार का प्रयास कोई नहीं करना चाहता...
ReplyDeleteआप की चिंता जायज़ है.... इस पर जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता है... दिल्ली सरकार ने शाही इमाम के द्वारा लिखे वक्तव्य को पोस्टर बनाकर एक अछि पहेल की थी. इस तरह की पहल के द्वारा और भी मेहनत की आवश्यकता है. ......बेहतरीन लेख.
ReplyDeleteशाह नवाज जी
ReplyDeleteबात अगर पोस्टरों से बन जाती तो फिर क्या बात थी पोलियो उन्मूलन से शाहरुख़ खान को भी इसलिए जोड़ा गया था लेकिन मुम्बई में ही इसका कितना असर हुआ है आप देख सकते है | लोकल मौलवी के कहने पर भी लोग तैयार नहीं हुए | अब माहौल ऐसा बन चूका है जब तक की व्यक्तिगत रूप से एक एक व्यक्ति की शंका का समाधान न किया जाये बात नहीं बनने वाली |
आप ने कहा और भी मेहनत की आवश्यकता है. .. सिर्फ कहने और चिंता जाहिर करने से कुछ नही होगा वो मेहनत आप जैसे लोगो को ही करनी है क्या आप उसके लिए तैयार है ?
ek behad jaruri post thanks
ReplyDeleteबहुत ही नेक विचार है आपके .... समाज को बदलना है तो
ReplyDeleteपहले खुद को बदलना होगा . ये पहल हम सभी को करनी
होगी ....
एक बार इसे भी पढ़े , शायद पसंद आये --
(क्या इंसान सिर्फ भविष्य के लिए जी रहा है ?????)
http://oshotheone.blogspot.com
"पढ़े-लिखे-समझदार मुस्लिम", यानी अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक से अपील कर रही हैं आप? तब तो वाकई राह दुष्कर है, जब मौलवी और शाही इमाम की नहीं मान रहे हैं तो पढ़े-लिखे समझदारों की कैसे मानेंगे? :)
ReplyDeleteसुरेश जी
ReplyDeleteयहाँ पर समझदार लोगों से मेरा मतलब उन लोगों से है जो इस पूरे कार्यक्रम का महत्व समझते है और कुछ कर सकते है कम से कम अपने समुदाय के भले के लिए | शाही इमाम के नाम के पोस्टर लगने से बात नहीं बनेगी क्योंकि ये शंका अपनी जड़े जमा चुकी है इसके लिए हर शंकालु व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से समझाना होगा जो शाही इमाम जी के लिए संभव नहीं है वो तो एक आम मुस्लिम के बस की बात ही है जो एक लक्ष्य बना कर काम करे |
पर मुझे भी अब अपनी अपील बेकार ही लग रही है यहा पर बैठ कर भाषण देने वाले तो बहुत है पर काम करने वाला कोई नहीं हर बात में अपने समुदाय के हक़ की बात करने वालो को शायद ये सब दिखाई नहीं दे रहा है | अफ़सोस है |
@ पर मुझे भी अब अपनी अपील बेकार ही लग रही है
ReplyDelete@अंशुमाला जी
मुझे ऐसा नहीं लगता , ये तो देश पर सिर्फ कवितायेँ लिखने वाले ही सोचे तो ठीक है... ये पोस्ट तो कीचड में कमल है
(कीचड से आशय ब्लॉग जगत में पोस्ट होने वाली बहुत सारी अर्थहीन पोस्ट्स से है )
अब बात इस लेख की
एक बात तो माननी पड़ेगी बड़ा ही नेक और पवित्र आव्हान किया है आपने
आपके इस प्रयास को नमन ... इस आव्हान का सम्मान होना ही चाहिए
जहां एक ओर देश भक्ति अब सिर्फ संवादों में होती है वहीं आप सही मायने में देश भक्ति कर रहीं हैं [मेरे अनुसार ]
जानकारी बढ़ाने और रेफरेंस के लिए आभार
आँखें खोलने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteसचमुच ऐसे जानकारी देने वाले लेखों की बेहद जरूरत हैं समाज के हर तबके को।
अच्छे लेख के लिए आभार.........
आपने बहुत जरूरी बात की है, जो सब के हित की है। दुख यही होता है कि हमारी आपकी बातों को शक की नजर से ही देखा जाता है। अभी कल ही देखा कि तारकेश्वर गिरी की एक पोस्ट पर इन्होंने एड्स के बारे में कुछ लिखा था और सावधान रहने की अपील की थी, वहाँ भी एक सज्जन अपना वही राग ले बैठे कि ’हमारे धर्म के हिसाब से जियें तो ये है और वो है।’ अब इनसे पूछा जाये कि कौन सा धर्म या मजहब यह कहता है कि स्वास्थ्य की रक्षा नहीं करनी चाहिये। इस हिसाब से तो किसी मुस्लिम देश में अस्पताल वगैरह भी नहीं होने चाहियें और एड्स का तो मरीज वहाँ होना ही नामुमकिन है। इतना ही यकीन है तो क्यों नहीं सरकार से कह दिया जाता कि इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवायें वगैरह पर पैसा खर्च करने की बजाय कहीं दूसरी जगह ये पैसा लगाया जाये।
ReplyDeleteबहरहाल कुछ न करने से बेहतर है कि आपने अपील की, कुछ हैं जो सुनेंगे, पढ़ेंगे भी और मानेंगे भी।
गौरव जी
ReplyDelete@पर मुझे भी अब अपनी अपील बेकार ही लग रही है
इसका मतलब ये है की जिसके लिए अपील की गई थी जरा इस पोस्ट पर उन लोगों के टिप्पणियों की संख्या देखिये उसे देख कर नहीं लगता है की जिससे अपील की गई थी यदि वो इसको पढ़े ही नहीं या प्रतिक्रया दे ही नहीं तो फिर ऐसे किसी अपील का क्या फायदा है | बस उम्मीद है की सम्भव हो की लोगों ने प्रतिक्रया भले ना दी हो पर वो कुछ करेंगे |
संजय जी
ReplyDelete@हमारे धर्म के हिसाब से जियें तो ये है और वो है।’
मुझे तो इस बारे में पता ही नहीं था की ऐसा भी होता है आपने तो मेरे जानकारी बढ़ा दी इसे भी मुझे अपने पोस्ट में शामिल करना चाहिए था | हो सकता है कि ऐसे लोग भी हो जो ये सोचते है की हम तो अपने धर्म के हिसाब से जीते है और अपने बच्चो को भी ऐसे ही रखेंगे तो हमें पोलियो का डोज देने कि जरुरत ही क्या है | ऐसे ही लीगो को तो समझाना है | मै जानती हु की दुसरे धर्म के होने के कारण हम पर विश्वास नहीं किया जायेगा इसी लिए तो उन्ही के धर्म के समझदार लोगों से अपील की है | मैंने तो पूरी कोशिश की है की इस अपील में कुछ भी ऐसा न हो जिसके कारण मुझे शक की नजर से देखा जाये पर कहा गया है ना की शक का कोई इलाज नहीं होता |
संभवतया आप अपनी पोस्ट्स को इन्डली.कॉम पर अपलोड नहीं करती हों ???
ReplyDeleteअपने महान धर्मनिरपेक्ष देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की सूची लम्बी है.... यह भी उन्ही में से एक है.
ReplyDeleteबहरहाल आपके आदेश को मैं भी यथा संभव पहल करने की कोशिश करूँगा. मेरे एक मुस्लिम मित्र है जो कुछ प्रतिशत पोलियो का शिकार है, अपने मित्र के माध्यम से कुछ तो बात बन ही जायेगी. आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हुआ.
काव्य साहित्य में गहरी रुचि होने के साथ साथ समाज एवं राष्ट्रनिर्माण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ.
- सुलभ
waah anshumala ji.is apeal ko padhkar lag raha hai ki kyo blog print media se bhi jyada sashakt madhyam bankar ubhar raha hai.lekin itni saari sakaratmak pratikriyaon ke baad bhi aap niraash kyo hai/ aisi koi bhi koshish bekaar nahi jati hai.intejaar to karna hi padega.
ReplyDelete@ जिसके लिए अपील की गई थी जरा इस पोस्ट पर उन लोगों के टिप्पणियों की संख्या ....
ReplyDeleteसमझा .. आपकी बात बिलकुल सही है
@बस उम्मीद है की सम्भव हो की लोगों ने प्रतिक्रया भले ना दी हो पर वो कुछ करेंगे
हाँ ..... ये हुई न बात ....
देखिये अंशुमाला जी हर पोस्ट को पढने का प्रभाव होता है
[ चलिए ...मुझे पता लगा .... मैं अपने फ्रेंड सर्किल में तो इसे डिस्कस करूंगा न ?? , जिसे ठीक लगता है मानेगा ही, उसमे हर वर्ग शामिल है ]
आपने जिस तरह से इस पोस्ट को विश्वसनीय बनाया है ये अवचेतन मन तक दस्तक देने की क्षमता रखती है [मेरे अनुसार ]
और हर बात शुरुआत इसी तरह से होती है
संभवतया आप अपनी पोस्ट्स को इन्डली.कॉम पर अपलोड नहीं करती हों ???
ये टिपण्णी दोबारा भेज रहा हूँ शायद पहले आप तक किसी तकनीकी परेशानी की वजह से ना पहुंची हो
यदि इसका कोई अंश आपतिजनक लगा हो तो कृपया खुल कर कहें
राजन जी
ReplyDeleteनिराश इस बात से हु की जिनकी सकरात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद में ये पोस्ट लिखा था उनसे प्रतिक्रया नहीं मिली | आपने सही कहा इंतजार करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है |
गौरव जी
ReplyDeleteजिसे ठीक लगता है मानेगा ही से बात नहीं बनेगी समस्या तो यही है की उनको ये बात ही ठीक नहीं लग रही है हमें तो उन्हें हर हाल में समझाना है की ये ठीक है और उन्हें अपने बच्चो को पोलियो की दवा देनी ही चाहिए | या तो उनकी शंका को मिटाना होगा या फिर उसमे से कोई बीच का रास्ता निकलने होगा एक उपाय तो मैंने दिया है चाहे तो आप खुद से भी कोई बीच का रास्ता उन्हें समझाने का निकाल सकते है |
बहुत अच्छा आलेख \अपने स्तर पर जरुर प्रयत्न करेंगे \अक जागरूक आलेख के लिए आभार |
ReplyDeleteanhumla ji sunder post ke lei badhaai. muslim samudaay pichda hua hai ismain koi do raay hai or doosri baat ye ki unmen vyavastha ke prati vishvaas jagana hoga tabhi polio ki dava kaam karegi.....
ReplyDeleteआपका सुझाव अनूठा और काफी हद तक प्रैक्टिकल भी है। मगर यह भी सच है कि भय बहुत से अपराधों की माँ है। साथ ही शक की कोई दवा नहीं है। इतनी महती ज़िम्मेदारी एक भयातुर और अप्रशिक्षित समूह को नहीं दी जा सकती है। दवा का विरोध करने वाले यह जानते हैं कि देश भर menk yah davaa sabhee samudaayon ko dee jaa rahee hai - kaee virodha akaaraN hee hote hain aur unhen sakhtee se nibataa jaanaa chaahiye.
ReplyDeleteहे भगवान क्या होगा मेरे देश का...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteInternet ke madhyam se jaagrukta phailane ki aapki ye koshish bahut hi sarahniye hai...hamara bhi dhyan is taraf aakrist karwane ke liye bahut dhanywad Anshumala ji!
ReplyDeleteकैसे लोग है जो अपने बच्चों को विकलांगता का कौमी ज़हर पिला रहे हैं।
ReplyDeleteदेश एक है लेकिन दिल विकलांग होकर कभी इधर लटक रहा है ,कभी उधर