दिन भर आप कितना भी सकारात्मक सोच ले , अच्छी बाते बोल दे , शुभ शुभ का मनन कर ले लेकिन सरसत्ती मैया जबान और दिमाग की उसी बात पर विराजेंगी जो ख़राब हो | ख़राब सोचो ,किसी बात से डरो तो वो झट से पूरा हो जाता हैं |
हमारी ही बिल्डिंग में हमारी फैमली डॉक्टर का क्लिनिक हैं | पतिदेव लोग बचपन से उनके पास जाते रहें हैं | विवाह के बाद मेरी भी डॉक्टर बन गईं छोटी मोटी हर समस्या के लिए | १७ सालों में मुझे और मेरी समस्याओं से अच्छे से अवगत भी हो गई थी |
तो हुआ ये कि जुलाई में हमारी डॉक्टर दो महीने बाद अमेरिका से आईं ( उनके भाई , माता जी और बेटी सब वही सेटल हो गए हैं तो ये खुद दो महीने के लिए हर साल मिलने वहीँ चली हैं ) तो मुझे अचानक से वो कुछ ज्यादा ही वृद्ध और कमजोर दिखने लगी | उनकी आयु का अंदाजा लगाया तो 65 -70 के आस पास लगी |मुझे चिंता होने लगी इनकी तो आयु हो रही हैं , कहीं इन्हे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा | आस पास कोई एमबीबीएस अच्छी महिला डॉक्टर नहीं हैं | इनके साथ तो पारिवारिक रिश्ते जैसा हैं , कितने आराम से इन्हे सब बता देतीं हूँ , इन्हे कुछ हुआ तो क्या करुँगी |
इस बारे में पतिदेव से चर्चा भी की , तो वो बोले अरे अभी कुछ नहीं होगा शारीरिक रूप से एकदम ठीक हैं | कल जब उनसे मिलने गई तो उन्होंने बताया वो अब रिटायरमेंट ले रहीं हैं , पहली जनवरी से नहीं आएँगी | उसके जाने का दुःख उसके सामने ही तुरंत प्रकट कर दिया , जो बिलकुल असली थी | क्योकि इस बारे में दो चार महीने पहले ही विस्तार से सोच लिया गया था | उन्होंने भी आश्वासन दिया , घर ज्यादा दूर नहीं हैं फोन करके आ जाना |
माथा ठोक लेने का जी किया , डॉक्टर रिटायर भी होते हैं ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं था | पतिदेव को बताया गया देखा मैं ना कहती थी कि मुझे सब कुछ पहले ही पता चल जाता हैं , लो एक और उदहारण सामने हैं | अब हमारा लोहा नहीं सोना पीतल चाँदी सब मान लो |
डॉक्टर यदि स्त्री को तो स्त्री रोगियों के लिए वरदान जैसा होता हैं | स्त्रियों को अपनी शारीरिक बनावट के चक्कर में कई समस्यांओं से दो चार होना पड़ता हैं , जिसके लिए वो किसी महिला डॉक्टर के पास जाना ही ज्यादा अच्छा समझती हैं | कई बार पुरुष डॉक्टर से कहने में झिझक होती हैं , तो कई बार लगता हैं बता तो दे लेकिन वो समझेगा नहीं , क्योकि उसने सिर्फ पढाई की हैं उसक अनुभव नहीं किया हैं |
आप विश्वास नहीं करेंगे लेकिन स्त्रियों की समस्याओं का ऐसा हैं कि लगता हैं कि बिना इसका अनुभव किये डॉक्टर ठीक से समझ ना पायेगा | कई बार तो समस्याओं के लिए महिला डॉक्टर को ज्यादा बताना भी नहीं पड़ता एक दो लाइन में ही पूरी बात समझ जाती हैं | फिर इन सब को किनारे रखे तो बहुत सी महिलाऐं ऐसी भी हैं जिन्हे सामान्य शारीरिक जाँच को लेकर भी पुरुष डॉक्टरों के पास जाने में झिझक होती हैं |
तो कुल मिला कर बात इतनी हैं कि यदि अपनी आस पास की सभी स्त्रियों का बेहतर स्वास्थ , सेहत चाहतें हैं तो ढेर सारी लड़कियों को डॉक्टर बनाइये | हम जिस समाज में रहतें हैं वहां महिलाए और उनके परिवार वाले उनके स्वास्थ के प्रति लापरवाह होते हैं |उनकी छोटी , मोटी बिमारियों , समस्याओं को जितना हो सके टाल दिया जाता हैं | ये सब तो महिलाओं को होता रहता हैं अपने आप ठीक हो जाएगा , या ये तो हर महीने की समस्या हैं इसके लिए डॉक्टर के पास क्या जाना , थोड़ा बर्दास्त करों कोई बड़ी बात नहीं जैसे जुमले से उन्हें बहला दिया जाता हैं , या महिलाए आस पास कोई महिला डॉक्टर ना होने से झिझक में नहीं जाती या खुल कर नहीं बताती |
नतीजा छोटी बीमारिया , समस्यांए बड़ी और विकराल रूप धारण कर लेती हैं और फिर महिलाए को उसके लिए भी कोसा जाता हैं कि पहले क्यों नहीं दिखाया डॉक्टर को , लापरवाही क्यों किया आदि इत्यादि | कोई ये नहीं सोचता कि हमने खुद पहले ही क्यों नहीं उन्हें ले जा कर दिखाया डॉक्टर को , हमने उसकी समस्याओं को गंभीरता से क्यों नहीं लिया |
सच एक महिला डॉक्टर से कोई भी महिला जितने खुले होकर अपनी समस्या बता सकती है उतना पुरुष डॉक्टर से नहीं
ReplyDeleteलेकिन सभी लोग मानते हैं कि वकील, अध्यापक और डॉक्टर तो कभी रिटायर होते हैं नहीं, फिर ???
Appreciate this blog postt
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