वो तुम थे कृष्ण जिसने बताया कि माँ होने के लिए किसी बच्चे का लालन पालन कहीं बड़ा होता हैं उसको जन्म देने से | तुमने बताया कि स्त्री मात्र जन्म देने से माँ का दर्जा नहीं पाती , वो सभी स्त्रियां जो किसी भी बच्चे को अपना संतान मान लेती हैं वो माँ हो जाती हैं | वो तुम ही तो थे जिसने ब्रज की हर गोपी से दुलार पा उस भ्रम को भी तोड़ा कि हर माँ अपनी संतान से ज्यादा किसी और बच्चे को प्रेम नहीं करती |
वो तुम थे कृष्ण जिसने राधा से प्रेम कर बताया किसी स्त्री पुरुष के बीच का प्रेम अपवित्र नहीं होता और विवाह के बिना प्रेम अधूरा भी नहीं होता | प्रेम तो अपने आप में सम्पूर्ण हैं , उसका जीवन में होना ही हमें पूर्ण कर देता हैं |
वो तुम थे कृष्ण जिसने द्रौपती से अपनी मित्रता निभा बताया बताया कि एक स्त्री पुरुष कहीं अच्छे मित्र हो सकते हैं | जीवन में जब अपने ही हमें हार जाते हैं तो सखा ही संकट में याद आतें हैं | तुम जैसे सखा से अच्छा, जीवन का मार्ग दर्शक कौन हो सकता हैं |
वो तुम थे कृष्ण जिसने विवाह के लिए बहन शुभद्रा की इच्छा को सर्वोपरि रखा परिवार के इच्छाओं के आगे और समाज की मर्यादाओं को तोड़ने में उसका साथ दिया | तुमने बताया द्रौपती , शुभद्रा , रूपमणि को कि स्वयंबर का अर्थ पिता भाई की पसंद में से किस एक वर को चुनना नहीं होता | स्वयंवर का अर्थ हैं स्वयं की इच्छा से एक वर चुनना |
वो तुम थे कृष्ण जिसने उन हजारों स्त्रियों को एक बार में अपना लिया जिन्हे समाज ने सिर्फ इसलिए त्याग दिया था क्योकि किसी दुष्ट पुरुष ने अपनी इच्छाओं के लिए उनका हरण कर लिया था | तुमने ही तो समाज की उन रूढ़ियों को तोडा जिसमे पुरुषों के किये अपराधों की सजा निर्दोष स्त्रियों को दिया जाता था |
वो तुम्हारी ही भक्ति और प्रेम था कृष्ण जिसने मीरा को संसार की बेड़ियों को तोड़ने का साहस दिया , जिसमे किसी स्त्री को पारिवारिक जिम्मेदारी को छोड़ भक्ति , संन्यास की भी इजाज़त नहीं होती |
राधा और यशोदा का जीवन जी लिया अब अगर कभी कुछ होने इच्छा हुई तो मैं तुम ( कृष्ण ) हो जाना चाहूंगी |
No comments:
Post a Comment